महाराष्ट्र के कांग्रेस विधायकों का कहना है कि गठबंधन सरकार की तो छोड़िये यदि हमारे मंत्री ही हमारी नहीं सुनेंगे तो आगामी चुनावों में पार्टी कैसे अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी। इकॉनामिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इन विधायकों ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर तुरंत दखल देने की मांग की है, ताकि चीजें बिगड़ने से पहले संभल जाए। विधायकों ने कहा कि कांग्रेस के मंत्री हमारी चिंताओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और वे हमसे तालमेल नहीं बना रहे हैं।
विधानसभा में कांग्रेस के 44 विधायक हैं, इनमें से 25 विधायकों ने नाराजगी जताई है
कांग्रेस के लिए यह खतरे का संकेत माना जा रहा है, नाराज विधायकों ने सोनिया गांधी को लेटर लिखा है
इन 14 के अलावा 30 विधायक हैं, उनमें से 25 विधायकों ने नाराजगी जताई है
मुंबई/नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :
महाराष्ट्र कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। राज्य के विधायकों की नाराजगी और उनके कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगे जाने के बाद अब ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य विश्वबंधु राय ने भी सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। उन्होंने राज्य में कांग्रेस की स्थिति को लेकर संज्ञान लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि जैसा नुकसान पार्टी को पंजाब में हुआ, वैसा ही महाराष्ट्र में होने वाला है। महाराष्ट्र प्रभारी पार्टी के अंदरूनी असंतोष से अनजान रहते हैं। एनसीपी के साथ-साथ हमारे मंत्रियों से भी कई विधायक नाराज चल रहे हैं।
कॉन्ग्रेस के 25 विधायकों ने महाराष्ट्र सरकार में अपनी ही पार्टी के मंत्रियों के खिलाफ शिकायत करने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मिलने का समय माँगा है। इन कॉन्ग्रेस विधायकों का कहना है कि पार्टी के मंत्री भी उनकी बात नहीं सुनते। उनकी चिंताओं का जवाब नहीं देते हैं। विधायकों ने सोनिया गाँधी को भेजे पत्र में उनसे हस्तक्षेप करने और चीजों को सही करने का आग्रह किया है।
कुछ विधायकों ने ET से कहा है कि महाविकास अघाड़ी सरकार के मंत्री, विशेष रूप से कॉन्ग्रेस के मंत्री, उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। उनमें से एक ने कहा, “अगर मंत्री विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में काम को लागू करने के अनुरोधों की अनदेखी करते हैं, तो पार्टी चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कैसे करेगी?”
पार्टी में कोऑर्डिनेशन की कमी का संकेत देते हुए विधायकों ने कहा कि उन्हें पिछले सप्ताह ही पता चला कि कॉन्ग्रेस के प्रत्येक मंत्री को पार्टी विधायकों से जुड़े मसलों का तरीके से समाधान करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके तहत हर मंत्री के जिम्मे तीन पार्टी विधायक आते हैं। एक कॉन्ग्रेस विधायक ने कहा, “हमें इसके बारे में तब पता चला जब एचके पाटिल ने हाल ही में एक बैठक की थी। इसमें बताया गया कि कॉन्ग्रेस मंत्रियों को तीन-तीन विधायक आवंटित किए गए हैं। राज्य मे एमवीए की सरकार बनने के कुछ महीने बाद ही ऐसा किया गया था। लेकिन हमें इसके बारे में सरकार बनने के ढाई साल बाद पता चल रहा है। अब भी कोई नहीं जानता कि कौन सा मंत्री हमसे जुड़ा हुआ है।”
इसके अलावा कॉन्ग्रेस के विधायकों का यह भी कहना है कि इस तरह की परिस्थिति के कारण राज्य में पार्टी एनसीपी से भी पिछड़ रही है। विधायकों ने चिट्ठी में लिखा है कि एनसीपी के नेता और उद्धव सरकार में डिप्टी सीएम अजित पवार लगातार अपनी पार्टी के विधायकों से मिलते हैं, उनकी बात सुनते हैं और योजनाओं के लिए धन की व्यवस्था भी कराते हैं। उन्होंने ये भी लिखा है कि एनसीपी लगातार कॉन्ग्रेस पर निशाना साधती है। अगर अभी कदम नहीं उठाया गया, तो कॉन्ग्रेस बाकी राज्यों की तरह महाराष्ट्र में हाशिए पर चली जाएगी। विधायकों ने कहा कि पंजाब में पार्टी की हार के बाद तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। अगर पार्टी का महाराष्ट्र में ऐसा ही रवैया रहता है तो पंजाब जैसा परिणाम आ सकता है। बता दें कि हालिया विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस को पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में करारी हार मिली है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/03/SOTHA1.jpg592740Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-03-31 13:50:122022-03-31 13:50:35कांग्रेस की कलह फिर सामने आई, विश्वबंधु राय ने सोनिया गांधी को भेजा पत्र
भाजपा समर्थकों को धमकी देते हुए उनके भाषण का वीडियो भी वायरल हुआ है। नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया पर उनका ये बयान शेयर करते हुए निशाना साधा है। नरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती इस वीडियो में कहते दिख रहे हैं, “कट्टर भाजपा समर्थक, जिन्हें प्रभावित नहीं किया जा सकता – उन्हें धमकाया जाना चाहिए। उन्हें बता दीजिए कि अगर उन्होंने अपना वोट डाला, तो हम यही समझेंगे कि उन्होंने भाजपा को ही वोट दिया है।” गौरतलब है कि पिछले दिनों पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में बीजेपी के कार्यकर्ता की पीट-पीटकर हत्या का मामला सामने आया था। मृतक कार्यकर्ता का नाम कलाचंद कर्मकारथा और उनकी उम्र 55 साल थी। वह बीजेपी के बूथ कमेटी के सचिव भी थे। पश्चिम बंगाल में शनिवार (दिसंबर 5, 2020) को एक बार फिर से हिंसक वारदात की खबर सामने आई है। इसमें बीजेपी के 5 से 7 कार्यकर्ता घायल बताए जा रहे हैं।
नई दिल्ली.
पश्चिम बंगाल के आसनसोल लोकसभा उपचुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस के एक विधायक का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें वह बीजेपी के समर्थकों को खुलेआम धमकी दे रहे हैं। धमकी देने वाले विधायक का नाम नरेंद्र नाथ चक्रवर्ती है। नरेंद्र नाथ पांडवेश्वसर से तृणमूल के विधायक हैं. इस वायरल वीडियो में नरेंद्र नाथ बीजेपी समर्थकों से कहते हैं कि वे चुनाव के दिन बाहर न आएं, न ही वोट डालें। अगर ऐसा किया तो इसका खतरनाक परिणाम भुगतने होंगे. इस वायरल वीडियो के बाद तृणमूल और बीजेपी में ठन गई है। बाबुल सुप्रीयो के आसनसोल लोकसभा से इस्तीफा देने के बाद यहां उपचुनाव कराया जा रहा है।
उन्होंने आगे धमकाया, “जब चुनाव ख़त्म हो जाएगा, उसके बाद भाजपा समर्थक अपने रिस्क पर राज्य में रहेंगे। हाँ, अगर उन्होंने वोट ही नहीं डाला तो हम समझेंगे कि उन्होंने हमारा समर्थन किया है। तभी वो पश्चिम बंगाल में शांतिपूर्वक रह पाएँगे। तब आप लोग अपने कारोबार और नौकरियाँ यहाँ रह के कर सकते हैं। स्पष्ट है?” शुभेंदु अधिकारी ने बताया कि कैसे नरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती का विधानसभा क्षेत्र आसनसोल लोकसभा में ही आता है, जहाँ दो हफ़्तों में चुनाव होने हैं।
उन्होंने ध्यान दिलाया कि कैसे नरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती पहले पंडाबेश्वर के TMC ब्लॉक अध्यक्ष हुआ करते थे, ठीक वैसे ही जैसे बीरभूम हिंसा के आरोप में वहाँ के ब्लॉक अध्यक्ष अनुरूल हक़ को गिरफ्तार किया गया है। नरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती बर्दवान जिला परिषद के सदस्य भी रहे हैं। 2016 में CISF ने उन्हें पिस्तौल रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। कोलकाता के नेताजी सुभाष अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर वो गिरफ्तार हुए थे। आर्म्स एक्ट में उन पर कार्रवाई हुई थी। भाजपा ने चुनाव आयोग से उनके भाषण को लेकर संज्ञान लेने का आग्रह किया है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/03/tmc-mla-naren-chakraborty-threatening-its-voters_2.jpg600800Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-03-29 13:13:092022-03-29 13:13:59“भाजपा को वोट दिया तो बंगाल में रहना मुश्किल कर देंगे”, TMC विधायक नरेंद्र नाथ चक्रवर्ती
बीजेपी के विधायकों ने इल्जाम लगाया है कि वे बीरभूम हिंसा के मामले में विधानसभा में चर्चा कराना चाहते थें, जिसके बाद टीएमसी के विधायकों ने हंगामा करना शुरू कर दिया और साथ-साथ मारपीट और धक्कामुक्की भी की। हाथापाई के मामले में स्पीकर ने कार्रवाई करते हुए भाजपा के पांच विधायकों को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया। जिन नेताओं को सस्पेंड किया गया है, उनमें शुभेंदु अधिकारी, मनोज तिग्गा, नराहरी महतो, शंकर घोष, दीपक बरमन का नाम शामिल है।
डेमोक्रैटिक फ्रंट, कोलकाता :
पश्चिम बंगाल विधानसभा में बीरभूम नरसंहार को लेकर हंगामा
घायल विधायक असित मजूमदार अस्पताल ले जाए गए
टीएमसी और बीजेपी के विधायकों के बीच कहासुनी
झगड़ा हाथापाई तक पहुंचा, जमकर मारपीट
विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष नेता सुवेंदु समेत पांच विधायकों को किया सस्पेंड
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद जगह-जगह हो रही हिंसा को लेकर ममता बनर्जी सरकार निशाने पर है। अब भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस का झगड़ा विधानसभा तक पहुंच गया है। सोमवार को बंगाल विधानसभा के अंदर बीजेपी और टीएमसी विधायकों के बीच जमकर मारपीट हुई। इस मारपीट में बीजेपी विधायक असित मजूमदार घायल हो गए और मनोज तिग्गा के कपड़े फाड़े गए।असित मजूमदार को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। इधर इस घटना के लेकर बीजेपी, टीएमसी की ममता सरकार पर हमलावर हो गई है। उधर विधानसभा स्पीकर ने सुवेंदु अधिकारी समेत पांच विधायकों को सस्पेंड कर दिया है। सस्पेंड होने वाले विधायकों में शुभेंदु अधिकारी, मनोज तिग्गा, नराहरी महतो, शंकर घोष, दीपक बरमन का नाम शामिल है. इनको अगले आदेश तक के लिए सस्पेंड कर दिया गया है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में आज सुबह से ही विपक्ष ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान की मांग शुरू कर दी। इसी को लेकर टीएमसी के विधायक भड़क उठे और दोनों पक्षों के बीच कहासुनी शुरू हो गई। देखते ही देखते ये बहस मारपीट में बदल गई। भाजपा विधायकों ने आरोप लगाया कि वे बीरभूम में हुई कथित हत्याओं पर चर्चा चाहते थे, जिस पर हंगामे के बाद टीएमसी विधायकों ने धक्कामुक्की-मारपीट की। बाद में स्पीकर ने कार्रवाई करते हुए पांच विधायकों को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया। जिन नेताओं को सस्पेंड किया गया है, उनमें शुभेंदु अधिकारी, मनोज तिग्गा, नराहरी महतो, शंकर घोष, दीपक बरमन का नाम शामिल है। इसके बाद विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में लगभग 25 भाजपा विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट किया और दावा किया कि सदन के अंदर तृणमूल कांग्रेस के विधायकों द्वारा उनकी पार्टी के कई विधायकों के साथ मारपीट की गई।
भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने मारपीट की घटना और स्पीकर द्वारा सस्पेंड किए जाने के फैसले पर टीएमसी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “सदन का आखिरी दिन होने के चलते हमने राज्य के कानून व्यवस्था पर चर्चा की मांग की। ऐसा न होने के बाद संवैधानिक तरीके से विरोध किया जिसके बाद सिविल ड्रेस पहने पुलिस कर्मी और TMC के विधायकों ने हमारे (भाजपा के) विधायकों को मारा।” उन्होंने कहा, “तृणमूल कांग्रेस, उनके गुंडे और पुलिस के खिलाफ हमारा मार्च है। इसको लेकर हम स्पीकर के पास भी जाएंगे। बंगाल में जो हालत है उसको लेकर केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए।”
अधिकारी ने कहा, ‘‘विधायक, सदन के भीतर भी सुरक्षित नहीं है…तृणमूल के विधायकों ने सचेतक मनोज तिग्गा सहित हमारे कम से कम 8-10 विधायकों के साथ मारपीट की, क्योंकि हम कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान की मांग कर रहे थे।’’
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के नेता एवं राज्य के मंत्री फिरहाद हकीम ने पत्रकारों से कहा कि भाजपा, विधानसभा में अराजकता फैलाने के लिए नाटक कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘ सदन में हमारे कुछ विधायक घायल हो गए हैं। हम भाजपा के इस कृत्य की निंदा करते हैं।’’
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/03/VSDangal.jpg5741020Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-03-28 16:07:502022-03-28 16:07:53बंगाल विधानसभा में मारपीट, BJP-TMC विधायक भिड़े,
लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने पत्रकारोंसे कहा कि इन परिस्थितियों में पार्टी पश्चिम बंगाल में अनुच्छेद 355 लागू करने के पक्ष में है, जहां सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और ‘पुलिस मंत्री’ ममता बनर्जी ‘‘स्थिति को काबू में करने में बुरी तरह नाकाम’’ रही हैं। संविधान का अनुच्छेद 355 आपात स्थिति से संबंधित है, जिसके तहत केंद्र बाह्य आक्रमण या आंतरिक अशांति से किसी राज्य की रक्षा करने के लिये हस्तक्षेप कर सकता है।
कोल्कोत्ता(ब्यूरो), डेमोरेटिक फ्रंट :
पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शासन में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति चरमरा जाने का आरोप लगाते हुए रविवार को राज्य में अनुच्छेद 355 (Article 355) लागू करने की मांग की. चौधरी ने फरवरी में छात्र नेता अनीस खान की रहस्यमय मौत की निष्पक्ष एवं स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए हावड़ा में कदमताला से एस्प्लेनेड इलाके तक एक ‘पदयात्रा’ का नेतृत्व कर रहे थे.
चौधरी फरवरी में छात्र नेता अनीस खान की रहस्यमय मौत की निष्पक्ष एवं स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए हावड़ा में कदमताला से एस्प्लेनेड इलाके तक एक ‘पदयात्रा’ का नेतृत्व कर रहे थे।
बहरामपुर से सांसद चौधरी ने दावा किया, ‘‘पश्चिम बंगाल में एक के बाद एक घटना हो रही है। छात्र नेता अनीस खान को उसके घर की तीसरी मंजिल से धक्का दिया गया और जांच में असली दोषियों को बचाया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘फिर बीरभूम जिले के रामपुरहाट में बर्बर घटना हुई, जिसमें महिलाओं और बच्चों समेत आठ लोगों को जलाकर मार डाला गया। झालदा नगरपालिका से हमारे पार्षद तपन कंडू को नजदीक से गोली मारी गयी लेकिन कोई उचित जांच नहीं की गयी है। ये सभी घटनाएं राज्य में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त होने और सत्तारूढ़ टीएमसी की मिलीभगत का संकेत देती हैं।’’
लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने पत्रकारों से कहा कि इन परिस्थितियों में पार्टी पश्चिम बंगाल में अनुच्छेद 355 लागू करने के पक्ष में है, जहां सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और ‘पुलिस मंत्री’ ममता बनर्जी ‘‘स्थिति को काबू में करने में बुरी तरह नाकाम’’ रही हैं।
संविधान का अनुच्छेद 355 आपात स्थिति से संबंधित है, जिसके तहत केंद्र बाह्य आक्रमण या आंतरिक अशांति से किसी राज्य की रक्षा करने के लिये हस्तक्षेप कर सकता है।
चौधरी ने पश्चिम बंगाल में अनुच्छेद 355 लागू करने के मुद्दे के संबंध में ‘‘केंद्रीय नेतृत्व की चुप्पी’’ के लिए भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा।
एक अन्य सवाल के जवाब में सांसद ने कहा कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बाद ईंधन की कीमत में कई बार वृद्धि के मुद्दे को संसद में उठाया जाएगा।
कांग्रेस नेता ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर उनसे पश्चिम बंगाल में अनुच्छेद 355 लागू करने का अनुरोध किया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार काम करे।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/03/birbhumviolencecase-1647971475.jpg338600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-03-27 18:01:282022-03-27 18:05:30कॉंग्रेस ने पश्चिम बंगाल में की अनुच्छेद 355 की मांग
जिनराज्य सरकारों ने सीबीआई को जनरल कंसेंट यानी आम सहमती दे रखी है, उन राज्यों में सीबीआई किसी भी मामले में बगैर राज्य सरकार की अनुमति के छापेमारी और गिरफ्तारी कर सकती है। वहीं, जिन राज्यों ने जनरल कंसेंट वापस ले लिया है उनमें सीबीई को कार्रवाई के लिए पहले राज्य सरकार से इजाजत लेनी होती है।
नई दिल्ली:
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि पंजाब, महाराष्ट्र, और पश्चिम बंगाल सहित 9 राज्यों ने अपने यहां किसी मामले की सीबीआई जांच के लिए आम सहमति वापस ले ली है। उन्होंने यह भी बताया कि 2019 से 2022 फरवरी तक राज्यों द्वारा 101 मामलों में सीबीआई जांच की अनुमति दी गई है। हाल ही में मेघालय ने राज्य में किसी मामले की जांच के लिए सीबीआई को दी जाने वाली आम सहमति वापस ले ली थी।
इससे पहले मिजोरम और गैर-राजग शासित सात राज्यों-महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और केरल ने सीबीआई जांच के लिए आम सहमति वापस ले ली थी।
मेघालय में सत्तारूढ़ गठबंधन में भाजपा साझेदार है जहां नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेता कोनराड संगमा मुख्यमंत्री हैं।
एजेंसी के शीर्ष अधिकारियों ने समिति को बताया कि इन आठ राज्यों में अनेक मामलों में जांच के लिए 150 अनुरोध लंबित हैं।
अधिकारियों ने बताया कि इनमें बैंक धोखाधड़ी, जालसाजी और धन के गबन से संबंधित मामले शामिल हैं।
सीबीआई के निदेशक सुबोध जायसवाल और एजेंसी के अन्य शीर्ष अधिकारियों ने वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील मोदी की अध्यक्षता वाली कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय पर संसदीय स्थायी समिति के समक्ष अपना पक्ष रखा।
समिति के सूत्रों ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा कि जब कुछ सदस्यों ने सीबीआई से आम सहमति वापस लेने के बारे में पूछा तो एजेंसी के अधिकारियों ने उन्हें सूचित किया कि अब तक नौ राज्यों ने आम सहमति वापस ली है जिनमें सबसे ताजा मामला मेघालय का है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/03/CBI.jpg269627Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-03-24 12:20:372022-03-24 12:21:00CBI जांच के लिए ‘आम सहमति’ को नकारने वाला मेघालया 9वाँ राज्य है
बेनर्जी ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान यह भी कहा कि उन्हें जिले का अपना दौरा एक दिन के लिए स्थगित करना पड़ा क्योंकि ”अन्य राजनीतिक दल पहले से ही वहां जुटे हुए हैं।’ विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता घटनास्थल पर जाते समय ‘लंगचा’ (पड़ोसी बर्दवान जिले के शक्तिगढ़ क्षेत्र में बनने वाली मिठाई) का स्वाद लेने के लिए रुक गए।”
कॉलकत्ता/नयी दिल्ली(ब्यूरो) :
पश्चिम बंगाल के बीरभूम में टीएमसी नेता की हत्या के बाद हिंसा फैल गई. यहां गुस्साई भीड़ ने करीब एक दर्जन घरों को आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा में 8 लोगों की जलकर मौत हो गई। मरने वालों में 3 महिलाएं और 2 बच्चे भी शामिल हैं. बंगाल में हुई इस हिंसा पर राजनीति भी छिड़ गई है। बीजेपी ने ममता सरकार के खिलाफ मोरचा खोल दिया है। बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल आज बीरभूम जा रहा है. इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद सामने आई हैं और उन्होंने कहा है कि वो खुद कल बीरभूम जाएंगी। उन्होंने कहा कि जिन्हें बीरभूम जाना है जाएं, किसी को रोका नहीं जाएगा क्योंकि ये बंगाल है यूपी नहीं। हमें हाथरस जाने से रोका गया, बंगाल में किसी को छींक भी आ जाए तो बीजेपी कोर्ट चली जाती है।
ममता खुद कल रामपुरहाट का दौरा करेंगी। इससे पहले उन्होंने कहा कि उन्हें हमारे राज्य के लोगों की चिंता है। बनर्जी ने कहा, “सरकार हमारी है, हमें अपने राज्य के लोगों की चिंता है। हम कभी नहीं चाहेंगे कि किसी को तकलीफ हो। बीरभूम, रामपुरहाट की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। मैंने तुरंत ओसी, एसडीपीओ को बर्खास्त कर दिया है। मैं कल रामपुरहाट जाऊंगी।”
राज्यपाल पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ”यहां एक लाट साहब बैठे हैं और हर बार बयान दे रहे हैं कि पश्चिम बंगाल में हालात खराब हैं।” पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बुधवार को बीरभूम हिंसा पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को फटकार लगाई और कहा कि यह टकराव के असंवैधानिक रुख पर फिर से विचार करने का समय है ताकि लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों को बहाल किया जा सके और लोगों को दमनकारी ‘डर’ और पीड़ा से राहत मिल सके।
धनखड़ की टिप्पणी बनर्जी के पत्र के जवाब में आई जिसमें उन्होंने राज्यपाल से “अनुचित बयान देने से परहेज करने और प्रशासन को बीरभूम हिंसा की निष्पक्ष जांच करने की अनुमति देने का आग्रह” किया था। राज्यपाल ने आरोप लगाया कि बनर्जी डायवर्सन रणनीति अपना रही हैं।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/03/mamata-banerjee-e1382575206663.jpg374500Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-03-23 14:13:562022-03-23 14:15:14 BJP पर हमलावर ममता बनर्जी,’…कोई छींक दे तो कोर्ट चले जाते हैं’
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में टीएमसी के पंचायत नेता भादू शेख पर 4 बदमाशों ने बम से हमला कर दिया था। इस घटना में उनकी बाद में मौत हो गई थी। इसके बाद TMC नेताओं के एक गुट ने इलाके में हिंसा को अंजाम देना शुरू कर दिया। उन्होंने शक के आधार पर कई घरों को आग लगा दी गई, जिससे एक ही घर में जिंदा जलकर 8 लोगों की मौत हो गई। भारी तनाव को देखते हुए मौके पर बड़ी संख्या में अतिरिक्त पुलिस बलों को तैनात किया गया है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट,नयी दिल्ली/ कोलकत्ता :
पश्चिम बंगाल में 8 लोगों को जिंदा जलाए जाने के घृणित अपराध मामले में बंगाल हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए बुधवार (23 मार्च 2022) को सुनवाई की। राज्य की ओर से पेश वकील ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि जाँच के लिए कदम उठा लिए गए हैं। फॉरेंसिंक टीम भी पड़ताल कर रही है। रिपोर्ट 1-2 दिन में आ जाएगी।
राज्य वकील ने कोर्ट से अपील की कि इस केस को पहले ही दिन किसी और एजेंसी को न दिया जाए। उन्होंने अपनी तरह से कहा घटना का सारा सच सामने जल्द से जल्द आना चाहिए। चाहे जो करना पड़े। इस सुनवाई में सीबीआई ने भी कोर्ट को कहा कि वो ये केस लेने के लिए तैयार हैं। कोर्ट ने सुनवाई में चश्मदीद का नाम किसी कीमत पर न खोलने की बात की।
बार एंड बेंच के ट्वीट के अनुसार, सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस मामले में सबसे ज्यादा परेशान करने वाली चीज ही यही है कि इसमें पुलिस की भूमिका है। ऐसे में पुलिस को स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए निर्देश जारी करने की आवश्यकता है। कोर्ट ने मामले में हर पक्ष को सुनकर कहा कि निष्पक्ष जाँच सुनिश्चित करने के लिए और याचिकाओं को पंजीकृत किया गया है। घटना के लिए जिम्मेदार लोगों का पता लगाया गया है और कानून के हिसाब से उन्हें सजा दी जाएगी।
सुनवाई में बताया गया कि घटना के दो चश्मदीद थे। इनमें एक की मृत्यु हो गई और दूसरा नाबालिग है जिसे बचाने की सुरक्षित रखने की जरूरत है। याचिकाकर्ता की माँग है की सीएफएसएल दिल्ली की फॉरेंसिंक टीम को सबूत जुटाने के लिए बुलाया जाना चाहिए क्योंकि गठित की गई एसआईटी पर गंभीर संदेह है।
याचिका में उल्लेख है कि इस एसआईटी का एक सदस्य ज्ञानवंत सिंह भी है जिस पर साल 2007 में रिजवानुर रहमान नामक व्यक्ति के हत्या के आरोप हैं। वहीं अगला संजय सिंह है जिसे ईसीआई ने 2021 में चुनाव में हस्तक्षेप करने पर हटा दिया था। याचिका में दावा है कि जो भी एसआईटी गठित होती है उसमें इस ज्ञानवंत सिंह को जरूर शामिल किया जाता है।
दलीलों में कोर्ट के सामने ये भी कहा गया कि चश्मदीदों को पहले ही धमकी मिलने लगी है कि उन्होंने अपना गाँव तक छोड़ना शुरू कर दिया है। कोर्ट से स्थानीयों के लिए सुरक्षा की माँग की। कोर्ट ने इस पर आदेश दिए कि ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए इंतजाम हों, उनकी विश्वास बहाली के लिए कदम उठाए जाएँ। कोर्ट ने माना कि डीजीपी जैसे अधिकारी बिन जाँच के बयान दे रहे हैं कि मामले में कोई राजनैतिक कोण नहीं है, जो कि बिलकुल गलत है।
पूरे मामले में पक्षों की दलील सुन कोर्ट ने राज्य सरकार को जाँच का मौका दिया है। कोर्ट ने कल 2 बजे तक इस संबंध में रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि डिस्ट्रिक्ट जज की देखरेख में घटनास्थल पर पर्याप्त मेमोरी वाले कैमरे लगाए जाएँ और अगले आदेश तक इलाके की रिकॉर्डिंग की जाए। इसके अलावा दिल्ली से सीएफएसएल की टीम स्पॉट पर जाए और जरूरी सामग्रजी जुटा कर बिना देरी के जाँच करे।
बता दें कि अब इस मामले की सुनवाई कल यानी कि 24 मार्च को 2 बजे होगी। कोर्ट ने इन 24 घंटों (24 मार्च को 2 बजे तक के बीच) में राज्य को रिपोर्ट तैयार करने का समय दिया है और बाकी आदेशों का पालन करने को कहा है। कोर्ट ने ये भी सुनिश्चित करने को कहा है कि चश्मदीदों पर किसी तरह धमकाया न जाए और न ही कोई उन्हें प्रभावित करे। कोर्ट ने कहा कि सच जरूर सामने आना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम के रामपुरहाट में टीएमसी नेता भादू शेख की बम हमले मौत के बाद हिंसा मचाई गई। उपद्रवियों ने टीएमसी नेता की मौत का बदला लेने के लिए इलाके के कई घरों को आग में झोंका जिसमें दावा है कि कुल 12 लोग जलकर मर गए। वहीं पुलिस मृतकों की संख्या 8 बताने में लगी है। सामने आए विजुअल्स बेहद परेशान करने वाले हैं जिसमें पुलिस घर के अंदर से मृतकों के कंकाल निकाल रही है। लोग इतना डरे हैं कि उन्होंने अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगह जाना शुरू कर दिया है। स्थानीयों का कहना है कि वो भय से अपने घरों को छोड़ रहे हैं। पुलिस ने उन्हें किसी तरह की सुरक्षा नहीं दी। अगर दी होती तो ये सब नहीं होता।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/03/HC.jpg383680Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-03-23 13:40:022022-03-23 13:40:40बीरभूम घटना पर HC ने बंगाल सरकार से माँगी रिपोर्ट, 24 घंटे का समय
ममता बैनर्जी ने कहा कि अगर कोई इस तटीय राज्य में भाजपा को हराना चाहता है तो वह हमारी पार्टी का समर्थन करें। ममता ने गोवा को एक प्यारा, सुंदर और बहुत बुद्धिमान राज्य बताते हुए साफ किया कि उनकी पार्टी ने राज्य को नियंत्रित करने या मुख्यमंत्री बनने के लिए नहीं, बल्कि चुनाव में गोवा के लोगों की मदद करने हेतु अपने अनुभव का उपयोग करने के लिए चुनावी मैदान में प्रवेश किया है। उन्होंने कहा कि उनके पास बंगाल की तरह ही गोवा के लिए भी एक योजना है, जिसे सत्ता में आने के छह महीने के भीतर तटीय राज्य में लागू किया जाएगा।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली(ब्यूरो) :
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने शनिवार को अपने प्रतिद्वंद्वी तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा को खुश करने के लिए गोवा विधानसभा चुनाव लड़ा था। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस पिछले कुछ समय से आमने-सामने हैं, दोनों के बीच तनाव उस वक्त और बढ़ गया था जब टीएमसी ने गोवा चुनाव लड़ने की घोषणा की थी।
बंगाल के छात्र नेता अनीश खान की हत्या के विरोध में धरने पर बैठे चौधरी ने तृणमूल सुप्रीमो पर तीखा हमला बोला और कहा, “आज तक, कांग्रेस के पास पूरे भारत में 700 विधायक हैं. कांग्रेस ने विपक्ष का 20 फीसदी वोट शेयर हासिल किया। ममता बनर्जी भाजपा को खुश करने की कोशिश कर रही हैं, ताकि वह उसका एजेंट बन सके. इसलिए आज वह बहुत कुछ कह रही हैं।”
विधानसभा चुनावों में चार राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद भाजपा-विरोधी गठबंधन के लिए क्षेत्रीय दलों से संपर्क साधते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कहा था कि कांग्रेस को साथ रखने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि अब उसमें वह बात नहीं रही। बनर्जी के बयान पर पलटवार करते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि तृणमूल कांग्रेस गोवा कांग्रेस को हराने गई थी।
चौधरी ने कहा था, “आज वह दुष्प्रचार कर रही हैं कि विपक्षी गठबंधन से कांग्रेस को बाहर रखा जाए। (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी कांग्रेस मुक्त भारत की बात कर रहे हैं और दीदी कांग्रेस के बगैर विपक्ष के गठबंधन की गठबंधन की बात कर रही हैं। ”
10 मार्च को आए गोवा चुनाव परिणाम में 40 सदस्यीय विधानसभा में से 20 सीटें जीतकर भाजपा राज्य में अकेली सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरी है। कांग्रेस 11 सीटों पर जीत हासिल कर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी है।
तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना 14 फरवरी को हुए गोवा चुनावों में अपना खाता खोलने में विफल रही. वहीं, एमजीपी और आप को दो सीटें मिली हैं। इसी तरह से जीएफपी और आरजीपी के खाते में एक सीट आई है, जबकि 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने बाजी मारी।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/11/mamtasonia.jpg548730Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-03-12 14:20:412022-03-12 14:20:56गोवा में कांग्रेस को हराने में ममता बनर्जी ने भाजपा की मदद की – अधीर रंजन चौधरी
वर्ष 1870 में सक्स-कोबर्ग के राजकुमार अल्फ्रेड एवं गोथा प्रयागराज (तब, इलाहाबाद) के दौरे पर आए थे। इस दौरे के स्मरण चिन्ह के रूप में 133 एकड़ भूमि पर इस पार्क का निर्माण किया गया जो शहर के अंग्रेजी क्वार्टर, सिविल लाइन्स के केंद्र में स्थित है। वर्ष 1931 में इसी पार्क में क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी चन्द्र शेखर आज़ाद को अंग्रेज़ों द्वारा एक भयंकर गोलीबारी में वीरगति प्राप्त हुई। आज़ाद की मृत्यु 27 फ़रवरी 1931 में 24 साल की उम्र में हो गई।
मैं भगतसिंह का साधक, मृत्यु साधना करता हूँ | मैं आज़ाद का अनुयायी, राष्ट्र आराधना करता हूँ |
: राष्ट्रीय चिंतक मोहन नारायण
स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास डेस्क : डेमोक्रेटिक फ्रंट
राष्ट्रिय स्वतन्त्रता के ध्येय को जीने वाले स्वाधीनता संग्राम के अनेकों क्रांतिकारियों में से कुछ योद्धा बहुत ही विरले हुए। जिनकी बहादुरी और स्वतंत्रता प्राप्ति की प्रबल महात्वाकांक्षा ने उन्हें जनमानस की स्मृति में चिरस्थायी कर दिया। उनके शौर्य की कहानियों को दोहराए बिना राष्ट्र की स्वाधीनता का इतिहास बया ही नहीं किया जा सकता है। जब भी हम देश के क्रांतिकारियों, आजादी के संघर्षों को याद करते है तो हमारे अंतर्मन में एक खुले बदन, जनेऊधारी, हाथ में पिस्तौल लेकर मूछों पर ताव देते बलिष्ठ युवा की छवि उभर कर आ जाती है। मां भारती के इस सपूत का नाम था चंद्रशेखर आजाद. जिनकी आज पुण्यतिथि है।
इस घटना के तार जुड़े है, 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए भीषण नरसंहार से जिसके बाद से ही देश भर के युवाओं में राष्ट्रचेतना का तेजी से प्रसार हुआ। बाद में जिसे सन 1920 में गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन का रुप दिया। इस समय चन्द्रशेखर भी बतौर छात्र सडकों पर उतर आये। महज 15 साल की उम्र के चंद्रशेखर को आन्दोलन में भाग लेने वाले क्रांतिकारियों के साथ गिरफ्तार किया गया। मामले में जब कोर्ट में जज के सामने इन्हें पेश किया गया तब कोई नहीं जानता था कि यहां भारत का इतिहास गढ़ा जाने वाला है जो सदियों के लिए इस देश की अमर बलिदानी परंपरा में एक उदाहरण जोड़ देगी। जज को दिए सवालों के जवाब ने चंद्रशेखर के जीवन को नई दिशा दी. उन्होंने जज के पूछने पर अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता, घर का पता जेल बताया। जिससे अंग्रेज जज तिलमिला उठा और उसने उन्हें 15 कोड़ों की सजा सुना दी। कच्ची उम्र के इस बालक के नंगे बदन पर पड़ता हर एक बेत (कोड़ा) चमड़ी उधेड़ कर ले आता। लेकिन इसके मुंह से बुलंद आवाज के साथ सिर्फ भारत माता की जय… वंदे मातरम के नारे ही सुनाई देते। वहां मौजूद लोगों ने आजाद की इस सहनशीलता और राष्ट्रभक्ति को देख दांतों तले उंगलियां दबा ली।
आजादी की लड़ाई को नई दिशा देने वाले इस विरले योद्धा का जन्म झाबुआ जिले के भाबरा गांव (वर्तमान के अलीराजपूर जिले के चन्द्रशेखर आजाद नगर) में 23 जुलाई सन् 1906 को पण्डित सीताराम तिवारी के यहां हुआ था। इस वीर बालक को अपनी कोख से जन्म देने वाली और अपने रक्त व दूध से सींचने वाली वीरमाता थी जगरानी देवी। चंद्रशेखर ने अपना बचपन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में गुजारा था। जहां वे भील बालकों के साथ खूब धनुष-बाण चलाया करते थे, जिसके कारण उनका निशाना अचूक हो गया था। उनका यह कौशल आगे चलकर भारत की स्वाधीनता के संघर्ष में खूब काम आया।
अपने क्रांतिकारी जीवन की शुरुआत तो आजाद ने अहिंसा के आंदोलन से की थी लेकिन उन्होंने अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचारों और अपमान को अधिक समय तक नहीं सहा और मां भारती को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए सशस्त्र क्रान्ति का मार्ग चुन लिया। आजाद के साथ क्रांतिकारी तो कई थे लेकिन राम प्रसाद बिस्मिल से उनकी खूब बनी। इनकी जोड़ी ने अंग्रेजों की जड़ें हिला कर रख दी।
एक समय तक देश के सभी युवा गांधीजी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे लेकिन फरवरी सन् 1922 में ऐतिहासिक चौरी-चौरा घटना ने सशस्त्र क्रांति की चिंगारी को हवा दे दी। उस समय में ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा शहर में गांधीजी के असहयोग आंदोलन में प्रदर्शनकारियों का पुलिस से संघर्ष हुआ। भीड़ पर काबू करने के लिए पुलिस ने गोलियां चलाईं जिसके बाद हालात तेजी से बिगड़े और भीड़ ने 22 पुलिसकर्मियों को थाने में बंद कर आग के हवाले कर दिया. इस घटना में हुई 3 नागरिकों और 22 पुलिसकर्मियों की मौत से आहत महात्मा गांधी ने तुरंत ही प्रभावी रुप से चल रहे असहयोग आंदोलन को रोक दिया। जिससे युवा क्रांतिकारियों के दल में भारी रोष उठा और उन्होंने अपना मार्ग गांधी से अलग कर लिया।
इसके बाद ही चंद्रशेखर आजाद हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़े और उसके सक्रिय सदस्य बने। इसी दौरान उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 9 अगस्त 1925 को काकोरी लूट को अंजाम दिया और फरार हो गए। ब्रिटिश सरकार ने इसमें हिंदुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल 40 क्रान्तिकारियों के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व यात्रियों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को फांसी दे दी गई और अन्य को कठोर कारावास के लिए कालापानी भेज दिया गया।
अपने साथियों के बलिदान के बाद आजाद ने उत्तर भारत के सभी क्रांतिकारी दलों को एकजुट करके हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) का गठन किया। जिसमें उनके साथी भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, जयदेव कपूर समेत कई क्रांतिकारी थे. जिन्होंने साथ मिलकर उग्र दल के नेता लाला लाजपतराय की हत्या का बदला अंग्रेजी अफसर सॉण्डर्स का वध करके लिया। आजाद कभी नहीं चाहते थे कि भगतसिंह खुद दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड की घटना को अंजाम दे क्योंकि वो जानते थे कि इसके बाद एक बार फिर संगठन बिखर जायेगा लेकिन भगत नहीं माने और इस घटना को अंजाम दिया गया।
जिसने ब्रिटिश सरकार की रातों की नींद हराम कर दी लेकिन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) बिखर गया। आजाद ने असेम्बली बम कांड के मुकदमे में गिरफ्तार हुए अपने साथियों को छुड़ाने के लिए भरसक प्रयास किए, वे इस संदर्भ में पंडित गणेश शंकर विद्यार्थी और पंडित जवाहरलाल नेहरू से भी मिले लेकिन बात नहीं बनी। उन्होंने वीरांगना दुर्गा भाभी (क्रांतिकारी भगवती चरण वोहरा की धर्मपत्नी) को भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव की फांसी रुकवाने के लिए गांधीजी के पास भी भेजा लेकिन गांधीजी ने भी उन्हें निराश कर दिया और उनके तीन और साथी आजादी के लिए फांसी पर झूल गए।
इन सारी घटनाओं के बावजूद चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों की नजरों से अब तक बचे हुए थे। वो अपने निशानेबाजी की कला के साथ वेश बदलने की कला में भी माहिर थे। जिसने अंग्रेजों के लिए उन्हें पकड़ने की चुनौती को और बढ़ा दिया था, कहा जाता है कि आजाद को सिर्फ पहचानने के लिए उस समय अंग्रेजी हुकूमत ने 700 लोगों को भर्ती कर रखा था बावजूद उसके वो कभी सफल नहीं हो पाए। लेकिन उन्हीं के संगठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) के सेंट्रल कमेटी मेम्बर वीरभद्र तिवारी आखिर में अंग्रेजो के मुखबिर बन गए और वो दिन आया जब मां भारती के इस लाल को इलाहाबाद के अलफ्रेड पार्क (वर्तमान में प्रयागराज के चंद्रशेखर आजाद पार्क) में घेर लिया गया।
ये दिन था 27 फरवरी 1931 का, आजाद अपने साथी क्रांतिकारी सुखदेव राज से मिलने पहुंचे थे। वे दोनों पार्क में घूम ही रहे थे कि तभी अंग्रेज अफसर नॉट बावर अपने दल-बल के साथ वहां पर आ धमका जिसके बाद दोनों ओर से धुंआधार गोलीबारी शुरू हो गई। अचानक हुए इस घटनाक्रम में आजाद को एक गोली जांघ पर और एक गोली कंधे पर लग चुकी थीं। बावजूद इसके उनके हाव भाव सामान्य बने हुए थे। वे अपने साथी सुखदेव के साथ एक जामुन के पेड़ के पीछे जा छिपे और स्थिति को हाथ से निकलता देख अपने साथी सुखदेव को वहां से सुरक्षित निकाल दिया। इस दौरान आजाद ने 3 गोरे पुलिसवालों को भी ढेर कर दिया लेकिन अब उनके शरीर में लगी गोलियां अपना असर दिखाने लगी थीं।
वहीं नॉट बावर अपने सिपाहियों के साथ अंधाधुंध गोलियां बरसा रहा था, आखिरकार आजाद की पिस्तौल खाली होने को आ गई! अब पास की गोलियां भी खत्म हो चुकी थीं लिहाजा इस वीर योद्धा ने अपनी पिस्तौल में बची अंतिम गोली को स्वयं की नियति में ही लिखने का साहसिक फैसला कर लिया। आजाद के मूर्छाते नेत्रों में अब भी उनका ध्येय ‘आजाद थे, आजाद है और आजाद रहेंगे!’ स्पष्ट था। अब पार्क में सन्नाटा पसर गया नॉट बावर के तरफ से भी फायरिंग थम गई थीं आजाद हर्षित मन से जीवन की अंतिम घड़ियों में अपने देश की माटी और उसकी आबोहवा को महसूस कर रहे है और यकायक उनकी पिस्तौल आखिर बार गरजी और ये वो क्षण था जब उन्होंने उस पिस्तौल में बची अंतिम गोली को अपनी कनपटी पर दाग लिया था।
मां भारती ने अपने लाल को खो दिया था लेकिन उसका ख़ौफ अंग्रेजों में इस कदर हावी था कि गोरे सिपाही उसके मृत शरीर के पास तक आने से कतरा रहे थे और लगातार उन पर गोलियां बरसाए जा रहे थे। आखिर में चंद्रशेखर आजाद की इस बहादुरी से नॉट बावर इतना प्रभावित हो चुका था कि उसने खुद टोपी उतार कर आजाद को सलामी दी और उनकी पिस्तौल को (जिसे आजाद ‘बमतुल बुखारा’ कहते थे) अपने साथ अपने देश ले गया था, जिसे आजादी के बाद वापस भारत लाया गया।
व्साभार नागेश्वर पवार
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/02/download-3.jpg194259Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-02-27 17:28:272022-02-27 17:29:10 चन्द्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए अहिंसा छोड़, सशस्त्र क्रान्ति का मार्ग चुना
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव तो नहीं हैं लेकिन इस समय राज्य की सियासत में राजनैतिक पारा ऊपर चढ़ा हुआ है। सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी सुप्रीमों ममता बनर्जी का भतीजे और पार्टी के महासचिव अभिषेक बनर्जी के साथ तनाव बढ़ता जा रहा है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि कयास लगाए जा रहे हैं अभिषेक अपने पद से इस्तीफा भी दे सकते हैं। बढ़ती दरार को देखते हुए सीएम ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास पर वरिष्ठ नेताओं की एक आपातकालीन बैठक बुलाई।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, कोलकतता(ब्यूरो) :
पश्चिम बंगाल में स्थानीय निकाय चुनाव से पहले ही बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस में मतभेद खुल कर सामने आ रहा है। स्थानीय निकाय चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर टीएमसी की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी में तनातनी बढ़ गई है। पार्टी के इन दोनों वरिष्ठ नेताओं में आपसी मतभेद पैदा होने से अंतर्कलह भी बढ़ती जा रही है। एक बांग्ला टीवी चैनल को दिए गये इंटरव्यू में अभिषेक बनर्जी ने स्वीकार किया कि पार्टी के नेताओं द्वारा जारी की गई उम्मीदवारों की सूची और सोशल मीडिया पर अपलोड की गई उम्मीदवारों की सूची में लगभग 100 से लेकर 150 अंतर हैं, लेकिन इस समस्या का समाधान कर दिया जाएगा। पार्टी इस पर काम कर रही है। वहीं, उन्होंने कहा कि 2000 से अधिक प्रत्याशी हैं, ऐसे में लोगों की आशाएं हैं और सभी भी आशा पूरी नहीं की जा सकती है।
जून 2021 से ही अभिषेक बनर्जी इस नीति के लिए बोलते रहे हैं, ऐसे में लोगों का मानना है कि उन्होंने अपनी बुआ के खिलाफ बगावत कर दी है। उन्हें TMC का ‘नेशनल जनरल सेक्रेटरी’ का पद दिया गया था। उन्होंने पार्टी के यूथ विंग के अध्यक्ष पद से ये कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि इसके लिए किसी और युवा व्यक्ति की ज़रूरत है। नवंबर 2021 में ममता बनर्जी ने 6 विधायकों को ‘कोलकाता म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (KMC)’ के लिए नॉमिनेट किया, तभी इस नीति में ढिलाई बरती गई थी।
इनमें से 4 पिछले बोर्ड के भी सदस्य थे। इसमें कोलकाता के मेयर रहे फिरहाद हकीम, जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सबसे करीबी नेताओं में से एक थे। जीत के बाद उन्हें फिर से कोलकाता का मेयर बनाया गया, जबकि वो राज्य सरकार में मंत्री पहले से ही थे। 4 बड़ी नगरपालिकाओं में चुनाव के मद्देनजर ममता बनर्जी की बैठक में उनके भतीजे अभिषेक भी मौजूद थे। फिरहाद हकीम का कहना है कि ‘वन मैन, वन पोस्ट’ वाली नीति पार्टी की नहीं है और इसे बढ़ावा नहीं दिया गया है।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के आधार पर कन्फ्यूजन पैदा किया जा रहा है, जो अपराध है। उन्होंने कहा कि जब ये नीति अपनाई गई थी, तभी स्पष्ट कर दिया गया था कि पार्टी की अध्यक्ष जब चाहे इसे बदल सकती हैं। उन्होंने कहा कि वो नई बैठक बुला कर नई नीति बनाएँगी। अभिषेक बनर्जी के कजंस आकाश बनर्जी, अग्निशा बनर्जी और अदिति गायेन सहित TMC यूथ विंग के कई नेताओं ने इससे जुड़े पोस्ट्स सोशल मीडिया पर शेयर किए थे। वीडियो में ममता बनर्जी को जून 2021 में इस नीति का ऐलान करते हुए दिखाया जा रहा है।
कुछ नेताओं का कहना है कि ममता बनर्जी का निर्णय अंतिम होगा, जबकि कुछ का कहना है कि उन्हें बताए बिना प्रशांत किशोर की कंपनी I-PAC ने ऐसा किया है। गोवा सहित अन्य राज्यों में प्रशांत किशोर ही TMC की रणनीति तैयार कर रहे हैं। जबकि अब I-PAC का कहना है कि वो TMC नेताओं के सोशल मीडिया पोस्ट्स को हैंडल नहीं करता है। कंपनी ने ऐसे दावों को झूठा और अफवाह बताते हुए कहा कि तृणमूल कॉन्ग्रेस की डिजिटल प्रॉपर्टीज का प्रबंधन वो नहीं करती है।
उधर गोवा पुलिस ने शुक्रवार की रात को प्रशांत किशोर की कंपनी ‘इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी’ के एक सदस्य को दबोचा। उसे नारकोटिक्स ड्रग्स के साथ एक ऐसे विला से पकड़ा गया, जिसे प्रशांत किशोर को लीज पर दिया गया था। 28 वर्षीय व्यक्ति को पोरवोरिम से गिरफ्तार किया गया। I-PAC ने वहाँ 8 विला किराए पर लिया है। NDPS एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। गोवा में 14 फरवरी, 2021 को चुनाव होने हैं।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2022/02/Mamata-Banerjee-west-Bengal.jpg6751200Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2022-02-12 13:48:472022-02-12 13:49:22प्रशांत किशोर की कंपनी के कारण भतीजे अभिषेक बनर्जी ने की CM ममता से बगावत
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