सीपीईसी में पारदर्शिता और भरोसा चाहता है पाकिस्तान


अगर पाकिस्तान इस डील पर नाराज है तो एक दशक पुराने इस डील को रीनेगोशिएट करना थोड़ा मुश्किल होगा


पाकिस्तान और चीन के बीच सीपीईसी यानी चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर पर सबकुछ ठीक-ठाक नहीं लग रहा. पाकिस्तान के नए-नए प्रधानमंत्री बने इमरान खान चीन से नाखुश लग रहे हैं. उन्हें लगता है कि चीन इस प्रोजेक्ट के जरिए पाकिस्तान का फायदा उठा रहा है. अगर इस खबर में थोड़ी भी सच्चाई है तो ये न पाकिस्तान के लिए अच्छी खबर है न चीन के लिए. लेकिन बात पहले खबर पर.

पाकिस्तान का फायदा उठा रहा है चीन?

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, यूनाइटेड किंगडम के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने सोमवार को ये बात कही कि पाकिस्तान ने पाकिस्तान-चीन के बीच हुए सीपीईसी डील को देश के लिए अन्यायपूर्ण बताया है. पाकिस्तान ने कहा है कि चीनी कंपनियां इस डील में पाकिस्तान का फायदा उठा रही हैं.

फाइनेंशियल टाइम्स ने एक पाकिस्तानी अधिकारी के हवाले से कहा कि पाकिस्तान और चीन के बीच एक दशक पहले बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव और व्यापार समझौते में पाकिस्तान की भूमिका को दोबारा आंकेगा और नेगोसिएशन करेगा.

अखबार में इमरान खान के कॉमर्स, टेक्सटाइल, इंडस्ट्री और प्रोडक्शन एंड इन्वेस्टमेंट सलाहकार अब्दुल रज़ाक दाउद के हवाले से कहा कि सीपीईसी पर पिछली सरकार ने चीन के साथ नेगोसिएशन बहुत बेकार तरीके से की है, जिससे पाकिस्तान को काफी नुकसान हुआ है.

दाउद ने ये भी कहा कि ‘चीनी कंपनियों को बहुत सारे टैक्स ब्रेक दिए गए हैं और उन्हें अनुचित लाभ मिल रहा है. ये हमारी नजर में है. ये उचित नहीं है कि पाकिस्तानी कंपनियां नुकसान उठाएं. हमें लगता है कि हमें सबकुछ एक साल के लिए रोक लेना चाहिए. शायद हम सीपीईसी को अगले पांच सालों के लिए टाल दें.’

इमरान खान का क्या है स्टैंड?

इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने से पहले भी सीपीईसी की आलोचना करते रहे हैं. उनके हिसाब से समस्या ये है कि इस प्रोजेक्ट में पारदर्शिता की कमी और बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की आशंका है. हालांकि आम चुनावों से पहले एक चीनी अखबार से बातचीत के दौरान उनके सुर थोड़े नरम पड़े थे. उन्होंने कहा था कि सीपीईसी पाकिस्तान की आर्थिक व्यवस्था के लिए कई पहलुओं में सकारात्मक बदलाव लेकर आया है.

अब बात संभावनाओं और आशंका पर

सबसे पहले ये साफ कर दिया जाए कि सीपीईसी पर भले ही इमरान खान के सलाहकार के हवाले से किसी असहमति की खबर आई हो, लेकिन फिलहाल कुछ कहना मुश्किल हो सकता है.

अभी दो दिन पहले ही चीन के विदेश मंत्री और स्टेट काउंसिल वांग यी पाकिस्तान की यात्रा करके वापस गए हैं. वांग यी चीन की राजनीति में काफी ऊंची हैसियत रखते हैं. उनका कहना था कि वो चीनी सरकार की तरफ से नए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को ये बताने आए हैं कि वो उनके साथ काम करने को उत्सुक हैं और 50 बिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट सीपीईसी को आगे बढ़ाने को तैयार हैं. यहां चीन और पाकिस्तान दोनों ने सीपीईसी प्रोजेक्ट को पूरा करने का इरादा जाहिर किया है.

इमरान खान ने भी चीन की दोस्ती को पाकिस्तान की विदेश नीति की आधारशिला बताया है. ऐसे में सीपीईसी को लेकर दोनों देशों का उत्साह तो काफी ऊपर है लेकिन पाकिस्तान की नाराजगी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

पाकिस्तान के लिए मुश्किल होगा बदलाव करवाना

अगर पाकिस्तान इस डील पर नाराज है तो एक दशक पुराने इस डील को रीनेगोशिएट करना थोड़ा मुश्किल होगा. साथ ही अब अमेरिका भी पाकिस्तान को लेकर काफी सख्त है, तो पाकिस्तान के लिए चीन से खुन्नस खाना भी इतना आसान नहीं होगा. पाकिस्तान को भी अच्छे से पता है कि वो अपने अकेले के दम पर चीन को झुका नहीं सकता है क्योंकि आज तक वो ऐसा कुछ नहीं कर पाया है. कभी अमेरिका तो कभी चीन उसे किसी न किसी कंधे की जरूरत पड़ती रही है. साथ ही उसे ये भी पता है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. इसलिए भारत से हमेशा अड़े रहने वाले चीन के साथ दोस्ती रखना उसके लिए काफी जरूरी है. इसलिए ये डील टाली जाती है या इसमें ज्यादा कुछ बदलाव किया जाता है, इसकी गुंजाइश कम है.

इसके अलावा चीन के नजरिए से देखें तो चीन के लिए पाकिस्तान भारतीय उपमहाद्वीप में काफी अहम कैंडीडेट है. चीन-भारत-पाकिस्तान का त्रिकोणीय खेल खेलने में वैसे भी चीन का काफी मजा आता होगा. पाकिस्तान को भारत के खिलाफ आगे किए रखने के लिए उसे पाकिस्तान के साथ अपने संबंध बनाए रखना होगा. हालांकि यहां वैसे भी वो दबाव में नहीं है.

इस सबके इतर चीन के लिए अपने व्यापारिक संबंध काफी अहम हैं. हो सकता है कि अगर पाकिस्तान की ओर से असंतुष्टि जताई जाती है तो शायद इस समझौते में कोई बदलाव किया जाए.

फिलहाल पूरे मामले पर नजर डाला जाए तो ज्यादा बदलाव के हालात नहीं बन रहे.

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