लोकसभा चुनावों का दूसरा चरण सम्पन्न

लोकसभा चुनाव 2019: दूसरे चरण का मतदान संपन्न, बिहार के 5 सीटों पर हुआ 62.52 फीसदी मतदान लोकसभा चुनाव
2019 के दूसरे चरण में बिहार के पांच सीटों पर 62.52 फीसदी मतदान किया गया है.
2014 के चुनाव के मुकाबले 2019 में बहुत अच्छी वोटिंग नहीं हुई है. दोनों चुनावों के आकड़ो में 1 फीसदी का अंतर है

नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 के दूसरे चरण का मतदान खत्म हो चुका है. बिहार के पांच लोकसभा सीटों के लिए दूसरे चरण में मतदान किया गया. सुबह 7 बजे से 5 बजे तक पांचों सीटों मतदाताओं ने मतदान किया. वहीं, पांचों सीटों पर कुल 62.52 फीसदी मतदान किया गया है. हालांकि इन आंकड़ों में आंशिक बदलाव हो सकता है. क्यों कि कुछ बूथों पर मतदान देर तक हुए जो बूथ परिसर में आ चुके थे.

खबरों के अनुसार, 2014 के चुनाव के मुकाबले 2019 में बहुत अच्छी वोटिंग नहीं हुई है. दोनों चुनावों के आकड़ो में 1 फीसदी का अंतर है. दूसरे चरण में बिहार में पांच लोकसभा सीट पर मतदान किया गया. जिसमें कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया, बांका और भागलुपर सीट शामिल हैं.

पांचों सीटों में सबसे अधिक कटिहार सीट पर मतदान किया गया है. कटिहार सीट पर 68.20 फीसदी मतदान किया गया है. वहीं, किशनगंज में 64.10 फीसदी, पूर्णिया 64.5 फीसदी, बांका में 58 फीसदी और भागलपुर सीट पर 58.2 फीसदी मतदान किया गया है.

कटिहार लोकसभा सीट पर सबसे अधिक 64.10 फीसदी मतदान किया गया. वहीं, भागलपुर और बांका में 58 फीसदी मतदान किया गया है. इन दोनों सीटों पर मतदान 60 फीसदी से कम रह गया. हालांकि पिछली बार की तुलना में सभी सीटों पर मतदान में बढ़ोत्तरी हुई है. जिसमें सबसे अधिक कटिहार सीट पर पिछली बार की तुलना में अधिक वोटिंग हुई है. 2014 में 61.10 फीसदी मतदान किया गया था.

बिहार में दूसरे चरण का मतदान समाप्त हो गया है. चुनाव आयोग ने बताया कि छिटपुट घटनाओं के अलावा पूरा मतदान शांतिपूर्ण रहा. वहीं, बांका में हुई फायरिंग के बारे में बताया गया कि यह केवल भीड़ को हटाने के लिए किया गया था. यह जांच का विषय है इसलिए इस मामले में जांच किया जा रहा है.

वहीं, बताया गया कि दूसरे चरण में 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं, नौगछिया और बांका में एक-एक बूथों पर वोट बहिष्कार की सूचना मिली है. जांच कर उन बूथों को चिन्हित किया जाएगा.

लोकतन्त्र के 4थे स्तम्भ के आत्मीयों की निर्मम हत्याएँ पीड़ादायक तो हैं ही साथ ही घोर दुर्भाग्यपूर्ण हैं: सारिका तिवारी

www.demokraticfront.com ग्रुप सरकार के दोगले रवैये और इस घटना की कड़े शब्दों में निन्दा करता है। और इंसाफ के लिए बिहार सरकार से मांग करता है।

कमल कलसी, बोधगया, (बिहार):

अखिल भारतीय पत्रकार समिति संघ के दिनेश पंडित अजय कुमार पांडे, संतोष कुमार ,राजेश कुमार द्विवेदी, शुभम कुमार विश्वनाथ आनंद, अविनाश कुमार, सहित सैकड़ों पत्रकारों ने बैठक कर नालंदा के शेखपुरा से हिंदुस्तान अखबार के ब्यूरो चीफ आशुतोष कुमार आर्य के पुत्र को निर्मम हत्या किए जाने को लेकर शोक सभा का आयोजन किया गया।

उपस्थित पत्रकारों ने 2 मिनट का मौन रखकर उसकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की एवं इस दुख की घड़ी में ईश्वर शक्ति प्रदान करें और साथ में एकजुटता का परिचय देते हुए हत्यारा की गिरफ्तारी करने की अपील जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन एवं सरकार से की है l बैठक में पत्रकारों ने निंदा प्रस्ताव पारित करते हुए कहा है कि एक तरफ सरकार पत्रकारों की परिजनों की सुरक्षा करने की बात करती है वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों पर एवं पत्रकार के परिजनों पर जिस प्रकार से हत्यारा ओं द्वारा निर्मम हत्या की जा रही है हमला किया जा रहा है जो देश लोकतंत्र के लिए खतरा है ।

ज्ञातव्य शेखपुरा हिंदुस्तान अखबार के ब्यूरो चीफ आशुतोष आर्य के पुत्र को रविवार की शाम जब घर पर नहीं लौटा वह लोगों में घबराहट होने लगी खोजबीन किया गया, बाद में पता चला कि गांव के कुछ दूर पर ही हत्या कर फेका हुआ है। इस प्रकार से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के परिजनों के साथ जिस प्रकार से हत्या हमला किया जा रहा है जो दुर्भाग्यपूर्ण है सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों को कठोर से कठोर कार्रवाई कर दंडित करें। पत्रकारों ने इसका पुरजोर विरोध किया है एवं जल्द से जल्द हत्यारों की गिरफ्तार करने की मांग की है।

पत्रकारों ने कहा है कि परिजनों की हत्या करने से कलम की लेखनी कम नहीं पड़ सकता। पत्रकारों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि हत्यारों को 2 दिन के अंदर गिरफ्तारी नहीं किया जाता है को चरणबद्ध आंदोलन पूरे देश में चलाई जाएगी पहले प्रखंड मुख्यालय जिला मुख्यालय में किया जाएगा।

समृति ईरानी ने अमेठी में किया रोड शो और योगी की उपस्थिती में भरा नामांकन

मोदी के पुन: प्रधानमंत्री बनाने पर एक नेता ने राजनैतिक सन्यास लेने की बात कही है।

अमेठी: केन्द्रीय मंत्री एवं अमेठी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने गुरुवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी गर्भवती महिलाओं और गरीब बच्चों की योजनाओं का पैसा लूटकर जेबें भरती है. ईरानी ने अपना नामांकन दाखिल करने से पहले यहां पूजा अर्चना की. उसके बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों के यहां आयकर छापों का जिक्र करते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘मध्य प्रदेश में वो कौन से सज्जन हैं, जिसने तुगलक रोड में रहने वाले किस सज्जन तक उनका पैसा पहुंचाया. 

कमलनाथ के करीबियों का किया जिक्र
उन्होंने कहा, ‘ये कैसी राजनीति है कांग्रेस पार्टी की, जो गर्भवती महिलाओं की योजना से पैसा लूटकर अपनी जेबें भरने का काम करती है. जो गरीब बच्चों की योजना का पैसा लूटकर अपने पार्टी कार्यालय तक पहुंचाती है.’ ईरानी ने कहा कि कमलनाथ के सहायक के घर से जो 280 करोड़ रुपये का ब्यौरा मिला है, जो नकदी मिली है और जानवरों की खाल मिली है, उसके संदर्भ में राहुल गांधी की चुप्पी अपने आप में उनकी हकीकत बताती है.

राहुल पर किया कटाक्ष 
रोडशो शुरू करने से पहले उन्होंने कहा कि मैं इतना ही कहना चाहूंगी कि बीजेपी संगठन और कार्यकर्ता का संस्कार मात्र एक है कि कार्यकर्ता चाहे किसी वर्ग, परिवार या समुदाय का हो, हम सब एक राष्ट्र, एक ध्वज और एक संविधान के अंतर्गत राष्ट्र निर्माण में समर्पित रहते हैं. ईरानी ने एक बार फिर परोक्ष रूप से राहुल पर कटाक्ष किया कि अगर किसी को यह लगता है कि राष्ट्र की जनता और कार्यकर्ता उनका अपना परिवार नहीं हैं तो ये उनकी मानसिकता दर्शाती है.

फिर प्रधान सेवक बनेंगे PM मोदी
उन्होंने कहा कि ऐसा विश्वास करती हूं कि एक बार फिर प्रधान सेवक की जिम्मेदारी उन्हें (पीएम मोदी को) प्राप्त होगी. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा ने बार बार कहा है कि राष्ट्र पहले, पार्टी बाद में है.  

मनाया जा रहा है लोकतंत्र का उत्सव 
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में लोकतंत्र का उत्सव मनाया जा रहा है. मेरा सभी नागरिकों और वोटरों से आग्रह है कि वे अपना वोट दें. मतदान का दिन है. अपना बहुमूल्य वोट और आशीर्वाद दें.’ ईरानी उन्होंने कहा कि पांच साल पहले नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी बने और पांच साल उन्होंने प्रधान सेवक बनकर देश की सेवा की. हम आशावादी हैं कि जितना प्रेम और सम्मान नरेन्द्र भाई मोदी को मिला, उसके लिए कार्यकर्ता के नाते हम आभार व्यक्त करते हैं.

अपने बेटे के चुनाव प्रचार के लिए अनिल शर्मा को पद और विधायकी छोडनी होगी

अभी कुछ दिन पहले ही 92 वर्षीय पंडित सुख राम ने राहुल गांधी से आशीर्वाद प्राप्त किया था और अपने पौत्र आश्रय शर्मा के साथ कांग्रेस का दामन थामा था।

नाहन (हिमाचल प्रदेश): हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रविवार को अपने कैबिनेट सहयोगी अनिल शर्मा से यह स्पष्ट करने को कहा कि वह मंडी लोकसभा सीट से अपने पुत्र एवं कांग्रेस उम्मीदवार के लिए प्रचार करने के वास्ते सरकार से अलग होंगे या वहां भाजपा उम्मीदवार का समर्थन करेंगे. ठाकुर ने कड़ा रुख अपनाया और राज्य के ऊर्जा मंत्री शर्मा से स्पष्टीकरण मांगा. कुछ दिन पहले ही उनके पिता एवं पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम अपने पोते आश्रय शर्मा के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे. आश्रय शर्मा को मंडी से कांग्रेस का टिकट दिया गया है.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शर्मा से स्पष्टीकरण उत्तराखंड में चुनाव प्रचार के लिए जाते समय पोंटा में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मांगा. ठाकुर ने कहा कि उनके कैबिनेट सहयोगी शर्मा को इसको लेकर स्पष्टीकरण देना चाहिए कि वह मंडी में किसके लिए प्रचार करेंगे…अपने पुत्र या भाजपा उम्मीदवार रामस्वरूप शर्मा के लिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि शर्मा को जल्द निर्णय करना चाहिए कि वह चुनाव में मंडी में अपने पुत्र की मदद के लिए कांग्रेस के साथ जाएंगे या भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रचार करेंगे.

उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि अनिल शर्मा अपने पुत्र के लिए प्रचार करते हैं तो उन्हें अपना कैबिनेट पद और हिमाचल प्रदेश विधानसभा की सदस्यता गंवानी होगी. उन्होंने कहा कि इस पर किसी को भी कोई संदेह नहीं होना चाहिए. मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही शर्मा के मुद्दे को लेकर भाजपा में मतभेद होने की अटकलों को भी खारिज किया

सीएम जयराम ठाकुर ने कहा, पार्टी में इस मुद्दे पर कोई दूसरा मत नहीं है और जो वह कह रहे हैं वह पार्टी का सर्वसम्मत विचार है. उन्‍होंने यह भी विश्वास जताया कि भाजपा हिमाचल प्रदेश की मंडी सहित सभी चार लोकसभा सीटें बरकरार रखेगी और उन पर भाजपा की जीत का अंतर बढ़ेगा.

पार्टी को प्रत्याशी घोषित करने में इतना समय नहीं लगाना चाहिए: सुमित्रा महाजन

नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha elections 2019) में इंदौर से बीजेपी सांसद और लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है. सुमित्रा महाजन ने चिट्ठी लिखकर चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा है. हालांकि अपनी चिट्ठी में सुमित्रा महाजन ने इस फैसले को लेने के लिए भी पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है. सुमित्रा महाजन का कहना है कि पार्टी इंदौर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी के ऐलान में इतनी देरी क्यों कर रही है? इंदौर में लोकसभा चुनाव के लिए 19 मई को मतदान होना है. 

बता दें कि 2 अप्रैल को मीडिया से बात करते हुए सुमित्रा महाजन ने कहा था कि उन्होंने अपने तीन दशक लम्बे संसदीय जीवन में आज तक अपनी पार्टी से मांग नहीं की है कि उन्हें चुनावी प्रत्याशी बनाया जाये. लगातार आठ दफा लोकसभा में इंदौर की नुमाइंदगी करने वाली वरिष्ठ बीजेपी नेता ने यह भी कहा कि अगर इस बार उनकी उम्मीदवारी के विकल्पों पर चर्चा की जा रही है, तो यह “स्वाभाविक प्रक्रिया” होने के साथ खुद उनके लिये “गौरव” की बात है क्योंकि इससे पता चलता है कि बीजेपी में योग्य नेताओं की कमी नहीं है.

“ताई” (मराठी में बड़ी बहन का सम्बोधन) के नाम से मशहूर नेता ने यह बात ऐसे वक्त कही है, जब इंदौर सीट से बीजेपी उम्मीदवार की घोषणा में देरी के चलते अटकलों के सियासी गलियारों में यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या लालकृष्ण आडवाणी (91) और मुरलीमनोहर जोशी (85) सरीखे वरिष्ठतम बीजेपी नेताओं की तरह महाजन को भी इस बार चुनावी समर से विश्राम दिया जायेगा? 

इसी महीने की 12 तारीख को उम्र के 76 साल पूरे करने जा रहीं महाजन ने यहां पत्रकारों से कहा, “सबसे पहली बात तो यह है कि जब मैंने वर्ष 1989 में इंदौर से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था, तब भी मैंने पार्टी से टिकट नहीं मांगा था. पार्टी ने मुझे खुद टिकट दिया था. मैंने अपनी पार्टी से आज तक टिकट नहीं मांगा है.” 

इंदौर से बीजेपी उम्मीदवार की घोषणा में देरी के सबब को लेकर किये गये सवाल पर उन्होंने कहा, “इस प्रश्न का उत्तर तो बीजेपी संगठन ही दे सकता है. हो सकता है कि उनके (बीजेपी संगठन के नेताओं के) मन में कुछ बात हो. इस बारे में जब तक बीजेपी संगठन कुछ नहीं बोलेगा, मैं भी कुछ नहीं कह सकती.” 

उन्होंने कहा, “मैंने बीजेपी संगठन के किसी भी नेता से बात नहीं की है कि इंदौर से पार्टी के उम्मीदवार की घोषणा क्यों रोकी गयी है? हमारी पार्टी में इस तरह के सवाल नहीं किये जाते, क्योंकि उम्मीदवार तय करना हमारे संगठन का काम है. इंदौर से उम्मीदवार चयन के मामले में बीजेपी संगठन उचित समय पर उचित निर्णय करेगा.” 

इंदौर सीट के उम्मीदवार के तौर पर उनके विकल्प के रूप में बीजेपी के कुछ स्थानीय नेताओं के नाम सामने आये हैं. इस बारे में महाजन ने कहा, “यह (विकल्पों पर चर्चा) अच्छी बात है और स्वाभाविक प्रक्रिया भी है. (पार्टी में) बहुत सारे विकल्प होने चाहिये. इसी से पार्टी मजबूत मानी जाती है और यह भी पता चलता है कि पार्टी में इतने योग्य कार्यकर्ता हैं कि इनमें से किसी को भी टिकट दे दिया जाये, तो वह चुनाव जीत जायेगा.” 

उन्होंने कहा, “अगर इंदौर में मेरे विकल्पों की चर्चा की जा रही है, तो यह मेरे लिये गौरव की बात है क्योंकि मैं भी पार्टी की एक घटक हूं.” 

बहरहाल, अपना टिकट कटने की अटकलों से बेपरवाह महाजन ने स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं की मार्गदर्शक के तौर पर चुनावी मैदान पकड़ लिया है. वह लोकसभा चुनावों की तैयारियों के मद्देनजर बीजेपी के अभियान के तहत शहर भर में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठकें ले रही हैं. 

वर्ष 1982 में इंदौर नगर निगम के चुनावों में पार्षद पद की उम्मीदवारी से अपने चुनावी करियर की कामयाब शुरूआत करने वाली बीजेपी नेता ने कहा, “चुनाव एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरी पार्टी लड़ती है. व्यक्ति (उम्मीदवार) तो सहायक की भूमिका में रहता है. अभी हमारे मन में एक ही लक्ष्य है कि लोकसभा चुनाव जीतकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर बहुमत वाली सरकार बनानी है.” 

महाजन के अलावा, इंदौर लोकसभा सीट से बीजेपी के चुनावी टिकट के दावेदारों के रूप में शहर की महापौर तथा पार्टी की स्थानीय विधायक मालिनी लक्ष्मणसिंह गौड़, बीजेपी की अन्य विधायक ऊषा ठाकुर, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत और इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन शंकर लालवानी के नाम चर्चा में हैं. 

लोखीड मार्टिन की मीडिया द्वारा मेनेजड है F-16 की रिपोर्ट

अमेरिकी आयुध निर्माण कंपनी लोखीड मार्टिन की साख तब चूर चूर हो गयी जब एक रिटायर हो रहे MIG-21 ने अत्याधुनिक F-16 को मार गिराया। लोखीड मार्टिन के भावी व्यापार पर इसका क्या असर पड़ सकता है यह तो स्वाभाविक ही है। अब अपनी साख बचाने के लिए इस कंपनी ने एक समाचार पत्र समूह की मदद से यह खबर छ्प्व दी की पाकिस्तान के पास उतने ही F – 16 लदाऊ विमान हैं जीतने अमेरिका नें दिये थे। तो सच्चाई यह है की पाकिस्तान के पास एफ़ -16 का जखीरा उससे कहीं अधिक है जितना अमेरिका सोचता है, अमेरिका ने यही विमान जॉर्डन को भी बेचे थे, जॉर्डन ने आगे कुछ विमान पाकिस्तान को बेच दिये। अब बात यह है की यदि अमेरिकी विमान पूरे हैं तू जॉर्डन वाले विमान कहाँ गए और यदि अमेरिका ने गिनती की है तो उसे जॉर्डन वाले विमान क्यों दिखाये नहीं गए। खैर अमेरिका जो भी कहे सोचे, हमारे अभनंदन ने तो एक F-16 गिराया था और इसके साक्ष्य हैं। और सबसे महत्वपूर्ण बात इस दावे की अभी तक अमेरिकी सरकार ने आधिकारिक पुष्टि नहीं की है

नई दिल्‍ली: 

भारतीय वायुसेना ने एक वक्तव्य में कहा है कि 27 फ़रवरी को भारतीय वायुसेना के साथ हुई डॉग फाइट में पाकिस्तान के जिस विमान को मार गिराया गया था वो F-16 ही था. वायुसेना का दावा है कि इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर से ये बात साफ हो जाती है. सूत्रों का कहना है कि F-16 को नियंत्रण रेखा से 8-10 किलोमीटर दूर सब्ज़कोट के इलाके में अभिनन्दन के mig 21 से फायर हुई आर72 मिसाइल से गिराया गया.

अभिनन्दन के विमान को इस जगह से 10 किलोमीटर दूर तंदर में गिराया गया. भारतीय सीमा के अंदर उड़ रहे अवाक्स के स्क्रीन शॉट से पता चलता है कि अभिनन्दन के सामने उड़ रहे पाकिस्तानी फाइटर केवल F-16 थे. इनमें से एक फाइटर कुछ सेकंड बाद स्क्रीन से गायब हो गया. बाद में पाकिस्तान के रेडियो ट्रांसमिशन के इंटरसेप्ट से भी यही पता चला कि उनका एक F-16 वापस नहीं लौटा है. सूत्रों का दावा है कि वायुसेना के पास ऐसे पर्याप्त सबूत हैं, जो बताते हैं कि पाकिस्तान एफ-16 के बारे में सबको गुमराह कर रहा है. अवॉक्स के electronic support measures ने हमलावर जेट्स में एफ 16 की पुष्टि की थी.

अमेरिकी पत्र‍िका ने किया दावा
दरअसल, ‘फॉरेन पॉलिसी’ नाम की एक पत्रिका ने गुरुवार को यह खबर प्रकाशित की कि पाकिस्तान के पास मौजूद एफ-16 विमानों की अमेरिका द्वारा की गई गिनती से यह पता चला है कि उनमें एक भी विमान कम नहीं है. पत्रिका की यह खबर भारत के इस दावे के उलट है कि उसके एक लड़ाकू विमान ने 27 फरवरी को हुई हवाई झड़प के दौरान पाकिस्तान के एक एफ-16 विमान को मार गिराया.

गौरतलब है कि पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी प्रशिक्षण शिविरों पर बम गिराए थे. भारत की इस कार्रवाई के बाद दोनों देशों के लड़ाकू विमानों के बीच एक झड़प हुई थी जिसमें एक एफ-16 विमान को मार गिराया गया था.

2019 में सुरक्षित सीट की तालाश में राहुल

अमेठी लोकसभा चुनाव क्षेत्र 1967 से कांग्रेस की सीट रही है संजय गांधी की मृत्यु के पश्चात राजीव गांधी यहाँ से निर्वाचित हुए तभी से यह कांग्रेस की पारंपरिक सीट से बदल कर पारिवारिक सीट हो गयी। 2004 के बाद से कोई भी राहुल गांधी को चुनौती नहीं दे पाया था, लेकिन 2014 के चुनावों में भाजपा की दिग्गज नेता, टीवी अभिनेत्री से नेत्री बनी समृति ईरानी के आने से महौल बदला और राहुल को एक चुनौती का सामना करना पड़ा। आम आदमी पार्टी द्वारा कुमार विश्वास को मैदान में उतारने से चुनावी समीकरण राहुल गांधी की ओर बैठ गए अन्यथा विश्वास द्वारा काटेगए वोट भी स्मृति के पक्ष में जाते और राहुल की जीत का अंतर कुछ 100 ही में सिमट जाता।

अब माहौल पूरी तरह से बदल चुका है राहुल गांधी ने अमेठी से सांसद होते हुए भी अकर्मण्यता का परिचय दिया और अमेठी के बारे में यह कहा जाता है कि राजीव गांधी ने 1981 में जिस झोंपड़ी से चुनाव प्रचार किया था 2019 के क्ंग्रेस चुनाव प्रचार भी उसी झोंपड़ी से किए जाएँगे (यह सिर्फ 1967 से आज तक कांग्रेस सांसदों के रहते अमेठी के हालात बयान करती प्रतीकात्मक बात है) भाजपा का मानना है कि 2004 से आज तक राहुल ने उतने वादे अमेठी से नहीं किए जीतने काम स्मृति ईरानी ने हारने के बाद भी अमेठी में करवा दिये। लोगों के मन में स्मृति इरानि को लेकर था कि हारने के बाद स्मृति पुन: अमेठी नहीं आएंगीन, परंतु स्मृति ने न केवल वहाँ अपना दफ्तर बनाया अपितु वह बारंबार अमेठी आती रहीं और स्थानीय लोगों की समस्याओं का निदान करतीं रहीं।

2010 में जिला घोषित होने के बाद से 2017 तक यहाँ डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर का दफ्तर भी नहीं था। अमेठी ने गांधी परिवार को चुनाव दर चुनाव जितया परंतु अमेठी को गांधी परिवार से सिर्फ राजनैतिक अकर्मण्यता के सिवा कुछ भी हासिल नहीं हुआ। आज जब 2019 के चुनाव सामने हैं, स्मृति के किये काम दिखने लगे हैं ऐसे में लोगों को स्मृति से काफी उम्मीदें हैं। चुनावी समीकरण अब स्मृति की ओर झुके हुए हैं। बसपा सुप्रीमो ने हालांकि अमेठी सीट पर उम्मीदवार न उतारने की बात कही थी पर अब वह राहुल गांधी से नाराज़ चल रहीं हैं, विश्वास भी इस बार मैदान में नहीं हैं, चुनावी दंगल कर्मठ स्मृति तथा राहुल के बीच हैं जिसमे राहुल की जीत मुश्किल होती जान पड़ती है इसी लिए अब कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाइयां उन्हे (राहुल को) अपने राज्यों की सुरक्षित सीटों से चुनाव लड़ने की प्रार्थना कर रहीं हैं। भीतर ही भीतर स्मृति से डरे हुए रहल अप्रत्यक्ष रूप से यही चाहते हैं परन्तु परोक्ष रूप से इस पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं।

पत्तनमतिट्टा/कोट्टायम (केरल) : प्रदेश कांग्रेस ने वयनाड लोकसभा सीट के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी (एआईसीसी) अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम प्रस्तावित किया है. यह सीट राज्य में पार्टी का गढ़ मानी जाती है. वरिष्ठ नेताओं ने शनिवार को बताया कि राहुल गांधी ने इस अनुरोध पर फिलहाल प्रतक्रिया नहीं दी है.

एआईसीसी महासचिव ओमन चांडी ने पत्तनमतिट्टा जिले में संवाददाताओं से कहा कि केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी ने गांधी से वयनाड से लड़ने का आग्रह किया है लेकिन उन्होंने प्रस्ताव पर टिप्पणी नहीं की है.

उन्होंने कहा कि पार्टी नेता मांग कर रहे हैं कि गांधी को किसी दक्षिण भारतीय लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहिए और “हमने गांधी से वयनाड सीट से लड़ने का आग्रह किया है.” चांडी ने कहा, “उन्होंने अब तक इस अनुरोध पर टिप्पणी नहीं की है. लेकिन हमें उम्मीद है कि कुछ सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलेगी.”

पार्टी केरल की 20 लोकसभा सीटों में से 16 पर चुनाव लड़ रही है और उसने 14 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है लेकिन वयनाड एवं वडाकरा से अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं. वहीं राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्नीथला ने कोट्टायम में कहा कि उन्होंने गांधी से वयनाड सीट से लड़ने का आग्रह किया था जब वह हाल ही में पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत करने केरल आए थे.

भारत को मिला पहला लोकपाल

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस पी. सी. घोष भारत के पहले लोकपाल नियुक्त किए गए हैं. देश के पहले लोकपाल पी.सी. घोष को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंगलवार को नियुक्त किया.एसएसबी की पूर्व प्रमुख अर्चना रामसुंदरम और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव दिनेश कुमार जैन को लोकपाल के गैर न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पी. सी. घोष फिलहाल राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य हैं. मालूम हो कि लोकपाल की मांग को लेकर ही अन्ना हजारे की अगुवाई में बड़ा आंदोलन हो चुका है.

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को देश का पहला लोकपाल बनाए जाने की रविवार को सिफारिश की गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रख्यात कानूनविद मुकुल रोहतगी की चयन समिति ने उनका नाम तय किया था और उसकी सिफारिश भी की थी.

लोकसभा में विपक्ष के नेता व कांग्रेस सदस्य मलिकार्जुन खड़गे ने इस बैठक में भाग नहीं लिया था. वह भी समिति के सदस्य हैं. न्यायमूर्ति घोष (67) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के 2017 से सदस्य हैं. वह सर्वोच्च न्यायालय से 27 मई 2017 को सेवानिवृत्त हुए.

उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर 8 मार्च 2013 को पदभार ग्रहण किया था. लोकपाल सर्च कमेटी द्वारा सूचीबद्ध किए गए शीर्ष 10 नामों वह शामिल थे. न्यायाधीश घोष की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने जुलाई 2015 में तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे.जयललिता को नोटिस जारी किया था.

कर्नाटक सरकार द्वारा जयललिता व तीन अन्य को आय से अधिक संपत्ति के मामले में रिहा करने को चुनौती देने वाली एक याचिका पर यह नोटिस जारी किया गया था. वह पूर्व में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं.

पिनाकी चंद्र घोष का जन्म कोलकाता में हुआ. वह कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिवंगत न्यायामूर्ति शंभू चंद्र घोष के बेटे हैं.

घोष, कलकत्ता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक हैं, उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक (एलएलबी) किया और कलकत्ता उच्च न्यायालय से अटॉर्नी-एट-लॉ प्राप्त किया. उन्होंने 30 नवंबर 1976 को बार काउंसिल ऑफ पश्चिम बंगाल में खुद को वकील के रूप में पंजीकृत कराया. 

पर्रिकर के वह बयान जिनसे मची सियासी हलचल

नई दिल्ली: गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार 17 मार्च 2019 को निधन हो गया. मनोहर पर्रिकर की छवि एक ईमानदार, सादगीपसंद और समर्पित नेता के रूप में रही थी. पर्रिकर ने गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर चार बार अपनी सेवाएं दीं. साथ ही पर्रिकर नवंबर 2014 से 13 मार्च 2017 तक केंद्र की मोदी सरकार में रक्षामंत्री रहे थे. शायद ही कोई नेता हो जिसके नाम से कोई विवाद न जुड़ा हो. ऐसे ही कुछ बयान मनोहर पर्रिकर ने भी दिए थे. आइए जानते हैं उनसे जुड़े कुछ ऐसे ही बयान…

असहिष्णुता पर कहा- ‘देश के खिलाफ बोलने वालों को सिखाएं सबक’
2015 में देशभर में असहिष्णुता को लेकर लंबी बहस छिड़ गई थी. इस दौरान कई वैज्ञानिकों, लेखकों और फिल्म निर्माताओं ने असहिष्णुता के माहौल के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाए थे. इस बीच अभिनेता आमिर खान ने भी असहिष्णुता के मुद्दे पर अपनी पत्नी किरण राव के साथ बातचीत का हवाला देकर एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि लगातार हो रही घटनाओं से वह चिंतित है और किरण ने सुझाव दिया कि उन्हें संभवत: देश छोड़ देना चाहिए.

इस बयान के सामने आने के बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर ने बिना आमिर का नाम लिए कहा था कि ‘एक अभिनेता ने कहा है कि उनकी पत्नी भारत से बाहर जाना चाहती है. यह घमंड से भरा बयान है. ऐसे लोग, जो लोग देश के खिलाफ बोलते हैं, उन्हें इस देश के लोगों द्वारा पाठ पढ़ाए जाने की जरूरत है. 

बीजेपी के वरिष्ठ नेता आडवाणी को कहा था- ‘सड़ा हुआ अचार’
वर्ष 2009 में लालकृष्‍ण आडवाणी के नेतृत्‍व में लड़े गए लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद मनोहर पर्रिकर ने आडवाणी को सड़ा हुआ अचार कहा था. कहा जाता है कि जिस समय नितिन गडकरी बीजेपी अध्यक्ष बने थे, उस समय पर्रिकर के नाम पर भी चर्चा की जा रही थी. कहा जाता है कि बीजेपी अध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल पर्रिकर के आडवाणी को लेकर दिए गए बयान ने ही उन्हें इस दौड़ से बाहर कर दिया था. बता दें कि पर्रिकर काफी पहले से ही पीएम नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय राजनीति में लाने की पैरवी करते रहे हैं. 

सर्जिकल स्ट्राइक को बताया था संघ की शिक्षा
सितंबर, 2016 में उरी आतंकी हमले का जवाब देते हुए भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था. भारतीय सेना के इस ऑपरेशन में 50 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया गया था. उस समय रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) को जाता है. उन्होंने कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक के पीछे आरएसएस की शिक्षा है. उन्होंने यह भी कहा था कि अहमदाबाद में तो कम से कम कोई नहीं पूछेगा कि इस सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत दो. 

थरूर के मौसा-मौसी और 13 अन्य ने उठाई केरल में कमल की ज़िम्मेदारी

जब प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूर्वी उत्तरप्रदेश की कमान संभाली तभी से वह राष्ट्र भर ए दौरों पर हैं। और तभी से कभी बिहार कभी उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात से वरिष्ठ नेता यहाँ तक की विधायक भी अपने पदों से इस्तीफा दे कर भाजपा का दामन पकड़ रहे हैं। अभी टॉम वादक्कन का मामला शांत भी नहीं हुआ था की शोभना शशिकुमार अपने पति और 13 अन्य सहित भाजपा में शामिल हो गईं। कांग्रेस के अपने को पुन:sथापित करने की राह में यह बड़ी रुकावट है। वहीं शशि थरूर के लिए भी यह अच्छी खबर नहीं है।

कोच्चि: कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन के भाजपा में शामिल होने के एक दिन बाद तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य शशि थरूर के मौसा-मौसी ने शुक्रवार को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. थरूर की मां की बहन, सोभना शशिकुमार और उनके पति शशिकुमार तथा 13 अन्य लोग बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी के राज्य अध्यक्ष पी.एस. श्रीधरन पिल्लै ने सभी का पार्टी में स्वागत किया. थरूर के मौसा-मौसी ने कहा कि एक लंबे समय से वे भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा का अनुसरण कर रहे हैं.

 लोकसभा चुनाव 2019 चुनावों के समर में कांग्रेस प्रवक्‍ता टॉम वडक्‍कन ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. केरल में शशि थरूर कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक हैं. वह इस समय त‍िरुवनंतपुरम से सांसद है. बीजेपी की लंबे समय से इस सीट पर नजर है. इस बार भी वह उनके सामने अपना मजबूत उम्‍मीदवार उतार सकती है. एेसी भी चर्चा है कि हाल ही में मिजोरम के राज्‍यपाल पद से इस्‍तीफा देने वाले कुम्‍मानम राजशेखरन यहां से चुनाव लड़ सकते हैं. पद संभालने के 10 महीने के बाद ही उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था.

आरएसएस के निष्ठावान व्यक्ति माने जाने वाले और भाजपा की प्रदेश इकाई के पूर्व प्रमुख राजशेखरन (65) को केरल में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बेहतर मौका नजर आ रहा है. इस राज्य में पार्टी अभी तक अपना खाता नहीं खोल पायी है. भाजपा नेतृत्व ने उम्मीदवार सूची की घोषणा नहीं की है, लेकिन प्रदेश पार्टी के सूत्रों ने यहां कहा कि इसकी काफी संभावना है कि राजशेखरन बहुचर्चित तिरूवनंतपुरम सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. पार्टी राज्य में करीब छह सीटों पर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है और यह सीट भी उनमें से एक है.

केरल में सत्तारूढ़ एलडीएफ ने शुरू किया चुनावी अभियान, कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशी तय नहीं
केरल में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान 23 अप्रैल को होना है और सत्तारूढ़ एलडीएफ ने इसके लिए सोशल मीडिया पर और घर-घर जाकर प्रचार शुरू कर दिया है. उधर, विपक्षी यूडीएफ तथा भाजपा नीत राजग अभी प्रत्याशियों के नामों पर माथापच्ची करने में जुटे हैं. माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने बहुत पहले उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. इस मोर्चे ने चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखें घोषित करने से पहले ही अपने उम्मीदवारों के नाम सार्वजनिक कर दिये थे. वाम मोर्चे के उम्मीदवारों ने मतदाताओं से व्यक्तिगत रूप से मिलना शुरू कर दिया है जबकि विपक्षी दल अभी चुनावी समर में उतरने की तैयारी ही कर रहे हैं.

माकपा की ज्‍यादा से ज्‍यादा सीटों पर नजर
भाकपा के वरिष्ठ नेता और तिरूवनंतपुरम सीट से एलडीएफ के उम्मीदवार सी दिवाकरन ने यहां एक स्थानीय मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आईं महिला श्रद्धालुओं से वोट मांगे. एलडीएफ ने अपने छह वर्तमान सांसदों और छह विधायकों को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है. मोर्चे ने इसके अलावा वरिष्ठ नेताओं और अनुभवी पार्टी सदस्यों को टिकटें दी हैं. अधिक से अधिक सीटें हासिल करना माकपा के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लोकसभा चुनावों के नतीजों को उनकी तीन साल पुरानी सरकार के कामकाज के मूल्यांकन के तौर पर देखा जाएगा.

सबरीमाला मुद्दे का कितना होगा असर
विजयन को नतीजों के जरिये यह भी साबित करना है कि सबरीमला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति के उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने के उनके निर्णय को आम लोगों से समर्थन प्राप्त हुआ. विपक्षी कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) और भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वे सबरीमला मुद्दे तथा विजयन के ‘‘अड़ियल रवैये’’ को उठाएंगे.

बीजेपी को खाता खुलने की उम्‍मीद
इस बीच, खबर है कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी, केपीसीसी प्रमुख एवं वर्तमान सांसद मुल्लापल्ली रामचंद्रन और वरिष्ठ नेता वीएम सुधीरन सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने लेाकसभा चुनाव लड़ने से अनिच्छा जाहिर की है जिससे कांग्रेसी नेतृत्व दुविधा में है. कांग्रेस नीत गठबंधन की चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों ने भी आशाएं बढ़ा दी हैं, जिनमें कांग्रेस नीत मोर्चे का केरल में शानदार प्रदर्शन का पूर्वानुमान लगाया गया है. भाजपा नीत राजग इस दक्षिणी राज्य में अपने उम्मीदवारों पर माथापच्ची करने में जुटा है. उसे इस बार केरल में खाता खुलने की उम्मीद है. वर्ष 2014 लोकसभा चुनावों में, केरल की कुल 20 सीटों में से कांग्रेस नीत यूडीएफ ने 12 जबकि माकपा नीत एलडीएफ ने आठ सीटें जीती थीं.