Sunday, December 22


गुजरात में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के अनावरण के बाद बीएसपी प्रमुख मायावती ने बुधवार को कहा कि बीएसपी सरकार के समय बने स्मारकों को ‘फिजूलखर्ची’ बताने के लिए बीजेपी और आरएसएस को बहुजन समाज के लोगों से माफी मांगनी चाहिए.


मायावती ने भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए एक बयान में कहा, लगभग तीन हजार करोड़ रुपए की लागत से बनी पटेल की ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ प्रतिमा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात में अनावरण के बाद बीजेपी और आरएसएस के उन सभी लोगों को बहुजन समाज के लोगों से माफी मांगनी चाहिए जो बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर सहित दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों में जन्में महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के सम्मान में बीएसपी सरकार द्वारा लखनऊ और नोएडा में निर्मित भव्य स्थलों, स्मारको, पार्कों को फिजूलखर्ची बताकर इसकी जबर्दस्त आलोचना किया करते थे.’

बीजेपी ने पटेल को क्षेत्रवाद में बांध दिया

मायावती ने कहा, ‘वैसे तो पटेल अपनी बोल-चाल, रहन-सहन व खान-पान में पूर्ण रूप से भारतीयता व भारतीय संस्कृति की एक मिसाल थे. लेकिन उनकी भव्य प्रतिमा का नामकरण हिंदी और भारतीय संस्कृति के नजदीक होने के बजाय स्टैच्यू ऑफ यूनिटी जैसा अंग्रेजी नाम रखना कितनी राजनीति है, यह देश की जनता अच्छी तरह से समझ रही है.’

उन्होंने कहा कि पटेल विशुद्ध रूप से भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के पोषक थे लेकिन उनकी प्रतिमा पर विदेशी निर्माण की छाप उनके समर्थकों को हमेशा सताती रहेगी. बीएसपी प्रमुख ने कहा कि आंबेडकर की तरह पटेल एक राष्ट्रीय व्यक्ति थे और उनका सम्मान भी था लेकिन बीजेपी और उसकी केंद्र सरकार ने उन्हें क्षेत्रवाद की संकीर्णता में बांध दिया है.

उन्होंने कहा कि देश की जनता यह भी नहीं समझ पा रही है कि बीजेपी को यदि वाकई पटेल के नाम पर राजनीति करने के बजाय उनसे सही मायने में लगाव होता तो गुजरात में अपने लम्बे शासन के दौरान उनकी ऐसी भव्य प्रतिमा क्यों नहीं बनाई.