राम मंदिर पर फैसला आने से पहले काँग्रेस की कार्यसमिति की बैठक

चंडीगढ़: 

राम मंदिर भूमि मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले कांग्रेस ने कार्यसमिति की बैठक बुलाई है. इसमें राम मंदिर मसले को लेकर पार्टी लाइन तय की जाएगी.

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी कांग्रेस के सीनियर नेताओं के साथ अहम बातचीत करेंगी. सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी भी दिल्ली लौट चुके हैं. वे भी इसमें शामिल होंगे. पहले रविवार को 4.30 यह बैठक होनी थी, लेकिन किन्हीं वजहों से इसे टाल दिया गया था.

देश के संभवत: सर्वाधिक चर्चित व विवादित अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में कल (शनिवार 9 नवंबर) सुबह 10:30 बजे सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाने जा रहा है.

इस मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद देश की शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. तभी से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के सेवानिवृत्त होने से पहले इस मामले में फैसला आ जाएगा.

आज का राशिफल

Aries

09 नवंबर 2019: आप स्वभाव से रोमांचित हैं, लेकिन आज आप खुद को अपने निजी जीवन से अधिक अपने काम पर ध्यान केंद्रित करते हुए पाएंगे. यह पूरी तरह से ठीक है, वास्तव में, यह आपके लिए फायदेमंद है. आपके लिए आज का सबसे अच्छा काम यह है कि आप अपने निजी जीवन को अपने दिमाग में रखें और अपने पेशेवर जीवन को आगे बढ़ाएं. आपको काम पर एक अच्छा अवसर प्राप्त होने की संभावना है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आप हिस्सा खेलने के लिए तैयार हैं.

Taurus

09 नवंबर 2019: अपने आसपास घट रही चीज़ों को लेकर आज आप थोड़ा तनाव महसूस कर सकते हैं. यह या तो काम से संबंधित हो सकता है, या हो सकता है कि आपके और किसी प्रियजन के बीच झगड़ा आपको तनाव दे रहा हो. आज की समझदारी वाली बात यह है कि आपके दिमाग में जो कुछ चल रहा है, उसे सुलझाने की कोशिश करें. यदि काम आपको तनाव दे रहा है, तो चीजों को हल करने के लिए किसी श्रेष्ठ व्यक्ति से बात करें – और यदि यह आपका व्यक्तिगत जीवन है, तो अपने आसपास के लोगों को समझने की कोशिश करें.

Gemini

09 नवंबर 2019: क्या आपको ऐसा लग रहा है कि आपके आसपास की हर चीज बिखर रही है? खैर हम आपको कुछ बताते हैं, यह आपके दिमाग में है. कभी-कभी आपको ऐसा लग सकता है कि दुनिया आपके पैतरों से टकरा रही है, हालांकि, ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है. आपको नकारात्मक को खुद से दूर भेजने और सकारात्मक वाइब्स को वापस लाने की आवश्यकता है. आपके लिए आज का सबसे अच्छा काम यह है कि आप ध्यान करने के लिए समय निकालें ताकि आपका मन शांत हो सके, और आप चीजों को ग्रहण करना बंद कर सकें.

Cancer

09 नवंबर 2019: क्या ऐसा कुछ है जो आप करने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन ऐसा नहीं कर सकते थे? खैर फिर आज आपके लिए आगे बढ़ने और इसे खत्म करने का दिन है. आप आज ऊर्जा से भरपूर होने जा रहे हैं, और आप अपने आप को अपनी टू-डू सूची में सब कुछ पूरा करने में सक्षम होने जा रहे हैं जो आपने सोचा था. यदि आपके पास खाली समय है (जो आप निश्चित रूप से करेंगे), तो अगले दिन के लिए भी कार्य समाप्त करें. इस तरह, कल उतना व्यस्त नहीं होगा.

Leo

09 नवंबर 2019: आज आपको मानसिक रुकावट आ सकती है. आपका मन क्या है और क्या हो सकता है में भटक रहा है, लेकिन ऐसा न करें कि आप को मिल जाए. संतुष्ट होने की कोशिश करें और अभी आप अपने जीवन में जहां हैं, वहां शांति बनाएं. बैठने, ध्यान करने और तनाव को दूर करने का समय निकालें.

Virgo

09 नवंबर 2019: शिक्षा में गोता लगाने के लिए आज का दिन अच्छा है. क्या आप कुछ नया सीखने के लिए उत्सुक हैं? फिर इसे उठाओ और आज इसे जाओ. ज्ञान प्राप्त करने की आपकी शक्ति आज बहुत अधिक है- इसलिए सुनिश्चित करें कि आप इसका पूरा लाभ उठाएँ. पढ़ें, एक खेल करें, या कुछ नया करें जो आप करना चाहते थे लेकिन वास्तव में ऐसा कभी नहीं किया.

Libra

09 नवंबर 2019: आज रात आपकी नींद में अप्रत्याशित सपने दिखाई दे सकते हैं, कुछ ऐसा जिससे आप डरते हैं. लेकिन वह पकड़ है. यह सपना एक ऐसा कार्य है, जिसे आप समाप्त नहीं कर पाए हैं, और यह आपको सता रहा है. सबसे अच्छी बात यह है कि आप उन कार्यों को पूरा कर सकते हैं जिन्हें आपने आगे की शांतिपूर्ण रात के लिए छोड़ दिया है.

Scorpio

09 नवंबर 2019: आपके परिवार में कोई आज बीमार हो सकता है, और इससे आप सभी चिंतित होंगे और काम करेंगे. आपको यह याद रखने की ज़रूरत है कि यह वह जगह है जहां आपको मजबूत होना चाहिए और अपने परिवार और अपने लिए होना चाहिए. घबराओ तम, चीजें अंततः ठीक हो जाएंगी. बस वहां रहने की कोशिश करें और जहाँ भी ज़रूरत हो वहां मदद करें

Sagittarius

09 नवंबर 2019: आप अपने आप को बहुत गड़बड़ कर रहे हैं, चाहे वह आपका कार्यालय, कमरा, या घर हो. सबसे अच्छी बात यह है कि समय निकालकर सभी गड़बड़ को साफ करें. जिन चीज़ों का आप उपयोग नहीं करते हैं उन पर बोर्ड न करें और जल्द ही इसकी आवश्यकता नहीं होगी.

Capricorn

09 नवंबर 2019: आज आप रोमांचित मूड में नहीं हो सकते, लेकिन आपका साथी होगा. यदि आप एकल हैं, तो कोई व्यक्ति आपको संकेत देने जा रहा है. अपने कार्य क्षेत्र से बाहर कदम रखें, उन संकेतों को पकड़ें और किसी ऐसे व्यक्ति के साथ आराम करने की कोशिश करें, जिसमें आप रुचि रखते हैं, या कोई ऐसा व्यक्ति जो आपकी रुचि रखता है.

Aquarius

09 नवंबर 2019: किसी व्यक्ति को जिसे आपने कुछ समय में नहीं देखा है, वह आपके घर की यात्रा को रोक सकता है. यह व्यक्ति वह व्यक्ति है जिसे आप नहीं देखना चाहते हैं, लेकिन उनका अप्रत्याशित रूप कुछ ऐसा है जिससे आपको निपटना होगा. याद रखें कि आप दयालु और सौम्य हैं, इसलिए आप अपने दिन या उनके दिन बर्बाद नहीं करते हैं.

Pisces

09 नवंबर 2019: आप आज लगभग पूरे दिन खुद को यातायात में फंसे हुए पाएंगे. यदि आप इससे बचना चाहते हैं, तो सबसे अच्छी बात यह है कि सार्वजनिक परिवहन को अपनाएं, क्योंकि इससे आपको अपने गंतव्य तक तेज़ी से पहुंचने में मदद मिलेगी. आमतौर पर आपको पहले की तुलना में थोड़ा छोड़ने की कोशिश करें जैसा कि आप उस जगह पर देर से होना चाहते हैं जहां आपको होना चाहिए.

राम मंदिर पर फैसला आज

सूत्रों के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश ने दोनों अफसरों से अयोध्या की सुरक्षा को लेकर उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी ली। साथ ही दोनों समुदायों के बीच आपसी सौहार्द बना रहे, इस संबंध में भी तैयारियों के बारे में पूछा।

सुप्रीम कोर्ट शनिवार को अयोध्या बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाएगा। मुख्य न्यायाधीश की अदालत में शनिवार को फैसला सुनाने के लिए मामले को सुबह 10.30 बजे सूचीबद्ध किया गया है।

सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस बोबडे, चंद्रचूड़, अशोक भूषण और अब्दुल नजीर की पीठ ने फैसला सुनाने के लिए शनिवार को विशेष सीटिंग करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने चालीस दिन की मैराथन सुनवाई के बाद मामले में 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

मुख्य न्यायधीश ने की थी उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ गोपनीय बैठक

शुक्रवार को अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अयोध्या व राज्य में कानून- व्यवस्था पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ गोपनीय बैठक की। करीब 1.30 घंटे तक चली इस बैठक के दौरान अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस अशोक भूषण भी शामिल रहे।

सूत्रों के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश ने दोनों अफसरों से अयोध्या की सुरक्षा को लेकर उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी ली। साथ ही दोनों समुदायों के बीच आपसी सौहार्द बना रहे, इस संबंध में भी तैयारियों के बारे में पूछा। इससे पहले 16 अक्टूबर को 40 वें दिन की सुनवाई के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

Ayodhya Case: Arguments Till Date

The key arguments made by the parties in the Ayodhya-Babri Masjid title dispute case are summarized below :The main Hindu parties in the case were Ramlalla Virajman (the deity), Nirmohi Akhara and the legal representatives of Gopal Singh Visharad, a believer who filed a suit in 1950 seeking right of worship in the disputed land.

The main Hindu parties in the case were Ramlalla Virajman (the deity), Nirmohi Akhara and the legal representatives of Gopal Singh Visharad, a believe, a believer who filed a suit in 1950 seeking right of worship in the disputed land. The main points urged by Senior Advocates K Parasaran and C S Vidyanathan on behalf of diety.

There cannot be adverse possession against, or joint possession of Janmasthan, which by itself is a juridical personality. Janmasthan is indivisible.

Claim of possession can be based on ancient custom, religious practices and beliefs. Idol is not necessary for conferring juristic personality. In Hindu belief, objects other than idols, such as sun, rivers, trees etc., are given divinity. Therefore, a land can be given divinity in Hindu faith.

The Archaeological Survey of India report shows that the Masjid was built on a land over a massive structure which dated back to 2nd century BC.
ASI report showed that there were images of humans and animals inside the structure. Islamic faith prohibits depiction of such images in a mosque. So Babri Masjid cannot be regarded as a mosque as per Islamic tenets.
Babri Masjid cannot be regarded as a mosque built in accordance with the tenets of Islamic law, which prohibits construction of mosque by demolishing other structures.
Ancient texts and scriptures refer to Ayodhya as the birthplace of Lord Ram. There is unshakeable faith of devotees that it is the Janmasthan. That by itself is the greatest evidence.
Ayodhya, being the birthplace of Lord Ram, holds particular significance for Hindus. They believe that visiting the Janmasthan will help them attain moksha.
Babri Masjid ceased to be a mosque as Muslims had ceased to offer namaz.
The decree in 1855 suit does not operate as res judicata as the plaintiff Mahant Raghubar Das did not represent entire Hindus. Also, the claim in that suit was confined to the outer courtyard and chabuthara.
The suit filed by Sunni Waqf Board in 1961 is time barred.
Also Read – ‘Ayodhya Verdict Will Impact Future Generations’ : Muslim Parties Urge SC To Mould Relief To Reflect ‘Constitutional Values’


Ayodhya-Babri Masjid Dispute: All You Need To Know About The Civil Suits
During the course of hearing, the stand of Nirmohi Akhara -which claims to be manager of the deity’s property – seemingly came in conflict with that of the deity.

Akhara claimed to be the sole official ‘shabait’ of deity ‘Ram Lalla Virajman’ at the disputed site since time immemorial and had said that that it had been appointing ‘priests’ for worship there.Senior Advocate S K Jain, appearing for the Akhara, put forth a claim for exclusive possession of the entire property. The Akhara had been in possession of the property for long, and had filed the suit in 1959, thirty years before the suit filed on behalf of the deity, submitted Jain.

But when the deity itself is a party, can the Akhara set up a claim against the deity, asked the bench. Akhara later clarified that it was not claiming the title right of the property, but was claiming the right to manage the property as a devotee.


Senior Advocate P S Narasimha, appearing for Mahant Ramachandradas and Advocate P N Mishra, appearing for Sri Ramjanmabhumi Punarudhar Samiti, extensively referred to ancient scriptures to state that Ayodhya was referred as the Janmasthan centuries ago.

Muslim parties.

The key arguments are :

Mere belief of devotees cannot confer title over the disputed land. References in ancient scriptures will also not give title.
Juristic personality cannot be ascribed to a thing, if there is no object of manifestation of belief, such as an idol. Therefore, a piece of land cannot be given juristic personality without an object of manifestation of belief.
Hindus’ claim is barred by res judicata as the suit filed by Mahant Raghubar Das in 1855 was dismissed.
Hindus were worshiping only in the outer courtyard. The idols were placed under the central dome of the mosque only in December 1949.
The claim of possession by Hindu parties is based on a wrongful act of trespass committed on December 23, 1949, when idols were placed inside the mosque. Right of possession cannot be based on trespass.
It is not possible to assess the legality of Babur’s acts after several centuries.
Court cannot enter into theological examination of the legality of construction of Babri Masjid as per Islamic law.
Legality of mosque construction should be based on historical facts and not theology. ASI report has several contradictions. It is only an opinion. It does not conclusively state that Masjid was built over a temple.
In the 1950 suits, Hindus only claimed the right to worship and not title. Title s claimed only in belated suit filed in 1989 by diety. Once a mosque always a mosque

Ayodhya, being the birthplace of Lord Ram, holds particular significance for Hindus. They believe that visiting the Janmasthan will help them attain moksha.
Babri Masjid ceased to be a mosque as Muslims had ceased to offer namaz.
The decree in 1855 suit does not operate as res judicata as the plaintiff Mahant Raghubar Das did not represent entire Hindus. Also, the claim in that suit was confined to the outer courtyard and chabuthara. The suit filed by Sunni Waqf Board in 1961 is time barred.

During the course of hearing, the stand of Nirmohi Akhara -which claims to be manager of the deity’s property – seemingly came in conflict with that of the deity.

Akhara claimed to be the sole official ‘shabait’ of deity ‘Ram Lalla Virajman’ at the disputed site since time immemorial and had said that that it had been appointing ‘priests’ for worship there.Senior Advocate S K Jain, appearing for the Akhara, put forth a claim for exclusive possession of the entire property. The Akhara had been in possession of the property for long, and had filed the suit in 1959, thirty years before the suit filed on behalf of the deity, submitted Jain.

But when the deity itself is a party, can the Akhara set up a claim against the deity, asked the bench. Akhara later clarified that it was not claiming the title right of the property, but was claiming the right to manage the property as a devotee.


Senior Advocate P S Narasimha, appearing for Mahant Ramachandradas and Advocate P N Mishra, appearing for Sri Ramjanmabhumi Punarudhar Samiti, extensively referred to ancient scriptures to state that Ayodhya was referred as the Janmasthan centuries ago.

Muslim parties.

The key arguments are :


Mere belief of devotees cannot confer title over the disputed land. References in ancient scriptures will also not give title.
Juristic personality cannot be ascribed to a thing, if there is no object of manifestation of belief, such as an idol. Therefore, a piece of land cannot be given juristic personality without an object of manifestation of belief.
Hindus’ claim is barred by res judicata as the suit filed by Mahant Raghubar Das in 1855 was dismissed.
Hindus were worshiping only in the outer courtyard. The idols were placed under the central dome of the mosque only in December 1949.
The claim of possession by Hindu parties is based on a wrongful act of trespass committed on December 23, 1949, when idols were placed inside the mosque. Right of possession cannot be based on trespass.
It is not possible to assess the legality of Babur’s acts after several centuries.
Court cannot enter into theological examination of the legality of construction of Babri Masjid as per Islamic law.
Legality of mosque construction should be based on historical facts and not theology.
ASI report has several contradictions. It is only an opinion. It does not conclusively state that Masjid was built over a temple.
In the 1950 suits, Hindus only claimed the right to worship, and not title. Title is claimed only in the belated suit filed in 1989 by the deity.
‘Once a mosque always a mosque’ – there is no concept of abandoning of mosque. Muslims stopped namaz in the mosque only after 1950, when the property was attached by the District Magistrate.
What The Allahabad HC Held In Ayodhya-Babri Masjid Dispute?
Senior Advocates Rajeev Dhavan, Shekhar Naphade, Meenakshi Arora led the arguments for UP Sunni Waqf Board.

During the hearing, the Shia parties submitted that they were willing to abandon their claims in favour of Hindus. The Sunni Waqf Board opposed this by saying that Shias have no claim over the property, and that they had not taken any such stand before the High Court.

The parties referred to “Baburnama”(Memoirs of Babur), Ram Charit Manas by Tulsi Das, passages in Ramayana, Skanda Purana, 18th century writings of European missionary Joseph Tieffenthaler, 1854 Gazetter of East India Company by Edward Thornton, survey by A E Cunningham and Montgomery Martin, travelogue of English historian William Finch etc., during the hearing.


The 5 judges bench comprising CJI Ranjan Gogoi, Justices Bobde, Chandrachud, Ashok Bhushan and Abdul Nazeer will pronounce judgment in the case on November 9. The bench had reserved judgment on October 16 after forty days of hearing since August 6.


Fourteen appeals have been filed in the apex court against the 2010 Allahabad High Court judgment delivered in four civil suits that the 2.77-acre land in Ayodhya be partitioned equally among three parties – the Sunni Waqf Board, the Nirmohi Akhara and Ram Lalla.

Curtsy: Law Life

Topics : Ayodh

आज का पंचांग

पंचांग 09 नवंबर 2019   

विक्रमी संवत्ः 2076, 

शक संवत्ः 1941, 

मासः कार्तिक़, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः द्वादशी दोपहर 02.40 तक, 

वारः शनिवार, 

नक्षत्रः उत्तराभाद्रपद दोपहर 02.56 तक है, 

योगः हर्ष प्रातः 10.15 तक, 

करणः बालव, 

सूर्य राशिः तुला, 

चंद्र राशिः मीन, 

राहु कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक, 

सूर्योदयः 06.43, 

सूर्यास्तः 05.28 बजे।

नोटः आज हरिप्रबोधोत्सव है।

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी,गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।

अयोध्या मामले में फैसला कल सुबह 10:30 बजे, सारे देश में सुरक्षा के कड़े इंतेज़ाम

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट कल सुबह यानी 9 नवंबर को फैसला सुनाएगा. पांच जजों की पीठ यह फैसला सुनाएगी.
सूत्रों ने कहा कि न्यायाधीशों ने राज्य के अधिकारियों से पूछा कि कानून और व्यवस्था को बनाए रखने और इसे मजबूत करने के लिए क्या उन्हें किसी भी तरह की मदद की जरूरत है?

चंडीगढ़: 

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट कल सुबह यानी 9 नवंबर को फैसला सुनाएगा. पांच जजों की पीठ यह फैसला सुनाएगी. अयोध्या मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है. इस मामले में 40 दिनों तक नियमित सुनवाई हुई है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ यह फैसला सुनाएगी. यह भारत का सबसे पुराना मामला है. अयोध्या मामले में पक्षकार और पंच निर्वाणी अणी अखाड़े के परमाध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास ने कहा, ‘माहौल कोई बिगाड़ ही नहीं सकता है, हम लोग अयोध्यावासी सब मिलकर राम मंदिर का निर्माण करेंगे. इस पर कोई विचार न करे कोर्ट क्या कह रहे हैं. लड़ना होगा तो हम ही लड़ेंगे. यहां पर जो हो, एक धार्मिक व्यवस्था को जो व्यापार नहीं मिल रहा है उसपर ध्यान ना दें.’

वहीं इस मामले में मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, ‘हमारी अपील है, लोग शांति बनाए रखें. हम लोग साथ होंगे आज हम पूरी दुनिया को संदेश दे रहे हैं. हम भारत के वासी हैं, जो फैसला कोर्ट करेगा वह हम मानेंगे. हम हिन्दुस्तान को बड़ा देखना चाहते हैं. हमारे यहां कोई विवाद नहीं है, किसी के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं, तमाम साधू और मुस्लिम साथ दिखाई पड़ते हैं. पूरी दुनिया देख रही है हम एक हैं. यहां जात नहीं पूछी जाती है, यहां इंसानियत देखी जाती है, ये हमारे घर भी आते हैं और हम भी जाते हैं हम शान्ति चाहते हैं. सब रख रखाव सरकार के हाथ में है.’

यहां आपको बता दें कि अयोध्या जमीन विवाद के फैसले से पहले एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के साथ अति गोपनीय बैठक की. ऐसा मना जा रहा है कि बैठक में प्रदेश में कानून-व्यवस्था का न्यायाधीश ने जायजा लिया. सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी, डीजीपी ओम प्रकाश सिंह और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के साथ अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही पीठ के पांच न्यायाधीशों में से अन्य दो न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी मौजूद रहे.

अयोध्या मामले पर फैसला कभी भी आ सकता है, इसलिए बैठक में राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर केंद्रित चर्चा की गई. एक सूत्र ने कहा, ‘न्यायधीशों और राज्य अधिकारियों के बीच बैठक सुबह 11.30 बजे शुरू हुई और दोपहर 1 बजे खत्म हुई.’

सूत्रों ने कहा कि न्यायाधीशों ने राज्य के अधिकारियों से पूछा कि कानून और व्यवस्था को बनाए रखने और इसे मजबूत करने के लिए क्या उन्हें किसी भी तरह की मदद की जरूरत है?

पांचवे दिन दु्र्गा शक्ति टीम को किया गया सम्मानित

कोरल, पंचकुला- 8 नवंबर:

प्रथम हरियाणा पुलिस  सप्ताह :  

आयुक्तालय पंचकूला मे चल रहे प्रथम पुलिस सप्ताह के दौरान महिला थाना मे NGO ‘NANHE KADAM’ द्वारा एक समारोह का आयोजन किया गया । इस दौरान सहायक पुलिस आयुक्त श्रीमति नुपूर बिश्नोई  मुख्य अतिथी के तौर पर उपस्थिति रही । दु्र्गा शक्ति टीम के सभी सदस्यों को NGO ‘नन्हे कदम’ द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के प्रति उनके प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया ।

प्रबंधक महिला थाना श्रीमति नेहा,  ग्रीफ काउंसलर रेणु माथुर को भी महिलाओं की सुरक्षा के प्रति उनके अथक प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया । दुर्गा शक्ति टीम की तरफ से महिला सिपाही नेहा, वन्दना, आरती, रमनदीप, रीना, रेखा, प्रवीन, सिपाही विवेक, अजय, रामचन्द्र, पवन तथा SPO नूरन नॉबी मौजूद रहे । 

पुलिस उपायुक्त ने दिवंगत एक्जम्प्टी सब इंस्पेक्टर विनोद कुमार की धर्मपत्नी श्रीमति पूनम को 17 लाख रुपये का चेक सौंपा

कोरल, पंचकुला, 8 नवंबर

पुलिस उपायुक्त, कमलदीप गोयल ने शुक्रवार को आकस्मिक मृत्यु बीमा कवर के तहत दिवंगत एक्जम्प्टी सब इंस्पेक्टर (ईएसआई) विनोद कुमार (सेवानिवृत्त) की धर्मपत्नी श्रीमति पूनम को 17 लाख रुपये का चेक सौंपा।

  यह राषि एचडीएफसी बैंक के साथ आकस्मिक मृत्यु बीमा कवर के तहत किए गए एक समझौते के तहत प्रदान की गई।

    इस अवसर पर डीसीपी ने कहा कि दिवंगत ईएसआई विनोद कुमार ने पुलिस में बेहतरीन सेवाएं दी। उन्हें पुलिस विभाग में उनकी बहादुरी और सेवाओं के लिए लंबे समय तक याद किया जाएगा।

अब फिल्म शूटिंग की मंजूरी मिलना होगा आसानऑनलाइन आवेदन के बाद सात दिन में मिल जाएगी मंजूरी

हरियाणा में फिल्म पॉलिसी के संबंध में सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक ने की राज्य के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंगअब फिल्म शूटिंग की मंजूरी मिलना होगा आसानऑनलाइन आवेदन के बाद सात दिन में मिल जाएगी मंजूरी

कोरल,पंचकूला, 8 नवम्बर

हरियाणा में फिल्म निर्माताओं को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने फिल्म शूटिंग की मंजूरी के लिए ऑनलाइन सेंट्रल पोर्टल तैयार किया है। इस पोर्टल पर आवेदन के बाद सात कार्यदिवस के अंदर-अंदर फिल्म की मंजूरी प्रदान की जाएगी। इसी संबंध में सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक समीरपाल सरों ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य के सभी नगराधीश, डीआईपीआरओ तथा डीआईओ को दिशा-निर्देश जारी किए। उन्होंने बताया कि इसके लिए जिलो में नगराधीश को नोडल अधिकारी बनाया गया है तथा डीआईपीआरओ सदस्य सचिव होंगे। सभी को जल्द की यूजर आईडी दी जाएगी जिसके माध्यम से उन्हें इस प्रक्रिया को पूरा करना है।

सरों ने स्पष्ट किया कि आवेदन करने वाले को कहीं भी व्यक्तिगत रूप से हाजिर नहीं होना है। उसे केवल ऑनलाइन पीआर हरियाणा की वेबसाइट पर फिल्म सैल पर जाकर आवेदन करना है। आवेदन के सात दिन के बाद मंजूरी पत्र भी उसे ऑनलाइन ही उपलब्ध हो जाएगा।उन्होंने बताया कि आवेदन में संबंधित 18 विभागों को अपने-अपने स्तर पर ऑनलाइन ही सारी कार्यवाही करनी है। अगर कहीं मंजूरी नहीं दी जा सकती तो उसका कारण बताकर उसे रद्द किया जा सकता है लेकिन बिना कारण कोई भी आवेदन रद्द नहीं किया जा सकता।

निर्माता को मिल सकती है 1 से 3 करोड़ तक की प्रोत्साहन राशिपंचकूला। सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक समीरपाल सरो ने बताया कि कोई फिल्म निर्माता हरियाणा की पृष्ठभूमि पर फिल्म बनाता है या हरियाणा के युवाओं को कलाकार के तौर रखता है अथवा अन्य तकनीकी स्टाफ के तौर पर उनसे काम लेता है तो उसे प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए भी इसी साइट पर आवेदन करना होगा। यह राशि एक करोड़ से लेकर तीन करोड़ तक हो सकती है।

इस संबंध में पीआर हरियाणा की वेबसाइट पर फिल्म पॉलिसी दी गई है। उसमें हर प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है। उन्होंने बताया कि 28 अक्टूबर 2018 को हरियाणा फिल्म पॉलिसी को कैबिनेट से मंजूरी के बाद गुरुग्राम से लांच किया गया था। इसमें कई ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिससे फिल्म निर्माताओं को हरियाणा में फिल्म बनाने के लिए आकर्षित किया जा सके। राज्य में हरियाणा फिल्म प्रमोशन बोर्ड बनाया गया है। इस बोर्ड के चेयरमैन हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के निवासी मशहूर फिल्म निर्माता सतीश कौशिक हैं।

पिंजोर-कालका और पंचकूला में हैं कई अच्छी लोकेशन

सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक समीरपाल सरो ने बताया कि फिल्म निर्माताओं के लिए हरियाणा राज्य में लगभग 40 स्थान ऐसे हैं जो फिल्म के लिहाज से बहुत ही आकर्षक हैं। इन क्षेत्रों में पंचकूला जिले में फिल्माकन के लिए मनोरम स्थानों की भरमार है। मोरनी और टीकर ताल की छटा देखते ही बनती है। मोरनी स्थित ऐतिहासिक नाहन के राजा के किले का सुदंर जीर्णोधार किया गया है। किले से सुदूर फैली घाटियां बहुत ही सुदंर लगती है। और कश्मीर सा नजार प्रस्तुत करती हैं। टीकर ताल भी डल झील जैसा सुदंर लगता है। यहाँ पर म्यूज्यिम से लेकर मनोंरंजन तक के सभी साधन उपलब्ध है। पिंजोर के बाग की छटा में कई लेयर की चटानों से इस बाग का सांैर्दय अप्रतिम नजर आता है। सुदंर पिंजोर से लेकर नारनौल तक ऐतिाहासिक धरोहरों से लेकर समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाले इस प्रदेश की तरफ आने वाले समय में फिल्म उद्योग बहुत अधिक संख्या में युवाओं के रोजगार के अवसर पर उपलब्ध कराएगा। 

मुझे फड़णवीस और अमित शाह के आशीर्वाद की जरूरत नहीं. इनके सच झूठ के सर्टिफ़िकेट की जरूरत नहीं: उद्धव ठाकरे

“बाला साहेब को वचन दिया है मैं शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाऊंगा. शिवसेना का सीएम बनाने के लिए मुझे फड़णवीस और अमित शाह के आशीर्वाद की जरूरत नहीं. इनके सच झूठ के सर्टिफ़िकेट की जरूरत नहीं.’  उद्धव ठाकरे

चंडीगढ़: 

देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफा देने के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. ठाकरे ने अपने संबोधन में साफ कहा कि हमें शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाने के लिए फड़णवीस और बीजेपी अध्यक्ष शाह के आशीर्वाद की जरूरत नहीं है. मुझें दुख है कि शिवसेना पर गलत आरोप लगाए गए. 

शिवसेना चीफ ठाकरे ने कहा, “कुछ समय पहले मैंने कार्यवाहक सीएम देवेंद्र फडणवीस की प्रेस कॉन्फ्रेंस सुनी. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने कार्य गिनाए. विकास का काम उन्होंने अकेले नहीं किया, हम साथ थे. दुख है गलत आरोप लगाया गया. लोकसभा चुनाव के वक्त अमित शाह और फड़णवीस मेरे पास आए थे, मैं दिल्ली नहीं गया. चर्चा शुरू हुई उपमुख्यमंत्री पद की बात हुई तो मैंने कहा थ उपमुख्यमंत्री पद लेने के लिए लाचार नही हूं.”  

उन्होंने आगे कहा, “बाला साहेब को वचन दिया है मैं शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाऊंगा. शिवसेना का सीएम बनाने के लिए मुझे फड़णवीस और अमित शाह के आशीर्वाद की जरूरत नहीं. इनके सच झूठ के सर्टिफ़िकेट की जरूरत नहीं.’ 

इससे पहले, शिवसेना प्रवक्ता ने राउत ने अगर हम चाहे तो सरकार बना सकते हैं, शिवसेना का मुख्यमंत्री बन सकता है. फडणवीस के बयान पर चुटकी लेते हुए राउत ने कहा, “अगर मुख्यमंत्री जी यह कहते हैं कि फिर एक बार उनकी सरकार आएगी मैं उनको शुभकामना देता हूं. लोकतंत्र में जिसके पास बहुमत है, वह सरकार बनाते हैं.”