- वर्ल्ड पंजाबी आर्गेनाईजेशन द्वारा आयोजित ‘पंजाब विजन 2047’ कॉन्क्लेव में मंत्री, विशेषज्ञों ने पंजाब के लिए सामर्थ्य और चुनौतियों पर चर्चा की
- हमें पंजाब की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए उसके सामर्थ्य और कमजोरियों का आकलन करना होगा: डॉ. विक्रमजीत सिंह साहनी
- राज्य सरकार की नई विकास नीतियां जल्द ही परिणाम दिखाना शुरू कर देंगी:हरपाल सिंह चीमा, वित्त मंत्री, पंजाब
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 12 नवंबर:
“पंजाब वही राज्य है जिसने भारत को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाया और भुखमरी को खत्म किया। हम स्थिति बदल सकते हैं और फिर से उत्कृष्टता हासिल कर सकते हैं। यह बात पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने पंजाब डेवेलपमेंट कमीशन और पंजाब यूनिवर्सिटी के सहयोग से वर्ल्ड पंजाबी आर्गेनाईजेशन द्वारा आयोजित दो दिवसीय कॉन्क्लेव ‘पंजाब विजन 2047’ के उद्घाटन समारोह के दौरान कही।
नीति निर्माण, शासन, व्यापार और सामाजिक क्षेत्र के दिग्गजों की सभा को संबोधित करते हुए, चीमा ने राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई नई विकास नीतियों के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हम अगले कुछ वर्षों में इन नीतियों के परिणाम देखेंगे जो राज्य की अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत कर देंगे। जीएसटी व्यवस्था की शुरुआत के साथ, पंजाब जैसे औद्योगिक और कृषि राज्यों में राजस्व में गिरावट देखी गई है क्योंकि जीएसटी एक गंतव्य आधारित कर है। अर्थात कम औद्योगिक और कृषि उत्पादन वाले राज्य जिनकी खपत अधिक है, ज्यादा कर एकत्र करते हैं।”
राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा, जो उद्घाटन सत्र के सम्मानित अतिथि थे, ने उन विषयगत क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया जिन पर राज्य की समृद्धि के लिए ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “यह दृढ़ता, साहस, भाईचारे और समुदाय की भूमि है और राज्य सरकार प्रत्येक क्षेत्र में समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है।”
कॉन्क्लेव के आयोजक, राज्यसभा सांसद डॉ. विक्रमजीत सिंह साहनी ने उम्मीद जताई कि पंजाब में सतत आर्थिक विकास और सांस्कृतिक कायाकल्प के युग की शुरुआत करने की पूरी क्षमता है। उन्होंने जोर देकर कहा, “हमें अपनी सकारात्मकता के साथ-साथ अपने अतीत के ज्ञान से भी सीखना होगा ताकि हम समृद्धि की ओर बढ़ सकें। हमें अपनी सामर्थ्यता, कमजोरियों, अवसरों और खतरों का आकलन करने की जरूरत है।”
पहले पूर्ण सत्र में लेखकों, पत्रकारों और इतिहासकारों ने पंजाब की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत और वर्तमान चुनौतियों पर चर्चा की।
साहित्यिक इतिहासकार रक्षंदा जलील ने पंजाब में उर्दू भाषा के खत्म होने पर दुख जताया, जबकि वरिष्ठ पत्रकार और कवियत्री निरुपमा दत्त ने राज्य में व्याप्त जाति और लिंग आधारित भेदभाव के बारे में बात की। प्रख्यात लेखक और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रमेश इंदर सिंह ने पंजाब की अर्थव्यवस्था में विविधता लाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
शासन पर आयोजित सत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और सहभागितापूर्ण नीति निर्माण को मजबूत करने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया।
राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बात करते हुए, पंजाब के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बलबीर सिंह ने कहा कि हालिया कृषि नीति किसानों की भागीदारी के साथ बनाई गई थी और अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह की पहल की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार पारिस्थितिकी बहाली के लिए भी प्रतिबद्ध है। इतने सालों में यह पहली बार है कि पंजाब के नहर नेटवर्क में सुधार हुआ है और भूजल स्तर बढ़ा है।
सेवानिवृत्त आईएएस एसएस बोपाराय ने जोर देकर कहा कि वाघा सीमा खोलकर पंजाब के उद्योग को आसानी से किया जा सकता है, जहां से उत्पादों को मध्य पूर्व और दुनिया के अन्य हिस्सों में आसानी से निर्यात किया जा सकता है।
पंजाब के कृषि परिदृश्य पर आयोजित सत्र में मौजूदा चुनौतियों से निपटने, उत्पादकता बढ़ाने और सतत विकास को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा की गई।
प्रसिद्ध टिप्पणीकार देविंदर शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि पंजाब उच्च रासायनिक इनपुट पर आधारित औद्योगिक कृषि के कारण पीड़ित है, जिसने पर्यावरण को दूषित कर दिया है। “जब तक लोग स्वस्थ और सुरक्षित भोजन की मांग नहीं करेंगे, तब तक आपको यह नहीं मिलेगा। हमें किसानों को प्राकृतिक खेती के माध्यम से पर्यावरण बचाने के लिए भी प्रोत्साहित करना होगा।”
पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुडियान ने गरीब किसानों और खेतिहर मजदूरों को सहायता देने की आवश्यकता के बारे में बात की।
पंजाब के उद्योग पर गठित पैनल में कई उद्योग जगत के नेताओं ने विनिर्माण को पुनर्जीवित करने और वैश्विक बाजारों को पुनः प्राप्त करने के लिए रणनीतियां तलाशने के लिए एक साथ मिलकर काम किया।
डॉ. साहनी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के बद्दी को दिए गए प्रोत्साहनों ने पंजाब के उद्योग को प्रभावित किया है। केंद्र सरकार को कम से कम पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों को भी इसी तरह के प्रोत्साहन देने चाहिए।
उद्योग जगत के जुड़े विशेषज्ञों ने औद्योगिक केंद्र बिंदुओं पर बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता और खेल, साइकिल और होजरी जैसे विशेष उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करने पर भी जोर दिया।