काल्का शताब्दी हादसे में कट मरीं 20 गायें

नई दिल्ली:

दिल्ली में बुधवार शाम एक बेहद दर्दनाक हादसे में कालका शताब्दी एक्सप्रेस से कटकर 20 गाय की मौत हो गई| ये हादसा उस वक्त हुआ जब कालका शताब्दी होलंबी कलां स्टेशन से नरेला की ओर जा रही थी| इसी समय गायों का एक झुंड रेल ट्रेक पर आ गया|

रिपोर्ट के अनुसार ट्रेन ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाया, लेकिन चूंकि ट्रेन अपनी फुल स्पीड में थी, इसलिए उसे इतनी जल्दी रोकना संभव नहीं था| फुल स्पीड में ही ट्रेन गायों के झुंड के ऊपर से गुजर गई| दुर्घटना के बाद रेलवे स्टाफ मौके पर पहुंचा और उन्होंने ट्रैक को साफ कराया| यह दुर्घटना शाम पौने छह बजे के आसपास हुई|

उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी नितिन चौधरी ने बताया कि ड्राइवर ने गायों को ट्रैक पर देखकर इमरजेंसी ब्रेक लगाई| इसके बावजूद चूंकि ट्रेन फुलस्पीड में थी, इसलिए गायों को बचाया नहीं जा सका| दुर्घटना का दृश्य इतना भयावह था कि इसे देख लोंगो दिल दहल गया|

‘स्टेच्यू आॅफ यूनिटी’ के लिये सरकारी कंपनियों की ओर से सामाजिक कार्पोरेट उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत धनराशि उपलब्ध कराना गलत : सीएजी

नयी दिल्ली :

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने गुजरात में नर्मदा के मुहाने पर स्थापित की जा रही सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 फुट ऊंची प्रतिमा ‘स्टेच्यू आॅफ यूनिटी’ के लिये सरकारी कंपनियों की ओर से सामाजिक कार्पोरेट उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत धनराशि उपलब्ध कराने को गलत बताया है तथा इसे निर्धारित प्रावधानों का उल्लंघन करार दिया है।

कैग की संसद में पेश एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च 2017 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में प्रतिमा और संबंधित स्थल का निर्माण करने के लिए पांच केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों ने 146.83 करोड़ रुपए की धन राशि सीएसआर के तहत उपलब्ध कराई है। इनमें से तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम ने 50 करोड रुपए, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम निगम लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपए, भारत पेट्रोलियम निगम लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपए, इंडियन आॅयल निगम लिमिटेड ने 21.83 करोड़ रुपए, और ऑयल इंडिया लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपए की राशि दी है।

रिपोर्ट के अनुसार सभी कंपनियों ने इस सीएसआर राशि को ‘राष्ट्रीय ऐतिहासिक परिसंपत्तियों, कला तथा संस्कृति का संरक्षण’ के तहत दर्शाया है। कैग का कहना है कि इस परियोजना में कंपनियों के योगदान को कंपनी अधिनियम 2013 की सातवीं अनुसूची के अनुसार सीएसआर नहीं माना जा सकता क्योंकि यह ऐतिहासिक परिसंपत्ति नहीं है।

गुजरात सरकार ने सरदार पटेल की याद में प्रतिमा बनाने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट संगठन की स्थापना की है। इस संगठन ने ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ परियोजना की शुरुआत की। अक्टूबर 2018 तक पूर्ण होने के लक्ष्य के साथ 2989 करोड़ रुपए की इस परियोजना का ठेका अक्टूबर 2014 में लार्सन एंड टूब्रो को दिया गया।

चुनाव से 1 घंटा पहिले नितीश ने केजरीवाल से मांगा सहयोग


राज्य सभा में उप-सभापित पद के होने वाले चुनाव से कुछ घंटे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार की देर रात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से बात की और पार्टी उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह के लिए आम आदमी पार्टी का समर्थन मांगा।


नई दिल्ली: 

‘आप’ नेता एवं राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल को फोन किया और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उम्मीदवार के लिए ‘आप’ का समर्थन मांगा।

उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस ‘आप’ का समर्थन नहीं लेना चाहती हैं, तो ‘आप’ राज्य सभा में उप-सभापति पद के लिए होने वाले मतदान का बहिष्कार करेगी।

उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी को उनके उम्मीदवार के लिए हमारे समर्थन की जरुरत नहीं हो, तो आम आदमी पार्टी के पास मतदान का बहिष्कार करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है।

उल्लेखनीय है कि राज्य सभा में उप-सभापति पद के लिए आज सुबह 11 बजे मतदान होगा और ‘आप’ ने राजग उम्मीदवार को वोट नहीं देने की घोषणा की है

सुधांशु जैन: और आशीष तिवाड़ी को जूस पीला कर अनशन तुड़वाया


केईडीएल कम्पनी और सरकार की मिलीभगत के कारण की जा रही गड़बड़ियों में सुधार किए जाने की मांग को लेकर बीते चार दिन से अनशन कर रहे कार्यकर्ताओं को भारत वाहिनी की युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष सुधांशु जैन और प्रदेश पदाधिकारी आशीष तिवाड़ी ने ज्यूस पिलाकर अनशन तुड़वाया।


कोटा:

युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष सुधांशु जैन ने बताया कि कोटा शहर अध्यक्ष मनीष शर्मा और युवा वाहिनी अध्यक्ष अभिनव शर्मा दोनों पदाधिकारी पिछले 4 दिनों से केईडीएल कम्पनी और सरकार की मिलीभगत के कारण की जा रही गड़बड़ियों में सुधार किए जाने की मांग को लेकर अनशन कर रहे थे। दोनों को ज्यूस पिलाकर अनशन तुड़वाया।

वाहिनी के प्रदेश पदाधिकारी आशीष तिवाड़ी ने कहा कि इस सरकार में कोई भी सुनने वाला नहीं है। आदरणीय घनश्याम तिवारी अपने कार्यकर्ताओं की बहुत चिंता करते हैं। इसलिए उन्होंने आदेश दिया है कि अनशन को समाप्त करके जन-जन तक इस मुद्दे को लेकर जाएं।

चुनाव में ही जनता इस सरकार को जवाब देगी। उन्होंने आगे कहा कि भारत वाहिनी पार्टी राजस्थान में ऊर्जा स्वाधीनता का कार्य करेगी, जिसमें किसानों और घरेलू बिजली को शुल्क मुक्त किया जाएगा।

युवा वाहिनी के प्रदेश संगठन महामंत्री अंकित शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार आजादी से पहले भगत सिंह, राजगुरु और अन्य क्रांतिकारियों ने जेल में अनशन किया था। आज वैसी ही तानाशाही सरकार, राजस्थान के अंदर बनी हुई है। इसके लिए 4 दिन से दो कार्यकर्ता अनशन पर बैठे लेकिन इस सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।

इस दौरान युवा वाहिनी के प्रदेश प्रवक्ता कविराज सेठी, मनीष सिंघानिया, सुनीश शशि, अजय भट्ट और वाहिद मुलतानी समेत अनेक कार्यकर्ता अनशन स्थल पर मौजूद थे।

घनश्याम तिवाडी को लेकर बीजेपी प्रदेश में पैदा कर रही है भ्रम की स्थिति

जयपुर। भारत वाहिनी पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य बुद्धि प्रकाश बैरवा ने कहा कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व राजस्थान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के काले कारनामे से वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव वसुंधरा राजे के नेतृत्व में लड़ने से न केवल विधानसभा चुनाव बल्कि लोकसभा चुनाव में भी हार सुनिश्चित है।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व को डर है कि वसुंधरा राजे केंद्रीय नेतृत्व के पुराने काले कारनामे उजागर कर सकती है, इसी कारण वो वसुंधरा राजे पर कार्यवाही करने से डर रहे हैं।

डॉ बुद्धि प्रकाश बैरवा ने कहा कि घनश्याम तिवाड़ी भाजपा से त्यागपत्र दे चुके हैं और भाजपा आलाकमान के पास राजस्थान में वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर घनश्याम तिवाड़ी के अलावा कोई नेता नहीं है। अत: केंद्रीय नेतृत्व को डर है कि राजपूत-एससी समाज की नाराजगी के बाद कहीं ब्राह्मण समाज भी पार्टी से नाराज हो जाए ओर पार्टी का मूल वोट बैंक खिसक जाये।

प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य डॉ बैरवा ने कहा कि प्रदेश की जनता में भाजपा भ्रम की स्थिति पैदा करना चाहती है कि घनश्याम तिवाड़ी अब भी भाजपा में ही हैं। जबकि उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि नई पार्टी बनाकर उसकी सदस्यता ग्रहण करते ही पुरानी पार्टी की सदस्यता स्वत: ही समाप्त हो जाती है। आम जनता भाजपा के ये नापाक मंसूबे जान चुकी है और अब भारत वाहिनी पार्टी व घनश्याम तिवाड़ी को समर्थन देने का मन बना लिया है।

चालक ही नहीं सवार भी होगा मुआवजे का हकदार, दिलाये 17 लाख : कलकत्ता हाइ कोर्ट

मोटर साइकिल के पीछे बैठने वाले यात्री की दुर्घटना में मौत होने पर मुआवजा नहीं मिलेगा। बीमा कंपनी के इस दावे को कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायधीश दीपंकर दत्त और प्रतीक प्रकाश बंदोपाध्याय की खंडपीठ ने खारिज करते हुए कहा कि यह तर्क मानने पर थर्ड पार्टी इंशोरेंस व्यवस्था को ही नकारा जाएगा। उस यात्री को किसी भी हालत में बीमा कंपनी की ओर से दिए गए तर्क बगैर पैसे के यात्री मानने से अदालत ने इंकार कर दिया। इस मामले में एतिहासिक फैसला सुनाते हुए अदालत ने यात्री की मौत के लिए और 17 लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने का निर्देश दिया।

मालूम हो कि मोटरसाइकिल सवार के दुर्घटनाग्रस्त होने और इस दौरान लोगों के मरने का सिलसिला लगातार जारी है। ऐसे माहौल में अदालत का फैसला अभूतपूर्व माना जा रहा है। 01 अक्टूबर 2006 को 24 वर्षीय कुमार संभव बसु हुगली जिले के शेवड़ाफुली के जीटी रोड पर दुर्घटनाग्रस्त हुए थे। एक टाटा 407 ने उनकी मोटर साइकिल को धक्का मार दिया था। श्रीरामपुर के वाल्स अस्पताल में उसे मृत घोषित किया गया। मृतक की मां उमा और पिता सुमन बसु ने मोटर व्हीकल्स क्लेमस ट्राइब्यूनल में कम से कम 15 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति का दावा किया था। लेकिन ट्राइब्यूनल की ओर से सात लाख रुपए से कुछ ज्यादा रकम मंजूर की गई। लेकिन ट्राइब्यूनल और बीमा कंपनी ने अलग-अलग कारणों से इसे हाईकोर्ट में चैलेंज किया।

अदालत में कहा गया कि मरने वाले की मासिक आय 15 हजार रुपए होने पर भी बीमा संस्था के मुताबिक ट्राइब्यूनल ने उसे आठ हजार रुपए माना है। मरने के भविष्य के बारे में किसी तरह का मुल्यांकन नहीं किया गया। तय रकम पर ब्याज नहीं जोड़ा गया। परिवार की ओर से चालक पर लापरवाही से गाड़ी चलाने का आरोप लगाया गया था। लेकिन बीमा संस्था का कहना था कि अभियुक्त की गाड़ी का सही परमिट नहीं था, चालक का ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, मरने वाले का वेतन कम था, यहां तक कि मरने वाला युवक मोटरसाइकिल का बिना पैसे का यात्री था।

हालांकि अदालत की ओर से सारे दावे खारिज करते हुए कहा गया कि कहीं भी यह साबित नहीं हुआ है कि मोटरसाइकिल सवार युवक जबरन मोटर साइकिल पर सवार हुआ था या मोटरसाइकिल चालक से जबरन सुविधा हासिल की थी। थर्ड पार्टी इंशोरेंस के मुताबिक पिलियन राइडर्स को किसी भी तरह बिना पैसे का यात्री नहीं माना जा सकता है। इसलिए अदालत की ओर से मृतक के परिवार वालों को 24 लाख 74 हजार 289 रुपए क्षतिपूर्ति के तहत देने का निर्देश दिया गया। इसके साथ ही अदालत की ओर से कहा गया कि पहले जितने रुपए युवक के परिवार वालों को मिल चुके हैं, उसे घटा कर बाकी 17 लाख 66 हजार 289 रुपए का मुआवजा प्रदान किया जाए। इसके साथ ही 15 फरवरी 2007 से बकाया और प्रदान की गई रकम पर 7.5 फीसद की दर से ब्याज भी प्रदान किया जाए।

देश में बुनियादी शिक्षा केवल भारतीय भाषाओं में ही दी जानी चाहिए: उपराष्‍ट्रपति एम• वेंकैया नायडू

 

उपराष्‍ट्रपति एम• वेंकैया नायडू ने कहा है कि देश में बुनियादी शिक्षा केवल भारतीय भाषाओं में ही दी जानी चाहिए। श्री नायडू मंगलवार 07 अगस्त 2018 को ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी के सातवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर हरियाणा के राज्‍यपाल कप्‍तान सिंह सोलंकी, दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय की कार्यवाहक मुख्‍य न्‍यायाधीश न्‍यायमूर्ति गीता मित्‍तल तथा अन्‍य गणमान्‍य लोग भी उपस्थित थे।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्‍य सिर्फ बच्‍चों में कौशल विकास और ज्ञान बढ़ाकर उन्‍हें वर्तमान और भविष्‍य की चुनौतियों का मुकाबला करने में सक्षम बनाना ही नहीं होना चाहिए बल्‍कि इसके जरिए उनमें मानवीय मूल्‍य, सहनशीलता, नैतिकता और सद्भावना जैसे गुणों का समावेश भी किया जाना चाहिए।

लोगों के जीवन में शिक्षा के महत्‍व पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इसके जरिए लोगों की प्रतिभाओं को उजागर कर उनके समग्र व्‍यक्तित्‍व का विकास किया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि‍ दृढ़ नैतिक मूल्‍यों वाला व्‍यक्ति कभी भी अपनी सत्‍यनिष्‍ठा के साथ समझौता नहीं करेगा। शिक्षा वह मजबूत आधार है जिसपर किसी भी देश और उसके जनता की प्रगति निर्भर करती है।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि शिक्षा प्रणाली के जरिए सिर्फ उत्‍कृष्‍टता के नए मनादंड ही नहीं तय किए जाने चाहिए बल्कि दूसरों के प्रति सद्भाव और साझेदारी का दृष्टिकोण भी विकसित किया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि‍ शिक्षा एक व्‍यापक सोच का सृजन करती है और प्रकृति के साथ चलने की जरुरत पर बल देती है। उन्‍होंने कहा कि‍ आज के भौतिकतावादी और वैश्‍वीकरण के दौर में ‘हमें ऐसी ही शिक्षा की आवश्‍यकता है’।

श्री नायडू ने कहा कि समय आ गया है कि भारत एक बार फिर से अपनी क्षमताओं को पहचान कर दुनिया में ज्ञान और नवाचार का बड़ा केन्‍द्र बनकर उभरे। उन्‍होंने कहा कि‍ शिक्षा प्रणाली में व्‍यापक सुधार कर ‘हमें अकादमिक उत्‍कृष्‍टता के लिए एक अनुकूल माहौल बनाना होगा’।

‘2022 एजेंडे’ के अनुसार भारत वर्ष 2022 से पहले भी स्वच्छ ऊर्जा के अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है: राजकुमार सिंह

भारत सरकार के विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राज कुमार सिंह ने कहा कि भारत के सतत विकास के लिए उद्योग जगत और सरकार को निश्चित रूप से आपस में भागीदारी करनी चाहिए। राज कुमार सिंह नीति आयोग, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा 8 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित सरकार-उद्योग जगत साझेदारी सम्मेलन के दौरान सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर नीति आयोग और सीआईआई की साझेदारी के शुभारंभ के अवसर पर बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि सतत विकास के लिए तीन चीजों की सबसे अधिक अहमियत है, जिनमें ऊर्जा, जल और पुनरुत्पादक (सर्कुलर) अर्थव्यवस्था/हरित उद्योग शामिल हैं। ‘2022 एजेंडे’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने विश्वास जताया कि भारत वर्ष 2022 से पहले भी स्वच्छ ऊर्जा के अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि वे पर्यावरण के प्रति सजग एवं जवाबदेह बनें।

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने अपने संबोधन में ऐसे समय में भारत में तेज गति से हो रहे शहरीकरण पर प्रकाश डाला, जब कई देश जैसे कि अमेरिका और यूरोप पहले ही इस प्रक्रिया से लगभग पूरी तरह गुजर चुके है। अमिताभ कांत ने देश की आबादी का उल्लेख करते हुए कहा कि सतत रूप से विकास करने का एकमात्र तरीका यही है कि प्रौद्योगिकी का समुचित उपयोग किया जाए। इसके तहत नवीन एवं नवीनकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने, अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) को बढ़ावा देने, इलेक्ट्रिक वाहनों, हाइड्रोजन कारों, इत्यादि की मांग बढ़ाने के लिए नवाचार करने और विश्व भर के लोगों के लिए विभिन्न समस्याओँ का स्थानीय समाधान ढूंढ़ने पर विशेष जोर दिया गया।

इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक यूरी अफानासीव ने कहा कि भारत की प्रकृति, इतिहास एवं आबादी के स्वरूप को देखते हुए यहां की परिस्थितियां टिकाऊ एवं पुनरुत्पादक अर्थव्यवस्था के लिए ऐसे ठोस समाधान ढूंढ़ने की दृष्टि से अनुकूल हैं जिनकी पुनरावृत्ति पूरी दुनिया कर सकती है।

सीआईआई के अध्यक्ष एवं भारती एंटरप्राइजेज लिमिटेड के उपाध्यक्ष राकेश भारती मित्तल ने विशेष जोर देते हुए कहा कि सीआईआई 2018-19 की वर्तमान थीम ‘भारत का अभ्युदयः उत्तरदायी, समावेशी, सतत’ वास्तव में सतत विकास एजेंडे के अनुरूप है।

भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चन्द्रजीत बनर्जी ने कहा कि सीआईआई के 9 उत्कृष्ट केन्द्र काफी हद तक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप हैं।

सीआईआई और नीति आयोग ने आपस में तीन वर्षों के लिए साझेदारी की है और इस संबंध में एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। इस साझेदारी के तहत विशिष्ट गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है जिनका उद्देश्य इन्हें विकसित करना है-

1. एसडीजी में योगदान हेतु कारोबारियों और उद्योगों के लिए विजन एवं कार्यकलाप एजेंडा

2. वार्षिक स्थिति रिपोर्ट

3. क्षेत्र विशिष्ट सर्वोत्तम प्रथाओं से जुड़े दस्तावेज।

इस अवसर पर नीति आयोग के सलाहकार डॉ• अशोक कुमार जैन ने इस साझेदारी के बारे में विस्तार से बताया और अभिनव पहलों के लिए सीआईआई की सराहना की।

सीआईआई ने ‘एसडीजी की प्राप्ति हेतु पूरी दुनिया के लिए भारतीय समाधान’ नामक रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में प्रत्येक एसडीजी और कारोबारी निहितार्थों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस रिपोर्ट में उदाहरण देते हुए यह बताया गया है कि किस तरह से कंपनियों ने अपनी कारोबारी रणनीति में एसडीजी से जुड़ी रूपरेखा को शामिल किया है और इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कंपनियों ने किस तरह से ठोस प्रयास किए हैं।

सम्मेलन में अनेक प्रतिष्ठित प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, विद्युत मंत्रालय, नवीन एवं नवीनकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारीगण तथा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं गुजरात जैसे अनेक राज्यों के सरकारी प्रतिनिधि शामिल हैं।

‘जल बचाओ, वीडियो बनाओ, पुरस्कार पाओ’ विजेताओं के नाम घोषित

जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय ने ‘जल बचाओ, वीडियो बनाओ, पुरस्कार पाओ’ के पहले पखवाड़े के विजेताओं के नाम घोषित कर दिए हैं। यह प्रतियोगिता 10 जुलाई, 2018 को शुरू हुई थी। 10 जुलाई से 24 जुलाई, 2018 की अवधि के लिए वाराणसी के श्रेष्ठ साहू, भोपाल के सतीश मेवाड़ा और बोकारो के गोपाल कुमार प्रजापति ने क्रमश: पहला, दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया। विजेताओ को क्रमश: 25 हजार रुपये, 15 हजार रुपये और 10 हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।

‘जल बचाओ, वीडियो बनाओ, पुरस्कार पाओ’ की शुरूआत मंत्रालय ने भारत सरकार के माय-गव पोर्टल के सहयोग से किया था। इसका उद्देश्य लोगों में जल संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना है। प्रतियोगिता में कोई भी भारतीय नागरिक हिस्सा ले सकता है। उसे इस विषय पर एक मौलिक वीडियो बनाना जरूरी है। इसके बाद उन्हें यू-ट्यूब पर वीडियो अपलोड करना होगा और उसका लिंक माय-गव के www.mygov.in. के वीडियो लिंक सेक्शन पर देना होगा। इस वर्ष 4 नवंबर तक हर पखवाड़े में तीन विजेता चुने जाएंगे।

पहले पखवाड़े में प्रतियोगिता संबंधी प्रतिक्रिया बहुत अच्छी थी और ये देखकर बहुत प्रोत्साहन मिलता है कि पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के विजेता देश के विभिन्न भागों से आते हैं। माय-गव को कुल 431 प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं, जिनमें से 38 वीडियो को चुना गया था। चयनित वीडियो की जांच के बाद विभिन्न मानदंडों के आधार पर सर्वश्रेष्ठ तीन वीडियो चुने गये। रचनात्मकता, मौलिकता, तकनीकी श्रेष्ठता, वीडियो की गुणवत्ता और उनका श्रव्य प्रभाव इत्यादि के आधार पर प्रतिभागियों का मूल्यांकन किया गया।

जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय भारतवासियों से अपील करता है कि वे जल संरक्षण, आदर्श जल उपयोग, जल संसाधन विकास और प्रबंधन के विषय में किये जाने वाले प्रयासों, महत्वपूर्ण योगदानों और उत्तम व्यवहारों पर वीडियो बनाकर अपलोड करें। प्रतिभागियों से आग्रह किया जाता है कि वे केवल मौलिक वीडियो ही अपलोड करें। जल संरक्षण पर अभिनव विज्ञापनों इत्यादि का भी स्वागत है। वीडियो न्यूनतम 2 मिनट से लेकर 10 मिनट की अवधि तक होना चाहिए। वे हिंदी, अंग्रेजी या अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में हों तथा भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1957 या तीसरे पक्ष के बौद्धिक संपदा अधिकारों के किसी प्रावधान का उल्लंघन न करते हों।

पूर्वोत्तर भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन की समीक्षा

 

पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय में सचिव परमेश्वरन अय्यर ने मंगलवार 07 अगस्त को गुवाहाटी में आयोजित एक क्षेत्रीय कार्यशाला में समस्त पूर्वोत्तर राज्यों में स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण (एसबीएम-जी) के क्षेत्र में हुई प्रगति की समीक्षा की। असम, मणिपुर, नगालैंड और त्रिपुरा के वरिष्ठ सरकारी प्रतिनिधियों ने स्वच्छ भारत के लिए तय 2 अक्टूबर, 2019 के राष्ट्रीय लक्ष्य से पूरे एक साल पहले ही अक्टूबर, 2018 तक ‘ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्त) पूर्वोत्तर’ का लक्ष्य पाने के लिए अपने द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों पर विचार-विमर्श किया। इस क्षेत्र के तीन ओडीएफ राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम ने अपनी-अपनी उपलब्धियों को बनाए रखने के लिए स्वयं द्वारा उठाए गए कदमों पर विचार-विमर्श किया। इसके साथ ही इन तीनों ओडीएफ राज्यों ने ठोस एवं तरल अपशिष्ट के प्रबंधन के जरिए ‘ओडीएफ’ से भी आगे निकल कर ‘ओडीएफ+’ बनने की दिशा में उठाए गए कदमों की भी चर्चाएं कीं।

इससे पहले सचिव परमेश्वरन अय्यर ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से भेंट की और स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण के क्षेत्र में असम में हुई प्रगति पर विचार-विमर्श किया। सचिव ने राज्य सरकार को एसबीएम-जी के क्षेत्र में भारत सरकार की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया, जिसमें समयबद्ध ढंग से संबंधित धनराशि उपलब्ध कराना भी शामिल है। मुख्यमंत्री ने 2 अक्टूबर, 2018 तक ‘ओडीएफ असम’ के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए राज्य की प्रतिबद्धता दोहराई।

इस बैठक के बाद असम की मुख्य सचिव टी• वाई• दास और पेयजल एवं स्वच्छता सचिव ने वीडियो क्रांफ्रेंसिंग के जरिए राज्य के सभी जिलाधिकारियों के साथ एसबीएम-जी की विस्तृत समीक्षा की। मुख्य सचिव ने इस मिशन में लोगों विशेषकर महिलाओं की सहभागिता की अहमियत दोहराई। उन्होंने जिलाधिकारियों से एसबीएम-जी से संबंधित प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) के क्षेत्र में हुई प्रगति की समवर्ती सूचना प्रेषण सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने स्कूल एवं कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा अपने अभिभावकों को स्वच्छता एवं साफ-सफाई की अहमियत से अवगत कराने के लिए जिलाधिकारियों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने जिलाधिकारियों से आगामी स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण के लिए तैयार रहने को भी कहा, जिसके तहत नागरिकों से प्राप्त ऑफलाइन एवं ऑनलाइन जानकारियों (फीडबैक) सहित गुणात्मक एवं मात्रात्मक पैमानों के आधार पर स्वच्छता को लेकर भारत के सभी जिलों एवं राज्यों की रैंकिंग की जाएगी (sbm.gov.in/ssg2018)।

इस बीच, राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता कवरेज वर्ष 2014 के 39 प्रतिशत से बढ़कर वर्तमान में 89.5 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई है। 4.12 लाख से अधिक गांवों, 421 जिलों, 14 राज्यों और 5 केन्द्र शासित प्रदेशों को पहले ही ‘ओडीएफ’ घोषित किया जा चुका है।

सामाजिक न्‍याय से जुड़े केन्‍द्र सरकार के कानून, इतिहास में दर्ज होंगे : डॉ• जितेन्‍द्र सिंह

पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन और परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष मंत्रालय में राज्‍यमंत्री डॉ• जितेन्‍द्र सिंह ने कहा है कि सरकार द्वारा सामाजिक न्‍याय के लिए लाया गया कानून इतिहास में दर्ज होगा। उन्‍होंने कहा कि अगस्‍त महीने का पहला सप्‍ताह इस मायने में महत्‍वपूर्ण रहा कि इसी अवधि में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की पहल पर पिछड़ा वर्ग आयोग गठित करने और उसे संवैधानिक दर्जा देने और अनुसूचित जाति/जनजाति कानून की मूल व्‍यवस्‍थाओं को बहाल करने से संबंधित दो ऐतिहासिक विधेयक संसद में पारित किये गये।

डॉ• सिंह ने राष्‍ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्‍यक्ष नंद कुमार साई से मंगलवार 07 अगस्त को हुई मुलाकात के अवसर पर यह बात कही। श्री साई अनुसूचित जाति/जनजाति से संबंधित विधेयक संसद में पारित हो जाने पर सरकार के प्रति अपना आभार व्‍यक्‍त करने श्री सिंह से मिलने आये थे।

श्री सिंह ने इस अवसर पर कहा कि आजादी के तुरंत बाद आज से करीब 60 साल पहले इक्‍का केलकर समिति ने एक ऐसा पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन की सिफारिश की थी जिसे संवैधानिक दर्जा भी प्राप्‍त हो। उन्‍होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने संसद में कानून बनाकर इस दिशा में सफल प्रयास किया है।

उन्‍होंने चार साल पहले प्रधानमंत्री के पदभार ग्रहण करने को याद करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने तभी यह शपथ ली थी कि उनकी सरकार गरीबों और समाज के कमजोर वर्ग के कल्‍याण के लिए समर्पित रहेगी। उन्‍होंने कहा कि पिछले चार वर्षों पर नजर डाले तो अपने इस वायदे को केंद्र सरकार ने नए सुधार और नए कानून लाकर पूरा किया है।