राफेल सौदा ‘ग्रैंड मदर ऑफ ऑल द करप्शन’ है’ : शक्ति सिंह गोहिल


कांग्रेस ने राफेल विमान सौदे को ‘ग्रैंड मदर ऑफ ऑल द करप्शन’ करार दिया और दावा किया कि यह सब ‘राजनीतिक रूप से कम अनुभव वाली’ रक्षा मंत्री के कंधे पर बंदूक रखकर किया जा रहा है


कांग्रेस ने शनिवार को राफेल विमान सौदे को ‘ग्रैंड मदर ऑफ ऑल द करप्शन’ (भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा मामला) करार दिया और दावा किया कि यह सब ‘राजनीतिक रूप से कम अनुभव वाली’ रक्षा मंत्री के कंधे पर बंदूक रखकर किया जा रहा है.

पार्टी ने एक निजी समूह की रक्षा कंपनी को राफेल से जुड़े कांट्रैक्ट मिलने पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जिस कंपनी को ‘काली सूची’ में होना चाहिए उसे इतना बड़ा कांट्रैक्ट क्यों दिया गया है.

कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने संवाददाताओं से कहा, ‘देश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि एक प्रधानमंत्री के तहत चार साल में तीन रक्षा मंत्री हुए हों. मोदी जी के कार्यकाल में चार साल में तीन रक्षा मंत्री आ चुके हैं. अरुण जेटली जी आए, उन्होंने देखा कि मोदी जी मेरे कंधे पर बंदूक रख रहे हैं, बचके निकल गए. मनोहर पर्रिकर जी आए, मौका ढूंढा, अपने राज्य में चले गए.’

उन्होंने कहा, ‘मौजूदा रक्षा मंत्री के पास अभी बड़ा राजनीतिक अनुभव नहीं है. निर्मला जी के कंधे पर गन नहीं, तोप रखकर यह कराया जा रहा है. राफेल सौदा ‘ग्रैंड मदर ऑफ ऑल द करप्शन’ है.’

कांग्रेस और राहुल गांधी राफेल डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मोदी सरकार पर लगातार हमले कर रहे हैं. कांग्रेस ने इसी मामले में प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ लोकसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दे रखा है. पार्टी का आरोप है कि राफेल विमानों की कीमत बताने के संदर्भ में मोदी और सीतारमण ने सदन को गुमराह किया है.

पीएम लखनऊ दौरे के दूसरे दिन देंगे 60,000 करोड़ के प्रोजेक्ट्स की सौगात


ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में पेटीएम, गेल, एचपीसीएल, टीसीएस, बीएल एग्रो, कनोडिया ग्रुप, एसीसी सीमेंट, मेट्रो कैश एंड कैरी, पीटीसी इंडस्ट्रीज, गोल्डी मसाले, डीसीएम श्रीराम समेत कई उद्योग घरानों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लखनऊ दौरे का आज यानी रविवार को दूसरा दिन है. पीएम यहां ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में हिस्सा लेंगे. इस दौरान वो लगभग 60 हजार करोड़ रुपए के विकास योजनाओं की नींव रखेंगे.

पीएम मोदी जो प्रोजेक्ट लॉन्च करेंगे उनमें टीसीएस नोएडा में आईटी/आईटीईएस सेंटर की स्थापना भी शामिल है. पूरा प्रोजेक्ट 2300 करोड़ का होगा. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इससे लगभग 30 हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है. इसके अलावा बिजनौर में सीमेंट प्लांट, बरेली में प्रोसेसिंग यूनिट और गोरखपुर में इंटिग्रेटेड स्टील प्लांट और हरदोई में इंटीग्रेटेड पेंट प्लांट का शिलान्यास करेंगे.

ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में पेटीएम, गेल, एचपीसीएल, टीसीएस, बीएल एग्रो, कनोडिया ग्रुप, एसीसी सीमेंट, मेट्रो कैश एंड कैरी, पीटीसी इंडस्ट्रीज, गोल्डी मसाले, डीसीएम श्रीराम समेत कई उद्योग घरानों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.

इससे पहले शनिवार को पीएम मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ‘भागीदार‘ वाली हाल की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा कि वह इस इल्जाम को ‘इनाम‘ मानते हैं.

इसी के साथ प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें देश के गरीबों के दुख का भागीदार होने पर गर्व है. दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष ने पिछले दिनों संसद में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री पर भागीदार होने का आरोप लगाया था.

शनिवार को लखनऊ में इस आरोप का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘इन दिनों मुझ पर एक इल्जाम लगाया गया है कि मैं चौकीदार नहीं, भागीदार हूं लेकिन देशवासियों मैं इस इल्जाम को इनाम मानता हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे गर्व है कि मैं भागीदार हूं. मैं देश के गरीबों के दुखों का भागीदार हूं. मेहनतकश मजदूरों के दुखों और हर दुखियारी मां की तकलीफों का भागीदार हूं. मैं उस हर मां के दर्द का भागीदार हूं जो लकड़ियां बीनकर घर का चूल्हा जलाती हैं. मैं उस किसान के दर्द का भागीदार हूं जिसकी फसल सूखे या पानी में बर्बाद हो जाती है. मैं भागीदार हूं, उन जवानों के जुनून का, जो हड्डी गलाने वाली सर्दी और झुलसाने वाली गर्मी में देश की रक्षा करते हैं.’

जिसके पांव फटे ना बिवाई, वह क्या जाने पीर पराई : मोदी


राहुल ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री पर इल्जाम लगाते हुए भ्रष्टाचार में ‘भागीदार‘ होने का आरोप लगाया था


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ‘भागीदार‘ वाली हाल की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा कि वह इस इल्जाम को ‘इनाम‘ मानते हैं. इसी के साथ प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें देश के गरीबों के दुख का भागीदार होने पर गर्व है. दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष ने पिछले दिनों संसद में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री पर भागीदार होने का आरोप लगाया था.

शनिवार को लखनऊ में इस आरोप का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘इन दिनों मुझ पर एक इल्जाम लगाया गया है कि मैं चौकीदार नहीं, भागीदार हूं. लेकिन देशवासियों मैं इस इल्जाम को इनाम मानता हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे गर्व है कि मैं भागीदार हूं. मैं देश के गरीबों के दुखों का भागीदार हूं. मेहनतकश मजदूरों के दुखों और हर दुखियारी मां की तकलीफों का भागीदार हूं. मैं उस हर मां के दर्द का भागीदार हूं जो लकड़ियां बीनकर घर का चूल्हा जलाती है. मैं उस किसान के दर्द का भागीदार हूं जिसकी फसल सूखे या पानी में बर्बाद हो जाती है. मैं भागीदार हूं, उन जवानों के जुनून का, जो हड्डी गलाने वाली सर्दी और झुलसाने वाली गर्मी में देश की रक्षा करते हैं.’

मोदी ने कहा कि वह गरीबों के सिर पर छत दिलाने, बच्चों को शिक्षा दिलाने, युवाओं को रोजगार दिलाने, हवाई चप्पल पहनने वालों को हवाई यात्रा कराने की हर कोशिश के भागीदार हैं.

उन्होंने राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘गरीबी की मार ने मुझे जीना सिखाया है. गरीबी का दर्द मैंने करीब से देखा है. मगर जिसके पांव फटे ना बिवाई, वह क्या जाने पीर पराई.’

उल्लेखनीय है कि राहुल ने गत 20 जुलाई को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री पर कुछ उद्योगपतियों के लिए काम करने का इल्जाम लगाते हुए भ्रष्टाचार में ‘भागीदार‘ होने का आरोप लगाया था.

सेंट स्टीफन कॉलेज ने ममता को भेजा आमंत्रण वापिस लिया


तृणमूल कांग्रेस सूत्रों के अनुसार ममता का 31 जुलाई को दिल्ली आने और तीन दिन तक राष्ट्रीय राजधानी में रुकने का कार्यक्रम है 


 

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित सेंट स्टीफन कॉलेज में होने वाले एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने और छात्रों के साथ संवाद करने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बुलाने की अनुमति प्राचार्य ने नहीं दी है. हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने इसे आरएसएस और भाजपा की साजिश करार दिया है.

कॉलेज की एक सोसाइटी की ओर से आयोजित किया जाने वाला यह कार्यक्रम एक अगस्त को होगा. सूत्रों ने बताया कि ममता का इस कार्यक्रम में हिस्सा लेना लगभग तय था लेकिन प्राचार्य ने इसकी अनुमति नहीं दी और न्यौता उन्हें नहीं भेजा गया.

कालेज के प्लानिंग फोरम ने महाविद्यालय प्रशासन को आनलाइन आग्रह किया था कि एक अगस्त को होने वाले कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बुलाया जाए लेकिन कुछ कारणों से यह आगे नहीं बढा .

सूत्रों ने बताया कि बाद में उन्होंने पत्र लिख कर ममता को बुलाने की अनुमति मांगी लेकिन प्राचार्य ने इसकी अनुमति नहीं दी. हालांकि, टिप्पणी के लिए कालेज के प्राचार्य जान वर्गिस से संपर्क नहीं हो सका.

तृणमूल कांग्रेस सूत्रों के अनुसार ममता का 31 जुलाई को दिल्ली आने और तीन दिन तक राष्ट्रीय राजधानी में रुकने का कार्यक्रम है. पार्टी सूत्रों के अनुसार ममता की योजना जनवरी में कोलकाता में एक रैली की है . इसी रैली में विपक्षी दलों को शामिल होने का न्योता देने वह यहां आ रही है .

इस बीच कोलकाता में, तृणमूल कांग्रेस नेताओ ने कॉलेज के कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की अनुमति नहीं मिलने के पीछे भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का हाथ बताया है और कहा है कि उनकी (ममता) आवाज को दबाया नहीं जा सकता है .

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा राज्य सभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने बताया, ‘पहले, अमेरिका के शिकागो में विवेकानंद समारोह, इसके बाद उनकी चीन यात्रा और अब सेंट स्टीफन. ममता बनर्जी ने बीजेपी और संघ को बेचैन कर दिया है. उन्हें प्रयास करने दीजिए, उनकी (ममता) आवाज को बंद नहीं किया जा सकता है.


मात्र उच्चविद्यालय में राजनैतिक गोष्ठी न करने देने से आवाज़ दबाई जा सकती है : नहीं वैसे पूछते हैं

सावन आया अम्मा मेरी रंग भरा जी, ए जी कोई आई हैं हरियाली तीज

सावन के महीने में तीज का त्योहार बहुत अहम होता है। महिलाएं बहुत श्रद्धा और उत्साह से मनाती हैं। इस दिन से कई तरह के रिति-रिवाज जुड़े हैं। इस दिन घर पर अच्छे-अच्छे पकवान बनाए जाते हैं। इस बहाने अपने करीबी लोगों से मिलना-जुलना हो जाता है। आप उन्हें इस तीज के त्योहार पर कई तरह के व्यंजन बनाकर खिला सकती हैं। मीठे की बात करें तो तीज पर मीठे में घेवर का महत्व होता है।
तो आप इस तीज के मौके पर ये पकवान बना सकती हैं.

1. घेवर राजस्थान और हरियाणा में तो इसके बिना तीज के त्योहार की कल्पना भी नहीं हो सकती। तीज पर मीठे में घेवर का महत्व होता है।

2. मीठे चीले आटे का मीठा चीला बनाकर इस तीज खिला सकती हैं।

3. मालपुआ रबड़ी और खीर के साथ खाने का अलग मजा होता है। तीज पर आप मालपुा बनाकर खीर के साथ परोस सकती हैं।

4. आलू-पूरी तीज में ज्यादातर महिलाएं व्रत रखती हैं तो ऐसे में साधारण पूरी खाने से बेहतर आलू पूरी खा सकती हैं।

5. त्योहार कोई भी हो खीर एक पारंपरिक डिश है। तो आप सेवई की खीर तीज पर बना सकती हैं।  गुजिया खाने के हैं शौकीन, तो बनाएं स्पेशल मावा गुजिया।

6. शाही पनीर  जैसे खीर हर तीज-त्योहार में बनाई जाती है वैसे हर खास मौके पर पनीर की कोई न कोई सब्जी जरूर बनती है। इसके साथ आप पूरी और रायता परोसें।

चंचल की रसोई : मालपूआ

चंचल की रसोई 

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मालपुआ

मालपुआ

आवश्यक सामग्री
एक कप (125 ग्राम) गेहूं का आटा
एक चम्मच सौंफ पिसी हुई
3 से 4 इलायची पिसी हुई
एक बड़ा चम्मच कद्दूकस किया नारियल या नारियल का बुरादा
आधा कप चीनी
3 बड़े चम्मच दूध
घी

विधि
– मालपुआ बनाने के लिए सबसे पहले दूध में चीनी डालकर एक घंटे के लिए रख दें.
– तब तक एक बर्तन में आटा छानकर, इसमें सौंफ , इलायची और नारियल का बुरादा डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें.
– जब दूध में चीनी घुल जाए, तो चीनी-दूध के घोल को आटे के मिश्रण में डालकर इसे एक चम्मच से फेंटते हुए मिलाएं.
– इस तरह आटे का न ज्यादा गाढ़ा, न ज्यादा पतला पेस्ट तैयार कर लें. यदि पेस्ट अच्छी तरह नहीं बना, तो इसमें थोड़ा पानी डालकर फेंट लें.
– अब एक कड़ाही में घी डालकर, उसे गैस पर गर्म करने रखें.
– घी गर्म होने के बाद गैस की आंच मध्यम करके, एक बड़े चम्मच में आटे का पेस्ट लेकर, उसे गोल पूरी के आकार में घुमाते हुए घी में डालें और पुआ फ्राई करें.
– मालपुआ दोनों तरफ से पलट कर लाल होने तक सेकें, इसी तरह सभी पुए बनाएं और गर्मागर्म इनका मजा लें.

 

 

चंचल की रसोई : मलाई घेवर

चंचल की रसोई 

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मलाई घेवर

आवश्यक सामग्री
घेवर के लिए
2 कप मैदा
1/4 कप देसी घी
1/4 कप दूध
4 कप पानी
2 कप देसी घी

चाशनी के लिए
1 1/2 कप चीनी
1 कप पानी
1/4 चम्‍मच इलायची पाउडर
विधि
– एक बॉउल में मैदा, घी और दूध मिलाकर अच्‍छी तरह मिक्‍स करें और इसमें पानी डालकर गाढ़ा पेस्‍ट बना लें.
– अब एक पैन में घी गरम करें और उसमें तैयार पेस्‍ट का घोल डालें और उसमें छोटे-छोटे बब्‍ल पड़ने दें.
– इस प्रक्रिया को 3-4 बार दोहराएं और इसके बाद किसी चाकू या चम्‍मच की मदद से घेवर में बीच में एक छेद कर दें.
– अब घेवर को तब तक फ्राई करें जब तब कि वह सुनहरा भूरा न हो जाए.
– तैयार घेवर को एक प्‍लेट में निकालकर रखें और एक्‍सट्रा घी निकालने के लिए इसे टिश्‍यू पेपर में रखें.
– अब बचे हुए पेस्‍ट से इसी तरह बाकी घेवर भी बना लें.
– इसके बाद एक तार की चाशनी तैयार कर लें और उसमें घेवर को 10 सेकेंड के लिए भिगोकर रखें.
– घेवर को सर्विंग डिश में निकाल कर उनके ऊपर रबड़ी और ड्राई फ्रूट्स से सजाकर परोसें।

चंचल की रसोई : राजस्थानी गट्टे वाला पुलाव

चंचल की रसोई 

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राजस्थानी गट्टे वाला पुलाव

राजस्थानी गट्टे वाला पुलाव

आवश्यक सामग्री
3 कप पके हुए चावल
2 कप बेसन
एक कप दही
5 आलू
5 प्याज लम्बाई में कटे हुए
एक बड़ा चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट
4 हरी मिर्च
एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
2 छोटे चम्मच गरम मसाला पाउडर 2 लौंग
एक चुटकी हींग
आधा छोटा चम्मच अजवायन
एक छोटा चम्मच राई
स्वादानुसार लाल मिर्च पाउडर
स्वादानुसार नमक
तेल

सजावट के लिए
बारीक कटी हुई हरी धनिया

विधि
– बेसन को बर्तन में छानकर इसमें थोड़ा लाल मिर्च पाउडर, अजवायन, थोड़ा नमक और दही डालकर मिक्स करके गूंद लें.
– गुंदे हुए बेसन से छोटी-छोटी लोई बनाएं.
– अब लोई को लंबा करके रोल्स तैयार करें.
– गैस पर बर्तन में पानी गर्म करें. इसमें बेसन के रोल्स डालकर मध्यम आंच पर 10 मिनट तक पकाएं.
– फिर गैस बंद करके रोल्स को पानी से निकाल लें और इन्हें एक इंच मोटे टुकड़ों में काटकर बेसन के गट्टे तैयार करें.
– फिर गैस पर कड़ाही में तेल गर्म करें. इसमें लौंग, हींग और राई डालकर तड़का लगाएं.
– इसके बाद तेल में प्याज डालकर फ्राई करें.
– जब प्याज सुनहरे हो जाएं तो इसमें हरी मिर्च और अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर 2 मिनट मध्यम आंच पर पकाएं.
– अब हल्दी, लाल मिर्च, गरम मसाला पाउडर और नमक डालकर एक मिनट पकाएं.
– इसके बाद चावल और बेसन के गट्टे डालकर चलाएं.
– अब चावल को 2 मिनट मध्यम आंच पर पकाएं इसके बाद गैस बंद कर दें और चावल को एक मिनट के लिए ढक दें.
– तैयार है राजस्थानी गट्टे वाला पुलाव. इसे हरी धनिया पत्तियों से गार्निश करके दही या रायते के साथ गर्मागर्म परोसें

Dances of Punjab : Jhumar

 

Jhoomer is the liveliest music and dance form that originated in the Punjab region in Pakistan, mainly in Balochistan (Pakistan) & Sandalbar areas. It is slower and more rhythmic form of bhangra. Jhumar comes from Jhum – which means swaying. The songs evoke a quality which reminds of swaying. Though the content of these songs is varied- they are usually love with emotional songs too. The Jhummar is a dance of ecstasy.

Jhumar is a folk dance performed during the harvest season in Punjab. It is a living demonstration of the happiness of men. The dance is mostly performed by the tribal Sikh (like Labanas) professional acrobats and has yet not been taken to heart by all Punjabis.

Originally a Baluchi tribal dance which was carried to India by traders. It has become very much a part of Punjab folk heritage. It is a dance of graceful gait, based on specific Jhumar rhythm. The Jhummar is a dance of ecstasy. It is a living testimony of the happiness of men. Any time is Jhummar time especially during Melas, weddings and other major functions and celebrations. Performed almost exclusively by men, it is a common sight to see three generations – father, son and grandson – dancing all together. There are three main types of jhummar, each of which has a different mood, and is therefore suited to different occasions.

Jhoomer at International Dance Fastival at Kullu
The costumes are the same as that of the Bhangra. It is danced to the tune of emotional songs without any acrobatics. The dancers dance around a single drummer who stands in the center. The movement of the arms only is considered the dance’s main forte. The dancers’ feet are moved forwards and then backwards, in unison, while turning to the left and to the right to the beat of the singers and drummer, sometimes the dancers place their left hand below their ribs on their left hip as they gesticulate with their raised right hands while circling the drummer in a wide circle keeping up a soft, sibilant chorus as they dance. From time to time a soloist will move toward the center of the circle and showcase his skills. Or two or three dancers will move to the center and mimic planting seeds – bending forward and then straightening up and throwing their left arm in an arc over their head and in the next move they mime thrashing grain, The dancers of this dance let-off a sound, “chzi chzi” (which sounds very much like a tamborine being shaken) in tune with the beat of the dance which adds to its grace. This dance has also been integrated into Bhangra.

This dance does not tire out its performers and it is normally danced on moonlit nights in the villages away from the houses and homes. Today it is danced mostly by tribal Sikh professional acrobats having not yet being adopted by all Punjabis.

Dances Of Punjab : Luddi

Luddi Folk Dance

Luddi Dance

This is also a male dance of Punjab. It is danced to celebrate a victory in any field. Usually performed by the males in the folk culture, the Luddi dance is performed as a celebratory dance that celebrates victory of any Punjabi in any field. The dance movements in this dance form are slow and are often integrated with the traditional Bhangra.

Though these are performed at all auspicious events, the highlight of this dance is that it is performed in all events in a marriage, like baraat, mehendi etc. Being a very high energy, and high enthusiastic dance performance, this just takes the crowd around to the bliss of happiness. Ludi dance is also performed when people want to celebrate their victory – in sports or life and also at times of certain festivals, like the beginning of the harvest season.

The Punjabis celebrate their success with the ludi dance and there is no gender difference as they have a good time at a round of this dance. Though the Punjabis are generally very famous for their colorful dress materials, Ludi in particular has no dress format. A loose top or shirt is sometimes just the dress of that the Ludi dancers wear. The loose dressing pattern just goes to prove that there are no hard and fast rules and it is just about enjoyment of the dance.

While the dance is definitely fast and entertaining, on careful watch, we can see a very rhythmic pattern to it. It is lithe and supple and very graceful and a treat to the eyes to watch this dance. So, the more professional the dancer is the more graceful the Ludi dance turns out to be. We can see a very snake like systematic movement all through the dance.

There are groups of people who participate in this dance and the main attraction is the specific head movements that they practice. So in Punjabi marriage functions like the arrival of the groom’s group or in the bride’s party where the mehendi functions happen, it is very likely that there will be a Ludi performance going on. Every time there is happiness and celebration, then there will be a group of Punjabis doing the Ludi dance as well.

Apart from the head movements, we can also see another important style – this time with respect to their positioning of the hands. Very different yet agile – one hand is placed on the back and the other hand comes in front of their faces. This is a very different and very unambiguous style of Ludi and gives it so much grace and vibrancy at the same time.

We can also see a drummer amidst all the Ludi dancers. When the group of dancers is performing, there is a drummer in the middle of the group – who gives the necessary energy and drum beats for the exciting and rapid dance. In a way these drum beats also give us a feel that the entire Ludi dance is based on this drum beat of the drummer, making it more aligned and rhythmic. The dancers generally dance as pairs. This a beauty of the Punjabi culture, where in every woman in encouraged to dance with her man – quite unlike other patterns of any folk dance form.
In an attempt of copying the movement of a snake, the performers keep one hand on the face and the other on their backs. The dance is often accompanied in the traditional form by a drummer who is usually in the centre and is rarely used as a part of the core dance itself. Across Sutlej, this is a fairly popular dance from Punjab, much more popular than Bhangra. The dance also boasts of a huge historical background and refers to a historical moment in the journey when the Punjabi Sardars began the rescue of the women of India who were forced to sell their bodies in the markets of Basra.
The costumes of the dance form are fairly simple. A Loincloth is usually the main thing that is worn by an exaggerated Kurta. Another accessory that is often used by men is the traditional Turban and the Patka. This dance is performed majorly by the men of Punjab.