संजय झा के बाद क्या थरूर???

शशि थरूर कॉंग्रेस के दिग्गज नेता हैं और कॉंग्रेस में सुधारों को लेकर सबसे अधिक मुखर आवाज़ यदि कोई रही है तो थरूर ही की है। मौजूदा हालात में संजय झा के बाद शायद शशि का पत्ता कटने वाला है, क्योंकि बाकी 23 लोगों ने या तो थूका चाट लिया या फिर माफी मांग ली। सुनन्दा हत्याकांड को ध्यान में रखें तो यह संभव नहीं भी दिखता। कांग्रेस पार्टी के भीतर सुधारों की आवश्यकता पर अनौपचारिक विचार-विमर्श संसद सदस्य शशि थरूर द्वारा आयोजित डिनर के दौरान कम से कम पांच महीने पहले शुरू हुआ। वहां कई कांग्रेसी जो उनके मेहमान थे उन्होंने एचटी को इसकी पुष्टि की है। इससे खुलासा हुआ है कि  कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए पत्र के बीज कुछ समय पहले ही बोए गए थे।

नई दिल्ली(ब्यूरो) :

कांग्रेस में जिन 23 नेताओं के चिट्ठियों पर बवाल मचा है, उसका खाका पांच महीने पहले पार्टी के सांसद शशि थरूर के घर पर खींचा गया था। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि थरूर के घर पर डिनर के वक्त इस पर चर्चा हुई। इस मीटिंग में कई कांग्रेस नेताओं को आमंत्रित किया गया था। हालांकि कई लोग जो इस डिनर का हिस्सा थे, उन्होंने इस पर दस्तखत नहीं किए। इस डिनर में शामिल होने वाले लोगों में पी चिदंबरम, कार्ति चिदंबरम, सचिन पायलट, अभिषेक मनु सिंघवी, मणिशंकर अय्यर भी मौजूद थे. हालांकि इन लोगों ने चिट्ठी पर दस्तखत नहीं की थी।

डिनर में अपने मौजूदगी की पुष्टि करते हुए सिंघवी ने कहा कि मुझे थरूर के यहां डिनर पर आमंत्रित किया गया था। पार्टी के भीतर जरूरी रिफार्म्स पर यह एक अनौपचारिक बैठक थी। हालांकि मुझे किसी भी स्तर पर लेटर की कोई जानकारी नहीं थी।

अय्यर बोले- मुझसे कोई संपर्क नहीं हुआ

एक दैनिक समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, चिंदबरम ने कहा कि वह पार्टी के मामलों पर टिप्पणी नहीं करना चाहते। बीते महीने राजस्थान में बगावत का बिगुल बजाकर फिर से खेमे में लौटे सचिन पायलट ने भी कोई टिप्पणी नहीं की। रिपोर्ट में कहा गया कि शशि थरूर ने इस मामले पर कोई जवाब नहीं दिया।

वहीं मणिशंकर अय्यर ने कहा कि ‘मैंने दस्तखत नहीं किया क्योंकि मुझे नहीं पूछा गया था। किसी ने मुझसे संपर्क नहीं किया।’ अय्यर ने कहा कि मार्च महीने में हुए डिनर में पार्टी को फिर से खड़ा करने पर चर्चा हुई। एक सुझाव आया पत्र लिखने का जो सबको वाजिब लगी। हालांकि उस डिनर के बाद किसी ने मुझसे संपर्क नहीं किया।

चिट्ठी पर दस्तखत करने वाले एक अन्य संसद सदस्य ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि ‘यह चिट्ठी व्यक्तियों को नहीं बल्कि मुद्दों को संबोधित है। गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं को संदेश पढ़ना चाहिए ना कि संदेश वाहक को निशाना बनाया जाए। हमने चिट्ठी पर अपना नाम दिया है क्योंकि हमारा मानना है कि बदलाव होने चाहिए।’

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