जावा के दीवानों के लिए खुशखबरी, महिंद्रा इस साल एक नई जावा मोटरसाइकिल लॉन्च करेगी

महिंद्रा इस साल एक नई जावा मोटरसाइकिल लॉन्च करेगी। महिंद्रा ग्रुप के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने ट्विटर पर इस न्यूज को कंफर्म किया। एक ट्विटर यूजर द्वारा इस बाइक के ऑफिशियल डेब्यू को लेकर पूछे गए सवाल पर महिंद्रा ने इस डवलपमेंट के बारे में कंफर्म किया। महिंद्रा पिछले कुछ महीनों से सोशल मीडिया साइट्स पर इस लीजेंडरी ब्रांड के बारे में लगातार हिंट दे रहे थे, लेकिन वे अपकमिंग प्रॉडक्ट्स को लेकर बड़ी इंफोर्मेशन नहीं दे रहे थे।

दो साल पहले महिंद्रा ने चेकोस्लोवाकिया बेस्ड कंपनी से क्लासिक लीजेंड्स इंडिया प्राईवेट लिमिटेड के थ्रू भारत और ईस्ट एशियन मार्केट्स में जावा बाइक्स को डवलप और लॉन्च करने के लिए एक डील की थी। ऐसा लग रहा है कि उनका पहला प्रॉडक्ट इस साल के अंत तक इंडियन मार्केट को हिट करने के लिए तैयार हैं। 

व्हाइल फस्र्ट जावा प्रॉडक्ट के बारे में ज्यादा इंफोर्मेशन नहीं है, रूमर्स सजेस्ट कर रही है कि इसमें मोजो की 300सीसी सिंगल सिलेंडर लिक्विड कूल्ड मोटर होगी। यह इंजन अपने रिफाइनमेंट और परफोरमेंस के लिए जाना जाता है। हाउएवर इंडियन मार्केट ने इसका एंजॉय नहीं किया और मोजो नेसेसरी वॉल्यूम जनरेट करने में फेल हो गई।

माना जा रहा है कि महिंद्रा इस इंजन को अपकमिंग जावा बाइज में यूज करेगी, जिससे यह ओवरऑल डवलपमेंट कॉस्ट को रिड्यूस करेगा। कंपनी का प्लान है कि वह इस बाइक से रॉयल एनफील्ड को टक्कर देगी। अनफोच्र्यूनेटली इनिशियल स्टेज पर यह गुड नंबर्स में रिंग नहीं करेगी क्योंकि कंपनी ने अभी तक पैन-इंडिया शोरूम प्रजेंस एस्टेब्लिश नहीं की है।

क्या लंबे समय से चल रहे यौन संबंधों को विवाह के रूप में अच्छा माना जाना चाहिए? सर्वोच्च न्यायालय


कोर्ट ने वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी को भी इस मामले में सहायता करने के लिए नियुक्त किया


क्या लंबे समय से चल रहे यौन संबंधों को विवाह के रूप में अच्छा माना जाना चाहिए? यदि हां, तो इस तरह के रिश्ते की लंबाई क्या होनी चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने यह तय करने में केंद्र सरकार की राय मांगी है. कोर्ट ने कहा कि यदि लंबे समय तक यौन संबंध को ‘वास्तविक शादी’ के रूप में माना जाना चाहिए तो क्या पुरुष पर शादी की कानूनी देनदारियां बढ़ाई जाएं.

जस्टिस आदर्श गोयल और एसए नजीर ने देश के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को एक नोटिस जारी किया है और उनसे संबंधों से उत्पन्न होने वाले कानूनी मामलों को हल करने में अदालत की सहायता के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को नियुक्त करने का अनुरोध किया.

कोर्ट ने वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी को भी सहायता करने के लिए नियुक्त किया. दरअसल बेंच ने नोट किया कि कई मामलों में सामने आया है कि लंबे समय तक यौन संबंध में रहे एक व्यक्ति को रेप के लिए अपराधी नहीं ठहराया जा सकता है लेकिन इस तरह के संबंधों में कुछ देनदारियों को लागू कर सकते हैं.

कोर्ट ने कहा कि किसी भी हालत में लड़की का शोषण नहीं होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट 12 सितंबर को सरकार के विचार सुनेगी. बता दें कि बेंच बलात्कार के आरोपों को रद्द करने की मांग कर रहे एक व्यक्ति की अपील सुन रहा था. वह आदमी कई सालों से एक महिला के साथ यौन संबंध में था लेकिन उससे शादी करने से इनकार कर दिया.

महिला ने आरोप लगाया कि शादी के वादे पर उसके यौन संबंध थे और इस प्रकार, सहमति प्रेरित थी, मुक्त नहीं. सोमवार को बेंच ने इस मुकदमे पर रोक लगा दी और इस मामले में एक और याचिका के साथ इसकी जांच करने का फैसला किया.

बहुविवाह के खिलाफ PIL दायर करने वाली मुस्लिम महिला को मिली जान से मारने की धमकी


समीना बेगम ने निकाह हलाला और बहुविवाह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है. उनका कहना है कि ये लड़ाई सिर्फ उनके लिए नहीं है, बल्कि उन महिलाओं के लिए भी है, जिनके साथ ऐसी घटना हो सकती है


निकाह हलाला और बहुविवाह की प्रथा खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाली मुस्लिम महिला को रेप और जान से मारने की धमकी मिल रही है. कोर्ट में निकाह हलाला के खिलाफ याचिका दायर करने वाली महिला समीना बेगम का आरोप है कि उनपर केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है. जिसके लिए उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई है.

समीना के मुताबिक, वह ओखला विहार में किराये पर घर ढूंढ रही थीं, तभी कुछ लोगों ने उन्हें धमकी दी. समीना के मुताबिक, उन लोगों ने धमकी दी कि अगर वह अपनी सलामती चाहती है, तो केस वापस ले ले, वरना नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहे.

सुप्रीम कोर्ट में निकाह और हलाला के विरोध के लिए सरकार तैयार

बता दें कि समीना बेगम की पहली शादी 1999 में हुई थी और उनके दो बेटे हैं. उत्पीड़न की कई घटनाओं की पुलिस में शिकायत करने के बाद उनके पति ने उन्हें तीन तलाक दे दिया. जिसके बाद परिवार ने समीना की जबरन दूसरी शादी करा दी. दूसरा शौहर पहले से शादीशुदा था. जब समीना तीसरी बार प्रेग्नेंट हुई, तब उसके दूसरे पति ने फोन पर ही उन्हें तलाक दे दिया. अब समीना अपने तीन बच्चों के साथ अकेले रहती है.

समीना बेगम ने निकाह हलाला और बहुविवाह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है. उनका कहना है कि ये लड़ाई सिर्फ उनके लिए नहीं है, बल्कि उन महिलाओं के लिए भी है, जिनके साथ ऐसी घटना हो सकती है. समीना ने कहा कि वो नहीं चाहती कि जो दर्द उन्होंने झेला, वो कोई और महिला झेले.

समीना ने कोर्ट से गुजारिश की है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (शरियत) एप्लीकेशन एक्ट 1937 के सेक्शन 2 को एकतरफा और विवेकाधीन घोषित किया जाए और इसे संविधान के आर्टिकल 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करार दिया जाए. समीना बेगम का दावा है कि बहुविवाह के खिलाफ भी मुहिम चला रही हैं.

वह ‘मिशन तलाक’ के नाम से एक संगठन चला रही हैं. ‘NEWS18’ से बात करते हुए समीना बेगम ने बताया, ‘मुझे रेप और जान की धमकियां मिल रही हैं. पीआईएल वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है.’

समीना ने कहा, ‘मैंने ओखला विहार में किराए पर एक घर देखा था, लेकिन इसके लिए मुझे हर महीने 10 हजार रुपए और 3000 रुपए अलग से ब्रोकरेज देने के लिए कहा गया. मैंने राजी हो गई. दो दिन पहले जब मैं ओखला विहार पहुंची, तो कुछ दबंग किस्म के स्थानीय लोग और मकान मालिक के बेटे ने मुझपर दबाव बनाने की कोशिश की. उनलोगों ने कहा कि मैं केस वापस ले लूं. वर्ना अच्छा नहीं होगा.’

समीना का यह भी आरोप है कि 27 जून की शाम उनपर हमला भी हुआ. उन्होंने बताया, ‘कुछ लोगों ने मेरे साथ बदसलूकी की. मेरी चीजें ऑटो से बाहर फेंक दी. मुझे डराया-धमकाया. उन लोगों ने मेरे कपड़े भी फाड़ दिए और धमकी दी कि अगर मैंने केस वापस नहीं लिया, तो मेरे बच्चों को जिंदा जला देंगे.’ समीना ने पुलिस ने सुरक्षा की मांग की है.

निकाह हलाला प्रथा के तहत अगर किसी मुस्लिम महिला को उसका पति तलाक देता है तो उस महिला को अपने पति से फिर से निकाह करने के लिए किसी अन्य पुरुष से निकाह करना होता. इसके बाद जब महिला का दूसरा पति उसे तलाक देता है तभी वो अपने पहले पति से फिर से निकाह कर सकती है. इस प्रथा को अक्सर इंस्टेंट तीन तलाक वाले मामले में अपनाए जाने का चलन है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में तीन तलाक को गैर-कानूनी करार दिया है और केंद्र सरकार को इस पर कानून बनाने का निर्देश दिया है.

विश्व आधुनिक इतिहास का सबसे बड़ी सामूहिक आत्महत्या

 


दिल्ली के बुराड़ी की तरह एक घटना सन् 1978 में गयाना में घटी जिसमें 909 लोग काल के गाल में समा गए. हैरानी की बात यह रही कि इनमें एक तिहाई बच्चे शामिल थे


दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत का मामला अब तक रहस्य बना हुआ है. पुलिस मामले की जांच तो कर रही है लेकिन अब तक किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है. हालांकि उसका ज्यादा जोर सामूहिक खुदकुशी पर है लेकिन मृतक परिवार से जुड़े लोग इसे इसे सिरे से नकार रहे हैं. कुछ मीडिया रिपोर्टों में इसे तांत्रिक क्रियाओं के झांसे में आकर खुदकुशी कर लेने का नतीजा बताया गया है.

घर से मिली डायरी में जिस प्रकार की बातें लिखी गई हैं, उससे ज्यादा शक किसी तांत्रिक पर गहरा रहा है जिसने पूरे परिवार को खुदकुशी के लिए मजबूर किया. पूरे देश में मौत के इस मामले पर हाय-तौबा मची है क्योंकि ऐसी घटना देश में शायद पहली बार देखने को मिली है. दूसरी ओर वैश्विक स्तर पर नजर डालें तो तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास से जुड़ी कई घटनाएं इतिहास में दर्ज हैं जो लोगों को हैरत में डालती हैं.

एक ही ऐसी ही घटना सन् 1978 में दक्षिण अमेरिका के गयाना में घटी जिसमें 909 लोग काल के गाल में समा गए. हैरानी की बात यह है कि इसमें एक तिहाई बच्चे शामिल थे. हुआ यूं कि गयाना में पीपल्स टेंपल के संस्थापक जिम जोंस ने 18 नवंबर 1978 को अपने सैकड़ों शिष्यों के साथ खुदकुशी करने की योजना बनाई. जोंस के कई अनुयायियों ने अपनी इच्छा से खुदकुशी की तो कई ऐसे भी रहे जिन्हें बंदूक की नोक पर मौत को गले लगवाया गया.

जिम जोंस एक प्रभावशाली पादरी थे जिन्होंने 1950 में पीपल्स टेंपल की स्थापना की. इनके प्रवचनों का इतना प्रभाव था कि कुछेक साल में ही इन्होंने असंख्य अफ्रीकी अमेरिकियों को अपना शिष्य बना डाला. दुर्भाग्यवश 1971 में इनके चर्च पर मीडिया में कई प्रकार के आरोप लगे. आरोपों में वित्तीय धांधली, शारीरिक उत्पीड़न और बच्चों के साथ बुरा बर्ताव शामिल हैं. इन आरोपों से खपा जोंस ने अपने अनुयायियों के साथ कैलिफोर्निया शहर छोड़कर गयाना जाने का फैसला किया.

जोंस अपने शिष्यों के साथ गयाना तो आ गए लेकिन उन्होंने जो वादे किए थे उसे वे पूरा नहीं कर पाए. जोंस ने गयाना में अपने चर्च को ईश्वरीय स्थान में बदल देने की बात कही थी. दिनोंदिन हालत बिगड़ते गए और शिष्यों पर अत्याचार और अनाचार बढ़ने लगे. जोंस की बात न मानने पर शिष्यों को दंडित किया जाने लगा. जोंस की तबतक दिमागी हालत पस्त होने लगी और इस दौरान किसी ने उनके जेहन में यह बात भर दी कि अमेरिकी सरकार उनके खिलाफ पड़ गई है.

इसी दौरान एक घटना यह हुई कि जोंस के शिष्यों में भितरघात हो गया और कुछ लोग जोंस के खिलाफ बगावत में उतरने लगे. ऐसे में जोंस के पास दूसरा कोई चारा न था कि वे अपने शिष्यों से कहें कि अब कोई ‘क्रांतिकारी काम’ करना होगा. ताज्जुब की बात यह थी कि यह क्रांतिकारी कदम और कुछ नहीं बल्कि सामूहिक स्तर पर खुदकुशी थी जिसे जोंस के शिष्यों को सहर्ष गले लगाना था.

खुदकुशी करने वालों में सबसे पहले कम उम्र के शिष्यों की बारी थी. स्पष्ट है कि इनमें ज्यादातर बच्चे थे जिन्हें मां-बाप और नर्सों ने जूस में सायनाइड मिलाकर दे दिया. अगली बारी युवा-अधेड़-बुजुर्ग शिष्यों की थी जिन्हें बंदूक के साये में जहर मिला पेय दिया गया. देखते-देखते सैकड़ों लोग अंधविश्वास की काल कोठरी में समा गए. अमेरिकी इतिहास में 18 नवंबर की यह घटना काले अक्षरों से उकेरी गई है.

सऊदी अरब 20 लाख बैरल तेल का उत्पादन करने के लिए राजी : ट्रम्प

 

यूएस, ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज(ओपीईसी) का सदस्य नहीं है. लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति ने सऊदी अरब पर तेल के उत्पादन से जुड़ी नीतियों को संभालने और कीमतों को कम करने के लिए दबाव बनाया है. उन्होंने ट्वीट किया था कि तेल की कीमतें बहुत ज्यादा हैं, यह अच्छा नहीं है.

अमेरिका में बढ़ती तेल की कीमतों की वजह से ट्रंप ने ट्वीट किया था. इस साल अमेरिका कीमतों में औसतन 13 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. 2014 से अप्रैल में पहली बार 3 डॉलर गैलन बढ़े थे. पिछले हफ्ते यूएस में तेल के दाम 8 फीसदी बढ़ गए थे. इस मामले में ट्रंप ने 2011 से अब तक 63 बार ट्वीट किया है जबकि उन्हें ओपीईसी का मुख्य आलोचक माना जाता है.

ट्रंप ने शनिवार को कहा था कि सऊदी अरब 20 लाख बैरल तेल का उत्पादन करने के लिए राजी हो गया है. इससे वेनेज़ुएला और ईरान की कमी को पूरा किया जा सकेगा.

ओपीईसी 1970 से ही अमेरिकी नेताओं के निशाने पर रहा है. इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के भी ओपीईसी के साथ मतभेद रहे हैं. बिल क्लिंटन के कार्यकाल में उनके सचिव बिल रिचर्डसन ने साल 2000 में सऊदी के तेल मंत्री को फोन करके तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए कहा था.

जो अमेरिकन्स ‘हार्ले’ खरीद रहे हैं, वे कभी नहीं चाहेंगे यह दूसरे देश में बने:ट्रम्प


ट्रंप ने कहा कि विस्कांसिन की यह कंपनी अपने उत्पादन कार्य दूसरे देशों में ले जाती है तो उसे अमेरिका को खोना पड़ सकता है


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मोटरसाइकिल कंपनी हार्ले डेविडसन को आगाह किया है कि वह अपना उत्पादन कार्य यदि अमेरिका से बाहर ले जाती है तो उसको बड़ा झटका सहना पड़ेगा. ट्रंप ने कहा कि इस कंपनी ने अपना उत्पादन कार्य अमेरिका से बाहर ले जाने का फैसला ऐसे समय किया है जब ट्रंप ने भारत में इस प्रसिद्ध मोटरसाइकिल पर टैक्स कम कराया है.

ट्रंप ने कहा कि विस्कांसिन की यह कंपनी अपने उत्पादन कार्य दूसरे देशों में ले जाती है तो उसे अमेरिका को खोना पड़ सकता है. ट्रंप ने फॉक्स न्यूज से कहा, ‘मुझे लगता है कि हार्ले को बड़ा झटका लग सकता है. मेरा मानना है कि यह बहुत अच्छा अमेरिकी उत्पाद है. हमारे लोगों को इस पर बड़ा गर्व है. लोग हार्ले डेविडसन का उपयोग करते हैं. वास्तव में मेरा विश्वास है कि हार्ले डेविडसन झटका खाने की दिशा में बढ़ रही है- जो लोग हार्ले खरीद रहे हैं, वे कभी नहीं चाहेंगे यह दूसरे देश में बने.’

बता दें कि अमेरिका के इस्पात और एल्युमीनियम पर टैक्स लगाने के बाद यूरोपीय संघ समेत अन्य देशों ने भी अमेरिकी उत्पादों पर टैक्स लगाने की घोषणा की थी. यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए जवाबी टैक्स से बचने के लिए हार्ले डेविडसन ने दूसरे देशों में उत्पादन ट्रांसफर करने की घोषणा की थी.

ट्रंप ने हार्ले डेविडसन को उत्पादन ट्रांसफर करने पर चेताते हुए कहा कि मेरा मानना है कि हार्ले एक अमेरिकी मोटरसाइकिल है और इसे देश में ही बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कंपनी पर आरोप लगाया कि वह दूसरे देशों में ज्यादा मोटरसाइकिलों का उत्पादन करने के लिए टैक्स का बहाना बना रही है.

उन्होंने कहा कि हार्ले डेविडसन देश के बाहर जाने पर विचार कर रही है जबकि सभी कंपनियां देश में आ रही हैं. उन्होंने कहा कि कंपनी का यह फैसला उसके लिए झटका साबित होगा. ट्रंप कई बार भारत द्वारा हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर अधिक टैक्स का मुद्दा उठा चुके हैं , जो कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव के लिए जिम्मेदार है.

फरवरी में ट्रंप ने कहा था कि भारत सरकार ने हार्ले डेविडसन पर शुल्क को 75 प्रतिशत से 50 प्रतिशत करने की घोषणा की थी. ट्रंप ने इसे नाकाफी बताते हुए इसे परस्पर बराबर करने के लिए कहा था क्योंकि अमेरिका में मोटरसाइकिलों के आयात पर ‘शून्य टैक्स’ है.

क्या पीडीपी – भाजपा में चल रही है नूर कुश्ती

 

जम्मू कश्मीर की राजनीति में आए भूचाल के बाद सूत्रों के हवाले से बड़ा खुलासा हुआ है. बीजेपी राज्य में दोबारा वापसी के लिए अमरनाथ यात्रा के बाद बड़ा ऐलान कर सकती है. मिली जानकारी के मुताबिक पीडीपी के कई नेता बीजेपी में शामिल होने के लिए तैयार हैं.

सूत्रों का दावा है कि 2016 में जब मुफ्ती मोहम्मद सईद की मौत हुई तब पीडीपी के दो सीनियर नेताओं ने बीजेपी में शामिल होने की बात रखी थी लेकिन तब बीजेपी ने कोई खास टिप्पणी नहीं की थी. इस बड़े राजनीतिक परिवर्तन को अंजाम देने के लिए अमरनाथ यात्रा के पूरे होने का इंतजार किया जा रहा है.

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की कुल 89 सीटें हैं. अगर पार्टियों की स्थिति की बात करें तो पीडीपी के पास सबसे ज्यादा 28 सीटें हैं. बीजेपी के पास 25, कांग्रेस के पास 12 और नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 15 सीटें हैं. ऐसी स्थिति में किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 44 सीटों की जरूरत होगी.

बीजेपी-पीडीपी गठबंधन में मंत्री रह चुके एक नेता ने कहा, ‘तीन साल सरकार में रहने के बाद कोई सत्ता से बाहर नहीं रहना चाहता, इसलिए हम पूरी तैयारी कर रहे हैं, अमरनाथ यात्रा के बाद अगस्त-सितंबर में पार्टी बड़ा ऐलान करेगी.’

आखिर सज्जाद लोन के घर पर क्या करने गए थे बीजेपी नेता राम माधव

हालांकि पहले इस तरह की खबरें सामने आईं थी कि बीजेपी फिर से सरकार में आ सकती है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के प्रभारी राम माधव को पीपुल्स कॉन्फ्रेंस पार्टी के संस्थापक सज्जाद लोन के घर पर कुछ विधायकों के साथ देखा गया था. यह मुलाकात बीजेपी के पीडीपी से समर्थन वापस लेने के 10 दिन बाद हुई थी.

सज्जाद लोन का मानना था कि पीएम मोदी जम्मू-कश्मीर की स्थिति को सुधार सकते हैं. तब से लेकर वह राम माधव के लगातार संपर्क में बने हुए हैं. लोन की पार्टी ने 2 सीटें जीती थीं और राम माधव ने बीजेपी नेताओं के साथ लोन की तस्वीर को ट्विटर पर शेयर किया था.

एक बड़े बीजेपी नेता के दिए बयान के मुताबिक, ‘हमने सरकार बनाने की चर्चा की, सभी सत्ता पाने की कोशिश कर रहे हैं, अमरनाथ यात्रा के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.’ सूत्रों का कहना है कि पीडीपी के कुछ नेता बीजेपी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने के लिए तैयार हैं.

स्वास्थ्य सुविधाएं घर घर पंहुचने को लेकर प्रतिबद्ध हरियाणा सरकार: विज

 

चंडीगढ़, 2 जुलाई-

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि प्रदेश के लोगों को वैक्टर जनित रोगों से सुरक्षित रखने के लिए घर-घर जाकर बुखार के मरीजों की जांच की जाएगी तथा इन रोगों की पहचान होने पर पीडि़त लोगों का अस्पतालों के अलग वार्डों में तुरन्त उपचार शुरू किया जाएगा।

श्री विज ने बताया कि इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ. राजा शेखर वुंडरू को संबंधित विभागों को एडवाइजरी जारी करने के निर्देश दिये हैं। इनमें मुख्य तौर पर पंचायती राज संस्थाएं, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग, मत्स्य विभाग, शिक्षा विभाग, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, परिवहन विभाग, शहरी स्थानीय निकाय विभाग तथा प्रदेश के सभी जिला उपायुक्त शामिल हैं। इससे बारिस के मौसम में डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया तथा अन्य वैक्टर जनित रोगों को पनपने से रोकने में सहायता मिलेगी।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जुलाई से नवंबर तक मच्छरों एवं इन बीमारियों के पनपने का समय होता हैं, इसलिए सावधानी के तौर पर उचित कदम उठाने की सलाह दी गई है। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा अन्य विभागों के सहयोग से सभी घरों की छतों, खुले स्थानों, प्लास्टिक बैग, कूलर, पानी के बर्तन सहित अन्य स्थानों का निरीक्षण किया जाएगा और आवश्यकतानुसार उचित कदम उठाएं जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिन लोगों के घरों या उनके आसपास मच्छरों का लारवा या प्रजनन पाया जाएगा, उनके मालिकों के खिलाफ स्थानीय निकाय विभाग को नोटिस जारी करने को कहा गया है।

श्री विज ने कहा कि सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात चिकित्सकों को निर्देश दिये गये हैं कि वे अपने क्षेत्र के सरपंचों से मुलाकात कर उन्हें स्वच्छता, पानी खड़ा न होने देना, घरों के कचरे का समुचित निपटान तथा पानी निकासी का उचित प्रबन्ध करने के लिए प्रेरित करें। इसके लिए ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता समिति की निधि का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग को दवाइयां, टेस्टिंग किट, लारवा एवं मच्छर मारने की दवाइयां का समुचित स्टॉक रखने के निर्देश दिये गये हैं, इस कार्य में चिकित्सक, एमपीएचडब्ल्यू के साथ आशा वर्कर की ड्यूटी रहेगें।

विभाग के प्रधान सचिव ने इस संबंध में परिवहन विभागों को जारी पत्र में कहा कि वे वर्षा के दौरान टायरों को शेड के नीचे या ढक़कर रखे ताकि उसमे पानी एकत्र न हो सके। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पहचान किये गये स्थानों पर गंबुजिया मच्छलियां छोडऩे के लिए मत्स्य विभाग को निर्देश दिये गये हैं तथा शिक्षा विभाग को स्कलों में बच्चों को अध्यापकों या स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा वैक्टर जनित रोगों से बचने के लिए प्रार्थना सभा में बताने को कहा गया है तथा रविवार को ‘ड्राई-डे’ के तौर पर पानी के सभी बर्तनों को सुखा कर भरने संबंधी भी जानकारी देने को कहा गया है। इसके साथ की जनस्वास्थ्य विभाग को सभी लिकेज को बंद करने तथा स्थानीय शहरी विभाग को फोगिंग करने के निर्देश दिये हैं।

क्या बात कर दी गीता जी आपने बिना सिरपैर की! जवाहर यादव

 

शुक्र है गीता भुक्कल जी को कुछ बोलने का मौका मिला है। और वो भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा जी की वकालत के अलावा कोई और बात कहने का। मुख्यमंत्री के खुला दरबार में प्रशासन द्वारा बनाई गई व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए गीता भुक्कल जी इसे महिलाओं की असुरक्षा तक ले गई। पहले तो उन्हें यही बताना चाहिए कि उन्होंने ये कहां से सीखा कि पर्दा सिर्फ वे महिलाएं करती हैं जिन्हें किसी से डर होता है। क्या उनकी आदरणीय माता जी या सास जी ने भी कभी इसलिए पर्दा किया होगा कि उन्हें किसी से डर था ? अगर हां, तो उन्हें किससे डर था ? क्या ग्रामीण आंचल में रहने वाली लाखों-करोड़ों महिलाएं और मुस्लिम समुदाय की सभी महिलाएं डर के मारे ही पर्दा करती हैं ? अगर ऐसा है तो देश की आजादी के बाद लगभग 60 साल राज करने वाली कांग्रेस पार्टी को क्या इस विफलता के लिए माफी नहीं मांगनी चाहिए कि वे देश की महिलाओं को सुरक्षित नहीं कर सके ?
और मुस्लिम महिलाएं तो बाहर भी और घर में भी पर्दे में रहती हैं। गीता भुक्कल जी को बताना चाहिए कि उन्हें किससे डर होता है ? कहीं गीता भुक्कल जी मुख्यमंत्री के बहाने मुस्लिम महिलाओं पर तो ताना नहीं मार रही थी ? क्या पर्दे के पीछे रहने वाली महिलाओं को गीता भुक्कल खुद से इतना कमजोर मानती हैं कि राजनीतिक प्वाइंट बनाने के लिए उनका मनमाना इस्तेमाल कर लें।
गीता भुक्कल जी को यह भी बताना चाहिए कि करनाल के कार्यक्रम में सभास्थल के पार्टिशन पर उन्होंने किसी अधिकारी या पुलिस के लोगों से कारण जानने का प्रयास भी किया या नहीं ? या एक पढ़ी लिखी वकील होने और पूर्व शिक्षा मंत्री होकर भी वे सोशल मीडिया की आधारहीन बातों में आकर मुख्यमंत्री पर आरोप लगा रही हैं ?
निश्चित तौर पर गीता भुक्कल का ज्ञान अधूरा और आरोप निराधार है। जिस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को आम लोगों से वन-टू-वन बात करनी है, उनकी जुबान से समस्या सुननी है और उस पर उनसे संवाद करना है, वहां ऐसा पार्टिशन करना पूरी तरह व्यावहारिक है। अन्यथा हजारों लोगों के शोर में तो मुख्यमंत्री इस तरह बात ही नहीं कर पाएंगे। और जनता से पर्दे का तो सवाल ही खड़ा नहीं होता क्योंकि जो लोग शुरू में पर्दे के पीछे वेटिंग एरिया में बैठे थे, उन्हें भी क्रमानुसार मुख्यमंत्री के सामने तो लाया ही जाना था।
मुख्यमंत्री जी को ना पर्दे में रहना था, ना वे रहे। लगभग हर हफ्ते मनोहर लाल जी तो सुबह सवेरे उठकर राहगिरी कार्यक्रमों में आम लोगों और युवाओं से मिलने पहुंच जाते हैं। ये तो वो मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने सत्ता संभालते ही अपने सुरक्षा खेमे में से 350 कर्मियों को कम कर दिया था क्योंकि उन्हें अपने इर्द गिर्द न्यूनतम और बस अनिवार्य घेरा रखना था। गीता जी, जरा हुड्डा साहब से भी तो पूछिये कि उन्हें किससे डर था जो इतनी फालतू संख्या में सुरक्षाकर्मी रखते थे।
क्या बात कर दी गीता जी आपने बिना सिरपैर की!

तेज़ ने राजनीती छोड़ने का मन बनाया


तेज प्रताप यादव ने फेसबुक पोस्ट लिखकर यह कहा है कि आरजेडी के दो नेता उनके विधानसभा क्षेत्र में उनकी छवि को धूमिल कर रहे हैं और लालू-राबड़ी भी उनकी शिकायत पर ध्यान नहीं दे रहे हैं


पिछले कई दिनों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि लालू प्रसाद यादव के परिवार में सबकुछ सही नहीं चल रहा है. लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव कई बार यह खुलेआम कह चुके हैं कि उनकी पार्टी के भीतर उपेक्षा हो रही है और उनकी बात नहीं सुनी जा रही है. ताजा मामले में तेज प्रताप यादव ने फेसबुक पोस्ट लिखकर यह कहा है कि आरजेडी के दो नेता उनके विधानसभा क्षेत्र में उनकी छवि को धूमिल कर रहे हैं. तेज प्रताप ने कहा है कि ओम प्रकाश यादव और एमएलसी सुबोध राय उनकी छवि को खराब कर रहे हैं और उनके खिलाफ अफवाह उड़ा रहे हैं.

तेज प्रताप का कहना है कि इसकी शिकायत उन्होंने अपने मम्मी-पापा यानी राबड़ी देवी और लालू प्रसाद यादव से भी की. लेकिन वे भी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं. तेज प्रताप ने कहा कि उल्टे उन्हें ही मम्मी की डांट सुननी पड़ रही है, जिसकी वजह से वो प्रेशर में हैं और ऐसे प्रेशर में वे राजनीति नहीं कर सकते. उन्होंने अपने शुभचिंतकों के नाम लिखे इस पोस्ट में लिखा है कि मुझमें ‘अदम्य साहस एवं क्षमता’ है जिससे मैं इन ‘कीड़े-मकौड़े’ को चुटकी में मसल सकता हूं किन्तु मेरा पैर अपनों के कारण रुक जाता है.

बताया जा रहा है कि सुबोध राय लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी हैं.

इससे पहले भी कुछ दिन पूर्व तेज प्रताप ने यह आरोप लगाया था कि आरजेडी के कुछ नेता उन्हें और उनके भाई तेजस्वी को आपस में लड़वाना चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि आरजेडी के नेता उनका फोन तक नहीं उठाते. तेज प्रताप कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि वो राजनीति नहीं करेंगे और मथुरा चले जाएगे

बताते चलें कि तेजस्वी एक फिल्म कर रहे हैं और उसका पोस्टर भी रिलीज़ कर चुके हैं.