हमारे हुनर के प्रति सरकार का रवैया उदासीन: वकील सिंह

बाजीगरों की टोली हर हर बोली

Purnoor, Chandigarh:

सदियों से लोक संपर्क का काम देख समझ ओर कर रहे बाज़ीगर आज बहुत ही दयनीय स्थिति में आ गए हैं। जब सूचना प्रसारण के आधुनिक तरीके घर घर नहीं पहुंचे थे तब गली मोहल्लों, गाँव गाँव जा कर यही लोगों का मनोरंजन करते थे, इनहि के द्वारा आस पास की खबरें भी एक जगह से दूसरी जगह प्रसारित हो जातीं थीं।

आज इस कौम की स्थिति इतनी दयनीय है की 5 से 15 लोगों की टोली पूरे दिन में मुश्किल से 500 रु भी नहीं कमा पाती। घर चलाने के लिए बच्चों के मुंह के निवाले के लिए इन्हे मजदूरी भी करनी पड़ती है। किसी भी सरकारी अनुदान के बिना यह लोग आज़ादी के बाद आज तक सम्मान जनक जीवन को मोहताज हैं।

जहां तरक्की ने खेत लील लिए वहीं आधुनिक मनोरंजन के साधनों ने हमसे हमारी विरासत छीन ली। किसी बच्चे से ‘बाज़ीगर’ पूछो तो वह शायद शाहरुख का नाम ले ओर उसकी फिल्म का डायलोग ही बोल दे।

 

यह नहीं है कि सरकार इनकी स्थिति से अवगत नहीं है, सरकारी कार्यक्रमों में इन्हे बुलाया तो जाता है किन्तु इनका मानदेय इतना कम होता है कि महीना भर घर खर्च चालान तो दूर कि बात है कुछ दिनों का काम भी नहीं चलता। खेल कूद में अच्छे होने के बावजूद इन्हे कभी खेलों के लिए प्रोत्साहित नहीं किया गया और तो और जब भी यह भाग लेने कि बात होती तो इन्हे नकार दिया जाता है

कहा जाता है कि यह कौम भाई लाहना जी (जो गुरु अंगद देव जी के नाम से प्रसिद्ध हुये) जी के वंशज हैं इनहोने गाने बजाने ओर नाच करतब को ही अपनी जीविका बनाया। ये भारत और पाकिस्तान में फैली पंजाब की अनुसूचित जातियों का एक समुदाय है। मूल रूप से खानाबदोश प्रकृति का यह समुदाय मूलत: अपने आपको राजस्थान के राजपूतों से संबद्ध करता है। इन्होंने पिछली 3 शताब्दियों में उत्तर पश्चिम भारत में बसना शुरू किया।

कलग्राम चंडीगढ़ मे लगे क्राफ्ट मेले में आई वकील सिंह की बाज़ीगरों की टोली से मिलना हुआ। वकील सिंह ओर साथी यहाँ अपने हुनर दिखाने आए हुए हैं। वकील सिंह गले से सरिया मोड़ने का करतब दिखाते हैं। उन्होने बताया कि वह तीन पीढ़ियों से इस काम को कर रहे हैं। गले से सरिया मोड़ना कोई हंसी खेल नहीं, एक व्यक्ति अपनी गले के जोड़ पर सरिए का एक हिस्सा रखता है तो दूसरा अपने पेट पर कपड़ा रख कर सरिए को रोकता है फिर वकील सिंह गले से ज़ोर लगा कर सरिया मोड देता है।

वकील सिंह ने कहा हमें भी ओर लोगों की तरह सरकार से शिकायतें तो हैं पर शिकायतों के सहारे जिंदगी तो नहीं चल सकती, वकील सिंह ने याद दिलाया कि सरकारी नौकरी करते हुए म्यूसिक मास्टर कई अखाडों में जाता है, अपनी एल्बम निकालता है, एक विज्ञान ओर हिसाब का अध्यापक सरकारी नौकरी में रहते हुए ट्यूशन पढ़ाता है ओर किताबें लिखता है, सरकारी डाक्टर अपनी प्राइवेट क्लीनिक भी चलाता है। वकील सिंह को इन सबसे कोई शिकायत नहीं उनका मानना है की जिस प्रकार यह सब लोग अपने अपने कार्य मे हुनरमंद हैं बस एक शिकायत जो है की वह जिम्नास्टिक में माहिर हैं, लंबी दौड़, ऊंची कूद, कलाबाजी में उनका हुनर कुछ वर्षों की बाल सुलभ मेहनत नहीं है अपितु सदियों पुरानि पीढ़ी दर पीढ़ी की मेहनत और हुनर है। बस सरकारें उनके इस हुनर की कदर करते हुए उन्हे नयी तकनीक की जानकारी दें ओर उन्हे भी अगली पीढ़ियों को सिखाने में उनके हुनर को इस्तेमाल करें, कहीं पीटी मासटर या खेल कूद में हुनर मंदों की तरह।

सरकारें कई किसिम की पेंशन योजनाएँ चलातीं हैं तो थोड़ी बहुत आर्थिक सहता उनहे भी मिल जाती तो वह अपने इस हुनर के लिए अपनी अगली पीढ़ी को भी तैयार कर सकें।

डॉ॰ अजय चौटाला के निष्कासन पर दुष्यंत चौटाला की पहली प्रतिक्रिया


चिट्ठी ओर हस्ताक्षर दोनों ही जाली हैं

सांसद दुष्यंत चौटाला ने डॉ॰ अजय चौटाला के निष्कासन पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आज कहीं न कहीं एक बात स्पष्ट हो गयी है कि चौटाला साहब के नाम की आड़ लेकर कुछ लोग अपना फायदा देखने का काम कर रहे हैं।

उन्होने कहा कि निष्कासन की बात पर कहा कि प्रदेश अध्यक्ष ने अपना पक्ष स्पष्ट कर रहे हैं और न ही पत्र स्पष्ट कर रहे हैं। मैं विश्वास करता हूँ कि चौटाला साहब ऐसा निर्णय कभी नही कर सकते। ये जो निर्णय लिया गया है ये लोकदल के इतिहास में काला धब्बा है।

जींद में 17 नवंबर को होने वाली बैठक में संगठन से जुड़े साथियों को बुलाया जाएगा और उनसे डॉ अजय चौटाला द्वारा कहा जायेगा की आज जो संगठन में हालात हैं उसपर न्याय और अन्याय की लड़ाई में उनका साथ दें।

अपने और दिग्विजय के निष्कासन पर बोले कि चौटाला साहब हमारे परिवार और संगठन के भी मुखिया हैं। उन्होंने जो आशीर्वाद मुझे और दिग्विजय को दिया है उसे सर माथे लगाकर स्वीकार करता हूँ।

इनेलो में गुटबाजी बढ़ी अजय को निकाला तो बांगड ने मंच से दिया इस्तीफा

चंडीगढ़

अजय चौटाला को भी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से निष्कासित कर दिया गया है। इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा आज  ओमप्रकाश चौटाला से हुई मुलाकात के बाद अजय को प्रधान महासचिव पद से हटाने और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित करने का निर्णय लिया गया। इससे पहले अजय के दोनों बेटों दुष्यंत अौर दिग्विजय को भी पार्टी से निकाला जा चुका है।

चंडीगढ़ में बातचीत  करते हुये कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि परिवार के सदस्य ही परिवार पर उंगली उठा रहे हैं॰ बड़े भाई द्वारा दुर्योधन और भतीजे ने जयचंद कहा इसका मुझे बहुत दुख है .अभय चौटाला ने अजय और दुष्यंत पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा, ‘”मेरे बड़े भाई ने मुझे दुर्योधन की संज्ञा दी। भतीजे ने मुझे जयचंद कहा। उन्होंने तो मेरे मरने से पहले ही मेरी सत्रहवीं करने की बात कही है। हरियाणा में कुछ जगह बड़े-बुजुर्गों के मरने से पहले ही उनकी सत्रहवीं कर देते हैं। मैं भी अपनी सत्रहवीं पहले ही कर लेता तो अच्छा था। कम से कम मेरा बड़ा भाई तो ऐसा न करता। मेरा बड़ा भाई मुझे दुर्योधन कहे, इससे पीड़ादायक क्या होगा।’’

इनेलो ने इसी दिन चंडीगढ़ के जाट भवन में एक राज्य कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। इस बैठक में सभी कार्यकर्ताओं को  17 नवंबर को जींद में होने वाली रैली में शामिल होने को कहा गया है। जो कार्यकर्ता शामिल नहीं होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

 

दिग्विजय ने इसे बड़ी साजिश बताया कहा उनके दादा के फर्जी हस्ताक्षर किए गए

अजय चौटाला के निष्कासन पर उनके छोटे बेटे दिग्विजय ने कहा- यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह बड़ा षड्यंत्र है। निष्कासन के पत्रों को एक रात पहले अभय चौटाला और आरएस चौधरी ने तैयार करवाया है। इन दस्तावेजों पर ओमप्रकाश चौटाला के हस्ताक्षर भी फर्जी हैं।

यमुनानगर
अजय चौटाला को पार्टी से निष्कासित किये जाने पर अजय चौटाला का बयान:

“ये तो बताए कि मेरे ऊपर चार्ज क्या क्यों किया गया ये तो वही बताएंगे, जिन्होंने फैंसला लिया वो बताए कि मेरे खिलाफ क्या चार्ज है”

जींद कार्यक्रम का आपको नही अधिकार, इस पर बोले अजय चौटाला” जींद में निश्चित तौर पर होगा कार्यक्रम, प्रदेश के जिन लोगो ने खून पसीने से पार्टी को सींचा है, उनसे ही अधिकार लूंगा वही अधिकार देंगे”।

अजय चौटाला और के सी बांगड आदि Inld नेता इस समय यमुनानगर में हैं। अजय चौटाला को पार्टी से निकाले जाने की खबर आते ही मंच से के सी बांगड ने इस्तीफे की घोषणा कर दी है ।

अक्टूबर में गोहाना में हुई रैली से विवाद शुरू हुआ था
अक्टूबर में गोहाना में दिवंगत चौधरी देवीलाल के 105वें जन्मदिवस पर इनेलो की सम्मान दिवस रैली हुई थी।

  • इसमें दुष्यंत ट्रैक्टर यात्रा के साथ मंच पर पहुंचे तो समर्थक ‘भावी सीएम’ के नारे लगाने लगे। तभी दूसरे गेट से उनके चाचा अभय चौटाला मंच पर पहुंचे तो उनके खिलाफ हूटिंग की गई।
  • दुष्यंत से लेकर अन्य सभी वक्ताओं के भाषण तक ‘दुष्यंत भावी सीएम’ के नारे लगते रहे। अभय ने भाषण में दुष्यंत का नाम नहीं लिया। वे जब तक बोले, तब तक दुष्यंत समर्थक हूटिंग करते रहे। इस दौरान पैरोल पर रिहा हुए ओमप्रकाश चौटाला भी मौजूद थे। उन्होंने मंच से ही अपनी नाराजगी जताई।
  • ओमप्रकाश चौटाला ने इस मामले को अनुशासन समिति को कार्रवाई के लिए सौंप दिया था। अनुशासन समिति की जांच के बाद अजय के बेटे दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।
  • 12 नवंबर को अजय चौटाला ने एक पत्र जारी कर इनेलो के प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारियों, सदस्यों और विधायकों को पत्र भेज कर 17 नवंबर को जींद में पहुंचने के लिए आदेश जारी किए थे।
  • इस पत्र पर इनेलो ने कहा था कि अजय चौटाला को बैठक बुलाने का कोई अधिकार नहीं है। बैठक या तो इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला बुला सकते हैं या फिर प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा को यह अधिकार है.

 

डॉ॰ अजय चौटाला पार्टी से निष्कासित

अजय चौटाला फ़ाइल फोटो

डॉ॰ अजय चौटाला पार्टी से निष्कासित।

अभय चौटाला ने चंडीगढ़ में एक प्रेसवारता के दौरान यह बात कही। उन्होने बताया के पिता ओर भाई अजय के जेल जाने के बाद उन्होने ही पार्टी की बागडोर संभाली ओर बिना मुख्यमंत्री पद का लालच किए अपना काम किया।

आज भी वह मुख्यमंत्री पद के दावे दार नहीं हैं, परंतु अनुशास्न्हींता के चलते दुष्यंत ओर दिग्विजय को पार्टी से निकाला गया ओर अब अजय चौटाला को मनमाना रवैया अपनाने के चलते उन्हे भी पार्टी से निष्कासित किया गया।

1 तारीख की अजय द्वारा पार्टी मीटिंग को ले कर उन्होने कहा कि जो भी पार्टी का कार्यकर्ता उक्त मीटिंग में जाएगा वह स्वयम ही जिम्मेदार होगा। पार्टी कार्यकर्ताओं, नेताओं विधायकों ओर सांसदों को सभी ओ पत्र लिख कर इस बात की तसदीक कर दी गयी है।

मनोज खात्री की कवायद रही नाकाम राकेश पोपली ने संभाला काम

नलिन आचार्य, चंडीगढ़:

कड़ी मुश्क्क्त के बाद राकेश पोपली ने असिस्टेन्ट एस्टेट अफसर का चार्ज संभाला । मनोज खत्री ने चंडीगढ़ डेपुटेशन बढ़वाने के लिये लगाया पूरा दिन जोर । अंत मे चार्ज छोड़ना पड़ा
भरोसे के सूत्रों के अनुसार कल हुए प्रशासक के तबादलों के आदेश के बाद आज शाम तक मनोज खत्री द्वारा अपना चार्ज राकेश पोपली को न देने से असमंजस का वातावरण बन गया । मनोज खत्री तबादला आदेशो के बाद अपनी घर वापसी को रुकवाने के प्रयासों में लग गए । उन्होंने हरियाणा में बैठे अपने आकाओं के माध्यम से पूरा जोर लगा दिया । शाम होते होते उनके प्रयास हवा होने लगे तो अंत में अपना चार्ज राकेश पोपली को सौंप दिया । खत्री पिछले कुछ दिनों से अपनी कार्यप्रणाली से घेरे में आ गए थे । आज भी जाते जाते अपने कुछ चहेतों को ग्रुप Aएवम ग्रुप B में फिट करने की चर्चा है ।