Superior not guilty if staffer ends life due to heavy workload : SC


  • SC has ruled that superiors cannot be held responsible for abetment if an employee, depressed because of a heavy workload at office, commits suicide
  • The SC said a superior officer assigning a load of work to an employee could not be assumed to be of a criminal bent of mind

In a decision with important workplace implications, the Supreme Court has ruled that superiors cannot be held responsible for abetment if an employee, depressed because of a heavy workload at office, commits suicide. The SC said a superior officer assigning a load of work to an employee could not be assumed to be of a criminal bent of mind who intended to harass an employee or force him to end his life. It rejected the argument of the Aurangabad bench of the Bombay HC that the officer was culpable even if there was no direct abetment on the grounds that the conditions created could lead to unbearable mental tension.

Kishor Parashar, working in the Aurangabad office of the deputy director of education in Maharashtra government, committed suicide in August 2017. His wife filed a complaint with the police accusing her husband’s superior officer of abetting the suicide. She alleged the superior used to assign a heavy workload to Parashar, requiring him to work till late evening.

She said the senior called him for work at odd hours and also on holidays, stopped salary for a month and threatened to stop increment. She claimed her husband remained silent at home and the superior was responsible for his suicide. After the Aurangabad police registered an FIR, the senior officer moved the Aurangabad bench of the Bombay HC for quashing the FIR.

On January 23, the HC rejected the plea to quash the FIR. The HC had said, “The facts indicate that there was no direct abetment and the applicants cannot have any intention that the deceased should commit suicide. Even when the accused persons have no such intention, if they create a situation causing mental tension so as to drive the person to commit suicide, they can be said to be instigating the accused to commit suicide.”

When the superior officer appealed before the SC, the plea was opposed by the Maharashtra government’s standing counsel Nishant Katneswarkar. A bench of Arun Mishra and U U Lalit found the HC’s logic in roping in the superior officer on the charge of abetting suicide untenable. Justice Lalit, who authored the judgment, said, “It is true that if a situation is created deliberately so as to drive a person to commit suicide, there would be room for attracting Section 306 of the IPC (abetment to suicide). However, the facts on record in the present case are inadequate and insufficient (to reach that conclusion).” The bench quashed the FIR against the superior officer.

कुछ लोग 28 जून को प्रदर्शन करने के नाम पर सिख समाज को भ्रमित कर रहे हैं : बख्शीश सिंह विर्क

चंडीगढ़, 27 जून

हरियाणा के निवर्तमान मुख्य संसदीय सचिव एवं असंध विधानसभा क्षेत्र से विधायक श्री बख्शीश सिंह विर्क ने कहा कि कुछ लोग 28 जून को प्रदर्शन करने के नाम पर सिख समाज को भ्रमित कर रहे हैं ,सिख समाज को ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए।
श्री विर्क ने सिख समाज के प्रतिनिमंडल के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल से मुलाकात की। प्रतिनिमंडल ने मुख्यमंत्री को अपनी मांगों का एक ज्ञापन भी सौंपा।
विधायक ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा बाबा बंदा सिंह बहादुर के नाम पर कई योजनाओं एवं संस्थाओं का नाम रखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है शाहबाद (कुरूक्षेत्र) से बराड़ा को जाने वाली सडक़ का नाम बाबा बंदा सिंह बहादुर के नाम रखा जाएगा। इसके अलावा हरियाणा सरकार ने यमुनानगर में कपाल मोचन द्वार का नाम भी बाबा बंदा सिंह बहादुर के नाम पर रखे जाने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बाबा बंदा सिंह बहादुर को पूरा मान-सम्मान दे रही है, परंतु कुछ लोग सिख समाज को 28 जून के प्रदर्शन के लिए बहका रहे हैं ,इसलिए ऐसे लोगों से सिख संगत को बचकर रहना चाहिए।
विधायक श्री बख्शीश सिंह विर्क के साथ मुख्यमंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में बाबा सुखा सिंह करनाल, बाबा गुरमीत सिंह जुंडला, सरदार इंद्रपाल सिंह करनाल, सरदार भूपेंद्र सिंह सदस्य एसजीपीसी, सरदार बलकार सिंह असंध, सरदार जसपाल सिंह, सरदार गुरतेज सिंह खालसा, सरदार देविंदर सिंह व सरदार मनमोहन सिंह भी शामिल थे।

यू एन की रिपोर्ट प्रायोजित है : जन. रावत


यूएन की इस रिपोर्ट में कश्मीर मे कथित मानवाधिकार हनन की बात कही गई थी


भारतीय थल सेना के अध्यक्ष बिपिन रावत ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट की कड़ी निंदा की है और इसे प्रेरित बताया. रावत ने कहा कि इस मानवाधिकार रिपोर्ट के बारे में बात करने की जरूरत नहीं है. भारतीय सेना का मानवाधिकार में रिकॉर्ड बहुत ऊपर है. ऐसी रिपोर्ट्स प्रेरित होती हैं.’

दरअसल यूएन की इस रिपोर्ट में कश्मीर मे कथित मानवाधिकार हनन की बात कही गई थी. इस रिपोर्ट के बारे में बात करते हुए रावत ने कहा कि ससे पहले विदेश मंत्रालय ने कहा था, ‘भारत इस रिपोर्ट को खारिज करता है. यह भ्रामक, पक्षपातपूर्ण और प्रेरित है. हम ऐसी रिपोर्ट की मंशा पर सवाल उठाते हैं.’

मंत्रालय ने कहा था, यह रिपोर्ट काफी हद तक अपुष्ट सूचना को चुनिंदा तरीके से एकत्र करके तैयार किया गया है. मंत्रालय ने कहा कि यह रिपोर्ट भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है. सम्पूर्ण जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. पाकिस्तान ने भारत के इस राज्य के एक हिस्से पर अवैध और जबरन कब्जा कर रखा है.’

यूएन ने कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर दोनों में कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर अपनी तरह की पहली रिपोर्ट गुरुवार को जारी की और इन उल्लंघनों की अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की. वैश्विक मानवाधिकार निगरानी संस्था ने पाकिस्तान को शांतिपूर्ण कार्यकर्ताओं के खिलाफ आतंक रोधी कानूनों का दुरूपयोग रोकने और असंतोष की आवाज के दमन को भी बंद करने को कहा.

एक साथ चुनाव कराने के पक्षधर हैं : नवीन पटनायक

 

 

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ओडिशा के मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव लोकतंत्र का एक जरूरी हिस्सा है, लेकिन लगातार चुनाव जनता के विकास कार्यों में बाधा पैदा करते हैं


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक साथ चुनाव कराने के पक्षधर हैं. इसी के चलते उन्होंने अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों से एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव कराने पर सुझाव मांगे थे. जिस पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए इस विचार का समर्थन किया है.

मंगलवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव लोकतंत्र का एक जरूरी हिस्सा है, लेकिन लगातार चुनाव जनता के विकास कार्यों में बाधा पैदा करते हैं. उन्होंने कहा ‘हम जनता द्वारा काम करने के लिए चुन कर आते हैं, लेकिन साल भर चुनाव होने के कारण हम काम नहीं कर पाते.’ इसी के साथ पटनायक ने कहा ‘इसलिए हम प्रधानमंत्री मोदी के एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन करते हैं.’

एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में हर साल चार या पांच चुनाव होते हैं. इन चुनावों के कारण राज्यों में आचार संहिता लागू हो जाती है. जिस के कारण तमाम सरकारी कामकाज बाधित हो जाते हैं.

तेजस्वी यूपीए और महागठबंधन के एक छोटे से मुहल्ले के नेता हैं : के सी त्यागी

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केसी त्यागी ने इसके साथ ही जेडीयू के महागठबंधन में शामिल होने की किसी भी संभावना को खारिज किया है


बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर दिए तेजस्वी के बयान के बाद जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. केसी त्यागी ने इसके साथ ही जेडीयू के महागठबंधन में शामिल होने की किसी भी संभावना को खारिज किया है.

केसी त्यागी ने नीतीश कुमार पर दिए तेजस्वी के बयान को असभ्य बताया है. उन्होंने कहा है कि तेजस्वी यूपीए और महागठबंधन के एक छोटे से मुहल्ले के नेता हैं. वो अपरिपक्व और असभ्य वक्तव्य देने से बाज आएं.

केसी त्यागी ने तेजस्वी को सलाह देते हुए कहा है कि आक्रामक वक्तव्य देकर माहौल को उत्तेजित करने का प्रयास नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा है कि लालू प्रसाद के कुशलक्षेम के लिए नीतीश कुमार की फोन पर बातचीत हुई. तेजस्वी इसे राजनीतिक रंग दे रहे हैं. वो कोई सबूत पेश करें कि नीतीश कुमार की कोई राजनीतिक बातचीत हुई.

पत्रकारों से बात करते हुए केसी त्यागी ने कहा है कि नीतीश कुमार को यूपीए में आने के लिए तेजस्वी के पास जाना पड़ेगा, वो हमारी ज़िंदगी का आखिरी दिन होगा.

साथ ही उन्होंने इस बात की तसल्ली भी दी कि बिहार एनडीए में सबकुछ ठीक है. बिहार में एनडीए सबसे ज्यादा सीट लेकर आएगी. सभी सहयोगी चाहते हैं कि सीट शेयरिंग पर जल्द से जल्द बातचीत हो.

केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार सीएम और स्टेट्समैन होने के साथ एक संवेदनशील व्यक्ति हैं. राजनीतिक कटुता के बावजूद तनावपूर्ण वातावरण में तेज प्रताप की शादी के दौरान नीतीश कुमार उनके आवास गए और काफी देर तक रहे.

तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कुछ नेता असंवेदनहीन और असभ्य हो गए हैं. नौसिखिया उत्तराधिकारी अपने बड़ों से ऐसा बर्ताव कर रहें हैं. त्यागी ने कहा कि हम महागठबंधन छोड़ चुके हैं,वापस जाने के लिए कहीं अप्लाई नहीं किया है.

इसके पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पूर्व सहयोगी और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को फोन किया था. इलाज के लिए मुंबई गए लालू यादव से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फोन कर उनकी सेहत का हालचाल पूछा था.

 

इसके बाद यह चर्चा भी शुरू हो गई कि आरजेडी और जेडीयू आपसी दुश्मनी भुलाकर फिर साथ आ सकते हैं. इस पर तेजस्वी यादव ने प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि अब महागठबंधन में चाचा के लिए कोई जगह नहीं है.

चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे लालू यादव स्वास्थ्य कारणों से जमानत पर जेल से बाहर हैं. उनका मुंबई के अस्पताल में इलाज चल रहा है. बीते रविवार को उनका एक ऑपरेशन किया गया है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा लालू यादव का हालचाल पूछे जाने पर तेजस्वी यादव ने कहा कि रविवार को उनका (लालू यादव) का फिस्टुला का ऑपरेशन हुआ था, ऐसे में उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए कॉल किया था और कुछ नहीं. अस्पताल में भर्ती होने के 4 महीने बाद आश्चर्यजनक रूप से नीतीश जी को उनके खराब स्वास्थ्य के बारे में पता चला. मैं उम्मीद करता हूं कि वह महसूस करेंगे कि वो बीजेपी/एनडीए मंत्रियों के अस्पताल में लालू जी का हालचाल पूछने वाले अंतिम राजनेता हैं.

शाह करेंगे बंगाल में रण घोष


ममता बनर्जी सरकार में कानून-व्यवस्था खराब होने का मुद्दा उठाकर उन्हें घेरने की कोशिश हो रही है. बीजेपी को लगता है कि राज्य में अराजकता के कारण हो रही राजनीतिक हत्या और खराब कानून-व्यवस्था बड़ा मुद्दा है.


बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 27 जून को दो दिवसीय दौरे पर पश्चिम बंगाल पहुंच गए हैं. इस दौरान अमित शाह दो दिनों तक राज्य में पार्टी की रणनीति पर भी चर्चा करेंगे और कई कार्यक्रमों में भी शिरकत करेंगे. बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को बड़ी लड़ाई के लिए तैयार करना है.

27 जून को शाम साढ़े पांच बजे अमित शाह कोलकाता के जी.डी बिड़ला ऑडिटोरियम में बंकिम चंद्र चटोपाध्याय की जयंती के मौके पर कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे, जिसमें उनकी बुद्धिजीवियों के साथ मुलाकात होगी. यहां उनका  संबोधन भी होगा. इस कार्यक्रम के पहले उनकी बीजेपी आईटी सेल के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक होगी. शाह इस दौरान सोशल मीडिया में पार्टी की पकड़ मजबूत करने और टीएमसी को मात देने की रणनीति पर टिप्स देंगे. इस दिन वो कोलकाता में ही रुकेंगे.

अगले दिन सुबह पुरुलिया दौरे पर जाने से पहले 51 शक्तिपीठों में से एक तारापीठ में जाकर देवी के दर्शन करेंगे. वीरभूम जिले में तारापीठ में पूजा के बाद शाह यहां भी पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक करेंगे.

पंचायत चुनाव

बीजेपी अध्यक्ष पुरुलिया में बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे जिसके बाद पार्टी की तरफ से एक बड़ी रैली को संबोधित करेंगे. अमित शाह के पुरुलिया में ही रैली करने के पीछे वहां बीजेपी की मजबूत स्थिति को बताया जा रहा है. बीजेपी के एक नेता ने इस बारे में फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में बताया ‘पुरुलिया और अलीपुर द्वार जिले में अभी हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा सफलता मिली थी. इसलिए पुरुलिया को ही अमित शाह की रैली और किसी एक बूथ स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने का कार्यक्रम रखा गया है.’

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अपने पुरुलिया के दौरे में अमित शाह बीजेपी के उन कार्यकर्ताओं के घरवालों से भी मुलाकात करेंगे जिनकी हाल में हत्या कर दी गई थी. अभी कुछ दिन पहले ही 31 मई और 2 जून को बीजेपी के दो कार्यकर्ता 35 साल के दुलाल कुमार और 20 साल के त्रिलोचन महतो फांसी के फंदे से झूलते हुए मृत अवस्था में मिले थे. बीजेपी का आरोप है कि इनकी हत्या राजनीतक कारणों से की गई है. अमित शाह के पुरुलिया में इन पीड़ित परिवारों से मुलाकात के बाद बीजेपी ममता बनर्जी के कुशासन को मुद्दा बनाकर माहौल को और गरमाने की तैयारी में है.

हालांकि शाह के पश्चिम बंगाल के दौरे के वक्त उनके काफिले के रास्ते में टीएमसी और ममता बनर्जी के पोस्टर पटे पड़े हैं. अमित शाह के आगमन से पहले ही बीजेपी और टीएमसी में पोस्टर वार तेज हो गया है. बीजेपी नेता संबित पात्रा ने शाह के रूट में ममता के पोस्टर पर तंज कसते हुए कहा, ‘वहां तानाशाही राज चल रहा है. ये वही ममता बनर्जी हैं जो दशहरा का मूर्ति विसर्जन रोक देती हैं. ये वही ममता बनर्जी हैं जो रामनवमी के जुलूस को रोक देती हैं. पात्रा का दावा है कि बंगाल की जनता सब देख रही है वो इसका जवाब देगी.’

दरअसल, बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में अपने लिए लोकसभा चुनाव में जीत के लिए 22 सीटों से ज्यादा का लक्ष्य तय किया है. राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में से फिलहाल बीजेपी के पास महज दो सीटें हैं. आसनसोल से केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रीयो जबकि दार्जिलिंग से केंद्रीय मंत्री एस.एस अहलुवालिया बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने में सफल रहे हैं. राज्य की सत्ताधारी टीएमसी के खाते में 34 जबकि सीपीएम और कांग्रेस के खाते में दो-दो सीटें हैं.

लेकिन, बीजेपी अब इस आंकड़े को बढ़ाना चाहती है. बीजेपी को भरोसा है कि आने वाल  दिनों में अब पश्चिम बंगाल के भीतर उसकी बढ़ती ताकत का असर होगा और वो राज्य में ममता बनर्जी को मात देने में सफल होगी. हालांकि बीजेपी ने अपने लिए मिशन 22+ यानी कुल 42 सीटों में से आधे से अधिक का लक्ष्य रखा है.

लेकिन, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय का दावा है यह लक्ष्य आसानी से हासिल किया जा सकेगा. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया कि इस वक्त बंगाल में जो हालात हैं उससे राज्य सरकार के खिलाफ माहौल है और अराजकता की स्थिति के कारण लोग टीएमसी से नाखुश हैं, लिहाजा बीजेपी की ताकत में जबरदस्त इजाफा हो रहा है और पार्टी लोकसभा चुनाव में 22 से भी ज्यादा सीटें जीत सकती है.’

बीजेपी को पंचायत चुनाव में मिली सफलता के बाद उम्मीदें बढ़ गई हैं. अभी हाल ही में हुए पंचाय चुनाव में पार्टी को सात हजार के लगभग सीटों पर जीत मिली थी. पार्टी नेताओं का मानना है कि अगर ईमानदारी पूर्वक साफ-सुथरा चुनाव कराया गया होता तो उनकी सीटों की संख्या बीस हजार को भी पार कर जाती.

बीजेपी ने फिलहाल संगठन पर फोकस सबसे ज्यादा किया है. अमित शाह के फॉर्मूले के तहत बूथ मैनेजमेंट पर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है. इसके लिए पार्टी की तरफ से हर बूथ पर समर्पित कार्यकर्ताओं को तैयार किया जा रहा है. बीजेपी का दावा है कि अबतक 77,000 के करीब पोलिंग बूथों में करीब 65 फीसदी पर कार्यकर्ताओं को तैयार करने का काम पूरा कर लिया गया है.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस कोशिश में टीएमसी से बीजेपी में आए वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय की भूमिका सबसे अधिक है. पार्टी के पूरे बंगाल में जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता तैयार करने में मुकुल रॉय लगे हुए हैं.

दूसरी तरफ, बीजेपी दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल तक ममता बनर्जी पर दबाव बनाने की कोशिश में है. दिल्ली में पार्टी नेताओं का टीएमसी के दफ्तर के बाहर कई बार धरना हो चुका है, जबकि राज्य में हर रोज चार जिलों में टीएमसी दफ्तर के बाहर धरना दिया जा रहा है. इन चार धरनों का नेतृत्व चार बड़े नेता कर रहे हैं जिनमें राज्य बीजेपी अध्यक्ष राहुल सिन्हा, पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष, मुकुल रॉय के अलावा चौथे धरने का नेतृत्व कोई पूर्व विधायक या कोई बड़ा नेता करता है.

ममता बनर्जी सरकार में कानून-व्यवस्था खराब होने का मुद्दा उठाकर उन्हें घेरने की कोशिश हो रही है. बीजेपी को लगता है कि राज्य में अराजकता के कारण हो रही राजनीतिक हत्या और खराब कानून-व्यवस्था बड़ा मुद्दा है. इसके अलावा महिला सुरक्षा और बेराजगारी के मुद्दे को भी बीजेपी बड़ा मुद्दा बना रही है, लेकिन, ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टीकरण करने का आरोप लगाकर बीजेपी राज्य में ध्रुवीकरण की भी पूरी कोशिश में जुट गई है. पार्टी को उम्मीद है कि दूसरे राज्यों से संभावित लोकसभा सीटों की भरपाई बंगाल से पूरी होगी. अमित शाह की एक्ट ईस्ट पॉलिसी की सफलता भी नॉर्थ-ईस्ट के अलावा पश्चिम बंगाल की सफलता से ही तय होगा.

शुजात बुखारी की हत्या करने वालों की पहचान कर ली गई है

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या करने वालों की पहचान कर ली है. अज्ञात बंदूकधारियों ने 14 जून को बुखारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. पुलिस के सूत्रों का कहना है कि एक हमलावर दक्षिणी कश्मीर का और दूसरा पाकिस्तानी नागरिक है.

सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने कहा, ‘हमने हमलावरों की पहचान कर ली है. उनमें से दो दक्षिण कश्मीर के हैं और एक पाकिस्तान का है. ‘पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस हमले में जो पाकिस्तानी नगरिक शामिल है उसका नाम नावीद जट है. इस साल फरवरी में वह श्री महाराजा हरि सिंह (एसएसएचएस) अस्पताल से पुलिस की गिरफ्त से भाग गया था. नावीद के संबंध लश्कर-ए-तैयबा से है.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने पाकिस्तान के एक ब्लॉगर की भी पहचान की है. उस ब्लॉगर ने बुखारी के खिलाफ एक कैंपेन शुरू की थी. पुलिस का कहना है कि श्रीनगर का एक आतंकी है जो फिलहाल पाकिस्तान में रहता है. इस मामले में और खुलासा करने के लिए पुलिस बुधवार शाम को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकती है. बुखारी कश्मीर के अखबर ‘राइजिंग कश्मीर’ के चीफ एडिटर और वरिष्ठ पत्रकार थे. 14 जून को श्रीनगर के प्रेस एनक्लेव के अपने ऑफिस से बाहर बुखारी की हत्या कर दी गई थी.

इस हमले के बाद ही पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज से पता लगाया कि हमलावर बाइक पर सवार थे. बाइक पर एक हमलावर ने हेलमेट पहना था जबकि दूसरे ने मास्क लगाया था. पुलिस ने बुखारी के गार्ड की पिस्तौल चुराने वाले एक अन्य युवक को भी गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि पुलिस का कहना है कि बंदूक चुराने वाला लड़का नशेबाज था और उसका हत्या से कोई लेनादेना नहीं है. पुलिस इस हमले के लिए लश्कर-ए-तैयबा को जिम्मेदार बता रही है जबकि लश्कर इससे इनकार कर रहा है.

‘रुद्रा: द अवतार’ का पोस्टर रिलीज

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को लगता है कि अब राजनीति रास नहीं आ रही है. हालांकि, वो अपने स्टाइलिश अंदाज और बेबाक बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहे हैं. नीतिश सरकार में मंत्री रह चुके तेज प्रताप अब सिल्वर स्क्रीन पर बहुत जल्द दिखाई देंगे.

 

लालू प्रसाद यादव के बेटे तेज प्रताप याद अब राजनीति के बाद फिल्मों में हाथ आजमाने आ रहे हैं. ऐसा लगता है कि उनका दिल ही नहीं लग रहा है राजनीति में तभी तो ऐसे-ऐसे कदम वो अब उठा रहे हैं. खैर, उन्होंने खुद ही सोशल मीडिया पर इस बात का खुलासा किया है. उन्होंने ट्विटर पर अपनी आने वाली फिल्म का पोस्टर शेयर किया है जिसमें वो खुद नजर आ रहे हैं. हालांकि, इस फिल्म में उनकी हीरोइन कौन होगी इस पर अभी संशय बरकरार है.

 

आपको बता दें कि, कुछ साल पहले नेता राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने फिल्मों में अपना करियर बनाना चाहा था लेकिन वो यहां सफल न हो सके और फिर वापस राजनीति में चले गए. और अब तेज प्रताप यादव ने फिल्मों की तरफ अपना रुख किया है.

HAL’s ‘high bill’ for Tejas Mark1A a matter of concern


Concerned about the price for an indigenous fighter jet, which the government has been keen to promote under Make in India scheme, the committee set up by the Defence Ministry will look into the pricing of military equipment manufactured by defence PSUs.


The euphoria within the defence establishment over the induction of the first indigenous Light Combat Aircraft into the IAF appears to have subsided with the Defence Ministry forming a committee to look into the “high price” demanded by Bengaluru-based public sector manufacturer, Hindustan Aeronautics Limited (HAL), for Tejas Mark1A.

Sources told newsmen that in response to a request for a proposal for 83 Tejas Mark1A fighter jets issued by the IAF in December last year, HAL quoted a price of Rs 463 crore per jet in April. This raised eyebrows in the government, sources said, as the price compared unfavourably even with more modern foreign fighters. “The HAL supplies the more modern Russian Sukhoi fighter, which it assembles at Nashik, at Rs 415 crore. The Russians supply it at Rs 330 crore. The Swedish Gripen was offered to us for Rs 455 crore, and F-16 for Rs 380 crore, and both were to be made in India. The HAL itself gave us Tejas Mark1 at Rs 100 crore less. This price for an improved version seems high,” sources said.

 

Concerned about the price for an indigenous fighter jet, which the government has been keen to promote under Make in India scheme, the committee set up by the Defence Ministry will look into the pricing of military equipment manufactured by defence PSUs. The committee is headed by Principal Advisor (Cost) in the ministry and is likely to submit its report in the next few weeks.

Once the committee submits its report, the ministry will form a commercial negotiations committee (CNC) to bring down HAL’s price for the jet. The contract for 83 jets, sources said, will take another year before it is finally signed.

According to sources, the Defence Ministry is also concerned about the delay in supply of the existing order of the first lot of 40 Tejas fighter jets. In last three years, only nine fighter jets in Initial Operational Clearance (IOC) mode were supplied against an order of 20. The order for another 20 Tejas jets in Final Operational Clearance (FOC) has not even begun, as the FOC has not yet been attained by the aircraft. The ministry has also agreed that the HAL will supply eight trainer aircraft out of 40, after the 36 Tejas Mark1 have been supplied. “The idea was that HAL will produce 18 Tejas fighters every year. That is the only way we can provide IAF to make up its numbers as its older fighters go out of service. But there has been a delay and we are in touch with HAL about it,” sources said.

 

The ministry had also asked IAF about allegations that it had made constant changes in ASQR (Air Staff Quality Requirements), which could have led to the delay. They found that there have been no changes in the ASQR of Tejas Mark1A, since it was first formalised in 2014. Even in the case of Tejas Mark1, the IAF had given 135 concessions on the ASQR to HAL.

“We were somewhat surprised to learn that contrary to the impression, there have been no changes in the requirements given by the IAF, except for items which had reached obsolescence. Mark1 had no Electronic Warfare capability and before Mark2 could be produced, Mark1A is meant to fill up that gap. Those were not additional requirements added later, but formulated in 2014 itself when HAL offered Mark1A,” sources explained.

The problem, sources said, are mainly of coordination and ownership of the Tejas project between the HAL, IAF and Aeronautical Development Authority (ADA). Borrowing from the successful Navy model of indigenous defence production, ministry is now asking for a senior member of IAF on the board of HAL for greater coordination.

The Tejas indigenous fighter project was first conceived in 1984, benchmarked against the Mirage2000, with a view to replace IAF’s ageing Mig21 fleet. The order for first 20 Tejas Mark1 (IOC) was placed in 2006, and the jet inducted in the IAF in 2016.

फीफा आज


फीफा वर्ल्ड कप 2018 के 12वें दिन ग्रुप ए और ग्रुप बी की सभी टीमों ने अपने ग्रुप के आखिरी मैच खेले। ग्रुप ए से जहां रूस और उरुग्वे पहले ही क्वालीफाई कर चुके थे। उरुग्वे ने रूस को हराकर ग्रुप स्टैंडिंग में पहला स्थान हासिल किया। वहीं ग्रुप बी बेहद रोमांचक स्थिति में था और यहां स्पेन, पुर्तगाल और ईरान के पास क्वालीफाई करने का मौका था लेकिन ईरान के हाथों निराशा लगी। स्पेन ने जहां ग्रुप स्टैंडिंग में टॉप किया तो वहीं पुर्तगाल दूसरे स्थान पर रही।

ये रहे भारतीय समय अनुसार टूर्नामेंट में आज होने वाले मुकाबले:

ऑस्ट्रेलिया बनाम पेरू (ग्रुप सी, शाम 7.30 बजे)
डेनमार्क बनाम फ्रांस (ग्रुप सी, शाम 7.30 बजे)
नाइजीरिया बनाम अर्जेंटीना (ग्रुप डी, रात 11.30 बजे)
आइसलैंड बनाम क्रोएशिया (ग्रुप डी, रात 11.30 बजे)


ऑस्ट्रेलिया बनाम पेरू

दो मैच में एक अंक के साथ ऑस्ट्रेलिया तीसरे स्थान पर है तो पेरू अब तक बिना खाता खोले चौथे स्थान पर है। यहां पर ऑस्ट्रेलिया के पास अगले राउंड के लिए क्वालीफाई करने का मौका है अगर वो अपना मैच जीतते हैं और फ्रांस बड़े अंतर से डेनमार्क को हरा देती है।

पेरू इस मैच में केवल अपने सम्मान के लिए लड़ने उतरेंगे। दो मैच में मिली हार कर बाद पेरू की टीम सम्मान से वर्ल्ड कप 2018 को अलविदा कहने के इरादे से उतरेगी।

मैच का रुख बदलने लायक खिलाड़ी: माइल जेडनैक

संभावित नतीजा: ऑस्ट्रेलिया की जीत


डेनमार्क बनाम फ्रांस

ग्रुप सी से डेनमार्क की टीम पहले ही क्वालीफाई कर चुकी है और अगले राउंड के लिए दूसरी टीम कौन सी होगी ये देखना दिलचस्प होगा। यहां पर डेनमार्क को जीत या मैच ड्रॉ ही अगले राउंड के लिए क्वालीफाई कर सकती है।

फ्रांस ग्रुप में अबतक कोई भी मैच नहीं हारा है और इसलिए उन्हें रोकना डेनमार्क के लिए आसान काम नहीं होगा। पॉल पोग्बा, किलियन म्बप्पे और एंटोइन ग्रीज़मन जैसे स्टार खिलाड़ियों से भरी फ्रांस की टीम यहां मजबूत दिखाई दे रही है।

मैच का रुख बदलने लायक खिलाड़ी: पॉल पोग्बा

संभावित नतीजा: फ्रांस की जीत


नाइजीरिया बनाम अर्जेंटीना

अर्जेंटीना की अगले राउंड के लिए क्वालीफाई करने की सारी उम्मीदें इस मैच पर टिकी होंगी। आइसलैंड के खिलाफ ड्रॉ और क्रोएशिया के खिलाफ मिली हार के बाद मेसी की टीम पर टूर्नामेंट से बाहर होने का खतरा दिखाई दे रहा था।

ग्रुप स्टैंडिंग में इस समय अर्जेंटीना चौथे स्थान पर है लेकिन फैंस उम्मीद कर रहे होंगे कि मेसी का जादू वापस चल जाये और टीम अगले राउंड के लिए जगह हासिल कर ले।

मैच का रुख बदलने लायक खिलाड़ी: लियोनेल मेसी

संभावित नतीजा: अर्जेंटीना की जीत


आइसलैंड बनाम क्रोएशिया

वर्ल्ड कप के अपने पहले मैच में अर्जेंटीना जैसी टीम के खिलाफ ड्रॉ खेलकर आइसलैंड ने सभी की निगाहें अपनी ओर आकर्षित की थी। वहीं अबतक क्रोएशिया का फॉर्म शानदार रहा है और उन्होंने ग्रुप में अपने दोनों मैचेस जीते हैं।

लूका मॉड्रिच टीम के अनुभवी कप्तान हैं और आगे से टीम की अगुवाई करते हैं। खिलाड़ियों का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है वो नहीं चाहेगी की उनका ये मोमेंटम टूटे।

मैच का रुख बदलने लायक खिलाड़ी: लूका मॉड्रिच

संभावित नतीजा: क्रोएशिया की जीत