पंजाब सरकारें पानी को लेकर शुरू ही से मनमानी करने वाली रहीं हैं। चाहे इन्दिरा नहर हो या फिर सतलुज यमुना लिंक नहर पंजाब का दूसरे राज्यों के प्रति रवैया भेदभाव पूर्ण रहा है। दो राष्ट्रों के बीच ही जल संधियों की आड़ में पंजाब किसी भी दूसरे राज्यों से अपने जल संसाधनों को नहीं बाटता। लाखों करोड़ों रोपयों की लागत से बन रही सतलुज यामना नहर को न केवल पात दिया गया अपितु भूमि के आबंटन को भी रद्द कर दिया गया। पाकिस्तान को हरियाणा और राजस्थान के हिस्से का पानी देने में कभी भी पंजाब ने कोताही नहीं बरती।
‘पुरनूर’ कोरल, चंडीगढ़/सूरतगढ़:
‘इंदिरा गाँधी नहर’ भारत की महत्त्वपूर्ण सिंचाई परियोजना ( Irrigation project) है। यह भारत ही नहीं अपितु विश्व की सबसे लम्बी नहर है, जिसने राजस्थान में ‘हरित क्रांति’ ( Green revolution) ला दी है। राजस्थान ए कई जिलों के लिए जीवनदायिनी बनी यह नहर येन केन प्रकारेण पूरी तो हुई लेकिन पंजाब की ओर से समय असमय लागू जलबंदियाँ इसे प्रभावित करती ही रहतीं हैं। पंजाब की द्वेष भरी नीतियाँ इस नहर में पंजाब के सीवरेज का मैला पानी और औद्योगिक अपशिष्ट विसर्जित करते रहता है। जिससे विश्व की सबसे बड़ी सिंचाई योजना निरर्थक हो जाती है, यही नहीं इसी पानी से मरुभूमि में रहने वाले लाखों लोगों की प्यास भी बुझती है।
पंजाब के इसी विद्वेषपूर्ण रवैये और कुकृत्यों को संगयान में लेते हुए राजस्थान के ‘सूरतगढ़ निवासी वरिष्ठ पत्रकार करणी दान सिंह राजपूत’ ने देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र के माध्यम से के जल स्रोतों की चिंताजनक स्थिति से अवगत करवाया ।
इंदिरा गांधी नहर में पंजाब की फैक्ट्रियों के दूषित पानी से होने वाले प्रदूषण को लेकर जल शक्ति मंत्रालय में गुरुवार को अहम बैठक हुई है. इस दौरान केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही नहरों में डाले जाने वाले सीवरेज और फैक्ट्रियों के वेस्ट को बंद करने की योजना पर काम शुरू करेंगे। जिसके लिए राजस्थान और पंजाब की राज्य सरकारों के साथ केंद्र सरकार टास्क फोर्स बनाएगी। आज इस बात को भी 2 वर्ष बीत चुके हैं, लें वही ढाक के तीन पात।
करणी दान सिंह राजपूत ने अपने पत्र मैं लिखा है कि पंजाब द्वारा राजस्थान की नहरों में सीवरेज और कारखानों का पानी छोड़ा जाता है जिसकी वजह से एक ओर जहां मनुष्यों और पशुओं का जीवन रोगग्रस्त हो रहा है वहीं राज्य की कृषि भूमि का भी नुकसान हो रहा है ।
राजपूत में मांग की इस संदर्भ में पंजाब और राजस्थान के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों और श्रीगंगानगर हनुमानगढ़ और बीकानेर के जिला आयुक्तों से रिपोर्ट मांगी जाए और जल्द से जल्द उचित कार्यवाही कर पर्यावरण को नष्ट होने से बचाया जाए।