देश में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की मुहिम चल रही है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का साथ देने वाले चीन से भारत को सारे साझे तोड़ लेने के लिए भारतीय परिदृश्य मचल पड़ा है। ऐसा वाकया सोशल साइट्स पर देखने को मिल रहा है। चीन के प्रति गुस्सा ठीक है, लेकिन अतिउत्साह में लोग विदेशी ब्रण्ड्स के खिलाफ मोर्चा खोल बैठे हैं। जब हमारे नयों ने स्वदेश अपनाने की बात की तो वह ‘मेक इन इंडिया’ को नहीं भूले थे। जिन वस्तुओं का उत्पाद भारत में हो रहा है फिर चाहे वह किसी भी कंपनी को हों (आज के परिवेश में चीनी कोंपनियों को छोड़ कर) आप उसे स्वदेशी ही मानें। क्योंकि उसके उत्पाद में भारतीय कामगारों का पसीना शामिल है। हाँ उसी कंपनि के विदेशी उत्पादों के बारे में निर्णय लेने को आप स्वतंत्र हैं। इसी आशय पर प्रकाश डालता हमारे सहयोगी सुशील पंडित का यह लेख।
सुशील पंडित, यमुनानगर – 18 मई:
ऐसा क्यों होता है कि जब भी परिस्थितिया विषम होती है तो हम अच्छा सोचने लगते हैं। क्या अच्छे हालात में अच्छा सोचना गलत है? पत्रकार होने की दृष्टि से मैं वर्तमान शासन के बारे में या तो बहुत अच्छा लिखता या शायद कुछ भी न लिखता। लेकिन बात है आम आदमी की मनोदशा की जो वर्तमान में असमंजस की स्थिति में है।
बात है स्वदेशी अपनाने की बहुत ही सराहनीय प्रयास है लेकिन अपनाया तो उसे जाता है जिसे कभी ठुकराया हो या आजमाया ही न हो मेरा सरोकार है सिर्फ़ आम आदमी से जो जीवन के आरम्भ से लेकर अंत तक स्वदेश भावना लेकर ही अपना जीवन व्यतीत करने में विश्वास रखता है। विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने का पाठ पढ़ाने की जरूरत तो उन लोगों या घरानों को हैं जो मुँह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं। जिन्हें स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने में हीनता का आभास होता है।
कोई भी सत्ता हो स्वदेशी आंदोलन पर जोर देकर खुद को देश प्रेम का प्रतीक बनाने की होड़ में लगी है। स्वतंत्रता संग्राम में भी गांधी जी ने “स्वदेशी अपनाओ” का नारा दिया था जो सफल भी रहा लेकिन ज्ञात हो परिस्थितिया उस समय भी प्रतिकूल थी अंग्रेजी हकूमत की वजह से और आज भी अर्थव्यवस्था के कारण। ये खेल तो बहुत लंबे समय से चल रहा है। जिसमें जीत जब भी हुई तो वो थी विदेशी वस्तुओं की। ये इतने विचार हमारे शासकों के मन में सामान्यतः क्यो नही आते। क्या ये सच में हमारी राष्ट्र की जरुरत है या फिर सभी सत्ताधारियों का खेल?
आम इंसान किसी दल,जाति, धर्म विशेष का नही होता उसे तो सिर्फ अपेक्षा होती है तो देश के राजा से और ये परम्परा तो आदि काल से चली आ रही है राजा का दायित्व बनता है कि वह प्रजा की जायज़ अपेक्षाओं पर खरा उतरने की हर संभव कोशिश करें। देश के हर आम नागरिक की सोच यहीं है कि वो स्वदेशी वस्तुओं का भोग अपने बजट में रह कर सरलता से कर सकें लेकिन जब बात आती है भारत के खास नागरिक तो आप सभी मुझे से कही अधिक जानते हैं। किसी भी सरकार का स्वदेशी अपनाओ का ढ़िढोरा पीटना और धरातल पर रह कर इसे गभीरता से सभी के लिए समान रूप से लागू करना ये दोनों इस समस्या के अलग अलग पहलू है। क्योंकि सरकार कोई भी रही हो या वर्तमान में हो, कथनी और करनी में जमीन आसमान का नही आसमान और पाताल का अंतर है परंतु वो कहते हैं उम्मीद पर दुनिया क़ायम है बस उसी उम्मीद पर हर बार आम नागरिक राजनीतिक दलों के प्रतिनिधयों से अपेक्षा लगाए उसी मोड़ पर खड़ा रहता है जहाँ वह आरम्भ से खड़ा है…. और बस…. वहीं खड़ा है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/05/Brands-that-transformed-India.jpg461617Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-05-18 15:29:462020-05-18 15:45:15“कोरोना की ललकार, आम आदमी करे पुकार, धरातल के पटल पर हो विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार”
औचक निरीक्षण के दौरान उपायुक्त ने गैर हाजिर रहने वाले 15 कर्मचारियों से मांगा स्पष्टीकरण। नप में खामियों को देख डीसी भड़के, सुधर जाओ वरनारिलीज नहीं होगा वेतन, प्रॉपटी टैक्स की रिकवरी में ढीलाई को लेकर लगाई अधिकारियों को तलाड़। जिस नगर परिषद के जिम्मे पूरे शहर की सफाई उसी के परिसर में गंदगी देख डीसी की भौहें तनी, नप अधिकारियों को लगाई फटकार।
अंजलि प्रजापति, कुरुक्षेत्र 18 मई:
नगर परिषद की कार्यशैली से आमजन परेशान है तो उपायुक्त भी खफा नजर आए। नप कर्मचारियों की लेट-लतीफी से भी उपायुक्त खासे नाराज दिखे। इसका कारण था औचक निरीक्षण के दौरान एक तिहाई स्टाफ का गैर हाजिर मिलना।
सोमवार सुबह 9 बजे नगर परिषद कार्यालय खुलते ही उपायुक्त धीरेंद्र खडगटा ने औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान नप में खामियों को देखकर उपायुक्त भड़क उठे और नप कर्मियों को चेतावनी दी कि सुधर जाओ वरना वेतन रिलीज नहीं होगा। गैर हाजिर रहने वाले कर्मचारियों से उपायुक्त ने स्पष्टीकरण मांगा और कार्यशैली में सुधार करने की हिदायत दी।
औचक निरीक्षण के दौरान उपायुक्त को 49 अधिकारियों व कर्मचारियों में से 15 गैर हाजिर मिले। गैर हाजिर कर्मचारियों की लंबी फेरहिस्त देखकर उपायुक्त ने नगर परिषद ईओ बीएन भारती को हिदायत दी कि नोटिस के जरिये इनसे स्पष्टीकरण मांगा जाए। यही नहीं उपायुक्त ने प्रॉपटी टैक्स की रिकवरी में ढीलाई को लेकर को भी नप अधिकारियों को फटकार लगाई। उपायुक्त ने निर्देश दिए कि जितना स्टाफ दूसरी जगह लगा हुआ है, उसे तुरंत प्रॉपटी टैक्स शाखा में लगाकर बकाया टैक्स की रिकवरी की जाए। इसके अतिरिक्त उपायुक्त ने भवन शाखा, हाउस टैक्स शाखा, लेखाकार शाखा, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र शाखा, स्थापना शाखा और डेयरी डिस्पैच ब्रांच का भी औचक निरीक्षण किया। वहां भी खामियां देखकर उपायुक्त ने उनमें सुधार लाने की हिदायत दी।
नप परिसर में गंदगी देख डीसी की भौहें तनी
जिस नप के जिम्मे पूरे शहर की सफाई का जिम्मा है, उसका खुद का परिसर गंदगी से अटा हुआ है। इस तस्वीर को देखकर उपायुक्त की भौहें तन गई। उपायुक्त ने गंदगी को देखकर नप कर्मचारियों को फटकार लगाई कि परिसर की सफाई क्यों नहीं हो रही है। परिसर को साफ-सुथरा रखा जाए।
ये मिले गैर हाजिर
नगर परिषद के निरीक्षण के दौरान उपायुक्त को 15 कर्मचारी गैर हाजिर मिले। इनमें
पालिका अभियंता ईश्वर सिंह वर्मा,
पालिका अभियंता राकेश मागू,
कनिष्ठ अभियंता मंगू राम,
आडिटर गौतम,
स्टेनो वीना रानी,
प्रारूपकार जगजीत कौर,
लिपिक संतलाल,
सफाई निरीक्षक संजय कुमार,
ट्रैक्टर चालक हाकम सिंह,
लिपिक नीलम,
माली प्रोमिला देवी,
सेवादार दर्शना देवी,
सहायक आगंतुक शिवकुमार,
सीएफसी शाखा राजेश व
सीएफसी शाखा संगीता गैर हाजिर मिली।
गैर हाजिर रहने वालों से मांगा स्पष्टीकरण : धीरेंद्र
उपायुक्त धीरेंद्र खडगटा ने बताया कि नगर परिषद में खामियों को लेकर शिकायतें मिल रही थी। शिकायतों के आधार पर औचक निरीक्षण किया गया है। निरीक्षण के दौरान मिली खामियों को दुरूस्त करने की हिदायत दी गई और गैर हाजिर रहने वाले कर्मचारियों से लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/05/18kkr01.jpg9601280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-05-18 14:50:132020-05-18 15:17:26औचक निरीक्षण के दौरान नगर परिषद के एक तिहाई कर्मचारी गैरहाज़िर
हरियाणा के मेवात क्षेत्र को कट्टरवादियों ने बहुत पहले ही ‘बंगलादेश’ बना दिया है। बंगलादेश में करीब 8 प्रतिशत हिन्दू रह गए हैं, यही स्थिति मेवात की भी हो गई है। जबकि 1947 में बंगलादेश में करीब 30 प्रतिशत और मेवात में भी लगभग 30 प्रतिशत हिन्दू थे। अब पूरे मेवात को ‘पाकिस्तान’ की शक्ल देने देने का प्रयास तेजी से हो रहा है। आज हरियाणा के मेवात में हिन्दुओं के साथ वह सब हो रहा है जो बंगलादेश या पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ होता है। हिन्दू लड़कियों और महिलाओं का अपहरण, उनका मतान्तरण और फिर किसी मुस्लिम के साथ जबरन निकाह। हिन्दुओं को जबरदस्ती मुसलमान बनाना। हिन्दू व्यापारियों से जबरन पैसे की वसूली करना। मंदिरों और श्मशान के भूखंडों पर कब्जा करना। बंगलादेशी घुसपैठियों को बसाना। हिन्दुओं को झूठे मुकदमों में फंसाना। हिन्दुओं के यहां डाका डालना। कोढ़ में खाज यह कि प्रशासन द्वारा भी हिन्दुओं की उपेक्षा आम बात हो गयी है। इस कारण मेवात के हिन्दू मेवात से पलायन कर रहे हैं। मेवात के सभी 508 गांव लगभग हिन्दू-विहीन हो चुके हैं। किसी- किसी गांव में हिन्दुओं के दो-चार परिवार ही रह गए हैं। यदि सेकुलर सरकारों का रवैया नहीं बदला तो यहां बचे हिदू भी पलायन कर जाएंगे। फिर इस इलाके को पाकिस्तान बनने से कोई रोक नहीं सकता है।
सारिका तिवारी, चंडीगढ़
हरियाणा के मेवात से हिंदू समुदाय की पलायन पर अखबारों में एक रिपोर्ट छप रही है लगभग 75 से 100 शब्दों की। बस विश्व हिंदू परिषद ने पिछले दिनों एक समिति बनाई जिसमें जनरल बक्शी स्वामी धर्मदेव और वकील चंद्रकांत शर्मा शामिल थे। समिति ने ओट में बताया गत 25 वर्षों से मेवात से भारी संख्या में हिंदू पलायन कर गए हैं। वीएचपी के संयुक्त सचिव डॉ सुरेंद्र जैन की माने तो उन्होंने मेवात को हिंदुओं का कब्रिस्तान ही कह दिया, क्योंकि आए दिन हिंसा की घटनाएं सामने आ रही है। धर्म परिवर्तन के लिए दबाव आए दिन सुनने में आ रहा है, कभी किसी लड़के की शिखा काटने का प्रयास और विरोध करने पर उसके घर पर भारी संख्या में समुदाय विशेष के लोगों द्वारा हल्ला बोल कर ना केवल लड़के को अधमरा करना बल्कि उसकी मां के साथ भी मारपीट करना आम है। इतना ही नहीं प्रशासन और पुलिस इतने पंगु हैं कि पहले तो रिपोर्ट दर्ज ही नहीं हुई बाद में किसी तरह मामला दर्ज हुआ तो दबाव बनाकर सम्झौता करवाया गया। उसके अगले ही दिन लठियों से दो हिन्दू युवाओं पर जान लेवा हमला किया गया जिनमें से एक अभी भी अस्पताल में दाखिल है। उसकी स्थिति नाज़ुक बनी हुई है। इससे साफ झलकता है कि पुलिस और प्रशासन अपना कर्तव्य पालन करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। या तो किसी प्रभाव के अंतरगर्त अपना काम नहीं कर पा रहे या स्वयं दोनों मशीनरियाँ ऐसी गतिविधियों में संलिप्त हैं।
गोहत्यारों पर नहीं होती कड़ी कार्रवाई
गोकशी के मामलों में भी जब पुलिस को सूचना दी जाती है तो पुलिस अपराधियों पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करती है। उदाहरण के लिए 28 अप्रैल को पुन्हाना में गो तस्करों की गोली से रघुवीर नामक एक मजदूर मारा गया। लेकिन इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने के बजाए पुलिस इसकी लीपापोती में लगी है। मजदूर का परिवार भुखमरी के कगार पर है, परन्तु मुआवजे की बात तो दूर, उसकी कोई परवाह नहीं की जा रही है। ऐसी घटनाएं बताती हैं कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में जहां हिन्दू परिवार गिने चुने हैं, वहां हिंदुओं की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है और न ही अपेक्षित सुरक्षा बल मौजूद है। इसके अतिरिक्त, लॉक डाउन के चलते जहां हिन्दू व्यावसायी लॉक डाउन के नियमों का पालन करते हुए जब अपने प्रतिष्ठान चला रहे होते हैं, तो वहां के स्थानीय अधिकारी केवल हिंदुओं का गैर कानूनी चालान करते हैं, जबकि मुस्लिमों द्वारा चलाये जा रहे व्यावसायिक प्रतिष्ठान लॉक डाउन की धज्जियां उड़ाकर, बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के धड़ल्ले से चल रहे हैं। 500 मकानों वाले गांव कुलैटा (नगीना ) में जहां केवल 10 मकान हिंदुओं के हैं वहां हिन्दुओं का घर से निकलना दूभर हो रहा है। बहू-बेटियां भी सुरक्षित नहीं हैं। इतना ही नहीं, सरकारी स्कूलों में हिन्दुओं के बच्चों को नमाज पढ़ने के लिये बाध्य किया जाता है,जहां पर कर्मचारी मुस्लिम बहुल हैं।
इस सबके बीच पुन्हाना के पास नई गांव से कन्वर्जन की साजिशों का भी पता चला। यहां के एक हिन्दु युवक को मुस्लिम बनाया गया और अब उसकी मां को भी इस्लाम अपनाने के लिये प्रताड़ित किया जा रहा है। यह भी बात सामने आई है कि गांव उटावड़ में कुख्यात आतंकवादी हाफिज सईद द्वारा दिए गए पैसों से एक बड़ी मस्जिद बनाई गयी जो सलमान नाम के व्यक्ति के माध्यम से बनवाई गयी। इस समय यह सलमान किसी अन्य मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की गिरफ्त में है। कुल मिलाकर हरियाणा के इस जिले में मुसलमानों का इतना आतंक व खौफ है, जिसके चलते हिन्दुओं का जीना दूभर हो रहा है। इन्हीं कारणों के चलते हिन्दू पलायन तक को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में यह समिति हिन्दू समुदाय की सुरक्षा के प्रति राज्य सरकार को जागरूक करते हुए अपील करती है कि सरकार हिन्दुओं की सुरक्षा का उचित प्रबन्ध करे ताकि उनमें एक विश्वास उत्पन्न हो सके। पीड़ितों से चर्चा करते समय एक ही बात सामने आई कि वे प्रशासन पर विश्वास खो बैठे हैं। इसलिये उनमें से कुछ लोग पलायन की सोच रहे हैं। ऐसी स्थिति घातक है। इन परिस्थितियों को वर्तमान हरियाणा सरकार ही ठीक कर सकती है। इसलिए यह रिपोर्ट हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी को भेज दी गई है। विश्व हिंदू परिषद विश्वास करती है कि मुख्यमंत्री महोदय इस रिपोर्ट की अनुशंसाओं को अति शीघ्र लागू करके मेवात को राष्ट्र विरोधी व हिंदू विरोधी गतिविधियों से मुक्त कराएंगे।
जुलाई 2018 को 8 लोगों द्वारा एक बकरी के साथ गैंगरेप करने की घटना को कोई भूला तो नहीं होगा?
समिति ने कुछ अनुशंसा भी की हैं जो इस प्रकार हैं—
क्षेत्र के समस्त पुलिस प्रशासन को बदल कर इनकी जगह कर्मठ व किसी दबाव में न झुकने वाले अधिकारियों को लाया जाये।
जिस क्षेत्र में हिन्दुओं पर अत्याचार होते हैं, वहां के थानाध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाए।
मेवात में मदरसों,—मस्जिदों और मजारों से चल रही राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की एनआईए से जांच कराई जाए। हवाला के रास्ते आतंकवादियों का पैसा मस्जिदों के बनाने और अवैध हथियारों के जखीरे खड़ा करने में हो रहा है, यह भी जांच में शामिल हो।
पुलिस पर अविश्वास के कारण वहां पर अर्ध सैनिक बलों की उपस्थिति आवश्यक है। अतः मुस्लिम बहुल इलाकों मे अर्ध सैनिक बलों का केन्द्र बनना चाहिये, चाहे उसके लिये भूमि अधिग्रहण करनी पड़े।
हिंदुओं की व्यक्तिगत, सामाजिक व धार्मिक सम्पत्ति पर अवैध कब्जों की जांच होनी चाहिये और उनको जिहादियों के चंगुल से अविलम्ब मुक्त कराना चाहिए।
मुख्यमंत्री को परिषद की ओर से यह रिपोर्ट सौंपी गई। सुरेन्द्र जैन चाहते हैं कि मुख्यमंत्री जल्दी से जल्दी रिपोर्ट का संगयानलेते हुए उचित कार्रवाई करें और समिति की सिफारिशों जिसमें वर्तमान अधिकारियों और कर्मियों को तुरंत प्रभाव से हटाकर दूसरे अधिकारी और कर्मचारी नियुक्त किया जाए। इतना ही नहीं समिति ने सिफ़ारिश की है कि मेवात के संवेदनशील माहौल को देखते हुए यहां सीआरपीएफ़ और बीएसएफ को तैनात किया जाए।
भई यह तो रही विश्व हिंदू परिषद की मांग, जिन मसलों पर सुरेन्द्र जैन बात कर रहे हैं यह समस्याएं और घटनाएं आर एस एस के घटक दल भाजपा के राज मैं ही हुई है।
मुख्यमंत्री हो या गृह मंत्री दोनों के पास इस विषय पर बात करने का समय नहीं, मान ले अपने किसी खास या चहेते पत्रकार से इस विषय पर बात करें भी तो आम दिनों की तरह एक ही जवाब उम्मीद की जा सकती है या तो उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं या इस पर जांच चल रही है इस पर वह सामने आएगी भी या नहीं यह आने वाले समय के शोध का विषय रहेगा।
अब बात करते हैं कि क्यों प्रशासन ऐसे व्यक्ति जो कि इस तरह की घोर हिंसा में संलिप्त हैं के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करता या इन पर कोई राजनीतिक दबाव जो कि अपने वोट बैंक को संजोकर रखने के लिए तथाकथित अपिजमेंट नीति का प्रयोग करते हैं? राजनेताओं के हाथ की कठपुतली बने अखबार और चैनल क्यों सच को उजागर होने नहीं देते? एक समुदाय विशेष के कुछ गिने-चुने लोगों द्वारा हिंसा फैलाने या वारदातों को अंजाम देने को मात्र कुछ शब्दों तक समेट कर रख दिया जाता है जबकि मेवात के इलाके में पिछले दिनों इस तरह की हिंसा और सांप्रदायिक गतिविधियों में संलिप्त लोगों के बारे में बोलने और लिखने वाले पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया और उसे ना केवल पुलिस ने गिरफ्तार करने की पूरी तैयारी कर ली थी। और कुछ लोगों ने उसके घर पर भी हमला किया। चलो कुछ सोच कर पुलिस ने गिरफ्तारी तो नहीं की लेकिन उसकी शिकायत पर हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई इससे बड़ी विडंबना यह है की पत्रकार संगठनों या उनके पदाधिकारी साथ देना तो दूर घटनाक्रम क निंदा करने के लिए आगे नहीं आए।
अब बात करें ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग की चाहे रिपोर्ट जनता के सामने आने की बात हो रिपोर्ट दर्ज करने के बाद दोनों ही मामलों में रिपोर्ट औंधे मुंह गिरी दिखाई पड़ती हैं। मीडिया की दिलचस्पी तथाकथित अल्पसंख्यक समुदाय मैं ही है चाहे मुजफ्फरनगर का हो या शामली का मामला, मीडिया ने क्षेत्र को अपनी छावनी बना लिया था और ग्राउंड ज़ीरो से रेपोर्टिंग हो रही थी। इतना ही नहीं मिडीया इस तरह से रिपोर्टिंग करता है की जैसे चाहता हो कि घटना क्रम जितनी जल्दी हो सके जनसाधारण के मानस पटल से साफ हो जाए।
पलायन बंगाल से भी हो रहा है, आसनसोल के दंगों के बाद से यह पलायन जारी है, लेकिन अखबार और चैनल मालदा, उत्तरी दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद और टेलिनपरा की खबर बाहर नहीं आने देते। ममता बनर्जी के आने के बाद ही से यह घटना विषम रूप लेती जा रही है। देश में संचार माध्यमों की भरमार है लेकिन संचार के विषय का चुनाव देश हित के लिए नहीं बिजनेस हाउस और राजनीतिक हाउसेस के लिए किया जाता है फॉर सेल के बोर्ड तो भले ही से हट गए हैं लेकिन घरों के बाहर लटकते ताले देखकर तीन दशक पहले के कश्मीर को यहां जीवंत करते हैं।
जारी है:-
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/05/unnamed.jpg282512Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-05-18 14:38:502020-05-19 01:34:01मेवात से हिंदुओं का पलायन, गहरी नींद में खट्टर
वेश्यावृत्ति या प्रॉस्टिट्यूशन आज के जमाने में कोई नई बात नहीं है। वर्तमान समय में इस बारे में सभी को पता है। समाज में इसका चलन काफी लंबे समय से ही रहा है। हालांकि लोग इसके बारे में खुलकर बात करने या इसे स्वीकारने से हमेशा से ही कतराते रहे हैं। प्राचीनकाल में यानि कि राजा-महाराजाओं के जमाने में भी ऐसा हुआ करता था। यानि मोटे तौर पर यह समझ लें कि वेश्यावृत्ति हमेशा से ही विभिन्न समाजों का अभिन्न अंग रहा है। आज जहां कोरोना से सारा देश त्रस्त है लोग कम धंधे के लिए लॉकडाउन खुलने का इंतज़ार कर रहे हैं वहीं देश भर में रह रही वेश्याओं को अपने आज और आने वाले कल की भी चिंता सता रही है। लॉकडीपीडबल्यूएन की स्थिति में रोज़ कमाओ रोज़ खाओ वाली कमाई तो बंद हो ही गयी थी लेकिन आने वाले समय में वाइरस के भय से धंधा चौपट ही रहेगा।
सारिका तिवारी, चंडीगढ़
देश में सिर्फ कोरोना का संकट नहीं है बल्कि लॉकडाउन के चलते बहुत से लोगों का व्यापार ठप हो गया है। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले से लेकर रोजाना कमाने वालों की स्थिति लॉकडाउन के चलते खराब हो गई है। इनमें सेक्स वर्क्स भी शामिल हैं जिनके काम रुकने के कारण भुखमरी के हालात हो गए हैं। कोरोना के कारण देश में लॉकडाउन की घोषणा हो गई जिसके बाद इनके पास एक भी ग्राहक नहीं पहुंच रहे। ऐसे में इनकी आमदनी बिल्कुल रुक गई है एक एक दिन काटना पहाड़ हो गया है।
सैलरी के इंतजार में हैं सेक्स वर्करों के बच्चे
राजस्थान के अजमेर जिले की एक सेक्स वर्कर नमिता (बदला नाम) अपने परेशानी की बात बताती हैं। नमिता कहती है- हमारा पेशा ऐसा है जिसमें रोज कमाने खाने की स्थिति होती है। घर में किसी को नहीं पता की हम सेक्स वर्कर हैं। सबको ये ही लगता है की हम कमाने के लिए ऑफिस में काम करने जाते हैं। जब सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी तो घर पर सबको लगने लगा की हम काम पर नहीं जाएंगे तो भी हमें पैसे मिलेंगे।
हमारे बच्चे भी परेशान है। रोज पूछते हैं की आपकी सैलरी कब आएगी? क्या जवाब दूं उन्हें कि तुम्हारी मां एक सेक्स वर्कर है? मेरी मजबूरी थी इस पेशे में आना। क्या खिलाती बच्चों को? पति शराबी है और घर के खर्चों से उसे कोई मतलब नहीं। घर का खर्च चलाने के लिए मुझे ये काम करना पड़ता है। लॉकडाउन के चलते ये काम भी बंद हो गया है और पैसे भी नहीं आ रहे।
नमिता अपने धंधे के बारे में बताते हुए कहती हैं की लोगों के अंदर इस वायरस का डर है, मुझे नहीं लगता की 6-7 महीने तक कोई भी हमारे पास आएगा। ये डर तो अब हमारे लिए भी है की जो व्यक्ति हमारे पास आएगा, पता नहीं वो कहां का है। ये परेशानी सिर्फ नमिता की नहीं है बल्कि उसकी जैसी और कितनी ही सेक्स वर्कर हैं जो इन दिनों अपना खर्चा ना चला पाने के चलते परेशान हैं। नमिता की तरह ही इस पेशे से जुड़ी लाखों सेक्स वर्कर्स की ये ही समस्या है। ऊपर से लॉकडाउन बढ़ने के संकेतों ने इनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है।
लॉकडाउन ने पैदा कर दिए भुखमरी के हालात
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार देश में 30 लाख सेक्स वर्कर्स हैं जिनमें से नमिता एक है। वहीं ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 2 करोड़ सेक्स वर्कर है, जो इस पेशे से जुड़ी हुई हैं। दिल्ली की एक सेक्स वर्कर का कहना है की जल्दी ये लॉक डाउन नहीं खुला तो हमारे परिवार को भुखमरी झेलनी पड़ेगी। सरकार ने रातों रात लॉकडाउन कर दिया। हमें इतना भी समय नहीं मिला की हम आने वाले दिनों की तैयारी कर सकें।
सेक्स वर्कर्स देश की एक वो बड़ी आबादी है जो देश में मौजूद होने के बाद भी सरकार की मदद की तमाम योजनाओं में शामिल नहीं हैं। हजारों सेक्स वर्कर्स को सरकारी राशन इसलिए नहीं मिल पाता क्योंकि इनके पास राशन कार्ड नहीं हैं। इनके कमाने का जरिया ऐसा है जो इस लॉकडाउन की स्थिति में बिल्कुल भी संभव नहीं हैं। इन गलियों में काम करने वाली कितनी ही सेक्स वर्कर्स एचआईवी पॉजिटिव भी हैं और दूसरी बीमारियों से पीड़ित हैं पर इनके पास अस्पताल जाने तक के पैसे नहीं रह गए है।
कर्नाटक के कोलार जिले में रहने वाली सेक्स वर्कर भी इसी दुख से पीड़ित हैं। उन्होंने बताया कि हम जिस एरिया में रहते हैं वहां 3 हजार सेक्स वर्कर रहती है जिसमें 80 प्रतिशत स्ट्रीट बेस्ड हैं और होम बेस्ड केवल 20 प्रतिशत हैं। लॉकडाउन मे सबसे ज्यादा नुकसान स्ट्रीट बेस्ड वर्कर को हुआ है। इनके लिए एक समय के खाने की व्यवस्था करना भी बहुत मुश्किल हो गया है। सरकार इन पर कोई ध्यान नहीं दे रही।
बहुत चर्चित हैं ये रेड लाइट एरिया
देश में बहुत से रेड लाइट एरिया हैं जो हमेशा चर्चा रहते हैं। एशिया का सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया सोनागाछी को माना जाता है। ये कोलकाता का बहुत ही चर्चित एरिया है। यहां कम से कम तीन लाख महिलाएं इस धंधे से जुड़ी हैं। दूसरे नंबर पर मुंबई का कमाठीपुरा है जहां पर दो लाख से अधिक सेक्स वर्कर हैं। इसके बाद दिल्ली का जीबी रोड, आगरा का कश्मीरी मार्केट, ग्वालियर का रेशमपुरा, पुणे का बुधवार पेठ भी काफी चर्चित है।
ये सेक्स वर्कर सिर्फ देश के बड़े शहरों तक सीमित नहीं हैं। छोटे शहरों में वाराणसी का मडुआडिया, मुजफ्फरपुर का चतुर्भुर्ज स्थान, आंध्र पद्रेश के पेड्डापुरम व गुडविडा, सहारनपुर का नक्काफसा बाजार, इलाहाबाद का मीरगंज, नागपुर का गंगा जमुनी और मेरठ का कबाड़ी बाजार इन सेक्स वर्करों के एरिया के लिए जाना जाता है। यहां रहने वाली कुछ सेक्स वर्कर दूसरे शहरों में पलायन कर चुकी हैं तो कुछ इन्हीं बंद गलियों में पड़े अपना दिन बिता रही हैं। इनके पास ना तो रहने का सही इंतजाम है औऱ ना ही खाने पीने का सामान मौजूद है।
सेक्स वर्करों को नहीं मिलता कोई सरकारी लाभ
ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर संगठन से जुड़ी रहने वाली कुसुम सेक्स वर्करों के हक और अधिकारों को लिए काम करती है। कुसुम बताती हैं की होम बेस्ड सेक्स वर्कर्स को बहुत परेशानिया हैं। जीबी रोड पर कुछ सेक्स वर्कर के पास स्वयं सेवी संस्थाएं पहुंचकर मदद भी कर रही हैं, लेकिन इन सेक्स वर्कर के बारे में तो कोई कुछ जानता भी नहीं है। इनकी तो गिनती करना भी मुश्किल है। अगर सिर्फ एक कॉलोनी की बात करें तो लगभग 500 महिलाएं होम बेस्ड सेक्स वर्कर्स हैं।
सेक्स वर्कर का कारोबार भी तीन हिस्सों में बंटा है। पहला है ब्रोथल, दूसरा होम बेस्ड जहां महिलाएं घर पर ही अपने ग्राहक खुद तय करती हैं। तीसरा है स्ट्रीट बेस्ड और ब्रोकर बेस्ड- यानी की वो जो दलालों के सहारे काम करती हैं।कुसुम ने बताया कि ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर संगठन इन्हीं सेक्स वर्कर की आवाज उठाता है। कुसुम ने बताया की हमारा संगठन जितना हो सकता है उतना राशन इन सेक्स वर्करों तक पहुंचा रहा है, लेकिन ये राशन भी कितने दिन तक चलेगा कुछ कहा नहीं जा सकता। कुछ सेक्स वर्कर किराए के कमरों में रहती हैं। उनके लिए किराया देना भी मुश्किल हो रहा है।
कुसुम जिस संगठन से जुड़ी है उसें देशभर की लगभग पांच लाख सेक्स वर्कर जुड़ी हैं। ये संगठन 16 राज्यों में काम करता है इस संगठन में कई राज्यों से 108 कम्यूनिटी बेस्ड संगठन जुड़े हैं। इस संगठन की संयुक्त सचिव सुल्ताना बेगम राजस्थान के अजमेर जिले में 580 रजिस्टर्ड सेक्स वर्कर के लिए आवाज उठाती हैं। उनका कहना है कि जितनी भी महिलाएं इस पेशे से जुड़ी है उनमें 60-70 प्रतिशत लोगों के परिवार को पता ही नहीं है कि वो क्या काम करती हैं। परिवारों को बस इतना पता है की वो जहां काम करती हैं उन्हें वहां पैसा तो मिलेगा ही। इस समय इनकी परेशानी बढ़ गई है क्योंकि खर्चा चलाने का और कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
आगे के महीनों में और बिगड़ सकते हैं हालात
आगे सुल्ताना कहती हैं कि इन सेक्स वर्करों को लोग बहुत अमीर समझते हैं, पर उनकी तकलीफ बस वहीं जान सकती है। इनके काम को काम का दर्जा नहीं मिला इसलिए सरकार की किसी योजना का फायदा भी इन्हें नहीं मिलता। लॉकडाउन में हमारी सरकार से गुजारिश है की इनकी सरकार जल्द से जल्द मदद करे वरना इनका परिवार भूखा मर जाएगा।
ऑल इंडिया नेटवर्क सेक्स वर्कर संगठन के को ऑर्डिनेट अमित कुमार बताते हैं कि देश में कोरोना जब शुरु हुआ तो जीबी रोड दिल्ली में रहने वाली करीब 60 फिसदी सेक्स वर्कर्स अपने घर जा चुकी थीं। अब वहां 40 फिसदी औरतें ही बची हैं। जिनकी कोठा मालकिन खाने का इंतजाम तो कर रही है, लेकिन किराए में कोई छूट नहीं दी है। अभी ये महिलाएं दोगुने कीमत पर ब्याज लेकर अपना काम चला रही हैं।
अमित ने लॉकडाउन हटने के 5-6 महीने के बाद की स्थिति का भी अनुमान लगा लिया है। उनका मानना है की जब सामान्य होने के बाद भी उनके किराए, राशन और पलायन की समस्या बनी रहेगी। जो घर जा चुकी हैं वो कोरोना के डर से वापस नहीं आने वाली। जो यहां रह गईं हैं उन्हें जल्दी ग्राहक नहीं मिलेंगे। लॉकडाउन के चलते इनकी स्थिति बहुत खराब हो गई है और इनका पेट भरने वाला भी कोई नहीं है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/05/1457946802-0112.jpg314630Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-05-18 05:02:292020-05-18 08:39:54लॉकडाउन में भुखमरी के कगार पर सेक्स वर्कर्स की जमात
18 मई 2020: अपने वज़न पर नज़र रखें और ज़रूरत से ज़्यादा खाने से बचें. निश्चित तौर पर वित्तीय स्थिति में सुधार आएगा- लेकिन साथ ही ख़र्चों में भी इज़ाफ़ा होगा. आज आप अपने चारों तरफ़ के लोगों के बर्ताव के चलते खीज महसूस करेंगे. आपको अपने प्रिय को ख़ुद के हालात समझाने में दिक़्क़त महसूस होगी. आज आपने जो नई जानकारी हासिल की है, वह आपको अपने प्रतिस्पर्धियों पर बढ़त दिलाएगी. अपने काम और शब्दों पर ग़ौर करें क्योंकि आधिकारिक आंकड़े समझने में मुश्किल होंगे, अगर आप कुछ गड़बड़ करते हैं तो. अपने जीवनसाथी के स्नहे से भीगकर आप ख़ुद को राजसी महसूस कर सकते हैं. कोई भी चीज़ ज़रूरत से ज़्यादा हो तो अच्छी नहीं होती है.
18 मई 2020: शराब से दूर रहें क्योंकि यह आपकी नींद में बाधा डालकर आपको गहरे आराम से महरूम कर सकती है. माली सुधार की वजह से ज़रूरी ख़रीदारी करना आसान रहेगा. बच्चों को पढ़ाई पर ध्यान लगाने और भविष्य के लिए योजना बनाने की ज़रूरत है. आज आपको अपने प्रिय की याद सताएगी. आज कार्यालय में आपको कुछ अच्छा समाचार सुनने को मिल सकता है. दूसरों को यह बताने के लिए ज़्यादा उतावले न हों कि आज आप कैसा महसूस कर रहे हैं. जीवनसाथी का स्वास्थ्य कुछ गड़बड़ हो सकता है. टी. वी. देखना टाइम पास करने का एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है .
18 मई 2020: आज आप अच्छा पैसा कमाएंगे- लेकिन ख़र्च में इज़ाफ़ा आपके लिए बचत को और ज़्यादा मुश्किल बना देगा. पारिवारिक समस्याओं को प्राथमिकता दें. इस बारे में बिना देर किए बातचीत करें, क्योंकि एक बार इस समस्या के हल हो जाने पर घर में जीवन बहुत आसान हो जाएगा और परिवार के लोगों को प्रभावित करने में आपको कोई कठिनाई नहीं आएगी. कोई आपको दिल से सराहेगा. ज़रूरत के वक़्त तेज़ी और होशियारी से काम करने की आपकी क्षमता आपको लोगों की प्रशंसा का पात्र बना देगी. टैक्स और बीमे से जुड़े विषयों पर ग़ौर करने की ज़रूरत है. अगर आप जीवनसाथी के अलावा किसी और को अपने ऊपर असर डालने का मौक़ा दे रहे हैं, तो जीवनसाथी की ओर से आपको नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलना संभव है. अगर आप अपने दिन को ज़रा बेहतर व्यवस्थित करें, तो अपने खाली समय का पूरा सदुपयोग कर काफ़ी काम कर सकते हैं.
18 मई 2020: दबी हुई समस्याएं फिर से उभरकर आपको मानसिक तनाव दे सकती हैं. आर्थिक तंगी से बचने के लिए अपने तयशुदा बजट से दूर न जाएं. शादी लायक़ युवाओं का रिश्ता ऑनलाइन माध्यम से तय हो सकता है. जो अपने प्रिय के साथ छुट्टियां बिता रहे हैं, ये उनकी ज़िन्दगी के सबसे यादगार लम्हों में से होंगे. छात्रों के लिए बहुत अच्छा दिन है. वे परीक्षा में बढ़िया प्रदर्शन करेंगे. इस सफलता को सिर पर न चढ़ने दें और इससे प्रेरणा लेकर ज़्यादा कड़ी मेहनत के लिए कमर कसें. आपसे कोई बड़ी ग़लती सम्भव है, जो वैवाहिक जीवन के लिए ख़राब हो सकती है. पूरा दिन बैठकर ऊबने की बजाय ब्लॉगिंग करें या कोई रोचक किताब पढ़ें.
18 मई 2020: आपको अपनी सेहत के प्रति ज़्यादा सावधानी बरतने की ज़रूरत है, ख़ास तौर पर रक्तचाप के मरीज़ों को. अनुमान नुक़सानदेह साबित हो सकता है – इसलिए हर तरह का निवेश करते वक़्त पूरी सावधानी बरतें. ग़लत बातों को ग़लत वक़्त पर कहने से बचें. जिन्हें आप चाहते हैं, उनका दिल दुखाने से बचें. गर्लफ़्रेण्ड/बॉयफ़्रेण्ड से धोखा मिल सकता है. कार्यक्षेत्र में चीज़ें आज आपके मुताबिक़ नहीं होंगी. आज कुछ ऐसा दिन है जब चीजें उस तरह नहीं होंगी, जैसी आप चाहते हैं. असजता की वजह से आप वैवाहिक जीवन में ख़ुद को फंसा हुआ अनुभव कर सकते हैं. आपको ज़रूरत है तो जीवनसाथी के साथ आत्मीय बातचीत की. स्वयंसेवी कार्य या किसी की मदद करना आपकी मानसिक शांति के लिए अच्छे टॉनिक का काम कर सकता है.
18 मई 2020: आपको अपनी सेहत के प्रति ज़्यादा सावधानी बरतने की ज़रूरत है, ख़ास तौर पर रक्तचाप के मरीज़ों को. अनुमान नुक़सानदेह साबित हो सकता है – इसलिए हर तरह का निवेश करते वक़्त पूरी सावधानी बरतें. ग़लत बातों को ग़लत वक़्त पर कहने से बचें. जिन्हें आप चाहते हैं, उनका दिल दुखाने से बचें. गर्लफ़्रेण्ड/बॉयफ़्रेण्ड से धोखा मिल सकता है. कार्यक्षेत्र में चीज़ें आज आपके मुताबिक़ नहीं होंगी. आज कुछ ऐसा दिन है जब चीजें उस तरह नहीं होंगी, जैसी आप चाहते हैं. असजता की वजह से आप वैवाहिक जीवन में ख़ुद को फंसा हुआ अनुभव कर सकते हैं. आपको ज़रूरत है तो जीवनसाथी के साथ आत्मीय बातचीत की. स्वयंसेवी कार्य या किसी की मदद करना आपकी मानसिक शांति के लिए अच्छे टॉनिक का काम कर सकता है.
18 मई 2020: लम्बे अरसे को मद्देनज़र रखते हुए निवेश करें. मुसीबत के वक़्त परिवार से आपको मदद और सलाह हासिल होगी. आप दूसरों के तजुर्बों से कुछ सबक़ सीख सकते हैं. यह आपके आत्मविश्वास की मज़बूती के लिए बहुत ज़रूरी है. प्यार-मुहब्बत के मामले में अपनी ज़ुबान पर क़ाबू रखें, नहीं तो परेशानी में पड़ सकते हैं. बहादुरी भरे क़दम और फ़ैसले आपको अनुकूल पुरुस्कार देंगे. अपने जीवनसाथी की किसी छोटी बात को लेकर बोले गए झूठ से आप आहत महसूस कर सकते हैं. इंटरनेट सर्फ़िंग करना आपकी अंगुलियों की अच्छी वर्जिश करने के साथ-साथ आपके ज्ञान को भी बढ़ा सकता है.
18 मई 2020: खाते-पीते वक़्त सावधान रहें. लापरवाही बीमारी की वजह बन सकती है. उधार मांगने वाले लोगों को नज़रअन्दाज़ करें. अपनी उपयोगिता की ताक़त को सकारात्मक सोच और बातचीत के ज़रिए विकसित करें, ताकि आपके परिवार के लोगों को लाभ हो. अपने प्रिय के बिना समय बिताने में दिक़्क़त महसूस करेंगे. अपना रवैया ईमानदार और स्पष्टवादी रखें. लोग आपकी दृढ़ता और क्षमताओं को सराहेंगे. देर शाम तक आपको कहीं दूर से कोई अच्छी ख़बर सुनने को मिल सकती है. जीवनसाथी के साथ यह एक बढ़िया दिन गुज़रने वाला है. अपने अच्छे लेखन के साथ आज आप किसी अकल्पनीय काल्पनिक उड़ान पर जा सकते हैं.
18 मई 2020: शाम के समय थोड़ा आराम कीजिए. आज अगर आप दूसरों की बात मानकर निवेश करेंगे, तो आर्थिक नुक़सान तक़रीबन पक्का है. आज का दिन मज़े करने के लिहाज़ से बढ़िया है, इसलिए अपनी पसंदीदा चीज़ों और काम का लुत्फ़ उठाएं. रोमांस दरकिनार हो सकता है क्योंकि कुछ छोटे-मोटे मतभेद अचानक उभरेंगे. कार्यक्षेत्र में परिस्थितियां आपके पक्ष में लगती हैं. आप चाहें तो परेशानियों को मुस्कुराकर दरकिनार कर सकते हैं या उनमें फंसकर परेशान हो सकते हैं. चुनाव आपको करना है. ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत नज़र आएगी, क्योंकि आपके जीवनसाथी ने आपके लिए कुछ ख़ास योजना बनाई है. संभव है कि आज आपकी जीभ को भरपूर मज़ा मिले -लज़ीज़ खाने का लुत्फ़ उठा सकते हैं.
18 मई 2020: ऊर्जा के अपने ऊंचे स्तर को आज अच्छे काम में लगाएं. आज आपका सामना कई नई आर्थिक योजनाओं से होगा- कोई भी फ़ैसला करने से पहले अच्छाईयों और कमियों पर सावधानी से ग़ौर फ़रमाएं. दफ़्तर के तनाव को घर में न लाएं. इससे आपके परिवार की ख़ुशी ख़त्म हो सकती है. अच्छा यही है कि परेशानियों का सामना दफ़्तर में ही करें और घर पर पारिवारिक जीवन का आनंद लें. आपका प्रिय आपसे वादे की मांग करेगा, लेकिन ऐसा वादा न करें जिसे आप पूरा न कर सकें. अगर आप थोड़ी देर अनुभवी लोगों की संगत में गुज़ारेंगे, तो आपको काफ़ी ज्ञान मिलेगा. सफ़र के लिए दिन ज़्यादा अच्छा नहीं है. जीवनसाथी के साथ हंसते-खिलखिलाते, हर पल के मज़े लेते हुए आप महसूस करेंगे कि आप किशोरावस्था में लौट गए हैं. बाग़बानी करना आपके लिए सुकून भरा हो सकता है – इससे पर्यावरण को भी लाभ पहुंचेगा.
18 मई 2020: ख्याली पुलाव पकाने में वक़्त ज़ाया न करें. सार्थक कामों में लगाने के लिए अपनी ऊर्जा बचाकर रखें. माता-पिता की मदद से आप आर्थिक तंगी से बाहर निकलने में क़ामयाब रहेंगे. अपनी नई परियोजनाओं के लिए अपने माता-पिता को विश्वास में लेने का सही समय है. आपको आज ही अपने प्रिय को दिल की बात बताने की ज़रूरत है, क्योंकि कल बहुत देर हो जाएगी. आपका कम्यूनिकेशन और काम करने की क्षमता असरदार सिद्ध होंगे. अपने जीवनसाथी को सरप्राइज़ देते रहें, नहीं तो वह ख़ुद को आपके जीवन में महत्वहीन समझ सकता है. मानसिक शान्ति बहुत महत्वपूर्ण है.
18 मई 2020: अपने बच्चे का प्रदर्शन आपको बहुत ख़ुशी देगा. अचानक आए अप्रत्याशित ख़र्चे आपके ऊपर आर्थिक तौर पर बोझ डाल सकते हैं. आज आप अपने प्रिय की बेजा मांगों को पूरा करने से बचिए. पैसे बनाने के उन नए विचारों का उपयोग करें, जो आज आपके ज़ेहन में आएं. घरेलू मोर्चे पर बढ़िया खाने और गहरी नींद का पूरा लुत्फ़ आप ले पाएंगे. आज आप फ़ोटोग्राफ़ी करके आने वाले कल के लिए कुछ बेहतरीन यादें संजो सकते हैं; अपने कैमरे का सदुपयोग करना बिल्कुल न भूलें.
18 मई 2020: ज्योतिषीय सलाह आपकी सेहत के लिए काफ़ी उपयोगी रहेगी. जल्दबाज़ी में फ़ैसले न लें- ख़ासतौर पर अहम आर्थिक सौदों में मोलभाव करते वक़्त. अपने जीवन-साथी के साथ बेहतर समझ ज़िन्दगी में ख़ुशी, सुकून और समृद्धि लाएगी. व्यक्तिगत मार्गदर्शन आपके रिश्ते में सुधार लाएगा. करियर से जुड़े फ़ैसले ख़ुद करें, बाद में इसका लाभ आपको मिलेगा. छुपे हुए दुश्मन आपके बारे में अफ़वाहें फैलाने के लिए अधीर होंगे. आप अपने जीवनसाथी के प्यार की मदद से ज़िन्दगी की मुश्किलों का आसानी से सामना कर सकते हैं. अपने ख़र्चों पर थोड़ी नज़र रखें.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/04/tuesday-jpg_710x400xt.jpg400710Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-05-18 02:21:022020-05-18 02:21:36आज का राशिफल
नोटः आज अपरा एकादशी व्रत है। मेला भद्रकाली एकादशी (कपूरथला) पंजाब।
विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही, शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/04/panchang-2-3.jpg7761200Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-05-18 01:23:432020-05-18 01:24:21आज का पंचांग
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