‘लोकतन्त्र बचाने’ के नाम पर विधान सभाएं भंग होती रहीं हैं


इतिहास के आइने में देखें तो कांग्रेस के केंद्र में रहने के दौरान राज्यों की गैर-कांग्रेसी सरकारों पर गिरती रही है राज्यपाल की गाज, भंग होती रही हैं विधानसभा और बर्खास्त होती रही हैं सरकारें


जम्मू-कश्मीर की घाटी में सियासी बवाल है. राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग कर दी है. ये फैसला उस वक्त लिया गया जब जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने की कवायद चल रही थी. एक दूसरे के विरोधी माने जाने वाले पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने के लिए गठबंधन पर विचार कर रहे थे. पीडीपी ने सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया था. लेकिन राज्यपाल ने विधानसभा भंग करते हुए कहा कि वो अयोग्य गठबंधन को सरकार बनाने का मौका नहीं दे सकते हैं.

राज्यपाल के इस बयान पर बहस छिड़ गई है. सवाल उठ रहे हैं कि विरोधी विचारधारा वालों को सरकार बनाने से रोकने का फैसला कोई राज्यपाल भला कैसे कर सकता है? नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अबदुल्ला ने कहा कि. ‘साल 2015 में भी बीजेपी और पीडीपी ने विपरीत विचारधारा के बावजूद गठबंधन किया था.’

उस गठबंधन को जन्नत में बनी जोड़ी तो नॉर्थ और साउथ पोल का मिलन भी कहा गया था. ऐसे में पीडीपी-नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के संभावित गठबंधन पर राज्यपाल का एतराज समझ से परे है. बहरहाल, फैसले से विवाद खड़ा हो गया और सियासी घमासान भी तेज हो गया है. लेकिन ऐसा नहीं है कि जम्मू-कश्मीर के सियासी इतिहास में पहली दफे ऐसा फैसला लिया गया हो. कई दफे देश के तमाम राज्यों में सियासी जरुरतों के मुताबिक सरकारें बर्खास्त तो विधानसभा भंग की गई हैं.

इतिहास के आइने में झांकने पर ऐसे तमाम राज्यपालों की तस्वीरें मिलती हैं. उन राज्यपालों ने सरकार गिराने का फैसला लेकर राजनीतिक तूफान पैदा किया तो विवाद कोर्ट की दहलीज तक भी पहुंचे.

कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल हंसराज भारद्वाज, यूपी के पूर्व राज्यपाल रोमेश भंडारी, बिहार में बूटा सिंह और झारखंड में सिब्ते रज़ी के फैसले हमेशा किसी न किसी बहाने याद किए जाते रहेंगे.

क्या केंद्र में बीजेपी नहीं होती तो बची रह पाती गोवा सरकार

गोवा में बीजेपी की सरकार है. मनोहर पर्रिकर राज्य के मुख्यमंत्री हैं. खराब स्वास्थ की वजह से पर्रिकर गोवा, मुंबई, अमेरिका और दिल्ली के एम्स में इलाज कर वापस गोवा लौटे हैं.  कांग्रेस का आरोप है कि पर्रिकर बीमारी की वजह से सीएम का कार्यभार सुचारु रूप से नहीं संभाल पा रहे हैं. ऐसे में कांग्रेसी विधायकों ने एक पूर्णकालिक सीएम की मांग की है. यहां तक कि बहुमत साबित कर सरकार बनाने की अपील की है. मनोहर पर्रिकर के स्वास्थ्य पर होने वाली राजनीति को अस्सी के दशक में एन टी रामाराव के शासन काल से जोड़कर देखा जा सकता है. बस फर्क इतना है कि गोवा में राज्यपाल ने सरकार गिराने जैसी विवादास्पद और असंवैधानिक कोशिश नहीं की.

साल 1984 में एन टी रामाराव अपनी बीमारी के इलाज के लिए अमेरिका गए हुए थे. वो दिल की बीमारी से ग्रस्त थे और अमेरिका में उनका ऑपरेशन हुआ था. लेकिन जब तक एनटी रामाराव वापस लौटते उनकी सरकार गिर चुकी थी. आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ठाकुर रामलाल ने रामाराव की सरकार को बर्खास्त कर दिया था. खास बात ये है कि रामाराव की सरकार पूर्ण बहुमत में थी और उसे जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-कांग्रेस और नेशनल कॉन्फेंस की तरह सदन में बहुमत भी नहीं साबित करना था. इसके बावजूद ठाकुर रामलाल ने करियर की बड़ी रिस्क उठाई और बाद में कुर्सी गंवा कर कीमत भी चुकाई. उनकी जगह फिर शंकर दयाल शर्मा राज्यपाल बने और एन टी रामाराव दोबारा सीएम बने.

दरअसल, संघीय व्यवस्था में राज्यपाल केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. संवैधानिक आवरण से तैयार हुआ ये गौरवपूर्ण पद मूल रूप से विशुद्ध सियासी इस्तेमाल के लिए होता है. ऐसे में राज्यपाल के बयान से विपक्ष किसी अदालत के फैसले की सी उम्मीद नहीं कर सकता और न ही वो फैसला पत्थर की लकीर होता है. यही वजह होती है कि असंतोष फूटने पर राज्यपाल के फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाता है.

जब बहुमत वाली बोम्मई सरकार को किया बर्खास्त

अस्सी के दशक में कर्नाटक में एस आर बोम्मई की सरकार ने भी राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कर्नाटक में तत्कालीन राज्यपाल पी वेंकटसुबैया ने बोम्मई सरकार को बर्खास्त कर दिया था. राज्यपाल का कहना था कि बोम्मई सरकार विधानसभा में अपना बहुमत खो चुकी थी. इस फैसले के खिलाफ बोम्मई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और लौटा हुआ साम्राज्य हासिल किया.

पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सरकार बनाने का दावा पेश करने वाला पत्र सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था. जिस पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि सोशल मीडिया से न तो सरकार चलेगी और न बनेगी. इसी तरह पूर्व में बोम्मई सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बहुमत होने न होने का फैसला विधानसभा में होना चाहिए, कहीं और नहीं.

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दावा पेश करने वाली पार्टियों को सरकार बनाने का एक मौका नहीं दिया जाना चाहिए? भले ही वो दो सीटों वाले सज्जाद लोन की पार्टी होती या फिर पीडीपी-नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन?

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अमूमन राज्यों की गैर कांग्रेसी सरकारों के खिलाफ राज्यपाल के विवादित फैसले ज्यादा सामने आए हैं.

हरियाणा के राज्यपाल जी डी तापसे ने देवीलाल के बहुमत के दावे के बावजूद भजनलाल को सरकार बनाने का न्योता दे दिया था. भजनलाल ने देवीलाल के विधायकों को तोड़कर सरकार बना ली थी. देवीलाल राज्यपाल को विधायकों के हस्ताक्षर का समर्थन वाला पत्र देकर सरकार बनाने के न्योते का इंतजार करते रह गए और राज्यपाल तापसे ने भजनलाल को सीएम पद की शपथ दिला दी.

हिंदुस्तान की सियासत में राज्यपालों की हैसियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो रातों-रात मौजूदा सरकार को बर्खास्त कर नया सीएम  नियुक्त कर देते हैं. बाद में भले ही उस नवनियुक्त सीएम की अवधि सिर्फ दो दिन ही क्यों न हो. जगदंबिका पाल को देश एक दिन के मुख्यमंत्री के तौर पर जानता है. साल 1998 में यूपी के राज्यपाल रोमेश भंडारी ने ऐसा कारनामा किया कि यूपी के सीएम ऑफिस में दो-दो सीएम नजर आ रहे थे.

दरअसल, 21 फरवरी की रात साढ़े दस बजे रोमेश भंडारी ने यूपी में कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया और जगदंबिका पाल को सीएम बना दिया. राज्यपाल के फैसले के खिलाफ कल्याण सिंह इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए. हाईकोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए कल्याण सरकार को बहाल कर दिया.

जब ‘लोकतंत्र की रक्षा’ के नाम पर बूटा सिंह ने विधानसभा भंग की

बिहार में साल 2005 के विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. जिसकी वजह से तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह ने विधानसभा भंग कर डाली. उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी जबकि राज्य में एनडीए सरकार बनाना चाहती थी. एनडीए ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सुप्रीम कोर्ट ने बूटा सिंह के फैसले को असंवैधानिक करार दिया और राज्य में नीतीश कुमार की सरकार बनी. राज्यपाल बूटा सिंह की दलील थी कि उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए आधी रात को विधानसभा भंग कर दी.

इसी तरह साल 2005 में झारखंड में त्रिशंकु विधानसभा के बावजूद शिबू सोरेन को राज्य का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल गया. झारखंड के तत्काल राज्यपाल सैयद सिब्ते रज़ी ने शिबू सोरेन को सरकार बनाने का न्योता दिया. हालांकि शिबू सोरेन अपना बहुमत साबित नहीं कर सके. 9 दिनों के बाद सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा और अर्जुन मुंडा की दूसरी बार सरकार बनी.

हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. हालांकि बीजेपी 104 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. राज्यपाल वजूभाई वाला ने बीजेपी विधायक दल के नेता बी एस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता भी दिया. लेकिन कांग्रेस ने जेडीएस का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया.  हालांकि कोर्ट ने येदियुरप्पा को सरकार बनाने से रोका नहीं लेकिन येदियुरप्पा सदन में बहुमत साबित नहीं कर सके और अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.  जिसके बाद कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बना ली.

B S Yeduyurappa speaks at a meet the press

इससे पहले कर्नाटक में राज्यपाल की एक दूसरी तस्वीर भी देखने को मिली थी. साल 2009 में केंद्र में यूपीए की सरकार थी और यूपीए सरकार में कानून मंत्री रहे हंसराज भारद्वाज को कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया था. हंसराज भारद्वाज ने बीजेपी की येदियुरप्पा सरकार को बर्खास्त कर दिया था. बर्खास्ती के पीछे वजह ये बताई गई थी कि येदियुरप्पा ने बहुमत हासिल करने के लिए खरीद-फरोख्त का सहारा लिया था.

अब जम्मू-कश्मीर के मामले में राज्यपाल सत्यपाल मलिक का कहना है कि उन्होंने हॉर्स ट्रेडिंग को रोकने के लिए ही ये फैसला लिया है. दरअसल राजनीति की ये परंपरा है कि केंद्र में सत्तासीन होने के बाद अगर राज्य में दूसरी सरकारों को गिराने का मौका मिले तो चूकना नहीं चाहिए. कांग्रेस सरकार ने जो किया वही जनता पार्टी ने भी 1977 में केंद्र में सरकार बनाने के बाद किया था.

जम्मू-कश्मीर में अबतक आठ बार राज्यपाल शासन लग चुका है. जम्मू-कश्मीर में सरकारों को बर्खास्त करने का आगाज़ भी कांग्रेस के शासन के दौर में हुआ तो इसका सिलसिला भी उस दौर में तेजी से आगे बढ़ा. साल 1953 में शेख अब्दुल्ला की सरकार को सदर-ए-रियासत कहे जाने वाले डॉक्टर कर्ण सिंह ने बर्खास्त कर दिया था. 24 साल बाद 26 मार्च 1977 में एक बार फिर शेख अब्दुल्ला की सरकार को राज्यपाल एलके झा ने गिरा दिया. उस वक्त केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी. इसके बाद साल 1984 में फारूक अबदुल्ला और 1986 में गुलाम मोहम्मद शाह की सरकारें गिराई गईं.

बहरहाल, ये जरूरी नहीं कि राज्यपाल के विवेक पर लिए गए फैसले वाकई लोकतंत्र के हित में हों क्योंकि कुछ राज्यपालों के विवादास्पद फैसलों ने इस पद की गरिमा और विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाने का काम किया है.

शोभन चटर्जी ने दिया मेयर पद से इस्तीफा


मंत्री शोभन चटर्जी ने गुरुवार को कोलकाता के मेयर पद से इस्तीफा दे दिया, कोलकाता नगर निगम की चेयरपर्सन माला राय को उन्होंने अपना इस्तीफा सौंपा है


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मनमुटाव के बाद पश्चिम बंगाल के दमकल व आवासन मामलों के मंत्री शोभन चटर्जी ने गुरुवार को कोलकाता के मेयर पद से इस्तीफा दे दिया. एक खबर के मुताबिक कोलकाता नगर निगम की चेयरपर्सन माला राय को उन्होंने अपना इस्तीफा सौंपा है. इसके बाद ही राज्य के शहरी विकास एवं नगरपालिका मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम का कोलकाता के नए मेयर बनने का नाम सामने आ रहा है. वहीं अतिन घोष डिप्टी मेयर बनेंगे. जल्द ही इसका आधिकारिक ऐलान किया जाएगा.

सीएम से मतभेदों के बाद शोभन चटर्जी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया

खबर है कि सीएम से मतभेदों के बाद शोभन चटर्जी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इस पर ममता बनर्जी ने उन्हें मेयर का भी पद छोड़ने के लिए कहा था. चटर्जी ने बुधवार को मंत्री पद से और गुरुवार को मेयर पद से इस्तीफा दे दिया. शोभन चटर्जी के इस्तीफा देने के बाद सूत्रों ने इस बात की पुष्टि कर दी थी कि फिरहाद हकीम कोलकाता के नए मेयर होंगे. हालांकि अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. वहीं कोलकाता नगर निगम में मेयर परिषद के सदस्य अतिन घोष डिप्टी मेयर का पद संभालेंगे.

बैठक में मेयर एवं उपमेयर के नाम पर अंतिम मुहर लगेगी

फिलहाल इकबाल अहमद कोलकाता के डिप्टी मेयर हैं. उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है. गुरुवार की शाम को मुख्यमंत्री ने तृणमूल पार्षदों की बैठक बुलाई है. बैठक में मेयर एवं उपमेयर के नाम पर अंतिम मुहर लगेगी. दूसरी तरफ गुरुवार को ही विधानसभा में कोलकाता नगर निगम संशोधन विधेयक लाया गया. इस विधेयक के अनुसार, बिना पार्षद रहे भी कोई व्यक्ति मेयर बन सकेगा. हालांकि, 6 महीने के अंदर उसे पार्षद का चुनाव लड़ना और जीतना होगा. फिरहाद हकीम फिलहाल विधायक व मंत्री हैं. वह अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. संसदीय मामलों और नगरपालिका मामलों का उन्हें अच्छा खासा अनुभव है.

राहुल गांधी ने अमित शाह पर बोला हमला, स्मृति ईरानी ने किया पलटवार


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर हमला बोला और कहा कि शाह सच से नहीं भाग सकते


सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ के संदर्भ में सीबीआई के एक प्रमुख जांच अधिकारी के इकबालिया बयान संबंधी खबर को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर हमला बोला और कहा कि शाह सच से नहीं भाग सकते. इस पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि क्या झूठ की मशीन और बेल धारक को याद नहीं है कि शाह बरी किए जा चुके हैं.

राहुल गांधी ने एक खबर शेयर करते हुए ट्वीट किया, गीता में कहा गया है कि आप सच से कभी नहीं भा सकते और यह हमेशा से रहा है. संदीप तमगादगे ने अपने इकबालिया बयान में अमित शाह को मुख्य षड़यंत्रकारी बताया है. इस तरह के व्यक्ति का अध्यक्ष होना बीजेपी के लिए पूरी तरह अनुचित है. उन्होंने जो खबर शेयर की है उसमें एक सीबीआई जांच अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि प्रजापति की मुठभेड़ में अमित शाह ‘मुख्य षड़यंत्रकारी’ हैं.

राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा, ‘झूठ की मशीन राहुल गांधी फिर से ऐक्शन में आ गए हैं. वह जानते हैं कि अदालत श्री अमित शाह को 2014 में बरी कर चुकी है. अदालत ने यह भी कहा था कि राजनीतिक कारणों से सीबीआई ने अमित शाह को फंसाया था. राहुल बताएंगे कि संप्रग सरकार में किसके आदेश पर यह हुआ था?’

उन्होंने पूछा, ‘क्या नेशनल हेराल्ड लूट ‘बेल धारक’ राहुल गांधी को यह याद नहीं है कि उन्होंने अमित भाई को बरी किए जाने को चुनौती देने के लिए (कपिल) सिब्बल को भेजा था और याचिका खारिज हो गई?’ उन्होंने कहा, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि अगर राहुल गांधी ने जिंदगी में एक बार भी गीता खोली होती तो वह इस तरह के कोरे झूठ में नहीं पड़ते.’ गौरतलब है कि इस मामले में अमित शाह और कुछ अन्य लोग बरी हो चुके हैं.

काश्मीर के रास्ते आपना फायदा ढूंढती कांग्रेस


कांग्रेस ने सिर्फ कश्मीर का हित नहीं देखा है. बल्कि लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक दाव चला है


जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने विधानसभा भंग करने का फैसला किया है. इस फैसले की आलोचना हो रही है. पीडीपी, कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस पहली बार एक साथ आ रहे थे. गवर्नर के फैसले के बाद ये सभी दल हतप्रभ हैं. अब ये दल बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र सरकार के इशारे पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को रोका गया है.

PDP का रवैया ज्यादा तल्ख है. राज्यपाल के रवैये से नाराज़ पीडीपी की नेता ने कहा कि बीजेपी के नेता उनकी पार्टी को तोड़ने का प्रयास कर रहे थे, जब इसमें कामयाबी नहीं मिली तो केंद्रीय एजेंसियों का डर दिखाया गया, अब जब सरकार बनने जा रही थी तो बीजेपी ने राज्यपाल के ज़रिए ये फैसला करा दिया है.

कश्मीर के इस राजनीतिक शह मात में कांग्रेस को कामयाबी मिली है. कांग्रेस ने बीजेपी के बरअक्स ये साबित करने का प्रयास किया है कि वो राज्य में चुनी हुई सरकार को तरजीह दे रही थी. वहीं कांग्रेस ने पीडीपी के साथ जो तल्खी थी वो भी कम कर ली है. एनसी के साथ कांग्रेस के रिश्ते पहले से ही ठीक थे.

अब इस फैसले से कांग्रेस ने एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी दिया है. कर्नाटक के बाद कश्मीर में भी कांग्रेस बीजेपी को रोकने के लिए कुर्बानी दे रही थी. इससे छोटे दलों को लोकसभा चुनाव से पहले एक मैसेज है कि कांग्रेस सब को साथ लेकर चलने के लिए तैयार है.

कई दौर की मंत्रणा के बाद फैसला

जम्मू कश्मीर में बीजेपी के समर्थन वापसी के बाद से ही कांग्रेस में कशमकश चल रही थी. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के यहां कई दौर की बैठक भी हुई, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हुए, कांग्रेस के सूत्रों का दावा है कि राजनीतिक हित की जगह कश्मीर के हित में फैसला लिया गया कि वहां घाटी की सबसे बड़ी पार्टियों के साथ ही जाना चाहिए.

इन बैठकों में कांग्रेस के राज्य के नेताओं के साथ बातचीत की गई, इसके अलावा जो लोग कश्मीर के बारे में जानकार हैं उनसे भी राय मशविरा किया गया था. कांग्रेस पहले भी राज्य में पीडीपी और एनसी को सरकार बनाने के लिए समर्थन दे चुकी है, इसलिए फैसला लेना मुश्किल नहीं था.

 

कांग्रेस का राजनीतिक दाव

कांग्रेस ने सिर्फ कश्मीर का हित नहीं देखा है. बल्कि लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक दाव चला है. कांग्रेस ने ये दिखाने की कोशिश की है कि जब कांग्रेस पीडीपी और एनसी को साथ ला सकती है, तो लोकसभा चुनाव में रीजनल पार्टियों को इकट्ठा कर सकती हैं. जिस तरह से दो दल साथ आए हैं उसको कांग्रेस उदाहरण के तौर पर पेश कर सकती है. जो रीजनल पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ हैं, वो भी कांग्रेस के साथ आ सकती हैं. यही नहीं कांग्रेस ये भी दिखाने का प्रयास कर रही है कि सत्ता पाना महत्वपूर्ण नहीं है जितना बीजेपी को सत्ता में आने से रोकना है.

बीजेपी बनाम कांग्रेस

बीजेपी 2014 के बाद जिस तरह से मजबूत हुई है. उससे सहयोगी दलों के प्रति बीजेपी का रवैया बदला है. कश्मीर में पीडीपी से अलग होने का फैसला अचानक लिया गया था. इस तरह टीडीपी के साथ बीजेपी ने रिश्ता निभाने का प्रयास नहीं किया है. बल्कि टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस के साथ नज़दीकी बढ़ाई गई. यही हाल बिहार में आरएलएसपी के साथ हो रहा है. शिवसेना भी नाराज़ चल रही है. एआईडीएमके में टूट का आरोप भी बीजेपी पर है, लेकिन इन सब मुद्दों पर बीजेपी बेपरवाह नज़र आ रही है.

इस तरह का रवैया पहले मज़बूत कांग्रेस का रहता था. कांग्रेस पर कभी सहयोगी दलों को ही तोड़ने का आरोप लगाया जाता था. कांग्रेस के बारे में ये कहा जाता था कि जो नज़दीक गया उसका राजनीतिक वजूद खत्म हो जाता था. राजनीतिक बाज़ी उलट गयी है. अब यही आरोप बीजेपी पर लग रहा है. जो काम पहले अटल बिहारी वाजपेयी के समय बीजेपी करती थी वो अब कांग्रेस करने लगी है.

90 के दशक में बीजेपी ने शिवसेना की सरकार का समर्थन किया. ममता बनर्जी और नीतीश कुमार को पूरा सहयोग दिया. नेशनल कॉन्फ्रेंस को भी एनडीए के साथ रखा गया, डीएमके एनडीए की सहयोगी बनी रही, ओडिशा और आन्ध्र में नवीन पटनायक और टीडीपी के काम में कोई दखल नहीं दिया गया. यूपी में मुलायम सिंह की सरकार को बनवाने में बीजेपी की अहम भूमिका थी.

अब ये काम कांग्रेस कर रही है, कर्नाटक में जेडीएस का समर्थन, कश्मीर का फैसला सब यही दर्शाता है कि कांग्रेस गठबंधन को लेकर बीजेपी की नीति पर चल रही है. वही बीजेपी पुराने कांग्रेसी ढर्रे पर चल रही है.

महागठबंधन का एजेंडा

कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के सामने बड़ा गठबंधन खड़ा करने की कोशिश कर रही है. हालांकि अभी कोई खास सफलता नहीं मिल पाई है. लेकिन कश्मीर का फैसला कांग्रेस की राह आसान कर सकता है.

उत्तर भारत में कई राज्यों का चुनाव चल रहा है, इसमें कांग्रेस को महागठबंधन बनाने में कामयाबी नहीं मिली है. कांग्रेस को गंभीरता से इस ओर ध्यान देने की ज़रूरत है. हालांकि कई बड़े दल का साथ मिला है. कर्नाटक में जेडीएस का साथ मिला है जिसका अच्छा नतीजा उपचुनाव में देखने को मिला है.

टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू भी कांग्रेस के साथ हैं, जिसका नतीजा तेलंगाना चुनाव के बाद पता चलेगा. लेकिन टीडीपी के मुखिया कई सरकारों का सहयोग कर चुके हैं. 1996 में जनता दल की सरकार और बाद में एनडीए की सरकार के संयोजक भी थे. बीजेपी से हाल फिलहाल में ही अलग हुए हैं. कांग्रेस को साउथ में साथी मिल गए हैं, आंध्र और तेलंगाना में टीडीपी, कर्नाटक में जेडीएस, तमिलनाडु में डीएमके और केरल में यूडीएफ चल रहा है.

महाराष्ट्र में एनसीपी के साथ सीटों के तालमेल पर बातचीत जारी है. कांग्रेस के नज़रिए से अच्छा हल निकलने की उम्मीद है. लेकिन कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में है.

 

कांग्रेस की चुनौती

कांग्रेस की बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश में है. जहां से लोकसभा की 80 सीट है. बीजेपी और सहयोगी दल के पास 73 सीट हैं. कांग्रेस के सामने परेशानी है कि एसपी-बीएसपी के प्रस्तावित गठबंधन में शामिल होने के लिए दोनों दलों को मनाए, ऐसा हो जाने पर सम्मानजनक सीट हासिल करने का सिर दर्द है. कांग्रेस के लिए यूपी में अपने सभी बड़े नेताओं को चुनाव लड़ाने के लिए सीटों की दरकार है.

दिल्ली में कांग्रेस तय नहीं कर पा रही है कि आप से कोई तालमेल करना है या अकेले लड़ना है. पार्टी के केंद्रीय नेताओं और राज्य के नेताओं के बीच मतभेद है. राज्य के नेता अकेले लड़ने के पैरोकारी कर रहे हैं. हालांकि बिहार में कांग्रेस का गठबंधन आरजेडी के साथ है, लेकिन इसमें आरएलएसपी या लोक जनशक्ति पार्टी के तड़के की ज़रूरत है.

कांग्रेस की सबसे बड़ा सिरदर्द बंगाल है. जहां टीएमसी और लेफ्ट को एक साथ लेकर चलना आसान नहीं है. हालांकि राज्य में बीजेपी की ताकत बढ़ रही है लेकिन दोनों दल आमने सामने है. ऐसे में टीएमसी की नेता को लेफ्ट के साथ लाना मुश्किल काम है. कश्मीर फॉर्मूला कितना कारगर होगा ये कयास लगाना आसान नहीं है

वहीं असम में बीजेपी मजबूत है. बीजेपी को हराने के लिए एआईयूडीएफ का साथ ज़रूरी है. लेकिन असम में इस गठबंधन को पार लगाने के लिए तरुण गेगोई को बैकसीट पर रखना ज़रूरी है. हालांकि जिस तरह राहुल गांधी तरुण गोगोई के साथ हैं उससे ये फैसला लेना आसान नहीं है.

कांग्रेस की मजबूरी

कांग्रेस की मजबूरी है कि उत्तर भारत के तकरीबन 175 सीटों पर बीजेपी के मुकाबले रीजनल पार्टियां हैं, कांग्रेस इन्हीं दलों के आसरे पर है. बीजेपी धीरे-धीरे ओडिशा और बंगाल में पैर पसार रही है. रीजनल पार्टियों और कांग्रेस का वोट बैंक एक समान है इसलिए तालमेल में परेशानी हो रही है

जिला उपायुक्त ने आज सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के ब्योरा दिया

पंचकूला, 22 नवंबर:
हरियाणा सरकार द्वारा जिला कल्याण विभाग के माध्यम से मुख्य मंत्री विवाह शगुन योजना के तहत वर्ष 2014 से अब तक 431 लाभार्थियों को 3 करोड़ 47 लाख 31 हजार रूपए की राशि वितरित की गई, जबकि डॉ.बी.आर. अम्बेडकर आवास योजना के तहत 41 लाभपात्रों को 1 करोड़ 6 लाख 25 हजार रूपए की राशि वितरित की गई।
यह जानकारी देते हुए पंचकूला के उपायुक्त श्री मुकुल कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना  के अंतर्गत समाज के सभी वर्गों की विधवाओं को उनकी लडक़ी की शादी पर 51 हजार रूपए तथाा अनुसूचित जाति से संबंधित व्यक्तियों जिनका नाम बीपीएल की सूची में दर्ज है, को 41 हजार रूपए व महिला खिलाड़ी की शादी के लिए 31 हजार रूपए तथा अनुसूचित जाति व गैर अनुसूचित जाति जिनका नाम बीपीएल की सूची में दर्ज नहीं है, को 11 हजार रूपए अनुदान के रूप में सरकार की ओर से जिला कल्याण विभाग के माध्यम से उपलब्ध करवाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि गैर बीपीएल परिवारों के लिए वार्षिक आय एक लाख रूपए तक होनी चाहिए तथा जमीन ढाई एकड़ तक होनी चाहिए। यह अनुदान परिवार की सभी लड़कियों की शादी के लिए दिया जाता है। इस स्कीम के अंतर्गत आवेदन पत्र केवल ऑनलाईन प्राप्त किए जाते हैं।
उपायुक्त ने डॉ0 बी.आर. अम्बेडकर आवास योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति व विमुक्त जाति के बीपीएल परिवारों को जिनके मकान की मरम्मत योग्य हों, को विभागीय स्कीम अनुसार 25 हजार रूपए देने का प्रावधान है। प्रार्थी द्वारा हरियाणा के किसी भ्भी विभाग के मकान अनुदान का लाभ कम से कम दस वर्ष पहले लिया हो या प्रार्थी द्वारा अपने मकान को बनाए हुए 10 वर्ष से अधिक का समय हो गया हो, या मरम्मत योग्य हो, ऐसे लाभपात्रों को इस स्कीम का लाभ मुहैया करवाया जाता है।
हरियाणा सरकार की मुख्यमंत्री सामाजिक समरसता अंतर्जातीय विवाह शगुन योजना के तहत अब तक 17 लाभपात्रों को 32 लाख 13 हजार रूपए की राशि वितरित की गई। उन्होंने बताया कि इस योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति का लडक़ा व लडक़ी द्वारा गैर अनुसूचित जाति के लडक़े व लडक़ी से अंतर्जातीय विवाह कराने पर सरकार द्वारा दो लाख 50 हजार रूपए की राशि एक मुश्त किस्त के रूप में उनके संयुक्त खाता, जिसमें प्रथम नाम लडक़ी का होना अनिवार्य है, 3 साल के लिए मियादी जमा के रूप में दी जाती है।
श्री मुकुल ने बताया कि डॉ0 अम्बेडकर मेधावी छात्र योजना के तहत अब तक 115  लाभपात्रों को 41 लाख 68 हजार रूपए की राशि उपलब्ध करवाई गई। उन्होंने इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अनुसूचित जाति तथा पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों का शैक्षणिक स्तर उंचा उठाने तथा उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न करने के लिए अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को विभिन्न कोर्सों में 8 हजार रूपए से 12 हजार रूपए तक (10वीं, 12वीं व ग्रेजुएशन की परीक्षा में निर्धारित अंकों की प्रतिशतता प्राप्त करने पर) प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। इसी प्रकार पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों को 10वीं कक्षा निर्धारित अंकों सहित पास करने व उच्च कक्षा में प्रवेश लेने का 8 हजार रूपए प्रोत्साहन के रूप में प्रदान किए जाते हैं। इस स्कीम के तहत आवेदन पत्र केवल ऑनलाईन स्वीकार किए जाते हैं।
उपायुक्त ने बताया कि ग्राम पंचायतों को अनुसूचित जाति के लिए उत्कृष्ट कार्य करने हेतु सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इस स्कीम के तहत अब तक 3 ग्राम पंचायतों को 16 करोड़ 20 लाख रूपए की राशि उपलब्ध करवाई जा चुकी है। उन्होंने बताया कि जो पंचायतें अनुसूचित जाति के कल्याणार्थ जैसे छूआ-छात दूर करने, गलियों का निर्माण करवाने तथा छात्रों को स्कूल में दाखिला करवाने जैसे उत्कृष्ट कार्य करती हैं तो उस पंचायत को 50 हजार रूपए उत्कृष्ट पंचायत प्रोत्साहन राशि दी जाती है। यह स्कीत छूआ-छात खत्म करने के लिए चलाई जा रही है। इस बारे सादे कागज पर पंचायत प्रस्ताव सहित आवेदन पत्र पर संबंधित खण्ड विकास एवं पंचायत अधिकारी की रिपोर्ट सहित जिला व तहसील कल्याण अधिकारी के कार्यालय में जमा करवा सकता है।
उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को एक्ट 1955 के तहत दर्ज केसो जैसे भूमिपतियों द्वारा अत्याचार व भूमि बेदखली के मुकदमे की पैरवी करने के लिए कानूनी सहायता के रूप में 11 हजार रूपए की राशि जिला कल्याण अधिकारी तथा इससे अधिक राशि उपायुक्त द्वारा स्वीकृत की जाती है। इस कानूनी सहयता के तहत अब तक 5 लाख 44 हजार रूपए की राशि उपलब्ध करवाई गई।
श्री मुकुल कुमार महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत गत साढे तीन सालों में 12649 लोगों कि जॉब कार्ड जारी किए जा चुके हैं, जिनमें से 3454 परिवारों द्वारा रोजगार की मांग की गई और इस दिशा में शत-प्रतिशत रोजगार उपलब्ध करवाया गया। इन लोगों को 2198.49 लाख रुपये की राशि वितरित की गई।
उपायुक्त ने बताया कि गत साढे तीन सालों के दौरान 1540 काम शुरू करवाए गए, जिनमें से 1187 कार्य पूर्ण हो चुके हैं तथा 353 कार्य प्रगति पर हैं।  इसके अतिरिक्त योजना के तहत 5707 लोगों के बैंक खाते आधार से लिंक किए जा चुके हैं। इसके साथ-साथ महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत काम करने वाले सभी लोगों के कार्यों को जीईओ टैग किया गया है, जिसके तहत इन कार्यों को कोई भी व्यक्ति ऑनलाईन देख सकता है।
उन्होंने बताया कि इस योजना के अंर्तगत जल संरक्षण एवं जल संचयन, सुखा-रोधी, वनीकरण और वृक्षारोपण, सिंचाई, नहरें, लघु और अति लघु सिंचाई कार्य, सिंचाई सुविधा, पौधारोपण, बागवानी, अनुसूचित जाति के परिवारों की जमीन का विकास या  भूमि सुधार के लाभार्थियों के भूमि का विकास या प्रधानमंत्री आवास योजना, बीपीएल के लाभार्थियों के भूमि का विकास, पारंपरिक तालाबों का पुनरोद्धार और खारापन दूर करना, भूमि विकास, बाढ़ नियंत्रण और बचाव कार्य, सभी मौसमों में आवागमन प्रधान करना जैसे सडक़ों का निर्माण, नालियों के साथ पूलियों का निर्माण, अधिसूचित किए गए अन्य कार्य करवाए जा सकते है। इस योजना के तहत कार्य करने पर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 277 रुपये की राशि प्रदान करवाई जाती है

न्यूनतम मूल्यों के लिए अपनी फसलों का पंजीकरण करवाएँ

पंचकूला, 22 नवंबर:
हरियाणा देश का पहला राज्य है, जिसमें भावांतर योजना के तहत टमाटर व आलू के 400 रुपये तथा प्याज व फूलगोभी के 500 रुपये प्रति क्विंटल संरक्षित भाव निर्धारित किये है।
उपायुक्त श्री मुकुल कुमार ने बताया कि सब्जी उत्पदकों को जोखिम मुक्त करने के लिए यह एक अनूठा कदम है। उन्होंने जिला के सब्जी उत्पादकों से अपील करते हुए कहा कि वे इस योजना का लाभ उठाने के लिए 30 नवंबर तक  आलू व 31 दिसंबर तक फूलगोभी के लिए उद्यान अधिकारी कार्यालय में इन फसलों को पंजीकरण करवाये। उन्होंने बताया कि पंजीकरण के लिए पहचान पत्र, फोटो व बैंक पासबुक जैसे कागजात अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिये जिला उद्यान अधिकारी, जिला विपणन पर्वतन अधिकारी, मार्केंटिंग बोर्ड हैल्प लाईन नंबर 1800-180-2060 पर संपर्क कर सकते है।

Police File

DATED

22.11.2018

MV Theft

Sh. Deepak Kumar R/o # 153, Sector-56, Chandigarh, reported that unknown person stolen away complainant’s Apache Motor cycle No. CH-01BE-5790 while parked near Leisure Valley Side Sector-10, Chandigarh on 17-11-2018. A case FIR No. 222, U/S 379 IPC has been registered in PS-3, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Sh. Naresh Sharda R/o # 1451/A, Sector-20/B, Chandigarh reported that unknown person stolen away complainant’s Honda City Car No. CH-03E-6243 from backside parking, U.T. Secretariat, Chandigarh on 19-11-2018. A case FIR No. 223, U/S 379 IPC has been registered in PS-3, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Dowry

A lady resident of Village-Ramdarbar, Chandigarh alleged that her father-in-law and mother-in-law resident of village-Ramdarbar, Chandigarh harassed complainant to bring more dowry. A case FIR No. 90, U/S 406, 498-A IPC has been registered in PS-Women, Chandigarh. Investigation of case is in progress.

Accident

A case FIR No. 358, U/S 279, 304-A IPC has been registered in PS-26, Chandigarh on the statement of Sh. Deepak Chawla R/o # 2630/B,  Sector-28/B, Chandigarh against driver of Innova car No. PB-08CX-0723 which hit to Complainant’s Grandmother namely Shanti R/o # 2630, Sector-28/C, Chandigarh near Gurudwara Sahib, Sector-28, Chandigarh on 21-11-2018. She got injured and taken to GMCH-32, Chandigarh where she expired later. Innova driver namely Arvinder Singh R/o VPO-Lidhran, Distt.-Jallandhar, Punjab arrested and later bailed out. Investigation of the case is in progress.

Snatching

        A lady resident of Sector-32/A, Chandigarh alleged that unknown person on motor cycle snatched away her purse containing mobile phone, cash around Rs.3000-4000/-, Aadhar Card, pan card and some ATM Cards near her residence on 20.11.2018. A case FIR No. 409, U/S 356, 379 IPC has been registered in PS-34, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

A lady resident of Sector-61, Chandigarh alleged that two unknown persons in car snatched away her bag containing mobile phone, cash Rs.300/- and house key from market, Sector-61, Chandigarh on 13.11.2018. A case FIR No. 408, U/S 356, 379 IPC has been registered in PS-36, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Rioting

A case FIR No. 410, U/S 147, 148, 149, 454, 323, 307, IPC has been registered in PS-34, Chandigarh on the complaint of Mukesh Kumar R/o # 1487, Village-Burail, Chandigarh who alleged that Yovraj @ Yuvi, Kartik and 10-12 others attacked on complainant and his nephew namely Vikrant near Ram Leela Ground, Sector-45, Chandigarh on 20.11.2018. Both got injured and taken to Civil Hospital, Sector-45, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Cheating

Lt. Col. Rakesh K. Gupta, Tetd. Secretary, DSOI, Sector-36, Chandigarh alleged that Ex. Naib Subedar Gurdeep Singh Dhariwal R/o Room No.6, Sahib Tent Store, Distt.-Mohali, Punjab working as cashier at DSOI, Sector-36, Chandigarh stolen cash Rs. 62673/-. A case FIR No. 410, U/S 408, 120-B IPC has been registered in PS-36, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

        A case FIR No. 411, U/S 419, 420, 465, 467, 468, 471 IPC has been registered in PS-34, Chandigarh on the complaint of Gorakh Ram R/o Flat No.11, Amazon Tower, New Sunny Enclave, Kharar, Dist.-Mohali, Punjab alleged that Prem Thapa R/o # 468, 1st floor, Village- Dadu Majra, Chandigarh who prepared fake/forged identity documents and also prepared fake rent agreement by fake signatures of complainant. Investigation of the case is in progress.

A case FIR No. 409, U/S 420, 465, 467, 468, 471, 120-B IPC has been registered in PS-36, Chandigarh on the complaint of Sachin Kumar R/o SCO No.309-10, Sector-35, Chandigarh against Karnail Singh R/o # 3165, Ayodha Road, Barara, Distt.-Ambala, Haryana who prepared fake/forged documents and taken a business expansion loan of Rs.25,00,000/- lacs from complainant company. Investigation of the case is in progress.

Deterred public servant

A case FIR No. 444, U/S 147, 148, 332, 353, 186 IPC has been registered in PS-39, Chandigarh on the complaint of lady volunteer, PP-Palsora, Chandigarh against 4-5 ladies who quarreled/misbehaved with lady volunteer and other Police Officials and also torn her uniform on night intervening 19/20.11.2018. Investigation of the case is in progress.

Shalby Hospital Mohali for the Senior citizens of panchkula

 

Shalby Multispecialty Hospital Mohali in association with Senior Citizens Council, Sec 15 Panchkula has organised a Health talk of Dr.Karandeep Singh Syal (MD,DM-consultant-Cardiology

Shalby Hospital Mohali for the Senior citizens of panchkula..He Spoke about the healthy heart & how to keep healthy your heart…He advised the members for regular exercise & balanced diet to keep the heart healthy…Very informative sesson by the doctor & also conducted the Blood sugar, Blood pressure & ECG by the team of Shalby Hospital…Mr.R P malhotra president of council, welcome the dr.karandeep singh syal & hounoured by the preseting a bouque…Mr.R P malhotra praise the extending support of shalby hospital for the welfare of senior citizens..about 120 members of the council atended the function, Dr.Karandeep singh syal answered the query of the members regarding heart problem to their entire satisfaction…

The health session was very fruitful for the senior citizens.Mr.Tarun Thakur Manager-Marketing is the instrument organising a nice health program.