ऋषि कपूर ओर तापसी पुन्नु अभिनीत “मुल्क” का ट्रेलर हुआ रिलीस फिल्म 3 अगस्त को


ऋषि कपूर और तापसी पन्नू से सजी इस फिल्म की कहानी एक ऐसे परिवार की है जिस पर देशद्रोह का आरोप लगा है


अनुभव सिन्हा के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘मुल्क’ का ट्रेलर रिलीज हो चुका है. इस फिल्म में दिग्गज कलाकार ऋषि कपूर और तापसी पन्नू ने जबरदस्त एक्टिंग की है, जो कि ट्रेलर में भी साफ तौर पर दिखाई दे रहा है. इस फिल्म का टीजर कुछ दिनों पहले ही रिलीज किया गया था.

मुल्क का ट्रेलर हुआ रिलीज

ऋषि कपूर और तापसी पन्नू की अपकमिंग फिल्म ‘मुल्क’ का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है. इस ट्रेलर में तापसी पन्नू और ऋषि कपूर की एक्टिंग को देखर तो आप उनके मुरीद ही हो जाएंगे. ये फिल्म एक बेगुनाह के सिर से देशद्रोह का कलंक मिटाने की कहानी है. इस फिल्म में तापसी पन्नू वकी आरती मोहम्मद का किरदार निभाती हुई नजर आएंगी जबकि ऋषि कपूर मुराद अली मोहम्मद के किरदार में नजर आएंगे. दोनों इस ट्रेलर में हर जगह छाए हुए हैं. बनारस और लखनऊ की झलक दिखाती इस फिल्म में तापसी देशद्रोह का केस लड़ती हुई नजर आने वाली हैं.

ऋषि कपूर पर लगा है देशद्रोह का आरोप

आपको बता दें कि, ऋषि कपूर और तापसी पन्नू से सजी इस फिल्म की कहानी एक ऐसे परिवार की है जिस पर देशद्रोह का आरोप लगा है. ये परिवार विवाद में उलझने के बाद अपना सम्मान दोबारा पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाता है. फिल्म में ऋषि कपूर पर देशद्रोह का आरोप लगा है जिसकी वकील तापसी पन्नू हैं. वही ऋषि कपूर का केस लड़ती हैं. ये फिल्म 3 अगस्त को रिलीज होने वाली है.

हम पैट्रोलियम मंत्रालय की दया पर नहीं है : सर्वोच्च न्यायालय


पीठ ने यह टिप्पणियां उस वक्त कीं जब शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि इस मंत्रालय ने रविवार को ही पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पेट कोक के आयात पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे से अवगत कराया है


सुप्रीम कोर्ट ने औद्योगिक इकाइयों में पेट कोक के इस्तेमाल से संबंधित मामले में नाराजगी के साथ फटकार लगाई कि क्या पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय खुद को भगवान या सुपर सरकार मानता है. और सोचता है कि बेरोजगार जज उसकी दया पर हैं. जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने यह तीखी टिप्पणियां उस वक्त कीं जब शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि इस मंत्रालय ने रविवार को ही पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पेट कोक के आयात पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे से अवगत कराया है. यह कोक औद्योगिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल होता है.

शीर्ष अदालत ने इस रवैये पर कड़ा रूख अपनाते हुए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय पर इस लापरवाही के लिए 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. अदालत दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर पर्यावरणविद् अधिवक्ता महेश चन्द्र मेहता द्वारा 1985 में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार पर भी एक लाख रूपए का जुर्माना किया क्योंकि उसने राजधानी में अनेक रास्‍तों पर यातायात अवरूद्ध होने की समस्या को दूर करने के लिए कोई समयबद्ध स्थिति रिपोर्ट पेश नहीं की. पीठ ने कहा कि दस मई के अदालत के आदेश के अनुसार दिल्ली सरकार को छह सप्ताह के भीतर इस बारे में हलफनामा दाखिल करना था लेकिन उसने न तो ऐसा किया और न ही उसकी ओर से कोई वकील उपस्थित हुआ. पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार इन आदेशों के प्रति गंभीर नहीं है.

पीठ ने पेट्रोलियम एंव प्राकृतिक गैस मंत्रालय के खिलाफ ये तल्ख टिप्पणियां उस वक्त कीं जब अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने उसे सूचित किया कि इस मंत्रालय से उसे कल ही जवाब मिला है. इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुये पीठ ने कहा, ‘क्या पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय भगवान है? क्या वे भगवान हैं? उनसे कह दीजिये कि वे पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की बजाए अपना नाम बदल कर भगवान कर लें.’

पीठ ने कहा, ‘क्या पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय सुपर सरकार है? क्या वह भारत सरकार से ऊपर है? हमें बताएं कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की क्या हैसियत है? वे किसी भी आदेश का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं?’

नाडकर्णी ने जब यह कहा कि उनका हलफनामा तैयार है और इसे आज ही दाखिल कर दिया जाएगा तो जस्टिस लोकुर ने पलट कर कहा, ‘यदि वे (पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय) आदेशों पर अमल नहीं करना चाहते हैं तो वे पालन नहीं करें. और क्या वे सोचते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के बेरोजगार जज उन्हें समय देंगे. क्यों हमें उनकी दया पर रहना होगा.’

पीठ ने अतिरिक्त् सालिसीटर जनरल को दिन में हलफनामा दाखिल करने की अनुमति देते हुए कहा, ‘हम पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को जवाब भेजने के लिए अपने हिसाब से वक्त लगाने के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के रवैये से आश्चर्यचकित हैं. यह विलंब सिर्फ पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ‘सुस्ती’ के कारण हुआ है.’

पीठ ने इस मंत्रालय पर 25 हजार रुपए लगाते हुए कहा कि यदि जुर्माने की राशि सुप्रीम कोर्ट सेवा प्राधिकरण में 13 जुलाई तक जमा नहीं कराई गई तो वह जुर्माने की राशि बढ़ा देगी. अदालत इस मामले में अब 16 जुलाई को आगे सुनवाई करेगा.

इससे पहले, संक्षिप्त सुनवाई के दौरान न्याय मित्र की भूमिका निभा रही वकील अपराजिता सिंह ने कहा कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को पेट कोक के आयात पर प्रतिबंध लगाने तथा प्राकृतिक गैस की आपूर्ति के बारे में जवाब देना था.

मुफ्त यात्रा के जरिये 2019 पार लगाएगी आआपा


दिल्ली सरकार के इस योजना के शुरुआत के साथ ही इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है. हाल ही में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों को सब्सिडी देने पर रोक लगा दी थी.


दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना की मंजूरी दे दी है. अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना की मंजूरी दे दी. इस योजना की मंजूरी मिलने के साथ ही दिल्ली की हर विधानसभा से 1100 वरिष्ठ नागरिकों को अब योजना का लाभ मिलेगा.

बता दें कि दिल्ली सरकार ने अपने पिछले बजट में भी इस योजना का जिक्र किया था, लेकिन उपराज्यपाल की मंजूरी नहीं मिलने के कारण यह योजना काफी दिनों से अटकी पड़ी थी.

दिल्ली सरकार योजना के शुरुआत में 5 रूट तय किए हैं. ये रूट मथुरा-वृदांवन, हरिद्वार-ऋषिकेश-नीलकंठ, पुष्कर-अजमेर, अमृतसर-बाघा-आनंतपुर साहिब, वैष्णो देवी-जम्मू हैं. योजना के तहत दिल्ली के 77 हजार वरिष्ठ नागरिकों को सरकार मुफ्त में तीर्थ यात्रा कराएगी. तीर्थयात्रा 3 दिन और 2 रात की होगी.

दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फेंस कर इसकी जानकारी दी. कैलाश गहलोत ने मीडिया से बात करते हुए कहा,‘8 जनवरी 2018 को कैबिनेट ने इस योजना की मंजूरी दे दे थी, लेकिन दिल्ली के उपराज्यपाल की तरफ से इस पर आपत्ति लगा दी गई थी. इसी वजह से इस योजना को अब तक लागू नहीं किया गया. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली सरकार और एलजी के बीच चल रहे अधिकारों की लड़ाई में एक लकीर खींच दी थी. इसके बाद ही दिल्ली सरकार ने इस योजना को लागू करने का फैसला किया है.

इससे पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर इस योजना के बारे में जानकारी दी थी. मुख्यमंत्री तीर्थ योजना के तहत दिल्ली के हर विधानसभा से हर साल 1100 यात्रियों को तीर्थ यात्रा करवाई जाएगी. इस तीर्थयात्रा का पूरा खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी. इस तरह हर साल 77 हजार वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त में पांच तीर्थस्थलों का भ्रमण कराया जाएगा.

इस योजना का लाभ पाने के लिए कुछ जरूरी बातों का भी ख्याल रखना होगा.

1- यात्रा करने वाला आदमी दिल्ली का नागरिक होना चाहिए

2- यात्रा करने वाले की उम्र 60 से अधिक होनी चाहिए.

3- इस योजना के लिए चयनित नागरिक अपने साथ एक 18 साल से अधिक उम्र के एक सहयोगी को भी ले जा सकेंगे, जिसका भी पूरा खर्च दिल्ली सरकार ही उठाएगी.

4- सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा.

5- इस योजना का लाभ उठाने वाले व्यक्ति को सेल्फ सर्टिफिकेशन से बताना होगा कि उसने सही सूचनाएं दी हैं और पहले कभी इस योजना का लाभ नहीं उठाया है.

6- तीर्थयात्रा के लिए चयनित व्यक्तियों को एक लाख का बीमा होगा.

7- तीर्थयात्री एसी बसों से तीर्थयात्रा पर जाएंगे. खाने-पीने की व्यवस्था भी दिल्ली सरकार के तरफ से ही की जाएगी.

8- सभी आवेदन पत्र ऑनलाइन भरे जाएंगे. आवेदन पत्र डिविजनल कमिश्नर ऑफिस, संबंधित विधानसभा के विधायक या फिर तीर्थ यात्रा कमेटी के ऑफिस से भरे जाएंगे.

9- लॉटरी से ड्रॉ तीर्थयात्रियों का चयन किया जाएगा

10- संबंधित विधायक सर्टिफाई करेंगे कि तीर्थयात्रा करने वाला व्यक्ति दिल्ली का नागरिक है.

बता दें कि पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार ताबड़तोड़ फैसले ले रही है. साल 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए दिल्ली की केजरीवाल सरकार लगातार एक के बाद एक ऐसे फैसले ले रही है, जिसका संबंध सीधे आम जनता से जुड़ा हुआ है. मोहल्ला क्लिनिक का मामला हो या फिर घर-घर राशन डिलवरी का ये कुछ ऐसे फैसले हैं जो कि अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की जनता से जोड़ने का काम करेगी.

दूसरी तरफ दिल्ली सरकार के इस योजना के शुरुआत के साथ ही इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है. हाल ही में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों को सब्सिडी देने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद से ही कई धार्मिक यात्राओं पर भी सब्सिडी पर सवाल खड़े किए जाने लगे हैं. ऐसे में अरविंद केजरीवाल का यह फैसला विरोधियों को नागवार गुजर सकता है.

इसके बावजूद कई राज्य सरकारें धार्मिक यात्रा पर जाने वाले लोगों को सब्सिडी देती रही हैं. मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार ने साल 2012 में तीर्थयात्रियों के लिए एक योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत शिरडी, अजमेर शरीफ, बद्रीनाथ, केदारनाथ, जगन्नाथ पुरी, द्वारका, वैष्णो देवी जैसे कई और तीर्थस्थलों पर वरिष्ठ नागरिकों को भेजा जाता है.

साल 2012 में राज्य के 51 जिलों के 89 हजार वरिष्ठ नागरिकों ने इस योजना का लाभ उठाया था. यही नहीं राज्य की शिवराज सरकार ने पाकिस्तान में ननकाना साहेब और हिंगलाज माता मंदिर, मानसरोवर यात्रा, श्रीलंका में सीता मंदिर और अशोक वाटिका की यात्रा पर जाने वालों को भी 50 फीसदी खर्च उठाती है.

उत्तर प्रदेश सरकार भी मानसरोवर यात्रा और सिंधू दर्शन यात्रा के लिए सब्सिडी देती रही है. मानसरोवर यात्रा के लिए योगी सरकार ने पिछले साल ही 50 हजार रुपए राशि को बढ़ा कर एक लाख रुपए कर दिया.

देश में कई ऐसे राज्य हैं जो धार्मिक यात्रा पर जाने वाले लोगों को सब्सिडी देते हैं. गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु, ओडिशा और असम जैसे राज्यों में भी तीर्थ यात्रा के लिए विशेष सब्सिडी दी जाती है. हाल के दिनों में तीर्थाटन पर दी जा रही सब्सिडी को लेकर सवाल भी उठे हैं, जिसके बाद से कई राज्यों ने सब्सिडी में कटौती करना भी शुरू कर दिया है. ऐसे में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने गैर मुस्लिमों के लिए भी तीर्थ यात्रा की योजना शुरू कर इसको और हवा देने का काम किया है.

आपातकाल, सिख दंगों और मुस्लिम तुष्टीकरण को भुला दें तो सिर्फ पिछले 4 साल से ही लोकतन्त्र खतरे में है


खड़गे ने कहा है कि ‘एक चायवाला इसलिये देश का प्रधानमंत्री बन सका क्योंकि कांग्रेस ने लोकतंत्र को बचाए रखा’. वाकई खड़गे का ये खुलासा इस देश की स्वस्थ राजनीति और मजबूत लोकतंत्र का प्रतीक है.


मल्लिकार्जुन खड़गे लोकसभा में कांग्रेस की तरफ से नेता प्रतिपक्ष हैं. वो अपने बयानों और भाषणों से देश की सियासत में बड़ी अहमियत रखते हैं. हाल ही में उन्होंने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने साल 2014 का चुनाव जीतकर नरेंद्र मोदी के पीएम बनने पर बड़ा खुलासा किया है. खड़गे ने कहा है कि ‘एक चायवाला इसलिये देश का प्रधानमंत्री बन सका क्योंकि कांग्रेस ने लोकतंत्र को बचाए रखा’. वाकई खड़गे का ये खुलासा इस देश की स्वस्थ राजनीति और मजबूत लोकतंत्र का प्रतीक है.

खड़गे ने जिस लोकतंत्र की दुहाई देते हुए एक चायवाले को देश का पीएम बनने का मौका दिया वो काबिल-ए-तारीफ है. लोकतंत्र को ही बचाने के लिये कांग्रेस ने यूपीए सरकार के वक्त अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह को भी मौका दिया था तो साल 2014 में ये मौका मोदी को मिला. खड़गे के बयान के बाद लोकतंत्र को बचाने के लिये कांग्रेस के योगदान को कम नहीं आंका जा सकता है. इसी लोकतंत्र को बचाने के लिये ही कांग्रेस सिमटते-सिमटते 44 सीटों पर आ गई. इसके बावजूद ये पूछा जाता है कि कांग्रेस ने पिछले 70 साल में देश के लिये क्या किया?

खड़गे जिस लोकतंत्र को बचाने के लिये कांग्रेस की पीठ थपथपा रहे हैं तो उसी पार्टी के सिपाही मणिशंकर अय्यर ने ही सबसे पहली आहुति भी दी थी. कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की पहल को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है. कांग्रेस के सम्मेलन के वक्त ही मणिशंकर अय्यर ने सबसे पहले कहा था कि, ‘मोदी जी अगर चाय बेचना चाहें तो वो यहां आकर चाय बेच सकते हैं लेकिन एक चायवाला देश का पीएम नहीं बन सकता’.

मणिशंकर अय्यर की ही भावुक अपील ने देश की सियासत का नक्शा ऐसा बदला कि देश के कई राज्यों में कांग्रेस को ढूंढना पड़ गया. अय्यर ने ही नब्ज़ को टटोलते हुए जनता के भीतर एक चायवाले को लेकर सहानुभूति भरने का सबसे पहले काम किया. लोकसभा चुनाव के बाद अय्यर ने गुजरात विधानसभा चुनाव के वक्त भी लोकतंत्र को बचाने के लिये नया बयान दिया. बाद में उसी लोकतंत्र को ही बचाने के लिये कांग्रेस को अपने मजबूत सिपाही की राजनीतिक कुर्बानी भी देनी पड़ी. मणिशंकर अय्यर फिलहाल पार्टी से निलंबित चल रहे हैं. लेकिन लोकसभा और गुजरात विधानसभा चुनाव के वक्त उनका योगदान कांग्रेस कभी भूल नहीं सकेगी.

खड़गे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. उन्होंने दो लोकतंत्र एक साथ देखे हैं. एक कांग्रेस का आंतरिक लोकतंत्र तो दूसरा देश के संविधान से सजा हुआ लोकतंत्र. आंतरिक लोकतंत्र के वो एक बड़े गवाह हैं. कर्नाटक में अच्छी पकड़ रखने वाले खड़गे के कर्नाटक का सीएम बनने की पूरी संभावना थी. विधानसभा चुनाव के नतीजों में उनकी धाक जमी थी. लेकिन खड़गे को सीएम बनने का मौका नहीं मिल सका. उनकी जगह सिद्धारमैया को सीएम बना दिया.

शायद यहां भी कांग्रेस ने लोकतंत्र को ही बचाने के लिये खड़गे से राजनीतिक त्याग मांगा. हालांकि बीजेपी कांग्रेस पर ये आरोप लगाती है कि कांग्रेस ने खड़गे के साथ इंसाफ नहीं किया और राहुल के करीबी माने जाने वाले सिद्धारमैया को कर्नाटक की कमान सौंपी. जबकि देखा जाए तो कांग्रेस ने खड़गे को कर्नाटक का सीएम न बना कर उनका कद ही बढ़ाया है. लोकसभा में खड़गे कांग्रेस के लिये सबसे बड़ी तोप भी हैं तो सबसे मजबूत ढाल भी. पीएम मोदी और बीजेपी के हमलों को वो ही सदन में बैठकर झेलते भी हैं और आरोपों का जवाब भी देते हैं. उनकी हिंदी पर पकड़ और हिंदी में धारा-प्रवाह भाषण की कला हिंदी पट्टी के नेताओं को शर्मिंदा कर जाती है.

लोकतंत्र को बचाने के लिये ही कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे को संसद के लिये स्थायी तौर पर अपना सेनापति बनाया है ताकि कर्नाटक का मोह कहीं आड़े नहीं आए. लोकतंत्र बचाने के लिये ही इस बार कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बहुमत न मिलने के बावजूद कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन दे कर सरकार बनवाई है. हालांकि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के पीडीपी से समर्थन वापस लेने के बाद कांग्रेस को लोकतंत्र खतरे में नहीं दिखा तभी उसने पीडीपी को सरकार बनाने के लिये समर्थन देने का कोई प्रस्ताव नहीं दिया.

कांग्रेस लगातार बीजेपी पर मार्गदर्शक नेताओं की अनदेखी और अवहेलना के आरोप लगाती है. कांग्रेस कहती है कि बीजेपी के भीतर आवाज दबा दी जाती है. जबकि इसके ठीक उलट कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र की तस्वीर आईने की तरह साफ है. यहां विरोध की कोई आवाज ही नहीं पनपती तो उसे दबाने का आरोप भी कोई नहीं लगा सकता.

कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र का ही ये नायाब मॉडल है कि यहां एक सुर में उपाध्यक्ष रहे राहुल गांधी की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी को कोई और आवाज चुनौती नहीं दे सकी. ये न सिर्फ पार्टी का मजबूत आंतरिक लोकतंत्र है बल्कि अनुशासन भी! निष्ठा के साथ अनुशासन के कॉकटेल से कांग्रेस के लोकतंत्र को मजबूत होने में कई दशकों का समय लगा है.

यूपीए सरकार में जब डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया गया तो वो भी लोकतंत्र बचाने के लिये ही भावनात्मक और व्यावहारिक फैसला लिया गया था. मनमोहन सिंह राज्यसभा के नामित सदस्य थे. कभी चुनाव लड़ा नहीं था क्योंकि कभी सोचा भी नहीं था कि पीएम बनने का ऑफर इस तरह से आएगा. उस वक्त कांग्रेस के तमाम दिग्गज और पुराने चेहरों की निष्ठा और सियासी अनुभव पर मनमोहन सिंह का मौन आवरण भारी पड़ा था और वो सर्वसम्मति से पीएम बने थे. उस दौर में प्रणब मुखर्जी जैसे बड़े नाम भी लोकतंत्र को बचाने की रेस में दूर दूर तक नहीं थे. मनमोहन सिंह के नाम पर पीएम पद के प्रस्ताव को सर्वसम्मति, ध्वनिमत, पूर्ण बहुमत के साथ देश हित और लोकतंत्र बचाने के लिये अनुमोदित किया गया.

जब कभी पार्टी या देश का लोकतंत्र कांग्रेस ने खतरे में देखा तो उसने बड़े फैसले लेने में देर नहीं की. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी के हाथों में जब कांग्रेस और देश एकसाथ कमजोर दिखे और लोकतंत्र खतरे में महसूस हुआ तो कांग्रेस ने उन्हें ‘उठाकर’ हटाने का फैसला ‘भारी मन’ से लेने में देर नहीं की. यहां तक कि देश को आर्थिक उदारवाद के रूप में प्रगति की नई राह दिखाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की आवाज भी ‘सम्मोहित’ नहीं कर सकी.

आज कांग्रेस की ही तरह देश के तमाम दिग्गज नेता अपनी अपनी क्षेत्रीय पार्टियों के साथ लोकतंत्र बचाने में जुटे हुए हैं. लोकतंत्र को लेकर उनकी निष्ठा ही कांग्रेस के साथ महागठबंधन के आड़े आ रही है.

एनसीपी चीफ शरद पवार महागठबंधन की संभावनाओं को खारिज करते सुने जा सकते हैं तो टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी और टीआरएस नेता केसी राव लोकतंत्र बचाने के लिये तीसरे मोर्चे की तैयारी करते दिख रहे हैं.

बहरहाल खड़गे ने भी पीएम मोदी को ‘चायवाला’ कह कर देश की सियासत में चाय का उबाल ला दिया है. खड़गे से पूछा जा सकता है कि क्या वो देश के लोकतंत्र को बचाने के लिये साल 2019 में भी चायवाले को देश का पीएम बनने देंगे?

अगर एक बार कांग्रेस ‘देशहित’ में इतना बड़ा फैसला ले सकती है तो दूसरी बार भी लोकतंत्र की खातिर कांग्रेस को पीएम मोदी को दूसरा मौका देना चाहिये.

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने ये आरोप भी लगाया कि पिछले चार साल से देश में अघोषित आपातकाल है. खड़गे जी ने 1975 की घोषित इमरजेंसी भी देखी है. उनसे पूछा जाना चाहिये कि क्या अघोषित इमरजेंसी में जितनी बेबाकी से वो और तमाम सियासी-गैर सियासी लोग अपनी बात, अपना विरोध और मोदी हमला जारी रखे हुए हैं क्या वो 1975 की इमरजेंसी में संभव होता?

बहरहाल लोकतंत्र को बचाने के लिये कांग्रेस के भीतर एक आवाज प्रियंका गांधी को भी लाने की काफी समय से गूंज रही है. लेकिन कांग्रेस फिलहाल इस आवाज को अनसुना कर रही है. लोकतंत्र को बचाने के लिये कांग्रेस को अपने सारे ऑप्शन्स भी खुले रखने चाहिये.

क्या मुस्लिम तुष्टीकरण के चलते हुई स्वामी परिपूर्णानन्द की गिरफ्तारी?


काकीनाड़ा श्री पीठम के प्रमुख स्वामी परिपूर्णानंद को हिन्दू विरोधी बयान देने वाले लोगों के खिलाफ एक मार्च की अगुवाई करनी थी


तेलंगाना के हैदराबाद में एक आध्यात्मिक नेता को उनकी प्रस्तावित 40 किलोमीटर लंबी पदयात्रा से पहले सोमवार को नजरबंद कर दिया गया. यह यात्रा बोडुप्पल से यदादरी तक जानी थी.

पुलिस ने बताया कि काकीनाड़ा श्री पीठम के प्रमुख स्वामी परिपूर्णानंद को हिंदू  विरोधी बयान देने वाले लोगों के खिलाफ एक मार्च की अगुवाई करनी थी , लेकिन पुलिस ने यात्रा निकालने के लिए घर से बाहर निकलने पर ही रोक लगा दी. इस यात्रा के लिए पुलिस ने इजाजत नहीं दी थी.

पुलिस ने बताया कि इसके बाद स्वामी के समर्थक और विभिन्न हिन्दू संगठनों के सदस्य उनके घर के पास इकट्ठा हो गए. उन्होंने बताया कि परिपूर्णानंद ने हाल में हिंदू देवताओं के खिलाफ कथित टिप्पणी करने के लिए तेलुगू अभिनेता और फिल्म आलोचक काथी महेश की गिरफ्तारी की मांग की थी और कहा था कि अभिनेता ने हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है.

पुलिस ने बताया कि राज्य के किसी भी हिस्से में अभिनेता के बयान के खिलाफ प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं दी गई है. अतिरिक्त पुलिस आयुक्त एम वेंकटेश्वरलु ने कहा, ‘परिपूर्णानंद को सिर्फ नजरबंद किया गया है.’

उन्होंने बताया कि मुद्दे पर प्रदर्शन करने की कोशिश करने पर विभिन्न संगठनों के 20 सदस्यों को एहतियाती तौर पर हिरासत में लिया गया है. परिपूर्णानंद को सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कथित रूप से हिन्दू देवताओं के खिलाफ हालिया बयानों और अभियानों के खिलाफ पदयात्रा निकालनी थीं.

उन्होंने सरकार से किसी भी धर्म के देवता की निंदा करने और अपमानित करने वाले तत्वों को कड़ी सजा देने वाला कानून तुरंत बनाने की मांग की थी.नजरबंदी की निंदा करते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के लक्ष्मण ने कहा कि प्रदर्शन करना और पदयात्रा निकालना संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार द्वारा हिंदू विरोधी टिप्पणी पर कथित रूप से कड़ा रूख नहीं अपनाने की वजह  से धार्मिक नेताओं को सड़कों पर आना पड़ा.’

डॉ हाथी का किरदार निभाने वाले कवि कुमार आज़ाद नहीं रहे


डा. हंसराज हाथी का किरदार निभाने वाले मशहूर कलाकार कवि कुमार आजाद का आज सुबह मुम्बई में कार्डियक अरेस्ट के चलते निधन हो गया


सब टीवी के पॉपुलर शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में डा. हंसराज हाथी का किरदार निभाने वाले मशहूर कलाकार कवि कुमार आजाद का आज सुबह मुम्बई में कार्डियक अरेस्ट के चलते निधन हो गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक आज सुबह कवि कुमार आजाद ने अपने शो के सेट पर जानकारी भिजवाई कि उनकी तबियत ठीक नहीं है और वो आज शूटिंग के लिए नहीं आ पाएंगे.

बताया जा रहा है कि कवि कुमार आजाद की तबियत पिछले तीन दिनों से ठीक नहीं थी. पिछली रात उन्हें कोमा में शिफ्ट किया गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक आजाद को मीरा रोड स्थित वोकहार्ड हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था. जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. कवि कुमार आजाद के आकस्मिक निधन की खबर मिलते ही फिल्म सिटी में चल रहे शो के शूट को कैंसिल कर दिया गया है.

खबरों की मानें तो उनका वजन करीब २१५ किलो था जिसकी वजह से वह परेशान थे और वजन कम करने के लिए इलाज करा रहे थे. आजाद जिंदादिल इंसान थे और उनके इस तरह से चले जाने पर उनके साथी कलाकार गमजदा हैं.

परमीश वर्मा पर हमला करने वाले गैंगस्टर दिलप्रीत बाबा हुआ गिरफ्तार

मशहूर सिंगर परमीश वर्मा पर हमला करने वाले गैंगस्टर दिलप्रीत बाबा को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसे तीन गोलियां लगीं और वह बुरी तरह से घायल हो गया। चंडीगढ़ क्राइम ब्रांच की पुलिस ने पंजाब के गैंगस्टर दिलप्रीत बाबा को सेक्टर 43 बस स्टैंड के पीछे की सड़क पर से पकड़ा है।

क्राइम ब्रांच के इंचार्ज इंस्पेक्टर अमनजोत सिंह व उनकी टीम ने गैंगस्टर को पकड़ना चाहा, पर वह भागने की फिराक में था। इंस्पेक्टर अमनजोत ने पीछा करते हुए गैंगस्टर की कार को पीछे से टक्कर मारी। इस दौरान दोनों तरफ से करीब तीन राउंड फायरिंग की गयी। इसमें गैंगस्टर को तीन गोलियां लगीं।

एक गोली उसकी जांघ में जा धंसी और वह लहूलुहान हो गया। मौके पर पहुंची थाना पुलिस, ऑपरेशन सेल, पीसीआर और क्यूआरटी टीमों ने पूरे इलाके को सील कर दिया और फिर गैंगस्टर को गिरफ्तार कर लिया गया। फिलहाल उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है।