आआपा नेता संजय सिंह पर आरोप तय


संजय सिंह ने बीजेपी नेता को पूर्व मंत्री कपिल मिश्र पर कथित रूप से हमला करने वाला बताया था, अब देखने वाली बात यह है कि “आआपा नेता संजय सिंह” इस मुकद्दमे को इमानदारी से लड़ेंगे या फिर अपने नेता कि तरह भरे बाज़ार माफ़ी मांग लेंगे और गोर तलब यह भी रहेगा कि क्या भाजपा कि युवा इकाई के नेता ‘अंकित भारद्वाज’ अपने नेताओं का अनुसरण करते हुए उन्हें माफ़ कर देंगे. 


कल ही आआपा नेता संजय सिंह ने राफेल सौदे में रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीता रमण को एक कानूनी नोटिस भिजवाया ऐसा उन्होंने मिडिया में कहा, परन्तु आज उनके ही खिलाफ न्यायालय में अवमानना का मुकद्दमा दर्ज हो गया है.

बीजेपी की युवा इकाई के एक नेता की ओर से दाखिल मानहानि के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह के खिलाफ आरोप तय किए हैं.

संजय सिंह ने बीजेपी नेता को पूर्व मंत्री कपिल मिश्र पर कथित रूप से हमला करने वाला बताया था. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने कहा कि आरोपी के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं.

ये आरोप भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत तय किए गए हैं. इससे पहले राज्यसभा सांसद ने मामले में अपनी गलती स्वीकार नहीं की और इस संबंध में सुनवाई किए जाने पर जोर दिया.

[section 499 cr.p.c सिर्फ defamation मानहानि की परिभाषा बताता है यह section 499 cr.p.c  बताता है की मानहानि क्या होती है व कितने प्रकार की हो सकती है पर इसमें सजा का प्रावधान धारा 500 cr.p.c. में है इसके अनुसार जो भी कोई व्यक्ति ऐसा अपराध करेगा वो दो साल के कारावास व जुर्माने व या दोनो की सजा भुगतेगा इसके अलावा वह कोर्ट में अगर कोई defamation मानहानि के लिए भी केस डालता है तो वो जुरमाना भी उसे मिलेगा ]

संजय  के अधिवक्ता मोहम्मद इरशाद ने बताया कि अदालत में सुनवाई के दौरान आरोपों पर वह आआपा नेता का पक्ष रखेंगे. भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकारी सदस्य अंकित भारद्वाज ने यह मामला दायर किया था.

अंकित ने दावा किया कि आआपा नेताओं ने मीडिया में गलत तरीके से उनका नाम लिया और बीजेपी युवा मोर्चा का पदाधिकारी बताया, जिसने पिछले साल दस मई को मिश्र पर हमला किया था.

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया भंग


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अध्यादेश के जरिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिय को भंग कर दिया है, इस पर राष्ट्रपति की मुहर भी लग गई है, नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के आने तक बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के जरिए काम होगा


मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग कर दिया गया है और इसके लिए बकायदा बुधवार सुबह कैबिनेट की मीटिंग बुलाकर अध्यादेश को पास किया गया और इसे राष्ट्रपति को भेजा गया. राष्ट्रपति जी ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है. वैसे पिछले लोकसभा के सत्र में नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के पास होने की चर्चा थी, जो कि सदन में पास होने के लिए रखा नहीं जा सका था.  मिडिया ने उस समय भी इस बात की जानकारी दी थी कि सरकार मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग कर नए कमिशन के गठन की तैयारी में है.

फिलहाल नेशनल मेडिकल कमीशन बिल सदन में पेडिंग है लेकिन अध्यादेश के जरिए सरकार ने पुराने काउंसिल को भंग कर दिया है. अब काउंसिल को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के जरिए चलाया जाएगा. इस बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में जिन दो सदस्य के नाम प्रमुख हैं, वो हैं नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल और ऑल इंडिया इंस्टीयूट ऑफ मेडिकल साइसेंस के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया.

सरकार के वरिष्ठ मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि मेडिकल काउंसिल का समय खत्म होने वाला था और इस बात की जरूरत महसूस की गई कि इस संस्था का बागडोर नामचीन व्यक्तियों के हाथों सौंपा जा सके.

ध्यान रहे कि सरकार 23 सितंबर को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना प्रारंभ कर चुकी है जिसमें देश के कम से कम 40 फीसदी लोगों को बीमा के तहत बेहतर इलाज कराने का प्रावधान है. सरकार तकरीबन 10.74 करोड़ परिवार को मुफ्त इलाज कराने की योजना शुरू कर चुकी है. इस योजना के तहत डेढ़ लाख प्राइमरी हेल्थ केयर सेंटर खोलने की भी बात कही गई है.

ध्यान रहे पिछले 70 साल में जिस तरह स्वास्थ्य क्षेत्र में आधारभूत संरचना तैयार किया जाना चाहिए, वो तैयार नहीं हो पाया है. ऐसा संसदीय कमेटी अपने रिपोर्ट में भी कह चुकी है और नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का प्रारूप तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ रंजीत रॉय चौधरी ने ये जिक्र किया था कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह फेल रहा है.

साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एमसीआई की गतिविधियों ने नाराज होकर ओवरसाइट कमेटी का गठन किया था, जिसका काम एमसीआई के क्रिया कलाप पर निगरानी का था लेकिन 6 जुलाई को ओवरसाइट कमेटी ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिख कर आरोप लगाया कि मेडिकल काउंसिल सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहा है और किसी भी फैसले से उसे अवगत नहीं करा रहा है. इसलिए सरकार ने एक अध्यादेश लाकर फिलहाल बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के जरिए इसे सुचारू रूप से चलाने का फैसला किया है. ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकार को अपने इस फैसले को 6 महीने के अंदर सदन से पास कराना पड़ेगा.

ये हैं इस बिल की प्रमुख बातें

दरअसल इस बिल को लाने के लिए मोदी सरकार ने कुछ साल पहले से ही कवायद शुरू कर दी थी. 15 दिसंबर 2017 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (नेशनल मेडिकल कमीशन) बिल को स्वीकृति दे दी थी. इस बिल का उद्देश्य चिकित्सा शिक्षा प्रणाली को विश्व स्तर के समान बनाने का है.

प्रस्तावित आयोग इस बात को सुनिश्चित करेगा की अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट दोनों लेवल पर बेहतरीन चिकित्सक मुहैया कराए जा सकें… इस बिल के प्रावधान के मुताबिक प्रस्तावित आयोग में कुल 25 सदस्य होंगे, जिनका चुनाव कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में होगा. इसमें 12 पदेन और 12 अपदेन सदस्य के साथ साथ 1 सचिव भी होंगे.

इतना ही नहीं देश में प्राइमरी हेल्थ केयर में सुधार लाने के लिए एक ब्रिज-कोर्स भी लाने की बात कही गई है, जिसके तहत होमियोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक भी ब्रिज-कोर्स करने के बाद लिमिटेड एलोपैथी प्रैक्टिस करने का प्रावधान है. वैसे इस मसौदे को राज्य सरकार के हवाले छोड़ दिया गया है कि वो अपनी जरुरत के हिसाब से तय करें की नॉन एलोपैथिक डॉक्टर्स को इस बात की आज़ादी देंगे या नहीं.

 

प्रस्तावित बिल के मुताबिक एमबीबीएस की फाइनल परीक्षा पूरे देश में एक साथ कराई जाएगी और इसको पास करने वाले ही एलोपैथी प्रैक्टिस करने के योग्य होंगे. दरअसल पहले एग्जिट टेस्ट का प्रावधान था, लेकिन बिल में संशोधन के बाद फाइनल एग्जाम एक साथ कंडक्ट कराने की बात कही गई है.

बिल में प्राइवेट और डीम्ड यूनिवर्सिटीज में दाखिला ले रहे 50 फीसदी सीट्स पर सरकार फीस तय करेगी वही बाकी के 50 फीसदी सीट्स पर प्राइवेट कॉलेज को अधिकार दिया गया है की वो खुद अपना फीस तय कर सकेंगे.

बिल लाने की वजह

दरअसल सरकार को इस बिल को लाने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि मार्च 2016 में संसदीय समिति (स्वास्थ्य) ने सरकार को एक रिपोर्ट सौंपा था जिसमें भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) के ऊपर साफ-तौर पर ऊंगली उठाते हुए इसे पूरी तरह से परिवर्तित करने को कहा था. जाहिर है कि सरकार ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए एक समिति का गठन किया और बिल को ड्राफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू की गई. इस बिल को तैयार करने के लिए डॉक्टर रणजीत रॉय चौधरी की अध्यक्षता में तमाम एक्सपर्ट्स की मदद ली गई साथ ही साथ अन्य स्टेक होल्डर्स की भी राय को खासा तवज्जो दिया गया. इस ड्राफ्ट को नीति आयोग के वेबसाइट पर लोगों की राय के लिए डाला गया.

लेकिन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) पूरे बिल और आयोग के गठन को लेकर ही विरोध जता रहा है. मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके डॉक्टर अजय कुमार पत्रकारों से बात करते हुए कहते हैं, ‘इस बिल को लाने के पीछे पर्सनालिटी क्लैश मुख्य वजह है. वहीं एक लोकतांत्रिक व्यवस्था को ध्वस्त करके पूरे डॉक्टर्स को ब्यूरोक्रेसी के नीचे लाया जा रहा है, जो कि पूरी तरह गलत और भारतीय चिकित्सा को बर्बाद करने की कवायद है.’

डॉक्टर अजय कुमार भारतीय चिकित्सा परिषद् के महत्वपूर्ण सदस्य भी हैं, जो कि भारतीय चिकित्सा और मेडिकल एजुकेशन के लिए रेगुलेटरी बोर्ड का काम करती रही है.

हमारी सरकार ‘जहां कमल-वहां सुशासन’ के आदर्शों पर चलते हुए हरियाणा में जन आकांक्षाओं पर खरी उतरी है: राम बिलास शर्मा

चंडीगढ़, 26 सितंबर:

हरियाणा के शिक्षा मंत्री श्री राम बिलास शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्चतर शिक्षा तक गुणवत्ता में सुधार लाने और उसे रोजगारपरक बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। युवाओं के कौशल का विकास किया जा रहा है और उनके लिए स्व:रोजगार की कई स्कीमें चलाई जा रही हैं। पिछले करीब चार वर्षों में हरियाणा की पूरे देश में शिक्षा के क्षेत्र में अनूठी व अनुकरणीय पहचान बनी है।
श्री शर्मा ने यह जानकारी आज यहां सिविल सचिवालय स्थित अपने कार्यालय में आए लोगों की शिकायतों का निवारण करते हुए दी।
उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार ने युवाओं के कौशल विकास के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना की तर्ज पर मई, 2015 में ‘हरियाणा कौशल विकास मिशन’ बनाया तथा प्रदेश के जिला पलवल में विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना की। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने पिछले चार वर्षों में प्रदेश के समान विकास, जन-जन के कल्याण एवं भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था की स्थापना की दिशा में कई मंजिलें तय की हैं। हमारी सरकार का लक्ष्य न केवल प्रदेश को आर्थिक तौर पर सुदृढ़ बनाना है, बल्कि हरियाणा की ऐतिहासिक विरासत को संजोकर रखते हुए प्रदेश का चहुंमुखी विकास करना है। राज्य सरकार ‘हरियाणा एक-हरियाणवी एक’ के आदर्श पर चलते हुए एक नई व्यवस्था कायम करने के लिए निरन्तर समर्पित है।
श्री शर्मा ने कहा कि मानवता के पुजारी पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के ‘अंत्योदय दर्शन’ को चरितार्थ करने के लिए सरकार गरीब से गरीब व्यक्ति तक विकास के लाभ पहुंचाने में लगी हुई है। गरीब एवं पिछड़े वर्ग के लोगों की सुविधा के लिए विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रदान करने हेतु प्रदेश के सभी 22 जिलों में अन्त्योदय भवन स्थापित किए जा गए हैं। इन केन्द्रों में 22 विभागों की 226 योजनाओं में से 181 योजनाएं अन्त्योदय ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ‘जहां कमल-वहां सुशासन’ के आदर्शों पर चलते हुए हरियाणा में जन आकांक्षाओं पर खरी उतरी है। ‘हरियाणा एक-हरियाणवी एक’ और ‘सबका साथ-सबका विकास’ के मूल मंत्र पर चलते हुए हमने प्रदेश का चहुंमुखी विकास किया है।

The shocking footage from at Chawinda Devi village in Amritsar shows how the men in khakhi turn brutes

 

Amritsar: The inhuman treatment meted out to a woman in Amritsar allegedly at the hands of the Punjab Police has been caught on camera and shocked the entire country. The shocking footage from at Chawinda Devi village in Amritsar shows how the men in khakhi turn brutes. As per the details coming in, the Punjab Police had gone to a house to arrest the woman’s father-in-law, an alleged accused in a property dispute case.

However, upon not finding him at the residence, the Punjab Police Crime Branch personnel tried to take away his wife. When she forcefully opposed it, they held her as a ‘punishment’. Exposing their monstrous faces, the cops tied the woman to the roof of their jeep and drove around the village.

When villagers protested against it, cops dumped the woman to the road while taking a sharp turn in an area of Amritsar district and fled. One more version floating around is that the woman fell down while the jeep was being driven at high speed. The woman was later admitted to a hospital

पंजाब बाढ़ के कारण हाई अलर्ट पर और बिस्त दोआब बिभाग में कोई अफ़सर ही नहीं

नरेश भरद्वाज:

जहां एक तरफ पूरे पंजाब में बारिश की और नदियों के बड रहे जलस्तर की वजह से एलर्ट पर है | इसके चलते कई महकमों की छुटियाँ तक रद्द कर दी गयीं है वहीँ इस हालात में राहत का काम करने वाला बिस्त दोआब विभाग आज कल बिना एक्सियन के काम कर रहा है | विभाग का हाल यह है की मुश्किल हालात में काम करने वाले इस विभाग का जो वायरलेस सिस्टम है वोह तक खराब पड़ा है | विभाग के कर्मचारी मांग कर रहे हैं की जल्द से जल्द उनकी नियुक्ति की जाए ताकि सरकार और उनके बीच की कड़ी जुड़ सके |

जालन्धर स्थित बिस्त दोआब बिभाग का यह दफ्तर जिसके जिम्मे जालंधर सहित ,शहीद भगत सिंह नगर ,गड़शंकर, गोराया में नदियों के साथ लगते वो इलाके हैं जहां आज कल पानी के बड़ते स्तर की वजह से हाई एलर्ट है | इस दफ्तर और इसमें पड़ते जालंधर सहित तीन सब डिविजन के मुलाजिम आज कल भगवान भरोसे काम कर रहे हैं क्योंकि सरकार और इनके बीच जो सीनियर अधिकारी ( एक्सिक्यूटिव इंजिनियर ) काम करता है उसकी कुर्सी पिछले एक महीने से खाली है | अगस्त महीने की 31 तारिख को यहाँ तैनात एक्सिक्यूटिव इंजिनियर हरजिंदर पाल सिंह मान रिटायर हो गये जिसके बाद से आज तक यहाँ कोई नया एक्सिक्यूटिव इंजिनियर तैनात नहीं किया गया है | हालात यह हैं की पंजाब में नदियों के बड़ते स्तर को देखते हुए सरकार द्वारा हाई एलर्ट किया गया है और इस हालात में यहाँ लगा वायरलेस सिस्टम तक खराब है | इस दफ्तर में तार बाबू तो है पर तार वाला सिस्टम पूरी तरह खराब है यहाँ तक की मुलाजिम अपने मोबाइलों से यह काम चला रहे हैं | आज इस विभाग में काम कर रहे करीब चार सौ पचास मुलाजिम भगवान् भरोसे काम कर रहे हैं | आज अगर इन मुलाजिमो में से किसी के साथ कोई मुश्किल आ जाए तो उसकी जिम्मेवारी किसकी होगी यह तक पता नहीं |

यहाँ तैनात मुलाजिमों के अनुसार पंजाब में हाई एलर्ट के चलते लोग उनसे सम्पर्क करते हैं पर वो आगे किसके हुकुम से काम करें अगर उनके सीनियर अफसर की कुर्सी ही खाली हैं | उनके अनुसार उनके अंतर्गत पड़ते इलाके में साड़े चार सौ मुलाजिम हैं जिनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं | उन्होंने मांग की है की जल्द से जल्द उनके महकमे में अफसर की नियुक्ती की जाए ताकि इस हालात में जो काम वोह कर रहे हैं उनकी जिम्मेवारी लेने वाला कोई अफसर हो जो उनकी सुनवाई कर सके |

पुराने कर्मचारियों को नियमित करने की ओर उट्ठे खट्टर सरकार के कदम

चंडीगढ़, 26 सितंबर:

हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने एक और कर्मचारी-हितैषी निर्णय लेते हुए गत 20-25 वर्षों से अधिक अवधि से तदर्थ, वर्कचार्ज और अंशकालिक आधार पर कार्य कर रहे कर्मचारियों की सेवाओं को 2003 और 2004 में जारी नियमितीकरण नीतियों के तहत नियमित करने की स्वीकृति प्रदान की है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि सभी प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों को इस संबंध में तत्काल आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्हें वित्त विभाग से डिमिनिशिंग काडर में पद सृजित करवाने के भी निर्देश दिए गए हैं ताकि ऐसे कर्मचारियों को समायोजित किया जा सके।
साथ ही, वित्त विभाग को भी निर्देश दिए गए हैं कि जब कभी भी किसी विभाग, बोर्ड या निगम द्वारा 2003 और 2004 में जारी नियमितीकरण नीतियों के तहत अपने कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने के लिए पदों के सृजन का मामला भेजा जाए तो डिमिनिशिंग काडर में तुरंत पदों का सृजन किया जाए।

two cops convicted in fake encounter case after 26 years

Chandigarh, Sept 26, 2018 :

Mohali CBI court convicted two Punjab cops in a fake encounter case and sentenced for life in jail.

Two police officials Raghbir Singh and Dara Singh were convicted by the CBI court of N.S.Gill Additional Sessions Judge, SAS Nagar.

Both were charged for killing Harpal Singh in the fake encounter in 1992 in Beas area of Punjab. The victim was picked up and killed in a fake encounter after torture by police

Traffic Advisory

 

26.9.2018

 

In view of heavy flow of incoming traffic on Jan Marg from Kissan Bhawan Chowk to Cricket Stadium Chowk during morning peak hours on working days, it has been decided to close the two intersections connecting Sectors 22 and 23 on this stretch using moveable barricades for one hour i.e. 8.30 AM to 9.30 AM on all working days from 01.10.2018 onwards, in larger public interest.

Motorists coming out of Sector 23 onto Jan Marg shall have to take mandatory left turn towards Cricket Stadium Chowk. Similarly, motorists coming out of Sector 22 onto Jan Marg shall have to take mandatory left turn towards Kissan Bhawan Chowk and right turn shall not be allowed at these two intersections during the above said timings.

General public is requested to please co-operate with Chandigarh Traffic Police. Inconvenience caused to any on account of these restrictions is regretted.

 

पंचकुला कांग्रेस ने आधार पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया

ऐतिहासिक फैसला़ :-
कांग्रेस ने आधार अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया कांग्रेस ने कहा कि कोर्ट ने आधार कानून की धारा 57 को खत्म कर दिया है वह अब किसी प्राइवेट कंपनी को आधार देना अनिवार्य नहीं होगा अब अब धारा 57 हटने के साथ बैंक , मोबाइल ,स्कूल एयरलाइंस ट्रैवल एजेंट ,वगैरह आधार कार्ड देना जरूरी नहीं होगा यह समूचे तौर पर अच्छा फैसला है कोर्ट ने लोगों की निजता पर आक्रमण करने वाली चीजों को हटा दिया यह एक ऐतिहासिक फैसला है

 

 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: जानिए अब कहां जरूरी और कहां नहीं जरूरी है आधार

दिनेश पाठक, 26 सितम्बर, 2018:

आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना अहम फैसला सुनाते हुए इसकी वैधता को बरकरार रखा है। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ कर दिया कि आधार कहां जरूरी है और कहां जरूरी नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि मोबाइल फोन को आधार से लिंक नहीं किया जा सकता है। आइए जानते हैं अब कहां जरूरी होगा आधार और कहां नहीं…

कहां जरूरी

पैन कार्ड बनाने और आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार नंबर जरूरी।

-सरकार की लाभकारी योजना और सब्सिडी का लाभ पाने के लिए आधार कार्ड जरूरी होगा।

कहां नहीं जरूरी

-सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि मोबाइल सिम, बैंक अकाउंट के लिए आधार जरूरी नहीं है।

-सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि स्कूल में ऐडमिशन के लिए आधार जरूरी नहीं।

-सीबीएसई, नीट और यूजीसी की परीक्षाओं के लिए भी आधार जरूरी नहीं।

-सीबीएसई, बोर्ड एग्जाम में शामिल होने के लिए छात्रों से आधार की मांग नहीं कर सकता है।

-14 साल से कम के बच्चों के पास आधार नहीं होने पर उसे केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दी जाने वाली जरूरी सेवाओं से वंचित नही किया जा सकता है।

-टेलिकॉम कंपनियां, ई-कॉमर्स फर्म, प्राइवेट बैंक और अन्य इस तरह के संस्थान आधार की मांग नहीं कर सकते हैं।

फैसले के दौरान कोर्ट ने क्या कहा

-आधार आम लोगों के हित के लिए काम करता है और इससे समाज में हाशिये पर बैठे लोगों को फायदा होगा।

-आधार डेटा को 6 महीने से ज्यादा डेटा स्टोर नही किया जा सकता है। 5 साल तक डेटा रखना बैड इन लॉ है।

-सुप्रीम कोर्ट ने आधार ऐक्ट की धारा 57 को रद्द करते हुए कहा कि प्राइवेट कंपनियां आधार की मांग नहीं कर सकतीं।

-आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है। इसके डुप्लिकेट होने का कोई खतरा नहीं। आधार एकदम सुरक्षित है।

-लोकसभा में आधार बिल को वित्त विधेयक के तौर पर पास करने को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया।