32 साल बाद दुष्यंत चौटाला ने जींद से दोहराया चौधरी देवी लाल का इतिहास, बनाई जननायक जनता पार्टी


जींद में आज दुष्यंत चौटाला ने वही इतिहास दोबारा दोहरने जा रहे हैं, जहाँ से 32 साल पहले चौधरी देवीलालने(1986) में रैली कर न्याय युद्ध की थी

दुष्यंत ने बनाई जननायक जनता पार्टी, बोले- इनेलो, बीजेपी व कांग्रेस को उखाड़ फेंकेंगे

दुष्यंत समर्थकों ने पूरे शहर को तोरण द्वार से सजा दिया और इन पर देवीलाल, अजय चौटाला, दुष्यंत चौटाला, नैना चौटाला और शीला भ्याणी के फोटो लगे थे

चार बार मुख्यमंत्री रह चुके इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र दुष्यंत ने जींद के पांडु पिंडारा की रैली में नई पार्टी का एलान कर दिया है।


डेमोक्रेटिक फ्रंट ब्यूरो, जींद:

 

चार बार मुख्यमंत्री रह चुके इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र दुष्यंत ने जींद के पांडु पिंडारा की रैली में नई पार्टी का एलान करने के साथ ही इनेलो, भाजपा व कांग्रेस को उखाड़ फेंकने का जनता से आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इन सभी दलों ने जनता को ठगने का ही काम किया है। दुष्यंत की पार्टी का नाम जननायक जनता पार्टी होगा। पार्टी के झंडे पर देवीलाल की फोटो लगाई गई है और इसका रंग हरा व पीला रखा गया है। दुष्यंत ने कहा कि हरा रंग सुरक्षा, शांति, उन्नति व भाईचारे का प्रतीक है और पीला रंग ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक।

दुष्यंत ने कहा कि इंडियन नेशनल लोकदल का गठन चौधरी देवी लाल ने नीतियों और सिद्धांतों को लेकर किया था, लेकिन अब पार्टी ने उनके सिद्धांतों को त्यागकर कार्यकर्ताओं को तंग करना शुरू कर दिया। उन्हें व उनके पिता को बिना कारण पार्टी से निकाल दिया गया। लेकिन, वह चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि नदियों को रोका नहीं जा सकता है। वह अपनी मेहनत से नई पार्टी को खड़ा करेंगे। यह पार्टी ताऊ देवीलाल के विचारों और लोगों  की जनभावनाओं के अनुरूप चलेगी।

पार्टी बैनर पर ओपी चौटाला की फोटो न होने पर दुष्यंत ने कहा कि वह हमारे घर के मुखिया हैं, लेकिन आज वह विरोधी दल में हैं। यह उनकी कानूनी मजबूरी है कि उनकी फोटो न दें। इसके साथ ही उन्होंने ओपी चौटाला जिंदाबाद के नारे भी लगवाए। मंच पर विधायक अनूप धानक, राजदीप फोगाट, नैना चौटाला, बबिता फोगाट, महावीर फोगाट, अमीर चावला, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महिला विंग शीला भयान भी मौजूद हैं। पूर्व विधायक निशान सिंह व रमेश खटक भी रैली में मौजूद हैं।

इससे पूर्व दुष्यंत समर्थक सुबह ही पांडू पिंडारा में पहुंचने शुरू हो गए थे। दिग्विजय चौटाला खुद सम्मेलन स्थल पर कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगा रहे थे। सम्मेलन में प्रदेशभर से दुष्यंत समर्थक जुटे हैं। रैली के लिए 500 एकड़ का मैदान तैयार किया गया है। जननायक चौ. देवीलाल की कर्मभूमि रहे जींद को दुल्हन की तरह सजाया गया है।

सम्मेलन में आने वाले लोगों के स्वागत के लिए शहर में 340 जगहों पर स्वागत और तोरण द्वार लगाए गए हैं जिन पर देवीलाल, डॉ. अजय सिंह चौटाला, नैना चौटाला सहित अन्य नेताओं के होर्डिग व बैनर लगे हुए हैं। सात एंट्रीगेट बनाए गए हैं तथा हर गेट पर स्वागत का स्लोगन लिखा गया है। शहर के प्रमुख चौकों को होर्डिंग और बैनरों से सजाया गया है।
पार्किंग व जाम की स्थिति से निपटने के लिए स्वयं सेवकों व इनसो कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई गई है। ये कार्यकर्ता पुलिस प्रशासन की मदद के लिए हर चौक-चौराहे व नाकों पर मौजूद रहेंगे। करीब 1700 स्वयंसेवकों को ड्यूटी आवंटित की गई है।

अभय चौटाला ने भाई पर साधा निशाना


चौधरी देवीलाल ने अपनी विरासत का उत्तराधिकारी चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को चुना था और आज उन्हें ही जननायक का वारिस चुनने का हक है


चौटाला परिवार की आपसी फूट आज फिर उभर कर सामने आयी। एक ओर जहां अजय चौटाला ने जननयक जनता पार्टी का गठन किया वहीं चंडीगढ़ से भी बान छोड़े गए। दोनों ओर से शक्ति प्रदर्शन काफी प्रबल रहा। आज की जींद रैली और चंडीगढ़ में इनेलो की बैठक पर राजनाइटिक दलों और विश्लेषकों की नज़र थी। आपको बता दें पिछले दिनों भी एक ही दिन पारिवारिक फूट पर मुहर लगी थी। आज तो अभय ने अजय को चुनौती दी है कि उनके लिए यही काफी है कि वह अपनी जमानत बचा लें।आबे वाले एक एध महीने में एक बड़ी रैली का आयोजन करेंगे जिसमें इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के भी शामिल होने कि उम्मीद है, फिल हाल वह जेल में हैं।

इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में आज राज्य में मेयर के चुनावों के लिए पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की ड्यूटियां लगाई गई। मेयर चुनाव पर बोलते हुए अभय ङ्क्षसह ने कहा कि कांग्रेस मैदान छोडक़र भाग चुकी है। पार्टी के चुनाव चिह्न पर निगम चुनाव न लडक़र कांग्रेस पहले ही हार मान चुकी है। कांग्रेस को यह भी भय था कि प्रदेश की जनता उन्हें नकार चुकी है और गुटबाजी कांग्रेस पार्टी में हावी है। वहीं भाजपा भले ही पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ रही है पर उसे सिंबल पर चुनाव लडऩे के लिए प्रत्याशी नहीं मिले। अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही भाजपा को प्रत्याशी बाहर से इम्पोर्ट करने पड़े हैं।

नेता विपक्ष ने यह भी कहा कि जिस प्रकार मेयर के चुनाव बसपा के साथ गठबंधन में लड़े जा रहे हैं उसी तर्ज पर वह चाहते हैं कि ब्लॉक और जिला परिषद के चुनाव भी इनेलो-बसपा गठबंधन में लड़ें। उन्होंने मनीष ग्रोवर के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनकी मानसिकता हमेशा ही हिंसक रही है और जाट आंदोलन में भीड़ को उकसाने का काम भाजपा नेता ने ही किया था।

नेता विपक्ष ने यह भी कहा कि ‘जन अधिकार यात्रा’ के माध्यम से इनेलो सभी 90 हलकों में कांग्रेस के दस साल के कुशासन और भाजपा के चार साल के दमनकारी रवैये की पोल खोलेगा। 17 फरवरी को चौधरी ओमप्रकाश चौटाला की उपस्थिति में कुरुक्षेत्र की धरती पर एक विशाल रैली का आयोजन किया जाएगा जो लोकसभा के चुनावों के मद्देनजर प्रदेश की जनता को एकजुट करेगा।

इसके अतिरिक्त पार्टी के युवा दल के अध्यक्ष जस्सी पेटवाड़ के उस प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित किया जिसमें यह कहा गया कि सत्ता में आने के पश्चात पार्टी निजी संस्थानों में भी हरियाणा के युवाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा। इस प्रस्ताव में इस बात पर विस्तार से चर्चा हुई कि नौकरियों के लिए इंटरव्यू के प्रावधान को समाप्त कर ग्रामीण अंचल के उन युवाओं के हक पर डाका डालने का प्रयास किया गया है जो लिखित परीक्षाओं में शहरी और संपन्न परिवारों के युवाओं से कम अंक प्राप्त करते हैं। इनेलो इस असमान प्रावधान को भी हटाएगी। प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि षड्यंत्र के तहत सरकारी स्कूलों की शिक्षा में सुधार नहीं किया जाता ताकि वे शहरी और संपन्न युवाओं की तुलना में हमेशा पिछड़े रहें।

जस्सी पेटवाड़ ने अपने प्रस्ताव में यह भी कहा कि हरियाणा राज्य प्रति व्यक्ति आय के मामले में अब पंजाब से भी बेहतर है। परंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि यह संपन्नता केवल गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में ही सीमित होकर रह गई है जहां आधुनिक तकनीक और प्रौद्योगिकी पर आधारित उद्योग धंधे स्थापित हुए हैं। परंतु इससे भी अधिक दुर्भाग्य की बात यह है कि इनमें बनने वाले रोजगार अधिकतर बाहरी प्रदेशों के युवाओं को ही प्राप्त होते हैं जिस कारण इस संपन्नता का लाभ हरियाणा के युवाओं को प्राप्त नहीं होता।
कार्यकारिणी की बैठक के दौरान वर्तमान राजनैतिक स्थिति पर भी चर्चा हुई जिसमें पार्टी प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने कहा कि मेयर के चुनावों के लिए उम्मीदवारों का चयन करते समय इनेलो ने इस बात का ध्यान रखा है कि बिरादरियों में जो खाई भाजपा ने डालने का प्रयास किया था उसे पाटा जा सके। जहां राज्य को 35-36 बिरादरी के नाम पर बांटा गया था वहीं इनेलो ने उम्मीदवारों का चयन भाईचारे पर आधारित सिद्धांत पर किया है। उन्हें पूरी आशा है कि यह चयन जनता की कसौटी पर भी खरा उतरेगा। उन्होंने यह भी कहा कि एसवाईएल, दादूपुर-नलवी, मेवात-कैनाल, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट, कर्जमाफी, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे जनहित के मुद्दों को उठाती रहेगी।

उधर, वर्तमान स्थिति पर बोलते हुए इनेलो के वरिष्ठ नेता रामपाल माजरा ने कहा इनेलो ने चौधरी देवीलाल के समय से ही हमेशा प्रदेश और जनता के हक व हितों की लड़ाई लड़ी है। परंतु खेद इस बात का है कि अब कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ऐसे समय में अपने पुत्र हकों की बात कर रहे हैं जबकि इनेलो हरियाणा के हितों के संघर्ष से जूझ रही है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि ऐसे हकों की बात करने वाले भूल जाते हैं कि उन्हीं पुत्रों में से एक को देश का सबसे युवा सांसद भी इसी पार्टी ने बताया है। इस अवसर पर पूर्व डीजीपी एमएस मलिक ने कहा कि चौधरी देवीलाल ने अपनी विरासत का उत्तराधिकारी चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को चुना था और आज उन्हें ही जननायक का वारिस चुनने का हक है।

आज का राशिफल

आज का राशिफल

मेष— प्रभावशाली व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। शत्रु सक्रिय रहेंगे। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। तीर्थयात्रा का आनंद मिलेगा। दुष्टजनों से दूर रहें, हानि पहुंचा सकते हैं। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। परिवार के साथ जीवन सुखमय रहेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी।

वृष– जोखिम उठाने व जल्दबाजी करने से बचें। जरा सी लापरवाही हानि दे सकती है, विशेषकर गृहिणियां सावधानी रखें। किसी के उकसावे को नजरअंदाज करें। बात बढ़ सकती है। काम में मन नहीं लगेगा। नौकरी में मातहतों से कहासुनी हो सकती है। आय बनी रहेगी।

मिथुन— जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। मनोरंजन का अवसर प्राप्त होगा। शत्रु शांत रहेंगे। किसी प्रभावशाली व्यक्ति के सहयोग से कार्य की बाधा दूर होगी। व्ययवृद्धि होगी। नए काम मिल सकते हैं। परिवार का सहयोग प्राप्त होगा। प्रसन्नता रहेगी। विवाद न करें। जोखिम न उठाएं।

कर्क— भूमि, भवन, दुकान, फैक्टरी व शोरूम आदि की खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। संपत्ति से लाभ होगा। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। बाहरी व्यक्ति की बातों में न आएं। बड़ा काम करने का मन बनेगा। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। जीवन सुखमय गुजरेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

सिंह —पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। मनपसंद भोजन का आनंद मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। पठन-पाठन व लेखन आदि के काम सफल रहेंगे। आय में वृद्धि होगी। किसी विशेष व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है। आशंका-कुशंका हो सकती है। काम पर ध्यान दें। प्रसन्नता रहेगी।

कन्या— शोक समाचार मिल सकता है, धैर्य रखें। भागदौड़ अधिक होगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। अपरिचित व्यक्ति पर अंधविश्वास न करें। लेन-देन में जल्दबाजी से हानि संभव है। कोई भी बड़ा निर्णय सोच-समझकर करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। विवाद न करें।

तुला —मेहनत सफल रहेगी। सामाजिक प्रति‍ष्ठा में वृद्धि होगी। समाज के वरिष्ठजनों से मेलजोल बढ़ेगा। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नए कार्य प्रारंभ करने की योजना बनेगी। घर-परिवार का सहयोग प्राप्त होगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। मनोरंजन के साधन प्राप्त होंगे।

वृश्चिक— वाणी पर नियंत्रण रखें। उत्तेजना से समस्या बढ़ सकती है। राजकीय कोप का भाजन बन सकते हैं। जल्दबाजी न करें। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। घर में अतिथियों का आगमन होगा। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। प्रभावशाली व्यक्तियों से परिचय होगा। व्यवसाय लाभदायक रहेगा।

धनु —यात्रा मनोरंजक रहेगी। नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय होगा। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। विरोधी सक्रिय रहेंगे। नौकरी में प्रमोशन के योग हैं। उत्साह व प्रसन्नता में वृद्धि होगी। समय पर निर्णय लेने से काम बनेंगे। आलस्य त्यागकर काम पर ध्यान दें।

मकर —कुसंगति से बचें। फालतू खर्च होगा। अतिरिक्त सावधानी की आवश्यकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। किसी भी अपरिचित पर अंधविश्वास न करें। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। दूसरे आपसे अधिक अपेक्षा करेंगे। काम में विलंब होगा। आय बनी रहेगी। बाहरी सहयोग मिलेगा।

कुंभ —यात्रा मनोरंजक रहेगी। मेहनत का फल मिलेगा। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। स्वयं की देनदारी समय पर चुका पाएंगे। भाइयों से सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता तथा संतुष्टि होगी। शत्रु शांत रहेंगे। आय में वृद्धि होगी। ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा। जल्दबाजी न करें।

मीन —समाज के वरिष्ठजनों से मेलजोल बढ़ेगा। मान-सम्मान मिलेगा। मनोरंजन के अवसर मिलेंगे। नए काम मिल सकते हैं। अवसर का लाभ लें। पार्टनरों से मतभेद दूर होकर सहयोग मिलेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। विवेक से कार्य करें। लाभ में वृद्धि होगी। प्रसन्नता बनी रहेगी।

कड़े मुक़ाबले के बावजूद भाजपा का पलड़ा भारी

दिनेश पाठक अधिवक्ता, राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर। विधि प्रमुख विश्व हिन्दु परिषद

*एक विश्लेषण :-

राजस्थान के विधानसभा 2013 चुनाव में 74 प्रतिशत मतदान हुआ था जहाँ भाजपा को लगभग 45 प्रतिशत मत मिले थे और कॉंग्रेस को 33 प्रतिशत , मतलब लगभग 12 प्रतिशत का अंतर !!!

यह मोदीलहर थी , निसंदेह ! भाजपा ने स्वयं के प्रदर्शन में भी 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी जिसमे से साढ़े तीन प्रतिशत उसने कॉंग्रेस से खिंचा था 4-5 प्रतिशत निर्दलीयों व अन्य पार्टियों से और लगभग 2 प्रतिशत विंडफॉल गेन मतलब नए वोटरों का 90 प्रतिशत समर्थन जो कुल वोट का 2 प्रतिशत के करीब था।

मतदान प्रतिशत ही सीधे 9.5 प्रतिशत बढ़कर 74 प्रतिशत हो गया था , जहाँ भाजपा को सीधे सीधे 37 लाख मतों की बढ़त थी कॉंग्रेस पर !!
चलिए अब मान लेते है कि भाजपा ने जो कॉंग्रेस के साढ़े तीन प्रतिशत लुटे थे वे इस बार कांग्रेस ने reclaim कर लिए तो मत प्रतिशत पहुंचा भाजपा 41.5 और कॉंग्रेस 36.5 प्रतिशत !

चलिए मान लेते है कि एन्टी इनकंबेंसी है तो 2 प्रतिशत और वोट भाजपा से सीधे कॉंग्रेस ने झटक लिए तब भी टैली पहुंची 39.5 भाजपा और 38.5 कॉंग्रेस

यहाँ एक बात नोट कर लीजिये की चाहे कुछ भी हो इन पांच साल में नए जुड़े वोटर जो कि 20 लाख के करीब है उनका 90 ना सही 75 प्रतिशत अब भी मोदी का मुरीद है जो भाजपा को मिलेगा विंडफॉल के रूप में जो प्रतिशत मे जाकर हुआ 4.85 प्रतिशत (वोट पड़े 3.5 करोड़ (74 % turnout 4.75 करोड़ का , नवयुवा वोटर 20 लाख जिसका 85 प्रतिशत मतदान होता हैं है मतलब 17 लाख हुआ 4.85 प्रतिशत )
ये मानकर चलिए की सभी सीटों पर फैले इस गेमचेंजर 4.85 नए वोटरों का 75 फीसदी कम से कम हुआ 3.7 प्रतिशत !!

लिखकर लें लीजिये की एन्टी एन्टीइनकम्बेंसी की लहर “मोदीलहर” के बराबर भी हो तो भी उंसके नकारात्मक असर को केवल ये नवयुवा वोटर ही ठिकाने लगा देगा और भाजपा कम से कम 2-3 प्रतिशत आगे ही रहेगी कांग्रेस से फिर भी क्लोज टैली के चलते 5-7 सीट कम ज्यादा हो सकती है , कम से कम भी मानकर चले तो भाजपा- कांग्रेस 95- 90 या 90-95 से नीचे नही जाएगी लिख कर ले लीजिए , ज्ञातव्य है कि 2008 की भाजपा के विरुद्ध की भयंकर एन्टीनकंबेंसी लहर तक मे भाजपा 78 सीट लाई थी जबकि मोदी फैक्टर जैसा कुछ नही था जो कि अब हर चुनाव में महत्वपूर्ण होता है ।

सबसे अंत मे वह जनसमर्थन जो मोदीजी /योगीजी की रैलियों में दिखा वह है, स्मरण रखिये की राजस्थान में युही कोई केवल चेहरा देखने/दिखाने नही आ जाता दिन बिगाड़ के या चुटुकुले सुनने राहुल के दर्शकों की तरह !
इसे अज्ञात बोनस मानकर चलिये कम से कम !

मोदी जी की झोली में कम हो या ज्यादा डालेंगे जरूर, राजस्थानी उन्हें खाली नही भेजेंगे कभी !

बाकी एग्जिट पोल मात्र वो पॉपकॉर्न है जो फ़िल्म चालू होने से पहले टाइमपास के लिए है कमर्शियल ads देखते देखते ।

भाजपा टक्कर में है और सरकार बनाएगी फिर से ……

रिपब्लिकन टीवी के पत्रकार पर अपहरण, शोषण और मारपीट का केस दर्ज़


एफआईआर के अनुसार चुटिया पर आईपीसी की कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है. चुटिया को दो दिन तक पुलिस हिरासत में रखने के बाद सीआरपीसी की धारा 41 के तहत 3 दिसंबर को रिहा कर दिया गया था


रिपब्लिक टीवी के रिपोर्टर अनिरुद्ध भक्त चुटिया पर गुवाहाटी की एक महिला ने अपहरण और मारपीट करने का आरोप लगाया गया है. महिला की शिकायत के आधार पर 1 दिसंबर को गुवाहाटी के दिसपुर पुलिस स्टेशन में चुटिया के खिलाफ केस दर्ज की गई है. चुटिया 3 दिसंबर को रिहा हुए इसके पहले दो दिन तक वो पुलिस हिरासत में थे.

द वाइर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित ने आरोप लगाया कि 1 दिसंबर की रात को जब वो काम से लौट रही थी तभी चुटिया उन्हें मिले. चुटिया कथित तौर पर एक अनजान आदमी के साथ था और नशे में धुत्त था. पीड़िता ने बताया, ‘वो नशे में था. उसने मुझे बात करने के लिए रोका. और इससे पहले कि मैं कुछ रिएक्ट कर पाती, उन दोनों ने मेरी गर्दन पर चाकू लगाया और मुझे लेन से सटे अपने घर में खींच लिया. जबर्दस्ती घर में ले जाने के बाद कुर्सी से हाथ बांध दिए गए थे. जब मैंने विरोध किया, तो उन्होंने मेरा यौन उत्पीड़न भी किया. चुटिया की मां भी कमरे में भी मौजूद थीं.’

जैसे ही पीड़िता के हाथ खोले गए तो उसने अपना मोबाइल फोन निकाला और अपने सहयोगियों को घटना के बारे में बताया. इसके बाद वे आए और उसे बचा लिया. पीड़िता का दावा है कि चुटिया उसके घर के पास में ही रहता है. वो दोनों काम के सिलसिले में दो बार मिले भी थे. चुटिया ने पीड़िता से मेलजोल बढ़ाने की कोशिश की लेकिन उसने नजरअंदाज कर दिया.

पुलिस दबाव में काम कर रही है:

एफआईआर के अनुसार चुटिया पर आईपीसी की कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है. चुटिया को दो दिन तक पुलिस हिरासत में रखने के बाद सीआरपीसी की धारा 41 के तहत 3 दिसंबर को रिहा कर दिया गया था. पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया है कि पुलिस ‘दबाव में काम कर रही है’ और चुटिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करते समय घटना के विभिन्न विवरण को पुलिस ने जानबूझकर नजरअंदाज कर दिया है. कई समाचार रिपोर्टों का दावा है कि पुलिस अधिकारियों ने इस मामले के बारे में कुछ भी बोलने से मना कर दिया है.

न तो चुटिया और न ही जिस मीडिया संस्थान (रिपब्लिक टीवी) के लिए वो काम करता है ने इस मुद्दे पर किसी तरह का बयान जारी किया है.

Navjot Singh Sidhu’s cross-border “hug diplomacy” would mark the beginning of a long and fruitful political innings.


Sidhu would now hope that his cross-border “hug diplomacy” would mark the beginning of a long and fruitful political innings. Rest assured, his rivals would be throwing a barrage of bouncers and yorkers his way.


Several of his Congress colleagues now say former India opener Navjot Singh Sidhu is not a team player and that the Punjab minister is trying to out-captain the Captain. The spirited showman – who has also delivered witticism-dripping cricket commentary, judged TV comedy shows, been a Bigg Boss contestant, and also appeared in films – finds himself firmly under the political spotlight and appears to be reveling in it, with his eyes fixed on the “Man of the Match” prize.

Sidhu’s aggressive shot play on the political pitch to project himself as a successor to Chief Minister Amarinder Singh has raised the hackles of people in the party and sparked internal ferment.

Buoyed by his visit to Pakistan for the groundbreaking ceremony of the cross-border Kartarpur Sikh pilgrimage corridor, Sidhu, after returning to India, ostentatiously expressed his faith in his party chief. “My captain is Rahul Gandhi and Captain’s (Amarinder Singh’s) captain is also Rahul Gandhi,” he proclaimed.

The remark drew battle lines within the Congress, and cabinet colleagues even demanded his resignation. Sidhu, who quit the BJP in September 2016 and joined the Congress in January 2017, had disregarded the chief minister’s advice to review his decision to go to Pakistan after getting a personal invitation from Pakistan prime minister Imran Khan. Trouble mounted for Sidhu when a photograph of him with Khalistani leader Gopal Singh Chawla went viral on social media, and critics called him out for hobnobbing with the militant suspected of involvement in a grenade attack on a religious gathering in Amritsar.

File image of Navjot Singh Sidhu.

Punjab’s rural development and panchayat minister Tript Rajinder Singh Bajwa, revenue and rehabilitation minister Sukhbinder Singh Sarkaria and sports minister Rana Gurmeet Singh Sodhi led the chorus of demands for his resignation. Many other ministers said Sidhu’s remarks were uncalled for and he should apologise to Captain.

The attacks by those who owe allegiance to the chief minister are aimed at keeping the former batsman, whose big-hitting ability earned him the sobriquet Sixer Sidhu, away from any attempts to project himself as the next top leader of the party in Punjab and also to keep them in the Captain’s good graces.

Sidhu’s previous visit to Pakistan in August — when he hugged the country’s army chief Qamar Javed Bajwa (who promised him opening of the Kartarpur corridor) invited much criticism for the minister from rivals. But he also managed to charm many in Punjab’s Sikh community as the route holds massive religious significance for them. The Gurdwara Darbar Sahib Kartarpur is believed to have been built on the site where Guru Nanak, the founder of the faith, died in the 16th century.

Sidhu, as well as state finance minister Manpreet Singh Badal who joined the Congress in 2016 after dissolving his own People’s Party of Punjab, were both seen as potential successors to Captain Amarinder Singh. Badal, who is the paternal cousin of Shiromani Akali Dal president Sukhbir Singh Badal, had disassociated himself from SAD following a rift. He formed the PPP before the 2012 Assembly polls, but the party was not even able to open its account. Manpreet Badal, who was initially in the limelight owing to his reported closeness to Rahul Gandhi, has since lost some of his sheen.

Senior political analyst from Punjab, Jagtar Singh, says while both Sidhu and Badal are in the race, the final pick will be made by Rahul. “Both the leaders have different styles of working and both are close to Rahul. However, if the party wins 8-10 seats in the Lok Sabha polls, out of a total 13, we will not see any change in the leadership before the next Assembly polls,” he said.

Singh said that while Sidhu’s statement had triggered a controversy, he later back-pedaled and professed that Captain was like a father figure to him.

Many Congress leaders including the Member of Parliament from Ludhiana, Ravneet Singh Bittu, erected hoardings stating “Punjab Da Captain Sadda Captain (Punjab’s Captain is our captain)” to take on Sidhu’s statement that his captain was Rahul Gandhi. These attempts were also seen as an outpouring of resentment of those leaders who failed to shape themselves as political heirs to Captain Amarinder Singh and do not want Sidhu to take that place. Sidhu, who would previously visited Ludhiana frequently, cut down on the trips as most of the local MLAs united against him.

Senior Congress leaders in the state are also worried about the appreciation that has come in for Sidhu, even from some political opponents. Veteran Punjab politician Ranjit Singh Brahmpura, who was expelled by SAD in November, said the opening of the Kartarpur corridor was due to the ingenuity of Sidhu and his personal relations with Pakistan prime minister Imran Khan. “The credit for Kartarpur corridor goes to Sidhu,” said Brahmpura, who floated a new party on 2 December in concert with some other expelled SAD leaders, and plans to put up a new political front in Punjab.

On 3 December, a special resolution was passed in a Punjab cabinet meeting chaired by Captain Amarinder Singh, appreciating the Narendra Modi-led central government for opening of the corridor. Surprisingly, Sidhu, who considers that his hug worked wonders, did not find any mention in this declaration made by his own government.

What is disconcerting for some senior Congress leaders is the fact that Sidhu, despite jumping over from the BJP just ahead of the 2017 Assembly polls, managed to leapfrog many staunch MLAs from the state’s ruling party to bag a cabinet post.

A rival camp of Captain Amarinder Singh within the Congress led by former party state chief Pratap Singh Bajwa has also been applauding Sidhu. Bajwa said Sidhu had gone to Pakistan in his personal capacity and there was no need to criticise him.

Narinder Kumar Dogra, professor in the political science department of Patiala’s Punjabi University, said Sidhu might have got some indications from the party high command because of which he is presenting himself as the successor of Captain Amarinder Singh. “Captain has a good hold on politics in Punjab. As a result, Sidhu is well aware that he can only present himself as his future heir. But he is definitely building the base,” said Dogra.

Sidhu would now hope that his cross-border “hug diplomacy” would mark the beginning of a long and fruitful political innings. Rest assured, his rivals would be throwing a barrage of bouncers and yorkers his way.

MP CM Shivraj Singh Chouhan says BJP will form govt


Exit polls released on Friday predicted a possibility of Congress upsetting the BJP.


Shivraj Singh Chouhan on Saturday expressed confidence that the Bharatiya Janata Party (BJP) would emerge victorious in Madhya Pradesh that recently went to elections. While the counting will take place on December 11, several exit polls have given the Congress an edge in the state.

Speaking to reporters in Umaria, the MP Chief Minister, who is eyeing a second 5-year-term after completing 13 years in power this November, commented on the exit poll results released on Friday.

“There cannot be a surveyor bigger than me, someone who is among the people day in and day out. Therefore I am saying this confidently that BJP will form the government,” Chouhan asserted.

“This is important for people, poor, farmers, children and women,” he added stressing that there cannot be a better bet for the people of his state than the BJP.

According to a majority of the exit polls, the Congress will have the upper hand in the state.

According to India Today-Axis poll, the Congress might win 104-122 seats in the 230-seat assembly thus narrowly surpassing the majority mark of 116. The BJP was given 102-120 seats and others could end up with 4-11 seats.

Similarly CSDS-ABP exit poll suggested that the BJP might end up with 94 seats as against 126 of the Congress and 10 of others.

BJP might get 90-106 seats, according to CVoter-Republic TV, and the Congress between 110 and 126 seats, which would mean a clear victory for the party led by Rahul Gandhi.

In the exit poll conducted by NewsX-Neta, the Congress got higher seats than the BJP but four short of the majority mark. The poll predicted that the Congress might win 114 seats, the BJP might get 106 with 12 seats going to others.

Times Now-CNX, on the other hand, predicted a thumping BJP victory in MP with 126 seats as against 89 of Congress. Republic-Jan Ki Baat exit poll, too, gave the BJP an edge with 108-128 seats over Congress’ 95-115, with seven seats going to others.

India TV gave the BJP 122-130 seats and 86-92 to Congress with 12-18 seats to others.

An average of opinion polls done before 9 November 2018 had predicted that the BJP will end up as the single largest party with 113 seats but without a majority. The exit polls clearly indicated that the BJP’s strength in the state is much weaker than in the last elections when it won 166 seats.

The BJP has been in power in Madhya Pradesh since 2003.

BJP approaches EC over Rahul Gandhi interview calls it ‘Shining example of paid news’


The BJP in the memorandum said that the interview ‘goes against the very spirit and parameters of the permitted coverage in the compendium of poll panel’s compendium of instructions on the media related matters’.


The BJP on Friday approached the Election Commission demanding action against the Congress and its president Rahul Gandhi for his interview published in an English daily on Thursday, claiming it is a “shining example” of paid news.

A delegation including union ministers JP Nadda, Mukhtar Abbas Naqvi and BJP’s media in-charge Anil Baluni submitted a memorandum to the poll panel enclosing a copy of the interview that was published from Hyderabad, saying “the reporting by way of an interview…is shining example of paid news.”

Addressing the media after meeting the poll panel officials, Naqvi said,”Just a day before the polling in Telangana and Rajasthan, Rahul Gandhi through his interview, which was actually a paid news, tried to influence voters and electoral process also. It is a violation of electoral reforms.”

Naqvi further said that Gandhi in his interview cited a survey to claim that the Congress is winning and BJP is losing elections in all the five states.

“This news (interview) comes under the category of paid news. As per the rules no campaigning or such interviews should be done 48 hours before the polling. Gandhi intentionally tried to influence voters and free and fair process of election. We demand an immediate action against him and his party,” he said.

The BJP in the memorandum further said that the interview “goes against the very spirit and parameters of the permitted coverage in the compendium of poll panel’s compendium of instructions on the media related matters”.

The Congress alleged that the raid on the house of Ramesh Kumar Sharma was illegal

The Congress alleged that the raid on the house of Ramesh Kumar Sharma was illegal.


The Congress lashed out at the Modi government over the Enforcement Directorate’s raid on the house of a senior journalist in connection with alleged defence deals by three persons linked to firms of Robert Vadra.

The searches, ED officials said, were carried out in Delhi-NCR and Bengaluru, and were also related to cases of assets held abroad.


The Congress lashed out at the Modi government over the Enforcement Directorate’s raid on the house of a senior journalist in connection with alleged defence deals by three persons linked to firms of Robert Vadra.

Party spokesperson Randeep Singh Surjewala said that the searches were “vendetta politics” by the Modi government, which is “unnerved” by the prospect of defeat in the assembly elections in five states.

Surjewala alleged that raid on the house of Ramesh Kumar Sharma, the father-in-law of one of the persons linked to Vadra, was “illegal”.

“Ramesh Kumar Sharma is a 64-year-old man and the vice-president on Hindustan Times. They have illegally raided his house without a warrant and detained him and his wife for 10 hours. They also ransacked his house,” Surjewala alleged.

Attacking Prime Minister Narendra Modi over the searches and especially the raid on Sharma’s house, Surjewala said that it is an attack on the freedom of press.

“Is this how the family of a journalist should be treated? Will you enter and vandalise any journalist’s home in this manner? Is this not an attack on freedom of press?” Surjewala said.

“Who gave Modi-ji this right? He must answer what kind of rule of law attacks journalists,” the Congress spokesperson said.

Surjewala also alleged that the raids were conducted on the offices of Vadra without any FIR or search warrant.

On Friday, the ED raided the premises of three persons, two of them linked to Vadra – Rahul Gandhi’s brother-in-law. The agency reportedly said that the suspects had acquired assets abroad, allegedly using commissions from the defence deals.

The searches were conducted in the Delhi-NCR and Bengaluru.

Mehbooba pitches for hill councils for Pir Panjal, Chenab

PDP president and former Jammu and Kashmir chief minister Mehbooba Mufti addresses a press conference in Srinagar, on Dec 7, 2018.


Mehbooba’s demand has triggered sharp reactions and is being seen as an attempt to divide the Jammu region.


Having threatened disciplinary action against three prominent activists of the Peoples Democratic Party (PDP) about 15 years ago when they demanded divisional status for the Muslim dominated areas along the river Chenab, in a U-turn now, the PDP president Mehbooba Mufti has herself pitched for the demand in a bid to revive her party’s political base in these areas.

Mehbooba’s demand has come at a time when Governor Satyapal Malik was reportedly considering favourably the demand of divisional status for the Ladakh region that remains landlocked during the winters when the approach roads to the cold desert area get disconnected for nearly five months from Srinagar and Himachal Pradesh due to heavy snow.

The twin districts of Leh and Kargil in the Ladakh region are presently attached with the Kashmir division and the demand for a separate division for the area has been coming up for the past several years.

Mehbooba, who did not allow her partymen to raise the demand when the PDP was twice in power, has threatened that the PDP would launch an agitation if the “Pir-Panchal region”, consisting of Rajouri and Poonch districts and the “Chenab Valley region” consisting of the districts of Doda, Kishtwar and Ramban districts, were not delinked from Jammu and granted status of separate division.

It is worth mentioning that sometime around 2003 when her father Mufti Sayeed was chief minister and Mehbooba was heading the PDP, she had issued a disciplinary notice to her party leaders, Mohammad Sharif Tariq, Chowdhary Zulfikar, and Nisar Ahmad Khan for raising the demand for divisional status for these areas.

Mehbooba’s demand has triggered sharp reactions and is being seen as an attempt to divide the Jammu region.

The state spokesman of BJP, Brigadier Anil Gupta (Retired), claimed that the demand of Mehbooba exhibits her “communal and opportunistic” mindset. She was pursuing her hidden agenda of dividing the Hindus and Muslims of the Jammu region, he alleged.

Gupta said that by asking the National Conference and other Kashmir-centric parties to endorse her demand, Mehbooba has exposed the ambition of Kashmiri leadership to continue their domination over the Jammu and Ladakh regions.

Captain Anil Gaur (Retired), who had recently quit from the PDP for the party’s alleged anti-Jammu ideology, described Mehbooba’s demand as a “ploy” to divide the Jammu division. “Why did she not implement her plans when she herself was chief minister of the state,” he asked. She was probably trying to sabotage Ladakh’s demand for divisional status, he alleged.

These districts have always been part of the Jammu division and the Kashmir-centric political parties have been trying to create a wedge by calling these as “Chenab Valley” and “Pir-Panchal Range”, said Subhash Sharma, a political commentator.