चंडीगढ, 2जून:
हरियाणा के रोहतक स्थित बडे उद्योग लक्ष्मी प्रिसीजन स्कू्र लि पर संकट के बादल मंडरा गए है। कम्पनी के कर्मचारियों और श्रमिकों को पांच माह से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। साथ ही कम्पनी के कर्जदाता केनरा बैंक ने डिफाल्टर घोषित कर 138 करोड रूपए के कर्ज को एनपीए में डाल दिया है। बैंक की ओर से उद्योग के गेट पर नोटिस भी चस्पा किया गया है। बैंक ने कर्ज की वसूली के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है।
1972 में स्थापित यह उद्योग अच्छे किस्म के नट-बोल्ट बनाने का काम करता है। ये नट-बोल्ट भारी उद्योगों व लक्जरी गाडियों में इस्तेमाल किए जाते है। इनका निर्यात किया जाता है और इस उद्योग पर कई स्थानीय उद्योग निर्भर है। ये छोटे उद्योग इसे जरूरी माल की आपूर्ति करते है। माल के निर्यात से विदेशी मुद्रा हासिल होती है। उद्योग पर करीब 150 करोड रूपए का कर्ज है जिसमें से करीब 130 करोड रूपए केनरा बैंक के है। अब तालाबंदी की आशंका से सभी परेशान है।
उधर श्रमिक व कर्मचारी संगठन का आरोप है कि कम्पनी को जानबूझकर घाटे में दिखाया जा रहा है ताकि करीब 200 करोड रूपए हडपे जा सकें। उनकी दलील है कि यदि घाटा है तो करीब 28 अन्य उद्योग कैसे खडे किए गए है। ये उद्योग भी इसके समान ही वस्तुओं का उत्पादन कर रहे है। इन अन्य कम्पनियों के डायरेक्टर भी एलपीएस के डायरेक्टर है। एलपीएस के श्रमिकों व सप्लायरों ने हरियाणा सरकार को पत्र भेजकर एलपीएस के डायरेक्टरों व खातों की सीबीआई जांच की मांग की है। साथ ही कम्पनी के वारों निदेशकों के पासपोर्ट जब्त करने की मांग की है। उन्होंने आशंका जताई है कि ये डायरेक्टर विजय माल्या और नीरव मोदी की तरह विदेश चले जायेंगे।