ग्राहक से किसी भी तरह से साइबर धोखाधड़ी के लिए सिर्फ बैंक जिम्मेदार होगा, ग्राहक नहीं : NCDRC

कार्ड, पिन और सीवीवी नम्बर के बिना जो फ्रॉड (Fraud) होता है तो ऐसे केस में बैंक (Bank) की जिम्मेदारी होती है और वो ग्राहक को 45 दिन के भीतर रुपये वापस करेगा. लेकिन शर्त वही है कि आपको 3 दिन में शिकायत दर्ज करानी होगी. ऑनलाइन फ्रॉड (Online fraud) से बचने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और साइबर एक्सपर्ट की सभी सलाह उस वक्त बेमानी हो गईं जब बिना सीवीवी, पिन या ओटीपी (OTP) के बैंक खाते से 79 हज़ार रुपये निकल गए. फ्रॉड बिना ओटीपी और पिन के हुआ है यह बात खुद बैंक ने अपने मैसेज में कबूल की है. हैरत की बात यह है कि नए नियम के मुताबिक रविवार को कस्टमर केयर काम नहीं करेगा तो क्रेडिट कार्ड (Credit Card) को ब्लॉक कराने का रास्ता भी बंद हो गया. रविवार को पूरे दिन भटकने के बाद पीड़ित ने सोमवार को बैंक (Bank) खुलने पर अपने साथ हुए इस फ्रॉड की जानकारी दी.

नई दिल्ली(ब्यूरो):

अगर किसी व्यक्ति के बैंक खाते से किसी हैकर द्वारा या किसी अन्य कारण से पैसे निकाल कर धोखाधड़ी की जाती है और इसमें ग्राहक की लापरवाही नहीं है। ऐसे मामले में बैंक प्रबंधन जिम्मेदार है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission) ने इस संदर्भ में एक अहम फैसला सुनाया है। आयोग के जज सी विश्वनाथ ने क्रेडिट कार्ड की हैकिंग की वजह से एक एनआरआई महिला से हुई धोखाधड़ी के मामले में बैंक प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। आयोग ने एचडीएफसी बैंक द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए आदेश दिया है कि पीड़ित महिला को 6110 अमेरिकी डॉलर (तकरीबन 4.46 लाख रुपए) 12% ब्याज के साथ वापस लौटाए। आयोग ने बैंक प्रबंधन को निर्देश दिया है कि वह पीड़िता को मानसिक प्रताड़ना के मुआवजे के तौर पर 40 हजार रुपए और केस खर्च के 5 हजार रुपए भी दे। आयोग के जज सी विश्वनाथ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि बैंक ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाया कि पीड़ित महिला का क्रेडिट कार्ड किसी अन्य ने चोरी कर लिया था। महिला का दावा है कि उसके खाते से पैसे किसी हैकर ने निकाले हैं और बैंक के इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग सिस्टम में खामी है। आयोग ने कहा कि आज के डिजिटल युग में क्रेडिट कार्ड की हैकिंग की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

ऐसे में खाते से रुपए निकाले जाने के मामले में बैंक प्रबंधन जिम्मेदार

यह था पूरा मामला : लॉस एंजेल्स में रह रही अपनी बेटी जेसना जोस के लिए ठाणे के एक व्यक्ति ने मुंबई स्थित एचडीएफसी बैंक से एक प्री-पेड फोरेक्स प्लस डेबिट कार्ड 2007 में लिया था। 19 दिसंबर 2008 को जेसना के पिता से बैंक ने 310 डॉलर की निकासी की कन्फर्मेशन मांगी। इस पर पिता ने बैंक को बताया कि ऐसा कोई ट्रांजेक्शन नहीं किया गया है। अगले दिन बैंक ने बताया कि 14 से 20 दिसंबर के बीच 6 हजार डॉलर की निकासी की गई है। इस पर जेसना ने लॉस एजेंल्स में शिकायत दर्ज कराई कि किसी ने हैकिंग कर उसके खाते से रुपए निकाले हैं। जेसना ने ठाणे, महाराष्ट्र की जिला उपभोक्ता फोरम में भी शिकायत की और मुआवजा मांगा था। फोरम ने जेसना के पक्ष में निर्णय सुनाया। इसे बैंक ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी थी लेकिन दोनों ने ही जिला फोरम के फैसले को बरकरार रखा।

खाते में जमा राशि की सुरक्षा बैंक की जिम्मेदारी

आयोग ने फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक पूर्व में दिए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पहला मूल प्रश्न यह है कि क्या बैंक को किसी व्यक्ति (खाताधारक को छोड़कर) के कारण या खाते से हुई अवैध निकासी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इसका जवाब हां में है। अगर बैंक किसी का खाता खोलता है तो बैंक, व्यक्ति की धनराशि की सुरक्षा करने के लिए जिम्मेदार होता है। किसी भी प्रणालीगत विफलता, चाहे वह उनकी ओर से हो या किसी अन्य की ओर से, (खाताधारक को छोड़ कर) ग्राहक जिम्मेदार नहीं है बल्कि बैंक प्रबंधन जिम्मेदार है। इसलिए मौजूदा मामले में भी महिला के खाते से अवैध रूप से रुपयों के निकालने व धोखाधड़ी के मामले में ग्राहक के नुकसान की भरपाई बैंक को ही करनी होगी।

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