जीरकपुर में देहव्यापार के रेकेट का पर्दाफाश

जीरकपुर बिग ब्रेकिंग जीरकपुर के पड़ते बलटाना में होटल नाइन सिटी में सेक्स रैकेट का हुआ पर्दाफाश गुप्त सूचना के आधार पर जीरकपुर और बलटाना पुलिस ने जॉइंट ऑपरेशन करके सेक्स रैकेट का किया पर्दाफाश 8 लड़कियों और 3 लड़कों को किया गिरफ्तार कल किया जाएगा डेराबस्सी कोर्ट में पेश

करनाल लोकसभा से वित्त मंत्री अरुण जेटली हो सकते है भाजपा के उम्मीदवार!

अपना पहला लोकसभा चुनाव हार चुके जेटली अब तक तीन बार गुजरात से राज्यसभा सांसद चुने गए, दूसरी बार सुरक्षित सीट से लड़ेंगे लोकसभा चुनाव!

करनाल से एक बार फिर किसी बाहरी को सांसद का टिकट देने की तैयारी है। जी हां हमारी अंदर की खबर से करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ने का सपना देख रहे कई नेताओं को जबरदस्त झटका लगने वाला है क्योंकि जो जानकारी हमें भाजपा के केंद्रीय सूत्रों से मिली है उसके अनुसार भारतीय जनता पार्टी केंद्र सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली करनाल से सांसद का चुनाव लड़वाना चाहती है जिसके लिए सभी तरह के समीकरणों के गुणाभाग के बाद अरुण जेटली भी करनाल को सुरक्षित सीट मानते हुए चुनाव लड़ने को तैयार है।

हलांकि हमारी जानकारी अनुसार करनाल के किसी भी स्थानीय नेता को इस संदर्भ में कोई खबर नहीं है लेकिन सूत्रों की माने तो हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से पिछले दिनों केंद्रीय नेतृत्व ने ये चर्चा की है जिसके बाद हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने केंद्रीय नेतृत्व को ये भरोसा दिलाया है कि यदि भारतीय जनता पार्टी करनाल लोकसभा से अरुण जेटली को टिकट देती है तो उन्हें भारी बहुमत से जीत दिलाई जा सकती है क्योंकि 2019 में मोदी सरकार बनने पर उन्हें कम से कम वित्त मंत्री या गृहमंत्री जैसा अहम पद मिलना तय है और करनाल लोकसभा इलाके की जनता इस मौके को हाथ से गंवाने नहीं देना चाहेगी? हाल ही में करनाल और पानीपत नगर निगम चुनावो में हुई भाजपा की बड़ी जीत भी इस तरफ इशारा कर रही है कि लोकसभा चुनावों में करनाल लोकसभा सीट पर फिलहाल भाजपा को कोई खतरा नजर नहीं आ रहा।

इंडिया ब्रेकिंग को जो जानकारी मिली है उसके अनुसार करनाल से वर्तमान सांसद अश्वनी चोपड़ा इस बार भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर लोकसभा के उम्मीदवार नहीं होंगे लेकिन क्योंकि वो पंजाब केसरी जैसे बड़े व ताकतवर समाचार पत्र समूह के सम्पादक है इसलिए पार्टी उन्हें नजरअंदाज भी नहीं कर पायेगी और उन्हें राज्यसभा से सांसद बनाकर किसी तरह के विरोध को पनपने से बचाने का प्रयास रहेगा। कुल मिलाकर इस समय की ताजा खबर यही है कि 2019 के आगामी लोकसभा चुनाव में एक बार फिर करनाल की जनता पर बाहरी व्यक्ति को टिकट दिए जाने की चर्चा ने जन्म ले लिया है वंही अगर हमारी जानकारी सटीक साबित होती है और भाजपा के कद्दावर नेता व वर्तमान में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को टिकट दिया जाता है तो टिकट मिलने की सूरत में करनाल भाजपा उम्मीदवार के तौर पर अरुण जेटली को कितना भाव देती है ये देखना दिलचस्प होगा क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर नवाजे गए अरुण जेटली अपने लम्बे राजनीतिक करियर में अपने लिए आज तक एक सुरक्षित सीट नहीं ढूंढ पाए तथा यही कारण है कि उन्हें हर बार राज्यसभा सांसद के तौर पर केंद्र में राजनिति करने का मौका मिला है।

वर्ष 2014 में भी अरुण जेटली ने अपने ननिहाल व पंजाब की अमृतसर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था जंहा जबरदस्त मोदी लहर और शिरोमणि अकाली दल से मजबूत गठबंधन के बावजूद वित्त मंत्री अरुण जेटली को कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने करीब 90000 वोटों से हरा दिया था।ऐसे में करनाल सीट से चुनाव लड़कर लोकसभा जाना अरुण जेटली के लिए इतना आसान भी नहीं होगा लेकिन यदि करनाल लोकसभा का इतिहास खंगाला जाए तो भारतीय जनता पार्टी को ये इतना मुश्किल भी नहीं लग रहा होगा।

बैंक कृषि क्षेत्र व लघु व्ययसायियों को ऋण देने में कोताही न बरतें – उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया

बैंकों द्वारा वर्ष 2019-20 के लिए जिले में फसली ऋण 4039 करोड़, निवेश ऋण 1217 करोड़, कृषि संबंधी ऋण 668 करोड़, सूक्ष्म लघु मध्यम उद्योगों के लिए 5331 करोड़ तथा प्राथमिक क्षेत्रों के लिए 760 करोड़ रुपये देने का रखा लक्ष्य, नाबार्ड की सम्भाव्यतायुक्त ऋण योजना की पुस्तिका का किया उपायुक्त ने विमोचन, सितम्बर 2018 तक तिमाही में किए 18192 करोड़ रुपये के ऋण वितरित।

करनाल 20 दिसम्बर, उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया ने बताया कि सरकार ने बैंकों द्वारा वर्ष 2019-20 के लिए 12015.03 करोड़ का ऋण देने का लक्ष्य रखा है। इसमें से फसली ऋण के लिए 4039 करोड़ रुपये, निवेश ऋण 1217 करोड़ रुपये, कृषि आधारभूत सुविधाओं तथा अन्य गतिविधियों के लिए 668 करोड़ रुपये, सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों के लिए 5331 करोड़ रुपये तथा अन्य प्राथमिक क्षेत्रों के लिए 760 करोड़ रुपये का लक्ष्य शामिल हैं।

उपायुक्त वीरवार को लघु सचिवालय के सभागार में बैंकर्स की जिला स्तरीय तिमाही बैठक में समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने इस बैठक में नाबार्ड द्वारा बनाई गई सम्भाव्यतायुक्त ऋण योजना (पीएलपी 2019-20) की पुस्तिका का विमोचन किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कृषि क्षेत्र व लघु व्ययसायियों को ऋण देने में कोताही न बरतें ताकि सम्बंधित व्यक्तियों को समुचित और आसानी से ऋण प्राप्त हों। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों का डिजिटलीकरण के लिए चल रही ई-शक्ति परियोजना पर भी चर्चा की। उन्होंने समीक्षा करते हुए सभी बैंकर्स को सरकार द्वारा चलाई जा रही भीम एप से संबंधित निर्धारित लक्ष्य को 31 दिसम्बर तक पूरा करने के लिए हर शाखा को 1000 नए ग्राहक तथा 100 छोटे व्यावसायिकों को इस योजना से जोडऩे के निर्देश दिए।

जिला अग्रणीय प्रबंधक राजेन्द्र मल्होत्रा ने बैठक में बताया कि जिले में सितम्बर 2018 तक 18192 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए गए। जिले का ऋण जमा अनुपात 127 प्रतिशत रहा जोकि राष्ट्रीय मापदंड 60 प्रतिशत के अनुरूप कईं गुणा ज्यादा है। इसी प्रकार प्राथमिक क्षेत्र के 40 प्रतिशत राष्ट्रीय लक्ष्य के विरूद्ध 66 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया गया तथा कृषि क्षेत्र में 18 प्रतिशत के विरूद्ध 37 प्रतिशत, कमजोर वर्ग में 10 प्रतिशत के विरूद्ध 13 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की गई।

नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक सुशील कुमार ने बताया कि कृषि क्षेत्र में निवेश ऋण को बढ़ावा देने कृषि यंत्रीकरण, पोलिहाउस, पशुपालन, सूक्ष्म सिंचाई, भंडारण सरंचना, क्षेत्र विकास योजना के तहत लक्ष्यों की प्राप्ति पर विशेष रूप से जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सभी हितधारकों से इस परियोजना को सफलतापूर्वक लागू करने तथा ई-शक्ति पोर्टल के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों को बैंकों द्वारा क्रेडिट लिंकेज को पूरा करना है।

इस मौके पर एसीयूटी साहिल गुप्ता, आरबीआई से रघुबीर सिंह, केवीआईसी से एसके सिंह, एमएसएमई राकेश वैद्य सहित संबंधित बैंकर्स उपस्थित रहे।

From today banks will remain close for 5 days

  • On December 21 and 26, bank unions will be on strike
  • December 22 is fourth Saturday and 23 a Sunday
  • Banks will remain closed on December 25 on account of Christmas

Between December 21 and 26, public sector banks will remain closed on all days except December 24.

Bank holidays and a couple of strikes may play spoilsport if you had planned to carry out important banking works in the next six days. If you have an account in a public bank, you must not leave urgent banking matters to the year end. Starting December 21, there is a possibility that public sector banks may remain closed for as long as five days.

A bank officers’ association has called for a day-long strike on December 21. The banks will remain closed on December 22 since it is the fourth Saturday of the month. December 23 is a Sunday, hence another holiday for banks.

December 24 (Monday) will provide a small window for carrying out transactions since it is a working day. The next day, December 25, is a holiday on account of Christmas. Then on December 26, the United Forum of Bank Unions (UFBU) has given a call for another strike.

So, between December 21 and 26, public sector banks will remain closed on all days except December 24.

The strike on Friday (December 21) has been called by the All India Bank Officers Confederation (AIBOC). It is aimed at highlighting the association’s demand for full and unconditional mandate for the XIth Bipartite wage revision talks which is based on May, 2017 charter of demands.

The bank officers have rejected calls from the Indian Banks Association (IBA) for calling off their strike as they claim that there has been no “perceptible movement” on their demand, almost 20 months after the talks stated.

This means 3.2 lakh members of the officers’ union will be on a strike on December 21.

In a statement, the confederation said, “It is nothing but a farcical logic to restrict the wage negotiations up to the officers in scale III, whereas the entire officer community is covered under Unified Service Regulations.

Meanwhile, banks are making arrangements to ensure that customers don’t face major hardship during these five days. Extra cash is already being dispatched to ATMs to maintain the cash flow.

कलकत्ता हाई कोर्ट ने अमित शाह की रथ यात्रा को मंजूरी दी

इससे पहले तृणमूल कांग्रेस सरकार ने पश्चिम बंगाल में बीजेपी को रथयात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी थी

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने राज्य में पार्टी की ‘रथ यात्रा’ को अनुमति देने वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश का बृहस्पतिवार को स्वागत किया और कहा कि ‘‘जल्द ही’’ कार्यक्रम शुरू होगा। भगवा पार्टी इस ‘रथ यात्रा’ को ‘गणतंत्र बचाओ यात्रा’ बता रही है। ‘रथ यात्रा’ की अनुमति देते हुए न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती ने प्रदेश भाजपा को जिले में रैली के प्रवेश करने के तय समय से कम से कम 12 घंटे पहले जिला पुलिस अधीक्षकों को इसकी सूचना देने का निर्देश दिया। अदालत ने पार्टी को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि “यात्राएं” कानून का पालन करते हुए यात्रा निकाली जाएं और सामान्य यातायात बाधित नहीं होना चाहिए।

पश्चिम बंगाल सरकार ने भाजपा को ‘रथ यात्रा’ की अनुमति देने से शनिवार को इनकार कर दिया था। उसने इसके लिए इन खुफिया रिपोर्टों का हवाला दिया था कि उन इलाकों में साम्प्रदायिक हिंसा की आशंका है जहां पार्टी यात्रा निकालने की योजना बना रही है। उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए घोष ने कहा, ‘‘हम अदालत के आदेश के लिए उसका आभार जताते हैं। यह ऐतिहासिक फैसला है। गणतंत्र बचाओ यात्रा जल्द ही शुरू होगी और कार्यक्रम के अनुसार आयोजित की जाएगी।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘हमने पहले ही नई तारीखें सौंप दी हैं लेकिन हम तारीखों में थोड़ा बदलाव कर सकते हैं। हम अदालत के सभी दिशा निर्देशों का पालन करेंगे।’’ घोष ने कहा कि भाजपा के प्रदेश और केंद्रीय नेता तारीखों के संबंध में पार्टी के अगले कदम पर निर्णय लेंगे। प्रदेश भाजपा के सूत्रों के अनुसार, नई तारीखें हैं : कूचबिहार जिले से 22 दिसंबर, दक्षिण 24 परगना जिले से 24 दिसंबर और बीरभूम में तारापीठ मंदिर से 26 दिसंबर।

चराग पासवान NDA छोडने को लेकर गंभीर, नोटबन्दी की सफलता पर लगाया प्रश्नचिन्ह

लोकसभा चुनाव नजदीक है. ऐसे में चुनावी सरगर्मियां भी धीरे-धीरे तेज हो रही हैं. वहीं राजनीतिक दलों में भी चुनावी गठजोड़ शुरू हो चुका है.

लोकसभा चुनाव नजदीक है. ऐसे में चुनावी सरगर्मियां भी धीरे-धीरे तेज हो रही हैं. वहीं राजनीतिक दलों में भी चुनावी गठजोड़ शुरू हो चुका है. इसको लेकर हाल ही में उपेंद्र कुशवाह ने खुद को एनडीए से अलग कर लिया है. वहीं लोक जनशक्ति पार्टी भी लगातार बीजेपी को आंखे दिखाने का काम चुनाव से पहले कर रही है. सूत्रों के मुताबिक अब चिराग पासवान ने नोटबंदी को लेकर सवाल उठाए हैं.

लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे के बीच अब लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान ने नोटबंदी की सफलता को लेकर सवाल उठा दिए हैं. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने पीएम मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को चिट्ठी लिखकर नोटबंदी के फायदे के बारे में जानकारी मांगी है. हालांकि सीट बंटवारे के बीच नोटबंदी के मुद्दे को हवा देने के भी कई सियासी मायने देखा जा रहे हैं. वहीं आशंका जताई जा रही है कि LJP भी एनडीए से इस बार के चुनाव में खुद को अलग कर सकती है.

वहीं इससे पहले चिराग पासवान ने ट्वीट करते हुए लिखा था ‘टीडीपी और आरएलएसपी के एनडीए गठबंधन से जाने के बाद ये गठबंधन नाजुक मोड़ से गुजर रहा है. ऐसे समय में भारतीय जनता पार्टी गठबंधन में फिलहाल बचे हुए साथियों की चिंताओं को समय रहते सम्मानपूर्वक तरीके से दूर करें.’

दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खाते में बिहार की 22 सीटें आई थी. वहीं केंद्रीय मंत्री रामविलास की पार्टी LJP ने 7 सीटों पर चुनाव लड़कर 6 में जीत हासिल की थी. इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएसएसपी 3 सीटों पर चुनाव लड़कर तीनों सीटों पर जीत हासिल की थी.

नसीरुद्दीन शाह ने सच ही तो कहा है, बस आसपास देखिए तो जरा

राजविरेन्द्र वसिष्ठ

भारत के लोगों में हिपोक्रेसी इतनी कूट-कूटकर भरी हुई है कि इनकी बुद्धियों को लॉजिक और सवाल-जवाब भेद भी नहीं पाते है। यहाँ अब अपनी बात किसी भी माध्यम से काही जा सकती है। अभी कुछ दिन पहले विराट कोहली पर उंगली उठाने वाले नसीरुद्दीन शाह अब भारत के सामाजिक ताने बाए से खौफजदा हैं। उन्हे आमिर खान कि तरह “भारत” में डर लगने लग गया है। जो व्यक्ति बर्फी और लड्डू में मजहबी फर्क करने पर खीज जाता था आज अपने मज़हब को ले कर पसोपेश में है। यह उनकी राजनैतिक बिसात है या फिर उनकी किसी नयी फिल्म क मसौदा यह तो वह ही जानें।

हिंदी सिनेमा के बड़े नाम नसीरुद्दीन शाह अपने बयान से न्यूज चैनलों के प्राइम टाइम की बहस का मुद्दा बन गए हैं. अब उलट उनसे सवाल पूछा जा रहा है. ऐसी नौबत बनाई जा रही है कि उनको भी अपनी देशभक्ति साबित करने पर मजबूर होना पड़े. आमिर खान ने भी कुछ-कुछ ऐसा ही बयान दिया था और उन्हें आखिर में सफाई देनी पड़ी थी. उन्हें तो पाकिस्तान भेजने तक का न्योता भी मिल गया था. लेकिन शुक्र है कि पिछले कुछ वक्त से देश में पाकिस्तान भेजने की धमकी देने का चलन खत्म सा हो गया है. फिर उसे दोहरवाने कि इन्हे जरूरा पड़ी कहीं मामला राजनैतिक महत्वकांक्षा क तो नहीं?

‘बच्चों के लिए फिक्र होती है’

पूरा मामला कुछ यूं है कि ‘कारवां-ए-मोहब्बत इंडिया’ से एक इंटरव्यू में नसीरुद्दीन शाह ने बुलंदशहर हिंसा की घटना पर कमेंट किया था. उन्होंने कहा था कि उन्हें अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता है. वो डरे हुए नहीं गुस्से में हैं. उन्होंने कहा कि देश में जहर फैलाया गया है और अब इसे रोकना मुश्किल है.

शाह ने कहा था कि उन्होंने अपने बच्चों को कभी किसी खास धर्म की शिक्षा नहीं दी है. उन्होंने अपने बच्चे इमाद और विवान को धार्मिक शिक्षा नहीं देना तय किया था क्योंकि उनका मानना है कि ‘खराब या अच्छा होने का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है’, इसलिए उन्हें डर है कि अगर कभी भीड़ ने उनके बच्चों को घेरकर पूछ लिया कि वो किस धर्म के हैं, तो वो क्या जवाब देंगे?

शाह ने देश में हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं के क्रम में जुड़े बुलंदशहर हिंसा पर टिप्पणी भी की. उन्होंने कहा कि देश में गाय के जान की कीमत एक पुलिसवाले से ज्यादा हो गई है. यहां गाय की मौत को पुलिस अधिकारी की हत्या से ज्यादा तवज्जो दी गई. उन्होंने कहा कि लोग कानून को अपने हाथ में ले रहे हैं और उन्हें खुली छूट भी दे दी गई है.

शाह का अपने बच्चों के लिए डर होना 2015 में आमिर खान के असहिष्णुता पर दिए गए बयान की याद दिलाता है. खान की इस टिप्पणी के बाद जाहिर तौर पर विवाद पैदा हो गया था. उसी तरह शाह को भी निशाना बनाया जा रहा है.

शाह के सवाल पर सवाल

सबसे पहले बात राजनीतिक पार्टियों की. भारतीय जनता पार्टी की ओर से राकेश सिन्हा ने उनके इस बयान पर कहा है कि देश में कुछ लोग बदनाम गैंग में शामिल हो गए हैं. प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि देश में डरने जैसी स्थिति नहीं है. सच है यदि रोज़ सुबह कमा कर खाने वालों बच्चों से ले कर जवान औरतों को जैसा कि इनकी अभिनेत्रियों शबाना या समिता की तरह रसूखदारों की नज़रों से अपने आप को फटी साढ़ी में ढकतीं बचाती दिखाई जातीं थी उन्हे प्रतिदिन अपने आपको उसी जगह लाने में डर नहीं लगता तो फिर इनको कैसा डर? और यह साहब ज़रा बता तो दें की मुंबई धमाकों के बाद वहाँ कौन से धार्मिक उन्माद की बात इनहोने देख ली?

वहीं, न्यूज चैनलों पर सवाल पूछे जा रहे हैं कि नसीरुद्दीन शाह को बच्चों की चिंता क्यों हो रही है? क्या उन्हे सिर्फ अपने बच्चों की चिंता है, उनकी नहीं जो दिन रात सड़कों पर दो जून की रोटी और इस ठिठुरती ठंड मैनपने हाड़ गलने को मजबूर हैं। जिस देश ने उन्हें बुलंदियों पर पहुंचाया, अब वहां उन्हें डर क्यों लगने लगा है? इस बात की खातिर जमा रखिए जल्दी ही वह कोई टोपी पहने नज़र आएंगे, लोगों ने तो इसे 2019 की तैयारी भी बता दी है.

मीडिया भी तो खुश है. उसे समझ नहीं आ रहा कि शाह को डर क्यों लग रहा है? वो कैसे इतने सुरक्षित देश को असुरक्षित कह सकते हैं? देश ने तो कुछ वक्त से ऐसी कोई घटना देखी ही नहीं है, जिसमें डरने जैसी कोई बात हो. इसलिए शाह की बात ऐसी बेसिर-पैर है, जिसका ओर-छोर इन्हें समझ नहीं आ रहा और उनसे उलट सवाल पूछे जा रहे हैं.

अब जरा गंभीर सवाल-

– क्या पिछले कुछ वक्त में देश में मॉब लिंचिंग पर वह चाहे बंगाल में हो या फिर केरल में, मीडिया में सवाल नहीं उठाए गए हैं?

– क्या गौरक्षा/ असिहशुनता के अभियान को लेकर देश में बौद्धिक्क हिंसा नहीं बढ़ी है? क्या एक व्यक्ति विशेष के मुख्य पद पर बैठने से विपक्ष तिलमिलाया हुआ नहीं है? उसी का असर क्या कुछ समर्थकों की बातों में नहीं दीख पड़ता?

– क्या मीडिया ने देश में सुरक्षा को लेकर सरकारों पर सवाल नहीं उठाए हैं?

– क्या प्रशासनिक लापरवाही, गैर-जिम्मेदाराना बर्ताव और सरकारी नाकामी पर मीडिया सवाल नहीं करता है? क्या आपकी फिल्मों में स्वावलंबन नहीं सिखाया जाता और इस पर भत्तों की आग में खुद को झोंक देने की मानसिकता चिंता क विषय नहीं है? किसानों की बुरी हालत क्या विगत पाँच वर्षों ही में हुई है? उनकी कर्जा माफी क्या मध्य वर्ग यानि आम आदमी जिसकी आप एक्टिंग करते आए हैं के गाढ़ी कमाई पर सीधा सीधा डाका नहीं है, क्या इससे आपको चिंता होती है।

– क्या मीडिया को देश बहुत सुरक्षित लगने लगा है और उसे अव्यवस्था, हिंसा, अपराध की खबरें मिलनी बंद हो गई हैं?

मीडिया ने ये सवाल उठाए हैं और उठाता रहा है. मॉब लिंचिंग हो या सरकारी नाकामी का मसला हो, मीडिया सवाल पूछता है. मीडिया जवाबदेही ढूंढता है, तो दिक्कत क्यों है?

आंखें मूंदकर बेवकूफ बने रहना ज्यादा पसंद है?

शाह ने कौन सी नई बात कही है? क्या इस देश में बहुत शांति आ गई है? क्या एक आम आदमी से लेकर रसूख वाले इंसान को यहां डर नहीं लगता? क्या देश में आर्थिक और सामाजिक तौर पर बहुत सामंजस्यता बन गई है? क्या कश्मीर में पत्थर बाजों ने सेना के रास्ते में आना बंद कर दिया है? क्या बंगाल में दलितों की हत्याएँ बंद हो गईं है? क्या केरल में राजनैतिक हत्याएँ बंद हो गईं हैं? क्या रोहिङ्ग्यओन को ले कर तुष्टीकरण की राजनीति बंद हो गयी है? क्या हमने एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करना सीख लिया है, जिससे कि देश में डर खत्म हो जाना चाहिए?

हमारे यहां ये बड़ी समस्या है, अपनी चीज को खराब कहने में कोई दिक्कत नहीं, लेकिन यही बात कोई और कह दे तो हम उसपर चढ़ बैठते हैं. गर्व के भ्रम में इग्नोरेंस या कह लें अक्खड़ रुख को अपनाए बैठे हम खुद को एक बार नहीं आंकना चाहते.

इस पूरे मामले पर अप्रोच ऐसा होना चाहिए कि सच्चाई की ओर से आंखें मूंदकर सवाल दागने से अच्छा खुद ये सवाल उठाए जाएं. आखिर कोई ये बातें कह रहा है तो क्यों कह रहा है? देश में सुरक्षा क्यों नहीं है पूछने वालों से पूछा जाना चाहिए और कितनी सुरक्षा चाहते हो? आराम से काम पर जाते हो, पार्टियां करते हो, हर जगह मुफ्त की तोड़ते हो और फिर कहते हो की भावना असुरक्षा की है। और राजनीति करने वाले नेता समस्या को कैसे पोषित कर पा रहे हैं?

किसी आम आदमी से भी पूछ लीजिए कि वो इस देश में कितना सुरक्षित महसूस करता है. और बात बस धर्म की नहीं है, आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा बहुत मायने रखती है. आपको लगता नहीं की आम आदमी किस तरह की जिंदगी बसर कर रहा है। आम आदमी टिकिट खिड़की पर लगता है आपको देखने के लिए अपने आप को आप में ढूँढता हुआ वह अपनी गाढ़ी कमाई का एक हिस्सा आपके लिए खर्चता है। आप उसके रोल .माडल हैं। आम आदमी अपने बेटे भाई माँ बीवी के मरने के कुछ दिन बीत जाने पर फिर से जीने की ओर अग्रसर होता है, ठीक उसी तरह जिस तरह आप रुपहले पर्दे पर। जब वही आम आदमी आपके नाटक पर तालियाँ पीटता है तब तो आपको डर नहीं लगता ज़ाहीर सी बात है आप को राजनैतिक डर लगता है। आपने अपने ब्यान से अपनी दूसरी पारी की शुरुआत की है, आपको खुले मन से इस मंच पर आना चाहिए था न की भुक्तभोगी होने का नाटक कर कर। पर आप नाटक के अलावा और कर भी क्या सकते हैं.

हर मुद्दे को चल रही हवा की चलनी में छानकर मतलब की चीजों को निकालकर मुद्दों को उलझाया न जाए तो कुछ अच्छा हो. लेकिन फिलहाल तो सच में चीजें बदलती नहीं दिख रहीं.

RAWFED team submitted memorandum to The Commissioner MC

On 9th Dec Another major issue discussed in the meeting was of garbage segregation and its disposal. In this connection CRAWFED team  submitted memorandum to  The Commissioner Municipal Corporation Sh. Kamal Kishore Yadav ji today , suggesting for continuation of lifting/disposing of garbage by adopting old system of garbage collection only, as one side MCC for the time being is not ready with full proof system of segregation and processing, and secondly there is a fear, if the collection staff goes on strike again. then the residents are going to suffer, as everyone witnessed the plight of residents in the month of October 2018, when garbage collectors went on strike for 21 days. If the MCC is interested in automation mode for lifting/segregated garbage, then providing E-rickshaw to the garbage collectors is a low investment option

ज्ञान चंद गुप्ता ने निकाय चुनावों की खुशी कार्यकर्ताओं से सांझा की

आज विधायक ज्ञानचंद गुप्ता ने हरियाणा में 5 नगर निगम के चुनाव में मिली प्रचंड जीत पर पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को बरवाला में पहुंचकर बधाई दी । उन्होंने कहा कि यह जनता के सरकार पर विश्वास की विजय है, विकास की विजय है व झूठ पर सच्चाई की विजय है।  विधायक व कार्यकर्ताओं ने ढोल बजाकर वह मिठाई बांटकर एवं आतिशबाजी चला कर जीत का जशन मनाया ।  इस मौके पर उनके साथ जिला अध्यक्ष दीपक शर्मा, जिला महामंत्री हरिंदर मलिक, सरपंच बरवाला बलजिंदर गोयल, मार्किट कमेटी चेयरमैन बल सिंह राणा, श्री सुशील सिंगला मंडल प्रधान बरवाला, सुरेंद्र शर्मा नंगल, अमरीक सिंह बरवाला, गौतम राणा, अशोक शर्मा, परमजीत राणा सुल्तानपुर, जगदीप कश्यप व सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे ।

Delay in Wage Revision Bank Officers protests on roads

On the call of All India Bank Officers Confederation , a body having more than 3.20 lac members across the country, carried out a candle march , today , on 20th December  , from SBI LHO Sector 17 and after passing through bank square the march culminate at  Punjab National Bank , Bank Square Sector-17 , Chandigarh,   More than 1000 bank officers participated in the march.

They were demand their long pending Wage Revision as per Charter of Demand for all officer up to Scale VII , updation /revision of pension and family pension  , introduction of five day week with immediate effect , stop mis- selling of third party products , focus on core business and NPA recovery , stop merger of Public Sector Banks , for which they hold massive demonstration on 4th, 11th, 14th and on 17th December,2018 to press acceptance of their genuine demands at the earliest. But there is no sincere/serious efforts either from IBA or DFS to avert the strike.

Speaking on the occasion Com Deepak Sharma , Joint General Secretary of AIBOC , strongly criticize the government and IBA for delay in their wage revision , which is due since November 2017 and demand immediate wage hike as per the charter of Demand for all the officers  up  to scale VII . He also demand immediate implementation of five day week . He further told that bank officers will observe 24 hour strike on 21st December to press for acceptance of their demands.

Com. Sanjay Sharma , President  SBIOA, Chandigarh Circle , strongly criticize the central government and IBA for ignoring long pending demands and asked to settle the at earliest . He further stated that government is hand in glove with big  corporate defaulters, who are having almost 84% of total NPAs of  banks and this is the main reasons for loss and weak position of PSBs.   

Speaking on the occasion Com T S Saggu , State Secretary , AIBOC   strongly  criticize the government move of merger /amalgamation of Public Sector Banks and said that on the one side government is issuing licenses to the new small banks and on the other side they are merging the PSBs in the name of weak banks the all most all the PSBs  are in operating profit and in net loss due to provisioning. Government is not serious about recovery from big corporate defaulters and are not making stringent laws for the recovery from them. He further stated that in case their demands were not accepted  , the agitational programme would be intensified.

Sh. Ashok Goyal , President AIBOC , Chandigarh state also address the gathering. Others who were present on the demonstration are Com Vipin Beri , Com. Harvinder Singh , Com. Sacin Kumar , Com . Arun Sikka Com D N Sharma , Com. H S Loona, Com. Neeru Saldi , Com. Balwinder Singh