यात्रिगन कृपया ध्यान दें, “मेट्रो” बहादुरगढ़ पंहुच रही है.

 

मनोहर सरकार बहादुरगढ़ के लोगों को आज एक बड़ा तोहफा देने जा रही है. 24 जून यानी रविवार की सुबह मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर मुंडका बहादुरगढ़ रेलवे लाइन का शुभारंभ करने आ रहे हैं. यानी रविवार की सुबह मुंडका से बहादुरगढ़ के सिटी पार्क मेट्रो स्टेशन तक पहली बार मेट्रो ट्रेन चलने जा रही है.

बहादुरगढ़ से मुंडका तक मेट्रो से जुड़ा होने के बाद रोजाना करीब डेढ़ लाख लोग इसका फायदा उठा सकेंगे. मेट्रो ग्रीन लाइन पर चलने के बाद एक तरफ जहां लोग महज 20 मिनट में बहादुरगढ़ से मुंडका की दूरी तय कर सकेंगे, वहीं सड़कों पर भी वाहनों का दबाव कम होने के कारण देश की राजधानी दिल्ली में लगने वाले जाम से काफी हद तक बचा जा सकेगा.

बता दें कि मुंडका बहादुरगढ़ मेट्रो लाइन बनाने में करीब एक हजार करोड़ रुपए का खर्च आया है. यह पूरा खर्चा हरियाणा सरकार ने वहन किया है. इस लाइन पर राजधानी दिल्ली की सीमा में चार मेट्रो स्टेशन बनाए गए हैं, वहीं तीन स्टेशन हरियाणा की सीमा में बनाए गए हैं. ग्रीन लाइन मेट्रो का निर्माण प्रदेश की पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल में शुरू हुआ था और करीब 4 साल मैं यह मेट्रो लाइन पूरी तरह से बन कर तैयार हो गई है.

हालांकि बहादुरगढ़ में मेट्रो का एक यार्ड भी बनाया जाना था, लेकिन कानूनी पेचीदगियों के चलते जमीन अधिग्रहण कैंसिल हो जाने के कारण यह नहीं बन सका है. लेकिन फिलहाल मुंडका मेट्रो यार्ड के सहारे ही यहां मेट्रो सुचारू रूप से चलाई जाएगी. मेट्रो लाइन शुभारंभ समारोह की तैयारियां प्रशासनिक स्तर पर शुरू कर दी गई है.

आज दोपहर को ही सीआरपीएफ के जवान सभी मेट्रो स्टेशनों की सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा संभाल लेंगे. बता दें कि पिछले दिनों डीएमआरसी के उच्च अधिकारियों ने बहादुरगढ़ के नवनिर्मित मेट्रो स्टेशनों पर सुरक्षा का जायजा लिया था और बहादुरगढ़ मुंडका मेट्रो लाइन को सिक्योरिटी क्लीयरेंस दे दिया गया था. उसके बाद से ही मेट्रो लाइन के उद्घाटन का इंतजार बहादुरगढ़ के लोगों को बेसब्री से था. रविवार को बहादुरगढ़ के लोगों का अपने शहर से ही मेट्रो में बैठकर दिल्ली पहुंचने का सपना पूरा हो जाएगा.

बहादुरगढ़ मेट्रो : भाजपा श्रेय ले रही है : दीपेन्द्र हूडा

 

इस मेट्रो लाइन के चालू होने से बहादुरगढ़ वासियों को कामकाज और व्यापार के सिलसिले में दिल्ली आने जाने में काफी आराम हो जायेगा। जहाँ जहाँ मेट्रो पहुँचती है वहाँ विकास और रोजगार के नये साधनों का सृजन होता है।

जानिए, बहादुरगढ़-वासियों का मेट्रो का सपना कैसे हुआ साकार :

7 अगस्त 2012 – यूपीए सरकार में केन्द्रीय मंत्रिमंडल से सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा के आग्रह पर बहादुरगढ़ मेट्रो विस्तार परियोजना को मंजूरी मिली।

2 फरवरी 2013 – तत्कालीन केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री श्री कमल नाथ जी ने हरियाणा के तब के मुख्यमंत्री चौ भूपेन्द्र सिंह हुड्डा जी की उपस्तिथि में इस मेट्रो विस्तार का शिलान्यास किया।

अप्रैल 2013 – इसपर जोरशोर से काम शुरू करवा दिया था और मार्च 2016 तक इसका काम पूरा हो जाना चाहिये था।

लेकिन, मई 2014 के बाद से भाजपा सरकार ने इस पूरे काम का श्रेय लूटने के लिए ढाई साल की देरी करा दी और बहादुरगढ़ वासियों को ढाई साल मेट्रो शुरू होने का इंतज़ार करना पड़ा।

इस परियोजना में एक और विशेष बात यह है कि यह पहली ऐसी परियोजना थी जिसके हरियाणा में आने वाले हिस्से की लागत (रुपये 788 करोड़) और दिल्ली के मुंडका से आगे हरियाणा तक के सेक्शन की लागत (रुपये 152 करोड़) भी चौ भूपेन्द्र सिंह हुड्डा जी के कार्यकाल में ही हरियाणा सरकार ने वहन करने का ऐतिहासिक फैसला लिया था। 2000 करोड़ की कुल लागत में से हरियाणा सरकार ने 940 करोड़ रूपए वहन किये थे।

PU student wins Rs. 50 Lacs from BIRAC as Biotechnology Ignition grant

 

Panjab University, Chandigarh, student wins 50 lacs from BIRAC (Biotechnology Industry Research Assistance Council) as a Biotechnology Ignition grant to carry out innovation.

 BIRAC is a new industry-academia interface and implements its mandate through a wide range of impact initiatives, providing funding, technology transfer, IP management and handholding schemes that help bring innovation excellence to the biotech firms and make them globally competitive.

        The Biotechnology Ignition Grant (BIG) scheme is for potential entrepreneurs from Academia, start-ups or an Incubatee (Researchers, PhDs, Medical degree holders, Biomedical Engg. Graduates) who have an exciting idea which may be in the nascent and planning stage and there is an unmet need for mentorship and initial funding.

 The PU Project to develop enzyme sachet named “Novice Zyme 001-A closer look into enzymatic biotransformation/s” has won BIRAC-BIG in the 12th call in 2018. The Novice Zyme 001 is a nitrilase that will have multiple applications, including pharmaceutical industry and organic synthesis industry. The project also will be focusing on degradation of textile industry waste using the same enzyme.

Under the guidance of Dr. Rohit Sharma, Chairperson, Department of Microbial Biotechnology, Panjab University, the project will be carried out by Shivanshi Vashist, Research Scholar, Department of Microbial Biotechnology, Panjab University, Chandigarh. The student has a start-up named MicroRadical Pvt. Ltd. The start-up has won many accolades like AICTE startup award, LJ innovation award and was also selected for BIO 2018.

TMC & MNO organises marathon on International day of Seafarer

 

The Marine Academy and Merchant Navy Officers association is to organised Marathon on International Day of Seafarer   to promote career in Merchant Navy. The marathon will begin from TMC Shipping Pvt. Ltd. SCO-14, Panchkula at 5:45 am to Chandigarh.  Youngster & Merchant Navy officers will join the Marathon.

Badnore addresses CA Students

The Governor of Punjab and Administrator, UT, Chandigarh, Shri V.P. Singh Badnore addressed at the “CA Students National Conference-2018” organized by the Institute of Accountants of India (Chandigarh Branch) at PG GCG, Sector-42, Chandigarh on Saturday, June 23, 2018.

निगम में आवारा कुत्तों के मामले में घोटाले हुए हैं: अविनाश सिंह शर्मा

चंडीगढ़ की आवाज के चेयरमैन अविनाश सिंह शर्मा ने प्रेस वार्ता में प्रेस को बताया कि जिस तरह से बिहार में पशुओं के चारा, वैकसीन, दवा का घोटाला बिहार के राजनेताओं, अधिकारियों, वेटरनरी डॉक्टरों के मिलीभगत से हुई थी, उसी तरह से चंडीगढ़ नगर निगम में कमिश्नर, मेयर, डॉक्टरों संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से कुत्तों के वैक्सीन,  नसबंदी, एवं रखरखाव के नाम पर करोड़ों – करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है | इस घोटाले में भाजपा एवं कांग्रेस नेताओं की मिलीभगत रही है | घोटाले में भाजपा एवं कांग्रेस के पूर्व के भी मेयर शामिल रहे हैं | इसी कारण चंडीगढ़ शहर के अंदर प्रत्येक दिन 40-50 डॉग बाइट केस के बाद भी कांग्रेस के पवन बंसल एवं भाजपा के किरण खेर, देवेश मोदगिल चुप्पी साधे हुए थे | एक साल पूर्व भी पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ में डॉग बाइट के केस पर स्वत: संज्ञान लिया था | परंतु नगर निगम चंडीगढ़ कान में तेल डाल कर सो गई | जिसका खामियाजा चंडीगढ़ शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है | सुबह शाम सैर पर जाने वाले जनता को अपने बचाव के लिए हाथों में लाठियां लेकर जाना पड़ रहा है |

 17-06-2018 को चंडीगढ़ सेक्टर 18 के पार्क मैं खेल रहे 18 महीने के आयुष को कुत्तों ने नोच नोच कर मार डाला | चंडीगढ़ प्रशासन की अनदेखी के कारण 18-6-2018 को मृतक आयुष की मां ममता एवं पिता मुंदर को लेकर चंडीगढ़ की आवाज के चेयरमैन अविनाश शर्मा एवं महामंत्री कमल किशोर शर्मा डिप्टी कमिश्नर अजीत बालाजी जोशी से मिलकर दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की मांग किए |

    तब घबराकर जल्दी-जल्दी नगर निगम चंडीगढ़ के मेयर एक बैठक बुलाकर 3 लाख  का मुआवजा की घोषणा करके अपनी लापरवाही एवं घोटाले को छुपाने का प्रयास किया | संबंधित अधिकारियों समेत पुलिस प्रशासन से आयुष को इंसाफ मिले की गुहार लगाते रहे परंतु नगर निगम, पुलिस प्रशासन चंडीगढ़ प्रशासन कान में तेल डालकर नींद में सोए रहे | मजबूर होकर चंडीगढ़ की आवाज के चेयरमन अविनाश शर्मा आयुश की माँ ममता को लेकर चंडीगढ़ हाई कोर्ट गए | वरिष्ठ एडवोकेट ए०पी०एस० शेरगिल के माध्यम से 22 जून 2018 को चंडीगढ़ हाई कोर्ट मैं गुहार लगाई गई । { मुकदमा नंबर CRM-M 26691/2018 } जिसे “जस्टिस राजवीर शेरावत” ने सुना | मामले की गंभीरता को समझते हुए नोटिस जारी किया | बता दे कि सर्वोच्च न्यायालय भारत के आदेश में किसी भी शिकायत पर FIR दर्ज कर जांच करना है | उस आदेश की चंडीगढ़ पुलिस ने अनदेखी की जिसके कारण आयुष की लाश 7 दिन से अस्पताल में पड़ी है | चंडीगढ़ की आवाज ने मामले को जनता की अदालत में ले जाने के लिए भी 21 जून और 22 जून को कैंडल मार्च कर के मीडिया के मदद से इस पीड़ा को लाखों-लाखों जनता के बीच ले गई | दुख की बात है कि क्या चंडीगढ़ के प्रशासक (गवर्नर) की आंख बंद है और साथ ही साथ कान बंद है जो चुप्पी साध कर बैठे हैं | टेलीविजन के माध्यम से अखबारों के माध्यम से क्या उन्हें खबर नहीं लगी है ? प्रशासक (गवर्नर) अपनी जिम्मेदारी पर खरे नहीं उतर रहे हैं के कारण मजबूर होकर पीड़िता को लेकर चंडीगढ़ हाई कोर्ट जाना पड़ा | आजाद भारत में गुलाम भारत वाली तानाशाही खुलेआम हो रही है | संवैधानिक अधिकारों, मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है | भ्रष्टाचार का बोलबाला हो रखा है | चंडीगढ़ की आवाज (वॉइस ऑफ चंडीगढ़) चंडीगढ़ की जनता के लिए आवाज उठाती रही है और आगे भी उठाते रहेगी | अविनाश सिंह शर्मा ने बताया कि मेनका गांधी की आड़ में घोटाले करते रहे हैं और बचाव में मेनका गांधी का नाम लेने लगे हैं | क्या मेनका गांधी ने घोटाले करने का आदेश दिया है ? एनिमल बर्थ कंट्रोल डॉग एक्ट (2001) में स्पष्ट तौर पर जिम्मेवार लोगों का उल्लेख एवं जिम्मेवारियां के बारे में लिखा है |
फॉर्मेशन कमेटी जिनका काम मॉनिटरिंग करना है उनके जिम्मेवार सदस्यों मे :
1) कमेटी नगर निगम कमिश्नर,
2) Ex-officio  Chairman (मेयर),
3) चीफ़ इंजीनियर पब्लिक हैल्थ डिपार्टमेंट
4) चीफ एनिमल वेलफेयर डिपार्टमेंट चंडीगढ़
5)  वेटरनरी डॉक्टर चंडीगढ़
6) SPCA representative
उनका फंक्शनिंग ऑफ कमिटी
1॰ कुत्तों को पकड़ने का निर्देश देना
2॰ शेल्टरिंग बनवाना
3॰ नसबंदी करवाना
4॰ वैक्सीन करवाना
5॰ ट्रीटमेंट स्ट्रीट
6॰ डॉग डॉग बाइट केस का स्टडी करना, क्यों काटा, कहां काटा पालतू कुत्ता था या स्ट्रीट डॉग था |
7॰  स्ट्रीट डॉग के वैक्सीन पर कोई भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय डेवलपमेंट पर नजर रखना |
8॰  डॉग पाउंड  एवं शेल्टर बनाना |
9॰ कितने डॉग वैन होने चाहिए जो कि स्ट्रीट डॉग को पकड़कर ट्रांसपोर्टेशन को मैनेज करेंगे  |
10॰ एंबुलेंस कम क्लीनिकल बैन होने चाहिए जो कुत्तों को वहीं पर पकड़कर वैक्सीन इंजेक्शन एवं नसबंदी करके कुत्तों को वहीं पर छोड़ सके

विशिष्ट शिकायत प्राप्त होने पर सामान्य में कुत्तों को पकड़ने के लिए कुत्तों की टीम संबंधित क्षेत्र की यात्रा करेगी पहचान वाले कुत्तों को पकड़ लेगी | शिकायत उन्मुख कैप्चरिंग और अन्य कुत्तों के मामले में शिकायत सामान कैप्चरिंग पकड़े गए सभी कुत्तों को पहचान के लिए टैग किया जाएगा |
जन्म नियंत्रण के लिए वैन द्वारा पकड़ा जाएगा| कब्जे वाले कुत्तों का एक रिकॉर्ड एक रजिस्टर में बना के रखा जाएगा| जिसमें क्षेत्र का उल्लेख इलाके का नाम कैप्चर की तारीख और  समय कुत्तों की टीम में शामिल व्यक्तियों का नाम उस दिन का ब्योरा और कुत्तों का ब्यौरा मेल/फीमेल कुत्ते एवं पिल्लों की संख्या इत्यादि होना चाहिए |

 Animal birth Control (Dogs) Act Rules 2001 में स्पस्ट लिखा है कि कुत्तो की टैगिंग हो | इस के लिए साबित करने (सबूत)कि जरूरत नहीं है किसी भी चंडीगढ़ के कुत्ते को टैगिंग नहीं किया गया है | किसी भी कुत्ते पर टैगिंग इस लिए नही की गई क्योकि वैक्सीन, नसबंदी, रख रखाव के नाम पर घोटाला पर लगाम लगती |  डिपार्टमेंट किस तरह कुत्तो को देख कर बातये गा किस कुत्ते को वैक्सीन, नसबंदी  किया है |

चंडीगढ़ हाई कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट APS Shergil   ने प्रेस को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय भारत के आदेश की अवमानना हुई है | पीड़ित आयुष की  मां की शिकायत दर्ज नहीं होने के कारण आयुष की लाश का पोस्टमार्टम नहीं हो सका जिसके कारण 7 दिनों से लाश अस्पताल में पड़ी है | चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में मुकदमा संख्या CRM-M 26691/2018 जस्टिस राजवीर शेरावत ने मामले की गंभीरता को समझते हुए नोटिस जारी किए हैं|
1) डिप्टी कमिश्नर चंडीगढ़
2) कमिश्नर MC चंडीगढ़
3) MC मेयर चंडीगढ़
4)चंडीगढ़ इंजीनियर पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट
5) official incharge  एनिमल वेलफेयर डिपार्टमेंट चंडीगढ़
6)सेकरेटरी डिपार्टमेंट  एनिमल हसबेंडरी एंड वेटरनरी चंडीगढ़ 7)सोसाइटी ऑफ प्रिवेंशन ऑफ cruelty DIPO  चंडीगढ़
8)होम secretory चंडीगर
9) SSP चंडीगढ़
10) डीएसपी ईस्ट चंडीगढ़
11) s h o सेक्टर-19 चंडीगढ़
एनिमल कंट्रोल एक्ट 2001 के जिम्मेवार लोगों और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश शिकायत के बाद FIR दर्ज नहीं करने वालों को केस में पार्टी बनाया गया है |
प्रेस को आयुष की मां ममता ने बताया कि जिन जिन लोगों को के गैर जिम्मेदारी के कारण मेरे आयुष को कुत्तों ने नोच नोच कर मार डाला उन्हें बचाने के लिए चंडीगढ़ पुलिस मेरे FIR  को दर्ज नहीं कर रही है | चंडीगढ़ की आवाज के चेयरमैन अविनाश सिंह शर्मा एवं महामंत्री कमल किशोर शर्मा के मदद से हाईकोर्ट तक अपनी आवाज पहुंचा पाई मुझे आशा है कि हाईकोर्ट से मुझे जरूर न्याय मिलेगा आज 7 दिन बीत जाने के बाद भी FIR दर्ज नहीं होने के कारण आयुष की लाश अस्पताल में पड़ी है | मैं आयुष के दोषियों को सजा दिलवाने के लिए आखिरी सांस तक लड़ूंगी और किसी मां की गोद सूनी ना हो किसी बुजुर्ग पर कुत्तों का हमला ना हो |

“जहाँ बलिदान हुए मुखर्जी वह काश्मीर हमारा है” सतिन्दर सिंह

 

डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक नेता, जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाने के पवित्र कार्य करते हुए ,अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर योद्धा थे । स्वतंत्र भारत में जम्मू कश्मीर का अलग झण्डा, अलग संविधान ओर वहाँ का मुख्यमन्त्री (वजीरे-आज़म) अर्थात् प्रधानमन्त्री कहलाता था।
उन्होंने तात्कालिन नेहरू सरकार को चुनौती दी तथा अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। वहाँ पहुँचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नज़रबन्द कर लिया गया। 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी।

उनका बलिदान हर भारतीय के लिए प्ररेणा दायक है।

 

।। भारत माता की जय।।

सतिन्दर सिंह

BJP seeks soft toy as Governor

 

In a departure from the norm of appointing people with military, civil service backgrounds to the post, the Centre seeks a ‘political person’ to replace Vohra, insiders say

 

The Centre favours a “political person” to become the next governor of Jammu and Kashmir, in a departure from the traditional practice of appointing people with military, police or civil service backgrounds to the post, people familiar with the matter said.

The tenure of current governor, NN Vohra, a former civil servant, ends on June 27 and he is expected to continue in the post at least until the completion of the annual Amarnath Yatra between June 28 and August 26. If a change takes place after that, a ‘political person’ will be New Delhi’s first choice as replacement to Vohra, the people cited above said.

The state was placed under Governor’s rule on Wednesday after the Bharatiya Janata Party (BJP) walked out of its nearly 40 month old alliance with the Mehbooba Mufti-led People’s Democratic Party (PDP).

People with knowledge of the matter suggest that New Delhi is averse to sending a ‘wrong message’ – both at home and abroad – by choosing a ‘military man’ as the next governor of the conflict-torn province.

Vohra, an 82-year-old former Indian Administrative Service officer of the Punjab cadre, was the first person from a non-rmy and non-Indian Police Service background inthe last 18 years to be appointed J&K governor. He was named to the post in 2008. Former IAS officer Jagmohan was the last civilian governor, before Vohra, to have served in J&K, in the late 1980s and again briefly in 1990..

“We are looking for a political person,” a leader familiar with the matter said. “We moved from military men to an administrator as J&K governor. We have to take it forward by appointing a political person as the next governor. We cannot turn the clock back by having another military man as the next governor.”

Speculations are for Ram Madhav              

In case the Centre does not find a suitable political person to be the next governor of J&K, the person said, it may fill the post with another ‘administrator.’ “The search is on,” the person quoted above said.

New Delhi favouring a “political person” could spoil the chances of retired military and intelligence officers who were speculated to be in the running for the governor’s post in J&K.

Kashmir analyst Noor Ahmad Baba said the logic behind preferring a political person for the post of governor seems positive, but it is equally important to see who the person is.

“If a person who shares an ideology of the present regime in New Delhi is picked, it may make the matters worse,” said Baba, former dean of the School of Social Sciences at the Central University of Kashmir.

Between Jagmohan and Vohra, J&K had three governors. Jagmohan’s successor Girish Chandra Saxena was a former IPS officer who headed India’s external intelligence agency, the Research & Analysis Wing, between 1983 and 1986.

Gen KV Krishna Rao, who took over from Saxena as J&K governor in March 1993, was a former chief of Army staff.

Saxena had a second stint as governor between 1998 and 2003, before Lt Gen (retd) Srinivas Kumar Sinha, a former director of military intelligence and vice chief of army staff, moved in. Sinha completed a full five-year term before handing over the baton to Vohra in 2008.

 

श्यामा प्रसाद मुखर्जी को राष्ट्र ने दी भावभीनी श्रद्धांजली

 

 

नर्इ दिल्ली।

देश के महान नेता, जनसंघ के संस्थापक और पूर्व कांग्रेसी नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की आज 65 पुण्यतिथि है, इस मौके पर देश भर में न सिर्फ भाजपा बल्कि कई दूसरी पार्टियों के नेताओं ने भी ट्वीट कर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रंद्धाजलि दी है। वहीं इस मौके पर पूर्वोत्तर राजयाके के भाजपा के मंत्रियों ने ट्वीट कर श्रंद्धाजलि अर्पित की है। असम के मुत्रयमंती सर्वानंद सोनोवाल, वित्त मंत्री हिमंत विस्वा सरमा के साथ त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के अलावा भाजपा के दिग्गज नेताआें ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रंद्धाजलि दी।

हरयाणा के सवास्थ्य मंत्री अनिल विज ने भी तवीत कर लिखा “महान शिक्षाविद्, प्रखर राष्ट्रवादी विचारक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर भावभीनी श्रद्धांजलि”

 

असम के वित्त मंत्री हिमंत ने लिखा कि भारतीय जनसंघ के संस्थापक, विख्यात शिक्षाविद, कुशल प्रशासक और हम सबके श्रध्येय डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन। आपके विचार और आदर्श हमारे प्रेरणा स्रोत हैं।

हिमंत के अलावा मुख्यमंत्री सोनोवाल ने अपने असम के कार्बी अलांग जिले में भारतीय जन संघ के संस्थापक आैर राष्ट्रवादी नेता श्यामाप्रसाद मुखर्जी को श्रंद्धाजलि दी। इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि उनके विचार आैर आदर्श हमें हमेशा प्रेरित करते रहेंगे।

 

शुजात की हत्या का गुंडे अन्य पत्रकारों को धमकाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं: ओमर

 

जम्मू कश्मीर में पत्रकारों के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं, ऐसे में भाजपा नेता और मंत्री रहे विधायक चौधरी लाल सिंह ने उन्हें ‘चेतावनी’ के रूप में सलाह देते हुए कहा है कि वे अपने लिए एक हद तय कर लें कि उन्हें यहां कैसे काम करना है.

ग्रेटर कश्मीर की खबर के मुताबिक लाल सिंह शुक्रवार को कठुआ बलात्कार और हत्या मामले की सीबीआई जांच की मांग करने को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि इस मामले में कश्मीर के पत्रकारों ने एक गलत माहौल पैदा कर दिया था.

उन्होंने कहा, ‘अब मैं कश्मीर के पत्रकारों को कहूंगा कि आप भी अपनी पत्रकारिता की लाइन ड्रा करिए कि आपको कैसे रहना है. ऐसे रहना है कि जैसे बशारत के साथ हुआ है. उसी तरह के हालात बनते रहें?’

उनका इशारा वरिष्ठ पत्रकार और राइजिंग कश्मीर अख़बार के संपादक शुजात बुखारी की ओर था, जिनकी बीते 14 जून को अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. यहां बशारत से लाल सिंह का इशारा बशारत बुखारी की ओर था, जो शुजात के भाई हैं और भाजपा के पीडीपी से गठबंधन तोड़ने तक जम्मू कश्मीर सरकार में मंत्री थे.

इसके बाद लाल सिंह ने पत्रकारों से कहा, ‘इसीलिए अपने आप को संभाले और एक लाइन ड्रा करें ताकि ये भाईचारा बना रहे और तरक्की होती रहे.’

मालूम हो कि लाल सिंह खुद जम्मू कश्मीर सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, जिन्हें कठुआ मामले में बलात्कारियों के पक्ष में निकाली गई रैली में हिस्सा लेने के चलते इस्तीफ़ा देना पड़ा था.

मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से लाल सिंह कठुआ, सांबा, जम्मू, उधमपुर और रियासी जिले में कठुआ मामले की सीबीआई जांच करवाने के लिए 30 से ज्यादा रैलियां कर चुके हैं.

सिंह ने पहले दावा किया था, ‘हमने इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि राष्ट्रीय मीडिया की ओर से बनाई गई धारणा सही नहीं थी. उसने हालात को गलत तरीके से पेश किया जबकि मामला ऐसा कुछ था ही नहीं. ऐसा पेश किया गया कि समूचा जम्मू क्षेत्र बलात्कारियों के साथ खड़ा है.’

लाल सिंह के पत्रकारों को इस तरह की सलाह देने की आलोचना शुरू हो गयी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए इसे ‘आक्रोशित करने वाला’ करार दिया और कहा कि राज्य पुलिस को इस पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए.

पार्टी ने एक ट्वीट में कहा, ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस भाजपा नेता एवं विधायक चौधरी लाल सिंह द्वारा कश्मीरी पत्रकारों को धमकाने और उनकी आक्रोशित करने वाली टिप्पणियों की निंदा करती है. इस पर जम्मू-कश्मीर पुलिस को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए. हमें उम्मीद है कि कानून को कमजोर नहीं किया जा सकेगा.

नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘आपके कश्मीर के साथियों को भाजपा विधायक द्वारा धमकी दी गयी है. ऐसा लग रहा है कि शुजात की हत्या का गुंडे अन्य पत्रकारों को धमकाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी लिखा कि क्या जम्मू कश्मीर में रैली कर रहे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जवाब देंगे कि जम्मू कश्मीर के पत्रकारों को शुजात बुखारी की तरह न मारे जाने के लिए अपनी सीमाएं तय करनी होंगी और तभी वहां भाईचारा कायम होगा. पहले उन्होंने अमित शाह के बारे में दी गयी खबर हटाने के मीडिया संस्थानों को मजबूर किया और अब भाजपा विधायक खुलेआम धमकी दे रहे हैं. ये शर्मनाक है.

यह पहली बार नहीं है जब चौधरी लाल सिंह के किसी बयान को लेकर विवाद हुआ है. वे इस साल कठुआ मामले के आरोपियों के पक्ष में हुई एक रैली में शामिल हुए थे, जिसके चलते उन्हें अपना मंत्री पद गंवाना पड़ा था.

इससे पहले 2016 में वे कश्मीर के गुज्जर समुदाय को 1947 के बाद हुए मुस्लिम नरसंहार का हवाला देकर धमका चुके हैं.

बीते दिनों कठुआ मामले की सीबीआई जांच करने की मांग करने के लिए हीरानगर में हुई एक रैली में उनके भाई राजिंदर सिंह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती के बारे में अपशब्द कहे थे, जिसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. बाद में कठुआ पुलिस ने उन्हें राजस्थान सेगिरफ्तार किक्या था.