मदरसों के आधुनिकीकरण की और बढ़ती सरकार


इसके तहत मदरसों की जियो टैगिंग और उनका किसी भी मदरसा बोर्ड या राज्य बोर्ड से संबद्ध होना अनिवार्य कर दिया जाएगा


एमएचआरडी देश में मदरसा शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने की स्कीम (एसपीक्यूईएम) के तहत सुधार और बदलाव करने की योजना पर काम कर रही है. इसके तहत मदरसों का किसी भी मदरसा बोर्ड या राज्य बोर्ड से संबद्ध होना अनिवार्य कर दिया जाएगा. एचआरडी मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि राज्यों ने अपने प्रस्तावों को पेश कर दिया है, इसका अध्ययन किया जा रहा है और बजट को देखते हुए मदरसा शिक्षा व्यवस्था में सुधार की व्यापक योजना को लागू किया जाएगा.

सूत्र ने बताया कि ‘एसपीक्यूईएम का उद्देश्य मदरसा शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है और छात्रों को औपचारिक विषयों में राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के मानकों को प्राप्त करने में सक्षम बनाना है. इसके साथ ही साथ सरकार मदरसों को मदरसा बोर्ड या राज्य स्कूल बोर्डों से अनिवार्य रूप से संबद्ध बनाने की योजना भी बना रही है.’

इस सुधार के तहत सरकार देश के मदरसों को जीपीएस के आधार पर चिह्नित करने की योजना पर भी काम कर रही है. सूत्र ने बताया कि ‘इसके लिए मंत्रालय मदरसों का पता लगाने के लिए विशेष पहचान को अनिवार्य कर सकती है ताकि जीपीएस के जरिए उनके लोकेशन का पता लगाया जा सके.’

पिछले साल मंत्रालय ने एपीक्यूएम योजना में शामिल मदरसों से कहा था कि वो अपना जीपीएस लोकेशन दें. जिस मदरसे ने जीपीएस लोकेशन नहीं दिया, उनके शिक्षकों का वेतन रोक दिया गया. कुछ मदरसे सरकार के इस कदम का विरोध कर सकते हैं क्योंकि वे इसे अपने स्वायत्ता में ‘सरकारी हस्तक्षेप’ मानते हैं.

इस योजना की मौजूदा विशेषताएं मदरसे को विज्ञान, गणित, भाषा, सामाजिक अध्ययन आदि जैसे औपचारिक विषयों के सिलेबस के मानदंड को बेहतर करके और शिक्षकों को ज्यादा वेतन देने के माध्यम से क्षमताओं को मजबूत करने में सक्षम बनाती हैं. इससे पहले भी मदरसों को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपेन स्कूल से संबद्ध करके और शिक्षण सामग्री को को बेहतर करके मदरसों को बेहतर बनाने की कवायद की जा चुकी है. इसके जरिए इस तरह के मदरसों में पढ़ने वालों बच्चों को 5वीं, 6ठी, 10वीं और 12वीं के सर्टिफिकेट लेने में आसानी हुई. मुस्लिम-बहुल इलाकों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार नई एकीकृत योजना में और स्कूल खोलने की योजना बना रही है, जिसे ‘समग्र शिक्षा अभियान’ कहा जा रहा है.

डीडीसीए की चुनावी ऐय्यारियां

 

कभी कोई दावा करता है कि चेतन चौहान अपने ग्रुप से अलग उस ग्रुप को सपोर्ट करने लगे हैं, जो मदन लाल के खिलाफ है. कभी भारतीय ओलिंपिक संघ के अध्यक्ष दावा करते हैं कि बीसीसीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना ने उनका मोबाइल नंबर ‘क्लोन’ कर लिया है. उस नंबर से मैसेज भेजे जा रहे हैं.

कभी कोई एक ग्रुप कहीं पार्टी का आयोजन करता है, तो दूसरा ग्रुप म्यूजिकल नाइट पर उतर आता है. यह दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ यानी डीडीसीए के इलेक्शन की दास्तां है. यहां मीडिया में बड़ा नाम और चैनल के मालिक रजत शर्मा एक तरफ हैं. सुप्रीम कोर्ट के वकील विकास सिंह दूसरी तरफ और क्रिकेटर मदन लाल तीसरी तरफ. तीन ग्रुप चुनाव मैदान में हैं.

 

एक को बंसल ग्रुप कहा जाता है. दावे किए जा रहे हैं कि इस ग्रुप को अरुण जेटली का समर्थन हासिल है. हालांकि जेटली खुद डीडीसीए से दूर रहने का फैसला कर चुके हैं. लेकिन उनके वर्षों से मित्र रजत शर्मा इसी ग्रुप से अध्यक्ष पद के दावेदार हैं. एक समय डीडीसीए के कोषाध्यक्ष रहे बत्रा इसी ग्रुप के पक्ष में दूसरे ग्रुप पर आरोप लगा रहे हैं और कानूनी कार्रवाई की धमकी दे रहे हैं.

इस कहानी में सब कुछ है. एक्शन, ड्रामा, सस्पेंस… लेकिन इन सबसे बड़ी बात की भविष्य की बीसीसीआई इसमें है. 27 जून से 30 जून तक होने वाले इलेक्शन में ग्रुप देखकर ही समझा जा सकता है कि भविष्य किस ओर जा रहा है.

 

अंदाजा लगाइए. उपाध्यक्ष पद पर उम्मीदवार हैं शशि खन्ना, जो डीडीसीए के महारथी कहे जाने वाले सीके खन्ना की पत्नी है. सीके खन्ना वही हैं, जिनके पास प्रॉक्सी के जमाने में हर चुनाव की चाबी होती थी. प्रॉक्सी यानी वोटर्स को खुद को वोट डालने की जरूरत नहीं. उसने अपना वोट डालने का अधिकार किसी और को दे दिया. ये सारे अधिकार सीके खन्ना और उनके समर्थकों के पास होते थे. इस बार प्रॉक्सी नहीं है. इसके बावजूद सीके खन्ना की ताकत को कम आंकना ठीक नहीं है.

ताकत कम न आंकने की वजह परिवार हैं. वोटर्स परिवारों में हैं. चुनाव की घोषणा के वक्त प्रेस कांफ्रेंस करने वाले विकास सिंह ने तब कहा था कि कुछ परिवारों के पांच से आठ वोट हैं. उनका यह कमेंट बताता है कि परिवारवाद से बचना आसान नहीं. जिस परिवार के पांच से आठ वोट हैं, उनमें सीके खन्ना भी शामिल हैं.

दूसरी तरफ स्नेह बंसल हैं. उनके भाई राकेश बंसल उपाध्यक्ष पद के लिए खड़े हैं. बंसल डीडीसीए अध्यक्ष रहे हैं. पूर्व डायरेक्टर बृज मोहन गुप्ता के पुत्र आलोक मित्तल और संयुक्त सचिव रवि जैन के पुत्र अपूर्व जैन डायरेक्टर पद के लिए हैं. महिला डायरेक्टर में भी रिश्तेदारों का दबदबा है.

पूर्व उपाध्यक्ष चेतन चौहान इस समय बता रहे हैं कि डीडीसीए से उनका कोई मतलब नहीं है. वो उत्तर प्रदेश में मंत्री हैं. लेकिन उनके भाई पुष्पेंद्र चौहान संयुक्त सचिव के दावेदार हैं. यह कुछ वैसा ही है, जैसे पंचायत चुनाव में महिला आरक्षण होने के बाद सरपंचों ने अपनी पत्नी के जरिए कमान संभालने का फैसला किया था. या लालू यादव ने अपनी जगह राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया था.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले और लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के बाद तमाम प्रशासक अब अयोग्य हैं. उनकी जगह उनके रिश्तेदार चुनाव लड़ रहे हैं. हिमाचल में अनुराग ठाकुर के भाई की एंट्री हो गई है. इस तरह पूर्व सचिव निरंजन शाह के बेटे ने भी बीसीसीआई में दस्तक दे दी है. डीडीसीए चुनाव उसी सिलसिले को आगे बढ़ाने का या यूं कहें कि भविष्य की तस्वीर तय करने का काम कर सकता है.

सिर्फ दो ऐसे क्रिकेटर मैदान में हैं, जिन्हें लोग जानते हैं. पहले, मदन लाल, जो सीके खन्ना ग्रुप की तरफ से उम्मीदवार हैं. वही सीके खन्ना, जिन्हें ज्यादातर पूर्व क्रिकेटर डीडीसीए की बरबादी का जिम्मेदार मानते हैं. दूसरे क्रिकेटर सुरिंदर खन्ना हैं. वो उस पोस्ट (डायरेक्टर, क्रिकेट) के लिए हैं, जो सिर्फ पूर्व क्रिकेटरों के लिए है. उसके बावजूद सुरिंदर खन्ना ही अकेला ऐसा नाम हैं, जिन्हें क्रिकेट सर्किल में जाना जाता है.

ऐसे में अगर क्रिकेटर की जीत होती है, तो महज इस वजह से, क्योंकि वो उसी खेमे का हिस्सा हैं, जिसे लेकर वो सालों से आवाज उठाते रहे हैं. मदन लाल को उन्हीं सीके खन्ना की मदद लेनी पड़ी. यही बताता है कि किसी फेडरेशन का हिस्सा बनने के लिए क्रिकेटर को क्या चाहिए. दूसरा, क्रिकेट में करप्शन दूर करने के लिए लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें परिवारवाद का करप्शन दूर नहीं कर पाई है. अब वोटिंग भले ही प्रॉक्सी न हो, लेकिन पदों पर प्रॉक्सी उम्मीदवार हैं. यही डीडीसीए का पैटर्न है. यही बीसीसीआई का पैटर्न होगा.

ज्ञान चाँद गुप्ता ने सम्पर्क अभियान के तहत अपनी सरकार के 4 सालों का लेखा जोखा दिया

ज्ञान चाँद गुप्ता (फाइल फोटो)

 

स्थानीय विधायक एवं मुख्य सचेतक ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि नये समाज एवं राष्ट्र का निर्माण करने के लिए समाज और देश के लिए उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने वाले प्रमुख लोगों का योगदान बहुत जरूरी है, इसलिए देश में समाज के लिए सराहनीय कार्य करने वाले 40 हजार और हरियाणा प्रदेश में 2 हजार लोगों से संपर्क का समर्थन अभियान के तहत घर जाकर मुलाकात की जा रही है। इस दौरान समाज के प्रमुख लोगों को केन्द्र सरकार की चार साल की उपलब्धियों का लेखा-जोखा भी दिया जा रहा है।

विधायक एवं मुख्य सचेतक ज्ञानचंद गुप्ता ने सेक्टर 12 में समाज और देश के लिए सराहनीय कार्य करने वाले सेवानिवृत लै० कर्नल एसएस गुलेरिया एवं उनकी धर्मपत्नी व सुप्रसिद्ध पंजाबी लोक गायिका डौली गुलेरिया के मकान नंबर 865 स्थित निवास पर पहुंचे। विधायक के उनके घर पहुंचने पर दोनो ने परंपरा अनुसार सादगी के साथ स्वागत किया। विधायक ने सबसे पहले सेवानिवृत लै० कर्नल एसएस गुलेरिया व उनकी धर्मपत्नी व सुप्रसिद्ध पंजाबी लोक गायिका डौली गुलेरिया को केन्द्र सरकार के चार वर्ष के लेखा-जोखा से संबंधित एक बुकलेट भेंट की। लै० कर्नल एसएस गुलेरिया ने आश्वासन देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं एवं कार्यक्रमों के दूरगामी परिणाम सामने आ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि सुप्रसिद्ध पंजाबी लोक गायिका डौली गुलेरिया का प्रसिद्ध लोकगीत अंबरसरे दे पापड़ वे मैं खांदी ना, तू करना आकड़ वे मैं सहंदी ना, काफी लोकप्रिय हुआ। इनके तीन पुत्र-पुत्रियां हैं जिनमें सुनैनी शर्मा, दिलप्रीत गुलेरिया व अमनप्रीत गुलेरिया शामिल हैं जो अपने व्यवसाय व नौकरी में लगे हुए हैं।
इससे पूर्व विधायक ने संपर्क का समर्थन अभियान के तहत समाज के लिए सराहनीय कार्य करने वाले उद्यौगपति एवं सामाजिक कार्यकर्ता ब्रिज लाल गुप्ता, सेवानिवृत आईएएस धर्मवीर, अहसास अदब सोसायटी के प्रधान बीडी कालिया हमदम, भवन विद्यालय स्कूल की प्रधानाचार्या शषि बैनर्जी, सेवानिवृत आईपीएस वीके कपूर, इंडियन एयर फोर्स के सेवानिवृत कर्नल आरएस कौशल, सेवानिवृत आईएएस एसडी भांबरी, सेवानिवृत शिक्षाविद् प्रो० एके सहजपाल, भवन एवं मैट्रो रेलवेज में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले एसपी सिंगला इत्यादि के निवासों पर पहुंच पर उन्हें केन्द्र सरकार के चार वर्ष के लेखा-जोखा से संबंधित एक बुकलेट भेंट की। इस अवसर पर वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता डीपी सोनी भी विधायक के साथ उपस्थित रहे।

चिकित्सकों को अब सरकारी अस्पतालों में अतिरिक्त क्लिनिकल ड्यूटी देनी होगी: अनिल विज

 

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि प्रदेश के लोगों को उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाएं एवं चिकित्सकों की सहज उपलब्धता के लिए प्रशासनिक पदों पर तैनात हरियाणा नागरिक चिकित्सा सेवा, हरियाणा दंत सेवा तथा जिला आयुर्वेदिक चिकित्सकों को अब सरकारी अस्पतालों में अतिरिक्त क्लिनिकल ड्यूटी देनी होगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि केवल प्रशासनिक कार्य कर रहे चिकित्सकों द्वारा ओपीडी करने से न केवल डॉक्टर्स की कमी दूर की जा सकेगी बल्कि सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को भी इंतजार नही करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राज्य के अन्य विभागों में कार्यरत या प्रतिनियुक्ति पर गए चिकित्सकों पर यह आदेश लागू नही होगा। यदि किन्हीं कारणों से कोई चिकित्सक यह ड्यूटी करने मे असमर्थ रहता है तो उसे अगले सप्ताह अतिरिक्त कार्य दिया जाएगा।
विज ने बताया कि इसके तहत स्वास्थ्य महानिदेशक एवं अतिरिक्त स्वास्थ्य महानिदेशक को सप्ताह के किसी भी दिन 2 घंटे तथा राज्य के सभी सिविल सर्जन एवं समकक्ष अधिकारियों को सप्ताह में एक दिन चिकित्सीय कार्य करना होगा। इसी प्रकार प्रधान चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा अधिक्षक, उप सिविल सर्जन, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी तथा समकक्ष अधिकारियों को भी सप्ताह में दो दिन चिकित्सीय ड्यूटी करनी होगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इनके अलावा स्वास्थ्य महानिदेशालय, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, एचएमएससीएल, एचएसएचआरसी, एड्स कंट्रोल सोसाएटी तथा एसआईएचएफडब्ल्यू में तैनात उपनिदेशक (सीनियर स्केल), उपनिदेशक, वरिष्ठï चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारियों तथा दंत चिकित्सकों को सप्ताह में 2 दिन क्लिनिकल ड्यूटी करनी होगी। इसी प्रकार आयुष विभाग के जिला आयुर्वेदिक अधिकारियों को भी सप्ताह में 2 दिन चिकित्सीय कार्य करना होगा।
विज ने बताया कि प्रशासनिक पदों पर तैनात चिकित्सकों को चिकित्सकीय कार्यों के लिए अपना अस्पताल चयन करने की छूट होगी। इसके लिए स्वास्थ्य महानिदेशक द्वारा चिकित्सीय ड्यूटी का पूरा रिकार्ड रखा जाएगा तथा क्लिनिकल ड्यूटी नही करने वाले चिकित्सक के खिलाफ नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए चिकित्सकों को अलग से कोई मानदेय नही दिया जाएगा परन्तु अन्य स्थान पर ड्यूटी के लिए टीए/डीए के हकदार होंगे। इस संबंध में निरीक्षण रिपोर्ट प्रत्येक सप्ताह संकलित की जाएगी।

आरक्षण को कोई भी छीनने का प्रयास करे, तो थप्पड़ मारकर अपना अधिकार वापस छीन लो: कल्याण सिंह

 

राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने सोमवार को विवादित बयान दे डाला। बयान भी ऐसा की कानून को हाथ में लेने की सलाह दे दी। अब कांग्रेस समेत दूसरी विपक्षी पार्टियां उनके इस बयान को लेकर पीछे पड़ गई है।

पिछड़ा वर्ग के लोगों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि आरक्षण उनका हक है और यह उनके लिए ही है। अगर उनके इस अधिकार को कोई भी छीनने का प्रयास करे, तो थप्पड़ मारकर अपना अधिकार वापस छीन लो। राज्यपाल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ भी हो जाए, किसी भी कीमत पर अपना यह अधिकार मत खोना। सिंह ने कहा कि वीपी सिंह की जयंती पर लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में कल्याण सिंह ने कहा कि ‘आरक्षण के लिए कितने संघर्ष करने पड़े हैं, यह कोई पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय वीपी सिंह से पूछे। उन्होंने आपके लिए मंडल कमीशन लागू किया था। उस समय देश का क्या हाल हो गया था। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कहा कि लाठी, डंडे, गोली सब कुछ चला, खून भी बहा, लेकिन उन्होंने किसी की परवाह न करते हुए मंडल कमीशन लागू किया। उनकी वजह से ही आप हैं। उनके दिए गए इस अधिकार को चाहे कोई कितना भी छीनने का प्रयत्न करे, आपको छीनने नहीं देना है।

रक्षा मंत्री सीतारमण ने अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित किया

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने वार्षिक अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा के लिए सोमवार को जम्मू एवं कश्मीर के बालटाल बेस कैंप का दौरा किया। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि सीतारमण ने सेना के वरिष्ठ कमांडरों के साथ अमरनाथ यात्रा के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा इंतजामों का जायजा लिया। अमरनाथ यात्रा 28 जून से शुरू हो रही है।

शीतकालीन राजधानी जम्मू से बालटाल और दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के दो बेस कैंप से लगभग 400 किलोमीटर यात्रा मार्ग को सुरक्षित रखने के लिए अद्र्धसैनिक बलों की 213 अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई हैं। अमरनाथ गुफा समुद्र तल से 12,756 फीट की ऊंचाई पर है।

तीर्थयात्रियों को पहलगाम रास्ते से तीर्थस्थल पहुंचने में चार दिनों का समय लगता है। बालटाल मार्ग से जाने वाले लोग अमरनाथ गुफा में प्रार्थना करने के बाद उसी दिन बेस कैंप लौटते हैं। दोनों मार्गों पर हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है।

The Sub Committee is done with their report to be presented in Syndicate

 

The Panjab University in a meeting of the committee on the Governance reforms considered the recommendations of the Sub Committee  ,here today.

The Sub Committee gave the presentation of their report.

Members gave their views, and it was decided to refer it to the forthcoming meeting of the Syndicate.

घनश्याम तिवारी ने दिया इस्तीफा, बने भारत वाहिनी पार्टी

वसुंधरा राजे और घनश्याम तिवारी

 

राजस्‍थान की मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया से नाराज चल रहे बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता घनश्याम तिवारी ने सोमवार को पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया है। उन्‍होंने अपना इस्‍तीफा बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह को भेजा है। 5 बार से विधायक तिवारी ने अपना इस्‍तीफा ऐसे समय पर दिया है जब दो दिन पहले ही उनके बेटे अखिलेश ने भारत वाहिनी पार्टी नाम से अलग पार्टी बनाई है।

घनश्‍याम तिवारी ने कहा कि बीजेपी ने अगर वसुंधरा राजे को सीएम पद से नहीं हटाया तो अगले चुनाव में पार्टी को बुरी स्थिति का सामना करना पड़ेगा। तिवारी ने दावा किया कि वसुंधरा राजे सिंधिया तानाशाह की तरह काम कर रही हैं। पार्टी के पदों को बाहरी लोगों से भरा जा रहा है। इससे पार्टी के कार्यकर्ता निराश हैं। चुनाव से ठीक पहले तिवारी के पार्टी छोड़ने से बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है। तिवारी सांगनेर विधानसभा सीट से विधायक हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में वह 60 हजार से अधिक वोटों से जीते थे।

उधर, घनश्याम तिवारी के बेटे अखिलेश तिवारी ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में हिस्‍सा लेगी। अखिलेश ने कहा कि भारत वाहिनी पार्टी राज्‍य की 200 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयारी करेगी। तीन जुलाई को पार्टी अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की पहली बैठक आयोजित करने जा रही है। इस बैठक में 2000 कार्यकर्ता हिस्‍सा लेंगे। अखिलेश ने बताया कि हरेक विधानसभा सीट से 10 प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है।

उन्‍होंने बताया कि दीन दयाल वाहिनी के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता और प्रतिनिधि भी नई पार्टी में शामिल होंगे। बता दें, दीन दयाल वाहिनी की स्‍थापना घनश्‍याम तिवारी ने की थी। चुनाव आयोग ने भारत वाहिनी पार्टी को रजिस्‍टर कर लिया है और विधानसभा चुनाव में उम्‍मीदवार उतारने की अनुमति दे दी है। अखिलेश ने 11 दिसंबर 2017 को पंजीकरण के लिए आवेदन किया था।

आम आदमी खुश हुआ, दिल्ली में अब नहीं कटेंगे पेड़


  • पेड़ कटाई मामले पर विवाद खड़ा होने के बाद एनजीटी इस पर 2 जुलाई को सुनवाई करेगा
  • क्या किसी भी प्रकार के विकास के नाम पर पेड़ों का काटना ही एक मात्र विकल्प है?
  • क्या हम पेड़ों का स्थानान्त्र्ण नहीं कर सकते?
  • क्या हमारे हॉर्टिकल्चर विभाग के लोग इस कार्य में दक्ष नहीं हैं?

दक्षिण दिल्ली के कई इलाकों में मकान बनाने के नाम पर सरकारी विभाग द्वारा 16 हजार पेड़ों की कटाई का मामला तूल पकड़ने लगा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए 4 जुलाई तक पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दिया है.

कोर्ट ने 4 जुलाई को इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख मुकर्रर की है.

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कोर्पोरेशन (एनबीसीसी) से पूछा कि- क्या दिल्ली सड़कों के और इमारतों के विकास के लिए पेड़ों की कटाई की कीमत चुका सकता है? इसपर एनबीसीसी की ओर से कहा गया कि एनजीटी में ये मामला बहुत साल चला और अंत मे एनजीटी ने पेड़ काटने की अनुमति दे दी.

एनबीसीसी और पीडब्ल्यूडी ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि अगली सुनवाई तक वो पेड़ों को नहीं काटेंगे.

आम आदमी, अपनी सरकार के फैसलों पर रोक से खुश अब पेड़ नहीं कटेंगे

बता दें कि वकील के के मिश्रा ने पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की थी. मिश्रा ने कहा कि सरकार दक्षिण दिल्ली में 20 हजार से भी ज्यादा पेड़ों को काटना चाहती है.

उन्होंने सीएजी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली में 9 लाख पेड़ों की पहले से कमी है.

वहीं राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) 2 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करेगा.

बयान विवादित है


हरियाणवी डांसर और लोक गायक सपना चौधरी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए प्रचार कर सकती है


हरियाणवी डांसर और लोक गायक सपना चौधरी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए प्रचार कर सकती हैं। बीते शुक्रवार को सपना चौधरी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी से मुलाकात करने दिल्ली पहुंचीं थी। सपना चौधरी के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद ने विवादित बयान दिया है। करनाल से सासंद अश्विनी कुमार चोपड़ा ने कहा कि कांग्रेस को देखना है कि उन्हें ठुमके लगाने वाले चाहिए या चुनाव जीतने वाला।
सासंद अश्विनी कुमार चोपड़ा ने कहा, कांग्रेस में ठुमके लगाने वाले जो हैं, वही ठुमके लगाएंगे, ये उनको देखना है कि ठुमके लगाने हैं या चुनाव जीतना है।
आपको बता दें कि 22 जून को सपना चौधरी कांग्रेस मुख्यालय गई थी और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से प्रभावित होने की बात कही थी। कांग्रेस मुख्यालय पहुंचने के बाद सपना ने संवाददाताओं से कहा था, मुझे सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी बहुत अच्छी लगती हैं। मैं उनसे मिलने पहुंची थी लेकिन उनसे नहीं मिल पाई। जल्द ही मैं उनसे मिलूंगी।