पुलिस फ़ाइल, पंचकुला

पंचकूला 25 अगस्त :

मोटर साईकिल चोर से मोटर साईकिल बरामद करके आरोपी को भेजा जेल

 प्राप्त जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता नीरज कन्सल वासी सैक्टर 09 पचंकुला की शिकायत मोटर साईकिल चोरी करने बारे थाना सैक्टर 05 पचंकुला ने अभियोग दर्ज किया जाकर । आगामी तफतीश हेतु क्राईम ब्रांच सैक्टर 19 द्वारा कार्यवाही करते हुए । क्राईम ब्रांच की सैक्टर 19 टीम ने उपरोक्त अभियोग मे दिनाक 21.08.2020 को आरोपी कपील उर्फ विजय कुमार वासी जुलमगढ पंचकुला के मोटर साईकिल के आरोप मे गिरफ्तार किया था जो पेश माननीय अदालस से 2 दिन का पुलिस रिमाण्ड प्राप्त किया था जो बाद प्राप्त रिमाण्ड आरोपी से मोटरसाईकिल बरामद कर ली गई है व आरोपी को न्यायिक हिरासत भेज दिया गया ।

सार्वजनिक स्थान पर शराब का सेवन करने वाले आरोपियो को नही बख्शेगी पचंकुला पुलिस । जो पुलिस ने माह जुलाई मे 53 लोगो को सार्वजनिक स्थान पर शराब का सेवन करने के जुर्म मे गिरफ्तार किया ।

  मोहित हाण्डा भा॰पु॰से॰ पुलिस उपायुक्त पंचकुला के दिये गये निर्देशानुसार कार्य करते हुए जिला पंचकुला मे अपराधो पर रोकथाम लगाते हुए पचकुला क्षेत्र मे माह जुलाई 2020 मे सार्वजनिक स्थान पर शराब का सेवन करने वाले 53 लोगो कि खिलाफ की कार्यवाही । पचकुला पुलिस किसी भी हालात मे कानून की उल्लघना करने वालो को नही बखेशगी । सार्वजनिक स्थान पर सरेआम शराब का सेवन करने वाले आरोपियो के खिलाफ अभियोग दर्ज करके कार्यवाही की गई

प्राप्त जानकारी के अनुसार माह जुलाई 2020 मे सार्वजनिक स्थान पर शराब पीने वालो के खिलाफ कार्यवाही करते हुए पचंकुला पुलिस 49 अभियोग दर्ज करके 53 आरोपियो को काबू किया । जिसमे से थाना सैक्टर 05 से 23 लोगो के, थाना सैक्टर 14 से 2 लोगो के ,थाना सैक्टर 20 पंचकुला से 4 लोगो के, थाना पिन्जौर से 15 लोगो के , थाना कालका से 4 लोगो के व थाना मन्शा देवी थाना से 5 लोगो के खिलाफ सार्वजनिक स्थान पर शराब पीने के जुर्म मे कानूनी कार्यवाही की गई । पचंकुला पुलिस कानून की उल्लंघना करने वालो को नही बखसेगी जैसे माह जुलाई माह मे सट्टा खिलाने वाले 17 लोगो को 19200/- रुपये सहित काबू किया व ताश खिलाने वाले पाँच जुआरियो को 203800/-रुपये सहित काबू किया था । जिनके खिलाफ थाना अधिकार क्षेत्र मे अभियोग दर्ज करके कार्यवाही की गई ।  

पचंकुला पुलिस ने इस साल की सबसे बडी ऱाशी जुआरियो से की बरामद :- दो लाख तीन हजार आठ सौ रुपये (203800/-रुपये)  सहित पाँच जुआरियो को कांईम ब्रांच पचंकुला ने किया काबू ।

मोहित हाण्डा भा॰पु॰से॰ पुलिस उपायुक्त पंचकुला के दिये गये निर्देशानुसार जिला पंचकुला मे कार्य करते हुए । अपराधो पर रोकथाम व अपराधियो की धरपकड करते हुए ।  क्राईम ब्रांच सैक्टर 26 पंचकुला के इन्चार्ज निरिक्षक श्री अमन कुमार व इनकी टीम ने सराहनता से कार्य करते हुए दिनाक 10.07.2020 को गस्त पडताल के दौरान खडक मन्गौली पचंकुला से पाँच जुआरियो को काबू किया है काबू किये गये आरोपियो की पहचान 1. रत्न लाल पुत्र मिश्रा लाल वासी 2. विजय भाटिया पुत्र शिव कुमार 3. राजेश कुमार पुत्र रघुवीर सिह 4. जसविन्द्र सिह उर्फ रिन्कु पुत्र निर्मल सिह 5. विशाल पुत्र बृजमोहन के रुप मे हुई ।

प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनाक 10.07.2020 को क्राईम ब्रांच सैक्टर 19 पचकुला की टीम दौराने गस्त पडताल पर थी । तभी गस्त पडताल के दौरान मुखबर खास द्वारा सुचना प्राप्त कि रत्न लाल पुत्र मिश्रा लाल वासी खडक मन्गौली पचंकुला मे अपने घर मे पैसे लेकर लोगो को ताश जुआ खिला रहा है । जिस पर क्राईम ब्रांच की टीम ने घर पर सर्च वारण्ट सहित घर पर जाकर रेड की रेड के दौरान ताश जुआ खेलने वाले उपरोक्त पाँच आरोपियो को गिरफ्तार किया गया । व आरोपियो से जुआ मे 2 लाख तीन हजार आठ सौ रुपये बरामद किये गये । आरोपियो के खिलाफ थाना सैक्टर 05 पचकुला मे 13-03-67 जुआ अधिनियम के तहत अभियोग दर्ज करते कार्यवाही की गई ।

पार्टी नेतृत्व में कुछ कमी, राज्य से आने वाले नेताओं के लिए वरिष्ठ नेताओं से मिलना आसान नहीं : अनिल शास्त्री

कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री ने मंगलवार को राहुल गांधी या प्रियंका गांधी में से किसी एक को पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का नेतृत्व अगर गांधी परिवार के हाथ में नहीं रहेगा तो पार्टी जीवित नहीं रहेगी, पार्टी को बचाए रखने के लिए अध्यक्ष गांधी परिवार में से ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सोनिया गांधी अध्यक्ष नहीं रहना चाहती है तो राहुल गांधी या प्रियंका गांधी को अध्यक्ष होना चाहिए।

  • कांग्रेस पार्टी में जारी घमासान के जल्द थमने के आसार नहीं आ रहे हैं नजर
  • कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री ने कहा, ‘पार्टी नेतृत्व में कुछ कमी, राज्य से आने वाले नेताओं के लिए वरिष्ठ नेताओं से मिलना आसान नहीं
  • अनिल शास्त्री ने मंगलवार को राहुल गांधी या प्रियंका गांधी में से किसी एक को पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने की वकालत की

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

कॉन्ग्रेस में बढ़ती कलह के बीच अब पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिवंगत प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने अपनी बात रखते हुए कहा है कि पार्टी नेतृत्व में कुछ कमी है। उन्होंने कहा कि सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी पार्टी नेताओं से नहीं मिलते हैं। उन्होंने सलाह दी कि अगर सोनिया-राहुल नेताओं से मिलना-जुलना शुरू कर दें तो आधी समस्या अपने-आप हल हो जाएगी। अनिल शास्त्री कॉन्ग्रेस के हिंदी विभाग के अध्यक्ष हैं।

हालाँकि, उन्होंने ये भी कहा कि प्रियंका गाँधी या राहुल गाँधी में से किसी एक को पार्टी अध्यक्ष बनना चाहिए। उन्होंने गाँधी परिवार से ही किसी को अध्यक्ष बनाए जाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि कुछ चीजें हैं, जो पार्टी नेतृत्व में कमी की ओर इशारा करती है और नेताओं के बीच बैठकें ही नहीं होती हैं। उन्होंने कहा कि जब दूसरे राज्यों से कोई नेता दिल्ली आता है, तो राहुल-सोनिया से उनका मिलना मुश्किल हो जाता है।

अनिल शास्त्री का बयान ऐसे समय में आया है, जब वर्किंग कमिटी की बैठक में सोनिया गाँधी के अध्यक्ष बने रहने का फैसला किया गया और कॉन्ग्रेस का अधिवेशन होने तक उनकी मदद के लिए नेताओं की एक टीम गठित करने की बात कही गई। बैठक में उन नेताओं के प्रति नाराजगी जताई गई, जिन्होंने पत्र लिख कर पार्टी में सुधार की माँग की थी। कॉन्ग्रेस अधिवेशन में राहुल गाँधी के फिर से अध्यक्ष बनने की बात तय मानी जा रही है।

अनिल शास्त्री दिल्ली, बरेली, इंदौर और प्रयागराज में लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर स्थापित शिक्षण संस्थानों के अध्यक्ष हैं। वो काफी समय से राजनीति में सक्रिय हैं। 1989 में उन्होंने वाराणसी से लोकसभा का चुनाव जीता था, जिसके बाद वो केंद्रीय मंत्री भी बने थे। उन्होंने कहा है कि कॉन्ग्रेस में एक सिंडिकेट उभर रहा है, ऐसे में प्रियंका गाँधी को अध्यक्ष बनाना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।

उन्होंने कहा कि प्रियंका गाँधी की पूरे कॉन्ग्रेस कैडर में गजब की स्वीकार्यता है और वो पहले ही साबित कर चुकी हैं कि वो एक परिपक्व नेता हैं। उन्होंने 23 नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि पत्र लिख कर उसे सार्वजनिक करना मतलब पार्टी को मजबूत करना नहीं है। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी की वापसी से डरे लोग उन्हें रोकने के लिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि गाँधी परिवार के बिना कॉन्ग्रेस अस्तित्व में ही नहीं रहेगी।

ज्ञात हो कि बगावत के ये तेवर जो आज दिख रहे हैं, इसकी नींव 5 महीने पहले ही पड़ गई थी। कॉन्ग्रेस में रिफॉर्म की माँग के लिए एजेंडा शशि थरूर द्वारा आयोजित एक डिनर पार्टी में ही तैयार कर लिया गया था, जिसमें कई कॉन्ग्रेस नेता शामिल हुए थे। इसका ही परिणाम सोनिया गाँधी को पत्र भेजे जाने के रूप में सामने आया। थरूर के डिनर में इस बात पर चर्चा हुई थी कि पार्टी का जीर्णोद्धार कैसे किया जाए और इसकी सेक्युलर विचारधारा की तरफ कैसे लौटा जाए। 

जल्दी ही Unlock 4.0 की आएंगी गाइडलाइंस

Unlock4: पूरे देश में एक सितंबर से आवाजाही और आसान हो सकती है, स्कूल, कॉलेज, सिनेमा हॉल खोलने की नहीं मिलेगी अनुमति. अनलॉक-चार के गाइडलाइंस में किन-किन क्षेत्रों को खोला जा रहा है का जिक्र नहीं होगा। इसके बजाय सिर्फ उन क्षेत्रों का जिक्र होगा जो प्रतिबंधित रहेंगी।

नयी दिल्ली(ब्यूरो)

कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण जारी लॉकडाउन के कारण देश भर के स्कूलों और कॉलेजों को बंद हुए 5 महीने हो चुके हैं. 31 अगस्त को अनलॉक 3.0 समाप्त होने के साथ यह उम्मीद की जा रही है कि गृह मंत्रालय (MHA) जल्द ही अनलॉक 4.0 के तहत स्कूलों को फिर से खोलने पर निर्णय ले सकता है. इस महीने के अंत तक दिशानिर्देश (guidelines) जारी किए जाने की भी संभावना है.

एक सितंबर से देश में अनलॉक 4 की शुरुआत हो रही है. ऐसे में सबकी नजर स्कूल और कॉलेज खोलने को लेकर सरकार के फैसले पर है. गृह मंत्रालय की ओर से जारी होने वाली गाइडलाइंस से पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को साफ कर दिया है कि सरकार की ओर से स्कूल और कॉलेज खोलने को लेकर कोई निर्देश नहीं हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि अनलॉक को लेकर गृह मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइंस में स्कूल और कॉलेज के खोलने से संबंधित कोई निर्देश नहीं हैं.

राजेश भूषण ने कहा कि देश में जो भी गतिविधियां खोली जा रही हैं उसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय एसओपी जारी करती है. जब भी स्कूल और कॉलेज को खोलने का निर्णय होगा तो वो एसओपी प्रभाव में आएगा और उसको लागू किया जाना होगा. 

‘3 करोड़ से ज्यादा टेस्ट किए जा चुके’

देश में कोरोना की स्थिति को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. मंत्रालय की ओर से बताया गया कि देश में अब तक 3 करोड़ 60 लाख से ज्यादा टेस्ट किए जा चुके हैं. स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि देश में ठीक हुए मरीजों की संख्या एक्टिव केस से तीन गुना ज्यादा है. उन्होंने बताया कि देश में लैब की संख्या में भी इजाफा हुआ है. इसमें प्राइवेट और सरकारी लैब दोनों हैं. जिसके कारण टेस्टिंग की संख्या बढ़ी है. 

मंत्रालय की ओर से बताया गया कि कुल मामलों के 22.2 प्रतिशत केस ऐक्टिव हैं. रिकवरी रेट 75 प्रतिशत से ज्यादा हो गया है. देश में कोरोना से मृत्युदर 1.58 प्रतिशत है जो कि दुनिया में सबसे कम में शामिल है. पिछले 24 घंटे में एक्टिव केस की संख्या में 6,400 की गिरावट दर्ज हुई है. ये पहली बार हुआ है.

आईसीएमआर के महानिदेशक प्रोफेसर डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि भारत में कोरोना की तीन वैक्‍सीन का परीक्षण चल रहा है. सीरम इंस्‍टीट्यट की वैक्‍सीन का 2 (बी) फेज और 3 फेज टेस्‍ट चल रहा है. भारत बायोटेक और जेडस कैडिला की वैक्‍सीन ने 1 फेज का टेस्‍ट पूरा कर लिया है.   
 

Police Files, Chandigarh

Korel ‘Purnoor’, CHANDIGARH – 25.08.2020

 Dowry

A lady resident of Chandigarh alleged that her husband resident of Distt. Bilaspur (HP) harassed complainant to bring more dowry. A case FIR No. 67, U/S 406, 498-A IPC has been registered in PS-Women, Chandigarh. Investigation of case is in progress.

MV Theft

Hakikat singh R/o # 508, Milk colony, Dhanas, Chandigarh, reported that unknown person stole away his motorcycle No. CH04L-5843 from his residence. A case FIR No. 111, U/S 379 IPC has been registered in PS-19, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Ikram Singh Sandhu R/o # 1504, Sector-34, Chandigarh, reported that unknown person stole away his car No. CH03U-8060 from his residence. A case FIR No. 173, U/S 379 IPC has been registered in PS-36, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Accident

Santosh Kumar R/o # 3360, Maulijagran Complex, Chandigarh reported that Aamir Khan R/o # 2034/2, Sector-47, Chandigarh driver of motorcycle No. CH01BH-6036 who hit to complainant’s brother (bicyclist) namely Jai Prakash near Kali Bari light point on 23.08.2020. A case FIR No. 175, U/S 279, 337 IPC has been registered in PS-31, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Suraj R/o # 1565, Sector 52, Chandigarh reported that unknown driver of truck No. PB65AN-5395, who hit to a complainants auto No. PB65AN-4160 near Sector-51/52 light point on 24.08.2020. A case FIR No. 166, U/S 279, 337 IPC has been registered in PS-36, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Assault/Quarrel

          A case FIR No. 136, U/S 147, 148, 149, 452, 323 IPC has been registered in PS-MM, Chandigarh on the complaint of Mustaq R/o # 2489, Mari Wala Town, MM, Chandigarh alleged that Talib, Tokir, Kuldeep and Pinku all resident of Govindpura, Manimajra, Chandigarh who beaten to complainant near his residence on 23.08.2020. Complainant got injured and admitted in Civil Hospital, Manimajra, Chandigarh. Accused arrested in this case. Investigation of case is in progress.

Missing/Abduction

A person resident of Karanal, Haryana, reported that his daughter aged about 16 years has been missing/abducted from her PG, Sector-21, Chandigarh from 23.08.2020. A case FIR No. 69, U/S 363 IPC has been registered in PS-19, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Shradhanjali given to Arun Jaitley

Chandigarh August 25, 2020

Panjab University Chandigarh under Doctor Bheem Rao Ambedkar Centre organised first punyatithi shradhanjali in the sacred memory of Shri Arun Jaitley, Former Finance Minister. 

PU Vice Chancellor Prof. Raj Kumar initiated the proceedings while offering his salutation to the great personality of Shri Arun Jaitley . He shared with the audience how he has personally  learned many things from the personality of Shri Jaitley  who was always eager to help others. He commended various economic reforms like disinvestment of non performing PSUs, demonetisation, GST and Indian bankruptcy Code which have helped Indian economy to undergo structural reforms to help its millions of citizens. 

Shri Satyapal Jain ji, Additional Solicitor General Government of India , shared his life anecdotes with Shri Arun Jaitley whom he had personally known for last 45 years. He remembered his contributions in various fields ranging from Student politics to legal representation in the court rooms. He finds him  as a person  who was always ready  to sacrifice anything for his noble ideals. He also highlighted how as a product of public movement against the Emergency, Shri Arun Jaitley always remained connected to the grassroots. 

Shri K D Batish, Advocate High Court, Himachal Pradesh remembered Shri Arun Jaitley as a personality par excellence who was honest to the core and always ready to help others. He praised his acumen as an advocate.

 Professor Anju Suri, Chairperson, department of History , conducted the proceedings and eugolised the personality of Shri Arun Jaitley ji. Dr. Gurpal Singh offered vote of thanks whereas Dr. Monica welcomed the guests and Dr. Shiv Kumar Dogra highlighted the achievements of Shri  Arun Jaitley .

राजस्थान में नौकर शाही से आजिज़ भाजपा सांसद

राजस्थान में सांसदों और ब्यूरोक्रेसी के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है. नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के बाद अब पाली सांसद पीपी चौधरी ने ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पिछले महीने सिरोही में कोरोना लैबोरेटरी के उद्घाटन में सांसद देवजी पटेल को न बुलाए जाने को लेकर अधिकारियों और सांसद पटेल के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिला था. इसके बाद सांसद देवजी पटेल ने प्रभारी मंत्री भंवर सिंह भाटी की मौजूदगी में अधिकारियों को जमकर फटकारा था. लेकिन गहलोत का वरदहस्त होने के कारण नतीजा वही ढाक के 3 पात.

सांसद पीपी चौधरी, सांसद हनुमान बेनीवाल और सांसद देवजी पटेल

राजस्थान(ब्यूरो):

कांग्रेसनीत गहलोत की राजस्थान सरकार की अफसरशाही के खिलाफ छिटपुट शिकायतें तो प्रदेश के सांसदों की ओर से लगातार की जाती रही है, लेकिन अब ब्यूरोक्रेसी के रवैये से आहत एक और सांसद ने खुलकर मोर्चा खोल दिया है. पाली सांसद पीपी चौधरी ने मुख्य सचिव राजीव स्वरूप को चिट्ठी लिखकर कड़े शब्दों में ऐतराज जताते हुए कहा कि है कि अगर अफसरशाही का रवैया नहीं सुधरा तो उन्हें प्रोटोकॉल की पालना नहीं होने को लेकर संसदीय समिति की शरण में जाना पड़ेगा. इससे पहले नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल संसदीय समिति के सामने विशेषाधिकार हनन का मुद्दा उठा चुके हैं

विज्ञापनों में सांसदों की जगह छप रहे अधिकारियों के फोटो

सांसद ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि उनके संसदीय क्षेत्र के दोनों जिलों पाली और जोधपुर के अधिकारी सांसद के प्रोटोकॉल की कतई पालना नहीं कर रहे हैं. शिलान्यास और उद्घाटन समारोह में छपने वाले बैनर, पोस्टर और शिलालेखों से या तो सांसद का नाम गायब कर दिया जाता है या वरीयता क्रम में सांसदों का नाम नीचे लिख दिया जाता है. सांसद ने यह भी लिखा कि अखबारों और टीवी विज्ञापनों में सांसदों की जगह अधिकारियों का नाम और फोटो छप रहे हैं जबकि इस संदर्भ में भारत सरकार के कार्मिक (DOPT) मंत्रालय की स्पष्ट गाइड लाइन है कि प्रोटोकॉल के अनुसार ही सांसदों को जगह मिलनी चाहिए.

पीपी चौधरी ने कड़े शब्दों में मुख्य सचिव को लिखा है कि प्रदेश की मशीनरी भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार काम करें अन्यथा उन्हें यह मुद्दा संसदीय समिति के सामने उठाना पड़ेगा. चौधरी ने यह भी लिखा कि अधिकारियों के नाम और फोटो विज्ञापनों में छापने के लिए जनता के संसाधनों का उपयोग नहीं होना चाहिए और ऐसा होने पर संबंधित अधिकारी से ही पूरी वसूली की जाए. पीपी चौधरी ने केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की दिसंबर 2011 की उस गाइड लाइन का हवाला देते हुए सर्कुलर की कॉपी भी पत्र के साथ नत्थी की है जिसमें सांसदों के अधिकारों, प्रोटोकॉल और प्रिविलेज के बारे में विस्तार से बताया गया है.

बार-बार कहने के बावजूद अधिकारी मान नहीं रहे हैं

चौधरी ने कार्मिक मंत्रालय के उस सर्कुलर का हवाला देते हुए लिखा है कि नियमानुसार अधिकारियों को सांसदों के टेलिफोनिक संदेश या जनहित के कामों को लेकर कही गई बातों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए लेकिन मेरे संसदीय क्षेत्र के दोनों जिलों पाली और जोधपुर में अधिकारियों को बार-बार कहने के बावजूद लगातार ऐसा किया जा रहा है.

पहले से प्रिविलेज की पेशी पर आ रही है टॉप ब्यूरोक्रेसी

सांसदों और प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के बीच यह दूसरा मौका है जब दोनों के बीच सीधा टकराव देखने को मिला है. इससे पहले नवंबर 2019 में बाड़मेर जिले के बायतु इलाके में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी और सांसद हनुमान बेनीवाल के काफिले पर हुए हमले के बाद एफआईआर दर्ज न करने को लेकर बेनीवाल प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी को संसद की कमेटी तक घसीट चुके हैं. इस मामले में प्रदेश के डीजीपी और मुख्य सचिव दो बार प्रिविलेज कमेटी के सामने पेश हो चुके हैं.

सांसद देवजी पटेल भी लगा चुके हैं अधिकारियों को फटकार

पिछले महीने सिरोही में कोरोना लैबोरेटरी के उद्घाटन में सांसद देवजी पटेल को न बुलाए जाने को लेकर अधिकारियों और सांसद पटेल के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिला था. इसके बाद सांसद देवजी पटेल ने प्रभारी मंत्री भंवर सिंह भाटी की मौजूदगी में अधिकारियों को जमकर फटकारा था.

बीएसपी विधायकों पर स्पीकर 3 महीने में फैसला ले : राजस्थान हाइ कोर्ट

राजस्थान (ब्यूरो):

बहुजन समाज पार्टी के छह विधायकों के कांग्रेस के साथ विलय की याचिका पर सुनवाई करते हुए, राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को विधानसभा स्पीकर सी.पी. जोशी को मामले पर तीन महीने में निर्णय लेने के लिए कहा है.

अदालत ने जोशी से बसपा विधायकों के विलय के विरुद्ध बीजेपी विधायक मदन दिलावर की रिट याचिका पर निर्णय लेने के लिए कहा. न्यायमूर्ति महेंद्र कुमार गोयल की एकल पीठ ने, दिलावर की ओर से दाखिल रिट याचिका का निपटारा करते हुए, उन्हें भी विधानसभा स्पीकर से संपर्क करने के लिए कहा.

स्पीकर के वकील ने कहा, ‘कोर्ट ने मदन दिलावर की ओर से दाखिल याचिका का निपटारा कर दिया है और स्पीकर को 16 मार्च को दाखिल शिकायत पर, सुनवाई करने व तीन महीने के अंदर मामले पर मेरिट के आधार पर निर्णय लेने को कहा है.’

दिलावर ने राजस्थान हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल करके, छह बसपा विधायकों-जोगेंद्र अवाना, संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीना और राजेंद्र गुढ़ा के कांग्रेस में विलय को चुनौती दी थी और स्पीकर की ओर से पारित आदेश पर अमल करने पर रोक लगाने की मांग की थी.

घनश्याम तिवारी और मानवेन्द्र सिंह को वापिस लाने में जुटी भाजपा

कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता है. सबकुछ परिस्थितियों पर निर्भर करता है। ऐसा ही कुछ अब राजस्थान बीजेपी में होने की सुगबुगाहट हो रही है। पिछले दिनों कांग्रेस में करीब 32 दिन तक चले पॉलिटिकल ड्रामे के बाद जिस तरह सरकार और संगठन से बगावत करने वाले पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट और उनके गुट की वापसी हुई है, वैसा ही कुछ बीजेपी में भी होने जा रहा है। सूत्रों की मानें तो पूर्व में बीजेपी से छिटके दिग्गजों की पार्टी में वापसी का रोडमैप तैयार किया जा रहा है। इसमें दो नाम बड़े अहम हैं। पहला घनश्याम तिवारी और दूसरा मानवेन्द्र सिंह जसोल

राजस्थान(ब्यूरो):

राजस्थान में पिछले दिनों चले सियासी नाटक में कांग्रेस से बगावत कर वापस लौटे विधायकों को देख अब भाजपा ने भी अपनों को मनाने की तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे में पार्टी से बगावत कर चुके नेताओं को वापस बुलाने की कवायद शुरू हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार पूर्व में बीजेपी से अलग हुए दिग्गजों की पार्टी में वापसी का रोडमैप बनाया जा रहा है। इसमें घनश्याम तिवारी और मानवेन्द्र सिंह जसोल के नाम सबसे महत्वपूर्ण हैं।

गौरतलब है कि पिछले दिनों कांग्रेस में चले सियासी संग्राम के बाद जिस तरह सरकार और संगठन से बगावत करने वाले पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट और उनके गुट की वापसी हुई है, वैसा ही कुछ भाजपा भी करने जा रही है।

भाजपा अब अपने विचार तथा परिवार से कभी जुड़े रहे कद्दावर नेताओं की सुध लेने में जुटी गई है। वो नेता जो कि कभी संघ और भाजपा की अग्रिम पंक्ति में थे, लेकिन अपनी ही पार्टी में दूसरे बड़े नेताओं से मनमुटाव के चलते या तो पार्टी छोड़कर चले गये या फिर दूसरी पार्टी का दामन थाम लिया। सूत्रों की मानें तो वर्तमान मे भाजपा के सक्रिय धड़े के साथ संघ तथा इससे जुड़े पार्टी पदाधिकारी चाहते हैं कि दोनों नेताओं समेत अन्य नेता जो कभी पार्टी में होते थे, उनकी वापसी होनी चाहिए। इन दिग्गजों में घनश्याम तिवारी और मानवेन्द्र सिंह जसोल को सर्वोपरि रखा गया हैं।

तिवारी इसलिए हो गए थे भाजपा से अलग

राजस्थान में भाजपा को स्थापित करने वाले नेताओं में घनश्याम तिवारी भी शुमार रहे हैं। तिवारी लंबे समय तक विधायक रहे हैं और कई बार मंत्री भी रह चुके थे, लेकिन कद्दावर नेता और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के साथ उनकी नाराजगी थी। 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत हासिल हुआ और वसुंधरा सीएम बनीं, लेकिन घनश्याम तिवारी को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। सत्ता और संगठन में लगातार उपेक्षित रहे तिवारी ने आखिरकार सड़क से लेकर सदन तक वसुंधरा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

फिर बनाई खुद की पार्टी 

वसुंधरा के साथ नाराजगी के चलते तिवारी ने 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन छोड़ अपनी नई पार्टी ‘भारत वाहिनी’ का ऐलान कर दिया। लेकिन, विधानसभा चुनाव में पार्टी कुछ असर नहीं दिखा पाई। भाजपा के साथ रहकर रिकॉर्ड मतों जीतने से वाले तिवारी खुद की पार्टी के बैनर पर बेहद सीमित मतों में सिमट गये। कभी कांग्रेस के कट्टर विरोधी रहे घनश्याम तिवारी ने राहुल गांधी की मौजुदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया। लेकिन, तब से लेकर अब तक तिवारी कांग्रेस में कभी सक्रिय नजर नहीं आए।

पिता जसवंत सिंह के बाद मानवेन्द्र ने भी छोड़ दी थी पार्टी

इसी तरह मानवेन्द्र सिंह जसोल भी राजस्थान भाजपा में उपेक्षा के चलते पार्टी से अलग हो गए थे। भाजपा के संस्थापकों में शुमार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के ‘हनुमान’ रहे जसवंत सिंह का पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में टिकट काट दिया तो वह निर्दलीय ही चुनाव मैदान में खड़े हो गए, जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। जसवंत सिंह भाजपा में रहते हुए केन्द्र सरकार में रक्षा, विदेश और वित्त मंत्रालय की कमान संभाल चुके थे। जसवंत की बगावत के बाद उनके पुत्र पूर्व सांसद एवं तत्कालीन विधायक मानवेन्द्र सिंह जसोल पार्टी में काफी उपेक्षित रहे। इस उपेक्षा से आहत मानवेन्द्र ने भी 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन छोड़ दिया और कांग्रेस का हाथ थाम लिया।

दोनों चुनावों में देखना पड़ा हार का मुंह

कांग्रेस का दामन थामने के बाद पार्टी ने उन्हें झालरापाटन से पूर्व सीएम वसुधंरा राजे के सामने चुनाव में उतार दिया। लेकिन मानवेन्द्र वसुंधरा से चुनाव हार गये। बाद में कांग्रेस ने उनको लोकसभा चुनाव में उनकी परंपरागत बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय सीट से मैदान में उतारा, लेकिन वहां भी उनको सफलता नहीं मिली। 

बदले राजनीतिक माहौल को भांपकर की जा रही है तैयारी

प्रदेश बीजेपी के अंदरूनी सियासत में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद जो बदलाव हुआ उसके बाद पार्टी में भी दो धड़े खुलकर सामने आ गए. सूत्रों की मानें तो वर्तमान मे बीजेपी के सक्रिय धड़े के साथ संघ तथा इससे जुड़े पार्टी पदाधिकारी चाहते हैं कि दोनों नेताओं समेत अन्य नेता जो कभी पार्टी में होते थे, उनकी वापसी होनी चाहिए. इसमें बीजेपी के सक्रिय प्रदेश स्तरीय नेताओं से लेकर केन्द्रीय नेताओं की भूमिका अहम बताई जा रही है. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि कांग्रेस की घरेलू कलह के कारण कहीं बीच में ही विधानसभा चुनाव की नौबत आ जाये उससे पहले बीजेपी को हर मोर्चे पर अपने आपको मजबूत कर लेना चाहिये. इसकी ही कवायद में पार्टी से छिटके नेताओं की घर वापसी का रोडमैप बनाया जा रहा है.

संजय झा के बाद क्या थरूर???

शशि थरूर कॉंग्रेस के दिग्गज नेता हैं और कॉंग्रेस में सुधारों को लेकर सबसे अधिक मुखर आवाज़ यदि कोई रही है तो थरूर ही की है। मौजूदा हालात में संजय झा के बाद शायद शशि का पत्ता कटने वाला है, क्योंकि बाकी 23 लोगों ने या तो थूका चाट लिया या फिर माफी मांग ली। सुनन्दा हत्याकांड को ध्यान में रखें तो यह संभव नहीं भी दिखता। कांग्रेस पार्टी के भीतर सुधारों की आवश्यकता पर अनौपचारिक विचार-विमर्श संसद सदस्य शशि थरूर द्वारा आयोजित डिनर के दौरान कम से कम पांच महीने पहले शुरू हुआ। वहां कई कांग्रेसी जो उनके मेहमान थे उन्होंने एचटी को इसकी पुष्टि की है। इससे खुलासा हुआ है कि  कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए पत्र के बीज कुछ समय पहले ही बोए गए थे।

नई दिल्ली(ब्यूरो) :

कांग्रेस में जिन 23 नेताओं के चिट्ठियों पर बवाल मचा है, उसका खाका पांच महीने पहले पार्टी के सांसद शशि थरूर के घर पर खींचा गया था। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि थरूर के घर पर डिनर के वक्त इस पर चर्चा हुई। इस मीटिंग में कई कांग्रेस नेताओं को आमंत्रित किया गया था। हालांकि कई लोग जो इस डिनर का हिस्सा थे, उन्होंने इस पर दस्तखत नहीं किए। इस डिनर में शामिल होने वाले लोगों में पी चिदंबरम, कार्ति चिदंबरम, सचिन पायलट, अभिषेक मनु सिंघवी, मणिशंकर अय्यर भी मौजूद थे. हालांकि इन लोगों ने चिट्ठी पर दस्तखत नहीं की थी।

डिनर में अपने मौजूदगी की पुष्टि करते हुए सिंघवी ने कहा कि मुझे थरूर के यहां डिनर पर आमंत्रित किया गया था। पार्टी के भीतर जरूरी रिफार्म्स पर यह एक अनौपचारिक बैठक थी। हालांकि मुझे किसी भी स्तर पर लेटर की कोई जानकारी नहीं थी।

अय्यर बोले- मुझसे कोई संपर्क नहीं हुआ

एक दैनिक समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, चिंदबरम ने कहा कि वह पार्टी के मामलों पर टिप्पणी नहीं करना चाहते। बीते महीने राजस्थान में बगावत का बिगुल बजाकर फिर से खेमे में लौटे सचिन पायलट ने भी कोई टिप्पणी नहीं की। रिपोर्ट में कहा गया कि शशि थरूर ने इस मामले पर कोई जवाब नहीं दिया।

वहीं मणिशंकर अय्यर ने कहा कि ‘मैंने दस्तखत नहीं किया क्योंकि मुझे नहीं पूछा गया था। किसी ने मुझसे संपर्क नहीं किया।’ अय्यर ने कहा कि मार्च महीने में हुए डिनर में पार्टी को फिर से खड़ा करने पर चर्चा हुई। एक सुझाव आया पत्र लिखने का जो सबको वाजिब लगी। हालांकि उस डिनर के बाद किसी ने मुझसे संपर्क नहीं किया।

चिट्ठी पर दस्तखत करने वाले एक अन्य संसद सदस्य ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि ‘यह चिट्ठी व्यक्तियों को नहीं बल्कि मुद्दों को संबोधित है। गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं को संदेश पढ़ना चाहिए ना कि संदेश वाहक को निशाना बनाया जाए। हमने चिट्ठी पर अपना नाम दिया है क्योंकि हमारा मानना है कि बदलाव होने चाहिए।’

कॉंग्रेस का राजनैतिक ड्रामा: सोनिया एक बार फिर….

सोनिया गांधी फिलहाल कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी. पार्टी में नया अध्यक्ष चुने जाने तक उन्होंने इस पद पर बने रहना स्वीकार कर लिया है. सोमवार को हुई कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक में उन्होंने इस पद से हटने की बात कही थी. जिसके बाद वरिष्ठ नेताओं ने वैकल्पिक व्यवस्था होने तक इस पद पर बने रहने का आग्रह किया था.  जानकारी के मुताबिक सोनिया गांधी का कार्यकाल करीब एक साल का होगा. अगले साल पार्टी का अधिवेशन होना है. जिसमें नये अध्यक्ष और अन्य पदों पर फैसला हो सकता है. तब तक पार्टी का सारा जिम्मा सोनिया गांधी और CWC संभालती रहेगी। यह

पढ़ सुन कर क्या याद आता है, की जवाहर लाल नहरु ने जवाहर लाल नेहरू अनुशंसा की कि जवाहर लाल नहरु को भारत रत्न से सम्मानित किया जाये तो जवाहर लाल नेहरू ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया अंतत: जवाहर लाल नेहरू को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। CWC कि प्रधान तो स्वयं सोनिया गांधी है और मेम्बर्स में परिवार के बेटा और बेटी हैं।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

कल से शुरू हुआ राजनैतिक नाटक का पटाक्षेप हो गया। सोनिया गांधी कि अध्यक्षता वाली CWC ने सोनिया गांधी को पुन: सोनिया गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बना दिया है। त्याग कि मूर्त सोनिया गांधी ने न CWC कि अध्यक्षा का पद छोड़ा न पार्टी अध्यक्षा का(अन्तरिम ही सही)। लेकिन यकीन मानिए इस सारे कुकर्म कि दोषी भाजपा है।

सोनिया गॉंधी को कॉन्ग्रेस ने भले फिर से अंतरिम अध्यक्ष चुन लिया हो, लेकिन इसने पार्टी के अंदरूनी कलह को बेनकाब कर दिया है। ताजा घमासान के बाद सब कुछ सामान्य होने और नुकसान का ठीक-ठीक पता लग पाने में ही महीनों लग सकते हैं।

सोनिया के दोबारा अंतरिम अध्यक्ष बनने से पहले उनके इस्तीफे की खबर आई। फिर जल्द ही दावा किया गया कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था। फिर, कॉन्ग्रेस के ही ‘बागी’ नेता, जो कि हर हाल में केवल गाँधी परिवार के निष्ठावान कहे जा सकते हैं, एक पत्र लिखते हैं जिसमें पार्टी के नेतृत्व में स्थायी फेरबदल की माँग की जाती है।

इस बीच, ख़बरें सामने आती हैं कि राहुल गाँधी के फिर से कॉन्ग्रेस अध्यक्ष बनने की माँग को लेकर ‘विरोध-प्रदर्शन’ हो रहे हैं। इसी बीच, प्रियंका गाँधी वाड्रा ने कहा कि एक गैर-गाँधी को पार्टी अध्यक्ष बनना चाहिए, लेकिन कुछ अन्य कॉन्ग्रेस सदस्यों ने विरोध किया और कहा कि अगर गाँधी परिवार का कोई सदस्य पार्टी का नेतृत्व नहीं करता है तो पार्टी बिखर जाएगी।

इस क्रोनोलोजी में CWC में चीजें और भी भ्रामक हो गईं। मीडिया में सोनिया गाँधी ‘त्याग की प्रतिमा’ के रूप में काम कर रही हैं, जो केवल वही चाहती हैं, जो उनके राज्य (कॉन्ग्रेस) और उनके उत्तराधिकारी (राहुल गाँधी) के लिए सबसे बेहतर हो। जबकि इस पूरे धारावाहिक में राहुल गाँधी एक ऐसे बेटे की भूमिका निभा रहे हैं, जो अपनी माँ के राजकीय सम्मान और विरासत के लिए सब कुछ न्योछावर करने को राजी हैं।

सोनिया गाँधी ने पहले कहा कि वह पार्टी को अपना विकल्प खोजने के लिए समय दे रही हैं और वे ऐसा करने के बाद, कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपने पद से हट जाएँगी। राहुल गाँधी कथित तौर पर इस असहमति पत्र से नाखुश थे और उन्होंने इस पत्र की ‘टाइमिंग’ पर सवाल उठाए थे।

इस बीच NDTV ने खबर फैलाई कि राहुल गाँधी ने कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर भाजपा से साँठ-गाँठ होने के आरोप लगाए। इस बात से कपिल सिब्बल जैसे नेताओं ने उन्हें तीस साल की अपनी स्वामिभक्ति के बारे में अवगत कराया और गुलाम नबी आजादी ने कॉन्ग्रेस से इस्तीफा देने तक की बात कह दी।

लेकिन कुछ ही देर बाद कहा कि राहुल गाँधी ने उन्हें व्यक्तिगत तौर पर बताया कि उन्होंने ऐसे आरोप नहीं लगाए। सिब्बल ने एक और ट्वीट कर के स्पष्ट किया कि राहुल ने उन्हें आश्वस्त किया कि उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं कही है।

इस पूरी राजनीतिक चकल्लस के बीच सिर्फ यही निष्कर्ष निकल पाया कि कॉन्ग्रेस में अब सिर्फ दो ही पक्ष हैं, पहला – जो सोनिया गाँधी को ही पार्टी अध्यक्ष बने रहने देना चाहता है, और दूसरा- जो राहुल गाँधी को ही पार्टी अध्यक्ष बने रहने देना चाहता है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस का एक बड़ा वर्ग ‘महारानी’ को ही नेतृत्व करते देखना चाहता है। यही कारण है कि बीच का रास्ता निकालते हुए सोनिया को 6 और महीने के लिए अंतरिम अध्यक्ष आखिर में चुन लिया गया।

गाँधी बनाम ‘बाहरी’

अध्यक्ष पद की इस पारिवारिक चकल्लस के बीच कॉन्ग्रेस में किसी भी प्रकार के परिवर्तन को प्रभावित करने वाला एक सामूहिक विद्रोह कॉन्ग्रेस पार्टी में होने की संभावना नहीं है। अतीत में भी कॉन्ग्रेस में बगावत के स्वर सुनाई दिए गए, जिन्होंने तब भी पार्टी नेतृत्व में परिवर्तन को जरुरी बताने का साहस किया था। हालाँकि, उन्हें गंभीरता से लेने का दिखावा करने के बाद अंततः, उन्हें हटा दिया गया और गाँधी परिवार की हुकूमत को ही सर्वोपरि रखा गया।

यहाँ तक कि रामचंद्र गुहा जैसे इतिहासकार, जो कि लंबे समय से विशेष परिवार के वफादार रह चुके हैं, वो भी अब इस सिद्दांत में यकीन करने लगे हैं कि एक गैर-गाँधी को ही अब पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए।

युवा बनाम बुजुर्ग

गाँधी परिवार की इस पार्टी में यह जंग एक तरह से ‘युवा बनाम बुजुर्ग’ की हो चुकी है। हालाँकि, सम्भावना यही है कि 6 महीने बाद भी चुनाव परिवार के भीतर से ही होना है। राहुल गाँधी द्वारा कॉन्ग्रेसी नेताओं पर भाजपा से साँठ-गाँठ होने के आरोप की खबर सामने आते ही कॉन्ग्रेस की भक्ति में लीन मीडिया की नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी भी अपने-अपने प्रतिनिधि चुनती हुई देखी गई।

एक ओर जहाँ कुछ लोग वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाए जाने की निंदा करते देखे गए वहीं दूसरी और ऐसी भी जमात थी, जो फ़ौरन राहुल गाँधी के बचाव में उतर गई। हालाँकि, बाद में यह खबरें भी सामने आईं कि यह सब खेल NDTV के सूत्रों के आधार पर ही तय किया गया, लेकिन तब तक कॉन्ग्रेस के भीतर तैयार हो चुके कम से कम 2 गुट तो अपने अपने नए स्वामी चुन ही चुके थे।

यहाँ तक कि हार्दिक पटेल जैसे कॉन्ग्रेस के युवा और नए चहरे भी राहुल गाँधी को ही अपना नेता चुन चुके थे। इसलिए यह जंग राहुल और सोनिया गाँधी के बीच होने से ज्यादा उन समर्थकों और विचारों के बीच बनती नजर आ रही है, जो कॉन्ग्रेस के पारम्परिक और नवीन विचारों के पक्षधर और विरोधी हैं।

MEME या मीडिया?

जब राहुल गाँधी ने कपिल सिब्बल और अन्य पर भाजपा के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया, तब कॉन्ग्रेस की वफादार पल्लवी घोष ने वरिष्ठ नेताओं का बचाव करने के लिए तुरंत मुहिम छेड़ दी। उसने कहा कि पत्र लिखने के लिए नेताओं की आलोचना की जा सकती है, लेकिन उन पर भाजपा की मदद करने का आरोप लगाना ठीक नहीं है।

इस पर दिव्या स्पंदना की प्रतिक्रिया एकदम विपरीत नजर आई। कपिल सिब्बल द्वारा डिलीट किए गए ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कॉन्ग्रेस समर्थक दिव्या स्पंदना ने कहा कि राहुल गाँधी को यह कहना चाहिए था कि असहमति पत्र लिखने वाले नेता न केवल बीजेपी के साथ, बल्कि मीडिया के साथ भी साँठ-गाँठ कर रहे थे।

मीडिया और MEME ऐसे संसाधन हैं, जिन पर कांग्रेस का भविष्य टिका है। कोई सोच सकता है कि सोनिया गाँधी ट्विटर ट्रोल्स के बजाए पारंपरिक मीडिया और पत्रकारों में निवेश करना चाहेंगी। जबकि, राहुल गाँधी ‘ट्विटर सेना’ और मीम (MEME) निर्माताओं में निवेश करने के ज्यादा इच्छुक होंगे, जैसा कि हम देखते ही रहे हैं।

पल्लवी घोष और दिव्या स्पंदना के विरोधाभासी ट्वीट इस तथ्य का प्रमाण हो सकते हैं। राहुल गाँधी ने दिव्या स्पंदना पर भारी विश्वास जताया था, जो भाजपा के खिलाफ राजनीतिक हथियार के रूप में फर्जी खबरें फैलाने, आपत्तिजनक मीम्स और बयान शेयर करने का काम करती थी। हालाँकि, कॉन्ग्रेस के प्रति वफादार रहते हुए पल्लवी घोष ने कॉन्ग्रेस के एजेंडे को आगे बढ़ाने में थोड़ी ज्यादा चालाकी बरती है।