डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) ने पहले भी कई बार WTO पर अमेरिका के साथ अनुचित व्यवहार करने का आरोप लगाया है और उससे हटने की धमकी भी दी है. उन्होंने कहा कि वॉशिंगटन को डब्ल्यूटीओ के नियमों को मानने की जरूरत नहीं है
ट्रंप ने कहा कि, भारत और चीन एशिया की बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं इसलिए अब उन्हें विकासशील नहीं माना जा सकता है
- डोनाल्ड ट्रम्प ने WTO छोड़ने की धमकी दी है
- चीन को लेकर ट्रम्प WTO से नाराज हैं
- ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका को WTO के नियम मानने की जरूरत नहीं है
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) ने कहा है कि अगर स्थितियां नहीं सुधरीं तो अमेरिका विश्व व्यापार संगठन (WTO) से हट जाएगा. ट्रम्प ने पेन्सिलवेनिया के एक ‘शेल केमिकल प्लांट’ में मंगलवार को कर्मचारियों से कहा, ”अगर हमें छोड़ना पड़ा तो हम छोड़ देंगे.”
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा, ”हमें पता है कि कई सालों से वे हमें नुकसान पहुंचा रहे हैं, ये अब और नहीं होगा.” उन्होंने डब्ल्यूटीओ को उसके पिछले कई कदमों का जिक्र करते हुए उस पर निशाना साधा है और अमेरिका को डब्ल्यूटीओ से बाहर निकालने की धमकी दी है. उन्होंने दावा किया कि डब्ल्यूटीओ अमेरिका के प्रति अनुचित व्यवहार कर रहा है और कहा कि डब्ल्यूटीओ वॉशिंगटन की अनदेखी नहीं कर सकता है.
ट्रम्प ने पहले भी कई बार डब्ल्यूटीओ पर अमेरिका के साथ अनुचित व्यवहार करने का आरोप लगाया है और उससे हटने की धमकी भी दी है. उन्होंने कहा कि वॉशिंगटन को डब्ल्यूटीओ के नियमों को मानने की जरूरत नहीं है.
ट्रम्प ने कहा कि संगठन में शामिल किए जाने के वक्त चीन को दी गईं शर्तों को लेकर अमेरिका की शिकायत है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रौद्योगिकी के चीन द्वारा चोरी के बारे में अमेरिका ने शिकायतें दी थीं. लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका के पास वास्तव में वैश्विक व्यापारिक संस्था द्वारा मध्यस्थता से विवादों को जीतने का एक सफल रिकॉर्ड है. ट्रंप का दावा है कि संस्थान के नियमों में सुधार के लिए जब भी कहा गया ट्रंप प्रशासन ने प्रभावी रूप से अपने रुख में नरमी बरती है.
बता दें कि चीन ने सोमवार को कहा था कि अमेरिका का विश्व व्यापार संगठन में चीन का ‘विकासशील राष्ट्र’ का दर्जा उससे वापस लेने की चेतावनी उसके ‘घमंड’ और ‘स्वार्थीपन’ को बताता है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पिछले शुक्रवार को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइथाइजर को भेजे गए एक निर्देश के बाद चीन ने सोमवार को यह प्रतिक्रिया जाहिर की थी.
इस निर्देश में कहा गया है कि व्यापार नियमों की वैश्विक व्यवस्था का संचालन और विवादों का निपटारा करने वाले डब्ल्यूटीओ द्वारा विकसित और विकासशील देशों के बीच किया जाने वाला विभाजन अब पुराना पड़ गया है. इसका परिणाम यह हो रहा है कि डब्ल्यूटीओ के कुछ सदस्य बेजा फायदा उठा रहे हैं.
माना जा रहा है कि यह निर्देश चीन को ध्यान में रखकर दिया गया है. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ट्रंप प्रशासन की यह मांग उसके ‘घमंड’ और ‘स्वार्थीपन’ को बताती है. उन्होंने कहा कि एक या कुछ देशों को यह फैसला करने का अधिकार नहीं होना चाहिए कि किसी देश को विकासशील देशों की श्रेणी में रखना है और किसे नहीं.
गौरतलब है कि डब्ल्यूटीओ में विकासशील देश का दर्जा मिलने से विश्व व्यापार संगठन संबंधित सरकारों को मुक्त व्यापार प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए लंबी समय-सीमा प्रदान करता है और साथ ही ऐसे देशों को अपने कुछ घरेलू उद्योगों का संरक्षण करने और राजकीय सहायता जारी रखने की अनुमति होती है.