निजी संस्थानों में आरक्षण दिलाने के नाम पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास तो नहीं कर रहे दुष्यंत
हरियाणा में नहीं मिल सकेंगे कंपनियों में काम करने के लिए 75 फ़ीसदी युवा आरक्षण बिल का पहले से ही विरोध कर रहे औद्योगिक प्रतिष्ठान
जंगशेर राणा, चंडीगढ़ – 18 जून:
प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला द्वारा राज्य की निजी कंपनियों में स्थानीय युवाओं को रोजगार के लिए 75 फीसदी आरक्षण पॉलिसी लागू करने के लिए प्रदेश सरकार पर लगातार बनाए जा रहे दबाव के बीच उद्योगपतियों और जागरुक नागरिकों ने मंथन शुरु कर दिया है। जागरूक नागरिकों का कहना है कि सामान्य रुप से देखने में तो पॉलिसी का लाभ हरियाणा के युवाओं को प्राप्त होने के आसार व्यक्त किए जा रहे हैं लेकिन क्या प्रदेशभर के औद्योगिक प्रतिष्ठान इस पालिसी को स्वीकार कर सकेंगे यह प्रश्न लोगों के जेहन में है। उनका कहना है कि पूर्व से ही कामकाज की बेहतर गुणवत्ता और उत्पादन को लेकर उद्योगपतियों द्वारा इस पॉलिसी का विरोध किया जाता रहा है। उद्योगपतियों द्वारा बार-बार स्पष्टीकरण दिया जा रहा है कि उनके समक्ष ऐसा प्रतिबंध लागू करने से सीधे तौर पर उनका कामकाज प्रभावित होगा। उधर आंकड़ों के मुताबिक इस समय पंचकूला की करीब 1000 छोटी-बड़ी कंपनियों के अलावा पूरे हरियाणा प्रदेश में करीब 30 हजार से अधिक ऐसे औद्योगिक प्रतिष्ठान हैं जिनमें करीब 25 से 30 फ़ीसदी कर्मचारी ही स्थानीय है और करीब 70 फीट की कर्मचारी अन्य प्रांतों के हैं। हरियाणा प्रदेश में बेरोजगार युवाओं की संख्या का आंकलन करते हुए देखा जाए तो करीब 50 फ़ीसदी आरक्षण भी लागू किया जाए तो प्रदेश के सभी युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सकेगा 75 फ़ीसदी आरक्षण की पालिसी लाने का क्या औचित्य? जागरुक नागरिकों का कहना है कि यह सारे आंकड़े सरकार के जेहन में है इसके बावजूद पालिसी को लाने के लिए जल्दीबाजी करने का मतलब है कि दुष्यंत चौटाला ऐसा करके राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के चक्कर में पड़े हैं।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट द्वारा सर्वे कराए जाने को लेकर उद्योगपतियों में अफरा-तफरी का माहौल
हरियाणा सरकार और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के आदेश पर 75 फ़ीसदी आरक्षण पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए दिए गए निर्देश पर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट द्वारा पंचकूला के साथ, गुड़गांव, हिसार, रोहतक और फरीदाबाद के विभागीय अधिकारियों से जवाब तलब किया है कि कंपनियों ने एग्रीकल्चर जमीन का चेंज ऑफ लैंड यूज (सीएलयू) लेकर कितने प्रतिशत हरियाणा निवासियों को अपनी कंपनी में रोजगार दिया है। इसकी जांच शुरु होने के साथ उद्योगपतियों में असंतोष का माहौल है। उद्योगपतियों द्वारा अंदरखाने चर्चा की जा रही है कि लॉकडाउन के दौरान घोर आर्थिक तंगी से जूझ रहे औद्योगिक संस्थानों पर आरक्षण पालिसी थोपने का बेवजह दबाव बनाया जा रहा है।
यह आंकड़ा तैयार कर रहा टीसीपी डिपार्टमेंट
टीसीपी डिपार्टमेंट ने स्कूल, यूनिवर्सिटी, इंडस्ट्रीज, वेयर हाउस, पेट्रोल पंप, सीएनजी स्टेशन, ढाबा, होटल, रेस्तरां, मोटल, स्पोर्ट्स सेंटर और हॉट मिक्स प्लांट को लेकर सीएलयू जारी किए हैं। सीएलयू में शर्त है कि उन्हें तकनीकी को छोड़कर 75 प्रतिशत रोजगार हरियाणा के डोमोसाइल प्राप्त निवासियों को देना है। हर 3 महीने के बाद इसकी जानकारी उपलब्ध करवानी है। अब डायरेक्टर ने सभी एसटीपी से पूछा है कि कितने सीएलयू जारी किए गए हैं और किस तरह का काम उनमें किया जा रहा है? कितने प्रतिशत गैर तकनीकी कर्मचारी ऐसे हैं, जिनके पास हरियाणा का डोमोसाइल है?
इसी आरक्षण के नाम पर दुष्यंत को मिला जनादेश
हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान जननायक जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में युवाओं को प्राइवेट क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का ऐलान किया था। दूसरी तरफ भाजपा ने भी अपने संकल्प पत्र में निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण देने का वादा किया था। गठबंधन की सरकार के सत्ता में आने के बाद दोनों दलों के नेताओं द्वारा इस बारे में विचार विमर्श करके करके साझा ड्राफ्ट तैयार किया गया।
क्रीमी लेयर के पदों पर आरक्षण ना देना भी आरक्षण के नाटक का हिस्सा
आरक्षण पालिसी लागू करने के लिए तैयार किए जा रहे ड्रॉफ्ट में प्रावधान है कि आरक्षण 50 हजार से कम मासिक वेतन वाली नौकरियों पर ही लागू होगा। इससे अधिक वेतन अर्थात क्रीमी लेयर की नौकरियों के मामले में सरकार कंपनियों पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाएगी। जागरूक नागरिक इसे भी आरक्षण के नाम पर किए जा रहे नाटक का एक हिस्सा करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि कंपनियों में करीब 90 से 95 फ़ीसदी कर्मचारी 50,000 मासिक से कम वेतन पर काम कर रहे हैं। ऐसे में केवल 5 से 10 फ़ीसदी पदों पर आरक्षण ना देने की घोषणा करने का क्या मतलब।
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