एसपी-बीएसपी के गठबंधन में कांग्रेस की नो एंट्री


यूपी की सियासत में गोरखपुर और फूलपुर की लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव दरअसल यूपी की सियासत में निर्णायक मोड़ लाने वाले माने जा सकते हैं  

यूपी में महागठबंधन पर अभी कुछ तय नहीं, एक-दो महीने तक इंतजार करें: कांग्रेस

कांग्रेस ने कहा वह राज्य में किसी भी धर्मनिरपेक्ष और ‘सम्मानजनक’ तालमेल का हिस्सा बनने को तैयार है, लेकिन अभी किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी


राजनीति सिर्फ अवसरों का ही नहीं बल्कि विडंबनाओं का भी खेल है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यूपी में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन होता दिखाई दे रहा है लेकिन कांग्रेस के लिए इसमें कोई गुंजाइश नहीं दिखती. तीन राज्यों में चुनाव जीतने वाली कांग्रेस का हाथ यूपी में एसपी-बीएसपी ने लगभग झटक दिया है.

खास बात ये है कि कांग्रेस को गठबंधन में शामिल न करने का फैसला वो बीएसपी ले रही है जिसने खुद 2014 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीती. वहीं उस वक्त राज्य में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी भी सिर्फ कुनबे की ही 5 सीटें जीत सकी थीं. इसके बावजूद यूपी में सीटों के गठबंधन में कांग्रेस को अहमियत नहीं दी गई है बल्कि राष्ट्रीय लोकदल को तरजीह दी गई है. साथ ही समाजवादी पार्टी ने कुछ सीटें निषाद पार्टी और पीस पार्टी के नाम गोरखपुर में हुए उपचुनावों में इन पार्टियों से मिले समर्थन के बदले रखी हैं.

बीजेपी शासित हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस को उम्मीद थी कि यूपी में महागठबंधन के लिए उसका दावा मजबूत होगा. लेकिन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में गठबंधन पर कांग्रेस से झटका खाने के बाद इन क्षेत्रीय दलों ने यूपी में हिसाब बराबर कर लिया. एसपी-बीएसपी ने ये बता दिया कि यूपी में इन्हीं पार्टियों की चलेगी.

इसके बावजूद एसपी-बीएसपी ने कांग्रेस को एक राहत देने का काम किया है. एसपी-बीएसपी के गठबंधन ने कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली की सीटों पर कोई उम्मीदवार न उतारने का भी फैसला किया है. दरअसल, राजनीतिक रिश्तों को बरकरार रखने और जिंदा रखने का ये शालीन तरीका होता है. साल 2012 में कांग्रेस ने भी मुलायम परिवार की बहू डिंपल यादव के लिए कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था.

यूपी की सियासत में गोरखपुर और फूलपुर की लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव दरअसल यूपी की सियासत में निर्णायक मोड़ लाने वाले माने जा सकते हैं. 22 साल बाद एसपी और बीएसपी के बीच पुरानी अदावतों का दौर थमा और दोनों साथ आए. फूलपुर और गोरखपुर में उपचुनावों के नतीजों ने बीजेपी के साथ कांग्रेस की भी नींद उड़ाने का काम किया था. यूपी के सीएम और डिप्टी सीएम अपनी सीटें नहीं बचा सके तो कांग्रेस की दोनों सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी जबकि बुआ-भतीजे की जोड़ी ने यूपी में सवा साल में ही बीजेपी के किले में सेंध लगा दी.

गोरखपुर-फूलपुर ने ही एसपी-बीएसपी को बीजेपी को हराने का फॉर्मूला दे दिया. वहीं कांग्रेस को भी ये समझ आया कि उसकी स्थिति अब अकेले बीजेपी को चुनावी टक्कर देने की नहीं रही. यही वजह रही कि कैराना में लोकसभा के उपचुनाव और नूरपुर में विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस ने एसपी,बीएसपी और राष्ट्रीय लोकदल का समर्थन किया. कैराना से राष्ट्रीय लोकदल की उम्मीदवार तबस्सुम हसन चुनाव जीतीं तो नूरपुर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नईम उल हक जीते.

योगी आदित्यनाथ यूपी में बीजेपी के सभी 9 उम्मीदवारों के राज्यसभा चुनाव जीतने से गदगद हैं

यूपी में हुए पिछले 1 साल में उपचुनावों ने सियासी समीकरणों को बड़ी तेजी से बदला. जहां एसपी-बीएसपी गठबंधन अप्रत्याशित रूप से दिखाई पड़ा तो वहीं नूरपुर और कैराना में हुए उपचुनाव में जाट-मुस्लिम-यादव और दलित-मुस्लिम गठजोड़ का समीकरण भी दिखा. ये सामाजिक और राजनीतिक बदलाव बीजेपी के लिए साल 2019 में सिरदर्द बन सकते हैं.

लगभग तय गठबंधन के मुताबिक समाजवादी पार्टी 37 और बहुजन समाज पार्टी 38 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं जबकि राष्ट्रीय लोकदल को 3 सीटें दी गई हैं और कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली की सीट छोड़ी गई है.

अब कांग्रेस इसे आत्मसम्मान का मुद्दा बना कर अकेले मैदान में उतरने का फैसला कर सकती है लेकिन उसकी कोशिश आखिरी तक गठबंधन की ओट में चुनाव लड़ने की होगी ताकि नतीजे अगर उम्मीद के मुताबिक न हों तो इससे होने वाले नुकसान से भी बचा जाए.

यूपी विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के अलग अलग बयान थे कि गठबंधन का फैसला सही नहीं साबित हुआ. कुल मिलाकर ऐसे गठबंधन अगर जीत के अवसर पैदा करते हैं तो हार से होने वाली किरकिरी से बचने का भी जवाब तैयार करते हैं. गठबंधन दरअसल सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनावी रण में तलवार भी है तो ढाल भी.

फिलहाल यूपी की सियासत अब गठबंधन की धार पर है और इस बार बीएसपी सुप्रीमो मायावती का जन्मदिन लोकसभा चुनाव के शंखनाद से कम नहीं होगा. इस मौके पर यूपी के गठबंधन का औपचारिक ऐलान हो सकता है.

कांग्रेस के लिए बेहतर यही होगा कि वो यूपी में लोकसभा चुनाव में अपनी भूमिका तय करे क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि उसका कोई फैसला वोट-कटवा की भूमिका निभाए जिसका फायदा अप्रत्यक्ष रूप में बीजेपी को ही मिले. वैसे भी यूपी की एक-एक सीट पर इस बार आर-पार की लड़ाई होनी है.

दरअसल, समाजवादी पार्टी से अलग हुए शिवपाल यादव अपनी नई पार्टी से एसपी के मुस्लिम-यादव वोटबैंक में ही सेंध लगाने का काम करेंगे. ऐसे में कांग्रेस सभी 80 सीटों पर जाट-मुस्लिम-यादव-दलित समीकरण के उम्मीदवार उतार कर बीजेपी के विरोध में बने एसपी-बीएसपी-रालोद गठबंधन का बंटाधार न कर जाए? कम से कम अब बीजेपी के साथ एसपी-बीएसपी को भी कांग्रेस को कमजोर आंकने की भूल नहीं करनी चाहिए.

सम्मान चाहिए पर विकल्प भी खुले हैं चराग पासवान


पासवान ने राहुल की जीत पर कहा, अगर आप किसी की आलोचना करते हैं और वही अच्छा परफॉर्म करे तो उसकी तारीफ करनी चाहिए

कुशवाहा कि तर्ज़ पर यदि सम्मान जनक सीटों का फैसला समय रहते नहीं होता तो विकल्प उनके लिए भी खुले हैं. पासवान को चुनावी मौसम का विशेषज्ञ बताया जाता है, यदि वह NDA छोड़ना चाहते हैं तो वाकई मौसम बदल रहा है.


लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ की है. उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी में निश्चित ही सकारात्मक बदलाव आया है. कांग्रेस पार्टी को काफी समय बाद जीत हासिल हुई है.’

पासवान ने राहुल की जीत पर कहा, ‘अगर आप किसी की आलोचना करते हैं और वही अच्छा परफॉर्म करे तो उसकी तारीफ करनी चाहिए. उन्होंने मुद्दों को सही तरह से चुना.’

चिराग ने कहा, ‘जिस तरह कांग्रेस ने किसानों और बेरोजगारों की समस्याओं का मुद्दा उठाया, वह बहुत सही समय पर किया गया फैसला था. हम केवल धर्म और मंदिर के पेचीदे मामले में ही उलझे रहे.’

पासवान ने कहा, ‘मैं सरकार से मांग करता हूं कि आने वाले समय में हमें एक बार फिर विकास के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए.’

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को शानदार जीत मिली है.

राहुल कि मानें तो – मानो या न मानो मैं ही चैंपियन हूं: राजीव कुमार, वाइस चेयरमैन निति आयोग


नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा, मुझे नहीं लगता जितना काम किसानों के लिए मौजूदा सरकार ने किया है, उतना काम कभी किसी सरकार ने किया है


किसानों की कर्ज माफी को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा था. इसी के जवाब में नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने राहुल गांधी पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा, ‘अब इस पर मैं क्या ही कहूं. ये ऐसा है जैसे मानो या न मानो मैं ही चैंपियन हूं. सरकार सब कुछ देखने के बाद ही काम करती है. मुझे नहीं लगता जितना काम किसानों के लिए मौजूदा सरकार ने किया है, उतना काम कभी किसी सरकार ने किया है.’

नीति आयोग के वाइस चेयरमैन ने आगे कहा कि किसी भी सरकार ने स्वामीनाथन रिपोर्ट को लेकर दिए गए सुझावों को स्वीकार नहीं किया, लेकिन इस सरकार ने किया. इससे किसानों को दिए जाने वाली कर्ज की राशी 10.50 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ी है. राहुल गांधी की सरकार को अपना काम करना चाहिए, बाकी सब अपना काम कर रहे हैं.

 

गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने किसानों की कर्ज को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि हमने सरकार बनने के छह घंटे में किसानों का कर्ज माफ किया. मोदी जी साढ़े चार साल से सत्ता में है फिर भी उन्होंने एक भी पैसा माफ नहीं किया. मोदी जी कब कर्ज माफ करेंगे. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था कि, विधानसभा चुनावों में जो ये जीत मिली है, ये देश के गरीब, किसान और छोटे दुकानदारों की जीत है. जब तक किसानों का कर्ज माफ नहीं हो जाता हम पीएम मोदी को सोने नहीं देंगे. सभी विपक्षी दल एक साथ इसकी मांग करेंगे.


वैसे पूछते हैं:

एक और कांग्रेस अपने पुराने चाहवानों मल्लय नीरव और चोकसी को ले कर उनके कर्जों को लेकर मोदी सरकार को घेरती है और कर्जों कि राशी कि वापसी कि बात करती है और उस पैसे को मध्य वर्ग से कि गयी ठगी बताती है वहीँ अब वह किसानों का अरबों रूपये का लों माफ़ कर किस मद से पैसा वापिस देगी?
क्या मध्य वर्ग में कर्जे से जूझते और परिवार सहित आत्महत्या करते लोंगों को और निचोड़ेग?
क्या यह ठीक नहीं होगा कि इस प्रकार के चुनावी वायदे सरकारों को अपने पार्टी फंड से ही चुकाना चाहिए?

टाइगर अभी जिंदा है : शिवराजसिंह चौहान


शिवराज सिंह से महिलाएं और बच्चे लिपट कर रो पड़े


आज शिवराज सिंह चौहान अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी पहुंचे जहां वह अपने क्षेत्र के लोगों का आभार प्रगट करने गए. वहां उन्हें मिलने कई औरतों का हुजूम भी मिलने पहुंचा. सभी औरतें शिवराज से बहुत भावपूर्ण ढंग से मिलीं.

बच्चे शिवराज सिंह चौहान को इन्हीं महिलाओं के कारण मामा शिवराज  कह कर बुलाते हैं. माहौल तब और भी ग़मगीन हो गया जब यही महिलायें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से लिपट कर रो पड़ीं. उन्हें शिवराज के पुन: मुख्यमंत्री न बनने का दुःख साल रहा था.

वहीँ कई महिलायें तो यह कहतीं भी ही सुनीं गयीं कि भैया अब हमारा क्या होगा?

तब भर्राए गले शिव राज सिंह ने कहा, “मैं हूँ न, टाइगर अभी जिंदा है.”

लोक सभा चुनाव अभी दूर हैं, कांग्रेस भी मामा शिवराज कि मातृशक्ति को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी अब देखना है कि मातृशक्ति शिवराज को पुन: अपने आशीर्वाद से कैसे सराबोर करतीं हैं.

पटियाला हाउस कोर्ट में सज्जन कुमार मामले पर 20 दिसंबर को होगी सुनवाई


साल 2005 में नानावटी आयोग की रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के बाद सीबीआई ने सज्जन कुमार के खिलाफ कई केस दर्ज किए


पूर्व कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार के मामले में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में कल यानी गुरुवार को सुनवाई होगी. नानावटी कमीशन की सिफारिश पर दर्ज किया गया सीबीआई का यह दूसरा केस है.

सज्जन कुमार 1984 के सिख विरोधी दंगों में दिल्ली के सुल्तानपुरी में हत्या के आरोपों पर ट्रायल का सामना कर रहे हैं. गौरतलब है कि 1984 के सिख दंगों में दिल्ली हाईकोर्ट ने दो दिन पहले सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. फैसले के अगले ही दिन सज्जन कुमार ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.

सज्जन कुमार को पालम कॉलोनी के राज नगर पार्ट-1 में दंगों में 5 सिखों के मारे जाने और राज नगर पार्ट-2 में गुरुद्वारा जलाने के मामले में दोषी ठहराया गया है. यह घटना 1-2 नवंबर, 1984 की दरम्यानी रात को हुआ था. हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को 31 दिसंबर तक सरेंडर करने को कहा है.

वर्ष 2005 में नानावटी आयोग की रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के बाद सीबीआई ने सज्जन कुमार के खिलाफ कई केस दर्ज किए. इससे पहले वो उनके खिलाफ 1984 सिख दंगे मामले में एकमात्र केस की जांच कर रही थी.

34 साल बाद हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद मंगलवार को दंगा पीड़ितों के मन में यही सवाल था कि क्या सज्जन कुमार के खिलाफ अन्य मामलों में भी फैसला आएगा?

कोर्ट में 1984 सिख दंगा प्रभावितों का केस लड़ते आ रहे वरिष्ठ वकील एच एस फुल्का ने पत्रकारों  से कहा था कि वो और उनकी टीम जल्दी ही सज्जन कुमार और कांग्रेस के अन्य नेताओं के खिलाफ शेष मामलों का अध्ययन करेंगे.

हरियाणा के निकाय चुनावों ने विधानसभा का रंज धो डाला


मात्र 8 दिन में ही उतरा कांग्रेस की जीत का खुमार, BJP ने की दमदार वापसी

हरियाणा नगर निगम चुनावों में जीत हासिल करने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कार्यकर्ताओं को बधाई दी है


हरियाणा के निकाय चुनाव में बीजेपी की जीत ने पार्टी में फिर से जोश भर दिया है. तीन राज्‍यों के विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद हरियाणा के बेहतर प्रदर्शन ने पार्टी के लिए संजीवनी का काम किया है. निकाय चुनाव की गिनती के बाद तय हो गया है कि सभी पांच जिलों में बीजेपी का मेयर बनना तय है. निकाय चुनाव में. बीजेपी के बेहतर प्रदर्शन के पांच कारण रहे.

कांग्रेस ने सिंबल पर नहीं लड़ा चुनाव

इस बार के निकाय चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि उसका कोई भी उम्‍मीदवार कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ा. नेशनल लोकदल को बाहर से समर्थन देने की बात कह चुकी कांग्रेस ने अपने किसी भी उम्‍मीदवार को हाथ के पंजे पर चुनाव नहीं लड़ने दिया. इसका सबसे ज्‍यादा फायदा बीजेपी को मिला.

नेशनल लोकदल में टूट बड़ा कारण

नेशनल लोकदल में दुष्‍यंत चौटाला और अभय चौटाला के बीच की लड़ाई का असर चुनाव में साफ देखने को मिला. दोनों ही नेताओं ने चुनाव में अपनी ताकत नहीं दिखाई. नेशनल लोकदल ने चुनाव में अपनी ताकत नहीं डाली, जिसका फायदा बीजेपी के उम्‍मीदवारों को मिला.

चुनाव में नेशनल लोकदल के नेताओं ने नहीं किया प्रचार

निकाय चुनाव में नेशनल लोकदल के नेताओं ने चुनाव प्रचार नहीं किया. इसका सबसे बड़ा कारण रहा दुष्‍यंत चौटाला और अभय चौटाला की लड़ाई. दोनों ही नेताओं ने अपने उम्‍मीदवारों के लिए कोई भी प्रचार प्रसार नहीं किया.

बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंकी

तीनों राज्‍यों के विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद बीजेपी और झटका नहीं लेना चाहती थी. यही कारण है कि बीजेपी हरियाणा के सभी प्रमुख नेताओं ने चुनाव में खड़े उम्‍मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार किया था. इसका फायदा उन्हें मिला है.

करनाल सीट रही सबसे अहम

करनाल सीट पर नेशनल लोकदल और कांग्रेस ने अपना उम्‍मीदवार ही नहीं उतारा. करनाल सीएम मनोहर लाल खट्टर की सीट मानी जाती है. बीजेपी ने इस सीट से रेनु बाला को खड़ा किया था. नेशनल लोकदल और कांग्रेस ने निर्दलीय प्रत्‍याशी आशा वधवा को अपना समर्थन दिया था.

President’s Rule in J&K from midnight


President Ram Nath Kovind signed the proclamation paving the way for imposition of central rule in the State


President’s rule will come into force in Jammu and Kashmir from midnight on December 19 after expiry of six months of Governor’s rule, an official order said on Wednesday.

President Ram Nath Kovind signed the proclamation paving the way for imposition of central rule in the State which plunged into a political crisis in June after the BJP withdrew support to the PDP government led by Mehbooba Mufti.

The Union Cabinet headed by Prime Minister Narendra Modi took the decision on December 17 after Jammu and Kashmir Governor Satya Pal Malik sent a report recommending imposition of President’s rule in the State.

After the proclamation, the powers of the Legislature of the State shall be exercisable by or under the authority of Parliament.

Since the State has a separate Constitution, in such cases, six months of Governor’s rule is compulsory under Article 92 of the Jammu and Kashmir Constitution, under which all the legislature powers are vested with the Governor.

The Governor on November 21 dissolved the 87-member State Assembly after the PDP, supported by the Congress and their arch rivals National Conference, had staked claim to form the government.

Simultaneously, the two-member People’s Conference led by Sajjad Lone had also staked claim to form a government with 25 members of the BJP and other 18 unknown members.

The Governor had dissolved the Assembly citing horse trading and lack of stability to form a government as the reasons.

Rupee gained, now 70.39 against dollar

The rupee pared early gains but managed to end 5 paise higher at 70.39 against the U.S. dollar on Wednesday on increased selling of the greenback by exporters amid benign crude oil prices and smart gains in domestic equities.

This is the third straight session of gains for the domestic unit, during which it has rallied by a hefty 151 paise.

Traders said sustained selling of the American currency by exporters and banks ahead of the U.S. Fed policy decision propped up the rupee, while sliding oil prices eased current account deficit concerns.

At the Interbank Foreign Exchange (Forex), the rupee opened on a firm note at 70.05.

It gained further to hit a high of 69.86 following dollar selling by exporters, before finally closing at 70.39, up 5 paise.

The rupee on Tuesday had rallied by a whopping 112 paise, its best single-day gains in over five years, to settle at 70.44 against the U.S. dollar.

Forex traders said investor sentiment was supported by sharp fall in bond yields and continued infusion of liquidity by the RBI by way of open market operation.

“A bearish view on oil prices added strength to rupee. On global front, market is expecting dovish hike by Fed which is likely to calm investors’ nerves in the emerging markets like India,” said Vinod Nair, Head of Research, Geojit Financial Services Ltd.

Globally, Brent crude, the international oil benchmark, was trading at over a one-year low of USD 56.27 per barrel.

Market benchmark BSE Sensex settled 137.25 points, or 0.38%, higher at 36,484.33, continuing its rising streak for the seventh session. The NSE Nifty too ended 58.60 points, or 0.54%, higher at 10,967.30.

The Financial Benchmark India Private Ltd (FBIL) set the reference rate for the rupee/dollar at 70.1094 and for rupee/euro at 79.8153. The reference rate for rupee/British pound was fixed at 88.7431 and for rupee/100 Japanese yen at 62.38.

Meanwhile, foreign institutional investors (FIIs) bought shares worth ₹144.76 crore on Tuesday, as per provisional data.

Major boost for Indian Air Force as ISRO puts military satellite GSAT-7A in orbit


The satellite is expected to provide aircraft-to-aircraft communication and will have an exclusive frequency for the purpose.


GSAT-7A, an exclusive satellite for the Indian Air Force, was on Wednesday, December 19, 2018, succesfully ”injected” into its intended orbit by GSLV-F11 that was launched from the Satish Dhawan Space Centre (SHAR) in Sriharikota, near Chennai.

The satellite is expected to provide aircraft-to-aircraft communication and will have an exclusive frequency for the purpose.

“Today GSLV [Geosynchronous Satellite Launch Vehicle] successfully and safely injected the advanced communication satellite in a super synchronous transfer orbit,” ISRO (Indian Space Research Organisation) Chairman K. Sivan said.

GSLV-F11, the 13th flight of the GSLV-MkII, blasted off from the second launchpad at 4.10 p.m. The satellite was placed in a Geosynchronous Transfer Orbit 19 minutes after the lift-off.


“Congratulate @isro for successfully launching the advanced communication satellite GSAT-7A, with launch vehicle GSLV-F11, from #Sriharikota in Andhra Pradesh today. The 2250 kg satellite built by #ISRO will be a big boost to our defence capabilities. #GSAT7A #GSLVF11,” Vice-President M Venkaiah Naidu tweeted.

 

VicePresidentOfIndia

@VPSecretariat

Congratulate @isro for successfully launching the advanced communication satellite GSAT-7A, with launch vehicle GSLV-F11, from in Andhra Pradesh today. The 2250 kg satellite built by will be a big boost to our defence capabilities.

Delhi court sends Christian Michel to judicial custody till December 28


He was in CBI custody for 15 days; court reserves order on his bail plea to Dec. 22.


A Delhi court on Wednesday sent Christian Michel, the alleged middleman in the ₹3,600-crore AgustaWestland VVIP chopper deal, to judicial custody till December 28.

He has been chargesheeted and arrested in connection with the case.

Mr. Michel was produced before Special Judge Arvind Kumar on expiry of his 14-day CBI custody.

Earlier in the day, the court reserved for December 22 its order on a bail plea of Mr. Michel.

The counsel for 57-year-old British national told Judge Arvind Kumar that he was not required for custodial interrogation and no purpose will be served by keeping him in further custody.

“My handwriting has already already been taken. There were no original documents with the CBI to match it with. I have volunteered to provide all the documents,” Mr. Michel’s counsel Aljo K. Joseph told the court.He was in CBI custody for 15 days.

Extradited to India on Dec. 4

Mr. Michel was arrested in the UAE and extradited to India on December 4. The next day, he was produced in the court, which allowed his five-day custodial interrogation by the CBI which was later extended by five more days.

Mr. Michel is among the three alleged middlemen being probed in the case by the Enforcement Directorate (ED) and the Central Bureau of Investigation(CBI). The others are Guido Haschke and Carlo Gerosa.

Both the agencies notified an Interpol red corner notice (RCN) against him after the court issued a non-bailable warrant against him.

‘Not been a cooperative witness’

The CBI opposed the bail application, saying Mr. Michel might flee as he had already tried to escape from Dubai just before his extradition.

The probe agency said that Mr. Michel was an influential person having links with people from the Ministry and other bureaucrats and politicians, many of who are its witnesses in the case.

“We brought him with so much difficulty. Some new facts have emerged and we need to have follow ups on those. He has not been a cooperative witness. A lot more to be unearthed of out own. He has no roots in India here. He has property etc but he may sell them and go away,” the probe agency said.

The court had earlier extended by four days the CBI custody of Mr. Michel on the ground that he needed to be confronted with various documents in the case.

The CBI had said that he was required to be taken to the premises of Pawan Hans India Ltd. in Mumbai to verify his version of his alleged attempted negotiations to buy back WG-30 helicopters, to identify the shipper and to confront the officials of Pawan Hans India.

The agency said that voluminous documents have been received from various countries pursuant to the ‘Letter of Requests’ and the accused was yet to be confronted with a number of them.

The defence counsel had opposed the CBI application for further remand, saying already enough time was granted to the agency and nothing incriminating was found against the accused.

The CBI has alleged there was an estimated loss of Euro 398.21 million (about ₹2,666 crore) to the exchequer in the deal that was signed on February 8, 2010 for the supply of VVIP choppers worth Euro 556.262 million.

The ED, in its charge sheet filed against Mr. Michel in June 2016, had alleged that he received EUR 30 million (about ₹225 crore) from AgustaWestland.