आम चुनाव से पहले कांग्रेस के संगठन को हर घर में पहुंचा दिया जाए :राहुल


अमेठी में राहुल गांधी ने संगठन को मजबूत करने पर ध्यान दिया है. बीजेपी से मुकाबले के लिए पार्टी के सभी फ्रंटल संगठन में फेरबदल किया गया है


राहुल गांधी अपने 2 दिन के अमेठी दौरे के बाद दिल्ली वापस आ गए हैं. दिल्ली में राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल के नेताओं से मुलाकात की है. एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं से भी वो मिले हैं. अमेठी में राहुल गांधी ने संगठन को मजबूत करने पर ध्यान दिया है. जिसमें सभी फ्रंटल संगठन में फेरबदल किया गया है. किसान कांग्रेस को भी मजबूती से खड़ा करने की हिदायत दी है. यही नहीं यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई में धार लाने के लिए भी संगठनात्मक बदलाव किया गया है. राहुल गांधी चाहते है कि आम चुनाव से पहले कांग्रेस के संगठन को हर घर में पहुंचा दिया जाए. जिससे चुनाव के वक्त राहुल गांधी को अमेठी में ज्यादा वक्त देने की जरूरत ना पड़े.

सेवादल को मिला है अहम काम

कांग्रेस सेवादल की अमेठी में ट्रेनिंग चल रही है. इस बार खास तरह की वर्कशॉप चलाई जा रही है. सेवादल के लोग हर गांव में जाकर राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार का जवाब देंगे. खास कर सोशल मीडिया कांग्रेस के विरोध में बताई जा रही बात को कैसे तथ्यों के जरिए गलत साबित किया जाए, इस पर खास ध्यान दिया जा रहा है. यह लोग ट्रेनिंग के बाद गांव में चौपाल लगा कर मोदी सरकार और राज्य की सरकार की नाकामी को जनता के सामने रखेंगें. कांग्रेस का प्रयोग नया होगा जिसमें सोशल मीडिया का जवाब परपरांगत तरीके से दिया जाएगा. हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि सोशल मीडिया को तरजीह नहीं दी जा रही है. बकायदा सोशल मीडिया की टीम बनाई जा रही है

हर बूथ, दस यूथ की रणनीति

अमेठी संसदीय क्षेत्र में तकरीबन 1522 बूथ हैं. राहुल गांधी की रणनीति है कि एक बूथ पर दस यूथ को जोड़ा जाए, इस योजना में फ्रंटल संगठनों का एक सदस्य इन बूथ कमेटियों का सदस्य बनाया जाएगा. इस काम से तकरीबन 15 हजार कार्यकर्ताओं की फौज तैयार हो जाएगी. जिससे इलेक्शन में कार्यकर्ताओं को खोजना नहीं पड़ेगा. सबकी फेहरिस्त राहुल गांधी के कार्यालय के पास मौजूद रहेगी.

EDS PLS TAKE NOTE OF THIS PTI PICK OF THE DAY:::::::: New Delhi: Congress President Rahul Gandhi during the Seva Dal meeting, at AICC Headquarter in New Delhi on Monday, June 11, 2018 (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI6_11_2018_000134B)(PTI6_11_2018_000212B)

2019 चुनाव से पहले कांग्रेस की योजना सेवादल को मजबूत बनाने की है (फोटो: पीटीआई)

हर बूथ पर सोशल मीडिया का यूथ

राहुल गांधी ने 2 दिन के इस दौरे में गौरीगंज में सोशल मीडिया की टीम से मुलाकात की. जिनकी तादाद तकरीबन 150 की थी. इन सभी को लीडरशिप और सोशल मीडिया की ट्रेनिंग दी जा रही है. राहुल गांधी चाहते हैं कि यह तादाद 1500 पहुंच जाए. जिसका मतलब हर बूथ पर सोशल मीडिया का एक आदमी तैनात हो जाए. जिसके स्मार्टफोन में उस बूथ की वोटर लिस्ट की सॉफ्ट कॉपी मौजूद रहे. वोटर का पूरा ब्योरा भी रखने के लिए कहा जा रहा है. ताकि हर वोट पर कांग्रेस की नजर रहे. यह सोशल मीडिया वर्कर बूथ की राजनीतिक हलचल से बड़े नेताओं को आगाह करता रहेगा. जिसके लिए अलग से वाट्सएप ग्रुप भी बनाया जा रहा है.

शक्ति एप लॉच

कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का डाटाबेस तैयार करने के लिए शक्ति एप दिल्ली में लॉन्च किया गया था. जिसको अब अमेठी में शुरू कर दिया गया है. इसके जरिए कार्यकर्ता सीधे राहुल गांधी से जुड़ सकता है. पार्टी के भीतर संवाद करने के लिए यह बेहतरीन तरीका हो सकता है. हालांकि दिल्ली में अमेठी के लोगों और कार्यकर्ता के लिए अलग से ऑफिस बना है. जिसमें अमेठी के लोगों के कामकाज के लिए सुविधा है.

बीजेपी के निशाने पर कांग्रेस का गढ़

अमेठी का किला ढहाने के लिए बीजेपी भी लगातार कोशिशें कर रही है. अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस पर विशेष ध्यान है. अमित शाह लगातार अमेठी और रायबरेली पर निगाह रखे हुए हैं. बीजेपी ने रायबरेली से एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह को अपने पाले में कर लिया है. उनके विधायक भाई बीजेपी के साथ हैं. लेकिन सदस्यता जाने के खतरे से औपचारिक तौर पर बीजेपी के साथ नहीं हैं. बीजेपी की तरफ से कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी राहुल के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश कर रहीं हैं.

Yogi Adityanath meets Amit Shah

राहुल गांधी को 2019 में अमेठी में पटखनी देने की योजना पर अमित शाह और योगी आदित्यनाथ मिलकर काम कर रहे हैं

2014 में घट गई थी राहुल की मार्जिन

अमेठी से लगातार 3 चुनाव जीत चुके राहुल गांधी के जीत का अंतर 2014 के चुनाव में काफी कम हो गया था. राहुल के खिलाफ मुकाबले में स्मृति ईरानी बीजेपी से और कुमार विश्वास आप से चुनाव लड़े थे. कांग्रेस का गढ़ होने के बाद भी प्रियंका गांधी को इस सीट के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. 2014 में राहुल गांधी ने बीजेपी की स्मृति ईरानी को 1 लाख 7 हजार वोटों से हराया था. जबकि 2009 में राहुल गांधी इस सीट से तकरीबन 3 लाख 70 हजार वोटों के अंतर से जीते थे.

पहली बार अमेठी से साल 2004 में चुनाव लड़ने गए राहुल गांधी 2 लाख 90 हजार वोटों से जीते थे. जिस तरह बीजेपी अमेठी की बदहाली का प्रचार कर रही है. उसकी काट के लिए कांग्रेस लगातार कोशिशें कर रही है. बीजेपी के गिरते ग्राफ से कांग्रेसी उत्साहित है. अमेठी से एमएलसी और गांधी परिवार के करीबी दीपक सिंह का कहना है कि इस बार विपक्ष हवा हो जाएगा. क्योंकि 2019 में अमेठी की जनता सासंद के साथ प्रधानमंत्री भी चुनने वाली है. इसलिए राहुल गांधी के जीत का अंतर काफी ज्यादा होगा. अमेठी के कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के तौर पर भले ही देखते हों लेकिन देश के राजनीतिक हालात अभी कांग्रेस के लिए मुफीद नहीं है.

अमेठी छोड़ने की अटकलें सिर्फ अफवाह

कांग्रेस से जुड़े लोगों का कहना है कि यह सिर्फ विपक्ष की साजिश है. जिसमें कहा जा रहा कि राहुल गांधी अमेठी छोड़कर रायबरेली से चुनाव लड़ सकते हैं. इस बात को विराम लगाने के लिए राहुल गांधी रायबरेली की निगरानी समिति की बैठक में नहीं गए थे. जिसकी अध्यक्षता सोनिया गांधी ने की थी. राहुल गांधी के करीबी लोगों का कहना है कि वो 2019 में भी अमेठी से ही चुनाव लड़ेगे. इसलिए संगठन को चुस्त और दुरूस्त किया जा रहा है.

Rahul Gandhi In Amethi

अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी में लोगों से मिलते हुए राहुल गांधी (फोटो: ट्विटर से साभार)

क्या है अमेठी लोकसभा का इतिहास

अमेठी संसदीय क्षेत्र 1967 में बना था. इसके पहले सांसद कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी बने थे. तब से लेकर आज तक कांग्रेस यहां सिर्फ 2 बार चुनाव हारी है. 1977 में संजय गांधी जनता पार्टी के उम्मीदवार रवींद्र सिंह से चुनाव हार गए थे. उसके बाद 1998 में तब बीजेपी उम्मीदवार संजय सिह ने सतीश शर्मा को हराया था.

संजय गांधी के निधन के बाद 1981 में राजीव गांधी यहां से सांसद निर्वाचित हुए थे. इस सीट पर बीजेपी सिर्फ 1998 में चुनाव जीत पाई है. लेकिन तब के बीजेपी सांसद काफी पहले घर वापसी कर चुके हैं. संजय सिंह इस वक्त कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हैं.

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