जिस गुरु से करुणानिधि ने राजनीति के गुर सीखे,जीवन के अंत में भी उनका साथ मिल गया.


अंतिम संस्कार के लिए जब राजाजी हॉल से मरीना बीच के लिए करुणानिधि की शवयात्रा निकली तो उनके पीछे लाखों समर्थकों का हुजूम था


पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि को मरीना बीच पर दफनाया गया. करुणानिधि को अंतिम वक्त में अपने राजनीतिक गुरु अन्नदुरई की समाधि के  बगल में ही जगह मिली. जिस गुरु से करुणानिधि ने राजनीति के गुर सीखे,जीवन के अंत में भी उनका साथ मिल गया.

अंतिम संस्कार के लिए जब राजाजी हॉल से मरीना बीच के लिए करुणानिधि की शवयात्रा निकली तो उनके पीछे लाखों समर्थकों का हुजूम था. समर्थकों ने नम आंखों से कलाइग्नर को अंतिम विदाई दी.

करुणानिधि के अंतिम संस्कार में कई राज्यों के मुख्यमंत्री और राजनेता शामिल हुए थे. इनमें में मुख्य रूप से कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, माकपा महासचिव प्रकाश करात, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत कई अन्य नेताओं ने करुणानिधि को श्रद्धांजलि अर्पित की.

केरल के राज्यपाल पी सदाशिवम, मुख्यमंत्री विजयन और विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला के साथ राजाजी हॉल में श्रद्धांजलि देने पहुंचे. चांडी ने कहा, ‘वह हमारे देश के एक दिग्गज नेता और बहुत बढ़िया प्रशासक थे. जब वह मुख्यमंत्री थे, तब वह केरल और केरलवासियों का ध्यान रखते थे. हमारे बीच रहे अच्छे संबंध को मैं याद करता हूं.’

तमिल फिल्म जगत के लोगों ने भी करुणानिधि को श्रद्धांजलि अर्पित की. पेरियार ई वी रामास्वामी के निधन के बाद करुणानिधि ने एक कविता लिखी थी. उस कविता को संवाददाताओं के सामने उद्धृत करते वक्त लेखक और गीतकार वैरामुथु रो पड़े.

उन्होंने कहा, ‘क्या हम ताजमहल के विध्वंस को सिर्फ इसलिए स्वीकार कर सकते हैं कि उसकी संरचना पुरानी हो चुकी है? वही जो करुणानिधि ने पेरियार के निधन पर लिखा था, हम इस तथ्य को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि कलाइग्नर अब नहीं रहें.’

बुधवार सुबह मद्रास हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश ने उनका अंतिम संस्कार मरीना बीच पर करने की इजाजत दे दी थी. हाईकोर्ट का यह फैसला सुनते ही राजाजी हॉल के बाहर जमे हजारों डीएमके में खुशी की लहर दौड़ पड़ी, वहीं करुणानिधि के बेटे और उनके सियासी वारिस स्टालिन की आंखों से आंसू छलक आएं.

अपने नेता के अंतिम दर्शन के लिए राजाजी हॉल के बाहर पार्टी समर्थकों का भारी हुजूम लगा रहा, जो किसी भी तरह दर्शन को आतुर थे. इस दौरान पुलिस को भीड़ पर काबू के लिए लाठीचार्ज भी करना पड़ा. लाठीचार्ज के बाद मची भगदड़ में 3 लोगों की मौत हो गई और करीब 33 लोग घायल हो गए.

डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की. स्टालिन ने इसके साथ कहा, ‘पुलिस हमें सुरक्षा दे या नहीं, लेकिन मैं आपके पैर पकड़कर विनती और विनम्र निवेदन करता हूं कि शांति व्यवस्था बनाए रखते हुए धीरे-धीरे यहां से हट जाएं.’

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