नेहरू युवा केंद्र के कार्यक्रमों में करें सहयोग- अजय कुमार

रोहतक, 01 अगस्त:

अतिरिक्त उपायुक्त अजय कुमार ने कहा कि नेहरू युवा केंद्र द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों में सभी विभागों के अधिकारी सहयोग करें। विशेषकर स्वच्छ ग्रामीण सर्वेक्षण अभियान 2018 को संयुक्त रूप से चलाये और जिला के प्रत्येक गांव को स्वच्छ बनाने का कार्य करें।
अतिरिक्त उपायुक्त आज नेहरू युवा केंद्र की जिला सलाहकार कमेटी की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने वर्ष 2018-19 के नियमित कार्यक्रमों को सही ढ़ंग से क्रियान्वन करने और युवाओं तक इनका लाभ पहुंचाने के निर्देश दिये। केंद्र द्वारा जिला में युवा मंडल विकास कार्यक्रम, युवा नेतृत्व एवं सामुदायिक विकास कार्यक्रम, सामाजिक विकास कार्यक्रम, ब्लॉक व जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताएं, बुनियादी व्यवसायों और मुलायम कौशल में शिक्षा प्रशिक्षण, जिला स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा महत्वपूर्ण दिवस एवं सप्ताहों का आयोजन करके युवाओं की सामाजिक भागीदारी बढ़ाने का मुख्य उद्देय है।
उन्होंने कहा कि स्वच्छता पखवाडे के तहत एनवाईके के वॉलेंटियर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता बनाये रखने में अहम योगदान करेंगे तथा बरसात के दिनों में ग्रामीण इलाकों में ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण कर गांव को प्रदूषण मुक्त बनाने का कार्य करेंगे। इसके अलावा जिला स्तरीय युवा कृति एवं युवा सम्मेलनों का भी आयोजन केंद्र द्वारा करवाया जायेगा। उन्होंने बताया कि एनवाईके द्वारा गठित युवा मंडलों को अपने गांव में सराहनीय कार्य करने पर नेहरू युवा केंद्र द्वारा जिला स्तरीय युवा मंडल पुरस्कार देकर सम्मानित किया जायेगा। इसलिए सक्रिय युवा मंडल सामाजिक सदभावना के क्षेत्र में अच्छा कार्य करें और विभाग द्वारा प्रदान की जाने वाली 25 हजार रुपए की राशि पुरस्कार के रूप में प्राप्त करें।
बैठक में जिला समन्वयक मधु चौधरी ने बताया कि युवा मंडल के सदस्य आंगनवाडी केंद्रों, अस्पतालों, ग्राम सचिवालयों, खेल स्टेडियम आदि में पौधारोपण के साथ-साथ स्वच्छता के क्षेत्र में भी अनुकरणीय कार्य करेंगे। उन्होंने वर्ष 2018-19 का लेखा जोखा सहित आयोजित कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी और विभागों के साथ मिलकर कार्य करने का अनुरोध किया। विशेषकर युवा मंडलों के सहयोग से जिला के सभी गांव में रक्तदान शिविरों का आयोजन करने का भी निर्णय लिया गया। इस अवसर पर जिला वन अधिकारी राकेश गुलिया, आईओ दीपक ग्रेवाल, भारत स्काउट एवं गाइड इंचार्ज कृष्ण शर्मा, रैडक्रास से राजकुमार मोर, फौगाट युवा मंडल के प्रधान जितेंद्र, वाईसीओ गुलाब सिंह, एनवाईसी निशा कुमारी, संदीप कुमार, महेंद्र सिंह लेखाकार सहित कई अधिकारी मौजूद थे।

किसानों को अब हर छह माह बाद मिलेगा बढौतरी का लाभ-धनखड़


-भाजपा सरकार ने किसानों को दी आर्थिक आजादी
-कहा, स्वामीनाथन आयोग रिपोर्ट से आगे बढक़र किए कार्य


रोहतक, 01 अगस्त:

कृषि, विकास एवं पंचायत मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते की तर्ज पर किसानों को भी अब हर छह माह में बढ़ौतरी का लाभ दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने फसलों पर लागत का 50 प्रतिशत मुनाफा सुनिश्चित कर दिया है। इस प्रकार किसानों को फसलों का डेढ गुणा दाम अवश्य मिलेगा।
कृषि मंत्री आज सर्किट हाऊस में 12 अगस्त को गोहाना में आयोजित होने वाली किसान धन्यवाद रैली को लेकर कार्यकर्ताओं से रूबरू हो रहे थे। उन्होंने कहा कि भाजपा ऐसी पहली सरकार है जिसने किसानों को आर्थिक आजादी दी है और अब किसान फसल लागत का डेढ गुणा भाव ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि अब तक बाजरा, सूरजमुखी व धान रैली आयोजित की गई है। आगामी 5 अगस्त को कपास धन्यवाद रैली बरवाला में आयोजित की जायेगी। ये सभी रैलियां क्षेत्र की फसलों के आधार पर की गई। इन धन्यवाद रैलियों की कड़ी में 12 अगस्त को अंतिम किसान धन्यवाद रैली की जायेगी। इन रैलियों को लेकर किसानों में भारी उत्साह और जोश है।
विकास एवं पंचायत मंत्री ने कहा कि किसानों के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जो किया है वह एतिहासिक है, इससे पूर्व चौ. देवीलाल, चौ. चरण सिंह, देवगौड़ा व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा भी ऐसा काम नहीं कर पाये। उन्होंने कहा कि एमएसपी के आधार पर किसानों को ज्यादा से ज्यादा 5 रुपए तक का लाभ दिया जाता था। चुनाव नजदीक आने पर 50 रुपए तक फसलों का मुनाफा न्यूनतम समर्थन मूल्य मानकर तय करते थे। एमएसपी राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय बाजार के आधार पर तय की जाती थी। जिससे कभी भी किसानों को इतना मनाफा नहीं मिला।
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने किसानों के लिए एक फार्मूला तय कर दिया है। अब 50 प्रतिशत से कम कोई भी सरकार किसानों को मुनाफा नहीं दे सकती। उन्होंने कहा कि 60 प्रतिशत तक मुनाफा करने का दावा किया जा सकता है लेकिन कम नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने स्वामी नाथन से बढक़र किसानों के लिए कार्य किया है। विशेषकर कपास, धान, सूरजमुखी, मक्का आदि के लागत से पांच गुणा तथा बाजरे की फसल पर भी लागत का तीन गुणा दाम किसानों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि जय जवान-जय किसान का नारा वास्तव में भाजपा सरकार के प्रधानमंत्री ने चरितार्थ किया है। इन फसलों के दाम बढ़ाये जाने से 33 हजार 500 करोड़ का मुनाफा किसानों को दिया गया है। इसका 1500 करोड़ अकेले प्रदेश के किसानों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि बाजरे पर 525 रुपए की बढौतरी करके और भी अधिक मुनाफा दिया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों के अलावा नोट बंदी, जीएसटी, वन रैंक-वन पेंशन जैसे अहम निर्णय लेकर के एतिहासिक कार्य किये है। इसलिए जनता तक इन निर्णयों को पहुंचाना और जानकारी देना सरकार व पार्टी का कार्य है। इसीलिए जितना ज्यादा मुनाफा दिया है उतनी ही तगड़ी रैली का आयोजन गोहाना में किया जायेगा। इसके लिए सभी कार्यकर्ता पूरे जोर शोर के साथ बढ़ चढकर भाग ले और लोगों को जागरूक करें।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा स्वामी नाथन रिपोर्ट कमेटी के चेयरमैन होते हुए यह रिपोर्ट लागू नहीं करवा पाये और रिपोर्ट को दबा दिया गया। प्रधानमंत्री ने एमएसपी सिस्टम को फार्मूला विहिन करार देकर किसानों के लिए उनकी फसलों के भाव के दरवाजे खोल दिये है। अब किसान हर तरह की फसल को अपने खेत में उगायेंगे इससे फसल विविधकरण को भी बढावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि पिछले साल 70 लाख क्विंटल बाजरे की पैदावार हुई थी, इस वर्ष इसमें बढोतरी होगी और एक लाख क्विंटल बाजरे की पैदावार होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि यह अतिरिक्त लाभ किसानों के लिए खुशहाली लेकर आयेगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यदि मोटे अनाज में धान की फसल का कम लाभ मिला तो इसे भी इस फार्मूले में सामिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भाजपा को गर्व है कि उनकी पार्टी में घोषणा अनुसार किसानों को फसलों का लाभदायक दाम देने का कार्य किया है।
एक अन्य प्रश्न में कृषि मंत्री ने कहा कि इनेलो पार्टी को धैर्य से न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए। राजनैतिक एजेंडा करना प्रदेशहित में नहीं होगा इसीलिए न्यायालय का सहारा लिया गया था। न्यायालय में फैसला प्रदेशहित में ही होगा। उन्होंने कहा कि पंजाब के चुनाव पर न्यायालय के निर्णय का कोई असर नहीं पडेगा। एक अन्य जवाब में उन्होंने कहा कि अलग-अलग दलों की नीतिया टकराती है तो वे कार्य नहीं करने देती और न ही सफल हो पाती।
इस अवसर पर जिला भाजपा अध्यक्ष अजय बंसल, लोकसभा प्रभारी रमेश भाटिया, डॉ. किरण कलकल, महामंत्री धर्मबीर शर्मा व सतीश आहुजा, कर्नल राजेंद्र सुहाग, शमशेर खरक, राजरानी शर्मा, चेयरमैन राजबीर आर्य, डॉ. दिनेश घिलौड़, कुलविंद्र सिंह सिक्का, मीनाक्षी नांदल, विकास रोहिल्ला, सुभाष शर्मा, जयसिंह लाकड़ा, गुलशन दुआ, नरेंद्र वत्स, राजसिंह घुडान सहित अनेक कार्यकर्ता एवं पार्टी पदाधिकारी मौजूद थे।

पूर्व जनमंच गतिविधियों का लाभ उठाएं ग्रामीण: संदीप कुमार

 

धर्मशाला, 31 जुलाई :

प्रदेश में चलाए जा रहे जनमंच कार्यक्रम के पूर्व आयोजित की जा रही गतिविधियों के तहत कृषि विभाग तथा बाल विकास परियोजना विभाग द्वारा सलोल, तरखानगढ़ तथा तियारा में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। यह जानकारी देते हुए उपायुक्त कांगड़ा संदीप कुमार ने बताया कि कृषि विभाग तथा बाल विकास परियोजना विभाग के माध्यम से विभिन्न पंचायतों में विभागीय अधिकारियों द्वारा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई।
उपायुक्त ने बताया कि कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा ग्राम पंचायत तियारा तथा साथ लगती 7 पंचायतों के लोगों को विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई। इस अवसर पर लोगों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, सोलर बाड़, पॉलीहाऊस, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना तथा खाद्य सुरक्षा मिशन बारे जानकारी दी।
संदीप कुमार ने बताया कि बाल विकास परियोजना विभाग के अधिकारियों ने सलोल, तरखानगढ़ तथा तियारा में लोगों को मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, विधवा पुनर्विवाह योजना, मदर टेरेसा मातृ सम्बल योजना, बेटी है अनमोल योजना, महिला स्वयं रोजगार योजना तथा प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना बारे विस्तार से जानकारी दी।
उपायुक्त ने बताया कि विभिन्न विभागों द्वारा जागरूकता शिविर व अन्य गतिविधियां चलाई जा रही हैं। उन्होंने सभी पंचायतों के ग्रामीणों से आग्रह किया है कि वे पूर्व जनमंच गतिविधियों का भरपूर लाभ उठाएं और आगामी पांच अगस्त को प्रस्तावित जनमंच के लिए अपनी पंचायतों के माध्यम से शिकायतें व समस्याएं भी भेजें ताकि उनका समयबद्ध निवारण सुनिश्चित किया जा सके।
उपायुक्त ने बताया कि जनमंच दिवस से पूर्व की अवधि में सभी विभागों के अधिकारी इन पंचायतों का दौरा कर अपने विभागों की योजनाआंे का निरीक्षण कर रहे हैं। इस दौरान विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभों को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
संदीप कुमार ने बताया कि इस दौरान पात्र लोगों को गृहिणी सुविधा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, बुढ़ापा, विधवा तथा दिव्यांग पैंशन, जनधन योजना, बेटी है अनमोल, डिजीटल राशन कार्ड, गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण व टीकाकरण, हर घर में शौचालय इत्यादि योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ पहुंचाना तय किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त यहां लोगों के लिए निःशुल्क चिकित्सा शिविर ओर स्वच्छता शिविर लगाए जा रह हैं।

श्रावण-भादों माह के हर शनिवार को लगते हैं नागनी माता के मेले


जिला स्तरीय नागनी मेला 04 अगस्त को बड़े हर्षोल्लास से आयोजित किया जा रहा है


हिमाचल देवी- देवताओं व ऋषि-मुनियों की पावन स्थली है। यहां पर सारा साल अनेकों मेलों व त्यौहारों का आयोजन किया जाता है। इन सभी का महात्म्य किसी न किसी देवी- देवता के नाम से जुड़ा हुआ है। ये मेले सिर्फ हिमाचल में नहीं अपितु समूचे भारतवर्ष में अपनी एक अलग पहचान रखते हैं। इन्हीं में से एक है नूरपुर नागनी माता मंदिर का मेला ।बसांप -बिच्छू व अन्य जहरीले जीव- जंतुओं के काटने का उपचार यहां पर मात्र पानी पिलाकर व मिट्टी जिसे शक्कर प्रसाद के नाम से जाना जाता है, का लेप लगाकर किया जाता है । पठानकोट -मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे एक छोटे से गांव नागनी (भड़वार) में श्रावण व भादों (जुलाई-अगस्त) मास के दौरान हर शनिवार को मेला लगता है।  दो माह तक लगने वाले इन मेलों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु हिमाचल प्रदेश के अलावा पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा व जम्मू- कश्मीर से नागनी माता के दर्शनों के लिए यहां पहुंचते हैं।
विश्वास है कि सर्पदंश का जो रोगी एक बार माता नागनी की शरण में पहुंच जाता है, वह ठीक हो कर ही घर जाता है। यह सारा चमत्कार नागनी माता के स्थान से निकलने वाली जलधारा के पानी तथा मिट्टी(शक्कर) का माना जाता है ।जो प्यास के नाम से उसे पिलाया जाता है और मिट्टी का लेप डंक वाली जगह पर किया जाता है। यही एकमात्र उपचार यहां पर होता है। अब नागनी माता का यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुका है । लोगों में इस मंदिर के प्रति अटूट आस्था को देखते हुए प्रदेश सरकार ने भी नागनी मेले को कुछ वर्ष पूर्व जिला स्तरीय मेले का दर्जा दे दिया था। इस वर्ष भी जिला स्तरीय नागनी मेला 04 अगस्त को बड़े हर्षोल्लास से आयोजित किया जा रहा है।
इस मंदिर के अस्तित्व में आने को लेकर एक दंतकथा प्रचलित है। जिसके अनुसार कालांतर में इस जगह पर एक घना जंगल था। यहां पर राजा जगत सिंह का साम्राज्य था। यहां पर बहने वाली जलधारा का पानी लोग पीने व नहाने के लिए प्रयोग में लाते थे तथा इस जगह को अपना पूजा स्थल मानते थे। यहां पर बामी मिट्टी के टिल्ले थे जिस पर अक्सर लोग दूध व जल चढ़ाते थे। उसके बाद एक कोढ़ी यहां पर आकर रहने लगा। वह भगवान से कोढ़ मुक्ति के लिए लगातार प्रार्थना करता था। बताते है कि उसकी साधना सफल होने पर नागनी माता ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए तथा उसे नाले में दूध की नदी दिखाई दी। सुबह उठकर उसने वास्तविक रूप में इस जगह पर दूध की नदी बहती देखी जोकि वर्तमान में मंदिर के साथ बहते नाले के रूप में है। माता ने कहा कि इस नदी में नहाने व यहां की मिट्टी शरीर पर लगाने से उसका कुष्ठ रोग दूर हो जायेगा। । उसने यहां पर स्नान किया व मिट्टी का लेप अपने जख्मों पर किया जिसके बाद उसका कोढ़ रोग ठीक हो गया। उसी ने ही अपने साथ घटित इस घटना बारे सभी को अपनी आपबीती बताई। जिसके बाद इस स्थान पर अब तक सर्पदंश के अलावा चर्मरोग के लाखों मरीज ठीक हो चुके हैं।
मंदिर की स्थापना को लेकर प्रचलित दंतकथा के अनुसार एक सपेरे ने माता नागनी के मंदिर में आकर उसे धोखे से अपने पिटारे में बंद कर लिया। जब माता ने रात को राजा जगत सिंह को दर्शन दिए तो उसने सपेरे से उसे छुड़ाने की प्रार्थना की। जब वह सपेरा नूरपुर के कंडवाल में रुका तो राजा ने उस सपेरे से नागिन को मुक्त करवाया व भड़वार में पुनः उसको उसके अपने असली स्थान पर पहुंचाया। नागनी माता को नागों की देवी सुरसा माता के नाम से भी जाना जाता है।

 

मेलों के दौरान या बीच- बीच में श्रद्धालुओं को नागनी के रूप में मांँ के साक्षात दर्शन जलधारा में, मंदिर के गर्भगृह में या प्रांगण में होते रहते हैं। कभी उनका रंग तांबे जैसा होता है और कभी स्वर्ण तो कभी दूधिया और कभी पिण्डी के ऊपर बैठी नागनी दिखाई देती है।
बताते हैं कि यहां के राजपूत घराने के पुराने वाशिंदे जोकि ठाकुर मैहता परिवार से संबंध रखते थे, ही इस मंदिर के मुख्य आराधक थे । इन परिवारों की कम से कम 60 पीढ़ियां अब तक इस मंदिर में पुजारी के रूप में अपना दायित्व निभा चुकी हैं। वर्ष 1868 से इन परिवारों के नाम राजस्व रिकॉर्ड में भी मंदिर में पुजारी का मालिकाना हक है। आज भी इस खानदान के 32 परिवार बारी- बारी से मंदिर में पूजा-अर्चना का जिम्मा संभाल रहे हैं।
मार्च, 1971 में स्व0 श्री धजा सिंह के मार्गदर्शन में मंदिर प्रबन्धकारिणी कमेटी का गठन किया गया जोकि इस मंदिर समिति के संस्थापक सदस्य व प्रधान थे। उनके मार्गदर्शन व सभी परिवारों के सहयोग से मंदिर के उत्थान के लिए पूरी समर्पण की भावना से मंदिर का विकास करवाया गया । उनके निधन के बाद भी मंदिर कमेटी ने विकास कार्यों को निरंतर जारी रखा है। कमेटी द्वारा मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
मंदिर के पास से निकलने वाली जलधारा से 4 किलोमीटर की परिधि में पड़ने वाले भड़वार, नागनी, मिंजग्रा, खुशीनगर आदि गाबों को पेयजल आपूर्ति की जाती है। जिससे इस क्षेत्र की हज़ारो की आबादी को प्रतिदिन माँ के आशीर्वाद से पवित्र व स्वछ जल पीने को मिलता है। मां का ही चमत्कार है कि प्रतिदिन हजारों लीटर पानी की जलापूर्ति होने के बावजूद भी भीषण गर्मी पड़ने पर भी यहां कभी पानी की कमी नहीं आती है।
नागनी माता के मेले के दौरान एसडीएम नूरपुर, डॉ सुरिंदर ठाकुर की अगुवाई में नूरपुर प्रशासन, मंदिर कमेटी तथा ग्राम पंचायत, नागनी के सहयोग से मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सभी आवश्यक प्रबंध पूरे कर लिए गए हैं। नायब तहसीलदार , नूरपुर को मेला अधिकारी नियुक्त किया गया है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

Imran Khan invited Aamir Khan and former cricketers Kapil Dev and Sunil Gavaskar to his oath-taking ceremony


Khan’s PTI emerged as the single largest party in the country’s National Assembly after the July 25 election. However, it is short of numbers to form its government independently.


Pakistan’s Prime Minister-in-waiting Imran Khan has invited Bollywood star Aamir Khan and former cricketers Kapil Dev and Sunil Gavaskar to his oath-taking ceremony on August 11, the Pakistan Tehreek-e-Insaf (PTI) announced on Wednesday.

The development came after PTI leaders met Foreign Secretary Tehmina Janjua to discuss which foreign dignitaries could be invited to the PTI chief’s ceremony, leading daily Dawn reported.

Earlier reports said the PTI wished to invite the heads of South Asian Association for Regional Cooperation (Saarc) member states including Indian Prime Minister Narendra Modi as well as China and Turkey. But the party rubbished the reports.

According to Dawn, members of the Pakistan Foreign Office said that calling foreign leaders to the oath taking was “a sensitive matter” and all perspectives needed to be taken into consideration.

On Tuesday, PTI spokesperson Fawad Chaudhry said they would consult the Foreign Office regarding inviting foreign leaders.

“Media speculations about international dignitaries attending PM oath ceremony are not correct. We have sought the advice of Foreign Office on the matter and will decide accordingly,” he had tweeted.

Khan’s PTI emerged as the single largest party in the country’s National Assembly after the July 25 election. However, it is short of numbers to form its government independently.

It is now reaching out to smaller political parties and independent candidates for support to form a coalition government. But it is more or less clear that Khan is all set to become the Prime Minister.

Russia, Pakistan naval cooperation accord causes anxiety in Delhi


A Pakistani spokesperson said the MoU would help expand the existing naval cooperation between the two countries, toiling to find new allies in the region.


In what is causing concern in strategic circles in New Delhi, Russia, the most important defence ally of India, has signed an agreement with Pakistan for naval cooperation.

The MoU between the two countries, which were once considered bitter rivals, was inked during the visit of Pakistan Vice Chief of Naval Staff, Vice Admiral Kaleem Shaukat to the Russian Federation.

A Pakistani spokesperson said the MoU would help expand the existing naval cooperation between the two countries, toiling to find new allies in the region.

The two countries are also believed to have exchanged views on professional matters and security situation in the Indian Ocean.

The MoU comes close on the heels an accord between the two countries in April to enhance cooperation in the training of armed forces personnel in the naval field and conduct of wide range of joint military exercises.

Pakistan has lately been turning towards Russia in terms of military support after US President Donald Trump halted the aid to the country in his new year’s tweet.

India has been quite concerned over Moscow’s growing fondness for Pakistan, especially in the defence field since most of the military equipment with Indian forces is of the Russian origin.

A source, who did not wish to be identified, said India had already conveyed its view on Russia’s cooperation with Pakistan to Moscow. ‘’We have a special and strong relationship with Russia…they (Russians) have assured us that they will not do anything inimical to our interests,’’ the source added. Moscow has also assured New Delhi that it would not sell any arms to Pakistan.

Russia had for the first time conducted a joint military exercise with Pakistan in September 2016 focusing on counter-terrorism operations. Thereafter, it also conducted its first-ever foreign office level consultations with Pakistan on regional issues in December 2016, much to the discomfiture of New Delhi.

India is also disturbed that both Russia and Pakistan are on the same page as far as dealing with the Taliban in Afghanistan is concerned.

Shortage of over 9,000 officers in Indian Armed Forces


The Indian Army alone is short of 7,298 officers, Minister of State for Defence Subhash Bhamre said in a written reply in the Lok Sabha.


The Indian Army, the Navy and Air Force are facing a shortage of more than 9,000 officers, the government said on Wednesday.

The Indian Army alone is short of 7,298 officers, Minister of State for Defence Subhash Bhamre said in a written reply in the Lok Sabha.

He said the Army has an authorised strength of 49,933 officers but as on January 1, 2018 it had only 42,635.

The Indian Army is considered the second largest army in the world with 1.4 million officers and others, according to the World Atlas 2018 report.

The Indian Navy has a sanctioned strength of 11,352 officers but has only 9,746 – a shortage of 1,606, according to data as on July 1, 2018.

Similarly, the Air Force’s authorised strength of officers is 12,584 but it has only 12,392 and is short of 192.

The minister said recruitment in the Armed Forces was a continuous process and the government was taking a number of measures to reduce the shortages.

“These include sustained image projection, participation in career fairs and exhibitions and publicity campaign to create awareness among the youth on the advantages of taking up a challenging and satisfying career.”

The government, he said, had as well taken various steps to make Armed Forces’ jobs attractive including improvement in promotion prospects.

“To attract youth including the rural youth to join the Armed Forces various steps are taken such as giving wide publicity to recruitment in the Armed Forces through advertisement in print and audio-visual media.

“Recruitment of Personnel Below Officers Ranks (PBORs) in the Army is carried out through open rally system being conducted regularly throughout the country. Efforts are made to cover the entire country including remote and tribal areas.”

In the Navy, the minister said, regular recruitment drives are also undertaken for recruitment of sailors.

Recruitment of Airmen in the Air Force is done on all India basis through scheduled selection tests as recruitment rallies are also conducted in different parts of the country including tribal areas.

SC reserves order on pleas against ban on entry of women at Sabarimala

A view of the Lord Ayyappa temple at Sabarimala, Kerala. File | Photo


A five-judge Constitution Bench has asked the counsels of both sides to compile the submissions and submit before these within seven days


The Supreme Court on Wednesday reserved its verdict on a batch of pleas challenging the ban on entry of women in the age group of 10-50 into the Sabarimala temple in Kerela.

A five-judge Constitution Bench headed by Chief Justice Dipak Misra asked the counsels of both sides to compile the submissions and submit before these within seven days.

“We will pass orders. Judgment reserved. Hearing concluded. Advocate on Record of both the sides will collect written submissions and compile it and submit before the court in seven days,” the Bench also comprising Justices R.F. Nariman, A.M. Khanwilkar, D.Y. Chandrachud and Indu Malhotra said.

The apex court had on July 31 said that the constitutional scheme prohibiting exclusion has “some value” in a “vibrant democracy”.

The court was hearing a batch of pleas filed by petitioners Indian Young Lawyers Association and others.

The Kerala government, which has been changing its stand on the contentious issue of women of a particular age group entering the Sabarimala temple, on July 18 told the Supreme Court that it now favours their entry.

The apex court had on October 13, 2017, referred the issue to a Constitution Bench after framing five “significant” questions including whether the practice of banning entry of women into the temple amounted to discrimination and violated their fundamental rights under the Constitution.

Bill to restore arrest provision in SC/ST act gets cabinet nod


The preamble of the amendment says that the decision to arrest or not to arrest cannot be taken away from the investigating officer


Under attack from the opposition, Dalit groups and its allies, the Modi government on Wednesday decided to restore a provision of the SC/ST Act allowing the arrest of an accused without preliminary enquiry or prior approval that was recently struck down by the Supreme Court.

The Scheduled Castes and the Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities) Amendment Bill, 2018 to amend the original law of 1989 was approved by the Union Cabinet and is likely to be introduced in the ongoing monsoon session of Parliament to make it a law.

The preamble of the amendment says that the decision to arrest or not to arrest cannot be taken away from the investigating officer, a power given under the criminal procedure code in which there is no provision for a preliminary inquiry.

Under the new provision, no preliminary inquiry will be required for registering an FIR against an accused and arrest of a person accused under the SC/ST act and this will not require any approval. The provision of anticipatory bail shall not be available to an accused notwithstanding any court judgment.

The cabinet decision was made public by Union Consumer Affairs Minister Ram Vilas Paswan, whose party Lok Janashakti Party (LJP) had virtually set an ultimatum of August 9 for making changes in the law over which Dalit organisations have threatened to hold protests on August 9.

However, at a media briefing on the cabinet decisions, Law Minister Ravi Shankar Prasad refused to go into details of the proposed bill, saying Parliament was in session and parliamentary traditions didn’t allow him to speak over policy matters.

He, however, asserted that the government would go to any extent to protect the interests of Scheduled Castes and Scheduled Tribes.

The apex court on March 20 struck down the provision that made an immediate arrest of an accused under the 1989 law mandatory. The court said any arrest would be made only after a preliminary probe and prior approval of by an officer of the rank of Deputy Superintendent of Police.

The controversial judgment infuriated various Dalit groups, triggering a nationwide agitation. Some NDA Dalit MPs and leaders spoke openly against the judgment which forced the government to file for a review in the top court.

The opposition alleged the BJP-led government was anti-Dalit and had not done enough to get the court order reviewed.

Paswan, the LJP chief, put the government on notice, saying the party would launch a protest if the law was not amended. Another Union minister, Ramdas Athawale, also demanded that a bill is brought in to restore the original provisions of the Act.

The row deepened further when the government appointed Justice A.K. Goel, who pronounced the March 20 judgment in the SC/ST Act case, as the chairman of the National Green Tribunal. Paswan had also demanded his removal. Asked about Justice Goel’s removal, Paswan said the issue is settled with the proposed amendment.

He said it was a historic decision taken by Prime Minister Narendra Modi.

“It was a challenge for us. People’s sentiments were negative. There were two options. Either to bring an ordinance to restore the orginal Aact  or to bring a new Bill.

“The Bill is approved by the Cabinet. We will introduce the bill in Parliament as soon as possible. We expect it will be passed with consensus…Whoever opposes will be vanquished.”

“I am sad that no one from the opposition discusses the issue. (The Bill) is a slap on the face of those who have been criticising the Modi government as being anti-Dalit.”

प्रदेश में काग्रेंस की सरकार बनने पर कर्मचारियों को *”क़ानून सम्मत”* तरीक़े से नियमित किया जाएगा: सुरजेवाला


यह कानून सम्मत क्या होता है?

क्या मौजूदा सरकार गैर कानूनी काम कर रही है?


चंडीगढ़ :

वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित हरियाणा रेगुलराइजेशन एक्ट के प्रस्ताव को कर्मचारी विरोधी बताते हुए इसमें प्रदेश सरकार के सभी विभागों, विश्वविद्यालयों और बोर्ड, कॉर्पोरेशन में कार्यरत कर्मचारियों को शामिल करने की माँग की है।

श्री सुरजेवाला ने कहा कि रेगुलराइजेशन एक्ट का प्रस्तावित मसौदा भ्रामक और कोरा ढोंग है, जिससे केवल कुछ चुनिन्दा कर्मचारियों को ही लाभ मिलेगा और हजारों कर्मचारी नियमित होने से वंचित रह जाएंगे।उन्होंने कहा कि प्रस्तावित बिल में कर्मचारियों को विभिन्न शर्तें लगाकर रेगुलर नहीं किया जा रहा है।

हरियाणा रेगुलराइजेशन एक्ट के प्रस्ताव को प्रदेश के कर्मचारियों के साथ गहरा धोखा बताते हुए श्री सुरजेवाला ने कहा कि इस प्रस्ताव से एक बार फिर साबित हो गया है कि प्रदेश कि खट्टर सरकार को प्रभावित कच्चे कर्मचारियों से कोई सरोकार नहीं है तथा सरकार ने जानबूझकर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष कर्मचारियों का केस कमज़ोर किया था, जिसके चलते हज़ारों कर्मचारियों का भविष्य धूमिल हो गया।

श्री सुरजेवाला ने सरकार से मांग की है कि सरकार मानसून सत्र के पहले ही दिन विधानसभा में सभी कर्मचारियों को नियमित करने का संशोधित बिल लेकर आए।यदि सरकार सभी विभागों में कार्यरत कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने का कानूनसम्मत कानून का प्रस्ताव लाती है तो कांग्रेस पार्टी उसे पूर्ण रूप से अपना समर्थन देगी।

श्री सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने शासनकाल में इन कर्मचारियों को नियमित करने के लिए पॉलिसी बनाकर उन्हें नियमित किया था। लेकिन कर्मचारियों के सरोकारों से कोसों दूर इस निकम्मी भाजपा सरकार ने उस पॉलिसी की जानबूझकर कमजोर पैरवी की और हाई कोर्ट के समक्ष कमजोर तथ्य रखे, जिसके कारण हाईकोर्ट द्वारा यह पॉलिसी रद्द की गई थी और अब प्रदेश के कर्मचारियों और कांग्रेस पार्टी द्वारा दवाब बनाने पर सरकार केवल आंखों में धूल झोंकने का प्रयास कर रही है।

श्री सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हरियाणा के सभी अस्थाई कर्मचारियों के साथ खड़ी है। यदि सरकार सभी कर्मचारियों को नियमित करने का फैसला नहीं लेती है तो कांग्रेस पार्टी इस जनविरोधी सरकार की वायदाखिलाफी के खिलाफ विधानसभा में अपना विरोध दर्ज करवाएगी और चुनाव के बाद प्रदेश में काग्रेंस की सरकार बनने पर सरकार के विभिन्न विभागों, विश्वविद्यालयों और बोर्ड, कॉर्पोरेशन में कार्यरत डेलीवेजर कर्मचारियों को क़ानून सम्मत तरीक़े से नियमित किया जाएगा।