द्रौपदी मुर्मू के लिए ममता बनर्जी के सुर बदले मायावत उलझी

भाजपा की ओर से समर्थित राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। इसके बाद से उनको समर्थन का बसपा सुप्रीमो  मायावती  की ओर से बड़ा ऐलान किया है। मायावती ने इस समर्थन का ऐलान करते हुए कहा कि आदिवासी समाज बसपा के मूवमेंट का खास हिस्सा है। द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का फैसला इस कारण लिया गया है। उन्होंने साफ किया कि उनकी पार्टी ने यह फैसला भाजपा या एनडीए के पक्ष में नहीं लिया गया है। साथ ही, उन्होंने विपक्षी पार्टियों के विरोध में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिए संबंधी फैसला न लिए जाने की बात कही है। मायावती ने इस फैसले से एक तीर से दो शिकार किया है। एक तो उन्होंने आदिवासी चेहरे को समर्थन देकर इस समाज के बीच अपनी पहुंच को बढ़ाने की कोशिश की है। साथ ही, एक पार्टी की महिला अध्यक्ष के एक महिला को समर्थन देकर आधी आबादी को भी संदेश देने की कोशिश करती वे दिखती हैं। मायावती की घोषणा से उनकी पार्टी के 10 सांसद और एक विधायक का वोट राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को मिल जाएगा। यह एनडीए उम्मीदवार के जीत के अंतर को बड़ा करेगा।

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा और द्रौपदी मुर्मू

नई दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली:

राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा बयान दिया है। द्रौपदी मुर्मू को लेकर सीएम बनर्जी के रुख में शुक्रवार को बड़ा परिवर्तन देखने को मिला। उन्होंने उनके खिलाफ की गई अपनी सभी बयानबाजी को ठुकरा दिया और कहा कि एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के चुनाव में जीतने की संभावना अधिक है।

सीएम बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी द्रौपदी मुर्मू को चुनाव में उतारने से पहले विपक्ष के साथ चर्चा करती तो सभी विपक्षी दल उनका समर्थन करने पर विचार कर सकते थे। उन्होंने कहा कि 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू के जीतने की बेहतर संभावना है। ममता बनर्जी ने कोलकाता के इस्कॉन में रथ यात्रा के उद्घाटन के दौरान य बातें कहीं।

आपको बता दें कि एनडीए की ओर से राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार हैं और विपक्ष की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा उम्मीदवार हैं। वहीं विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए यशवंत सिन्हा का नाम ममता बनर्जी ने ही किया आगे किया था।

बसपा सुप्रीमो मायावती

बसपा सुप्रीमो के फैसले के काफी गंभीर अर्थ निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मायावती एक बड़े वर्ग के बीच खुद को दलित और आदिवासी समाज के हितैषी के रूप में अपनी छवि बनाए रखना चाहती हैं। बसपा यूपी के साथ-साथ उत्तराखंड, झारखंड और अन्य राज्यों में भी किस्मत आजमाती रही है। इन इलाकों में पार्टी अपनी अलग छवि के साथ वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में उतरने की रणनीति बना रही है। द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का ऐलान करते हुए मायावती ने कहा भी कि हमारी पार्टी ने आदिवासी समाज को अपने मूवमेंट का खास हिस्सा मानते हुए द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए अपना समर्थन देने का निर्णय लिया है। हालांकि, मायावती के खिलाफ यूपी चुनाव 2022 के बाद अखिलेश यादव ने भाजपा को समर्थन देने का आरोप लगाया था। अब राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने के बाद सपा इस मामले को अधिक गंभीरता से उठा सकती है।

वर्ष 2017 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एनडीए की ओर से रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार बनाया गया था। उस समय भी मायावती ने उन्हें समर्थन दे दिया था। बहुजन समाज की राजनीति करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती ने समर्थन की घोषणा कर खुद को इस वर्ग से जोड़े रखने की कोशिश करती दिखी थीं। मायावती ने तब कहा भी था कि वे भारतीय जनता पार्टी की नीतियों का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन दलित समाज के उम्मीदवार को समर्थन देंगे। सपा और बसपा के समर्थन की घोषणा के बाद भाजपा उम्मीदवार के आराम से जीतने की संभावना प्रबल हो गई थी। पिछले चुनाव के समय मायावती के सामने प्रदेश के एक दलित चेहरे के समर्थन या विरोध की चुनौती थी, उस समय उन्होंने इसे समर्थन देकर अपने आधार को बचाने का प्रयास किया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एनडीए की और से राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया, शरद पवार , पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं से चुनाव में समर्थन मांगा है। उन्होंने इसके लिए कई नेताओं से व्यक्तिगत रूप कॉल करके बात भी की है।

जेल में ही रहेंगे AAP के मंत्री सत्येंद्र जैन, CBI कोर्ट ने खारिज की याचिका

सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी ने दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और बीजेपी शासित केंद्र सरकार के बीच एक राजनीतिक गतिरोध को जन्म दिया और आरोप लगाया कि मामला पूरी तरह से झूठा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सत्येंद्र जैन को कट्टर ईमानदार देशभक्त के रूप में बचाव किया और कहा कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। उन्होंने ये भी उम्मीद जताई कि ईडी की जांच के बाद सत्येंद्र जैन निर्दोष निकलेंगे।

  • मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सत्येंद्र जैन को झटका
  • सीबीआई की विशेष कोर्ट ने खारिज की जमानत अर्जी
  • फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं सत्येंद्र जैन

नयी दिल्ली(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली :  

दिल्ली की सीबीआई की विशेष अदालत ने मनी लॉड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए गए दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका शनिवार को खारिज कर दी। विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने जैन को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें जमानत देने के लिए मामले का यह सही चरण नहीं है। न्यायाधीश ने कहा, ”जमानत याचिका खारिज की जाती है।”

अदालत ने जैन और ईडी की दलीलें सुनने के बाद आदेश 14 जून को सुरक्षित रख लिया था। ईडी ने जैन को धनशोधन मामले (Money Laundering) में 30 मई को गिरफ्तार किया था। उन्हें धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की आपराधिक धाराओं के तहत हिरासत में लिया गया था। जैन फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। जैन को हिरासत में लिए जाने के बाद उनके पास मौजूद सभी विभाग दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आवंटित कर दिए गए थे। ईडी ने इससे पहले जैन और उनके नियंत्रण वाली कंपनियों से 4.81 करोड़ रुपये की अचल सम्पत्ति जब्त की थी। 

राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल की अदालत ने सत्येन्द्र जैन को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें जमानत देने के लिए मामले का यह सही चरण नहीं है। धनशोधन के मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय की जांच लगातार जारी है। अभी भी ईडी की छापेमारी चल रही है। अदालत ने कहा कि इसलिए सत्येन्द्र जैन की जमानत याचिका खारिज की जाती है। जैन फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। जैन को हिरासत में लिए जाने के बाद उनके पास मौजूद सभी विभाग दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आवंटित कर दिए गए थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, जैन ने 9 जून 2022 को एक जमानत याचिका दाखिल की थी, जिस पर मंगलवार (14 जून, 2022) को सुनवाई करने के बाद स्पेशल जस्टिस गीतांजलि गोयल ने अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था। आज उन्होंने इस पर अपना फैसला सुनाया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान उनकी पैरवी को वकील एन हरिहरन और भावुक चौहान ने की।

उल्लेखनीय है कि प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से विशेष अभियोजक एनके मट्टा और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए। उन्होंने कोर्ट में बताया कि ये मामला करेंसी को लीगलाइज और मनी लॉन्ड्रिंग का है।

गौरतलब है कि सत्येंद्र जैन को हवाला लेनदेन के मामले में 30 मई 2022 को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोलकाता की एक कंपनी से जुड़े हवाला लेनदेन के मामले में जाँच में पाया गया था कि 2015-16 के दौरान सत्येंद्र जैन एक लोकसेवक थे, तो उनके द्वारा लाभकारी स्वामित्व वाली और नियंत्रित कंपनियों को हवाला के जरिए कोलकाता बेस्ड एंट्री ऑपरेटरों को नकद ट्रांसफर के बदले शेल कंपनियों से 4.81 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। सत्येंद्र जैन फिलहाल ईडी की 14 दिनों की रिमांड पर हैं।

‘मेरी याददाश्‍त चली गई है’, सत्‍येंद्र जैन ने ED के सवालों पर द‍िया ये जवाब

साल 2017 में आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत सत्येंद्र जैन के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इसी शिकायत के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने AAP नेता के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था। जाँच एजेंसी ने ये आरोप लगाया था कि जैन चार कंपनियों से मिली फंडिंग के स्त्रोत के बारे में नहीं बता सके थे, जबकि वो उसमें शेयर होल्डर थे। इन कंपनियों ने कथित तौर पर 2010 से 2014 तक 16.39 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग की थी।

  • धन शोधन मामले में मंत्री सत्येंद्र जैन और करीबियों पर मामला दर्ज
  • ईडी ने छानबीन के दौरान कैश और सोना बरामद किया था
  • ईडी के सामने बोले जैन, कोरोना के कारण मेरी याददाश्त ही चली गई

नयी दिल्ली(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली :

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर अपना आदेश मंगलवार को सुरक्षित रख लिया। जैन को मनी लॉड्रिंग के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया है। विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने ईडी के साथ ही जैन की दलीलों को सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। एजेंसी ने धन शोधन रोकथाम कानून की आपराधिक धाराओं के तहत जैन को हिरासत में लिया था, वह अभी न्यायिक हिरासत में हैं।

सुनवाई के दौरान ईडी ने बताया कि एक सवाल पूछे जाने के दौरान सत्येन्द्र जैन ने कहा कि उन्हें कोरोना हुआ था और इसके कारण उनकी याददाश्त चली गई। हवाला से जुड़े कुछ कागजातों के सम्बन्ध में सत्येन्द्र जैन से ईडी सवाल कर रही थी। ईडी ने बताया कि सत्येंद्र जैन से कुछ कागजात के बारे में सवाल किए गए थे। जैसे हवाला से पैसा पाने वाले ट्रस्ट से सत्येंद्र जैन का क्या कनेक्शन है, वे उसके मेंबर क्यों हैं?

कोर्ट में सत्येंद्र जैन के वकील हरिहरन पेश हुए थे। उन्होंने उन पॉइंट्स के बारे में अपनी दलीलें पेश की हैं, जिन बिंदुओं की वजह से जमानत न मिलने का डर है। वकील ने कहा कि जैन के देश छोड़ने का डर, सबूतों को नष्ट करने और गवाहों को धमकाने की बात कही जा रही है, लेकिन मामले की जांच के दौरान सत्येंद्र जैन विदेश गए थे और वापस भी आए थे।

कोर्ट से वकील ने कहा कि इस मामले की जांच 2018 से चल रही है और आज तक किसी भी गवाह को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया गया है और न ही धमकाया गया है। यहां तक की जांच कर रही एजेंसियों ने सभी गवाहों के बयान पहले ही रिकॉर्ड कर चुकी हैं।

सबूत नष्ट करने वाले पॉइंट पर वकील ने कहा कि सभी सबूत डॉक्यूमेंट में हैं और सभी एजेंसी के पास हैं, जिनसे छेड़छाड़ बिल्कुल नहीं की जा सकती है।

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आआपा) के नेता सत्येंद्र कुमार जैन को सोमवार (13 जून, 2022) को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। प्रवर्तन निदेशालय ने जैन को 30 मई की रात को गिरफ्तार किया था। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering Case) का आरोप है। 

उल्लेखनीय है कि 6 जून को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ‘आम आदमी पार्टी’ नेता के घर सहित उनके 7 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी। इस दौरान ईडी ने 2.82 करोड़ रुपए की अघोषित नकदी व 1.80 किग्रा सोना बरामद किया था। इसके बाद ईडी ने 9 जून को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जैन को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया था। ईडी ने दावा किया था कि केजरीवाल के मंत्री सत्येंद्र जैन ने पत्नी और बेटियों के नाम पर 16 करोड़ की धोखाधड़ी की है।

गौरतलब है कि साल 2017 में आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत सत्येंद्र जैन के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इसी शिकायत के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने आम आदमी पार्टी (आआपा) नेता के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था। जाँच एजेंसी ने ये आरोप लगाया था कि जैन चार कंपनियों से मिली फंडिंग के स्त्रोत के बारे में नहीं बता सके थे, जबकि वो उसमें शेयर होल्डर थे। इन कंपनियों ने कथित तौर पर 2010 से 2014 तक 16.39 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग की थी।

गंगा दशहरा 2022

हर साल ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का शुभ पर्व मनाया जाता है। इस साल गंगा दशहरा 9 जून, गुरुवार को है। इस दिन मां गंगा की पूजा-अर्चना का विधान है। इस दिन घर के मुख्य दरवाजे में द्वार पत्र लगाने की भी परंपरा है। इस दिन हर व्यक्ति को अपने घर के मुख्य दरवाजे पर द्वार पत्र लगाना चाहिए। मान्यता है कि द्वार पत्र लगाने से बहुत अधिक लाभ होता है। मां गंगा का उद्गम स्थान गंगोत्री, उत्तराखंड में है। गंगा दशहरा के पावन दिन उत्तराखंड के हर घर के मुख्य दरवाजे में द्वार पत्र लगाने की परंपरा है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, धर्म/संस्कृति डेस्क, चंडीगढ़ :

सृष्टि के निर्माता ब्रह्माजी के कमंडल से राजा भागीरथ द्वारा देवी गंगा के धरती पर अवतरण दिवस को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी पर अवतार से पहले गंगा नदी स्वर्ग का हिस्सा हुआ करती थीं। गंगा नदी को भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है, इस कारण उन्हें सम्मान से माँ गंगा अथवा गंगा मैया पुकारते हुए माता के समान पूजा जाता है।गंगा दशहरा के दिन भक्त देवी गंगा की पूजा करते हैं और गंगा में डुबकी लगाते हैं और दान-पुण्य, उपवास, भजन और गंगा आरती का आयोजन करते हैं। मान्यता है इस दिन मां गंगा की पूजा करने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है। हिन्दू धर्म में तो गंगा को देवी मां का दर्जा दिया गया है। यह माना जाता है कि जब मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुईं तो वह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी, तभी से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।  ज्योतिषाचार्य पं. मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि वर्तमान समय में भौतिक जीवन जी रहे मनुष्य से जाने अनजाने जो पाप कर्म हो जाते हैं उनकी मुक्ति के लिए मां गंगा की साधना करनी चाहिए। कहने का तात्पर्य है जिस किसी ने भी पापकर्म किये हैं और जिसे अपने किये का पश्चाताप है और इससे मुक्ति पाना चाहता है तो उसे सच्चे मन से मां गंगा की पूजा अवश्य करनी चाहिये। इस वर्ष लॉकडाउन और कोरोना को देखते हुए घर मे ही स्वच्छ जल में थोड़ा गंगा जल मिलाकर मां गंगा का स्मरण कर उससे भी स्नान कर सकते हैं।

दुनिया की सबसे पवित्र नदियों में एक है गंगा। गंगा के निर्मल जल पर लगातार हुए शोधों से भी गंगा विज्ञान की हर कसौटी पर भी खरी उतरी विज्ञान भी मानता है कि गंगाजल में कीटाणुओं को मारने की क्षमता होती है जिस कारण इसका जल हमेशा पवित्र रहता है। हमारी सनातन संस्कृति में गंगा को मां का स्थान दिया गया है। सदियों से समस्त मानव समाज इस मां रूपी पवित्र जल का उपयोग करता है और हमें इसके लिए अपनी गंगा मां का कृतार्थ होना चाहिए किन्तु पिछले कुछ वर्षों में हमारे देश में विकास के नाम पर जिन प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन किया गया है, उनमें गंगा नदी-जल के साथ कई प्रदूषित तत्व मिलाए गए और मिलाये जा रहें हैं।

हमें समझने की आवश्यकता है कि गंगा केवल जलधारा ही नहीं अपितु जनजीवन और लोक-संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। गंगा सभ्यताओं एवं संस्कृतियों के साथ-साथ विकास की भी जननी रही हैं। वर्तमान समय में जल संकट एक गंभीर समस्या है। देश के कई राज्यों में ग्रीष्मकालीन समय आते ही यह भयावह होने लगता है क्योंकि हमने अपनी बूँद-बूँद सहेजने वाली पूर्वजों की जल-संस्कृति को तिलांजलि दे दी है वर्तमान समय में जल की दोहरी समस्या है एक तो पर्याप्त मात्रा में पेयजल बचा नहीं है और जो बचा हुआ है उसका रूप-रंग और स्वाद तेजी से बदल रहा है और इन परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार एकमात्र इंसान है और हमें इस बात को गम्भीरता से समझना होगा।

ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा जल तत्व का कारक है यदि हम अपने दैनिक जीवन में जल को दूषित करेंगे, जल का संरक्षण नहीं करेंगे तो हमारा मन अशान्त और चित्त दूषित होगा और हमारा जीवन अशान्त होगा। इसलिए गंगा को प्रदूषण से बचाकर हम अपने कुंडली में चन्द्र ग्रह को मजबूत कर सकते हैं और अपने चित्त को प्रसन्न और स्वस्थ रह सकते हैं। गंगा दशहरा में हम सभी को यह संकल्प लेना होगा गंगा की सफाई, स्वच्छता में हम सभी पूर्ण सहयोग करेंगे क्योंकि गंगा की सफाई हेतु हम सबका एकीकृत होना वर्तमान की एक बड़ी ज़रूरत है। और सही मायने में यही मां गंगा की सच्ची सेवा और उपासना होगी।

Krishnakumar Kunnath, 53, popularly known as KK, died

Krishnakumar Kunnath, 53, popularly known as KK, died while performing a concert on Nazrul Manch, Kolkata on 31st May 2022. He was a popular Indian playback singer. He was regarded as one of the most versatile singers of his generation.

Koral ‘Prnoor’, Demokretic Front, Kolkata/ Chandigarh :

Singer KK, who gave Indian music lovers many hits over the last three decades has died at 53. He gave a performance at Nazrul Mancha on Tuesday and later went to his hotel where he fell ill. He was brought to a hospital where he was declared dead.

KK was feeling unwell after reaching his hotel, following a performance at a concert in the evening where he sang for almost an hour, officials said.

He was taken to a private hospital in south Kolkata where doctors declared him brought dead, they said. “It’s unfortunate that we could not treat him,” a senior official of the hospital said.

Minister Arup Biswas said about KK’s death, “Singer Anupam Roy called me up and said he is hearing something bad from the hospital. Then I contacted the hospital. They said he was brought dead. Then I rushed to the hospital.”

KK released his first album, Pal in 1999. The singer-composer, whose real name was Krishnakumar Kunnath then focussed more on Bollywood than on his independent music, giving hits such as Tadap Tadap (Hum Dil De Chuke Sanam, 1999), Dus Bahane (Dus, 2005), and Tune Maari Entriyaan (Gunday, 2014). 

He was born in Delhi and was also known for his electric live shows. His Instagram page had been sharing updates from his concert in Kolkata as recently as eight hours ago.

Singer Harshdeep Kaur expressed shock at his death. “Just can’t believe that our beloved #KK is no more. This really can’t be true. The voice of love has gone. This is heartbreaking.” Actor Akshay Kumar wrote, “Extremely sad and shocked to know of the sad demise of KK. What a loss! Om Shanti.”

Filmmaker Srijit Mukerji wrote on Facebook, “In a state of total shock. Just met him last month for the first time and it seemed that we had known each other for years. The chatter wouldn’t just stop. And I was so moved to see the love he had for Gulzar saab. He said he stepped into the film world with Chhor aaye hum and sang it to him as a tribute. Farewell, my newest friend. Will miss you. I wish we could have had more sessions on music and food and cinema.”

कांग्रेस सुधरती नहीं है, खुद तो डूबेगी ही, हमको भी डूबो देगी : प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने कहा, “वैसे कांग्रेस के प्रति मेरा सम्मान बहुत है, लेकिन मौजूदा हालत पार्टी के लिए सही नहीं हैं।” निशाना साधते हुए प्रशांत ने कहा, “कांग्रेस पार्टी एक डूबती हुई नाव है।”  प्रशांत ने कहा, “2015 में बिहार में महागठबंधन का चुनाव कराया। 2017 में पंजाब चुनाव जीते। जगनमोहन रेड्डी के साथ आंध्र प्रदेश का इलेक्शन जीता। फिर अरविंद केजरीवाल के साथ दिल्ली चुनाव जीता। 2021 में तमिनाडु और बंगाल इलेक्शन में विजय मिली। 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव हार गए। इसमें हम कांग्रेस के साथ थे।” इतना कहते ही प्रशांत ने हाथ जोड़ा और कहा, “इसके बाद तय कर लिया कि कांग्रेस के साथ काम नहीं करना है।”

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  • मैं 11 में से 10 चुनाव जीत गया, सिर्फ एक चुनाव में हार गया: प्रशांत किशोर
  • प्रशांत किशोर ने कहा कि कांग्रेस ने मेरा ट्रैक रिकॉर्ड खराब कर दिया
  • कांग्रेस सुधरती नहीं है, खुद तो डूबेगी ही, हमको भी डूबो देगी: प्रशांत किशोर

कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, नई दिल्ली/चंडीगढ़ :  

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पर हल्के अंदाज में निशाना साधते हुए कहा, “उन्होंने चुनाव जीतने का मेरा रिकॉर्ड खराब कर दिया।” सक्रिय राजनीति में जाने का संकेत दे चुके प्रशांत ने यह भी कहा कि अब वे देश की सबसे पुरानी पार्टी के साथ काम नहीं करेंगे। पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने सोमवार को बिहार के वैशाली में कहा, “2011 से 2021 यानी 10 सालों तक, मैं 11 चुनावों से जुड़ा रहा और केवल एक चुनाव हार गया जो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ था। तब से, मैंने फैसला किया है कि मैं उनके (कांग्रेस) के साथ काम नहीं करूंगा क्योंकि उन्होंने मेरा ट्रैक रिकॉर्ड खराब कर दिया है।”

उन्होंने आगे कहा , “कांग्रेस के लिए बहुत सम्मान है, लेकिन उसकी वर्तमान व्यवस्था ऐसी है कि खुद तो डूबेगी ही हमको भी डुबा देगी।” भारतीय जनता पार्टी से लेकर कांग्रेस और कई क्षेत्रीय दलों तक, विभिन्न विचारधाराओं के राजनीतिक दलों के साथ काम कर चुके चुनाव रणनीतिकार ने 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को विजयी बनाने में एक अहम भूमिका निभाने के बाद पेशेवर चुनाव सलाहकार के तौर पर काम बंद करने की घोषणा की थी।

प्रधान मंत्री से मतभेद

प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर कोई यंग लड़का है, उसे सरकारी नौकरी मिले तो ठीक है। उसे भी सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए। मान लीजिए आप सिंचाई के जानकार हैं या फिर हम पहले पब्लिक हेल्थ के विशेषज्ञ थे। हम तो सरकार में हैं नहीं, लेकिन अगर सरकार मौका दे तो हम दो साल के लिए यहां आकर काम कर सकें। इसी बात को लेकर पीएम मोदी से मेरा मतभेद हो गया।

पीके ने कहा कि 2015 में नीतीश कुमार मिले। इन्होंने कहा कि आप बिहार में आकर काम कीजिए। इसलिए बिहार विकास मिशन करके एक योजना शुरू की गई थीं। उसमें कुछ यंग युवकों को नौकरी मिली, लेकिन जितना मैं चाहता था, उतना नहीं हुआ। इसके बाद मैं भी यहां से चला गया। 2015 में बिहार में महागठबंधन का चुनाव कराया। 2017 में पंजाब का चुनाव जीते। 2019 में जगन मोहन रेड्डी के साथ आंध्र प्रदेश का चुनाव जीता। 2020 में केजरीवाल के साथ दिल्ली का चुनाव जीते। 2021 में तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल का चुनाव जीते। 2017 में एक चुनाव उत्तर प्रदेश हार गए। इसलिए तय कर लिया कि कांग्रेस के साथ नहीं जाएंगे।

प्रशांत किशोर बड़ा बयान - 'खुद तो डूबेगी ही, मुझे भी डुबो देगी कांग्रेस'

भाजपा से बंगाल में शर्त

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में एक तरह से बीजेपी से शर्त लग गई थी। हमने कहा था कि बीजेपी ना केवल हारेगी बल्कि 100 के नीचे रोक देंगे। नहीं रोक पाए तो काम छोड़ देंगे। चुनाव परिणाम आया तो 77 पर बीजेपी को रोक दिए। भगवान का आशीर्वाद है। जब मेरी बात सही हो गई तो सोचा कि इस फिल्ड में बहुत हो गया, अब कुछ नया करते हैं।

प्रशांत किशोर जन सुराज यात्रा की शुरुआत करने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह के पैतृक निवास पहुंचे। उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर जन सुराज यात्रा की शुरुआत की। जन सुराज यात्रा पर निकले प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पर जमकर हमला किया। प्रशांत किशोर महनार में रघुवंश प्रसाद सिंह के घर पहुंच कर उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण किया और उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। प्रशांत किशोर ने यहां स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी संवाद किया। प्रशांत किशोर छात्र छात्राओं के साथ भी संवाद किया और जन सुराज की सोच से अवगत कराया।

एक अन्य कार्यक्रम में प्रशांत किशोर सहदेई बुजुर्ग प्रखंड के चैनपुर गांव पहुंचे जहां, दिव्यांग कल्याण संघ के अध्यक्ष जसवीर सिंह से मुलाकात की। प्रशांत किशोर वैशाली के 4 दिवसीय दौरे पर हैं। सोमवार को उनके दौरे का पहला दिन रहा। अगले 3 दिन दिन वह अन्य प्रखंडों और गांवों में जा कर समाज में अच्छा कार्य करने वाले लोगों से मुलाकात करेंगे और उनको जन सुराज की सोच से अवगत कराएंगे।

बंगाल में अब मुख्य मंत्री होंगी विश्वविद्यालयों की कुलपति

बंगाल में सीएम ममता और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच विवाद नया नहीं है। कई मुद्दों पर दोनों के बीच तनातनी की स्थिति बनी हुई है। ममता राज्यपाल पर सीधे केंद्र के आदेश थोपने का आरोप लगाती हैं। वहीं, राज्यपाल कहते हैं कि वह जो भी कार्य करते हैं वह संविधान के मुताबिक होता है। चाहे बात विधानसभा का सत्र बुलाने की हो या किसी नए विधायक को शपथ दिलाने की, बंगाल में तकरीबन हर मामले पर सियासी विवाद पैदा हो जाता है। चुनाव बाद राज्य में में हुई हिंसा को लेकर भी सीएम और राज्यपाल में टकराव हुआ था। 

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद जगजाहिर है, लेकिन अब राज्य सरकार और गवर्नर के बीच विवाद और बढ़ता जा रहा है। अब ममता बनर्जी सरकार ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ एक और दांव चल दिया है। राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मुख्यमंत्री को राज्यपाल की जगह विश्वविद्यालय का कुलपति बनाए जाने का निर्णय लिया है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

विधानसभा में पेश किया जाएगा बिल

शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया है कि राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपति अब गर्वनर न होकर मुख्यमंत्री होंगी। उन्होंने जल्द ही विधानसभा में कानून में बदलाव करके इसे लागू कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपति राज्यपाल होते थे और वही विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति करते थे.

ममता बनर्जी की सरकार का कहना था कि कुलपति की नियुक्तियों के लिए राज्यपाल के पास नाम भेजे जाते हैं लेकिन मंजुरी नहीं मिलती है। अब विधानसभा में एक नया बिल लाया जाएगा। इसके बाद कानून में संशोधन किया जाएगा। इसी तरह का फैसला तमिलनाडु की सरकार ने भी लिया था। तमिलनाडु में विधानसभा में बिल पेश करके राज्यपाल से कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार छीन लिया गया था।

तमिलनाडु के सीएम ने उदाहरण दिया था कि पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में भी कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल नहीं बल्कि राज्य सरकार करती है। उन्होंने कहा था कि कर्नाटक सहित अन्य कई राज्यों में भी ऐसा ही होता है। 

कपिल सिब्बल हाथ छोड़ कर हुए साइकल सवार, अब रजाया सभा जाने की तैयारी

The 161″ Birth Anniversary Of Gurudev Rabindranath Tagore celebrated 

Koral ‘Purnoor’, Demokretic Front,Chandigarh :

Bangiya Sanskritik Sammilaini Chandigarh celebrated the 161″ Birth Anniversary Of Gurudev Rabindranath Tagore at its premises at Banga Bhawan , Sector 35. The celebration started with the lighting of the ceremonial Lamp.

The President of the organisation, Anindu Das welcomed all and elaborated on the importance of the life and work of the great poet in the life of Bengalis in particular and humanity in general. The cultural Team of the Sammilani sang the opening song which was followed by individual songs by the artist who sang melodious world famous Rabindra Sangeet. The Vice President (Cultural) Bhabani Pal said that the drama Dabotar Grash’, which was performed by the children and the adult alike is based on the blind belief prevailing in the society at that time. Gurudev who stood firmly against such practices beautifully brought out the message in the famous poem, which was converted into a drama and performed under the direction of Subhashish Neogi, a well know theatre personality of the tri city.

The General Secretary of BSS Prabal Syam said that the “Geti Alokha”, a song based dance was on the theme of not limiting oneself to his/her identity but to embrace the whole world as one and spread the message of love and compassion. This year the programme was special as it is the Golden Jubilee Year of the organisation which will culminate with a grand show on 30th July 2022.

कांग्रेस और प्रशांत किशोर में बनते-बनते बिगड़ गई बात

बीते सोमवार को जब कांग्रेस के आला नेताओं की बैठक शुरू हुई तो यह उम्मीद की जा रही थी कि अब इस सवाल का जवाब मिल जाएगा कि राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होंगे या नहीं। लेकिन जब बैठक समाप्त हुई तो यह स्पष्ट हो गया कि फ़िलहाल इस जवाब के लिए कुछ और वक़्त इंतज़ार करना होगा। हालाँकि ना तो यह सवाल नया है और ना ही यह टाल-मटोल. पिछले साल भी कांग्रेस पार्टी और प्रशांत किशोर के बीच बात बनते-बनते बिगड़ गई थी। बात इस क़दर बिगड़ गई थी कि पीके ने कांग्रेस नेतृत्व तक पर सवाल उठा दिए थे।

नई दिल्ली(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक फ्रंट :  

कांग्रेस ने जानेमाने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लेकर लंबी मंत्रणा के बाद मंगलवार को कहा कि किशोर को ‘विशेषाधिकार प्राप्त कार्य समूह -2024’ का हिस्सा बनकर पार्टी में शामिल होने की पेशकश की गई, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। पिछले कई दिनों से प्रशांत किशोर की ओर से दिए गए सुझावों और उनके पार्टी से जुड़ने की संभावना को लेकर कांग्रेस के भीतर लगातार मंथन हो रहा था। प्रशांत किशोर ने पिछले दिनों कांग्रेस नेतृत्व के समक्ष पार्टी को मजबूत करने और अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों के संदर्भ में विस्तृत प्रस्तुति दी थी। उनके सुझावों पर विचार करने के लिए सोनिया गांधी ने आठ सदस्यीय समिति का गठन किया था।

कांग्रेस औैर प्रशांत किशोर के बीच बात बिगड़ने के पीछे मुख्य तौर तीन वजहें मानी जा रही हैं। पहली बात यह कि कांग्रेस चाहती थी कि प्रशांत किशोर सिर्फ कांग्रेस के लिए काम करें, जबकि उनकी संस्था आईपैक हाल ही में तेलंगाना में केसीआर के साथ भी काम करने के लिए तैयार हो गई है। इसके अलावा प्रशांत किशोर महासचिव का पद और अहमद पटेल जैसा दर्जा चाह रहे थे, जबकि कांग्रेस उन्हें Empowered Action Group 2024 में  शामिल करने भर के लिए तैयार थी। प्रशांत किशोर इस भूमिका में नहीं उतरना चाहते थे बल्कि कांग्रेस में अहम परिवर्तन करने और सुझाव देने के रोल में खुद को लाने की बात कर रहे थे। तीसरा, कांग्रेस प्रशांत किशोर के सांगठनिक फेरबदल के प्रस्ताव को भी अपनाने के लिए तैयार नहीं थी। प्रशांत किशोर का एक प्रस्ताव यह भी था कि ‘गांधी’ के बजाय किसी और को अध्यक्ष बनाया जाए। इस पर भी कांग्रेस में सहमति नहीं थी।

पीके की हर लाइन गौर करने वाली है। उन्‍होंने पार्टी में शामिल होने से इनकार की बात कहते हुए राय भी दी है। किशोर ने इसमें कहा है कि कांग्रेस को उनसे ज्‍यादा लीडरशिप की जरूरत है। यह कहने के पीछे किशोर का स्‍पष्‍ट मैसेज है। उन्‍होंने साफ किया है कि कांग्रेस का मौजूदा नेतृत्‍व उसे मुश्किलों से बाहर नहीं निकाल सकता है। एक तरह से उन्‍होंने गांधी परिवार की नेतृत्‍व क्षमता पर हमला भी किया है। पिछले कुछ चुनावों में यह बात साफ तौर पर देखी भी जा चुकी है।

प्रशांत किशोर ने अपनी राय जताते हुए पार्टी में सामूहिक इच्‍छाशक्ति की भी जरूरत पर बल दिया है। निश्चित तौर पर कांग्रेस आज पूरी तरह से बिखरी हुई दिखती है। शायद एक के बाद एक पराजय इसकी बड़ी वजह है। हर चुनाव से पहले पार्टी के अंदर से विरोध के सुर सुनाई देने लगते हैं। बेशक दूसरी पार्टियों में भी नेता दल बदलते हैं, लेकिन कांग्रेस में ये हालात बेकाबू से दिखते हैं। पंजाब इसका हालिया उदाहरण है। अमरिंदर और सिद्धू की आपसी रस्‍साकशी में किस तरह से पार्टी को नुकसान हुआ। पार्टी में टीमवर्क का स्‍पष्‍ट अभाव दिखता है। कांग्रेस को इस पर काम करने की जरूरत है।

किशोर ने पार्टी में परिवर्तनकारी सुधारों की बात कही है। उनके मुताबिक, इसी के जरिये कुछ गहरी जड़ें जमा चुकी समस्‍याओं का समाधान किया जा सकता है। इस तरह उन्‍होंने पार्टी में बदलाव की ओर इशारा किया है। काफी समय से पार्टी में अध्‍यक्ष पद के चुनाव लंबित हैं। सोनिया गांधी अंतरिम अध्‍यक्ष बनी हुई हैं। इससे बाहर भी गलत मैसेज जाता है। यह बीजेपी को उस पर हमला करने का मौका देता है। वह वंशवादी के टैग से चिपकी हुई दिखती है। नेतृत्‍व और छवि में बदलाव कर कांग्रेस को इसका फायदा हो सकता है।

राहुल, प्रियंका या सोनिया, कोई भी कांग्रेस की नैया पार लगा पाने में सफल साबित नहीं हुआ। प्रियंका गांधी को तो कांग्रेस ‘ब्रह्मास्‍त्र’ मानती थी। लेकिन, यूपी सहित पांच राज्‍यों के चुनाव में पार्टी ने इस ब्रह्मास्‍त्र का भी इस्‍तेमाल कर लिया। हार पर हार के बावजूद पार्टी पर गांधी परिवार की पकड़ बनी हुई है। जब कभी गांधी परिवार को चुनौती दी जाती है तो पार्टी के अंदर ही हंगामा शुरू हो जाता है। ऐसा करने वाले नेता हाशिये पर चले जाते हैं। जी-23 इसका उदाहरण है। यह पार्टी में सुधारों की पुरजोर पैरवी करता रहा है। यहां तक नेतृत्‍व में बदलाव की मांग करते हुए इसने पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को चिट्ठी तक लिखी थी।