चैत्र नवरात्र मेले में आज श्री माता मनसा देवी मंदिर पंचकूला में अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण ने महामाई के दर्शन किये और हवन यज्ञ में आहुतियां डाली। उनके साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ज्योति शरण, उपायुक्त डाॅ0 बलकार सिंह, मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस0पी0 अरोड़ा व अन्य अधिकारियों ने भी पूजा अर्चना की।
आनंद मोहन शरण ने कहा कि इस तरह के आयोजन जहां भारतीय संस्कृति की पहचान है वहीं ऐसे आयोजनों से व्यक्ति को सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी मिलती है। उन्होंने कहा कि श्रीमाता मनसा देवी मंदिर हरियाणा में ही नहीं बल्कि उतरी भारत के अन्य राज्यों के लोगों के लिये आस्था का केंद्र है जहां प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु महामाईं का आशीर्वाद ग्रहण करते है।
उपायुक्त एवं श्रीमाता मनसा देवी श्राईंन बोर्ड के चेयरमैन डाॅ0 बलकार सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये सभी आवश्यक प्रबंध किये गये हैं उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं के लिये स्वच्छ पेयजल, चिकित्सा सुविधा, शौचालय के साथ साथ बेहतर परिवहन के लिये हरियाणा राज्य परिवहन विभाग व सीटीयू के माध्यम से अतिरिक्त बस सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है।
चैत्र नवरात्र के उपलक्ष्य में 10 अप्रैल को श्री माता मनसा देवी पंचकूला और काली माता मंदिर कालका में 1660248 रुपये का नकद चढ़ावा दान के रूप में प्राप्त हुआ है। इसके अलावा चांदी के 140 और सोने के 3 नग, यू0एस0ए0 का एक और आस्ट्रेलिया के 170 डाॅलर भी चढ़ावे के रूप में प्राप्त हुए है। श्री माता मनसा देवी श्राईंन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस0पी0 अरोड़ा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि श्री माता मनसा देवी मंदिर में इस दिन 1350367 रुपये की नकद दान राशि, सोने के दो और चांदी के 114 नग चढ़ावे के रूप में प्राप्त हुए। इसी प्रकार काली माता मंदिर कालका में 309881 रुपये की नकद दान राशि, सोने का एक और चांदी के 26 नग चढ़ावे के रूप में प्राप्त हुए है। उन्होंने बताया कि 6 अप्रैल से 10 अप्रैल तक चढ़ावे के रूप में 9266644 रुपये की नकद राशि, सोने के 41 नग तथा चांदी के 727 नग दान के रूप में प्राप्त हुए है। इसके अलावा यू0एस0ए0 के 104 डाॅलर, कनाडा के 130 डाॅलर, आस्ट्रेलिया के 186 डाॅलर तथा इंग्लेंड के 10 पाॅड भी दान के रूप में प्राप्त हुए है। उन्होंने बताया कि चैत्र नवरात्र का यह मेला 14 अप्रैल तक जारी रहेगा।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/04/3-1.jpeg7741032Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-04-11 11:04:442019-04-11 11:04:47चैत्र नवरात्र के छटे दिन होगी माता कात्यायनी की पूजा
Prof.
Raj Kumar, Vice Chancellor, Panjab University, Chandigarh released PU News Letter covering the details
of various activities of PU Affiliated Colleges & Regional Centre for the
period January-March, 2019, here today in the presence of Prof. Karamjeet
Singh, Registrar, Prof. Sanjay Kaushik, Dean College Development Council and
Ms. Renuka B. Salwan, Director, Public Relations & Editor-PU News, Panjab
University, Chandigarh.
PU VC lauded the efforts of the DPR
office and motivated to take out monthly issues in future.
PU News Letter has been edited and
published by Ms. Renuka B. Salwan, DPR, PU.
She said that with the efforts of DPR office and assistance of Mr.
Vikash Kinha, Photographer, we were able to take out the issue after a long
time. We will make all concerted efforts to publish the same monthly which will
showcase the important activities of various colleges.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/04/Press-note-1-photo-5.jpg11902096Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-04-11 10:52:032019-04-11 10:52:06PU VC lauded and motivated DPR for taking out monthly issue of PU News Letter
कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन दौर – ए -जहां हमारा
चुनावी माहौल के चलते कई कई नेयता अपनी जाती, गोत्र, समुदाय इत्यादि ई ढाल पहन कर निकालने लगते हैं उस दौरान कोई भी भारतीय नहीं रहता। अभी कुछ समय पहले फिरोज शाह के पौत्र राहुल गनही ने भी अपना गोत्र दत्तात्रेय बताया था जो कुछ राजनैतिक पंगुओं ने स्वीकार कर लिया था। जिन लोगों ने राहुल गांधी के गोत्र को स्वीकार किया वह सभी भारत के महिमवान मंदिरों के पुजारी हैं यहाँ तक की शायद शंकराचार्य ने भी कहीं कोई आपत्ति जताई हो। राजनैतिक मजबूरी कहें या फिर मलाई खाने की अभिलाषा या फिर तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले दलों से राजदंड का भय। इसी कड़ी में जब पूरी के जगन्नाथ मंदिर की बात चली तो सामने आया की सान 1984 में तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमतींदिरा गांधी को मंदिर में प्रवेश ई अनुमति नहीं मिली थी। जान कर बहुत आश्चर्य हुआ की जगन्नाथ पुरी में ऐसा क्या है की आज तक सूप्रीम कोर्ट भी वहाँ समानता के अधिकार को लागू नहीं करवा पाया। शायद आज तक इस संदर्भ में राम जन्मभूमि वाले विरोधी पक्षकार के वकील का संग्यान इस ओर नहीं गया। नहीं तो सनातन धर्म की परम्पराओं पर कब का कुठराघात हो जाता।
पुरीः . भारत के चार धामों में से एक है- ओडिशा के पुरी का जगन्नाथ मंदिर. हर हिंदू जीवन में एक बार जगन्नाथ मंदिर के दर्शन ज़रूर करना चाहता है. इस मंदिर के दर्शन करने के लिए लोग पूरी दुनिया से आते हैं. ये मंदिर समुद्र के तट पर मौजूद है. कहते हैं कि समुद्र की लहरों की आवाज़ें इस मंदिर के अंदर शांत हो जाती हैं.
इस मंदिर
की वास्तुकला और इंजीनियरिंग की प्रशंसा दुनिया भर में की जाती है. ये मंदिर भारत
की धरोहर है लेकिन इस मंदिर में प्रवेश के लिए किसी व्यक्ति का हिंदू होना
अनिवार्य माना जाता है. वर्ष 1984 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी इस
मंदिर में प्रवेश नहीं मिल सका था.
जगन्नाथ मंदिर के सेवायत और इतिहासकारों का मानना है कि इस मंदिर में सिर्फ सनातनी हिंदू ही प्रवेश कर सकते है. गैर हिंदुओं के लिए यहां प्रवेश निषेध है.
मंदिर में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर कब लगी रोक इतिहासकार पंडित सूर्यनारायण रथशर्मा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इंदिरा गांधी को 1984 में जगन्नाथ मंदिर में दर्शन इसलिए नहीं करने दिया गया था क्योंकि इंदिरा ने फ़िरोज़ जहांगीर गांधी से शादी की थी, जो कि एक पारसी थे. रथशर्मा ने बताया कि शादी के बाद लड़की का गोत्र पति के गोत्र में बदल जाता है. पारसी लोगों का कोई गोत्र नहीं होता है. इसलिए इंदिरा गांधी हिंदू नहीं रहीं थी. यही नहीं पंडित सूर्यनारायण ने यह भी बताया कि हज़ारों वर्ष पहले जगन्नाथ मंदिर पर कई बार आक्रामण हुआ और ये सभी हमले एक धर्म विशेष के शासकों ने किए, जिस वजह से अपने धर्म को सुरक्षित रखने के लिए जगन्नाथ मंदिर में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाई गई.
राहुल और प्रियंका गांधी को भी नहीं देंगे प्रवेश जगन्नाथ मंदिर के वरिष्ठ सेवायत रजत प्रतिहारी का कहना है कि वो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी मंदिर में प्रवेश नहीं देंगे क्योंकि वो उन्हें हिंदू नहीं मानते हैं. जगन्नाथ मंदिर के सेवायतों और जगन्नाथ चैतन्य संसद से जुड़े लोगों ने बताया कि राहुल गांधी का गोत्र फ़िरोज़ गांधी से माना जाएगा ना कि नेहरू से. रजत प्रतिहारी ने कहा कि राहुल गांधी भले अपने आप को जनेऊधारी दत्तात्रेय गोत्र का कौल ब्राह्मण बताएं लेकिन सच्चाई ये है कि वो फ़िरोज़ जहांगीर गांधी के पौत्र हैं और फ़िरोज़ जहांगीर गांधी हिंदू नहीं थे.
एक अन्य वरिष्ठ सेवायत मुक्तिनाथ प्रतिहारी ने कहा कि अगर
राहुल प्रियंका को दर्शन करने ही हैं तो वो साल में एक बार निकलने वाले जगन्नाथ
यात्रा में मंदिर के बाहर शामिल हो सकते हैं लेकिन मेन मंदिर में प्रवेश नहीं करने
दिया जाएगा.
केवल इन धर्मों के लोगों को है प्रवेश की अनुमति
ओडिशा, जगन्नाथ पुरी के लिए पूरी दुनिया
में प्रसिद्ध है. विशेष तौर पर भारत का हर हिंदू ये चाहता है कि जीवन में कम से कम
एक बार उसे भगवान जगन्नाथ के दर्शन का सौभाग्य जरूर मिले. लेकिन इस मंदिर में
प्रवेश की इजाज़त सिर्फ और सिर्फ सनातन हिंदुओं को हैं. मंदिर प्रशासन, सिर्फ हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों को ही
भगवान जगन्नाथ के मंदिर में प्रवेश की इजाज़त देता है. इसके अलावा दूसरे धर्म के
लोगों के मंदिर में प्रवेश पर सदियों पुराना प्रतिबंध लगा हुआ है.
भारत का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति, भारत का प्रधानमंत्री
भी अगर हिंदू नहीं है तो वो इस मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता है. वर्ष 1984 में प्रधानमंत्री
इंदिरा गांधी जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करना चाहती थी लेकिन उनको इजाज़त नहीं
मिली. जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों और सेवायतों के मुताबिक इंदिरा गांधी हिंदू नहीं
बल्कि पारसी हैं इसलिए उन्हें मंदिर में प्रवेश की इजाज़त नहीं दी गई.
इंदिरा को गांधी सरनेम कैसे मिला आपको याद होगा कि इसी वर्ष जनवरी के महीने में Zee News ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से एक ऐतिहासिक Ground Report की थी. Zee News ने पहली बार पूरे देश को प्रयागराज के एक पारसी कब्रिस्तान में मौजूद फिरोज जहांगीर गांधी के कब्र की तस्वीरें दिखाई थीं. हमने ये रिपोर्ट इसलिए की थी क्योंकि इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, को गांधी Surname पंडित जवाहर लाल नेहरू से नहीं बल्कि फिरोज़ गांधी से मिला. लेकिन इसके बाद भी फिरोज़ गांधी को कांग्रेस पार्टी की तरफ से वो सम्मान नहीं दिया गया जो इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को मिला था और आज राहुल और प्रियंका गांधी को मिल रहा है.
प्रयागराज
में गांधी परिवार के पारसी कनेक्शन की दूसरी कड़ी प्रयागराज से एक हजार किलोमीटर
दूर जगन्नाथ पुरी से जुड़ी है. अब गांधी परिवार का कोई भी सदस्य, जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश की हिम्मत
नहीं जुटा पाता है. कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी नरम हिंदुत्व
की राजनीति को ऊर्जा देने के लिए केदारनाथ के दर्शन किए और कैलाश मानसरोवर की
यात्रा की. हर चुनाव में वो मंदिरों के दौरे करते हैं लेकिन उन्होंने कभी जगन्नाथ
मंदिर में दर्शन की योजना नहीं बनाई. जगन्नाथ मंदिर के सेवायतों का कहना है कि वो
इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की तरह राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को पारसी मानते
हैं. इसलिए उनको मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा सकता है.
मंदिर के सेवायतों का ये मानना है कि जगन्नाथ मंदिर को लूटने और मूर्तियों को अ-पवित्र करने के लिए हुए हमलों की वजह से मंदिर में गैर हिंदुओं को प्रवेश दिए जाने की इजाजत नहीं है. मंदिर से जुड़े इतिहास का अध्ययन करने वालों का दावा है कि हमलों की वजह से 144 वर्षों तक भगवान जगन्नाथ को मंदिर से दूर रहना पड़ा. इस मंदिर के संघर्ष की कहानी भारत के महान पूर्वजों की त्याग तपस्या और बलिदान की भी कहानी है.
जगन्नाथ मंदिर को 20 बार विदेशी हमलावरों ने लूटा
जगन्नाथ
मंदिर के गेट पर ही एक शिलापट्ट में 5 भाषाओं में लिखा हुआ है कि यहां
सिर्फ हिंदुओं को ही प्रवेश की इजाज़त है. इसकी वजह समझने के लिए हमने मंदिर
प्रशासन से जुड़े लोगों से बात की. मंदिर के सेवायतों की तरफ से हमें ये बताया गया
कि जगन्नाथ मंदिर को 20 बार विदेशी
हमलावरों के द्वारा लूटा गया. खास तौर पर मुस्लिम सुल्तानों और बादशाहों ने
जगन्नाथ मंदिर की मूर्तियों को नष्ट करने के लिए ओडिशा पर बार-बार हमले किया.
लेकिन ये हमलावर जगन्नाथ मंदिर की तीन प्रमुख मूर्तियों, भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की मूर्तियों
को नष्ट नहीं कर सके, क्योंकि
मंदिर के पुजारियों ने बार-बार मूर्तियों को छुपा दिया. एक बार मूर्तियों को गुप्त
रूप से ओडिशा राज्य के बाहर हैदराबाद में भी छुपाया गया था.
जगन्नाथ मंदिर को भी हमला कर 17 से ज्यादा बाद नष्ट करने की कोशिश
की गई
हमलावरों
की वजह से भगवान को अपना मंदिर छोड़ना पड़े, इस बात पर आज के भारत में कोई
विश्वास नहीं करेगा. आज भारत में एक संविधान है और सभी को अपनी-अपनी पूजा और
उपासना का अधिकार प्राप्त है. लेकिन पिछले एक हजार वर्षों में मुस्लिम बादशाहों और
सुल्तानों के राज में हिंदुओं के हजारों मंदिरों को तोड़ा गया. अयोध्या में राम
जन्म भूमि, काशी
विश्वनाथ और मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि का विवाद भी इसी इतिहास से जुड़ा है. इन
हमलावरों ने भारत के पश्चिमी समुद्र तट पर मौजूद सोमनाथ के मंदिर को 17 बार तोड़ा था. सोमनाथ के संघर्ष
का इतिहास ज्यादातर लोगों को पता है लेकिन जगन्नाथ मंदिर को भी हमला कर 17 से ज्यादा बाद नष्ट करने की कोशिश
की गई, इस इतिहास
की जानकारी बहुत ही कम लोगों को हैं.
ओडिशा सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर मंदिर पर हुए हमलों और मूर्तियों को नष्ट करने की कोशिश का पूरा इतिहास दिया गया है. वेबसाइट में मौजूद एक लेख में बताया गया है कि मंदिर और मूर्तियों को नष्ट करने के लिए 17 बार हमला किया गया.
पहला हमला वर्ष 1340 में बंगाल के सुल्तान इलियास शाह
ने किया
जगन्नाथ
मंदिर को नष्ट करने के लिए पहला हमला वर्ष 1340 में बंगाल के सुल्तान इलियास शाह
ने किया था, उस वक्त
ओडिशा, उत्कल
प्रदेश के नाम से प्रसिद्ध था. उत्कल साम्राज्य के नरेश नरसिंह देव तृतीय ने
सुल्तान इलियास शाह से युद्ध किया. बंगाल के सुल्तान इलियास शाह के सैनिकों ने
मंदिर परिसर में बहुत खून बहाया और निर्दोष लोगों को मारा. लेकिन राजा नरसिंह देव, जगन्नाथ की मूर्तियों को बचाने
में सफल रहे, क्योंकि
उनके आदेश पर मूर्तियों को छुपा दिया गया था.
दूसरा हमला
वर्ष 1360 में दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह
तुगलक ने जगन्नाथ मंदिर पर दूसरा हमला किया.
तीसरा हमला
मंदिर पर
तीसरा हमला वर्ष 1509 में बंगाल के सुल्तान अलाउद्दीन हुसैन शाह के कमांडर इस्माइल गाजी ने
किया. उस वक्त ओडिशा पर सूर्यवंशी प्रताप रुद्रदेव का राज था. हमले की खबर मिलते
ही पुजारियों ने मूर्तियों को मंदिर से दूर, बंगाल की खाड़ी में मौजूद चिल्का
लेक नामक द्वीप में छुपा दिया था. प्रताप रुद्रदेव ने बंगाल के सुल्तान की सेनाओं
को हुगली में हरा दिया और भागने पर मजबूर कर दिया.
चौथा हमला
वर्ष 1568 में जगन्नाथ मंदिर पर सबसे बड़ा
हमला किया गया. ये हमला काला पहाड़ नाम के एक अफगान हमलावर ने किया था. हमले से
पहली ही एक बार फिर मूर्तियों को चिल्का लेक नामक द्वीप में छुपा दिया गया था.
लेकिन फिर भी हमलावरों ने मंदिर की कुछ मूर्तियों को जलाकर नष्ट कर दिया था. इस
हमले में जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला को काफी नुकसान पहुंचा. ये साल ओडिशा के
इतिहास में निर्णायक रहा. इस साल के युद्ध के बाद ओडिशा सीधे इस्लामिक शासन के तहत
आ गया.
पांचवा हमला
इसके बाद
वर्ष 1592 में जगन्नाथ मंदिर पर पांचवा हमला हुआ. ये हमला ओडिशा के सुल्तान ईशा
के बेटे उस्मान और कुथू खान के बेटे सुलेमान ने किया. लोगों को बेरहमी से मारा गया, मूर्तियों को अपवित्र किया गया और
मंदिर की संपदा को लूट लिया गया.
छठा हमला
वर्ष 1601 में बंगाल के नवाब इस्लाम खान के
कमांडर मिर्जा खुर्रम ने जगन्नाथ पर छठवां हमला किया. मंदिर के पुजारियों ने
मूर्तियों को भार्गवी नदी के रास्ते नाव के द्वारा पुरी के पास एक गांव कपिलेश्वर
में छुपा दिया. मूर्तियों को बचाने के लिए उसे दूसरी जगहों पर भी शिफ्ट किया गया.
सातवां हमला
जगन्नाथ
मंदिर पर सातवां हमला ओडिशा के सूबेदार हाशिम खान ने किया लेकिन हमले से पहले
मूर्तियों को खुर्दा के गोपाल मंदिर में छुपा दिया गया. ये जगह मंदिर से करीब 50 किलोमीटर दूर है. इस हमले में भी
मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा. वर्ष 1608 में जगन्नाथ मंदिर में दोबारा
मूर्तियों को वापस लाया गया.
आठवां हमला
मंदिर पर
आठवां हमला हाशिम खान की सेना में काम करने वाले एक हिंदू जागिरदार ने किया. उस
वक्त मंदिर में मूर्तियां मौजूद नहीं थी. मंदिर का धन लूट लिया गया और उसे एक किले
में बदल दिया गया.
नौंवा हमला
मंदिर पर
नौवां हमला वर्ष 1611 में मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल राजा टोडरमल के बेटे
राजा कल्याण मल ने किया था. इस बार भी पुजारियों ने मूर्तियों को बंगाल की खाड़ी
में मौजूद एक द्वीप में छुपा दिया था. मंदिर पर
दसवां हमला
10वां हमला
भी कल्याण मल ने किया था, इस हमले
में मंदिर को बुरी तरह लूटा गया था.
11वां हमला
मंदिर पर 11वां हमला वर्ष 1617 में दिल्ली के बादशाह जहांगीर के
सेनापति मुकर्रम खान ने किया. उस वक्त मंदिर की मूर्तियों को गोबापदार नामक जगह पर
छुपा दिया गया था
12वां हमला
मंदिर पर 12वां हमला वर्ष 1621 में ओडिशा के मुगल गवर्नर मिर्जा
अहमद बेग ने किया. मुगल बादशाह शाहजहां ने एक बार ओडिशा का दौरा किया था तब भी
पुजारियों ने मूर्तियों को छुपा दिया था.
13वां हमला
वर्ष 1641 में मंदिर पर 13वां हमला किया गया. ये हमला ओडिशा
के मुगल गवर्नर मिर्जा मक्की ने किया.
14वां हमला
मंदिर पर 14वां हमला भी मिर्जा मक्की ने ही
किया था.
15वां हमला
मंदिर पर 15वां हमला अमीर फतेह खान ने किया.
उसने मंदिर के रत्नभंडार में मौजूद हीरे, मोती और सोने को लूट लिया.
16वां हमला
मंदिर पर 16वां हमला मुगलत बादशाह औरंगजेब के
आदेश पर वर्ष 1692 में हुआ. औरंगजेब ने मंदिर को पूरी तरह ध्वस्त करने का आदेश दिया था, तब ओडिशा का नवाब इकराम खान था, जो मुगलों के अधीन था. इकराम खान
ने जगन्नाथ मंदिर पर हमला कर भगवान का सोने के मुकुट लूट लिया. उस वक्त जगन्नाथ
मंदिर की मुर्तियों को श्रीमंदिर नामक एक जगह के बिमला मंदिर में छुपाया गया था.
17वां हमला
मंदिर पर 17वां और आखिरी हमला, वर्ष 1699 में मुहम्मद तकी खान ने किया था.
तकी खान, वर्ष 1727 से 1734 के बीच ओडिशा का नायब सूबेदार था.
इस बार भी मूर्तियों को छुपाया गया और लगातार दूसरी जगहों पर शिफ्ट किया गया. कुछ
समय के लिए मूर्तियों को हैदराबाद में भी रखा गया.
दिल्ली में
मुगल साम्राज्य के कमजोर होने और मराठों की ताकत बढ़ने के बाद जगन्नाथ मंदिर पर
आया संकट टला और धीरे धीरे जगन्नाथ मंदिर का वैभव वापस लौटा. जगन्नाथ मंदिर के
मूर्तियों के बार बार बच जाने की वजह से हमलावर कभी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं
हो पाए. पुरी के स्थानीय लोग लगातार इस मंदिर को बचाने के लिए संघर्ष करते रहे.
ओडिशा के लोग मंदिर के सुरक्षित रहने को भगवान जगन्नाथ का एक चमत्कार मानते हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/04/puri-1.jpg535936Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-04-10 19:01:172019-04-10 19:02:51जगन्नाथ पुरी में इन्दिरा गांधी का प्रवेश भी वर्जित था
एक ही दिन में कांग्रेस को गुजरात से दूसरा झटका लगा है। आज पहले तो अलपेश ठकोर ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया तट पश्चात ठकोर समुदाय के ही 2 विधायकों ने कांग्रेस का हाथ झटक दिया, पिछले 3 माह में कांग्रेस का हाथ झटकने वाले विधायकों कि संख्या अब 8 हो गयी है। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि यह तीनों भी भाजपा का कमल थामेंगे।
अहमदाबाद: लोकसभा चुनाव 2019 से पहले कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका गुजरात से लगा है. पार्टी के विधायक लगातार उसका साथ छोड़ रहे हैं. इसी कड़ी में अल्पेश ठाकोर ने भी इस्तीफा दे दिया है. अल्पेश ठाकोर के साथ ठाकोर समुदाय के दो अन्य विधायकों ने भी कांग्रेस से नाता तोड़ लिया है. ये विधायक हैं: धवल सिंह ठाकोर और विधायक भरत जी ठाकोर. तीनों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है.
पिछले
महीने इन्हीं तीनों विधायकों ने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से भेंटकर हलचल बढ़ा दी
थी. हालांकि अल्पेश ने इसे केवल औपचारिक भेंट बताया था. बाद में वह कांग्रेस
अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मिले थी और सब कुछ ठीक होने का दावा किया था. तीनों के बीजेपी
में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं.
पाटन लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना थे अल्पेश
अल्पेश
ठाकोर पाटन लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. पार्टी ने उनकी बात नहीं मानी.
कांग्रेस ने उनके बजाय पूर्व सांसद जगदीश ठाकोर को टिकट दे दिया. इसी बीच, एक अन्य घटनाक्रम में असंतोष को
और बढ़ाया. साबरकांठा लोकसभा सीट से ठाकोर सेना ने संगठन के एक सदस्य को टिकट देने की मांग
की, कांग्रेस की लेकिन उसे भी
नजरअंदाज कर दिया. इसके बाद ठाकोर सेना ने कांग्रेस से ही किनारा करने का मन बना
लिया.
पिछले 24 घंटे में बदले हालात
गुजरात
क्षत्रीय ठाकोर सेना ने अल्पेश को कांग्रेस से इस्तीफा देने और 24 घंटे के भीतर अपना रूख स्पष्ट
करने को कहा था. ठाकोर सेना की कोर कमेटी की बैठक मंगलवार को हुई जिसमें यह निर्णय
लिया गया था. ठाकोर सेना ने साफ अल्टीमेटम देते हुए अगर वह हमारे साथ रहना चाहते
हैं तो उन्हें पार्टी और विधायक पद से इस्तीफा देना होगा. गुजरात में एक प्रमुख
ओबीसी नेता के रूप में उभरने के बाद वह 2017 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस
में शामिल हुये और पाटन जिले में राधानपुर सीट से चुनाव जीते थे. ओबीसी नेता ने
दावा किया उनका समुदाय और समर्थक ‘ठगा’ हुआ और ‘उपेक्षित’ महसूस कर रहे हैं.
पिछले तीन माह में 8 विधायकों ने छोड़ी पार्टी
गुजरात में
पिछले तीन माह में 8 विधायक
कांग्रेस का दामन छोड़ चुके हैं. फरवरी में उंझा से पहली बार विधायक बनीं आशा पटेल
ने सदन और कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा देकर सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो गई
थीं. वरिष्ठ नेता जवाहर चावड़ा गुजरात विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी
में शामिल हो गए थे. जामनगर (ग्रामीण) से विधायक वल्लभ धारविया, ध्रांगध्रा-हलवद सीट से विधायक
पुरुषोत्तम साबरिया भी कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/04/367816-alpesh-thakor-pc.jpg545970Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-04-10 17:41:452019-04-10 17:42:40गुजरात में लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस को दोहरा झटका
दिल के छालों को कोई शायरी कहे तो परवाह नहीं तकलीफ तो तब होती है जब लोग वाह वाह करते हैं ऐसा ही कुछ आज ब्रिटेन की संसद में हुआ जब ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने अमृतसर के जलियांवाला नरसंहार कांड की 100वीं बरसी के मौके पर इस कांड को ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर ‘शर्मसार करने वाला धब्बा’ करार दिया. टेरेसा मे को खेद है मगर माफी लायक नहीं। भारत बहुत से ऐसे नरसनहारों को सिने में दफन क्यी आगे बढ़ रहा है। हम अपने अतीत के काले पन्नों को भूले नहीं हैं परंतु जब कोई इस पर हाय तौबा मचाता है तब तकलीफ दोगुनी हो जाती है।
लंदन: ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने अमृतसर के जलियांवाला नरसंहार कांड की 100वीं बरसी के मौके पर बुधवार को इस कांड को ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर ‘शर्मसार करने वाला धब्बा’ करार दिया लेकिन उन्होंने इस मामले में औपचारिक माफी नहीं मांगी. ब्रिटेन की पीएम ने कहा कि जो कुछ भी हुआ उसका हमें बहुत दुख है.
हाउस ऑफ कॉमन्स में प्रधानमंत्री के साप्ताहिक प्रश्नोत्तर की शुरूआत में उन्होंने औपचारिक माफी तो नहीं मांगी जिसकी पिछली कुछ बहसों में संसद का एक वर्ग मांग करता आ रहा है. उन्होंने इस घटना पर ‘खेद’ जताया जो ब्रिटिश सरकार पहले ही जता चुकी है.
क्या कहा ब्रिटेन की पीएम ने? उन्होंने एक बयान में कहा, ‘1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार की घटना ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर शर्मसार करने वाला धब्बा है. जैसा कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1997 में जलियांवाला बाग जाने से पहले कहा था कि यह भारत के साथ हमारे अतीत के इतिहास का दुखद उदाहरण है.’
ब्रिटेन की पीएम ने कहा कि जो कुछ भी हुआ उसका हमें बहुत दुख है. मुझे खुशी है कि आज ब्रिटेन-भारत के रिश्ते सहयोग, साझेदारी के हैं. भारतीय प्रवासियों ब्रिटिश समाज में महान योगदान दिया है. मुझे उम्मीद है कि यह सदन यही चाहता है कि भारत के साथ ब्रिटेन के रिश्ते मजबूत रहें.
1919 में बैसाखी के दिन हुआ था
जलियांवाला बाग नरसंहार
जलियांवाला
बाग नरसंहार अमृतसर में 1919 में अप्रैल माह में बैसाखी के दिन हुआ था. ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में बैसाखी की
सभा में जनरल डायर ने बिना किसी चेतावनी के गोलीबारी शुरू कर दी और 10 मिनट तक गोलीबारी चलती रही. लोग
बचकर भागने की कोशिश कर रहे थे. उसने अपने सिपाहियों के साथ और बख्तरबंद गाड़ियों
से बाहर निकलने के रास्ते को बंद कर दिया था. इस गोलीबारी में सैकड़ों लोग मारे गए
थे.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/04/367830-328140-bridfd.jpg545970Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-04-10 17:32:062019-04-10 17:32:08टेरेसा मे ने जल्लेयांवाला नरसंहार पर अफसोस जताया
श्रीमाता मनसा देवी मंदिर में प्रतिदिन आने वाले हजारो श्रद्धालुओं के लिये जहां मेला प्रशासन द्वारा बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है वहीं प्रतिदिन भजन संध्या भी आयोजित की जा रही है। सायं 6.30 बजे से लेकर 9 बजे तक आयोजित होने वाली भजन संध्या में हर दिन अलग अलग भजन गायक अपनी प्रस्तुतियां देते है।
9 अप्रैल को आयोजित भजन संध्या में विख्यात हरियाणवी गायक व भजन गायक ईश्वर शर्मा ने हरियाणवी भजनों से महामाई का गुणगान किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भजन संध्या में भजनांें का आनंद लिया। मेला प्रशासन की ओर से भजन गायकों को सम्मानित भी किया गया।
श्रीमाता मनसा देवी श्राईंन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस0पी0 अरोड़ा ने बताया कि भजन संध्या की इस कड़ी में 10 अप्रैल को कला चेतना मंच के कलाकार डाॅ0 कमलेश इंद्र सिंह शर्मा और मुकेश कुमार मोदगिल, 11 अप्रैल को विख्यात भजन गायक अमनदीप पाठक, 12 अप्रैल को भजन गायिका श्रीमती रंजू प्रसाद तथा 13 अप्रैल को कला एवं सांस्कृतिक विभाग की ओर से शमिंद्र शमी एंड पार्टी के कलाकारों द्वारा महामाई का गुणगान किया जायेगा।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/04/6.jpeg7741032Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-04-10 17:10:042019-04-10 17:11:12भजन संध्या में ईश्वर शर्मा ने हरियाणवी भजनों में श्रद्धालुओं को किया मंत्रमुग्ध
श्रीमाता मनसा देवी चैत्र नवरात्र मेले के पांचवे दिन आज हरियाणा के पुलिस महानिदेशक मनोज यादव ने मंदिर में पूजा अर्चना की और हवन में आहुति डाली। उन्होंने कहा कि श्रीमाता मनसा देवी मंदिर में वर्ष में दो बार आयोजित होने वाले नवरात्र मेलों में विभिन्न राज्यों के लाखों श्रद्धालु महामाई का आशीर्वाद ग्रहण करते है। उन्होंने इस वर्ष नवरात्र मेले में श्रीमाता मनसा देवी श्राईंन बोर्ड श्रद्धालुओं के लिये मंदिर में आने जाने के लिये की गई बेहत्तर व्यवस्था की सराहना की और कहा कि तीन लाईने बनाने से भक्तों को दर्शन के लिये अधिक समय तक इंतजार नहीं करना पड़ता और व्यवस्था को बेहतर बनाने में सहयोग मिला है। उन्होंने मंदिर परिसर में स्थित हनुमान मंदिर में भी दर्शन किये। मंदिर में श्रद्धालुओं के लिये उपलब्ध सुविधाओं पर चर्चा की।
श्रीमाता मनसा देवी श्राईंन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस0पी0 अरोड़ा ने इस मौके पर बताया कि श्रद्धालुओं के लिये सभी आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि 9 अप्रैल को श्रीमाता मनसा देवी पंचकूला और काली माता मंदिर कालका में 1797127 रुपये का नकद चढ़ावा दान के रूप में प्राप्त हुआ है। इसके अलावा चांदी के 152 नग तथा सोने के 9 नग दान के रूप में प्राप्त हुए है। उन्होंने बताया कि चढ़ावे के रूप में विदेश मुद्रा भी प्राप्त हुई है, जिसमें कनाड़ा के 70 डाॅलर और आस्ट्रेलिया के 11 डाॅलर शामिल है। उन्होंने बताया कि श्रीमाता मनसा देवी मंदिर में 1476605 रुपये की नकद राशि, सोने के 8 नग और चांदी के 8 नग दान के रूप में प्राप्त हुए है। इसी प्रकार काली माता मंदिर कालका में 320522 रुपये की नकद राशि, चांदी के 41 नग और सोने का एक नग दान के रूप में प्राप्त हुए है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/04/3.jpeg7741032Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-04-10 17:07:302019-04-10 17:07:33पुलिस महानिदेशक मनोज यादव ने मंदिर में पूजा अर्चना की
चंड़ीगढ़,(कमल कलसी) लोकसभा चुनाव 2019 में यहा सियासती हलचल पूरे देश में तेजी से चल रही है वही इसी सियासत के खेल में पंजाब पुलिस के DSP करणशेर सिंह ढिल्लों को शिरोमणि अकाली दल बादल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के पैर छूकर चुनाव के दिनों अपना तबादला करवा कर चुनावी दंगल का भागीदार बनना पडा।
चुनाव आयोग की सख्त कार्यवाही से उनको बठिंडा के डीएसपी सिटी टू से हटाकर जालंधर पीएपी में भेजा दिया गया है।
यह सारा मामला सुखबीर बादल के एक समागम में पहुंचने पर हुआ था यहां डीएसपी ने उनके पैर छूए और इनकी तस्वीर कैमरे में कैद होकर मीडिया में वायरल हो गयी जिस पर चुनाव आयोग ने एक्शन लेते हुए उनका तबादला किया।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/04/8d941f2f-fe40-4076-9650-7d5f2b0d99a5.jpg233351Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-04-10 16:56:142019-04-10 16:57:43DSP करणशेर सिंह ढिल्लों सियासत की वेदी चढ़े
The Indus Valley Cricket Academy, Derabassi beat Green Valley Cricket Academy,Kharar by Huge margin of 101 Runs & Wins the title of First Late Amar Singh Dhanday Memorial Inter Academy Boys Under-15 League Cricket Tournament played here today at IVCA Cricket Griund,Derabassi . Yashvardhan of IVCA was declared best batsman , Naman of Green Valley Cricket Academy, Derabassi was declared best Bowler, Paras of IVCA Cricket Academy, Derabassi was dclared Best All Rounder, Anubhav Kaushik of IVCA Cricket Academy, Derabassi was declred Best Player/Man of the Series of the Tournament.
In the Final match IVCA Cricket Academy, Derabassi won the toss & elected to bat first their openers Yashvardhan played brilliantly 87 runs in 85balls & Paras played Sensible innings of 47 runs in 42 balls . after that IVCA batsman Anubhav Kaushik played quick fire century 117 runs in just 84 balls including (18 fours) & Abhinav played brilliantly knock of 45 runs in just 31 balls helped IVCA Cricket Academy, Derabassi scored huge total of 315 runs in the loss of 3 wickets in allotted 40 overs. Chasing the target huge total of 315 runs Green Valley Cricket Academy, Kharar batsman Tanmay played Sensible of 60 runs, Sahil made 43 runs & Arun made 35 runs After that Green Valley Cricket Academy, Kharar bats man could not face the accurate Spin bowling attack by IVCA bowlers Bikram & Paras claimed 2 wickets each. Vishal Moudgil, Harsh & Anubhav claimed 1 wickets each. Green Valley Cricket Academy, Kharar team scored 214 for 8 in allotted 40 overs.
Brief Scores== IVCA Cricket Academy,Derabassi == 315 for 3 in 40 overs ( Anubhav Kaushik 117, Yashvardhan 87, Paras 47, Abhinav 45, Rishid 1 for 25, Arun 1 for 37, Karan 1 for 36 )
Green Valley Cricket Academy,Kharar= 214 for 8 in 40 overs ( Tanmay 60,Sahil 43, Arun 35, Bikram 2 for 14, Paras 2 for 19, Vishal Moudgil 1 for 29, Harsh 1 for 27, Anubhav 1 for 28,)
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/04/c9726946-704e-48d1-abb4-befc692f8df8.jpg478719Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-04-10 16:53:212019-04-10 16:53:23Indus Valley beats Green Valley by 101 runs
भारत और पाकिस्तान के तल्ख होते रिश्तों को कम करने के लिए वक्त वक्त पर शायर कलाकार लेखक और आम जन भी कुछ न कुछ करते रहते हैं कभी उनकी नेक कोशिशें कुछ रंग लातीं हैं तो कभी उम्मीद ही जगतीं हैं। इसी कड़ी में नीलम अहमद बशीर ने एक नज़्म को लिखा जिसे उसकी बहिनों ने पर्दे पर उकेरा, दो आम घरेलू औरतें किस प्रकार अपने मुल्क और आपसी भाई चारे का उल्लास मानतीं हैं और अंत एन अपनी चुनरी बंटा लेतीं हैं का बहुत ही प्रभाव शाली दृश्य स्थापित किया है। इस वीडियो में आसमा अब्बास और बुशरा अंसारी ने परफॉर्म किया है
नई दिल्ली: पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते और ज्यादा कड़वे हो गए हैं. स्थिति युद्ध तक की आ गई थी. भारत ने बदला लेने के लिए एयर स्ट्राइक किया तो पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई में F-16 को भेजा जिसे एयरफोर्स ने मार गिराया. माहौल चुनावी है तो यह मुद्दा गरमाया हुआ है. राजनेता पाकिस्तान के खिलाफ आग उगल रहे हैं. ऐसे माहौल में जब हर कोई पाकिस्तान को नेस्त नाबूत करने की बात कर रहा है, एक रैप बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. इस रैप के पाकिस्तानी कलाकारों ने तैयार किया है. रैप के जरिए पाकिस्तानी कलाकारों ने दोनों मुल्क के लोगों से शांति की अपील की है.
इस रैप को बुशरा अंसारी जो एक पाकिस्तानी एक्ट्रेस और सिंगर ने अपने आधिकारिक यूट्यूब अकाउंट पर पोस्ट किया है. इस वीडियो को 3 अप्रैल को पोस्ट किया गया है, जिसे अब तक करीब 13 लाख लोग देख चुके हैं. इस रैप का टाइटल है, “Humsaye maa jaye”. पाकिस्तानी मीडिया ‘Dawn’ के मुताबिक इस वीडियो में आसमा अब्बास और बुशरा अंसारी ने परफॉर्म किया है. नीलम अहमद बशीर ने रैप लिखा है.
वीडियो में आप देख सकते हैं कि बुशरा अंसारी ने भारतीय और आसमा ने पाकिस्तानी का रोल प्ले किया है. रैप के जरिए वे बताते हैं कि भारत और पाकिस्तान में कुछ भी अलग नहीं है. सबकुछ तो एक जैसा ही है, इसके बावजूद टेंशन क्यों है.
वीडियो के जरिए संदेश दिया गया है कि कोई भी
आम हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी जंग नहीं चाहता है. वे शांति चाहते हैं. जो कुछ हो
रहा है वह राजनीति से प्रेरित है. पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से बुशरा अंसारी ने
कहा कि इस वीडियो को सरहद के इस पार और उस पार,
दोनों तरफ पसंद किया जा रहा है. मेरा इनबॉक्स शुभकामनाओं और संदेश से भरा
हुआ है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/04/RAP-3.jpg545970Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-04-10 14:32:252019-04-10 14:32:27‘हमसाये माँ जाये’ दोनों मुल्कों के आम लोगों की दास्तान
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