कठघरे में न्यायपालिके: जस्टिस कुमार की सुनवाई पर 11 जजों ने लगाई रोक
- पटना हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार ने अपने सीनियरों और मातहतों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए
- कहा- भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मियों के खिलाफ आज तक एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई
पटना/दिल्ली:
पटना हाईकोर्ट के सीनिय जज जस्टिस राकेश कुमार के एक फैसले को गुरुवार को 11 जजों की फुल बेंच ने सस्पेंड कर दिया। जस्टिस कुमार ने एक फैसले में लिखा था- लगता है हाईकोर्ट प्रशासन ही भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देता है। चीफ जस्टिस एपी शाही की 11 सदस्यीय फुल बेंच ने कहा कि इस आदेश से न्यायपालिका की गरिमा और प्रतिष्ठा गिरी है। संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति से ऐसी अपेक्षा नहीं होती है।
जस्टिस कुमार बुधवार को पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया के मामले की सुनवाई कर रहे थे। इसी दौरान अपने आदेश में सख्त टिप्पणियां करते हुए उन्होंने लिखा- पटना के जिस एडीजे के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला साबित हुआ, उन्हें बर्खास्त करने की बजाय मामूली सजा दी गई, क्यों? हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस और अन्य जजों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरे विरोध को दरकिनार किया।
चीफ जस्टिस ने सुनवाई पर रोक लगाई
जस्टिस कुमार ने निचली अदालत में हुए स्टिंग ऑपरेशन मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी। इसके बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एपी शाही ने जस्टिस राकेश कुमार की सिंगल बेंच की सभी केसों की सुनवाई पर रोक लगा दी। अगले आदेश तक जस्टिस कुमार सिंगल बेंच केसों की सुनवाई नहीं कर सकेंगे। हालांकि, डबल बेंच के जिन केसों में वे शामिल हैं, उसकी सुनवाई कर सकेंगे। चीफ जस्टिस ने उन्हें नोटिस भी जारी किया है।
जस्टिस कुमार ने अपने फैसले में 4 सवाल उठाए थे
1. सवाल : हाईकाेर्ट से जमानत अर्जी खारिज हाेने के बाद निचली अदालत ने रमैया काे बेल कैसे दे दी?
जस्टिस राकेश कुमार ने रमैया की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज की थी। उन्होंने आश्चर्य जताया कि हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने और सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिलने के बावजूद वे खुलेआम घूमते रहे। इतना ही नहीं वे निचली अदालत से नियमित जमानत लेने में भी कामयाब रहे। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की जांच करने का निर्देश पटना के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को दिया है। जस्टिस कुमार ने अपने आदेश में कहा कि जब हाईकोर्ट ने रमैया की अग्रिम जमानत खारिज कर दी, उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली, तो उन्हें निचली अदालत से बेल कैसे मिल गई?
2. सवाल : भ्रष्टाचार का केस साबित होने पर भी पटना के एडीजे की बर्खास्तगी क्यों नहीं?
जस्टिस कुमार ने अपने लंबे-चौड़े आदेश में सूबे की निचली अदालतों और हाईकोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया। भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को मिल रहे संरक्षण पर कहा कि अनुशासनात्मक कार्यवाही में जिस न्यायिक अधिकारी के खिलाफ आरोप साबित हो जाता है, उसे मेरी अनुपस्थिति में फुलकोर्ट की मीटिंग में बर्खास्त करने की बजाय मामूली सजा देकर छोड़ दिया जाता है। मैंने विरोध किया तो उसे भी नजरअंदाज कर दिया गया। लगता है कि भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देने की परिपाटी हाईकोर्ट की बनती जा रही है। यही कारण है कि निचली अदालत के न्यायिक अधिकारी रमैया जैसे भ्रष्ट अफसर को जमानत देने की धृष्टता करते हैं।
3. सवाल : सरकारी बंगलों के रखरखाव पर फिजूलखर्ची क्यों
जस्टिस कुमार ने आदेश की प्रति सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम, पीएमओ, कानून मंत्रालय और सीबीआई निदेशक को भी भेजने का निर्देश दिया। उन्होंने जजों के सरकारी बंगले के रखरखाव पर होने वाले खर्च पर भी सवाल खड़े किए। कहा- टैक्स पेयर के करोड़ों रुपए साज-सज्जा पर खर्च किए जा रहे हैं।
4. सवाल : स्टिंग में कोर्टकर्मी घूस लेते पकड़े गए, अब तक केस दर्ज क्यों नहीं?
जस्टिस कुमार ने कहा कि पटना सिविल कोर्ट में हुए स्टिंग ऑपरेशन के दौरान सरेआम घूस मांगते कोर्ट कर्मचारियों को पूरे देश ने देखा। लेकिन ऐसे भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मियों के खिलाफ आजतक एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई, जबकि हाईकोर्ट के ही एक वकील पीआईएल दायर कर पिछले डेढ़ साल से एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगा रहे हैं। जस्टिस कुमार ने स्टिंग ऑपरेशन मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए पूरे प्रकरण की जांच करने का निर्देश सीबीआई को दिया।
चारा घोटाले में सीबीआई के वकील थे जस्टिस कुमार
जस्टिस राकेश कुमार ने 26 साल हाईकोर्ट में वकालत की। बिहार सरकार और केंद्र सरकार के वकील रहे। चारा घोटाले में सीबीआई के वकील थे। 25 दिसम्बर 2009 को हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने। 24अक्टूबर 2011 को स्थायी जज बने। वे 31 दिसंबर 2020 को रिटायर होंगे।