फोटोजर्निलिस्टों की तीन दिवसीय फोटोप्रदशर्नी हुई सम्पन्न नेतागण, पूर्व खिलाडी, डीसी, विद्यार्थियों आदि ने लिया प्रदशर्नी का आनंद

फोटोजर्नलिस्ट राकेश शाह ओलम्पियड बलबीर सिंह के साथ

चंडीगढ, 2 सितंबर, 2018:
सेक्टर 16 स्थित पंजाब कला भवन में फोटोजर्निलिस्ट वैल्फेयर ऐसोसियेशन द्वारा आयोजित की गई तीन दिवसीय फोटो प्रदशर्नी आज कला प्रेमियों की जुटी व्यापक जोश के बीच समन्न हो गई । प्रदशर्नी में इस बार देश और विदेश के करीब 66 फोटोग्राफर्स और वरिष्ठ पत्रकारों के 136 फ्रेम्स को प्रदर्शित किया था। आज अंतिम दिन प्रदशर्नी देखने के लिये कलाप्रेमियों की काफी भीड जुटी जिसमें गणमान्य लोगों में मोहाली की डिप्टी कमीशनर गुरप्रीत कौर सपरा, चंडीगढ के मेयर देवेश मौदगिल, हाकी लिजेंड बलबीर सिंह सीनियर, भाजपा दिग्गज सत्यपाल जैन आदि प्रमुख रहे। आये दर्शकों ने ऐसोसियेशन के साथ साथ भाग ले रहे फोटोग्राफर्स की खूब प्रशंसा की और फोटोज की बारिकियों को समझते दिखे। ऐसोसियेशन के महासचिव संजय शर्मा कुर्ल ने बताया कि लोगों की डिमांड और स्थानीय फोटोग्राफर्स के सहयोग से यही प्रदशर्नी पंजाब और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न शहरों मे भी आयोजित की जा रही है। अपने संबोधन मे अध्यक्ष अखिलेश कुमार ने अपने सहयोगियों का भी आभार व्यक्त किया जिन्होंने इस आयोजन का सफल बनाने के लिये अपना योगदान दिया ।

मेयर देवेश मौदगिल, फोटो राकेश शाह

ओलम्पियड बलबीर सिंह, फोटो राकेश शाह

फोटो राकेश शाह

 

फोटो राकेश शह

फोटो राकेश शह

जहां नम्रता, सत्य, लज्जा और धर्म हैं वहीं कृष्ण हैं, जहां कृष्ण हैं वहीं विजय है


धार्मिक विश्वासों को छोड़ दें तो एक किरदार के रूप में कृष्ण के जीवन के तमाम पहलू बेहद रोचक हैं


जनमाष्टमी यानी कृष्ण के जन्म का उत्सव. कृष्ण के जन्म से दो बिल्कुल कड़ियां अलग जुड़ती हैं. एक ओर मथुरा की काल कोठरी है जहां वासुदेव और देवकी जेल में अपनी आठवीं संतान की निश्चित हत्या का इंतजार कर रहे हैं. दूसरी तरफ गोकुल में बच्चे के पैदा होने की खुशियां हैं. कृष्ण के जन्म का ये विरोधाभास उनके जीवन में हर जगह दिखता है. धार्मिक विश्वासों को छोड़ दें तो एक किरदार के रूप में कृष्ण के जीवन के तमाम पहलू बेहद रोचक हैं. और समय-समय पर उनके बारे में जो नई कहानियां गढ़ी गईं उन्हें समझना भी किसी समाजशास्त्रीय अध्ययन से कम नहीं है.

अब देखिए वृंदावन कृष्ण की जगह है, लेकिन वृंदावन में रहना है तो ‘राधे-राधे’ कहना है. ऐसा नहीं हो सकता कि आप अयोध्या में रहकर सिया-सिया, लुंबिनी में यशोधरा-यशोधरा या ऐसा कुछ और कहें. यह कृष्ण के ही साथ संभव है. कान्हा, मुरली और माखन के कथाओं में कृष्ण का बचपन बेहद सुहावना लगता है. लेकिन कृष्ण का बचपन एक ऐसे शख्स का बचपन है, जिसके पैदा होने से पहले ही उसके पिता ने उसकी हत्या की जिम्मेदारी ले ली थी. वो एक राज्य की गद्दी का दावेदार हो सकता था तो उसको मारने के लिए हर तरह की कोशिशें की गईं. बचपन के इन झटकों के खत्म होते-होते पता चलता है कि जिस परिवार और परिवेश के साथ वो रह रहा था वो सब उसका था ही नहीं.

कहानियां यहीं खत्म नहीं होतीं. मथुरा के कृष्ण के सामने अलग चुनौतियां दिखती हैं. जिस राज सिंहासन को वो कंस से खाली कराते हैं उसे संभालने में तमाम मुश्किलें आती हैं. अंत में उन्हें मथुरा छोड़नी ही पड़ती है. महाभारत युद्ध में एक तरफ वे खुद होते हैं दूसरी ओर उनकी सेना होती है. वो तमाम योद्धा जिनके साथ उन्होंने कई तैयारियां की होंगी, युद्ध जीते होंगे. अब अगर कृष्ण को जीतना है तो उनकी सेना को मरना होगा. इसीलिए महाभारत के कथानक में कृष्ण जब अर्जुन को ‘मैं ही मारता हूं, मैं ही मरता हूं’ कहते हैं तो खुद इसे जी रहे होते हैं.

महाभारत से इस्कॉन तक कृष्ण

अलग-अलग काल के साहित्य और पुराणों में कृष्ण के कई अलग रूप हैं. मसलन महाभारत में कृष्ण का जिक्र आज लोकप्रिय कृष्ण की छवि से बिलकुल नहीं मिलता. भारतीय परंपरा के सबसे बड़े महाकाव्य में कृष्ण के साथ राधा का वर्णन ही नहीं है. वेदव्यास के साथ-साथ श्रीमदभागवत् में भी राधा-कृष्ण की लीलाओं का कोई वर्णन नहीं है. राधा का विस्तृत वर्णन सबसे पहले ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है. इसके अलावा पद्म पुराण में भी राधा का जिक्र है. राधा के शुरुआती वर्णनों में कई असमानताएं भी हैं. कहीं दोनों की उम्र में बहुत अंतर है, कहीं दोनों हमउम्र हैं.

इसके बाद मैथिल कोकिल कहे जाने वाले विद्यापति के पदों में राधा आती हैं. यह राधा विरह की ‘आग’ में जल रही हैं. 13वीं 14वीं शताब्दी के विद्यापति राधा-कान्हा के प्रेम के बहाने, शृंगार और काम की तमाम बातें कह जाते हैं. इसके कुछ ही समय बाद बंगाल से चैतन्य महाप्रभु कृष्ण की भक्ति में लीन होकर ‘राधे-राधे’ का स्मरण शुरू करते हैं. यह वही समय था जब भारत में सूफी संप्रदाय बढ़ रहा था, जिसमें ईश्वर के साथ प्रेमी-प्रेमिका का संबंध होता है. चैतन्य महाप्रभु के साथ जो हरे कृष्ण वाला नया भक्ति आंदोलन चला उसने भक्ति को एक नया आयाम दिया जहां पूजा-पाठ साधना से उत्सव में बदल गया.

अब देखिए बात कृष्ण की करनी है और जिक्र लगातार राधा का हो रहा है. राधा से शुरू किए बिना कृष्ण की बात करना बहुत मुश्किल है. वापस कृष्ण पर आते हैं. भक्तिकाल में कृष्ण का जिक्र उनकी बाल लीलाओं तक ही सीमित है. कृष्ण ब्रज छोड़ कर जाते हैं तो सूरदास और उनके साथ बाकी सभी कवि भी ब्रज में ठहर जाते हैं. उसके आगे की कहानी वो नहीं सुनाते हैं. भक्तिकाल के कृष्ण ही सनातन परंपरा में पहली बार ईश्वर को मानवीय चेहरा देते हैं. भक्तिकाल के बाद रीतिकाल आता है और कवियों का ध्यान कृष्ण की लीलाओं से गोपियों और राधा पर ज्यादा जाने लगता है. बिहारी भी जब श्रृद्धा के साथ सतसई शुरू करते हैं, तो ‘मेरी भव बाधा हरो राधा नागरि सोए’ ही कहते हैं. इन सबके बाद 60 के दशक में इस्कॉन जैसा मूवमेंट आता है जो उस समय दुनिया भर में फैल रहे हिप्पी मूवमेंट के साथ मिलकर ‘हरे कृष्णा’ मूवमेंट बनाता है.

ईश्वर का भारतीय रूप हैं कृष्ण

कृष्ण को संपूर्ण अवतार कहा जाता है. गीता में वे खुद को योगेश्वर भी कहते हैं. सही मायनों में ये कृष्ण हैं जो ईश्वर के भारतीय चेहरे का प्रतीक बनते हैं. अगर कथाओं के जरिए बात कहें तो वे छोटी सी उम्र में इंद्र की सत्ता और शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हैं. जीवन भर युद्ध की कठोरता और संघर्षों के बावजूद भी उनके पास मुरली और संगीत की सराहना का समय है. वहीं वह प्रेम को पाकर भी प्रेम को तरसते रहते हैं. यही कारण है कि योगेश्वर कृष्ण की ‘लीलाओं’ के बहाने मध्यकाल में लेखकों ने तमाम तरह की कुंठाओं को भी छंद में पिरोकर लिखा है. उनका यह अनेकता में एकता वाला रूप है जिसके चलते कृष्ण को हम बतौर ईश्वर अलग तरह से अपनाते हैं.

तमाम जटिलताएं

इसमें कोई दो राय नहीं कि कृष्ण की लीलाओं के नाम पर बहुत सी अतिशयोक्तियां कहीं गईं हैं. बहुत कुछ ऐसा कहा गया है जो, ‘आप करें तो रास लीला…’ जैसे मुहावरे गढ़ने का मौका देता है. लेकिन इन कथाओं की मिलावटों को हटा देने पर जो निकल कर आता है वो चरित्र अपने आप में खास है. अगर किसी बात को मानें और किसी को न मानें को समझने में कठिनाई हो तो एक काम करिए, कथानकों को जमीन पर जांचिए. उदाहरण के लिए वृंदावन और मथुरा में कुछ मिनट पैदल चलने जितनी दूरी है. मथुरा और गोकुल या वृंदावन और बरसाने का सफर भी 2-3 घंटे पैदल चलकर पूरा किया जा सकता है. इस कसौटी पर कसेंगे तो समझ जाएंगे कि कौन-कौन सी विरह की कथाएं कवियों की कल्पना का हिस्सा हैं.

कृष्ण के जीवन में बहुत सारे रंग हैं. कुछ बहुत बाद में जोड़े गए प्रसंग हैं जिन्हें सही मायनों में धार्मिक-सामाजिक हर तरह के परिवेश से हटा दिया जाना चाहिए. राधा के वर्णन जैसी कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो महाभारत और भागवत में नहीं मिलती मगर आज कृष्ण का वर्णन उनके बिना संभव नहीं है. इन सबके बाद भगवद् गीता है जो सनातन धर्म के एक मात्र और संपूर्ण कलाओं वाले अवतार की कही बात. जिसमें वो अपनी तुलना तमाम प्रतीकों से करते हुए खुद को पीपल, नारद कपिल मुनि जैसा बताते हैं. आज जब तमाम चीजों की रक्षा के नाम पर हत्याओं और अराजकता एक सामान्य अवधारणा बनती जा रही है. निर्लज्जता, झूठ और तमाम तरह की हिंसा को कथित धर्म की रक्षा के नाम पर फैलाया जा रहा है, ऐसे में कृष्ण के लिए अर्जुन का कहा गया श्लोक याद रखना चाहिए यतः सत्यं यतो धर्मो यतो ह्लीराजर्वं यतः. ततो भवति गोविंदो यतः कृष्णोस्ततो जयः यानी जहां नम्रता, सत्य, लज्जा और धर्म हैं वहीं कृष्ण हैं, जहां कृष्ण हैं वहीं विजय है. अंतिम बात यही है कि कृष्ण होना सरस होना, क्षमाशील होना, नियमों की जगह परिस्थिति देख कर फैसले लेना और सबसे ज़रूरी, निरंकुशता के प्रतिपक्ष में रहना है.

राज्य सरकार ने कोर्ट के समक्ष लगभग स्वीकार कर लिया है कि अनुच्छेद 35-ए के कुछ हिस्से हटाने के लायक हैं: फारूक अब्दुल्ला


सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि अनुच्छेद 35ए में लिंग भेदभाव भी एक पहलू है


नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 35ए को लेकर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) की सुप्रीम कोर्ट में दी गई दलील की आलोचना की है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एएसजी ने दलील दी थी कि संविधान के अनुच्छेद 35ए में ‘एक पहलू लिंग भेदभाव का भी है.’

दरअसल एएसजी ने सुनवाई के दौरान इस दलील पर सहमति व्यक्त की कि अनुच्छेद 35ए और कुछ खास पहलुओं पर बहस की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, ‘इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि इसमें लिंग भेदभाव का एक पहलू है.’

अब्दुल्ला ने एक बयान में कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार की तरफ से कोर्ट के समक्ष अगर इस तरह का बयान दिया गया है. तो इस  से संकेत मिलता है कि अनुच्छेद 35-ए का पक्ष लेने और चुनौती को संविधान पीठ के पहले के फैसले के आधार पर खारिज करने की मांग करने के बदले राज्य सरकार ने कोर्ट के समक्ष लगभग स्वीकार कर लिया है कि अनुच्छेद 35-ए के कुछ हिस्से हटाने के लायक हैं.

महा-अधिवक्ता जम्मू कश्मीर के लोगों के हितों के संरक्षक हैं

उन्होंने चिंता जताई कि ऐसे संवेदनशील मुकदमे में जम्मू-कश्मीर के महा-अधिवक्ता को हाशिए पर डाल दिया गया है. जो जम्मू-कश्मीर के संविधान के तहत राज्य के अनोखे कानूनी इतिहास और संवैधानिक दर्जे से संबंधित है. अब्दुल्ला ने कहा कि महा-अधिवक्ता को राज्य के लिए नियुक्त किया गया है और वह राज्य के लोगों के हितों की रक्षा करने और उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए बाध्य हैं. वह संवैधानिक अधिकारी हैं और सभी अदालतों के समक्ष जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों के संरक्षक हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 35ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर महत्वपूर्ण सुनवाई शुक्रवार को अगले साल जनवरी तक स्थगित कर दी थी. यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर के मूल निवासी को विशेष अधिकार प्रदान करता है.

Phoolkas threat to quit seems to be attempt to obstruct justice: Congress


Say Capt Amarinder Led Govt Fully Committed To Deliver Justice In Accordance With Law


 

Chandigarh, September 2 ,2018 :

Five senior Cabinet Ministers of Punjab on Sunday condemned AAP leader HS Phoolka’s threat to quit as MLA as an attempt to obstruct the course of justice and said such acts do not behoove a senior leader in a democratic polity like ours.

The ministers, in a statement, said the government was committed to book and punish those indicted by Justice Ranjit Singh Commission through expeditious and thorough investigation, in accordance with the due process of law. The government led by Captain Amarinder Singh was committed to fulfilling its election promise to delivering justice to the innocent victims of the indiscriminate police firing, said the minister, asserting that the guilty would be booked, irrespective of their political affiliation or position.

Phoolka’s ultimatum to book certain individuals in 15 days was a violation of the basic tenets of equity and justice, said the ministers, Navjot Singh Sidhu, Manpreet Singh Badal, Sukhjinder Singh Randhawa, Tript Rajinder Singh Bajwa and Charanjit Singh Channi.

As a senior lawyer himself, Phoolka would be well versed with the needs of equity and justice, said the ministers, urging the AAP leader not to play politics on such a sensitive religious matter. Even the Supreme Court would ordinarily be loath to interfere in a criminal investigation, except in the case of mala fides being involved, since the investigation of an offence is the domain of the police or the investigation agency, which is expected to act impartially, the ministers pointed out.

The unanimous resolution of Punjab Vidhan Sabha for setting up a Special Investigation Team (SIT) to probe the desecration and firing incidents was a sacrosanct directive, which the government was fully committed to implementing, said the ministers. The SIT was in the process of being constituted and would investigate the entire matter in strict accordance with law, said the ministers, adding that carrying out the probe in a free and fair manner, without interference, required that it be allowed to function without pressure.

“Mr. Phoolka should remember that the SIT has been set up to probe the truth behind the desecration of our Holy text. Respect to the Holy Sri Guru Granth Sahib or any other Holy Text such as the Bible, the Geeta or the Quran, itself demands that such a probe be carried out freely and transparently, without any interference, for which the government was also in process of amending the law,” said the ministers, in their joint statement.

Demands for arrest or threats to resign from the Assembly even before the investigation is commenced by the SIT was tantamount to offering the accused ready legal defence of bias and prejudice, said the ministers. They urged all political parties to cooperate to allow the SIT to work freely and fairly, without any pressure.

………. तो क्या 16 सितंबर को फूलका वाकई इस्तीफा देंगे या पलटेंगे?


पंजाब के दाखा से विधायक ने कहा, ‘अगर ये मंत्री 15 सितंबर तक मामला दर्ज करने में असफल रहते हैं तो 16 सितंबर को विधानसभा की सदस्यता छोड़ने वाला मैं पहला व्यक्ति होऊंगा’


पंजाब के आप विधायक एच एस फूलका ने शनिवार को कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार प्रदेश के कोटकपुरा और बहबलकलां गोलीबारी मामले में अगर पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सैनी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करती है. तो वह विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे देंगे.

फूलका ने इसके लिए राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्रियों सुखजिंदर सिंह रंधावा, नवजोत सिंह सिद्धू, चरनजीत सिंह चन्नी, मनप्रीत सिंह बादल और तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है. साथ ही उन्होंने कहा है कि बादल और सैनी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए.

एसआईटी जांच की मांग

फूलका ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘मैने पांच कैबिनेट मंत्रियों को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है कि बादल और सैनी के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए. साथ ही इसकी जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराई जाए. अगर वह ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें उनके पदों से त्याग पत्र दे देना चाहिए.’

पंजाब के दाखा से विधायक ने कहा, ‘अगर ये मंत्री 15 सितंबर तक मामला दर्ज करने में असफल रहते हैं तो 16 सितंबर को विधानसभा की सदस्यता छोड़ने वाला मैं पहला व्यक्ति होऊंगा.’ फूलका ने कहा कि बेअदबी पर आई रिपोर्ट पर विधानसभा में चर्चा के दौरान इन मंत्रियों के साथ कांग्रेस के अधिकतर विधायकों ने पुलिस की गोलीबारी के मामले में बादल और सैनी को आरोपी बनाने की मांग की थी. लेकिन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इनकार कर दिया था.

गौरतलब है कि बेअदबी के मामले में हो रहे विरोध प्रदर्शन को शांत करने के लिए 2015 में पुलिस को दोनों स्थानो पर गोली चलानी पड़ी थी. जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी.

क्या मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव 6 सितंबर को विधानसभा को भंग कर सकते हैं?


अटकलें लगाई जा रही हैं कि ज्‍योतिषियों की सलाह पर चंद्रशेखर राव विधानसभा को भंग कर नवंबर-दिसंबर में चुनाव की मांग कर सकते हैं


कयास लगाए जा रहे हैं कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव 6 सितंबर को विधानसभा को भंग कर सकते हैं. इसी के साथ वह अपने ज्योतिषियों की सलाह पर राज्य में जल्द चुनाव कराने की मांग करेंगे.

हालांकि तेलंगाना में मई 2019 में विधानसभा चुनाव कराए जाने हैं. इसका सत्र भी आगामी 2019 लोकसभा के साथ खत्म हो जाएगा. लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि चंद्रशेखर राव विधानसभा को भंग कर नवंबर-दिसंबर में चुनाव की मांग कर सकते हैं. इसी दौरान मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिज़ोरम में भी चुनाव होने हैं.

हैदराबाद में रविवार को चंद्रशेखर राव की रैली को इसी दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है. इससे पहले रविवार को राज्‍य की कैबिनेट बैठक बुलाई गई थी लेकिन इसमें जल्‍द चुनाव को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ. अब छह सितंबर को फिर से कैबिनेट बैठक बुलाई गई है.

छह है केसीआर का लकी नंबर

ज्‍योतिषियों का कहना है कि के चंद्रशेखर राव का शभ नंबर छह है. मालूम हो कि चंद्रशेखर ज्‍योतिष और वास्‍तु में काफी यकीन करते हैं. वह भरोसे के ज्‍योतिषियों और वास्‍तु के जानकारों से सलाह मशविरा करने से पहले कोई फैसला नहीं लेंगे.

उनके एक करीबी ने बताया कि यदि ज्‍योतिषियों ने मुख्‍यमंत्री को मना लिया तो वह जल्‍दी चुनाव करा सकते हैं. हालांकि केसीआर के करीबी लोग इस मसले पर बंटे हुए हैं. कुछ का कहना है कि लोकसभा चुनाव से अलग समय पर विधानसभा के चुनाव कराने से पार्टी को सत्‍ता में बने रहने में मदद मिलेगी. उन्‍हें डर है कि एक साथ चुनाव टीआरएस के खिलाफ जा सकते हैं क्‍योंकि इनके लिए कांग्रेस तैयार होगी.

श्री कृष्ण के नामकरण पर पधारे महर्षि गर्ग ने कुंडली विचार जो भविष्यवाणियाँ कीं वह अक्षरश: सत्य थीं

जगत के पालनहार का कृष्ण अवतार विधि का विधान था और वे स्वयं दुनिया का भाग्य लिखते हैं, उनके भाग्य को कोई नहीं पढ सकता। लेकिन जैसे ही मानव योनि में अवतार आया तो वे संसार के बंधन में पड़ जाता है और इस कारण उसे दुनिया के लोकाचार को भी निभाना पडता है। जन्म से मृत्यु तक सभी संस्कार करने पडते हैं।

इन्हीं लोकाचारों में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर महर्षि गर्ग पधारे और उनका नामकरण संस्कार किया। उनका नाम कृष्ण निकाल कर उनके जीवन की अनेकों भविष्यवाणी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार की थी जो अक्षरशः सही रही। इस आधार पर श्रीकृष्ण की कुंडली में ग्रह क्या बोलते हैं का यह संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत किया जा रहा है।

भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र के संयोग में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया। सोलह कला सम्पूर्ण महान योगी श्रीकृष्ण का नामकरण व अन्नप्राशन संस्कार गर्ग ऋषि ने कुल गुरू की हैसियत से किया तथा कृष्ण के जीवन की सभी भविष्यवाणियां की जो अक्षरशः सही रहीं। भाद्रपद मास की इस बेला पर हम गर्ग ऋषि को प्रणाम करते हैं।

अष्टमी तिथिि की मध्य रात्रि में जन्मे कृष्ण का वृषभ लग्न में हुआ। चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में बैठे व गुरू, शनि, मंगल, बुध भी अपनी-अपनी उच्च राशियों में बैठे थे। सूर्य अपनी ही सिंह राशि में बैठे।

योग साधना, सिद्धि एवं विद्याओं की जानकारी के लिए जन्म जन्म कालीन ग्रह ही मुख्य रूप से निर्भर करते हैं। अनुकूल ग्रह योग के कारण ही कृष्ण योग, साधना व सिद्धि में श्रेष्ठ बने। गुरू अष्टमेश बनकर तृतीय स्थान पर उच्च राशि में बैठ गुप्त साधनाओं से सिद्धि प्राप्त की तथा पंचमेश बुध ने पंचम स्थान पर उच्च राशि कन्या में बैठ हर तरह की कला व तकनीकी को सीखा।

चन्द्रमा ने कला में निपुणता दी। मंगल ने गजब का साहस व निर्भिकता दी। शुक्र ने वैभवशाली व प्रेमी बनवाया। शनि ने शत्रुहन्ता बनाया व सुदर्शन चक्र धारण करवाया। सूर्य ने विश्व में कृष्ण का नाम प्रसिद्ध कर दिया।

जन्म के ग्रहों ने कृष्ण को श्रेष्ठ योगी, शासक, राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ, चमत्कारी योद्धा, प्रेमी, वैभवशाली बनाया। श्रीकृष्ण की कुंडली में पांच ग्रह चन्द्रमा, गुरू, बुध, मंगल और शनि अपनी उच्च राशि में बैठे तथा सूर्य व मंगल अपनी स्वराशि में हैं।

रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने वाला बुद्धि और विवेक का धनी होता है। यही चन्द्रमा का अति प्रिय नक्षत्र और चन्द्रमा की उपस्थिति व्यक्ति को जातक मे आकर्षण बढा देती है। ऐसे व्यक्ति सभी को प्रेम देते हैं और अन्य लोगों से प्रेम लेते हैं। श्रीकृष्ण को इस योग ने सबका प्रेमी बना दिया और वे भी सबसे प्रेम करते थे।

जन्म कुंडली का पांचवा स्थान विद्या, बुद्धि और विवेक तथा प्रेम, संतान, पूजा, उपासना व साधना की सिद्धि का होता है। यहां बुध ग्रह ने उच्च राशि में जमकर इन क्षेत्रों में कृष्ण को सफल बनाया तथा राहू के संयोग से बुध ग्रह ने परम्पराओं को तुड़वा ङाला और भारी कूटनीतिकज्ञ को धराशायी करवा डाला।

स्वगृही शुक्र ने उन्हें वैभवशाली बनाया तो वहां उच्च राशि में बैठे शनि ने जमकर शत्रुओं का संहार करवाया। भाग्य व धर्मस्थान में उच्च राशि में बैठे मंगल ने उनका भाग्य छोटी उम्र में ही बुलंदियों पर पहुंचा दिया। मारकेश व व्ययेश बने मंगल ने धर्म युद्ध कराकर व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन कराया।

अष्टमेश गुरू को मारकेश मंगल ने देख उनके पांव के अगूठे में वार करा पुनः बैकुणठ धाम पहुंचाया। अष्टमेश और मारकेश का यह षडाष्ठक योग बना हुआ है और मारकेश मंगल ग्रह को पांचवी दृष्टि से राहू देख रहा। यह सब ज्योतिष शास्त्र के ग्रह नक्षत्रों का आकलन मात्र है। सत्य क्या था यह तो परमात्मा श्रीकृष्ण ही बता सकते हैं।

कर्नाटक में 105 स्थानीय निकाय के चुनावों के नतीजे सोमवार को


सोमवार को वोटों की गिनती होगी. काउंटिंग सुबह 8 बजे से शुरू हो जाएगी. उम्मीद है कि नतीजे रात तक घोषित हो जाएंगे. इन चुनावों में EVM का इस्तेमाल किया गया था

इस चुनाव में 2662 सीटों के लिए 9121 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है


कर्नाटक में सत्ताधारी जेडीएस और कांग्रेस का गठबंधन निकाय चुनाव में जारी रहेगा. एक स्थानीय नेता ने कहा ‘यह गठबंधन बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए है.’

पार्टी नेता ने बताया ‘वैसे तो हमें निकाय चुनावों में पूर्ण बहुमत मिलेगा. यदि ऐसी स्थिति होती है कि बहुमत नहीं मिलता तो हम लोग नगर निगम में भी एक साथ आएंगे. इसका एक उदाहरण मई 12 को हुए विधानसभा चुनाव में भी सभी देख चुके हैं.’

कर्नाटक में 105 स्थानीय निकाय के चुनावों के नतीजे सोमवार को आनेवाले हैं. इस चुनाव में 2662 सीटों के लिए 9121 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है. इस चुनाव के नतीजे कांग्रेस और जेडीएस के लिए चुनौती बन सकते हैं. हालांकि बीजेपी इस चुनाव में उम्मीद जता रही है कि उसे फायदा हो सकता है.

बता दें कि इस चुनाव में कई उम्मीदवारों को पार्टियों ने टिकट नहीं दी थी इसलिए वह निर्दलीय चुनाव लड़े थे. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने सबसे ज्यादा लोगों को चुनाव से बेदखल कर दिया था क्योंकि इन लोगों पर पार्टी के अनुशासन को तोड़ने का आरोप था.

भारी बारिश होने की वजह से कई इलाकों में वोटिंग पर भी असर पड़ा था. स्कूल और कॉलेजों को भी बंद कर दिया गया था. हालांकि शांति के साथ चुनाव संपन्न करने के लिए भारी सुरक्षा की व्यवस्था की गई थी.

गौरतलब है कि इन चुनावों के नतीजे सियासी पार्टियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि 2019 के चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में वोटों का गिरता या बढ़ता हुआ ग्राफ पार्टियों की आगामी रणनीति की दिशा तय करेगा.

सोमवार को वोटों की गिनती होगी. काउंटिंग सुबह 8 बजे से शुरू हो जाएगी. उम्मीद है कि नतीजे रात तक घोषित हो जाएंगे. इन चुनावों में EVM का इस्तेमाल किया गया था.

स्टेट इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, 2,662 नगर वार्ड, 29 शहर नगर पालिकाओं, 53 शहर नगर पालिकाओं, 23 नगर पंचायत और 135 कॉर्पोरेशन वार्ड पर वोटिंग हुई थी. जेडीएस निकाय चुनावों में कांग्रेस का समर्थन करने के लिए तैयार है. यह समर्थन बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए किया जा रहा है. सभी सीटों पर 8,340 उम्मीदवार थे. वहीं कांग्रेस के 2,306, बीजेपी के 2,203 और 1,397 जेडीएस के थे.

Parkash Singh Badal, Sukhbir Singh Badal and Sumedh Singh Saini must be taken into custody for unearthing the truth about who ordered firing: Randhawa

File Photo Of Badals

Chandigarh, September 2, 2018 :

Senior Congress leader and Cabinet Minister, Punjab, S. Sukhjinder Singh Randhawa has reacted strongly to the statement of ex Chief Minister Parkash Singh Badal in which the latter has denied ordering firing on the innocent Sikhs protesting in the aftermath of the sacrilege of Sri Guru Granth Sahib.

S. Sukhjinder Singh Randhawa has asked the ex Chief Minister to make it clear that if he hadn’t ordered firing at behbal kalan and kotkapura then did these orders came from the then Deputy Chief Minister Sukhbir Singh Badal or the then DGP Sumedh Singh Saini.

The congress leader demanded that the trio of   Parkash Singh Badal, Sukhbir Singh Badal and Sumedh Singh Saini must be taken into custody for unearthing the truth about who ordered firing. Questioning senior Badal, S. Randhawa said that if firing orders didn’t came from him then who ordered it.

Expressing astonishment,  S. Randhawa said that the then Chief Minister holds a word with the Faridkot administration and the DGP on phone and he doesn’t orders firing but still the police fires on the innocent Sikhs. He also said that Parkash Singh Badal should first ask his son, who was the Home Minister at that time, that whether or not the firing took place at his orders.

The Congress leader further said that Captain Amarinder Singh doesn’t need a certificate and sermonising from the so called panthic akalis on his credentials as a Sikh. He elaborated that the whole world knows about the deep faith the family of Captain Amarinder Singh has in Sikhism and on the other side the whole Punjab is well aware of the evil designs of the Badal family to further it’s political ends by weakening the panth. So, the Badal conglomerate should first look into its own misdeeds.

S. Randhawa also demanded an explanation from the Shiromani Akali Dal over a statement of Sukhbir Singh Badal appearing today in media in which he has said that the decision of staging a walkout from the Vidhan Sabha during the discussion on Justice Ranjit Singh commission report was taken in a meeting of the core committee of the Shiromani Akali Dal under the leadership of Parkash Singh Badal. He also said that this statement exposes the double standards practiced by the akalis who were citing less speaking time allotted to them as the reason for walkout whereas Sukhbir Singh Badal says that the walkout decision was taken in core committee meeting presided over by Parkash Singh Badal. S. Randhawa said that akali dal cannot dare face the people owing to its gravest sins and is running from facing the people in both inside and outside the Vidhan Sabha.

S. Randhawa also said that now Parkash Singh Badal is presenting his version with false statements but the people of Punjab would not be befooled by these falsehoods.

भाजपा ने किया ब्राह्मण समाज के साथ विश्वासघात व अनदेखी – सुरजेवाला


कहा – कांग्रेस करेगी 7 सूत्रीय एजेंडा से ब्राह्मण समाज का सशक्तिकरण
कहा – कांग्रेस के खून में ब्राह्मण समाज का डीएनए
सुरजेवाला ने किया वायदा – कांग्रेस की सरकार बनते ही ब्राह्मण कल्याण बोर्ड का होगा गठन व भगवान परशुराम के नाम से संस्कृत विश्विद्यालय का किया जाऐगा गठन
संजीव भारद्वाज की अध्यक्षता में आयोजित ब्राह्मण सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि पहुंचे अखिल भारतीय कांग्रेस मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला


कैथल, 02 सितम्बर 2018
स्वाभिमान का ज्ञान ब्राह्मण ही दे सकता है क्योंकि सिक्कों की खनक ब्राह्मण के ज्ञान को खरीद नही सकती। इसलिए आज ब्राह्मण समाज के आह्वान की आवश्यकता है। आज अखिल भारतीय कांग्रेस मीडिया प्रभारी व कांग्रेस कोर कमिटी के सदस्य और कैथल से विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला संजीव भारद्वाज की अध्यक्षता में कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पर आयोजित ब्राह्मण सम्मेलन में ब्राह्मण समाज को संबोधित करते हुए बोल रहे थे। बतौर मुख्यातिथि रणदीप सिंह सुरजेवाला का भगवान परशुराम की प्रतिमा, परसा और बड़ी फुल माला से स्वागत किया गया।

कांग्रेस मीडिया प्रभारी व कांग्रेस कोर कमिटी के सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ब्राह्मण समाज के लोगों से वायदा करते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार सत्ता में आते ही ब्राह्मण कल्याण बोर्ड का गठन किया जाऐगा। उस बोर्ड का चेयरमैन भी ब्राह्मण समाज के व्यक्ति को ही बनाया जायेगा और उस बोर्ड में 100 करोड़ से 300 करोड़ का कोर्पस डाला जाऐगा ताकि आर्थिक तंगी के कारण जो बच्चा हायर एजुकेशन से वंचित हो इस बोर्ड की मदद से अपनी पढ़ाई बेझिझक पूरी कर सके। इसके अलावा जो 40 से 50 प्रतिशत ब्राह्मण व्यक्ति निजी स्कूल चलाते हैं जो आर्थिक तंगी के कारण स्कूल को आगे नही बढ़ा पाते उन्हें बिना किसी गारंटी के 4 प्रतिशत की ब्याज दर पर अगर कई व्यक्ति है तो 10 लाख और एक व्यक्ति को 5 लाख तक का लोन बोर्ड के 11 प्रभुत्व व्यक्तियों के द्वारा देने का प्रावधान किया जाऐगा।
उन्होंने कहा कि शाहबाद, करनाल, पानीपत, कैथल में करीब 368 तीर्थों का जीर्णोद्धार करवाया जाऐगा और उन तीर्थों में पूजा अर्चना की जिम्मेवारी भी गांव के ही योग्य ब्राह्मण को दी जाएगी। इसके साथ ही भगवान परशुराम के नाम से संस्कृत विश्विद्यालय का गठन किया किया जाऐगा। उस विश्वविद्यालय में कर्मकांड की ट्रैनिंग के साथ साथ डिग्री और स्नातक की डिग्री भी दी जाएगी।
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी और सिरसा यूनिवर्सिटी में एक एक चेयर की स्थापना करेंगे जिसमें एक भगवान परशुराम चेयर, एक दादा लखमी चंद चेयर और एक पंडित भगवत दयाल शर्मा चेयर होगा। गरीब ब्राह्मणों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया जाऐगा। उन्होंने कहा कि एचपीएससी बोर्ड के तहत ब्राह्मण समाज के प्रभुत्व नागरिकों को राजनीतिक तौर पर दी जायेगी हिस्सेदारी।

कांग्रेस मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने संबोधित करते हुए कहा कि ब्राह्मण समाज ने भाजपा को फर्श से अर्श पर ले जाने का काम किया लेकिन भाजपा ने ब्राह्मणों को दरकिनार करते हुए अर्श से फर्श पर ले जाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि आज भाजपा शासन में ब्राह्मण समाज पीड़ा के द्वार पर क्यों है? ब्राह्मण समाज आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक पिछड़ेपन का शिकार क्यों है? इसलिए आज इस ब्राह्मण सम्मेलन के द्वारा एक नई जनजागृति करने की आवश्यकता है।
सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस के खून में ब्राह्मण समाज का डीएनए है। जंग ए आजादी की लड़ाई से लेकर आज तक ब्राह्मण समाज का नेतृत्व सबसे अहम रहा है। जिसने समाज को आगे बढ़ने का रास्ता दिया। आजादी की लड़ाई के प्रथम महानायक मंगल पांडे और कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, मदन मोहन मालवीय, पंडित चंद्रशेखर आजाद, बाल गंगाधर तिलक, पंडित मोतीलाल नेहरू, पंडित जवाहर लाल नेहरू और अब राहुल गांधी ने इस समाज के नेतृत्च को आगे बढ़ाया।
सुरजेवाला ने कहा कि ब्राह्मणों की अनदेखी, विषमता का शिकार होने के पीछे भाजपा जिम्मेवार है। भाजपा ने हमेशा ब्राह्मणों का इस्तेमाल किया। 40 साल तक भाजपा की सेवा करने वाले जिनकी अध्यक्षता और नेतृत्व में ने हरियाणा में सत्ता हासिल की उसी रामविलास शर्मा को भाजपा ने दरकिनार करते हुए मोदी ने बेतजूर्बेदार अपने सखा को मुख्यमंत्री बना दिया। भाजपा ने दूध से मख्खी की तरह निकालने की तरह रामविलास शर्मा का उपयोग किया है। मोदी ने राजनीतिक षडयंत्र के तहत रामविलास शर्मा की सियासी हत्या की है। इसी तरह दिल्ली में सुषमा स्वराज और अरुण जेटली के साथ किया और उत्तर प्रदेश नें महेश शर्मा व लक्ष्मीकांत वाजपेयी के साथ किया। भाजपा ने सत्ता लालच के लिए ब्राह्मणों का हमेशा दुरुपयोग किया है।

खट्टर सरकार पर प्रहार करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा की खट्टर सरकार ने ब्राह्मण समाज के विश्वास और सम्मान पर कुठाराघात किया है। एचएसएससी बोर्ड के पेपर में ब्राह्मण समाज के रंग के आधार पर अपशगुन वाला सवाल पूछना खट्टर सरकार की गंदी व घृणा से भरपूर सोच को प्रदर्शित करती है। लेकिन खट्टर सरकार ने चेयरमैन भारती पर कोई कार्रवाई न करके उन्हें तीन साल की एक्सटेशन देकर एचएसएससी बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया। उस समय सबसे पहले भाजपा सरकार के खिलाफ मैने ही आवाज उठाई थी।

मुख्यमंत्री खट्टर की विधानसभा करनाल में चार ब्राह्मण पुजारियों की निशन्स हत्या होती है लेकिन न आज तक मुख्यमंत्री खट्टर गया, न कोई मंत्री और न ही कोई विधायक हाल जानने गया और ना ही आरोपी पकड़े गए। इसलिए एक मिनट भी खट्टर सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नही है। उन्होंने कहा कि आज भगवान परशुराम का परसा उठाने की जरूरत है। आज ब्रह्मसरोवर के तट से आवाज खड़ी करेंगे जो हर शख्स को माननी पड़ेगी।

कैलाश मानसरोवर यात्रा पर राहुल गांधी पर भाजपा द्वारा कटाक्ष के जवाब में सुरजेवालाने ने कहा कि देव और दानवों की लड़ाई सदियों से चलती आ रही है और आज भी भाजपा राज में वो लड़ाई अग्रसर है। इस अवसर पर ब्राह्मण सम्मलेन में आए संजीव भारद्वाज,मोहन प्रकाश,खैराती लाल शर्मा,डाक्टर शिव शंकर भारद्वाज,पण्डित विष्णु दत्त कौशिक पौत्र दादा लखमीचंद,पण्डित प्रकाश मिश्रा,सुधीर गौतम,बच्चन सिंह आर्य,सुमित्रा चौहान,राजकुमार बाल्मिकी,रमेश गुप्ता,अनिल धनतोडी़,पवन दिवान साहनी,फूल सिंह बाल्मिकी, नरेश शर्मा, नरेश शर्मा बस्सी, सतपाल कौशिक,पवन शर्मा पहलवान, कवि राज शर्मा,सतबीर भाना,नवीन शर्मा,पी ल भारद्वाज, सुशील कौशिक,सुदेश शर्मा, दीपा शर्मा,सुनीता शर्मा,वक़ील अरविंद गौड,पारीस राम,मोहन लाल सरपंच,राजेन्द्र शर्मा,नवीन शर्मा, सुरेन्द्र शर्मा, जयपाल शर्मा,सुशील कौशिक, संदीप कौशिक, मंगत शर्मा, रंधीर शर्मा, सतपाल शर्मा, गौरव शर्मा किरमच, प्रमोद शर्मा, आदि ब्राह्मण नेताओं ने भी संबोधित किया।