किंगफिशर एयरलाइन्स विजय माल्या का था या राहुल गांधी और सोनिया गांधी का था: संबित पात्रा


माल्या के बयान के बाद भले ही उसमें भी कोई तथ्य नहीं हो, लेकिन, कांग्रेस की तरफ से राफेल की तरह इस मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाने की कोशिश तेज होगी


देश छोड़ कर भागे शराब कारोबारी विजय माल्या के लंदन में दिए बयान के बाद सियासी बवाल मच गया है. विजय माल्या ने कहा कि ‘देश छोड़ने से पहले सेटलमेंट के लिए उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी.’ माल्या ने दावा किया कि ‘संसद भवन में उनसे मिलकर मैंने बैंकों के सेटलमेंट का ऑफर रखा.’

माल्या के इस बयान के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली की तरफ से सफाई भी आ गई. उन्होंने कहा कि ‘माल्या का दावा गलत है. 2014 से अब तक मैंने माल्या को कोई अप्वाइंटमेंट ही नहीं दिया. वह राज्यसभा सदस्य थे. कभी-कभी सदन में भी आते थे. मैं जब एक बार सदन से निकलकर अपने कमरे में जा रहा था तो वो साथ हो लिए.’ जेटली के मुताबिक, ‘माल्या ने चलते-चलते ही कहा कि वो सेटलमेंट की पेशकश कर रहे हैं, लेकिन, मैंने कहा कि मेरे साथ बात करने का कोई मतलब नहीं है. यह पेशकश बैंकों के सामने करे.’

विजय माल्या का बयान और उस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली की सफाई आ गई. लेकिन, माल्या के बयान को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर सीधा हमला बोल दिया. कांग्रस ने विजय माल्या के बयान के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली का इस्तीफा मांगा है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हुए अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अरुण जेटली और माल्या के रिश्ते के मुद्दे को उठाया.

राहुल गांधी ने कहा कि ‘आमतौर पर जेटली लंबा ब्लॉग लिखते हैं लेकिन ऐसा क्या हुआ कि कल उन्होंने छोटा सा ब्लॉग लिखकर यह बताया कि विजय माल्या ने उन्हें जबरदस्ती पकड़ा.’ राहुल गांधी, विजय माल्या और अरुण जेटली के बीच रिश्ते को साबित करने के लिए अपने नेता पीएल पुनिया को लेकर प्रेस कांफ्रेंस में आए थे.  पीएल पुनिया का दावा है कि उन्होंने खुद अरुण जेटली और विजय माल्या को बातचीत करते हुए देखा था.

पुनिया ने दावा किया कि ‘2016 के बजट सत्र के पहले दिन मैंने अरुण जेटली और विजय माल्या को एकसाथ खड़े होकर बात करते देखा. वो अंतरंग तरीके से बात कर रहे थे. सेंट्रल हॉल में करीब 5-7 मिनट तक उनकी बातचीत चलती रही. 1 मार्च 2016 को विजय माल्या वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात करते हैं. उसके बाद 3 मार्च को यह खबर आती है कि 2 मार्च को माल्या देश छोड़कर भाग चुके हैं.’

पुनिया ने बताया कि यह खबर पढ़कर मैंने हैरानी से कहा, ‘अरे दो दिन पहले तो यह अरुण जेटली से मिले थे.’ उन्होंने आगे यह कहा कि तब से लेकर अब तक मेरे किसी भी मीडिया बाइट को देख लीजिए, मैं लगातार यह कह रहा हूं कि विजय माल्या अरुण जेटली से मिले थे.

कांग्रेस की तरफ से इस मुद्दे पर पीएल पुनिया ने मोर्चा संभालते हुए दावा किया कि ‘मेरी चुनौती है कि वह सीसीटीवी फुटेज चेक करें. अगर मेरी बात सच साबित होती है तो वो राजनीति छोड़ दें, अगर मेरी बात सच नहीं साबित होती है तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा.’

पुनिया ने दोहराया कि वह पहली मार्च को आए. रजिस्टर में साइन किया कि वह जेटली से मिलना चाहते हैं. उनसे मिलकर लंदन भाग गए. पुनिया ने कहा, ‘मेरा मानना है और मेरा आरोप है कि जेटली ने माल्या से कहा कि आप लंदन चले जाइए.’

कांग्रेस इस मुद्दे पर सियासी हमले तेज करेगी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सवाल किया कि ‘ऐसा करने के लिए क्या अरुण जेटली के ऊपर कोई दबाव था.’ साफ है कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर काफी आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है. कांग्रेस की आक्रामकता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए सीधे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सामने आ गए. कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने और विजय माल्या के साथ जेटली की मुलाकात को साबित करने के लिहाज से एक गवाह के तौर पर अपने नेता पीएल पुनिया को भी सामने कर दिया.

दरअसल, विपक्ष की तरफ से सरकार पर माल्या का बचाव करने और देश से भगाने के लिए सेफ पैसेज देने का आरोप पहले से ही लगाया जाता रहा है. विजय माल्या पर बैंकों का बकाया है. लेकिन, उनके विदेश भागने के बाद कांग्रेस की तरफ से लगातार यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सख्ती दिखाने की बात कहने वाली सरकार किस तरह भ्रष्टाचार रोकने में नाकाम रही है.

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस की रणनीति है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों और फिर आगे लोकसभा चुनाव तक इस मुद्दे को गरमाया जाए. हालांकि नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और ललित मोदी के मामले को लेकर भी पहले से ही कांग्रेस सरकार पर निशाना साधती रही है. लेकिन, विजय माल्या के हाल के बयान ने उसे चुनावों से पहले पूरे मुद्दे को नए सिरे से उठाने का मौका दे दिया है.

हालाकि कांग्रेस इस मुद्दे का कितना सियासी फायदा उठा पाएगी ये कहना कठिन है. क्योंकि कांग्रेस के इन दावों की पोल खोलने के लिए बीजेपी की तरफ से भी पूरी तैयारी की जा रही है. बीजेपी ने विजय माल्या के साथ राहुल गांधी-सोनिया गांधी के रिश्तों को उजागर कर उसके आरोपों की हवा निकालने की कोशिश की जा रही है.

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि ‘एक बार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि किंगफिशर को मुश्किलों से निकालना होगा.’ पात्रा ने सवाल उठाया कि मनमोहन सिंह के इस बयान का क्या मतलब है. उन्होंने सवाल उठाया है कि यह रिश्ता क्या कहलाता है?

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा का कहना था कि ‘उस वक्त प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ चाय पर मीटिंग के बाद माल्या लोन दिलाने में मदद के लिए धन्यवाद पत्र लिखते हैं.’ बीजेपी ने इस मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी पर भी सवाल खड़ा किया है. बीजेपी प्रवक्ता ने सवाल पूछा है कि ‘राहुल गांधी आप बताएं कि विजय माल्या के गुड टाइम्स में आपकी कितनी हिस्सेदारी है. किंगफ़िशर एयरलाइन्स विजय माल्या का था या राहुल गांधी और सोनिया गांधी का था.

बीजेपी की हमले का जवाब दूसरे बड़े हमले से देने की तैयारी

बीजेपी की तरफ से इस पूरे मामले में कांग्रेस पर पलटवार किया जा रहा है. बीजेपी यह दिखाना चाह रही है कि कांग्रेस और नेहरु-गांधी परिवार के साथ विजय माल्या के रिश्ते रहे हैं. ऐसा कर बीजेपी वित्त मंत्री अरुण जेटली पर लगे आरोपों की हवा निकालने की कोशिश कर रही है.

बीजेपी और जेटली की बातों को देखें तो यह बात साफ है कि जब विजय माल्या को जेटली से कोई अप्वांइटमेंट नहीं मिला तो फिर उनकी मुलाकात कैसे हुई. बतौर सांसद माल्या की संसद भवन में एंट्री थी और उस वक्त एक सांसद के नाते अगर चलते-चलते उन्होंने कुछ कहा भी तो उसका कितना मतलब होगा और इसका क्या असर होगा.

लेकिन,कांग्रेस की तरफ से कोशिश यही हो रही है कि इस मुद्दे को जोर-शोर से उछाला जाए. कांग्रेस राफेल डील के मुद्दे को भी उठा रही है, लेकिन, उस मुद्दे पर भी फ्रांस सरकार की तरफ से सफाई आने के बाद अब कांग्रेस के पास कोई ठोस तथ्य नहीं है. लेकिन, कांग्रेस इस मुद्दे पर लगातार हमले कर रही है. भ्रष्टाचार का आरोप लगातार लगा रही है. सरकार पर राफेल डील में गड़बड़ी का आरोप लगा रही है.

अब माल्या के बयान के बाद भले ही उसमें भी कोई तथ्य नहीं हो, लेकिन, कांग्रेस की तरफ से राफेल की तरह इस मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाने की कोशिश तेज होगी. लेकिन, तथ्य विहीन मुद्दे पर सियासी फायदा मिलने की उम्मीद करना कांग्रेस के लिए बेमानी होगी.

जम्मू-कश्मीर निकाय चुनाव: हार के डर से चुनाव बहिष्कार कर रही हैं पीडीपी-नेशनल कांफ्रेंसऔर कांग्रेस


इससे दो चीजें बहुत साफ हैं. पहली कि मुख्यधारा की राजनीति एक ठहराव पर आ कर खड़ी हो गई है. और दूसरी ये कि घाटी में स्थिति और खराब होने की आशंका है.


जम्मू-कश्मीर की दो बड़ी पार्टियों नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी की ओर से पंचायत और शहरी निकाय चुनावों के बहिष्कार के ऐलान से वहां की उथल-पुथल और राजनीतिक अस्थिरता साफ झलकती है. ये अस्थिरता और मजबूत होती दिख रही है, क्योंकि उग्रवाद वहां के आम लोगों के भीतर गहरे जड़ें जमा चुका है.

दोनों राजनीतिक दलों ने अपने बहिष्कार की वजह अदालत में चल रहे उस मामले को बताया है, जो धारा 35 (ए) से ताल्लुक रखता है, जिसके जरिए जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हासिल है. लेकिन यहां पिछले कुछ सालों में हुई घटनाओं को ध्यान से देखें, तो साफ लगेगा कि इसकी वजह दरअसल ये है कि घाटी में 2016 में सामने आए लोगों के गुस्से के बाद से मुख्यधारा की राजनीति के लिए जगह नहीं बची.

बीजेपी के साथ सत्ता सुख भोगने वाली पीडीपी के लिए तो उनके अपने किले दक्षिण कश्मीर में ही जनता उनके खिलाफ हो गई.

पिछले दो सालों में तो हालात इतने खराब हो चले हैं कि मुख्यधारा की राजनीति करने वाले नेताओं में से किसी ने भी दक्षिण कश्मीर का कोई दौरा नहीं किया. कई नेता तो दक्षिण कश्मीर के इलाके में अपने घर तक भी नहीं गए. बीजेपी-पीडीपी राज में 300 नागरिक और 450 आतंकी मारे गए. पिछले साल ऑपरेशन ऑल आउट भी लॉन्च किया गया. मुफ्ती सरकार अनंतनाग की खाली लोकसभा सीट पर चुनाव भी कराने की हिम्मत नहीं कर सकी. इस सीट पर परिवारवाद का ज्वलंत उदाहरण पीडीपी ने पेश किया जब मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अपने भाई तस्सदुक मुफ्ती को उम्मीदवार बना दिया. कभी दक्षिण कश्मीर को अपना किला मानने वाली पीडीपी के लिए ये उदाहरण कलंक की तरह है.

मुख्यधारा की राजनीति करने वाली पार्टियों के लिए कभी वोट देने वाले लोग न सिर्फ अब उनके विरोधी हो गए हैं, बल्कि सड़क पर उतर कर अपना विरोध दर्ज भी कर रहे हैं. दरअसल इसी बदलाव की वजह से ये दोनों पार्टियां चुनावों के बहिष्कार और हुर्रियत की नीतियों के समर्थन पर मजबूर हुई हैं. इस रवैये ने इस बात की तस्दीक की है कि कश्मीर में मुख्यधारा की राजनीति की फिलहाल जगह नहीं दिख रही.

धारा 35(ए) पर चुनावों का बहिष्कार

5 सितंबर 2018 को नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्लाह ने कहा कि केंद्र सरकार दरअसल पंचायत चुनावों का इस्तेमाल कुछ ऐसे कर रही है कि, धारा 35(ए) के मामले की कोर्ट में सुनवाई में देरी हो और उसे फायदा मिले. उन्होंने हाल ही में ट्वीट किया, ‘केंद्र सरकार को धारा 35(ए) पर सफाई देनी चाहिए. ये ठीक नहीं है कि पंचायत और निगम चुनावों का इस्तेमाल, धारा 35(ए) पर कोर्ट में चल रही कार्यवाही में देर करने के लिए की जाए.”

नेशनल कॉन्फ्रेंस भले ही चुनाव के बहिष्कार की वजह धारा 35 (ए) बता रही हो, श्रीनगर की स्थिति देखते हुए कहा जा सकता है कि सच्चाई दरअसल कुछ और है. सभी दल समझ चुके हैं कि जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानने वाली विचारधारा की अब कोई जगह नहीं है.

बहिष्कार के नेशनल कॉन्फ्रेंस के ऐलान के बाद पीडीपी ने भी चुनावों में हिस्सा न लेने का एक प्रस्ताव पास कर दिया. उनके इस ऐलान पर किसी को कोई अचरज भी नहीं हुआ क्योंकि घाटी में वे बड़े स्तर पर जन-समर्थन खो चुके हैं. इस खोए जन-समर्थन को पाने के लिए उन्हें अपनी नीतियों में खासा बदलाव लाना होगा और इसे सामान्य होने में वक्त भी लगेगा.

अपने प्रस्ताव में पीडीपी ने कहा, ‘भय और संदेह के इस वातावरण में चुनाव कराने की कोई भी कोशिश लोगों का भरोसा और तोड़ेगी और तब चुनाव का जो असल उद्देश्य है, वह खत्म हो जाएगा.’

पीडीपी ने भी अपने बहिष्कार की वजह धारा 35 (ए) ही बताई थी, लेकिन उनक प्रस्ताव की एक लाइन ‘ भय का वातावरण ’ साफ कर देती है कि मामला कुछ और है. ये और कुछ नहीं, दरअसल, सरकार गिरने के बाद पीडीपी के खिलाफ लोगों की नाराज़गी ही बताता है. लोग सिर्फ नाराज़ नहीं हैं, बल्कि वे बदला लेना चाहते हैं क्योंकि महबूबा मुफ्ती क मुख्यमंत्री रहते वहां लोग मारे गए. पीडीपी ने भी साबित किया था कि उन्हें लोगों की जान की कीमत पर ही सही, सत्ता में बने रहना है. ठीक वही, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 1990 में किया था.

90 के दशक में जब आतंकवाद अपने चरम पर था और अंदरूनी झगड़ों और सेना द्वारा मानवाधिकारों के जबरदस्त उल्लंघन के कारण धीरे-धीरे कमजaर हो रहा था, तो फारूक अब्दुल्ला को सत्ता में वापस लाया गया था. सोचा ये गया था कि नेशनल कॉन्फ्रेंस को 1996 के चुनावों से वापस सत्ता में लाकर कश्मीर के इलाको में अमन-चैन की भी वापसी की जाए. फारूक को वापस सत्ता में लाने वाली ताकत थी ‘इख्वान’ या आतंकियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने वाले लोग. इनमें से कुछ को तो इनाम के तौर पर फारूक ने विधानसभा का सदस्य भी बना दिया था.

‘इख्वान’ की खूनी मदद से फारूक अब्दुल्लाह सत्ता में वापस तो आ गए, लेकिन आजादी मांगने वालों की जान की कीमत पर. आज कश्मीर उसी मुकाम पर फिर आ खड़ा हुआ है, जहां घाटी में स्थिति को सामान्य करने और उस पर नियंत्रण करने के लिए चुनावों का इस्तेमाल किया जा रहा है. आज अगर ओमर अब्दुल्ला के पास ‘इख्वान’ होते, या फिर पीडीपी के पास ‘पीछे के दरवाजे से मदद’ 2002 की तरह मौजूद होती , तो शायद दोनों पार्टियां चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला न लेतीं. लेकिन परिस्थितियां इतनी बदल चुकी हैं कि अब कोई तरीका कारगर साबित नहीं हो सकता.

जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते अगस्त में 327 आतंकी सक्रिय हुए, जिसमें से 211 स्थानीय हैं और 116 विदेशी. रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ दक्षिण कश्मीर के चार जिलों में 166 स्थानीय आतंकी सक्रिय हैं.

इसमें कोई शक नहीं है कि घाटी में माहैल तेजी से बदल रहा है. दक्षिण कश्मीर के जिलों में पुलिस वालों के रिश्तेदारों के अपहरण की घटना बहुत से संकेत करती है. इसके बाद डीजीपी का भी ट्रांसफर हो गया. इससे दो चीजें बहुत साफ हैं. पहली कि मुख्यधारा की राजनीति एक ठहराव पर आ कर खड़ी हो गई है. और दूसरी ये कि घाटी में स्थिति और खराब होने की आशंका है.

‘लोकतंत्र में प्रधानमंत्री भगवान नहीं होता.’,मोदी जैसे अनपढ़-गंवार व्यक्ति पर बनी फिल्म देखकर बच्चे क्या सीखेंगे? संजय निरुपम


‘सत्ताधारी पार्टी को हर शब्द पर आपत्ति करने की कोई जरूरत नहीं है और ‘लोकतंत्र में प्रधानमंत्री भगवान नहीं होता.’


मुंबई कांग्रेस के प्रमुख संजय निरुपम ने बुधवार को विवादित बयान देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निरक्षर बताया है. उनके इस बयान पर विवाद शुरू हो गया है.

महाराष्ट्र के स्कूलों में पीएम नरेंद्र मोदी के जीवन पर बनी शॉर्ट फिल्में दिखाने के राज्य सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए उन्होंने मोदी को ‘अनपढ़ और गंवार’ बता दिया.

उन्होंने कहा कि ‘जबरन फिल्म दिखाने का फैसला गलत है. बच्चों को राजनीति से दूर रखना चाहिए. मोदी जैसे अनपढ़-गंवार व्यक्ति पर बनी फिल्म देखकर बच्चे क्या सीखेंगे? बच्चों और लोगों को तो यह भी नहीं पता कि प्रधानमंत्री के पास कितनी डिग्रियां हैं.’

निरुपम के ये बयान देने के बाद से बीजेपी नेताओं ने उनपर हमला करना शुरू कर दिया है. महाराष्ट्र बीजेपी की प्रवक्ता शाइना एनसी ने निरुपम को ‘मानसिक तौर पर विक्षिप्त’ करार दिया.

शाइन एनसी ने ट्वीट किया, ‘मानसिक रूप से विक्षिप्त संजय निरुपम की एक और अप्रिय टिप्पणी. शायद वो भूल गए हैं कि नरेंद्र मोदी को 125 करोड़ भारतीयों ने चुने गए हैं, जो ‘अनपढ़ या गवार’ नहीं हैं.’

वहीं, बीजेपी सांसद अनिल शिरोले ने कहा, ‘प्रधानमंत्री एक पार्टी के प्रतिनिधि नहीं हैं, वह देश और इसके लोगों के प्रधानमंत्री हैं. संजय निरुपम ने हमारे प्रधानमंत्री का अपमान करके उनके कार्यालय, देश का अपमान किया है.’

संजय निरुपम ने बाद में अपने बयान पर सवाल उठाए जाने पर कहा, ‘अगर बच्चे प्रधानमंत्री की शिक्षा पर सवाल पूछेंगे तो आप क्या जवाब देंगे? लोगों को उनकी शिक्षा के बारे में कुछ नहीं पता है. अगर पीएम ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है तो ऐसी कौन सी ताकत है जो उनकी डिग्री रिलीज किए जाने से रोक रही है?’

संजय निरुपम ने बीजेपी की ओर से उठाई गई आपत्तियों पर कहा, ‘सत्ताधारी पार्टी को हर शब्द पर आपत्ति करने की कोई जरूरत नहीं है और ‘लोकतंत्र में प्रधानमंत्री भगवान नहीं होता.’
उन्होंने कहा कि लोग उन्हें संबोधित करते हुए सम्मान का ख्याल रखते हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने जो शब्द इस्तेमाल किए वो अशोभनीय नहीं हैं.

डुसू चुनाव: किसे कितने वोट मिले

डुसू चुनाव: किसे कितने वोट मिले-

प्रेसिडेंट

अंकिव बसोया ABVP- 20,467

सन्नी NSUI- 18,723

वाइस प्रेसिडेंट

शक्ति सिंह ABVP- 23,046

लीना NSUI- 15,000

सेक्रेटरी

आकाश चौधरी NSUI- 20,198

सुधीर ABVP- 14,109

जॉइंट सेक्रेटरी

ज्योति चौधरी ABVP- 19,353 

सौरभ NSUI- 14,381

इवीएम् मशीनों के चलते हारी आआपा कि स्टूडेंट इकाई: राय


डुसू चुनाव हरने के बाद गोपाल राय का फूटा गुस्सा, गुरुवार को कहा ‘एक तरफ सरकार और चुनाव आयोग द्वारा भरोसा दिया जा रहा है कि ईवीएम हर तरह से सुरक्षित है और इससे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराया जा सकता है.’


नयी दिल्ली, 13 सितम्बर 2018:

आआपा ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी का हवाला देते हुए चुनाव आयोग के देश भर में स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से आम चुनाव कराने के दावों पर सवाल खड़े किए हैं.

आआपाआप की दिल्ली इकाई के संयोजक गोपाल राय ने गुरुवार को कहा ‘एक तरफ सरकार और चुनाव आयोग द्वारा भरोसा दिया जा रहा है कि ईवीएम हर तरह से सुरक्षित है और इससे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराया जा सकता है. मगर बीजेपी की केंद्र सरकार डूसू चुनाव सुचारु और पारदर्शी रूप से नहीं करा सकती है. ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने का नारा वास्तव में लागू करने के लिए है या देश को धोखा देने के लिए है.’

राय ने कहा कि डूसू चुनाव में सचिव के पद पर आठ उम्मीदवारों के अलावा ईवीएम में नौवां बटन नोटा का था. बुधवार को मतदान के दौरान ईवीएम में दसवें बटन पर भी 40 वोट पड़ गए. इतना ही नहीं मतदान के एक दिन बाद गुरुवार को हुई मतगणना के दौरान चार मशीनें खराब हो गईं. उन्होंने ईवीएम में गड़बड़ी के पहले भी उठते रहे सवालों का जिक्र करते हुए कहा कि यह बीजेपी का अगले आम चुनाव में गड़बड़ी कर किसी तरह सत्ता हासिल करने का अभियान है.

राय ने बीजेपी की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि डूसू चुनाव की मतगणना में मशीनें उस समय खराब होने लगीं जिस रांउड से बीजेपी समर्थित एबीवीपी के उम्मीदवार पिछड़ने लगे. उन्होंने आआपा की छात्र इकाई सीवाईएसएस और AISA के संयुक्त उम्मीदवारों की तरफ से मशीनों की गड़बड़ियों को दूर कर तत्काल मतगणना शुरु करने की प्रशासन और सरकार से मांग की.

उन्होंने गुरुवार को ही मतगणना पूरी करने का निवेदन करते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह संदेह होना लाजमी है कि सरकार एबीवीपी को जिताने की साजिश रच रही है क्योंकि बीजेपी यह नहीं चाहती कि लोकसभा चुनाव से पहले डूसू चुनाव में एबीवीपी की हार हो.

प्रधान मंत्री अपना 68वां जन्म दिन नौनिहालों के साथ वाराणसी में मनाएंगे


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्म दिन 17 सितंबर को दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी आएंगे तथा हजारों स्कूली बच्चों के साथ खुशियां बांटने के अलावा अरबों रुपए की विभिन्न विकास परियोजनाओं की सौगात अपने संसदीय क्षेत्र की जनता को देंगे।


वाराणसी, 13 सितम्बर, 2018: 

भारतीय जनता पार्टी की काशी क्षेत्र के अध्यक्ष महेश चंद्र श्रीवास्तव ने गुरुवार को बताया कि मोदी के दौरे की सूचना मिलने के बाद तैयारियां शुरु कर दी गईं हैं। 17 सितंबर को उनका 68वां जन्म दिन है और उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री वाराणसी वासियों को फिर अरबों रुपए की विकास परियोजनाओं की सौगातें देंगे।

उन्होंने बताया कि अभी यह तय नहीं हुआ है कि वह किन परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास करेंगे। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के दौरे से पहले भाजपा कार्यकर्ता विशेष सफाई अभियान चलाएंगे। शहर को साफ-सुथरा बनाने में अपनी भूमिका निभाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं विशेष अपील की गई है।

अधिकारिक सूत्रों ने मोदी के प्रस्तावित दौरे की पुष्टि करते हुए बताया कि इसके बारे में बुधवार रात प्रधानमंत्री कार्यालय से प्रारंभिक जानकारी मिलने के बाद आवश्यक तैयारियां शुरु कर दी गई है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम स्थल का चयन अभी नहीं हुआ। गुरुवार को इसके बारे में कोई फैसला लिया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि मोदी अपने जन्म दिन पर काशी विश्वनाथ मंदिर जाकर पूजा-अर्चना एवं करीब पांच हजार बच्चों के साथ अपने जन्म दिन की खुशियां बांटने के अलावा अपने जीवन पर आधारित चलो हम जीते हैं फिल्म भी देख सकते हैं।

यह कार्यक्रम बड़ा लालपुर स्थित पंडित दीन दयाल हस्तकला संकुल में आयोजित किए जाने की संभावना है। वह किसी एक दलित बस्ती में जाकर श्रमदान एवं लोगों से खुशियां साझा कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि 68 दलित बस्तियों में विशेष सफाई अभियान के अलावा एवं स्वास्थ्य जांच शिविरों का आयोजन किए जाने की योजना है। प्रधानमंत्री अगले दिन 18 सितंबर को एक सभा को संबोधित कर सकते हैं। सभा स्थल का चयन किया जा रहा है।

मोदी गोइठहां स्थित सिवरेज ट्रिटमेंट प्लांट, लहरतारा स्थित कैंसर अस्पताल और रिंग रोड फेज-एक का उद्घाटन सहित अनेक विकास परियोजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण कर सकते हैं।

Mahagathbandhan’ is an alliance of some opportunistic parties to hide their weakness:Modi


Modi attributed the party’s success to its workers and their grip over their respective polling booths


New Delhi, 13 September,2018:

Prime Minister Narendra Modi on Thursday said the Congress was in the Intensive Care Unit (ICU) and using other parties as support system to survive, observing it is getting desperate to join hands with any party to forge a grand opposition alliance for the 2019 Lok Sabha polls,

Mr. Modi also said the wind is blowing in the BJP’s favour and that opportunist opposition parties are clutching each other’s hands to withstand its force.

He exhorted party workers to follow the mantra of ‘Mera Booth Sabse Mazboot’ to ensure BJP’s victory in the next general elections.

Addressing party workers of five Lok Sabha constituencies via the NaMo app, Mr. Modi said the BJP’s biggest strength is its workers. Their hard work has ensured the party’s historic success and progress in a short span of four years, he added.

He attributed the party’s success to its workers and their grip over their respective polling booths.

Only mantra

‘Mera Booth Sabse Mazboot’ (my polling booth, the strongest)…this is the only mantra and this is our strength,” Mr. Modi said in a video interaction.

Replying to a question on opposition parties trying to stitch an alliance for the 2019 polls, Modi assured the party workers that the BJP will win again.

“… the wind is blowing in favour of BJP, even stronger than 2014. That’s why opposition parties are clutching each other’s hands to save themselves from being blown away,” he said.

Mahagathbandhan, an alliance of opportunistic parties

Describing the proposed ‘Mahagathbandhan’(grand alliance) as an alliance of some opportunistic parties to hide their weakness, Mr. Modi said,”they are trying to stich an alliance of parties while we are trying to unite the hearts of the people.”

He further said there is confusion on policy and leadership in the proposed grand alliance and its intent is corrupt and Congress is using other parties as support system to save itself in the ICU and survive.

“The Congress is now desperate to join hands with any party to survive. The Congress is trying to save itself in the ICU. For it, all these allies(in the alliance) are support system to survive,” he said.

The Prime Minister also urged party workers to continuously interact with voters of their respective constituencies and ensure that at least 20 families and youth are working with the party in every polling booth.

He was addressing workers from five constituencies — Jaipur (Rural), Nawada, Ghaziabad, Hazaribagh, Arunachal West — in Rajasthan, Uttar Pradesh, Jharkhand and Arunachal Pradesh respectively.

Lashes out at Congress

Mr. Modi, who was nominated the BJP’s prime ministerial candidate this day in 2013 for the 2014 Lok Sabha polls, said only in the BJP can an ordinary party worker become its leader. He also asserted that someone else can also take his place.

Talking about the work carried out by his government, Mr. Modi said ‘Sabka Sath Sabka Vikas’ is not just a slogan but it’s our inspirational Mantra. He said the country will not be a developed one unless everyone in it is developed and asserted his government do not discriminate on the basis of caste and religion.

Lashing out at the Congress, the Prime Minister said it is, unlike the BJP, a one family party. He said he felt pity for dedicated workers of the opposition party.

“Many capable and committed workers of the Congress were sacrificed for interests of the family,” he said.

The opposition is resorting to lies in its campaign but today people in the country are awake while opposition is not ready to come out of its slumber, the prime minister said.

China’s strategic intentions should not be taken casually: Parliamentary Committee


Despite India’s strong objections, the CPEC was being openly trumpeted as a ‘gift to Pakistan’ by China, the Standing Committee on External Affairs said in its latest report on Sino-Indian relations.


Delhi, 13 September, 2018:

A Parliamentary Committee has expressed concern over the fact that while India has been ‘overtly cautious’ about China’s sensitivities while dealing with Taiwan and Tibet, Beijing does not exhibit the same deference while dealing with India’s sovereignty concerns, be it in the case of Arunachal Pradesh or that of the China Pakistan Economic Corridor (CPEC).

Despite India’s strong objections, the CPEC was being openly trumpeted as a ‘gift to Pakistan’ by China, the Department related Standing Committee on External Affairs said in its latest report on Sino-Indian relations.

‘’India cannot but oppose the CPEC which violates India’s territorial integrity. The committee desires that China’s double standards should be exposed. It opposes any project in Arunachal Pradesh for which funding has been sought from international financial institutions on the grounds that this is disputed territory. At the same time, it conducts construction activities in Indian territory which China itself acknowledges as disputed,’’ said the report of the committee, headed by its chairperson Shashi Tharoor, in the context of the Doklam area.

The high-powered panel, of which Congress President Rahul Gandhi too is a member, said given the ‘muscular’ approach of China of late while dealing with some of the issues pertaining to India, it was difficult for the committee to be content with India continuing with its ‘conventionally deferential policy’ towards China.

“Dealing with a country like China essentially requires a flexible approach. The committee strongly believes that the government should contemplate using all options, including its relations with Taiwan, as part of such an approach’’, it added.

On last summer’s military stand-off at Doklam, the committee said the Chinese intrusion was a blatant and unsuccessful attempt to unilaterally change the status quo by shifting the India, Bhutan, China trijunction from Batang La to Gyomochen, thereby seriously affecting India’s security interests by enhancing China’s ability to dominate the vulnerable Siliguri sector.

The committee commended the government’s overall handling of the Doklam crisis as it managed to send necessary signals to China that India would not acquiesce in its unilateral and forceful attempts to change the status quo at any of India’s territorial boundaries. It, however, expressed concern that Chinese infrastructure built uncomfortably close to the tri-junction has not yet been dismantled.

Referring to reports which allude to the presence of Chinese troops around Doklam plateau, the committee noted the Defence Secretary’s statement that PLA troops were within their own territory and there was nothing unusual about their deployment. The panel, however, was of the opinion that while dealing with China, it was always better to have a sense of healthy scepticism. ‘’Even if they have withdrawn their troops from Doklam for the time being, China’s strategic intentions should not be taken casually.’’ It urged the government not to let its vigil down in order to prevent any untoward incident in future.

The Committee also suggested a comprehensive border engagement agreement between the Indian Army and the PLA, subsuming all established mechanisms for confidence building, including border personnel meetings, flag meetings, meetings of the working mechanism for consultation and coordination on border affairs and other diplomatic channels.

सांड़ ने एक्टिवा सवार को बीच रोड पर दौड़ाकर मारी टक्कर, गंभीर

चंडीगढ़:

25 स्थित रैली ग्राउंड रोड के बीच में एक्टिवा सवार को सांड़ ने अचानक जोरदार टक्कर मार दी। जिसे गंभीर हालात में सेक्टर 16 के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पर इलाज जारी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वीरवार सुबह 10 बजे के करीब सेक्टर 25 के रोड से एक्टिवा सवार अपने किसी काम से मार्केट जा रहा था कि अचानक रैली ग्राउंड के पास पहुंचते ही श्मशान घाट की तरफ से आ रहे सांड़ ने उसे रोड पर दौड़ाकर जोरदार टक्कर मार दी जिसके कारण वह लहुलूहान होकर जमीन पर गिर गया।

महिला ने अपनी कार से घायल को पहुंचाया अस्पताल…..

देखते ही देखते घटना स्थल पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। जहां पर मौजूद एक महिला ने अपनी कार में घायल युवक को सेक्टर 16 के सरकारी अस्पताल में दाखिल कराया जहां पर युवक का इलाज जारी है। हालांकि अब उसकी हालत  खतरे से बाहर बताई जा रही है। वहीं अभी घायल युवक की पहचान नही हो पाई है।

आवारा कुत्तों ने एक मासूम को नोचा था 

सवाल यह है कि अगर रोड पर इसी प्रकार से लावारिस पशु घूमते रहेंगे और रोड पर आने-जाने वाले राहगीरों को घायल करते रहेंगे तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। ध्यान रहे कि अभी बीते कुछ दिन पहले ही आवारा कुत्तों का आतंक जारी था जिसमें एक मासूम बच्चे आवारा कुत्तों ने नोच-नोच कर मार डाला था। उसके बाद भी अभी जिम्मेदार लोगों ने कोई खास कदम नहीं उठाया जिससे लावारिस पशुओंं पर शिकंजा कसा जा सके।

“The more you work hard better you will perform” Sardar Singh


Sarika Tiwari

Chandigarh, 13 September, 2018:

“The more you work hard better you will perform”, advised the former Indian Captain Sardar Singh to the upcoming Indian Hockey teams, the day after he announced his retirement from International Hockey.

During ‘Meet the Press’ event organised by Chandigarh Press Club, Sardar Singh was fascilitated by Club President Virender S. Rawat and Vice President Jaswant Rana.

While talking to scribes in the Press Club Chandigarh he admitted that team could not meet the expectations of the nation. He made this decision after disappointing Asian Games, where India could not defend their title and had to settle with the Bronze Medal.

He told that he had taken this decision after consultation with his family and team India, as it is time for future generation to take over.

Arjun Awardee Sardar Singh played for 12 years and retired at 32. He was also decorated with Rajiv Gandhi Khel Ratan last year. He represented national team for 8 years. He was awarded Padma Shri in 2015, he also represented India in 2 Olympics.

Hailing from Sirsa, Haryana Sardar’s career was not devoid of controversies either. He was accused of rape of an Indian origin British Woman, later was given clean chit by the police.