आज का पांचांग

विक्रम संवत – 2075
अयन – दक्षिणायन
गोलार्ध – उत्तर
ऋतु – वर्षा
मास – आषाढ
पक्ष – शुक्ल
तिथि – तृतीया
नक्षत्र – अश्लेषा
योग – सिद्धि
करण – तैतिल

राहुकाल :-
4:30PM – 6:00PM

🌞सूर्योदय – 05:34 (चण्डीगढ)
🌞सूर्यास्त – 19:22 (चण्डीगढ)
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चोघड़िया मुहूर्त- एक दिन में सात प्रकार के चोघड़िया मुहूर्त आते हैं, जिनमें से तीन शुभ और तीन अशुभ व एक तटस्थ माने जाते हैं। इनकी गुजरात में अधिक मान्यता है। नए कार्य शुभ चोघड़िया मुहूर्त में प्रारंभ करने चाहिएः-
दिन का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
लाभ 09:00 10:43 शुभ
अमृत 10:43 12:27 शुभ
शुभ 14:10 15:53 शुभ
रात्रि का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
शुभ 19:20 20:37 शुभ
अमृत 20:37 21:54 शुभ
लाभ 01:42 02:59 शुभ
शुभ 04:16 05:33 शुभ

भाजपा की खरीफ एमएसपी वृद्धि किसानों के साथ बड़ा धोखा– दीपेन्द्र हुड्डा


· कहा, 22 जुलाई को फतेहाबाद के टोहाना से जनक्रांति यात्रा के चौथे चरण का शुभारम्भ, रहेगा ऐतिहासिक, लाखों लोग करेंगे शिरकत

· यूपीए कार्यकाल में धान पर 62% और कपास पर 57% औसत वृद्धि भाजपा सरकार की बढ़ोत्तरी से कहीं ज्यादा

· किसानों को बढ़ी लागत और घटी आमदनी ने बनाया रिकॉर्ड कर्जवान, कांग्रेस की सरकार बनते ही होगा कर्जा माफ


उकलाना
शनिवार को उकलाना में सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने विशाल कार्यकर्ता सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 22 जुलाई को टोहाना में जनसभा के साथ चौ भूपेन्द्र सिंह हुड्डा अपनी जनक्रांति यात्रा के चौथे चरण का शुभारम्भ करेंगे जिसमे लाखों लोग शिरकत करेंगे। होडल, समालखा और मेवात के बाद फतेहाबाद के टोहाना से चौथे चरण की जनक्रांति यात्रा भी ऐतिहासिक होगी।

खरीफ 2018-19 के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में केंद्र सरकार द्वारा की गयी वृद्धि को नाकाफी और किसानों के साथ धोखा बताते हुए सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि कपास, धान, बाजरा जैसी खरीफ की प्रमुख फसलों में इससे कहीं ज्यादा वृद्धि यूपीए कार्यकाल में की जाती थी। उदाहरण के तौर पर यूपीए- 2 के पाँच साल में कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में औसत वृद्धि 57% रही जोकि मौजूदा भाजपा सरकार से कहीं ज्यादा थी। इसी प्रकार मोदी सरकार के कार्यकाल से कहीं ज्यादा यूपीए कार्यकाल में धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में औसत वृद्धि 62% रही है जिसकी वजह से किसानों को भरपूर फायदा मिला और चरों तरफ खुशहाली थी। हुड्डा सरकार के कार्यकाल में धान 5500 रूपए प्रति क्विंटल और कपास 7000 रुपये प्रति क्विंटल बिकता था, ऐसे में धान पर 1750 रुपये प्रति क्विंटल और कपास पर 5150 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य का क्या औचित्य है।

सांसद ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यह सरकार केवल आकड़ों की बाजीगर है और कागजों का खेल खेल रही है जबकि किसान को कोई लाभ नहीं हो रहा है और किसान कर्ज के बोझ तले दबता चला जा रहा है। उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार के दस साल के कार्यकाल में जिस किसान को अच्छा भाव देकर कर्जमुक्त कर दिया था अब वही किसान भाजपा के चार सालों में कर्ज के बोझ तले दब गया है और जमीन की फर्द लेकर कर्जा लेने के लिये बैंकों के आगे लाइन में खड़ा होने को मजबूर हो गया है।

इन परिस्तिथियों में अगर भाजपा ने किसानों का कर्ज माफ़ नहीं किया तो आने वाले समय में कांग्रेस की सरकार बनते ही पहली कलम से किसानों का कर्ज माफ़ कर उनको राहत देने का काम किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि जिस एमएसपी को बढ़ाने की बात भाजपा सरकार कर रही है उससे कहीं ज्यादा की बढ़ोत्तरी यूपीए सरकार के समय होती थी। अब डॉ एम एस स्वामीनाथन जब स्वयं ये कह रहे हैं कि सरकार ने मेरी रिपोर्ट को लागू नहीं किया और रिपोर्ट की सिफारिश के मुकाबले बढ़ोत्तरी काफी कम है तब भी भाजपा के कृषि मंत्री और बाकी नेताओं का कहना समझ से परे है। भाजपा ने किसानों के साथ बड़ा धोखा किया है।

अपने संबोधन में रमेश बाल्मीकि ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हरियाणा का चहुमुखी विकास हुआ है मगर जन विरोधी भाजपा सरकार ने मंजूरशुदा परियोजनाओं को ठण्डे बस्ते में डाल कर हरियाणा को विकास के मामले में पीछे लेजाने का काम किया है। श्री बाल्मीकि ने कहा कि 2019 में हरियाणा प्रदेश में रिकॉर्ड बहुमत के साथ चौ भूपेन्द्र सिंह हुड्डा जी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनेगी और हरियाणा को हम फिर से देश का नंबर वन राज्य बनाने का काम करेंगे।

सभी वक्ताओं ने कहा कि 22 जुलाई को टोहाना से शुरू होने वाली जनक्रांति यात्रा में लोगों की अभूतपूर्व भागीदारी होगी।

इस मौके पर विधायक शकुंतला खटक, पूर्व मंत्री प्रोफेसर संपत सिंह, पूर्व सीपीएस विनोद भयाना, पूर्व विधायक रणधीर सिंह, पूर्व विधायक राम निवास घोड़ेला, धरमबीर गोयत, रवि लाम्बा, मीनू लितानी, बलवंत बिठमड़ा, वजीर पुनिया, भूपेंद्र कासनिया, जितेंद्र ज्याणी, योगेश सिहाग समेत अनेक स्थानीय नेता मौजूद रहे।

पगड़ी पहनने के आदेश से सिख धर्म की भावनाएं हुईं आहत : चीमा


अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने दावा किया कि चंडीगढ़ प्रशासन के इस कदम से सिख समुदाय की धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं.


शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने शनिवार को केंद्र-शासित प्रदेश (यूटी) चंडीगढ़ के प्रशासन से छह जुलाई की वह अधिसूचना वापस लेने की अपील की जिसमें पगड़ीधारी सिख महिलाओं को छोड़कर बाकी सभी महिलाओं के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है.

अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने दावा किया कि चंडीगढ़ प्रशासन के इस कदम से सिख समुदाय की धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं. चीमा ने कहा, ‘केंद्रशासित प्रदेश को किसी सिख महिला की पहचान परिभाषित या फिर से परिभाषित करने और कानून की नजर में किसी के सिख महिला होने या नहीं होने का पता लगाने का कोई अधिकार नहीं है.’

उन्होंने दलील दी कि सिख सिद्धांत में कोई टोपी या हेलमेट पहनना मना है. चीमा ने कहा, ‘सिख धर्म के सिद्धांतों के मुताबिक, किसी सिख महिला के लिए पगड़ी पहनना जरूरी नहीं है. यह पूरी तरह उसकी मर्जी है. सिख धर्म में पगड़ी सिर्फ पुरुषों के लिए जरूरी है.’

उन्होंने कहा, ‘लगभग 99.99 फीसदी सिख महिलाएं दुपट्टे से अपना सिर ढकती हैं. हेलमेट पहनने से मिली छूट उन सब पर लागू होती है लेकिन नई अधिसूचना ने सिख महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित किया है.’

पूर्व मंत्री ने कहा कि अकाली दल इस मुद्दे को यूटी चंडीगढ़ प्रशासन के सामने उठाएगा और उससे अधिसूचना वापस लेने का अनुरोध करेगा. चीमा ने कहा, ‘यदि जरूरत पड़ी तो पार्टी का प्रतिनिधिमंडल इस बेहद संवेदनशील धार्मिक मुद्दे पर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अधिकारियों से मुलाकात करेगा.’

हाँ मैंने 2 बच्चे बेचे, मुझे नहीं मालूम वोह कहाँ हैं: नन, अणिमा


राज्य की राजधानी रांची स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी की नन ने स्वीकार किया है कि मैंने दो अन्य शिशुओं को भी बेचा है, नन ने कहा है कि मुझे नहीं पता कि अब वे कहा हैं


झारखंड में नवजात शिशुओं के बेचे जाने के मामले में एक नन के कबूलनामे का एक वीडियो सामने आया है. राज्य की राजधानी रांची स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी की नन ने स्वीकार किया है कि मैंने दो अन्य शिशुओं को भी बेचा है. नन ने अपने कबूलनामे में कहा है कि मुझे नहीं पता कि अब वे कहा हैं.

रांची पुलिस ने चाइंलड ट्रैफिकिंग के आरोप में 9 जुलाई को दो नन को गिरफ्तार किया था. यह नन भी उसी में शामिल है. पुलिस ने बताया कि बेचे गए 4 शिशुओं में से 3 को बरामद कर लिया गया है.

रांची पुलिस के सामने गुनाह कबूल करते हुए नन ने कहा है कि उसने 50-50 हजार रुपए में दो बच्चों को बेचा है जबकि एक बच्चे को एक लाख बीस हजार रुपए में बेचा था. बेचे गए अन्य बच्चे के बारे में नन को पूरी जानकारी नहीं है.

कैसे हुआ मामले का खुलासा

यह मामला तब खुला जब यूपी के सोनभद्र जिले के ओबरा निवासी सौरभ अग्रवाल और प्रीति अग्रवाल ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडबल्यूसी) के पास शिकायत लेकर पहुंचे कि उन्हें उनका बच्चा वापस नहीं दिया जा रहा है. इस बच्चे को उन्होंने पांच मई को 1.20 लाख में खरीदा था.

एफआईआर में दर्ज जानकारी के मुताबिक गुमला की रहनेवाली एक रेप पीड़िता अविवाहित गर्भवती लड़की यहां रह रही थी. उसने बीते एक मई को रांची सदर अस्पताल में बच्चा को जन्म दिया. इस नवजात को कर्मचारी अनिमा इंदवार ने सिस्टर कोंसिलिया के मिलीभगत से अग्रवाल दंपती को बेच दिया. उस वक्त नवजात चार दिन का ही था. इधर 30 जून को सीडबल्यूसी के सदस्यों ने संस्था का दौरा किया था. इससे डरकर अनिमा ने उसी दिन अग्रवाल दंपति को फोन कर कहा कि बच्चे को अदालत में पेश करना है, उसे लेकर रांची आ जाइए.

इसके बाद बच्चे को दो जुलाई अनिमा को दे दिया. तीन जुलाई को बच्चे की जानकारी लेने वह संस्था पहुंचे, जहां उन्हें बच्चे से नहीं मिलने दिया गया. इसके बाद उसी दिन उन्होंने इसकी शिकायत सीडबल्यूसी से की. सूचना मिलते ही चेयरमैन रूपा कुमारी निर्मल हृदय पहुंची. पूरी छानबीन के बाद जब कड़ाई से पूछताछ की गई तो अनिमा ने स्वीकारा कि उन तीनों ने मिलकर बच्चे को बेच दिया है.

सख्त तय समयसीमा के साथ पूर्वाञ्चल एक्सप्रेसस्वे का शिलानियास हुआ आज, 2021 तक होगा तैयार


सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए सख्त डेडलाइन तय की है. अनुमान है कि 2021 तक यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को आजमगढ़ में 23 हजार करोड़ के पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की नींव रखी. 354 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे लखनऊ से गाजीपुर को जोड़ेगा. एक्सप्रेसवे की वजह से 6 घंटे का रास्ता केवल साढे 4 घंटे का रह जाएगा.

अखिलेश यादव की सरकार में इस एक्सप्रेसवे का नाम समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस रखा गया था. इसके जरिए 302 किमी लंबे लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे और 165 किमी लंबे यमुना एक्सप्रेसवे से भी जुड़ा जा सकेगा. एक्सप्रेसवे का कुल नेटवर्क 800 किलोमीटर का हो जाएगा.

एक्सप्रेसवे की शुरुआत आजमगढ़ से होगी जोकि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का क्षेत्र है. हालांकि वाराणसी तक एक्सप्रेसवे को जोड़ने का प्रस्ताव रखा गया है. योगी सरकार ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पंजाब नेशनल बैंक से 12 हजार करोड़ का लोन पारित करा लिया है.

93 फीसदी जमीन खरीदने में खर्च हुए 6500 करोड़ रुपए

यूपी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अवनीश अवस्थी ने बताया कि 6500 करोड़ रुपए 93 फीसदी जमीन को खरीदने में खर्च हुए. 11 जुलाई को राज्य सरकार ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के लिए पांच बोलीदाताओं को 340 किलोमीटर के एक्सप्रेसवे के आठ हिस्सों के लिए अनुबंध सौंपकर टेंडर की प्रक्रिया पूरी की.

सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए सख्त डेडलाइन तय की है. अनुमान है कि 2021 तक यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा. अधिकारियों का कहना है कि वह 24 से 26 महीनों में प्रोजेक्ट को पूरा करने की कोशिश करेंगे.

हालांकि सपा और बीजेपी के बीच इस प्रोजेक्ट का श्रेय लेने की होड़ मची है. सपा इस प्रोजेक्ट से जुड़े फोटो शेयर कर रही है जिसमें 22 दिसंबर 2016 को अखिलेश यादव इस प्रोजेक्ट की नींव रख रहे हैं वहीं क्षेत्रीय पार्टी के नेताओं ने आजमगढ़ में रैली लगाकर इस प्रोजेक्ट पर अपना दावा पेश किया.

वहीं इन्फ्रास्ट्रक्चर और इंडस्ट्री मामलों के मंत्री सताश महाना ने कहा कि 2016 में रखी गई नींव फर्जी थी. उन्होंने दावा किया कि पुरानी सरकार ने इस टेंडर को ऊंचे दामों में पास किया था.

राम सकाल ही क्यूँ?


बीजेपी और सरकार का हर कदम अब लोकसभा चुनाव 2019 को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए जिन चार नामों को मनोनीत किया है, उसमें उत्तरप्रदेश के रहने वाले रामसकल भी शामिल हैं. रामसकल यूपी में रॉबर्टसगंज से तीन बार सांसद भी रह चुके हैं. आरएसएस के जिला प्रचारक रह चुके रामसकल जमीनी स्तर के संघ और बीजेपी के कार्यकर्ता रहे हैं.

बीजेपी में आने से पहले वो संघ के जिला प्रचारक के तौर पर काम कर रहे थे. दलित समुदाय के भीतर अपनी पैठ रखने वाले रामसकल की छवि एक जमीनी कार्यकर्ता की रही है. लेकिन, संघ में बेहतर छवि वाले इस दलित समुदाय के नेता को बीजेपी में शामिल कर सक्रिय राजनीति में उतार दिया गया.

तीन चुनाव में जीते, चौथी बार टिकट नहीं मिला

सक्रिय राजनीति में कदम रखने के बाद रामसकल ने रॉबर्ट्सगंज से लगातार तीन चुनावों में जीत दर्ज की. सबसे पहले 1996 में सांसद बनने वाले रामसकल को 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में भी जीत मिली. लेकिन, 2004 में पार्टी की तरफ से उन्हें दोबारा टिकट नहीं मिला.

टिकट नहीं मिलने के बाद रामसकल सक्रिय राजनीति से काफी दूर हो गए. लेकिन, अपनी सादगी वाली जिंदगी और समाज सेवा के काम को उन्होंने जारी रखा. रामसकल हमेशा किसानों, मजदूरों और दलितों के हितों की बात करते रहे हैं और इस तबके के विकास और कल्याण के लिए तत्पर रहे हैं.

उनकी पहचान एक किसान और दलित नेता के तौर पर रही है. दलितों के उत्थान और उनके विकास के लिए रामसकल ने अपना पूरा जीवन खपा दिया है. वो किसानों और मजदूरों की आवाज बनकर काम करते रहे हैं. अब एक बार फिर से उन्हें मनोनीत करने का फैसला कर सरकार ने यूपी के भीतर दलित कार्ड खेला है.

बीजेपी कर रही है गेमप्लान में बदलाव

बीजेपी और सरकार का हर कदम अब लोकसभा चुनाव 2019 को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है. बीजेपी इस फैसले को भुनाने की पूरी कोशिश भी करेगी. दरअसल, यूपी के भीतर बीजेपी के सामने लोकसभा चुनाव 2014 और विधानसभा चुनाव 2017 के प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है. खासतौर से गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा के उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी की चिंता और बढ़ गई है.

इन उपचुनावों की हार का विश्लेषण कर बीजेपी अब 2019 की लड़ाई के लिए अपने गेम-प्लान में बदलाव की तैयारी कर रही है. पार्टी के रणनीतिकार हर वो कदम उठाने को तैयार हैं जिससे पिछले प्रदर्शन को दोहराया जा सके. सूत्रों के मुताबिक, इस बात की पूरी संभावना है कि बीजेपी के यूपी के कई दलित सांसद इस बार पाला बदलकर बीएसपी का रूख कर लें. समय-समय पर सावित्री बाई फूले औऱ छोटेलाल खरवार जैसे दलित सांसदों की नाराजगी भी सामने आ जाती है.

बीजेपी ने इसी नाराजगी को खत्म करने के लिए दलित कार्ड खेला है. पार्टी को लगता है कि नए दलित चेहरों को सामने लाने के साथ-साथ पुराने जमीनी दलित समुदाय के चेहरों को संगठन और सरकार में तरजीह देकर दलित वोट बैंक को खिसकने से रोका जा सकता है. रामसकल को राज्यसभा भेजने का फैसला उसी रणनीति का नतीजा है.

राष्ट्रपति का चुनाव भी यही संदेश देने के लिए था

यूपी के भीतर दलित समुदाय को साधने की कोशिश पहले से ही होती रही है. बीजेपी ने जब रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था तो उसके पीछे भी यूपी के दलित समुदाय में एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की थी. ऐसा कर बीजेपी आने वाले लोकसभा चुनाव में फिर से दलित समुदाय को अपने साथ जोड़े रखने की कोशिश कर रही है.

लेकिन पिछले पांच सालों में बहुत हद तक बदलाव भी देखने को मिला है. देश में अलग-अलग जगहों पर दलित समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटना को लेकर विपक्षी दलों ने लगातार बीजेपी औऱ आरएसएस को दलित विरोधी बताने की कोशिश की है. कांग्रेस से लेकर बीएसपी तक सबने बीजेपी को कठघरे में खड़ा किया है. रामसकल जैसे दलित नेताओं को सामने लाकर विपक्षी दलों की इसी कोशिश को बीजेपी विफल करना चाहती है.

राहुल माया राजस्थान, मध्य प्रदेश ओर हहत्तीस गढ़ मे साथ होंगे


सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश में बीएसपी के साथ बातचीत पिछले कुछ महीने से चल रही है, लेकिन सीटों के तालमेल को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है


कांग्रेस मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में दलित मतदाताओं को साथ लेने के मकसद से बीएसपी के साथ गठबंधन की तैयारी में है, हालांकि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन तीन राज्यों के नेताओं से कहा है कि वे इस संदर्भ में अगले कुछ दिनों के भीतर ‘जमीनी ब्योरा’ सौंपें. इन तीनों राज्यों में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

गांधी ने इन तीनों राज्यों के पार्टी प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों के साथ बैठक की जिसमें बीएसपी के साथ गठबंधन के अलावा संगठन, चुनाव प्रचार की तैयारियों और टिकटों के आवंटन को लेकर चर्चा हुई.

बैठक में मौजूद पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘तीनों राज्यों में बीएसपी के साथ गठबंधन को लेकर पार्टी में सहमति है. इस मुद्दे पर राहुल गांधी के साथ चर्चा हुई. उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा है कि जमीनी ब्योरा हासिल करें, बीएसपी की क्या स्थिति है और सीटों के तालमेल में सही सूरत क्या होगी.’ उन्होंने कहा, ‘तीनों राज्यों में संगठन की स्थिति, टिकटों के आवंटन और चुनाव प्रचार की तैयारियों को लेकर भी चर्चा हुई.’

सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश में बीएसपी के साथ बातचीत पिछले कुछ महीने से चल रही है, लेकिन सीटों के तालमेल को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है. चर्चा के दौरान मौजूद रहे एक अन्य नेता ने बताया, ‘संसद सत्र के बाद राहुल गांधी के चुनावी कार्यक्रम इन तीनों राज्यों में जोरशोर से शुरू हो जाएंगे.’

गांधी के साथ बैठक में मध्य प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, पार्टी के राजस्थान प्रभारी अविनाश पांडे और प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट तथा छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारी पीएल पूनिया और प्रदेश अध्यक्ष भूपेश पटेल मौजूद थे.

कांग्रेस शमशान कब्रिस्तान मेन भेद नहीं रखती : कांग्रेस


कांग्रेस नेता ने दावा किया कि ‘मोदी जी का तेवर एक हारे हुए सेनापति का था जिसकी सेना का अंधकारमय भविष्य नजर आ रहा है’

शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमले पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया है. कांग्रेस ने मोदी द्वारा लगाए गए तुष्टिकरण के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह उनकी तरह ‘श्मशान-कब्रिस्तान और बांटने की राजनीति’ नहीं करती. बल्कि सभी धर्मों और जातियों का सम्मान करती है.

दरअसल, मोदी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे परियोजना के शिलान्यास के मौके पर कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया. प्रधानमंत्री मोदी ने एक उर्दू दैनिक की खबर का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से सवाल किया कि कांग्रेस क्या मुस्लिम पुरूषों की पार्टी है या मुस्लिम महिलाओं की भी है?

कांग्रेस सबको साथ लेकर चलने वाली पार्टी

इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, ‘हम गर्व से कह सकते हैं कि अगर कोई देश के हर धर्म, जाति और वर्ग को साथ लेकर चला है तो वह सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस है. हम सभी का आदर करते हैं. हम मोदी की तरह श्मशान ,कब्रिस्तान और बांटने की राजनीति नहीं करते.’

तीन तलाक विरोधी कानून के बारे में तिवारी ने कहा, ‘हम तीन तलाक पर कानून के पक्ष में हैं. लेकिन जो इस विधेयक का मौजूदा स्वरूप है उससे महिलाओं का भला नहीं होने वाला है. इस विधेयक को ऐसे बनाना होगा जिससे महिलाओं का भला हो सके.’

तिवारी ने कहा, ‘पूर्वांचल के लोगों को मोदी जी से उम्मीद थी कि किसानों के जो 12 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं उसको दिए जाने की घोषणा करेंगे. आशा थी कि बंद मिलों एवं कारखानों को फिर से खोलने की तारीख की घोषणा करेंगे. आशा थी कि उत्तर प्रदेश में महिला विरोधी अपराधों के बढ़ते मामलों पर कुछ बोलेंगे. लेकिन उन्होंने इन पर कुछ नहीं बोला.’

उधार की योजना का जिक्र कर रहे थे मोदी जी

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री पूर्वांचल में बोल रहे थे, लेकिन आजमगढ़ के महान साहित्यकार राहुल सांस्कृत्यायन का उल्लेख करना भूल गए. वीर अब्दुल हमीद का नाम लेना भूल गए. गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से मरने वाले मासूम बच्चों के बारे में कुछ कहना भूल गए. उन्नाव के बलात्कार के आरोपी अपने विधायक को पार्टी से बाहर निकालने की हिम्मत नहीं कर पाए.’

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री अपने भाषण में जिन उपलब्धियों का जिक्र कर रहे थे वो सबकुछ उधार का था. मनमोहन सिंह सरकार की योजनाओं का नाम बदलकर पेश किया.’ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि ‘मोदी जी का तेवर एक हारे हुए सेनापति का था जिसकी सेना का अंधकारमय भविष्य नजर आ रहा है.’

बीजेपी राम में नहीं उनके इस्तेमाल में यकीन करती है

उन्होंने सवाल किया, ‘प्रधानमंत्री जी जवाब दीजिए कि रोजगार कहां है, महंगाई क्यों बढ़ी, रुपये की कीमत आपकी उम्र से ज्याद कैसे हो गई, पेट्रोल-डीजल के दाम कब कम होंगे?’ बीजेप अध्यक्ष अमित शाह के राम मंदिर से जुड़े एक कथित बयान का हवाला देते हुए तिवारी ने आरोप लगाया, ‘बीजेपी को भगवान राम में आस्था नहीं है, बल्कि वह उनके नाम इस्तेमाल चुनाव के मोहरे के रूप में करती है.’

कांग्रेस केवल मुस्लिम पुरुषों की पार्टी है क्या: मोदी


उन्होंने कहा, ‘जब बीजेपी सरकार ने संसद में कानून लाकर मुस्लिम बहन बेटियों को अधिकार देने की कोशिश की तो उस पर भी यह दल रोडे अटका रहे हैं’


 

संसद का मानसून सत्र शुरू होने से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘तीन तलाक’ से संबंधित विधेयक के लंबित होने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कांग्रेस से सवाल करते हुए कहा कि क्या यह पार्टी सिर्फ मुस्लिम पुरूषों की पार्टी है, महिलाओं की नहीं.

एक्सप्रेसवे के उद्धघाटन पर तीन तलाक का जिक्र

मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे परियोजना का शिलान्यास करने के बाद एक जनसभा में कहा, ‘मैंने अखबार में पढा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है. पिछले दो दिन से चर्चा चल रही है. मुझे आश्चर्य नहीं हो रहा है क्योंकि जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तो स्वयं उन्होंने कह दिया था कि देश के प्राकृतिक संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार मुसलमानों का है.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैं कांग्रेस अध्यक्ष से यह पूछना चाहता हूं कि कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है. ये तो बताइए मुसलमानों की पार्टी भी क्या पुरूषों की है या महिलाओं की भी है. क्या मुस्लिम महिलाओं के गौरव के लिए जगह है.’

तीन तलाक मामले पर विपक्षियों पर जम कर बरसे मोदी

विपक्षी दलों पर हमला करते हुए मोदी ने कहा, ‘इन सारे दलों की पोल तो तीन तलाक पर इनके रवैए ने भी खोल दी है. एक तरफ केन्द्र सरकार महिलाओं के जीवन को आसान बनाने के लिए प्रयास कर रही है, वहीं ये सारे दल मिलकर महिलाओं और विशेषकर मुस्लिम बहन बेटियों के जीवन को और संकट में डालने का काम कर रहे हैं.’

मोदी ने कहा कि वह इन परिवारवादी पार्टियों और मोदी को हटाने के लिए दिन रात एक करने वाली पार्टियों को कहना चाहते हैं कि संसद का सत्र शुरू होने में चार पांच दिन बाकी हैं. आप पीडित मुस्लिम महिलाओं से मिलकर आइए और फिर संसद में अपनी बात रखिए.

उन्होंने कहा, ‘जब बीजेपी सरकार ने संसद में कानून लाकर मुस्लिम बहन बेटियों को अधिकार देने की कोशिश की तो उस पर भी यह दल रोडे अटका रहे हैं. ये चाहते हैं कि तीन तलाक होता रहे और मुस्लिम बहन बेटियों का जीवन भी तबाह होता रहे.’

राज्य सभा को मिले 4 मनोनीत सदस्य, बढ़ा भाजपा का आधार


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोनल मान सिंह, राकेश सिन्हा, राम सकल और रघुनाथ महापात्रा का नाम राज्यसभा के नए सांसद के तौर पर मनोनीत किया है


 

राज्यसभा के लिए राष्ट्रपति ने चार लोगों के नाम को मनोनित किया है. ये चारों लोग अलग-अलग क्षेत्र के हुनरमंद हैं. इनमें राकेश सिन्हा, राम सकल, रघुनाथ महापात्रा और सोनल मान सिंह का नाम शामिल है. संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए और प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति ने इन 4 नामों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है.

आइए जानते हैं इन चारों के बारे में…

राकेश सिन्हा

राकेश सिन्हा दिल्ली यूनिवर्सिटी के मोतीलाल नेहरू कॉलेज में प्रोफेसर हैं और आरएसएस के विचारक हैं. लेकिन राकेश सिन्हा के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1980 में हुई थी. दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए उन्होंने तय किया कि वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के उम्मीदवार के तौर पर छात्र संघ का चुनाव लड़ेंगे. सिन्हा ने एक अच्छा कैंपेन चलाया लेकिन वो जीत नहीं सके.

हिंदू कॉलेज में पढ़ने वाले कम ही छात्र इस प्रकार की महत्वकांक्षा रखते हैं. सिन्हा जब मैदान में थे बिहारी बनाम लोकल का मुद्दा अपने चरम था. ऐसे में उनका चुनाव लड़ने का निर्णय लेना एक महत्वपूर्ण कदम था.

एक छात्र और राजनीतिक की तरफ झुकाव रखने वाले एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में की गई उनकी कड़ी मेहनत का फल आने वाले सालों में उन्हें मिलने लगा. वो राइट विंग बुद्धिजीवियों के सबसे प्रसिद्ध चेहरों में से एक बन गए. ऐसा इसलिए नहीं था कि वे आरएसएस और उनके सहयोगियों को अच्छी तरह से जानते थे और उन्होंने आरएसएस संस्थापक केबी हेडगेवार पर अपना पोस्ट ग्रेजुएशन डिजर्टेशन लिखा था. बल्कि उन्होंने वामपंथी विचारधारा और राजनीतिक को समझने के लिए काफी समय और ऊर्जा खर्च की थी.

वाम दलों पर काफी रिसर्च किया है राकेश सिन्हा ने

राकेश सिन्हा ने हार्डकोर राइट विंगर होते हुए भी अपना एमफिल, नागरिक स्वतंत्रता आंदोलन पर करने को चुना. इसके बाद उन्होंने अपने पीएचडी रिसर्च के लिए सीपीआई (एम) के संगठनात्मक और विचाराधारात्मक परिवर्तन को चुना.

उनको पहली बार तब प्रसिद्धि हासिल हुई जब उन्होंने आरएसएस संस्थापक हेडगेवार पर किताब लिखी. इसे उस समय का हेडगेवार पर पहला प्रमाणिक जीवनी कहा गया. सिन्हा ने एक राइट विंग थिंक टैंक, इंडिया पॉलिसी फाउंडेशन की भी स्थापना की.

एक समय जब आरएसएस अपने काम और दर्शन के बारे में बहुत चुनिंदा या लगभग गुप्त रहता था. यहां तक कि सार्वजनिक मंच पर खुद को बचाने में भी, खासकर समाचार चैनलों पर, तब सिन्हा ने संघ परिवार का अघोषित प्रवक्ता बनने की पहल की.

सिन्हा ने अपने दोस्तों के बीच कभी भी अपनी आकांक्षाओं को गुप्त नहीं रखा. वह खुले तौर पर संसद के ऊपरी सदन में एक सांसद के तौर पर जाने की अपनी बात को कहते थे और इस मंच से बहस करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते थे.

सिन्हा को कई संस्थानों का नेतृत्व करने का प्रस्ताव मिला लेकिन उन्होंने इसे सवीकार नहीं किया. आज सिन्हा यह कह सकते हैं उन्हें जो चाहिए था, वह मिल गया है. इसके लिए वे अपने विचारधारात्मक परिवार का धन्यवाद भी कह सकते हैं.

राम सकल

इनके अलावा, उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले राम सकल किसान नेता हैं. दलित समुदाय के कल्याण और बेहतरी के लिए उन्होंने कई काम किए हैं. वो पूर्व में लगातार 3 बार रॉबर्टसगंज से बीजपी के सांसद भी रह चुके हैं. लेकिन 2004 में उन्हें टिकट नहीं मिला. आरएसएस से मजबूत संबंध रखने वाले राम सकल संघ के जिला प्रचारक थे. टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया. अब जब उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनित किया गया है, तो एक बार फिर भारतीय संसद में जाने के लिए तैयार हैं.

रघुनाथ महापात्रा

रघुनाथ महापात्रा अद्भुत प्रतिभा के धनी हैं. उनकी शिल्पकला का जादू देश में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी माना जाता है. साल 2013 में उन्हें पद्म विभूषण से नवाज़ा गया था. इससे पहले उन्हें पद्म भूषण, शिल्प गुरु अवार्ड जैसे कई समान मिल चुके हैं.

अब तक उन्होंने लगभग 2000 छात्रों को ट्रेनिंग दी है. देश की पारंपरिक शिल्प कला को सहेजने में उनका बहुत बड़ा योगदान है. उनकी कला की खूबसूरती पुरी के जगन्नाथ मंदिर में देखने को मिलती है. उनके कई कामों को देश और विदेश में खूब ख्याति मिली. इसमें से एक संसद के सेंट्रल हॉल में लगी भगवान सूर्य की 6 फीट लंबी प्रतिमा है. उनके द्वारा बनाए गए लकड़ी के बुद्धा को पेरिस के बुद्धा मंदिर में रखा गया है.

सोनल मानसिंह

ओडिसी डांस के प्रमुख प्रदर्शकों में से एक सोनल मानसिंह प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक, शोधकर्ता, वक्ता, कोरियोग्राफर और शिक्षिका हैं. सोनल मानसिंह ओडिसी के अलावा, भरतनाट्यम में भी माहिर हैं. उन्होंने कई भारतीय पौराणिक कथाओं के माध्यम से कई नृत्य कलाएं बनाई हैं. सोनल मानसिंह को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. इनको 1992 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया और वह सबसे कम उम्र में पद्म भूषण पाने वाली महिला हैं.