कम ख़राब से अधिक ख़राब का चुनाव है इमरान खान


ईशनिंदा को लेकर बने कठोर पाकिस्तानी कानून का समर्थक होना, या फिर औरतों को लेकर पोंगापंथी वाले विचार जाहिर करना, इमरान खान को बहुत पीछे ले गया है.

यकीन जानिए यही वहाँ की ज़रूरत भी है।


इमरान खान ने बहुत पहले वादा किया था कि वे पाकिस्तान को बदल देंगे. लेकिन पाकिस्तान ने उन्हें बदल दिया. देश का नेतृत्व करने का सपना पूरा करने में, उन्हें खुद को बदलने के लिए जितनी मेहनत करनी पड़ी, उतनी मेहनत शायद उन्हें ताज़ा चुनावों में खुद को प्रधानमंत्री पद के लिए सही उम्मीदवार साबित करने में नहीं हुई.

ऑक्सफर्ड से पढ़ाई कर, ब्रिटिश लहज़े वाली अंग्रेज़ी बोलने वाले एलीट, और ब्रिटिश अरबपति की बेटी से शादी करने वाले इमरान खान से लेकर उस इमरान खान तक, जो पाकिस्तान की राजनीति में उतरने के बाद कट्टर इस्लामिक विचारधारा का हो जाता है, उन्होंने खुद को काफी बदल लिया है. ईशनिंदा को लेकर बने कठोर पाकिस्तानी कानून का समर्थक होना, या फिर औरतों को लेकर पोंगापंथी वाले विचार जाहिर करना, इमरान खान को बहुत पीछे ले गया है.

2011 में आई उनकी ऑटोबायग्रफी, ‘पाकिस्तान: अ पर्सनल हिस्ट्री’ में वे एक जगह पाकिस्तानी सांसद सलमान तासीर की हत्या के लिए मुल्क के मौलानाओं को ज़िम्मेदार मानते दिखाई देते हैं. वे कहते हैं कि ईशनिंदा का कट्टर कानून ही उस हत्या की वजह है. 4 जनवरी 2011 को सलामन तासीर को उनके 26 साल के बॉडीगार्ड मलिक मुमताज़ हुसैन कादरी ने गोलियों से भून दिया था. वो पाकिस्तान में पंजाब के गवर्नर थे.

वजह, उनका बॉडीगार्ड ईशनिंदा कानून पर उनके कथित विरोध से नाराज़ था. पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून एक ज्वलंत मुद्दा है. सलमान तासीर को 26 गोलियां मारने वाले इस हत्यारे को साल 2016 में नवाज़ शरीफ सरकार ने फांसी की सज़ा दे दी. लेकिन सलमान तासीर को मारने के बाद मीडिया के सामने इस गार्ड ने कहा था, ‘ सलमान तासीर ईशनिंदक हैं, अल्लाह की बुराई करने वाले हैं और ऐसे शख्स को यही सज़ा मिलनी चाहिए थी.’

कादरी फांसी पर झूल गया लेकिन पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरवादियों के लिए शहीद और आदर्श बन गया. उसकी मौत से पूरे पाकिस्तान में कट्टर मुसलमानों में रोष फैल गया. और इस गुस्से ने एक राजनातिक दल को जन्म दिया ‘ तहरीक-ए-लबाएक पाकिस्तान ’, जिसने वहां के लोगों में फिलहाल अच्छी पकड़ बना ली है और ताज़ा चुनावों में उससे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद भी की जा रही है. अपने प्रचार में इस पार्टी के समर्थक कादरी की तस्वीर वाला झंडा लहराते हैं और ‘ ईशनिंदा करने वालों को मौत दो ’ के नारे भी लगाते हैं.

2011 में इमरान खान ने कादरी की जम कर निंदा की और मुल्लाओं के खिलाफ कार्रवाई न कर पाने के लिए सरकार को आड़े हाथों लिया था. उस वक़्त इमरान ने ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, ‘उग्रवादी और अतिवादी सोच हमारे समाज के भीतर तक पैठ बना चुकी है और हमारा युवा उसका नुकसान उठा रहा है. कादरी जैसे लोग उस सोच के तहत चलते हैं जिसके मुताबिक इस्लाम खतरे में है और उसे उस खतरे से बचाने के लिए वे खुद फैसले करने लगते हैं. कादरी ने जो किया, उससे हमारे समाज में एक डर बैठ गया है. उसके साथ वैसा ही बर्ताव होना चाहिए, जैसा किसी भी दूसरे हत्यारे के साथ वाजिब हो.’

2013 के चुनावों में इमरान की बड़ी शर्मनाक हार हुई और उनकी पार्टी तीसरे नंबर पर आई. इमरान को उस चुनाव में एक ‘ताजा उम्मीद’ के तौर पर देखा जाने लगा था. उनकी रैलियों में भीड़ भी खूब आती थी, लेकिन वे उस भीड़ को वोटों में तब्दील कर पाने में नाकाम रहे. 2013 की करारी हार ने इमरान खान को भीतर से बदल दिया. उन्होंने महसूस किया कि अगर सत्ता पाकिस्तान की फौज के इशारे पर चलने से पाई जा सकती है, तो कट्टर इस्लामी सोच रख कर भी कुर्सी तक पहुंचा जा सकता है.

नतीजतन, उनकी पार्टी का मेलजोल अब धार्मिक उन्मादियों के साथ ज़बरदस्त तरीके से चल रहा है और इमरान खान समाज को पीछे ले जाने वाली हर लंपट सोच का साथ देते दिखाई दे रहे हैं. नवाज शरीफ की पार्टी ‘पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज’ के खिलाफ अपनी लड़ाई में, इमरान की पार्टी ‘तहरीक-ए-इंसाफ’ के नेता लोगों से साफ कहते हैं कि कादरी को अपने चुनावी बैनर पर रख कर चलने वालों और उसे मौत देने वालों में से किसी एक को उन्हें चुनना है. इमरान खान इस संदेश को तब और मजबूत करते दिखाई देते हैं, जब रैली में आने वाली भीड़ को वे खुद बताते हैं, ‘कोई मुसलमान खुद को तब तक मुसलमान नहीं कह सकता, जब तक वो ये न मान ले कि हजरत मोहम्मद के बाद कोई पैगंबर हुआ ही नहीं.’

इमरान के इस बयान के बाद पाकिस्तान के अल्पसंख्यक अहमदी संप्रदाय में डर और घबराहट फैल गई है, जो ये मानते हैं कि पैगंबर हजरत मोहम्मद के बाद भी कोई और पैगंबर था. लिहाजा पूरी चुनावी प्रक्रिया से अहमदियों को बाहर रखा गया और इससे वे खुद को बहुत असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

अपनी एक रैली में इमरान खान ने भीड़ से साफ कहा, ‘हम संविधान की धारा 295 C के हक में हैं और उसको बनाए रखने के लिए कुछ भी करेंगे.’ आपको बता दें कि इस कानून के तहत पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कोई गलत बात कहने वाले को सीधे मौत की सजा का प्रावधान है.

पाकिस्तान की सेना भी प्रधानमंत्री पद के लिए इमरान के रास्ते आसान करती जा रही है. क्योंकि सेना को लगता है कि शरीफ और भुट्टो की वंशवाद की राजनीति से इमरान खान की राजनीति बेहतर है. फौज, इमरान खान को कम खतरनाक भी मानती है. लेकिन ये पूरी तस्वीर नहीं है. पाकिस्तान में भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे राजनेताओं की वजह से भी इमरान खान की लोकप्रियता बढ़ी है.

एवनफील्ड अपार्टमेंट्स घोटाले में नवाज़ शरीफ और उनकी बेटी जेल में हैं, जबकि भ्रष्टाचार के आरोपों में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के आसिफ ज़रदारी जेल जा चुके हैं. इसके ठीक उलट इमरान की छवि है. भ्रष्टाचार को लेकर उनका दामन साफ तो है ही, अपने प्रचार से उन्होंने ये छवि बना ली है कि इस चुनाव में दरअसल उनकी लड़ाई मुल्क के माफियाओं के साथ है.

इस तरह ये देख पाना बहुत आसान है कि पाकिस्तान में युवा वर्ग, इमरान की ‘सत्ता के मुखालिफ’ वाली छवि यानी ‘एंटी- इस्टैबलिशमेंट’ वाले रुख से क्यों उम्मीदें लगाए बैठा है. साफ है, उसे लगता है कि सिर्फ इमरान खान पाकिस्तान से गंदगी हटा सकते हैं और बड़े सामाजिक-आर्थिक संकट में गहरे डूबे मुल्क को बाहर निकाल सकते हैं.

लंदन के फाइनेंशियल टाइम्स ने कराची यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर हुमा बकाई का ये बयान छापा- ‘निराशा भरे इस माहौल में वही उम्मीद की एक किरण हैं. उनके पास पहले से कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है. उन्होंने भयंकर ग़लतियां भी की हैं. लेकिन ये भी सच है कि हमने पाकिस्तान की दोनों बड़ी पार्टियों को आज़मा कर देख लिया है और वे उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं.’

बावजूद इसके कि पाकिस्तानी वोटरों के सामने घटिया विकल्प हैं, इमरान भी कोई अच्छा विकल्प नहीं दे पाए हैं और इसकी कई सारी वजहें हैं. जैसे- वे कई सालों से राजनीति में हैं. लेकिन अब तक सरकार में नहीं रहे, उनके पास बहुत कम प्रशासनिक अनुभव है और भ्रष्टाचार को खत्म करने के अलावा उनके पास कोई एजेंडा नहीं है.

2013 में उनके हाथों में केपीके यानी खैबर पख्तूनवा की हुकूमत आई, लेकिन वे वहां अपना कोई भी वादा पूरा करने में नाकाम रहे हैं. उन्होंने 2013 में कहा था कि खैबर पख्तूनवा को एक आदर्श राज्य बनाया जाएगा. लेकिन ज़मीनी रिपोर्ट बताती है कि उनके वादों और ज़मीनी सच्चाई में जमीन-आसमान का फर्क है.

इस्लामाबाद में रहने वाले लेखक और एक्टिविस्ट अरशद महमूद ने जर्मनी की पत्रिका डाएचे वेले को बताया, ‘तस्वीर यहां वैसी ही है, जैसी पहले थी. कोई तब्दीली नहीं आई है. क्योंकि पीटीआई के कार्यकर्ता खुद को कानून से ऊपर समझते हैं और कभी भी प्रशासन के साथ सहयोग नहीं करते.’ कुछ लोगों का ये कहना भी है कि इमरान की पार्टी ‘तहरीक-ए-इंसाफ’ में अंदरूनी झगड़े भी बहुत हैं. केपीके के कई विधायकों ने अपने ही चीफ मिनिस्टर और इमरान खान के खिलाफ झंडा बुलंद कर रखा है.

इमरान का दावा है कि उन्हें सत्ता मिली तो वे पाकिस्तान को एक इस्लामिक वेलफेयर स्टेट में बदल देंगे. अब इस तरह के वादे उस मुल्क के लिए तो त्रासदी लाने के नुस्खे की तरह ही होंगे, जहां बैलेंस ऑफ पेमेंट यानी भुगतान संतुलन बहुत कमज़ोर अवस्था में है, मुद्रा की कीमत गिरती जा रही है, तेल की कीमतें बढ़ती जा रही हैं, बिजली और पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है, नवजातों की मौत का अनुपात दुनिया में सबसे ज़्यादा है और ह्यूमन डेवलेपमेंट इंडेक्स पर पाकिस्तान बहुत नीचे है.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में मुल्क 119 देशों में 106वें नंबर पर है. इस तरह इमरान खान के लिए वादे पूरा करना लगभग असंभव तो है ही, पीटीआई के मुखिया नीतियों और विचारों के स्तर पर भी काफी सतही मालूम होते हैं.

लंदन के संडे टाइम्स के एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि पाकिस्तान में चीन का मॉडल वे कैसे लागू करेंगे, तो इमरान कुछ बता ही नहीं पाए, जबकि उनके प्रचार में इसका वादा किया गया है. इमरान ने कहा, ‘हमें इस बात से सीखना है कि चीन ने अपने मुल्क में उद्योगों के साथ क्या किया.’ जब सवाल पूछा गया कि उनके पास कुल मिला कर योजना क्या है, तो उनका जवाब था, ‘हमारी प्राथमिकता सार्वभौमिक विदेश नीति की है, उसके बाद इस्लामिक वेलफेयर स्टेट और तीसरे नंबर पर चीन का मॉडल पाकिस्तान में लागू करना, ये हमारी प्राथमिकताएं हैं.’

जब उनसे पूछा गया कि क्या वे विस्तार से इसे बता सकते हैं, उनकी आंखें भावशून्य हो गईं, जैसे उन्हें कुछ सूझ ही नहीं रहा हो कि क्या जवाब दें. यहां तक कि उनके करीब के साथी भी मानते हैं कि उनके बॉस इस मामले में थोड़े कमज़ोर हैं. पार्टी के उपाध्यक्ष असद उमर का कहना है, ‘इसे कुछ इस तरह कहें तो बेहतर होगा कि वे रणनीति के धुरंधर नहीं हैं. वे कभी किसी संस्था का हिस्सा नहीं रहे हैं और किसी संस्था के दायरे में बंध कर काम करना नहीं जानते.’

लेकिन सत्ता की खोज में इमरान खान का इस्लामवाद की ओर झुकाव खतरनाक है, खास तौर पर तालिबान की तरफ उनका नरम रुख. इसीलिए उन्हें ‘तालिबान खान’ कह कर भी बुलाया जाने लगा है. खैर, उत्तरी केपीके में सत्ता में बैठी उनकी पार्टी की तब काफी बदनामी हुई थी , जब 2017 में उसने हक्कानिया मदरसों के लिए 30 लाख डॉलर अनुदान के तौर पर दे दिए थे.

ये मदरसे तालिबानी आतंकियों के स्कूल माने जाते रहे हैं. इमरान ने ये तक मांग कर डाली थी कि तालिबान को पाकिस्तानी शहरों में दफ्तर खोलने की इजाज़त दी जाए. उन्होंने ये भी मांग की थी कि अमेरिका तालिबानियों पर ड्रोन से हमल करना बंद करे. बदले में तालिबान चाहता है कि सरकार से बातचीत में इमरान ही तालिबानियों का प्रतिनिधित्व करें.

खतरे की घंटी भारत के लिए भी है. अगर इमरान का पार्टी इन चुनावों में बहुमत से पीछे रह जाती है, तो हाफिज़ सईद के चुनावी फ्रंट अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक, शरीफ को कुर्सी की दौड़ से बाहर करने के लिए, इमरान को सरकार बनाने के लिए मदद कर सकती है. हाफिज़ सईद यानी मुंबई हमलों की साजिश रचने वाला आरोपी. जाहिर है, खतरा भारत को भी है.

उधर पूरे पाकिस्तान में किए गए ओपिनियन पोल इशारा करते हैं कि हालांकि इमरान की पार्टी पीटीआई शरीफ और भुट्टो की पार्टियों से बढ़त पा जाएगी, किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाएगा. जानकारों का मानना है कि उस हालत में इमरान, नवाज़ और शाहबाज़ शरीफ को बाहर रखने के लिए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी से हाथ मिला लेंगे.

डॉन में अपने एक लेख में इरफान हुसैन लिखते हैं, ‘पीपीपी के लिए ये सौदा बुरा नहीं होगा. धूर्त ज़रदारी आला-दर्ज़े का मोलभाव करेंगे क्योंकि उन्हें मालूम है कि इमरान देश के प्रधानमंत्री बनने को बेताब हैं.’ इसका मतलब ये हुआ कि अनुभवहीन इमरान उन लोगों के हाथों से इस्तेमाल होंगे, जो राजनीतिक अनुभव में उनसे बेहतर हैं. जाहिर है नया पाकिस्तान बनाने के जो वादे उन्होंने कर रखे हैं, वे पूरे नहीं होने हैं.

इमरान के खिलाफ सबसे घातक तर्क पाकिस्तानी फौज को लेकर दिया जा रहा है. रावलपिंडी के जनरलों ने इमरान को इस जगह तक किसी रणनीति के तहत ही पहुंचाया है. जाहिर है मौका आने पर बदले में वह अपना हिस्सा मांगने में पीछे नहीं रहेगी. इमरान खान के पक्ष में पलड़ा झुकाने के लिए फौज की ओर से कितनी कोशिशें हुई हैं. ये समझने के लिए एक उदाहरण काफी होगा.

डेली टाइम्स के संपादक रज़ा रूमी ने ब्रिटेन के ‘द टाइम्स’ की क्रिस्टीना लैंब को बताया, ‘इन चुनावों के दौरान कवरेज के लिए मीडिया को धमकाया गया है, कि वे अपनी हदों में रहें. चेतावनी दी गई है कि नवाज शरीफ को लेकर पॉज़िटिव खबरें न लिखें , उनकी पार्टी की रैलियों की कवरेज न हो, फौज की ओर से की गई हत्याओं के खिलाफ पख्तूनों का विरोध प्रदर्शन न कवर किया जाए, अदालतों और जजों की आलोचना से बचा जाए और इमरान की पूर्व पत्नी रेहाम खान की उस किताब का बिलकुल ज़िक्र न किया जाए, जिसमें उन्होंने इमरान के बारे में कई विवादास्पद बातें कही हैं.’

मतलब ये कि अगर इमरान जीते भी, तो उनकी सरकार पर ‘लोकप्रियता’ की मोहर नहीं लग पाएगी. जाहिर है बाद में सिविल-मिलिट्री तनाव बढ़ सकता है. हालांकि फौज उनको स्थापित करने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन इमरान की विश्वसनीयता में कमी से बाद में सेना को नुकसान हो सकता है, क्योंकि जैसा कि हुसैन हक्कानी ने लिखा है कि पाक फौज सत्ता की आदी तो है, लेकिन बिना किसी ज़िम्मेदारी के.

अमरीका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हक्कानी ने अपनी किताब में लिखा था, ‘पाकिस्तान संवैधानिक तौर पर लोकतंत्र है, वहां तानाशाही नहीं है. लेकिन अगर कठपुतलियों की डोर दिखने लगे, तो नतीजा जो भी हो, ज़िम्मेदारी कठपुतलियों को नचाने वालों की ही होती है. तो फौज दोनों हाथ में लड्डू रखना चाहती है. यानी सत्ता तो चाहिए, लेकिन बिना ज़िम्मेदारी के.’

खैर, पाकिस्तानी मतदाताओं को एक खराब स्क्रिप्ट पक़ड़ा दी गई है. अब उन्हें ‘सबसे कम खराब’ को चुनना है. और इस तरह पाकिस्तानियों के लिए इमरान ही एकमात्र विकल्प बचते हैं.

Pakistan election in disarray as incumbent rejects result


Pakistan Muslim League-Nawaz alleges ballot is rigged in favour of Imran Khan’s party


Pakistan’s general election has been plunged into chaos after the incumbent Pakistan Muslim League-Nawaz (PMLN) said it would reject the result amid widespread allegations that the military was rigging the ballot in favour of the party led by the former cricketer Imran Khan.

With only a third of the vote counted by 3am – an hour after the result was officially due – Khan’s Pakistan-Tehreek-e-Insaf (PTI) led in 110 seats, with the PMLN trailing on 68.

Most projections held that the PTI would go on to win between 107 and 120 seats out of a total 272 in the lower-house, exceeding expectations and delivering the role of prime minister to Khan for the first time.

The Election Commission of Pakistan(ECP), an independent body, blamed the delay in announcing the result on a breakdown in the Results Transmission Software it purchased from a British company.

“There’s no conspiracy, nor any pressure in delay of the results,” the ECP secretary, Babar Yaqoob, told reporters. “The delay is being caused because the result transmission system has collapsed.”

But Shehbaz Sharif, the leader of the PMLN, said his party “wholly rejects” the result of the election, telling a press conference that his party’s polling agents had been evicted from dozens of stations by security officials before a final tally was reached, leaving them unable to monitor potential tampering.

Supporters of Imran Khan, who is head of the Pakistan Tehreek-e-Insaf party, celebrate on a street during general election in Islamabad

“The mandate of millions of people who came out to vote has been humiliated. Our democratic process has been pushed back by decades,” said Sharif.

The PMLN, which tried to curb the power of the military while in office, has claimed for months that the establishment was “engineering” the vote against it.

The party’s former leader Nawaz Sharif, who on 13 July began a legally-dubious 10 year prison sentence for corruption, has accused the deputy head of the country’s all-powerful ISI spy agency of leadinga campaign against the PMLN. He said it included pressure on its candidates to defect, a spate of court cases and the silencing of supportive media channels.

As election workers sorted through massive piles of paper ballots, almost all the parties – except the PTI – alleged that their polling agents had been excluded from polling stations.

Bilawal Bhutto, the leader of the liberal Pakistan People’s Party (PPP) – the country’s third-largest party – tweeted it was “inexcusable and outrageous” that his activists had been excluded “across the country”.

The complaint was echoed by his rival Khadim Rizvi, the foul-mouthed cleric who leads the far-right Islamist group, Tehreek-e-Labbaik (TLP). “This is the worst rigging in history,” said a spokesman for Rizvi.

The PMLN senator Musadik Malik told journalists that security officials had taken over proceedings inside polling stations, with a particular focus on constituencies where the race was close between the PTI and PMLN.

“If what most political parties are alleging is true,” Aqil Shah of Oklahoma University said, “it would be the biggest theft of an election since the 1970s”, adding that the the parties should “unite and demand a repeat.”

PTI leaders batted away the claims. Pakistan’s likely next finance minister Asad Umar said that only those “sympathetic to India” were crying foul, while the rest of Pakistan “can see the country is going towards betterment.”

Terming the vote a “contest between the forces of good and evil”, Naeem ul Haq, a spokesperson for Khan, said the party chairman would address the nation at 2pm on Thursday.

Concerns about the electoral process were heightened after the ECP last month announced it would allow military officials inside polling stations, and granted them ultimate authority on proceedings there, while the armed forces announced it would deploy 371,000 troops on the day of the election, a fivefold increase on 2013 despite greatly improved security across the nation.

After a bloody campaign in which a terrorist attack in the eastern province of Balochistan killed 151 people at a rally, fears of election day violence were confirmed. Within hours of the polls opening, a suicide attack in Balochistan’s capital, Quetta, added 31 to the death toll and was later claimed by Isis.

The allegations of vote-rigging marred what was supposed to have been only the second transfer of power from one civilian government to another in Pakistan’s coup-prone 71-year existence.

Many supporters argued that 65-year-old Khan, the captain who brought home the 1992 cricket World Cup and a notable philanthropist, could fulfil his promises to end corruption and turn Pakistan into an “Islamic welfare state”.

At a street-party in Islamabad, PTI supporters danced ahead of the announcement of the official results.

Earlier in the day, 20-year-old Muhammad Junaid brandished his ink-stained thumb outside a polling station in Islamabad and said: “We want change”. His friend, Muhammad Salman, 20, said that an entire generation of young voters were turning out for Khan after being unable to vote in 2013.

Electoral projections suggested that the PTI would easily be able to form a coalition that would deliver the required 136-seat majority, drawing on the support of natural allies in the federally administered tribal areas and independent candidates.

Analyst Fasi Zaka argued that long-term instability would be limited: “Shehbaz Sharif is not a rabble-rouser, he is an administrator,” he said, adding that the PPP would also quickly cool down if it received the projected 40 or so seats.

Analysts said that, from an economic perspective, a stable PTI-led coalition would help the country deal with a looming current-account crisis.

“In September we have to go to the IMF to ask for the biggest bailout in Pakistan’s history, of between $15bn to $18bn,” said Adnan Rasool of Georgia State University. “If you have a strong coalition you can push through policy measures that we need in order to secure that kind of bailout, which is to take away subsidies and reduce budget deficit and reduce the value of the currency – again.”

But, he added, “this has been a selection process, not an election. It is embarrassing to watch.”

ZX10R – ZX10RR motorcycles are now being locally assembled in India


This offer is valid until the end of July and then there will be a significant increase in the price. While the new Kawasaki Ninja ZX-10R will be available in KRT edition, the new Ninja ZX-10RR will be available in black.


After a series of reports on an imminent price drop for Kawasaki ZX-10R, the Japanese brand has now introduced the 2018 ZX-10R and ZX-10RR in India. What’s exciting about this news is that since these two motorcycles are now being locally assembled in India, the prices have been seriously lowered. 2018 Kawasaki Ninja ZX-10R is now the most affordable litre-class superbike in the country. The Ninja ZX-10R has had a prominent name in the world of motorsports with three times successive victories at the World Superbike Championship.

The first-ever locally assembled new Kawasaki Ninja ZX-10R and new Ninja ZX-10RR are being introduced with a special pre-order offer. Under the special pre-order offer the ex-showroom Delhi price of the new Ninja ZX-10R is Rs 1,280,000 and the price of the new Ninja ZX-10RR is Rs 1,610,000.

This offer is valid till the end of July 2018 and then there will be a significant increase in the price. While the new Ninja ZX-10R will be available in KRT edition along with few graphical changes, the new Ninja ZX-10RR will be available in black.

Both the models will be produced limited in numbers, however, the total units of the new Ninja ZX-10RR will be lesser than the total units of the new Ninja ZX-10R, as the Ninja ZX-10RR’s global production is limited. The bookings for Model Year 2018 are now open and will be closed after the allocated production and bookings are completed.

Kawasaki ZX-10R draws its power from a 998cc, inline four-cylinder engine paired with a six-speed transmission system. The fuel injected engine sheds out 197 bhp and 114 Nm of torque. With this, the bike can hit an electronically restricted top speed of 299 km/h.

Local assembly of motorcycles should definitely help Kawasaki gain better traction in India. The Japanese brand is locally also assembling the Z250, Ninja 300, Z650, Ninja 650, Versys 650 and Ninja 1000 here. And with the addition of the ZX 10R, the brand will find a better standing in the litre-class superbike territory in the country.

दुष्कर्म आरोपी पादरी को केरल उच्च नयायालय ने दी जमानत

कोच्चि।

केरल उच्च न्यायालय ने मलंकारा ऑर्थोडॉक्स चर्च के दुष्कर्म के चार आरोपी पादरियों में से एक और फादर जॉब मैथ्यू को बुधवार को जमानत दे दी। इससे पहले अदालत ने सोमवार को दुष्कर्म के एक और आरोपी पादरी जॉनसन वी.मैथ्यू को जमानत दी थी।

अदालत ने बुधवार को जॉब मैथ्यू से अपना पासपोर्ट अदालत में जमा करने को कहा। इससे पहले जॉनसन वी. मैथ्यू को भी पासपोर्ट जमा कराने को कहा गया था। जॉब मैथ्यू को हर सप्ताह एक बार जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने को भी कहा गया है।

दुष्कर्म मामले की जांच के दौरान पुलिस की अपराध शाखा ने मैथ्यू को 12 जुलाई को कोल्लाम के पास से गिरफ्तार किया था। वह तब से पथनामथिट्टा जिला कारवास में हैं।

इस मामले में अपराध शाखा केरल के चार पादरियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए हैं, जिसमें से दो को जमानत मिल चुकी है जबकि फादर सोनी (अब्राहम) वर्गीस और फादर जेस के.जॉर्ज की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई है।

जॉनसन वी. मैथ्यू पर महिला का शील भंग करने का आरोप है जबकि तीन अन्य पादरियों पर महिला के साथ दुष्कर्म का आरोप है। गौरतलब है कि नियमित रूप से चर्च जाने वाली पीडि़ता ने लगभग एक दशक तक पांच पादरियों द्वारा उसका यौन उत्पीडऩ करने का आरोप लगाया है। महिला के पति ने शिकायत दर्ज कराई थी।

आज का पांचांग

विक्रम संवत – 2075
अयन – दक्षिणायन
गोलार्ध – उत्तर
ऋतु – वर्षा
मास – आषाढ
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्दशी
नक्षत्र – पूर्वाषाढा
योग – वैधृति
करण – गर

राहुकाल –
1:30 PM – 3:00 PM

🌞सूर्योदय – 05:40 (चण्डीगढ)
🌞सूर्यास्त – 19:17 (चण्डीगढ)
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🚩व्रत -🚩
चैमासी चैदस।
🚩दिवस -🚩
कारगिल विजय दिवस।
🚩विशेष -🚩
ग्रहण वेध।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
चोघड़िया मुहूर्त- एक दिन में सात प्रकार के चोघड़िया मुहूर्त आते हैं, जिनमें से तीन शुभ और तीन अशुभ व एक तटस्थ माने जाते हैं। इनकी गुजरात में अधिक मान्यता है। नए कार्य शुभ चोघड़िया मुहूर्त में प्रारंभ करने चाहिएः-
दिन का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
शुभ 05:39 07:21 शुभ
लाभ 12:28 14:10 शुभ
अमृत 14:10 15: 52 शुभ
शुभ 17:34 19:16 शुभ
रात्रि का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
अमृत 19:16 20:34 शुभ
लाभ 00:27 01:45 शुभ
शुभ 03:03 04:21 शुभ
अमृत 04:21 05:39 शुभ

Trade Setup for Thursday: Top 15 things to know before Opening Bell


Maximum call open interest (OI) of 32.18 lakh contracts was seen at the 11,200 strike price. This will act as a crucial resistance level for July series.


 

 

After opening higher Wednesday the Nifty50 made multiple attempts to move near its earlier record high amid rangebound trade but failed due to selling pressure. The index ended flat with a negative bias ahead of the expiry of July derivative contracts, forming bearish candle on the daily candlestick charts, which also resembles ‘Spinning Top’ kind of pattern.

Spinning Top is often regarded as a neutral pattern which suggests indecisiveness on the part of both bulls as well as bears. It can be formed in an uptrend as well as in a downtrend.

The Nifty Midcap index also ended flat while the sectoral trend was mixed. The 30-share BSE Sensex managed to end at record closing high again, rising 33.13 points to 36,858.23.

The Nifty50 after opening higher at 11,148.40 attempted many times to move near its record high of 11,171.55 but failed to do so and remained in a 44-point range at around 11,113.25-11,157.15 throughout the session. The index closed 2.30 points lower at 11,132 after three consecutive positive sessions.

“Nifty50 continued its consolidation phase for second day in a row as it signed off the session with an indecisive formation, forming small bearish candle which also resembles Spinning Top after moving in a 44-point narrow range ahead of the expiry session,” Mazhar Mohammad, Chief Strategist – Technical Research & Trading Advisory, Chartviewindia.in told Moneycontrol.

According to him, a major move in either of the directions can be expected in next couple of trading sessions as we head for a fresh F&O series.

He said on the downsides it looks critical for the indices to sustain above 11,000 as a close below this level may usher in a short term pressure on the markets. “For time being upsides may get capped in the zone of 11,150–11,171 unless market witnesses a strong upswing beyond 11,171. In such a scenario initial target of around 11,250 can be expected.”

Gaurav Ratnaparkhi, Senior Technical Analyst, Sharekhan said the index posted a negative daily close after three consecutive positive sessions. “Nevertheless, overall Technical outlook continues to be in favour of the bulls.”

Once the key hurdle of 11,171 gets taken out, the benchmark index can march towards 11,450 in the short term, he said, adding on the downside, 11,030-11,020 shall act as a key support zone for any minor degree dip.

India VIX fell by 1.18 percent at 12.32 levels. VIX has been falling down from last five sessions and decline in with rising Put Call Ratio suggests that Put writers have taken the market in their tight grip.

We have collated the top 15 data points to help you spot profitable trades:

Key support and resistance level for Nifty

The Nifty closed at 11,132 on Wednesday. According to Pivot charts, the key support level is placed at 11,111.07, followed by 11,090.13. If the index starts moving upwards, key resistance levels to watch out are 11,155.07 and 11,178.13.

Nifty Bank

The Nifty Bank index closed at 27,031.30, up 56.9 points on Wednesday. The important Pivot level, which will act as crucial support for the index, is placed at 26,955.73, followed by 26,880.17. On the upside, key resistance levels are placed at 27,090.43, followed by 27,149.57.

Call Options Data

Maximum call open interest (OI) of 32.18 lakh contracts was seen at the 11,200 strike price. This will act as a crucial resistance level for July series.

This was followed by the 11,300 strike price, which now holds 21.55 lakh contracts in open interest, and 11,100, which has accumulated 16.67 lakh contracts in open interest.

There was hardly any Call writing seen.

Call unwinding was seen at the strike price of 11,100, which shed 11.35 lakh contracts, followed by 11,000, which shed 6.37 lakh contracts and 10,800 which shed 3.9 lakh contracts.

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Put Options data

Maximum put open interest of 49.78 lakh contracts was seen at the 11,000 strike price. This will act as a crucial support level for July series.

This was followed by the 10,600 strike price, which now holds 33.9 lakh contracts in open interest, and the 10,900 strike price, which has now accumulated 32.94 lakh contracts in open interest.

There was hardly any Put writing seen.

Put Unwinding was seen at 10,700, which shed over 9.08 lakh contracts, followed by 11,000, which shed 5.49 lakh contracts and 10,900 which shed 5.45 lakh contracts.

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FII & DII data

Foreign institutional investors (FIIs) sold shares worth Rs 1,195.75 crore while domestic institutional investors bought shares worth Rs 97.64 crore in the Indian equity market on Wednesday, as per provisional data available on the NSE.

Fund Flow Picture:

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Stocks with high delivery percentage:

High delivery percentage suggests that investors are accepting delivery of the stock, which means that investors are bullish on it.

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26 stocks saw long buildup

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59 stocks saw short covering

A decrease in open interest along with an increase in price mostly indicates short covering.

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49 stocks saw a short build-up

An increase in open interest along with a decrease in price mostly indicates a build-up of short positions.

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73 stocks saw long unwinding

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Bulk Deals

Sumeet Industries: Mystique Media Private Limited bought 6,70,364 equity shares of the company at Rs 13.53 per share.

Suumaya Lifestyle: Bimalkumar Rajkumar Bansal purchased 1,44,000 equity shares of the company at Rs 29.13 per share.

Navin Fluorine International: Grantham, Mayo, Van Otterloo & Co LLC sold 3,87,639 shares of the company at Rs 604.07 per share while New World Fund bought 3,84,769 shares at Rs 604.06 per share.

Analyst or Board Meet/Briefings

Orissa Minerals Development Company: Fourth meeting of the Committee of Creditors of the company is scheduled to be held on July 26.

IG Petrochemicals: Board meeting for the approval of the unaudited financial results for April-June quarter is scheduled to be held on July 31.

NMDC: Board meeting for the approval of the unaudited financial results for April-June quarter is scheduled to be held on August 8.

Bank of Maharashtra: Board meeting for the approval of the unaudited financial results for April-June quarter is scheduled to be held on August 3.

Great Eastern Shipping: Board meeting for the approval of the unaudited financial results for April-June quarter is scheduled to be held on August 10.

Punjab Alkalies & Chemicals: Board meeting for the approval of the unaudited financial results for April-June quarter is scheduled to be held on August 14.

Ramco Systems: Board meeting for the approval of the unaudited financial results for April-June quarter is scheduled to be held on August 2.

Pfizer: Board meeting for the approval of the unaudited financial results for April-June quarter is scheduled to be held on August 2.

Amber Enterprises India: Board meeting for the approval of the unaudited financial results for April-June quarter is scheduled to be held on August 7.

Greaves Cotton: Board meeting for the approval of the unaudited financial results for April-June quarter is scheduled to be held on August 13.

Suryalakshmi Cotton Mills: Board meeting for the approval of the unaudited financial results for April-June quarter is scheduled to be held on August 11.

Mold-Tek Technologies: Board meeting for the approval of the unaudited financial results for April-June quarter is scheduled to be held on August 2.

Triveni Engineering: Board meeting for the approval of the unaudited financial results for April-June quarter is scheduled to be held on August 1.

Matrimony.com: Board meeting for the approval of the unaudited financial results for April-June quarter is scheduled to be held on August 10.

Nestle India: Board meeting for the approval of the unaudited financial results for April-June quarter is scheduled to be held on August 3.

GPT Infraprojects: 38th Annual General Meeting of the company will be held on August 21.

ACC: Company is meeting Ashmore Investments for Investor meeting on July 26.

Piramal Enterprises: Conference call with investors/ analysts is scheduled to be held on July 30.

Finolex Industries: Conference call with investors/ analysts is scheduled to be held on July 27.

Inox Leisure: Company has scheduled an Analyst/Investor Meeting on July 26.

Gateway Distriparks: Investor / Analysts Call is scheduled to be held on August 2.

Reliance Nippon Life Asset Management: Analyst call on the unaudited financial results of the company for the quarter ended June will be on July 26.

Stocks in news

Results on Wednesday: Bharti Airtel, Biocon, Dr Reddy’s Labs, ITC, Maruti Suzuki, Yes Bank, CESC, Ajmera Realty, Alembic Pharmaceuticals, Bayer Cropscience, Bharat Financial Inclusion, Cholamandalam Investment, Colgate Palmolive, Container Corporation, Control Print, Essel Propack, Force Motors, HeidelbergCement, Jammu & Kashmir Bank, Jindal Stainless (Hisar), Lakshmi Vilas Bank, NIIT, Novartis, Orient Green Power, Petronet LNG, Quess Corp, SBI Life Insurance, Schaeffler, Shemaroo, Shriram Transport Finance, Star Cement, Tata Metaliks, Tata Power, Tata Coffee, Tinplate Company, City Union Bank.

Larsen & Toubro: Q1 profit jumps 36.1 percent to Rs 1,215 crore versus Rs 892.5 crore; revenue increases 18.8 percent to Rs 28,283 crore versus Rs 23,811 crore (YoY).

Hero MotoCorp: Q1 profit falls 0.5 percent to Rs 909.2 crore versus Rs 914 crore; revenue rises 10.4 percent to Rs 8,809.8 crore versus Rs 7,980.5 crore (YoY).

Bharti Infratel: Q1 profit rises to Rs 638 crore versus Rs 606 crore; revenue increases 0.3 percent to Rs 3,674 crore versus Rs 3,662 crore (QoQ).

Ambuja Cements: Q2 standalone profit rises 27.3 percent to Rs 499 crore versus Rs 329.3 crore; revenue increases 5.7 percent to Rs 3,016.9 crore versus Rs 2,854.5 crore (YoY).

Canara Bank: Q1 profit rises 11.7 percent to Rs 281.5 crore versus Rs 251.6 crore; NII jumps 43.1 percent to Rs 3,882.9 crore versus Rs 2,713.2 crore (YoY); net NPA at 6.91 percent versus Vs 7.48 percent and gross NPA at 11.05 percent versus 11.84 percent (QoQ).

IRB Infrastructure: Q1 consolidated profit rises 5.2 percent to Rs 250.1 crore versus Rs 238 crore; revenue falls 15.4 percent to Rs 1,537.9 crore versus Rs 1,816.9 crore (YoY).

Reliance Nippon Life: Q1 profit rises to Rs 112 crore versus Rs 109 crore; revenue increases to Rs 394 crore versus Rs 368 crore (YoY).

Shriram City Union Finance: Q1 profit increases to Rs 229.58 crore versus Rs 200.06 crore; revenue rises to Rs 1,401.65 crore versus Rs 1,227.43 crore (YoY).

Sanofi India: Q1 profit jumps to Rs 99.6 crore versus Rs 73.7 crore; revenue increases to Rs 683.6 crore versus Rs 600.6 crore (YoY).

KPIT Technologies: Q1 profit rises 2.6 percent at Rs 78.6 crore versus Rs 76.6 crore; revenue increases 4.9 percent to Rs 1,013.8 crore versus Rs 966.4 crore (QoQ).

Gruh Finance: Q1 profit jumps 20 percent to Rs 115 crore versus Rs 95.8 crore; revenue rises 11.8 percent to Rs 452.2 crore versus Rs 404.4 crore (YoY).

JSW Steel: The company completed acquisition of 100 percent shares of Aferpi S.p.A and Piombino Logistics S.p.A and 69.27 percent of the shares of GSI Lucchini S.p.A.

Punjab National Bank: The bank invited expression of interest towards strategic sale’ process initiated by itself and Quality Investment Holdings in relation to the respective shareholding in PNB Housing Finance.

Hindustan Copper: Board meeting of the company has been convened at short notice on July 26 to review the status of QIP.

Sumeet Industries: Board has has fixed the record date as August 4 for determining the entitlement of members to receive Bonus Equity Shares of the Company in the ratio of 1:4.

Sanofi India: Board declared an interim dividend of Rs 18 per share for the financial year ending December 2018.

Dish TV: World Crest Advisors LLP along the PAC’s has successfully completed the open offer process for acquisition of the equity shares of the company.

Sterling Tools: ICRA revised long term rating of the company to AA- from A+.

Confidence Petroleum: Board approved allotment of 1,50,00,000 equity shares of Rs 1 each at Rs 52 per share on preferential basis.

One stock under ban period on NSE

Securities in ban period for the next day’s trade under the F&O segment includes companies in which the security has crossed 95 percent of the market-wide position limit.

For July 26, Adani Enterprises is present in this list.

महराष्ट्र सरकार की नीतियों से मराठा बंद का असर कम हुआ


मंगलवार को कैबिनेट की मीटिंग रद्द कर सारे मंत्रियों को उनके इलाकों में जाने को कहा गया ताकि पुलिस और प्रशासन को सीधे निर्देश दिए जा सकें


मराठा आंदोलन के दूसरे दिन राज्य में बंद के दौरान हालात लगभग शांतिपूर्ण रहे और दोपहर होते-होते मराठा क्रांति मोर्चा ने अपना बंद वापस भी ले लिया. इस बंद को बेअसर करने के पीछे सरकार की मजबूत प्लानिंग का भी एक बड़ा हाथ माना जा रहा है. भीमा कोरेगांव के दलित आंदोलन की तरह इस बार सरकार लापरवाह नहीं थी, इसलिए आंदोलन की भनक लगते ही खुद सीएम देवेंद्र फणनवीस ने कमान संभाल ली.

सीएम को थी पल-पल की खबर

मंगलवार को कैबिनेट की मीटिंग रद्द कर सारे मंत्रियों को उनके इलाकों में जाने को कहा गया ताकि पुलिस और प्रशासन को सीधे निर्देश दिए जा सकें. सीएम ने खुद लगातार हर बड़े शहर के पुलिस अफसरों से सीधे बात की और डीजीपी दत्ता पडसालीगर को वॉररूम में रहने का निर्देश दिया. ‘रॉ’ के बाद मुंबई के पुलिस कमिश्नर रह चुके पडसालीगर हर घंटे में सीएम को रिपोर्ट दे रहे थे.

धीमा किया इंटरनेट

इस बार इस बात का भी पूरा खयाल रखा गया कि सोशल मीडिया और टीवी पर किसी तरह की अफवाह न फैले. पहले दिन जब औरंगाबाद में माहौल बिगड़ रहा था, तभी इंटरनेट को थोड़ा धीमा कर दिया गया. इसके साथ ही विशेष सायबर सेल के जरिए ग्रुप मेसेजिंग पर भी इस बार ध्यान दिया गया. ‘शहरी नक्सलियों’ पर पुलिस की हालिया कार्रवाई के बाद सीपीएम ने मराठा आरक्षण को समर्थन तो दिया है, लेकिन लेफ्ट के कैडर भी आंदोलन से दूर ही दिखे.

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सुबह-सुबह न्यूज़ 18 इंडिया से भी कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण रहे तो ठीक है. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पुलिस को हिंसा या तोड़फोड़ में लिप्त प्रदर्शनकारियों के साथ सख्ती से निपटने का निर्देश दिया है.

पुलिस सैन्य बलों को किया मुस्तैद

हालात को पूरी तरफ काबू में रखने के लिए राज्य में पुलिस बल से साथ-साथ विशेष रिजर्व पुलिस बल और आरएएफ को भी उतारा गया है. रेलवे स्टेशनों पर जीआरपी और आरपीएफ को तैनात कर दिया गया है. इतना ही नहीं राज्यभर में ऐहतियातन 3 हजार से ज्यादा असामाजिक तत्वों को हिरासत में लिया गया है. जब तक हालात न बिगडे़ं तब तक आंदोलनकारियों पर बल प्रयोग करने से मना किया गया. सारे प्रदर्शनों की वीडियोग्राफी भी पुलिस की तरफ से और साथ ही ट्रैफिक पुलिस के मुंबई शहर में लगे करीब 3 हजार कैमरों से नजर रखी जा रही है ताकि तुरंत कार्यवाही हो सके.

राजनीतिक पार्टियों के नेताओं खासतौर पर शरद पवार और अशोक चव्हाण ने बयान तो जारी किए, लेकिन सरकार की तरफ से ही वरिष्ठ मंत्री विनोद तावडे़ ने आरोप लगा दिया कि घर बैठे मराठा नेता लोगों को भड़का रहे हैं. इस पलटवार के कारण तमाम बडे़ मराठा नेता चुप हो गए, यानी राजनीति के साथ-साथ बंदोबस्त का दांव खेलकर मुख्यमंत्री बुधवार को तो मराठा आंदोलन को काबू करने में कामयाब दिखे.

24,600 के सिक्के लेकर कोर्ट पहुँचा पति


कोर्ट में इतने सिक्के देखकर सब हैरान हो गए. इन सिक्कों को गिनने के लिए कोर्ट को वक्त और स्टाफ की कमी हो गई


चंडीगढ़ की जिला अदालत में एक मामले की सुनवाई के दौरान अजीब स्थिति तब बन गई, जब पेशे से एक वकील एक व्यक्ति ने हर्जाने की रकम सिक्कों में अदा की. उसे 24 हजार 600 रुपये देने थे. कोर्ट में इतने सिक्के देखकर वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए. कोर्ट ने सिक्कों की गिनती के लिए मामले में अगली तारीख लगा दी. अब 27 जुलाई को सिक्के गिने जाएंगे.

ये है मामला

एक वकील और उनकी पत्नी के बीच तलाक का केस चल रहा है. इस केस में चंडीगढ़ की ज़िला अदालत ने वकील को आदेश दिया कि दो महीने का खर्च पत्नी को दे. इस आदेश के बाद वकील ने जो किया, उसने सभी को हैरान कर दिया. वकील ने पत्नी को हर्जाने के रूप में ‘पैसे’ ही दिए. जी हां, खर्च की सारी रकम 24,600 रुपये थी, जिसे वकील सिक्कों के रूप में कोर्ट में ले आया.

पत्नी ने किया सिक्के दिए जाने का विरोध

जिला अदालत में एडीजे रजनीश कुमार शर्मा की कोर्ट में मामले की सुनवाई थी. कोर्ट के आदेशानुसार, इस वकील को मेंटेनेंस के तौर पर अपनी पत्नी को दो महीने के 24600 रुपये देने थे. कोर्ट के आदेशानुसार, वकील ने हर्जाने के तौर पर 24600 रुपये सिक्कों के रूप में दिए. अदालत में पत्नी ने सिक्के के रूप में भुगतान किये जाने पर विरोध किया.

सिक्के गिनने के लिए पड़ गई स्टाफ की कमी

इतने सिक्के देखकर कोर्ट में सभी हैरान रह गए. सिक्कों की गिनती के लिए कोर्ट को समय और स्टाफ की कमी पड़ गई. जिसके बाद एडीजे रजनीश कुमार शर्मा ने इस मामले में तीन दिन का समय और दे दिया. इस मामले की अगली तारीख़ 27 जुलाई को है. तभी सिक्के गिने जाएंगे. अदालत में वकील ने कहा कि उसके पास सिर्फ इतने ही पैसे हैं और यह भी वह मांगकर, इकट्ठे करके लाया है.

2014 में हुई थी शादी

महिला ने कहा कि उसके पति के मन में उसके लिए कभी इज़्ज़त नहीं थी, जिसका सबूत सबके सामने है. महिला ने कहा कि उसका पति पेशे से वकील है. कई बड़े लोग उसके क्लाइंट हैं, इसलिये उसके पास रुपयों की कोई कमी नहीं है. वह परेशान करने की नीयत से अदालत में इतने सिक्के लाया है. महिला ने बताया कि 8 फरवरी 2014 को उसकी शादी हुई थी. शादी के दो महीने बाद ही पति ने उसको घर से बहार निकाल दिया. मई 2014 को पति ने ज़िला अदालत में ज्यूडिशियल सेपरेशन की याचिका दायर की थी लेकिन एक साल बाद खुद ही वापस ले ली. इसके बाद अक्टूबर 2015 में पति ने तलाक के लिए केस दर्ज कर दिया. इस पर महिला ने मेंटेनेंस के लिए अदालत में अर्ज़ी दी थी, जो मंज़ूर हो गई.

पहले मस्जिद पर होगा फैसला, फिर पूजा के अधिकार की बारी: सर्वोच्च न्यायालय

 

सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी से बुधवार को कहा कि वो अयोध्या के विवादित स्थल पर पूजा करने का अधिकार दिलाने की मांग करने वाली अपनी याचिका का उल्लेख, क्या मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग है, के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद करे.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के मुसलमान समूह की याचिका पर अपना फैसला 20 जुलाई को सुरक्षित रख लिया था. याचिका में समूह ने अनुरोध किया था कि कोर्ट, मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है बताने वाले अपने 1994 के फैसले की बड़ी पीठ से समीक्षा कराए.

चीफ जस्टिस के अलावा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस डी. वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ ने स्वामी से कहा कि वो इस मामले में फैसला आने के बाद उचित तरीके से अपनी याचिका सूचीबद्ध कराते हुए उस पर जल्दी सुनवाई का अनुरोध करें. स्वामी ने कोर्ट से पूजा करने का अपना अधिकार जल्दी दिलाने का अनुरोध किया था.

दलहनी फसलों सब्जियों को बचाने के लिए घड़रोजो, नीलगायों को मारने की मंजूरी मिलेः अनुप्रिया पटेल

मिर्जापुर।

उत्तर प्रदेश में दलहनी फसलों और सब्जियों को घडरोजो, नीलगायों और वनरोजों से ज्यादा नुकसान हो रहा है। किसानों की इस गम्भीर समस्या से निजात दिलाने के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश के वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान मंत्री दारा सिंह चैहान को पत्र लिखा है। केन्द्रीय मंत्री श्रीमती पटेल ने श्री चौहान से अनुरोध की है कि कृपया जनहित में महत्वपूर्ण इस विषय पर तत्काल कार्यवाही कर घड़रोजो, नीलगायों और वनरोजो को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 अनुसूची 3 से अनुसूची 5 में शामिल करने हेतु अनुशंसा राज्य सरकार से केन्द्र सरकार को भिजवायें ताकि बिहार प्रदेश की तरह उत्तर प्रदेश के लिए भी भारत सरकार द्वारा आदेश जारी कराया जा सके। केन्द्रीय मंत्री श्रीमती पटेल ने अपने पत्र में लिखा है कि दलहनी फसलों और सब्जियों को खाकर तहस-नहस और बर्वाद कर दिया जा रहा है, जिससे आजिज और परेशान होकर किसान दलहनी फसलों और सब्जियों की खेती कम करता चला जा रहा है, परिणाम स्वरूप मांग के अनुरूप दाल और सब्जी पैदा नहीं हो रही है और मूल्य बढ़ रहा है। किसानों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए केन्द्रीय मंत्री श्रीमती पटेल ने 4 दिसंबर 2014 को नियम 377 के तहत लोकसभा में मामला उठाया था और कृषि मंत्री तथा वन, पर्यावरण एवं जंगली पशुओं को ‘पीड़क जंतु‘ मानकर इन्हे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 3 से 5 में शामिल कर मारने हेतु आदेश जारी करने की मांग की थीं, जिस पर केन्द्र सरकार ने 12 जनवरी 2015 को त्वरित कार्यवाही करते हुए केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री ने उत्तर प्रदेष सरकार से इस विषय में रिपोर्ट की मांग की, जो उत्तर प्रदेश सरकार से इस संबंध में भारत सरकार के स्तर से अग्रिम कार्यवाही लंबित है। खास बात यह है कि बिहार सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए 19 जून 2015 को इसे पास कर इसे भारत सरकार को भेज दिया और भारत सरकार ने इसे 1 दिसंबर 2015 को मंजूरी दे दी और इन जंगली जानवरों को पीड़क जन्तु घोषित कर दिया है, इसके बाद बिहार में किसान अपनी फसल की सुरक्षा हेतु इन्हे मार सकते है।