अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत एस 400 डील कर दुनिया को ये संदेश देने में कामयाब हो गया कि  कूटनीतिक, समारिक और कारोबारी हितों के लिए हर दोस्त जरूरी होता है


ट्रंप के अप्रत्याशित रवैये को देखते हुए अमेरिका ये तय नहीं कर सकता कि भारत के लिए उसका कारोबारी और सामरिक दोस्त कौन होगा

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती करीबी का ये मतलब नहीं कि भारत और रूस के बीच दूरियां बन गईं

भारत और रूस के बीच सामरिक करारों का सिलसिला कई दशकों पुराना है. ये वक्त के थपेड़ों के बावजूद नहीं बदला. इस पर सोवियत संघ के टूटने का असर नहीं पड़ा


भारत-रूस के रिश्तों को 70 साल हो गए हैं. सत्तर साल पुराने रिश्तों में एस 400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डील को निर्णायक माना जा सकता है. इसकी बड़ी वजह ये है कि भारी अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत ने रूस के साथ इस करार पर मुहर लगाई. एस 400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम भारत के लिए अहम रक्षा कवच है. भारत ने अमेरिका की खुली नाराजगी के बावजूद रूस के साथ इस पर करार किया.

भारत ने अमेरिका की उस चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया जिसमें सहयोगी देशों को ये ताकीद किया गया है कि वो रूस के साथ किसी भी तरह का लेन-देन न करें. अमेरिका ने आगाह किया कि रूस के साथ बड़ा सौदा करने वाले देश को प्रतिबंध भुगतने पड़ सकते हैं. लेकिन भारत ने न तो अमेरिकी चेतावनियों की परवाह की और न ही प्रतिबंधों की.

सवाल उठता है कि अमेरिका के साथ तमाम सामरिक, आर्थिक, कूटनीतिक साझेदारी के बावजूद भारत रूस के साथ सैन्य डील करने को क्यों राजी हुआ? खासतौर से तब जबकि चीन और पाकिस्तान के साथ भी रूस की नजदीकियां बढ़ी हैं. तो वहीं सवाल ये भी उठता है कि आखिर अमेरिका चाहता क्या है?  एक तरफ भारत पर ईरान से तेल न खरीदने का अमेरिकी दबाव है तो दूसरी तरफ रूस के साथ लेन-देन पर भी अमेरिकी तेवर.

दरअसल, ट्रंप के शासनकाल में अमेरिका की विदेश नीति में ट्रंप-नीति ही अबतक हावी दिखी है. चाहे वो उत्तर कोरिया का मामला हो या फिर रूस का. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों से उलट राय रखते हैं. वो कभी रूस को अच्छा दोस्त मानते हैं तो कभी अमेरिकी चुनावों में रूस की दखलंदाजी से इनकार करते हैं. वो अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रूसी हैकिंग को लेकर अपनी ही खुफिया एजेंसियों के दावों को खारिज कर देते हैं. वो जी-7 देशों से रूस को समूह में शामिल करने की मांग करते हैं. तो वहीं दूसरी तरफ रूस के साथ किसी भी तरह के लेन-देन के लिए सहयोगी देशों को धमकाते हैं. ऐसे में ट्रंप के अप्रत्याशित रवैये को देखते हुए अमेरिका ये तय नहीं कर सकता कि भारत के लिए उसका कारोबारी और सामरिक दोस्त कौन होगा.

मौजूदा परिवेश को देखते हुए एक बार फिर विश्व दो ध्रुवीय व्यवस्था के बीच बंटा हुआ दिखाई दे रहा है. इसमें एक तरफ अमेरिका और पश्चिमी देश हैं तो दूसरी तरफ रूस और चीन हैं. हाल ही में रूस ने दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास कर खुद के महाशक्ति होने के दावे को पुख्ता किया. रूस के साथ इस सैन्य अभ्यास में चीन भी शामिल था. चीन के साथ अमेरिका का ट्रेड वॉर छिड़ा हुआ है तो दक्षिणी चीन सागर में चीन और अमेरिका के युद्धपोत एक दूसरे के सामने आ खड़े हुए हैं.

मध्य-पूर्व में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद को अपदस्थ करने की अमेरिकी कोशिशों को रूस ने नाकाम कर दिया. असद सरकार की हिफाज़त में रूस खड़ा हुआ है तो ईरान के साथ भी रूस है वहीं अमेरिकी शह पर सऊदी अरब सीरिया के मामले में रूस और ईरान के खिलाफ है तो इस्रायल भी ईरान को धमका रहा है. इन सबसे थोड़े ही दूर पाकिस्तान अब रूस के भीतर अमेरिका जैसी दोस्ती तलाश रहा है.

पाकिस्तान चाहता है कि जितनी जल्दी अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी हो जाए ताकि दक्षिण एशिया में अमेरिका का प्रभुत्व कम हो सके. अमेरिकी फटकार के बाद अब पाकिस्तान चीन और रूस में अपना भविष्य देख रहा है. लेकिन दिलचस्प ये है कि सऊदी अरब के साथ खड़ा पाकिस्तान रूस के साथ रिश्तों का समीकरण बनाने में जुटा हुआ है जबकि सीरिया के मामले में रूस और सऊदी अरब आमने-सामने हैं.

तेजी से बदलते दुनिया के कूटनीतिक और सामरिक माहौल में भारत को भी अपने हित के लिए निडर हो कर फैसला लेने का हक है. उसी के चलते अब भारत ने अमेरिका के साथ रिश्तों की नई पहचान बनाने के बावजूद पुराने मित्र रूस को भुलाया नहीं है.

सत्तर साल के दरम्यान भारत के लिए रूस दोस्ती की हर परीक्षा में खरा उतरा है. वो रूस ही था जिसने 22 जून 1962 को वीटो का इस्तेमाल करते हुए कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का समर्थन किया था. उस वक्त कश्मीर को भारत से छीन कर पाकिस्तान को देने की साजिश के तहत भारत के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया था जिस पर रूस ने पानी फेर दिया था. वो रूस ही है जो भारत की एनएसजी में दावेदारी के समर्थन में खड़ा रहा है. ये तक माना जाता है कि डोकलाम मुद्दे पर भी रूस पर्दे के पीछे से भारत के साथ ही खड़ा था.

भारत के रूस के साथ सांस्कृतिक और सामाजिक रिश्ते भी हैं. ये रिश्ते सिर्फ आर्थिक समझौतों पर आधारित कभी नहीं रहे. भारत के औद्योगीकरण में रूस की साझेदारी, तकनीक और योगदान ने भारत के विकास में बड़ी भूमिका निभाई है. कारखानों, डैम, पॉवर प्लांट, परमाणु संयंत्र और अनुसंधान केंद्र का निर्माण बिना रूस की मदद के संभव नहीं था. रूस हमेशा ही भारत के साथ सैन्य और अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोगी रहा.

रूस की ही मदद से भारत ने साल 1975 में आर्यभट्ट के रूप में पहला सैटेलाइट लॉन्च किया था तो रूस की ही मदद से भारत ने ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइल बनाई. भारतीय थल सेना में टी-20 और टी-72 जैसे टैंक रूस निर्मित हैं तो सुखोई और मिग-21 जैसे लड़ाकू विमान रूस की देन हैं. भारत और रूस के बीच सामरिक करारों का सिलसिला कई दशकों पुराना है. ये वक्त के थपेड़ों के बावजूद नहीं बदला. इस पर सोवियत संघ के टूटने का असर नहीं पड़ा.

हालांकि बीच में अमेरिका और भारत की बढ़ती नजदीकी ने पाकिस्तान को रूस की तरफ उम्मीदों से देखने को मजबूर किया. पाकिस्तान ने रूस से लड़ाकू विमान और टैंक खरीदने की दिली ख्वाहिश का इजहार कर सैन्य आपूर्ति को लेकर अमेरिका पर निर्भरता को कम करने की कोशिश की. उधर रूस भी अफगानिस्तान से भविष्य में अमेरिकी सेना की वापसी की संभावनाओं को देखते हुए मध्य एशिया में तालिबानी खतरे के मद्देनजर पाकिस्तान के साथ रिश्तों को मजबूती देना चाहता है. हालांकि इन रिश्तों की बुनियाद साल 1949 में ही पड़ गई होती अगर उस वक्त पाकिस्तान के नेता लियाकत अली खान सोवियत संघ के न्योते को कबूल कर गए होते.

भले ही पाकिस्तान और रूस के बीच सामरिक संबंधों के जरिए नए समीकरण बन रहे हों लेकिन आजतक रूस के किसी भी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान का दौरा नहीं किया है. साल 2007 में रूस के प्रधानमंत्री ने पाक का दौरा किया था. पहली दफे ऐसा हुआ है कि रूस ने पाकिस्तान के साथ मिलकर आतंकवाद के मुद्दे पर सितंबर 2016 में सैन्य अभ्यास किया है. लेकिन पाकिस्तान के साथ रूस की हालिया नजदीकी के पीछे दरअसल अमेरिका के लिए संदेश है. इसके ये मायने नहीं हैं कि रूस पाकिस्तान की कीमत पर भारत से दूर हो गया है. ठीक उसी तरह भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती करीबी का ये मतलब नहीं कि भारत और रूस के बीच दूरियां बन गईं.

समय के साथ बदलते हालातों के चलते हर देश अपनी प्राथमिकताओं को बदलने के लिए स्वतंत्र है. आज एनएसजी यानी परमाणु आपूतिकर्ता समूह में शामिल होने के लिए भारत को रूस के साथ अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के देशों के भी समर्थन की जरूरत है. एनएसजी की सदस्यता में चीन सबसे बड़ा रोड़ा है. ऐसे में भारत सिर्फ किसी एक देश पर भी निर्भर नहीं हो सकता है. इसी तरह डिफेंस के मामले में भी भारत सिर्फ रूस या अमेरिका पर निर्भर नहीं रह सकता है. भारत अब रूस के अलावा फ्रांस और इजराइल जैसे देशों के साथ रक्षा करार कर रहा है.

अमेरिका के साथ भारत का अब 10 अरब डॉलर से ज्यादा का डिफेंस कारोबार हो रहा है. भारत को अपनी सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर हथियारों और आधुनिक रक्षा तकनीक की जरूरत है. ऐसे में भारत अमेरिका को खारिज नहीं कर सकता है. सत्तर साल में पहली दफे ऐसे हालात बने हैं जब अमेरिका ने आतंक के मुद्दे पर पाकिस्तान की भूमिका को लेकर भारत का समर्थन किया. पहली दफे ये हुआ कि अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकी अड्डे खत्म करने और आतंकियों को गिरफ्तार करने को कहा. अमेरिका का भारत के साथ बदला रुख दरअसल चीन और पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकी का भी नतीजा है. बदलते हालात में किरदार वही हैं बस देशों के नाम और भूमिकाएं बदल रही हैं. नए समीकरणों में आज अमेरिका भारत का खुल कर समर्थन कर रहा है. एनएसजी में भारत की दावेदारी और संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी सीट के लिए अमेरिका समर्थन कर रहा है.

बहरहाल, अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत एस 400 डील कर दुनिया को ये संदेश देने में कामयाब हो गया कि  कूटनीतिक, समारिक और कारोबारी हितों के लिए हर दोस्त जरूरी होता है.

ईरान से अब पेट्रो डॉलर के बदले रूपये में व्यापार होगा


‘ईरान तेल के लिए पूर्व में रुपए का भुगतान लेता रहा है. वह रुपए का उपयोग औषधि और अन्य जिंसों के आयात में करता है. इस तरह की व्यवस्था पर काम जारी है.’ 

भारत की ईरान से करीब 2.5 करोड़ टन कच्चे तेल के आयात की योजना है 


 

भारत ने अमेरिकी पाबंदी के बावजूद ईरान से तेल व्यापार का पहला साफ संकेत दिया है. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने पश्चिम एशियाई देश से 12.5 लाख टन कच्चे तेल के आयात के लिए अनुबंध किया है और वे डॉलर की जगह रुपए में व्यापार की तैयारी कर रहे हैं.

उद्योग के शीर्ष सूत्र ने कहा कि इंडियन ऑयल कारपोरेशन (आईओसी) और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोरसायन लि. (एमआरपीएल) ने नवंबर में ईरान से आयात के लिए 12.5 लाख टन तेल के लिए अनुबंध किया किया है. उसी माह से ईरान के तेल क्षेत्र पर पाबंदी शुरू होगी. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने पिछले महीने कहा था कि प्रतिबंध के मामले में कुछ छूट देने पर विचार किया जाएगा लेकिन यह साफ किया कि यह सीमित अवधि के लिए होगी.

सूत्रों के मुताबिक आईओसी ईरान से जो तेल आयात कर रहा है वह सामान्य है. उसने 2018-19 में 90 लाख टन ईरानी तेल के आयात की योजना बनाई थी. मासिक आधार पर यह 7.5 लाख टन बैठता है. ईरान पर अमेरिकी पाबंदी चार नवंबर से शुरू होगी.

सूत्रों ने कहा कि भारत और ईरान चार नवंबर के बाद रुपए में व्यापार पर चर्चा कर रहे हैं. एक सूत्र ने कहा, ‘ईरान तेल के लिए पूर्व में रुपए का भुगतान लेता रहा है. वह रुपए का उपयोग औषधि और अन्य जिंसों के आयात में करता है. इस तरह की व्यवस्था पर काम जारी है.’ उसने कहा कि अगले कुछ सप्ताह भुगतान व्यवस्था पर चीजें साफ हो जाएगी.

वास्तविक मात्रा हो सकती है कम

सूत्रों के मुताबिक आईओसी और एमआरपीएल जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल रिफाइनरी कंपनियां तेल आयात के लिए ईरान को भुगतान को लेकर यूको बैंक या आईडीबीआई बैंक का उपयोग कर सकती हैं. भारत की ईरान से करीब 2.5 करोड़ टन कच्चे तेल के आयात की योजना है जो 2017-18 में आयातित 2.26 करोड़ टन से अधिक है. हालांकि वास्तविक मात्रा कम हो सकती है क्योंकि रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियां पूरी तरह तेल खरीद बंद कर चुकी हैं. अन्य भी पाबंदी को देखते हुए खरीद घटा रही हैं.

50, 000 करोड़ कि अनुमानित राशि के मालिक “दलित नेता” दलितों के लिए दो गज ज़मीन कि मांग कर बुरे फंसे.


50, 000 करोड़ कि अनुमानित राशि के मालिक “दलित नायक” दलितों के लिए दो गज ज़मीन कि मांग कर बुरे फंसे. 

अप्रैल 2018 का संसद भवन का वाकया आपकी नज़र:


जाति के नाम पर आरक्षण एक अभिशाप है। देश के विकास में बाधा डालनेवाले और देश में असमानता लाने वाले जातिवाद आरक्षण के वजह से आज भारत दुनिया में ही पिछड़ा हुआ देश है। अपने राजनैतिक मुनाफे के लिए आरक्षण का उपयॊग करने वाले नेता गण वास्तव में संविधान और अंबेडकर जी का अपमान कर रहे हैं। खुद अंबेडकर जी ने कहा था की जाति के आधार पर आरक्षण केवल दस साल के लिए ही रहना चाहिए और जो दलित आरक्षण का लाभ उठाकर सक्षम होता है उसे दूसरॊं की सहायता करना चाहिए तांकि  उसका भी उत्थान हो।

लेकिन कांग्रेस पिछले 60 साल से देश के साथ गद्दारी कर रही है और आज भी जाति के नाम पर न केवल वॊट मांग रही है अपितु एक दूसरों को लड़वा भी रही है। कांग्रेस के दलित नायक मल्लिकार्जुन जो हमेशा मोदी सरकार पर निशाना साधते हैं, उनकी संपत्ति के बारे में जानेंगे तो आपके हॊश उड़ जाएंगे।

खड्गे ने प्रधानमंत्री मोदी जी के सामने हाथ जोड़ते हुए, आखों में आँसू लाते हुए गिड गिडाया था और कहा था ” इस देश में दलितों को दो गज ज़मीन दे दीजिए तांकि वे भी गौरव से अपना जीवन यापन कर सके”

 

उसी जगह पर मात्र 15 मिनिट के अंदर मॊदी ने खड्गे के सामने उनके संपत्ति से जुड़ा दस्तावेज़ दिखाया और सारा कच्चा चिटठा खॊल दिया। उस दस्तावेज़ के अनुसार ‘दलित नायक’ की संपत्ति का ब्यॊरा कुछ इस प्रकार है:

पीएम मोदी ने दिया राहुल-खड़गे को करारा जवाब, बेनामी संपत्ति पर ‘चेतावनी’

कर्नाटक के बन्नेरघट्टा रॊड में 500 करोड़ का एक बड़ा कांपलेक्स खड्गे के नाम पर है।
चिक्कमगलूरु ज़िले में 300 एकड़ काफी एस्टेट जिसकी कुल कीमत करीब 1000 करोड़ रुपये हैं।
चिक्कमगलूरु ज़िले में ही एक घर है जिसकी कीमत 50 करोड़ है।
बेंगलूरु के केंगेरी में 40 एकड़ की फार्म हाऊस है।
बेंगलूरु के एम.एस.रामय्या कॉलेज के पास इनके नाम पर एक इमारत है जिसकी कीमत 25 करोड़ रूपए हैं।
बेंगलूरु के ही आर. टि. नगर में एक बड़ा बंगला है।
बल्लारी रॊड में 17 एकड़ ज़मीन है।
बेंगलूरु के इंद्रा नगर में तीन मंजिला बंगला है ।
बेंगलूरु के सदाशिव नगर में दो और बंगले इनके नाम पर है।

इसके अलावा इनके और इनके रिश्तेदारों के नाम पर देश के महा नगर जैसे मैसूरु, गुलबर्गा, चेन्नई, गॊवा, पूना, नागपुर, मुम्बई और देश की राजधानी दिल्ली तक में रियल एस्टेट कि संपत्ति है जो 1000 करोड़ रुपए की कीमत की है। खडग देश की जनता को उल्लू समझते होगें कि वे जानते नहीं कि दलित -दलित का नाम जप कर खड्गे ने इतनी संपत्ती कहां से और कैसे बनाई। कुल मिलाकर खड्गे के पास 50,000 करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति है। 1980 से रेवेन्यू मिनिस्टर रह चुके खड्गे ने SC बेकलोग उद्योग की चयन प्रक्रिया में भी खूब घॊटाला किया है और अपने अधिकारॊं का दुरुपयॊग करते हुए खूब पैसा ऐंठा है।

दलितों का नाम इस्तेमाल कर के कांग्रेस के दलित नायक खड्गे ने देश का पैसा लूटा है। अगर खड्गे को दलितों से इतना ही प्यार है तो वो अपनी सारी संपत्ति गरीब दलितों को दे और उनका उद्धार करे किसी को इससे कॊई आपत्ति नहीं लेकिन दलित कार्ड का उपयॊग कर मॊदी सरकार को बदनाम करने का काम ना ही करे तो उनके लिए ही अच्छा है।

भाजपा के कुत्तों ने भी देश कि आज़ादी में कोई बलिदान नहीं दिया: खड्गे


21 जुलाई 1942 को नितांत गरीब और दलित परिवार में जन्मे खड़गे ने 1969 में कांग्रेस ज्वाइन की और उनके परिवार का भी देश कि आज़ादी से कोई लेना देना नहीं.

खड्गे पैदा ज़रूर एक गरीब परिवार में हुए पर सूत्रों कि मानें तो उनके अकूत दौलत का अनुमान लगाना बहुत ही मुश्किल है. सूत्रों के अनुसार आज वह खरबों पति हैं.

शायद कांग्रेसी कुत्ता शब्द का प्रयोग निर्विवादित ढंग से करते हैं.


देश के 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा और वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विभिन्न दलों के नेताओं के बयान अब तीखे होते नजर आ रहे हैं. आरोप-प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला तेजी से शुरू हो गया है. इसी क्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीते गुरुवार को बीजेपी और आरएसएस को निशाने पर लिया. खड़गे ने महाराष्ट्र में एक रैली को संबोधित करते हुए बीजेपी और आरएसएस के ऊपर तीखा हमला किया.

कांग्रेस ने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश की आजादी के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी के नेताओं के घर के एक कुत्ते ने भी अपना बलिदान नहीं दिया है. कांग्रेस महासचिव खड़गे महाराष्ट्र के जलगांव जिले में पार्टी की जन संघर्ष यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत के लिए आयोजित एक रैली को यहां संबोधित कर रहे थे. खड़गे ने कहा- ‘हम लोगों (कांग्रेस) ने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया है. इंदिरा गांधी ने देश की एकता- अखंडता के लिए बलिदान दिया. राजीव गांधी ने देश के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया. मुझे बताइए कि देश की आजादी के लिए भाजपा और संघ (नेताओं) के घर का एक कुत्ता भी कुर्बान हुआ है.’

बीजेपी पर संविधान के साथ छेड़छाड़ करने का लगाया आरोप

खड़गे ने पूछा- ‘हमें बताइए देश की आजादी के लिए आपके कौन से लोग जेल गए हैं.’  रैली में अपने संबोधन के दौरान खड़गे ने बीजेपी के ऊपर संविधान के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी उनके मंसूबे को कामयाब नहीं होने देगी. कांग्रेस के नेता इसके लिए अपनी आखिरी सांस तक लड़ेंगे. आपको बता दें कि केंद्र समेत देश के 20 से ज्यादा राज्यों में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस पार्टी के कई नेता पहले भी इस तरह का बयान देते रहे हैं. कांग्रेस के दिग्गज नेता मणिशंकर अय्यर हों या सांसद शशि थरूर, कई नेताओं ने इससे पहले भी बीजेपी नेताओं के खिलाफ तीखे और विवादित बयान दिए हैं.

चंडीगढ़ में पेट्रोल – डीज़ल आधी रात से 4 रूपये सस्ता

 

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को पेट्रोल-डीजल पर 2.50 रुपए कम करने का फैसला किया था. इसके साथ वित्त मंत्री ने सभी राज्यों से भी कीमतें कम करने के लिए कहा था. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद कई राज्यों ने कीमतें कम करने के लिए पेट्रोल-डीजल पर 2.50 रुपए कम कर दिए थे. जिसके बाद कीमतों में कुल 5 रुपए की गिरावट आई थी.

शुक्रवार को चंडीगढ़ प्रशासन ने पेट्रोल-डीजल पर 1.50 रुपए कम कर दिए हैं. नई कीमतें आधी रात से लागू होगी. इस फैसले के बाद चंडीगढ़ में पेट्रोल-डीजल कुल 4 रुपए सस्ता हो जाएगा.

केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद कुछ राज्य ऐसे भी थे जहां की राज्य सरकारों ने कीमतें कम करने से इनकार कर दिया था. शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कीमतें कम करने से मना कर दिया. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा ‘हमने पहले से ही ईंधन की कीमतें कम कर दी हैं लेकिन हमारे पास चुकाने के लिए कर्ज है. केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाए हैं हमने नहीं. मैं राहुल गांधी के बयान का समर्थन करती हूं- अर्थव्यवस्था पहले से ही टूट गई है और सरकार को तुरंत जाना चाहिए.’

AIBOC & UFBU condemn govt. for its dual policy

All India Bank Officers Confederation today protested against the merger of three banks opposite Vijaya Bank Sector Chandigarh

On the call of AIBOC large number of officers participated in a massive demonstration.

while addressing the officers Sanjay Sharma convener of UFBU Chandigarh strongly condemned the government’s dual policy towards bank. Sharma said that on one hand government is issuing banking licence to the new banks and on the other hand merging the public sector banks in the name of the weak bank; whereas all the public sector banks are running in profit.

He accused the government for not recovering the loan amount from the corporate defaulters and for not making the required laws for the recovery from these defaulters. Banks are already facing a mounting NPA crisis.

Government has put nationalised banks under Preventive Care Action(CPA) as a result their merger has been announced.

Various senior Leaders including Ashok Goyal, T.S. Saggu, Vipin Berri, Harvinder Singh, Pankaj Sharma, Arun Sikka, Rajnish Kumar actively joined the Protest.

 Winners of State Level Gymnastic Girls Competition

 

Panchkula:

Winners of State Level Gymnastic Girls Competition in Different age category with Chief Guest Mr.Jagdeep Dhanda ,ADC ,Panchkula & Mrs.Jyoti Rani ,Distt .Sports Officer,Panchkula at TDL Sports Complex ,Sector-3,Panchkula Here today.

1000gm of Opium seized and one arrested by Sector 39 Police Party

 

05/10/2018

Keeping in view of drug menace in UT, Chandigarh, senior officers has issued special instructions and direction to develop the sources against the drug peddlers in UT, Chandigarh to apprehend them and to curb this menace. Working on the direction of senior officers a special team under the close supervision of SHO PS-39 was constituted and special drive has been carried out to apprehend the drug peddlers.

On 04.10.2018 SI Krishan Kumar along with police party from PS-39, Chd was on patrolling duty in the PS area. During patrolling they reached at slip road sector-39 near Ziri Mandi chowk and started checking the persons under Roko Toko Abhiyan. During checking at about 08.30 PM they saw one person carrying dark blue colour bag in his right hand was coming on foot from Dana Mandi side. On seeing the police party said person suddenly turned back and started walking speedily. On suspicious, police party apprehend that person who disclosed his name as Jatinder Gupta (name changed due to investigation purposes). Resident of Badayaun UP age-59 and during checking of bag, opium which was wrapped in Pholythine bag has been found in his carry bag. On weighing on electronic weighing machine, total 1000 gm opium has been recovered.

 

Profile of accused:-    Accused Jatinder Gupta (name changed due to investigation purposes) is a resident of Badayaun UP age-59 years. Earlier he was driver with one drug paddler Jain who was resident of Agra and after the death of drug peddler Jain, he started supplying the drugs in Chandigarh and Punjab area at his own. The call detail of mobile phone of accused Jatinder Gupta is being obtained to ascertain his customers. The accused person will be produced before the area magistrate for police remand. More recoveries are expected from the accused person.

 

The SIT, under the close supervision of SHO/PS-39, Chandigarh had achieved major success by apprehending the following drug peddlers within the month and huge recovery of drugs i.e. Smack/Heroine (370 gm) , intoxicate Injections (200), opium (1000 gm) and huge cash Rs. 600600 has been effected from their possession.

The detail of registered cases is as under:-

 

S.N  Accused Recovery FIR/DATE

U/S

Date of arrest
1. Poonam W/O Sikander R/O # 372 Sec-40A Chd Age-32 Years 270gm Smack/Heroine, 200 injections, Cash Rs. 600600 346

28.08.18

21, 22 NDPS Act

28.08.18

 

2. Chandan S/o Chunni Lal R/O Vill Rajera Distt Chamba HP 50 gram smack 391

26.09.18

21 NDPS Act

26.09.18
3. Sahil Daber S/O Balraj Kumar R/O # 2700 Sec-22 C CHD 50 gram smack

 

392

 

27.09.18

21 NDPS Act

27.09.18

 

Sandeep Hans S/O Balbir Singh R/O # 3317 Sec-38 CHD
5. Jatinder Gupta (Name Changed due to investigation Purpose) 1000 gram Opium 400

04.10.18

18 NDPS Act

04.10.18

 

 

Beside the above, keeping view of spurt in incident of Snatching, Vehicle thefts and Burglary, senior officer of Chandigarh Police has issued special directions and instructions to curb and detect this crime. Working on the directions of senior officers, a team of police station Sector- 39, under the close supervision of  SHO PS-39, Chd, has arrested two members of Inter-state snatchers and recovered 4 mobile phones from their possession snatched by them from the different parts of Chandigarh and Mohali.

 

On dated 04/10/2018, on receipt of secret information, a team led by SI Gurjiwan Singh alongwith police officials of Police Station- 39, laid a naka near turn of Parjapati Bhawan and apprehended accused person namely Lovely Kumar S/o Jamnu Ram r/o # Brauti wala Mohalla, Sohana, Distt Mohali Punjab, age 22 years and Rahul Kumar s/o Raj Kumar r/o village Isarherri, Teh Dudhan Sadhan, Distt Patiala, age 22 years During interrogation both of the accused persons have confessed regarding the snatching of mobile make OPPO on dated 30/09/2018  from Sector 38, near Vivek School, from a pedestrian girl. The same was recovered from the possession of accused person accordingly alongwith motorcycle used by accused during commission of crime.  The recovered mobile phone was related to FIR no. 395 date 30/09/2018 u/s 379, 356 IPC PS-39, Chandigarh. Three more mobile phones have been also recovered from the possession of accused person which were also snatched by them. The verification regarding the other recovered phone is pending so far.

The accused person Lovely Kumar was remained in Patiala Central Jail for two month in a case of theft of mobile phone. He was released from jail on 17/08/2018. The accused persons will be produced before the area magistrate for police remand. More recoveries are expected from the accused persons

माता मनसा देवी मन्दिर परिसर में 10 से 18 अक्तूबर तक कानूनी साक्षरता शिविर आयोजित किए जाएगें

पंचकूला 5 अक्तूबर:
जिला विधिक सेवांए प्राधिकरण द्वारा नवरात्र मेला के दौरान माता मनसा देवी मन्दिर परिसर में 10 से 18 अक्तूबर तक कानूनी साक्षरता शिविर आयोजित किए जाएगें।
इस संम्बंध में जानकारी देते हुए मुख्य दण्डाधिकारी एंव प्राधिकरण के सचिव विवेक गोयल ने बताया कि  इन शिविरों को सुचारू ढंग से सम्पन्न करवाने के लिए पैनल अधिवक्ता एंव पेरालिगल वॉलिंटियर की ड्यूटियां लगाई गई है। नवरात्र मेला के दौरान श्रद्धालुओं को जहां उन्हें दो शिफ्टों में कानूनी जानकारी दी जाएगी वहीं उनके अधिकारों के बारे में प्रचार सामग्री भी वितरित की जाएगी।
मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी ने बताया कि मेला में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए प्राधिकरण द्वारा व्यापक स्तर   पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि उनके अधिकारों का कोई हनन न हो सके।

श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करती है माता मनसा देवी

भारत की सभ्यता एवं संस्कृति आदिकाल से ही विश्व की पथ-प्रदर्शक रही है और इसकी चप्पा-चप्पा धरा को ऋषि मुनियों ने अपने तपोबल से पावन किया है। हरियाणा की पावन धरा भी इस पुरातन गौरवमय भारतीय संस्कृति, धरोहर तथा देश के इतिहास एवं सभ्यता का उद्गम स्थल रही है। यह वह कर्म भूमि है, जहां धर्म की रक्षा के लिए दुनिया का सबसे बड़ा संग्राम महाभारत लड़ा गया था और गीता का पावन संदेश भी इसी भू-भाग से गुंजित हुआ है। वहीं शिवालिक की पहाडियों से लेकर कुरूक्षेत्र तक के 48 कोस के सिंधुवन में ऋषि-मुनियों द्वारा पुराणों की रचना की गई और यह समस्त भूभाग देवधरा के नाम से जाना जाता है।
इसी परम्परा में हरियाणा के जिला पंचकूला में ऐतिहासिक नगर मनीमाजरा के निकट शिवालिक पर्वतमालाओं की गोद में सिन्धुवन के अतिंम छोर पर प्राकृतिक छटाओं से आच्छादित एकदम मनोरम एवं शांति वातावरण में स्थित है – सतयुगी सिद्घ माता मनसा देवी का मंदिर। कहा जाता है कि यदि कोई भक्त सच्चे मन से 40 दिन तक निरंतर मनसा देवी के भवन में पहुंच कर पूजा अर्चना करता है तो माता मनसा देवी उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करती है। माता मनसा देवी का चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रों में मेला लगता है।
माता मनसा देवी के मंदिर को लेकर कई धारणाएं व मान्यताएं प्रचलित हैं। श्रीमाता मनसा देवी का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि अन्य सिद्घ शक्तिपीठों का। इन शक्ति पीठों का कैसे और कब प्रादुर्भाव हुआ इसके बारे में शिव पुराण में विस्तृत वर्णन मिलता है। धर्म ग्रंथ तंत्र चूड़ामणि के अनुसार ऐसे सिद्घ पीठों की संख्या 51 है, जबकि देवी भागवत पुराण में 108 सिद्घ पीठों का उल्लेख मिलता है, जो सती के अंगों के गिरने से प्रकट हुए। श्रीमाता मनसा देवी के प्रकट होने का उल्लेख शिव पुराण में मिलता है। माता पार्वती हिमालय के राजा दक्ष की कन्या थी व अपने पति भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत पर उनका वास था। कहा जाता है कि एक बार राजा दक्ष ने अश्वमेध यज्ञ रचाया और उसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, परन्तु इसमें भगवान शिव को नहीं बुलाया, इसके बावजूद भी पार्वती ने यज्ञ में शामिल होने की बहुत जिद्द की। महादेव ने कहा कि बिना बुलाए वहां जाना नहीं चाहिए और यह शिष्टाचार के विरूद्घ भी है। अन्त मे विवश होकर मां पार्वती का आग्रह शिवजी को मानना पड़ा। शिवजी ने अपने कुछ गण पार्वती की रक्षार्थ साथ भेजे। जब पार्वती अपने पिता के घर पहुंची तो किसी ने उनका सत्कार नहीं किया। वह मन ही मन अपने पति भगवान शंकर की बात याद करके पश्चाताप करने लगी। हवन यज्ञ चल रहा था। यह प्रथा थी कि यज्ञ में प्रत्येक देवी देवता एवं उनके सखा संबंधी का भाग निकाला जाता था। जब पार्वती के पिता ने यज्ञ से शिवजी का भाग नहीं निकाला तो पार्वती को बहुत आघात लगा।  आत्म-सम्मान के लिए गौरी ने अपने आपको यज्ञ की अग्नि में होम कर दिया। पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में प्राणोत्सर्ग करने के समाचार को सुन शिवजी बहुत क्रोधित हुए और वीरभद्र को महाराजा दक्ष को खत्म करने के लिए आदेश दिए। क्रोध में वीरभद्र ने दक्ष का मस्तक काटकर यज्ञ विघ्वंस कर डाला। शिवजी ने जब यज्ञ स्थान पर जाकर सती का दग्ध शरीर देखा तो सती-सती पुकारते हुए उनके दग्ध शरीर को कंधे पर रखकर भ्रान्तचित से तांडव नृत्य करते हुए देश देशातंर में भटकने लगे।
भगवान शिव का उग्र रूप देखकर ब्रह्मा आदि देवताओं को बड़ी चिंता हुई। शिवजी का मोह दूर करने के लिए सती की देह को उनसे दूर करना आवश्यक था, इसलिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से लक्ष्यभेद कर सती के शरीर को खंड-खंड कर दिया। वे अंग जहां-जहां गिरे वहीं शक्तिपीठों की स्थापना हुई और शिव ने कहा कि इन स्थानों पर भगवती शिव की भक्ति भाव से आराधना करने पर कुछ भी दुलर्भ नहीं होगा क्योंकि उन-उन स्थानों पर देवी का साक्षात निवास रहेगा। हिमाचल प्रदेश के कांगडा के स्थान पर सती का मस्तक गिरने से बृजेश्वरी देवी शक्तिपीठ, ज्वालामुखी पर जिव्हा गिरने से ज्वाला जी, मन का भाग गिरने से छिन्न मस्तिका चिन्तपूर्णी, नयन से नयना देवी, त्रिपुरा में बाई जंघा से जयन्ती देवी, कलकत्ता में दाये चरण की उंगलियां गिरने से काली मदिंर, सहारनपुर के निकट शिवालिक पर्वत पर शीश गिरने से शकुम्भरी, कुरूक्षेत्र में गुल्फ गिरने से भद्रकाली शक्ति पीठ तथा मनीमाजरा के निकट शिवालिक गिरिमालाओं पर देवी के मस्तिष्क का अग्र भाग गिरने से मनसा देवी आदि शक्ति पीठ देश के लाखों भक्तों के लिए पूजा स्थल बन गए हैं।
एक अन्य दंत कथा के अनुसार मनसा देवी का नाम महंत मंशा नाथ के नाम पर पड़ा बताया जाता है। मुगलकालीन बादशाह सम्राट अकबर के समय लगभग सवा चार सौ वर्ष पूर्व बिलासपुर गांव में देवी भक्त महंत मन्शा नाथ रहते थे। उस समय यहां देवी की पूजा अर्चना करने दूर-दूर से लोग आते थे। दिल्ली सूबे की ओर से यहां मेले पर आने वाले प्रत्येक यात्री से एक रुपया कर के रूप में वसूल किया जाता था। इसका मंहत मनसा नाथ ने विरोध किया। हकूमत के दंड के डर से राजपूतों ने उनके मदिंर में प्रवेश पर रोक लगा दी। माता का अनन्य भक्त होने के नाते उसने वर्तमान मदिंर से कुछ दूर नीचे पहाडों पर अपना डेरा जमा लिया और वहीं से माता की पूजा करने लगा। महंत मंशा नाथ का धूना आज भी मनसा देवी की सीढियों के शुरू में बाई ओर देखा जा सकता है।
आईने अकबरी में यह उल्लेख मिलता है कि जब सम्राट अकबर 1567 ई. में कुरूक्षेत्र में एक सूफी संत को मिलने आए थे तो लाखों की संख्या में लोग वहां सूर्य ग्रहण पर इकटठे हुये थे। महंत मंशा नाथ भी संगत के साथ कुरूक्षेत्र में स्नान के लिये गये थे। कहते हैं कि जब नागरिकों एवं कुछ संतों ने अकबर से सरकार द्वारा यात्रियों से कर वसूली करने की शिकायत की तो उन्होंने हिंदुओं के प्रति उदारता दिखाते हुए सभी तीर्थ स्थानों पर यात्रियों से कर वसूली पर तुरंत रोक लगाने का हुकम दे दिया, जिसके फलस्वरूप कुरूक्षेत्र एवं मनसा देवी के दर्शनों के लिए कर वसूली समाप्त कर दी गई।
श्रीमाता मनसा देवी के सिद्घ शक्तिपीठ पर बने मदिंर का निर्माण मनीमाजरा के राजा गोपाल सिंह ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर लगभग पौने दो सौ वर्ष पूर्व चार वर्षो में अपनी देखरेख में सन 1815 ईसवी में पूर्ण करवाया था। मुख्य मदिंर में माता की मूर्ति स्थापित है। मूर्ति के आगे तीन पिंडीयां हैं, जिन्हें मां का रूप ही माना जाता है। ये तीनों पिंडीयां  महालक्ष्मी, मनसा देवी तथा सरस्वती देवी के नाम से जानी जाती हैं। मंदिर की परिक्रमा पर गणेश, हनुमान, द्वारपाल, वैष्णवी देवी, भैरव की मूर्तियां एवं शिव लिंग स्थापित है। इसके अतिरिक्त श्रीमनसा देवी मंदिर के प्रवेश द्वार पर माता मनसा देवी की विधि विधान से अखंड ज्योत प्रज्जवलित कर दी गई है। इस समय मनसा देवी के तीन मंदिर हैं, जिनका निर्माण पटियाला के महाराज द्वारा करवाया गया था। प्राचीन मदिंर के पीछे निचली पहाडी के दामन में एक ऊंचे गोल गुम्बदनुमा भवन में बना माता मनसा देवी का तीसरा मदिंर है। मदिंर के एतिहासिक महत्व तथा मेलों के उपर प्रति वर्ष आने वाले लाखों श्रद्घालुओं को और अधिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए हरियाणा सरकार ने मनसा देवी परिसर को 9 सितम्बर 1991 को माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड का गठन करके इसे अपने हाथ मे ले लिया था।
श्री माता मनसा देवी की मान्यता के बारे पुरातन लिखित इतिहास तो उपलब्ध नहीं है, परन्तु पिंजौर, सकेतडी एवं कालका क्षेत्र में पुरातत्ववेताओं की खोज से यहां जो प्राचीन चीजे मिली हैं, जो पाषाण युग से संबंधित है उनसे यह सिद्घ होता है कि आदिकाल में भी इस क्षेत्र में मानव का निवास था और वे देवी देवताओं की पूजा करते थे, जिससे यह मान्यता दृढ होती है कि उस समय इस स्थान पर माता मनसा देवी मदिंर विद्यमान था। यह भी जनश्रुति है कि पांडवों ने बनवास के समय इस उत्तराखंड में पंचपूरा पिंजौर की स्थापना की थी। उन्होंने ही अन्य शक्तिपीठों के साथ-साथ चंडीगढ के निकट चंडीमदिंर, कालका में काली माता तथा मनसा देवी मदिंर में देवी आराधाना की थी। पांडवों के बनवास के दिनों में भगवान श्री कृष्ण के भी इस क्षेत्र में आने के प्रमाण मिलते हैं। त्रेता युग में भी भगवान द्वारा शक्ति पूजा का प्रचलन था और श्री राम द्वारा भी इन शक्ति पीठों की पूजा का वर्णन मिलता है।
हरिद्वार के निकट शिवालिक की ऊंची पहाडियों की चोटी पर माता मनसा देवी का एक और मदिंर विद्यमान है, जो आज देश के लाखों यात्रियों के लिये अराध्य स्थल बना हुआ है, परन्तु उस मदिंर की गणना 51 शक्तिपीठों में नहीं की जाती। पंचकूला के बिलासपुर गांव की भूमि पर वर्तमान माता मनसा देवी मदिंर ही सिद्घ शक्ति पीठ है, जिसकी गणना 51 शक्ति पीठों में होने के अकाट्य प्रमाण हैं। हरिद्वार के निकट माता मनसा देवी के मदिंर के बारे यह दंत कथा प्रसिद्घ है कि यह मनसा देवी तो नागराज या वासुकी की बहिन, महर्षि कश्यप की कन्या व आस्तिक ऋषि की माता तथा जरत्कारू की पत्नी है, जिसने पितरों की अभिलाषा एवं देवताओं की इच्छा एवं स्वयं अपने पति की प्रतिज्ञा को पूर्ण करने तथा सभी की मनोकामना पूर्ण करने के लिए वहां अवतार धारण किया था, सभी की मनोकामना पूर्ण करने के कारण अपने पति के नाम वाली जरत्कारू का नाम भक्तों में मनसा देवी के रूप में प्रसिद्घ हो गया। वह शाक्त भक्तों में अक्षय धनदात्रि, संकट नाशिनी, पुत्र-पोत्र दायिनी तथा नागेश्वरी माता आदि नामों से प्रसिद्घ है।
श्री माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड के मुख्य प्रशासक एवं उपायुक्त श्री मुकुल कुमार ने बताया कि बोर्ड द्वारा माता के दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुख्ता प्रबंध किये गये है। उन्होंने बताया कि 10 से 18 अक्तूबर तक चलने वाले अश्विन नवरात्र मेले के दौरान मेले स्थल पर श्रद्धालुओं के आने के लिए विशेष बस सेवाये चण्डीगढ, जीरकपुर तथा आस-पास के क्षेत्रों से सीटीयू तथा हरियाणा रोडवेज की बसों की माता मनसा देवी व काली माता मंदिर कालका में मेला स्थल पर पहुंचने के लिए भी व्यवस्था की गई है ताकि श्रद्धालुओं को आने जाने में किसी प्रकार की असुवधिा न हो।