माँ शैलपुत्री : प्रथम पूज्य देवी

मां दुर्गा की पहली शक्ति की पावन कथा

 

  शैलपुत्री

वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ । 

वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

 

प्रथम नवदुर्गा: माता शैलपुत्री

नवरात्री में माता के नौ स्वरूपों में प्रथम स्वरुप है माँ शैलपुत्री। हिमालय के घर पुत्री स्वरुप जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। माता शैलपुत्री के वहां वृषभ है इसी लिए इन्हे वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है। माता के दाएं हाथ में त्रिशूल व बाएं हाथ में कमल का फूल देखा जाता है। नवरात्री में माँ शैलपुत्री को ही सबसे पहले पूजा जाता है।

माता दुर्गा के स्वरुप कुछ इस प्रकार है :- 

 

नवरात्रि में दुर्गा पूजा के अवसर पर दुर्गा देवी के नौ रूपों की पूजा-उपासना बहुत ही विधि विधान से की जाती है। इन रूपों के पीछे तात्विक अवधारणाओं का परिज्ञान धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विकास के लिए आवश्यक है। आइए जानते हैं मां शैलपुत्री के बारे में…

 

मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। हिमालय के वहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नामकरण हुआ शैलपुत्री। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं। इस देवी ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। यही देवी प्रथम दुर्गा हैं। ये ही सती के नाम से भी जानी जाती हैं। उनकी एक मार्मिक कहानी है।

 

एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, भगवान शंकर को नहीं। सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है।

 

सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो सिर्फ मां ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव है। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुंचा।

 

वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपने को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं।

 

पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं।

 

माता शैलपुत्री का मंत्र। 

वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ ।

वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

 

शैलपुत्री माता की आरती। 

शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।

सोमवार को शिव संग प्यारी।आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।

घी का सुंदर दीप जला के।गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिवमुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

 

माता शैलपुत्री का स्तोत्र पाठ। 

प्रथम दुर्गा त्वंहिभवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्यदायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥

त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥

चराचरेश्वरी त्वंहिमहामोह: विनाशिन।
मुक्तिभुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥

 

माता शैलपुत्री का  कवच। 

ओमकार: मेंशिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
हींकार: पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥

श्रींकारपातुवदने लावाण्या महेश्वरी ।
हुंकार पातु हदयं तारिणी शक्ति स्वघृत।

फट्कार पात सर्वागे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥

 

भोग व प्रसाद। 

अपने रोगो से मुक्ति के लिए माँ शैलपुत्री को भोग लगाए गाय के देसी घी से बनी किसी चीज़ का और स्वयं  प्रसाद ग्रहण करे।

 

प्रथम नवरात्र के दिन माँ शैलपुत्री की आराधना करे। कलश स्थापना के बाद माँ शैलपुत्री का ध्यान लगाए और उनके मंत्र का कम से कम 1 माला जाप करे, स्त्रोत पढ़े और विधि पूर्वक आरती करे।

नवरात्री पूजन क्या क्या करें और क्या क्या नहीं

माँ दुर्गा पूजा दिनांक10/10/2018 से शुरू हो रहा है।

◆ कलश पर नारियल रखने में त्रुटि न करे,◆
◆ दुर्गा पाठ में फूल माँ को प्रिय है एवं जरूरी बात◆

★★ प्रतिदिन पढ़े, पूजा पाठ विधि, क्या करना चाहिये, क्या नही करना चाहिये, पाठ शास्त्रोक्त विधि से, या तांत्रिक विधि से, इत्यादि पर पोस्ट करेंगे लाभ उठायें। ★★
【नोट- यह पोस्ट मानो या ना मानो यह आपकी इच्छा पर निर्भर है, मुझे लगता है कि जानकारी शेयर करना चाहिये, इसी उद्देश्य से पोस्ट कर रहे है।】

◆ ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते ।। ◆

माँ के महा मंत्र-

1-ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्यै ।
2- ॐ महिषमर्दिनी नमः।
इस महा मंत्र एक-एक माला जप करना चाहिये, रुद्राक्ष की माला से।
3- नारियल की स्थापना इसप्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख साधक यानि पाठ करने वाले कि तरफ रहे।नारियल का मुख उस सिरे से होता है जिस तरफ से पेड़ की टहनी से जुड़ा रहता है।
इसलिये नारियल का मुख अपनी तरफ रख कर ही स्थापना करें।

माँ के रूप के अनुसार फूल अर्पित करके उनकी पूजा करने से माता की अनुकंपा जल्दी मिलती है।
1- माँ काली या कालरात्रि हो या माँ तारा हो या माँ छिन्मस्तिका हो सभी के लिये, अड़हुल लाल का फूल और माँ को अपराजिता का फूल अधिक प्रिय है।जो नीला रंग का होता है।
108 अड़हुल लाल फूल माँ को अर्पित करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
2- माँ शेरावाली को लाल फूल अधिक प्रिय है, माँ को प्रसन्न करने के लिए लाल गुलाब या लाल अड़हुल के फूल की माला पहनाये तो आर्थिक परेशानी दूर होती है।
3- माँ वीणा वाली शारदा मैया यानी माँ सरस्वती को सफेद फूल और पीले रंग का फूल चढ़ाने से माँ ज्ञान की देवी अतिप्रसन्न होती है।माँ वीणा वाली भगवती शांत एवं सौम्य की मूर्ति है।
4- माँ धन-धान्य की देवी माँ भगवती लक्ष्मी इन्हें भी लाल ही फूल प्रिय है, माँ सौभाग्य और संपदा की देवी को कमल का फूल या गुलाब का फूल लेकिन माँ को कमल का फूल ही ज्यादा पसंद है,फूल अर्पित करना चाहिए।
माँ श्री तो है ही लेकिन श्री हरि की होने के कारण, यानी भगवान् विष्णु की अर्धांगनी होने से माँ लक्ष्मी को पीले फूल भी पसंदीदा है।और कमल का फूल ज्यादा प्रिय इस लिए है कि माँ लक्ष्मी स्वयं सागर से प्रकट हुई है।
5- अब बारी आ गई माँ भगवती गौरी की साथ माँ शैल पुत्री की तो इन्हें सफेद फूल और लाल फूल पसंद है,
पतिव्रता स्त्री या सुहागन स्त्रियों को लाल फूल से माँ भगवती की पूजा करनी चाहिये, जिससे सुहाग की उम्र बढ़ती है।
जो भी कुमारी कन्याओं हो, मन पसंद वर के लिये भी लाल रंग की फूल से माँ की पूजा करनी चाहिये।
6- नवरात्रि में बहुत ही शुभ होता है नवनाग स्त्रोत का पाठ, इसका पाठ कहते है कि किसी नागदोष या सर्प दोष दूर होते है, बहुत से लोग इस दोष नही मानते है, फिर भी महादेव हो या श्री हरि हो इनकी सोभा तो नागदेवता ही बढ़ाते है, इस बात को तो जरूर मानेंगे।चलिये इसी बहाने नवरात्रि में नौ नाग की पूजा का फल प्राप्त करने के लिये इनका स्त्रोत का जप करना चाहिये।
-: नव नाग स्त्रोत:-
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं

शन्खपालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा

एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनं

सायमकाले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतः

तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत

ll इति श्री नवनागस्त्रोत्रं सम्पूर्णं ll
कहते है कि नौ नागों के नामो का स्मरण सायंकाल और प्रातः काल करता है, सर्वत्र विजयी होता है, और किसी प्रकार का भय नही रहता है।

चंडीगढ़ में पेट्रोल – डीज़ल आधी रात से 4 रूपये सस्ता

 

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को पेट्रोल-डीजल पर 2.50 रुपए कम करने का फैसला किया था. इसके साथ वित्त मंत्री ने सभी राज्यों से भी कीमतें कम करने के लिए कहा था. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद कई राज्यों ने कीमतें कम करने के लिए पेट्रोल-डीजल पर 2.50 रुपए कम कर दिए थे. जिसके बाद कीमतों में कुल 5 रुपए की गिरावट आई थी.

शुक्रवार को चंडीगढ़ प्रशासन ने पेट्रोल-डीजल पर 1.50 रुपए कम कर दिए हैं. नई कीमतें आधी रात से लागू होगी. इस फैसले के बाद चंडीगढ़ में पेट्रोल-डीजल कुल 4 रुपए सस्ता हो जाएगा.

केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद कुछ राज्य ऐसे भी थे जहां की राज्य सरकारों ने कीमतें कम करने से इनकार कर दिया था. शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कीमतें कम करने से मना कर दिया. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा ‘हमने पहले से ही ईंधन की कीमतें कम कर दी हैं लेकिन हमारे पास चुकाने के लिए कर्ज है. केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाए हैं हमने नहीं. मैं राहुल गांधी के बयान का समर्थन करती हूं- अर्थव्यवस्था पहले से ही टूट गई है और सरकार को तुरंत जाना चाहिए.’

शान के मुज़िकल शो में शिरकत नहीं कर पाए बाबुल सुप्रियो, साभार ममता पुलिस


सुप्रियो ने कहा, बंगाल में सरकार और पुलिस इतना नीचे गिर चुकी है कि वो संगीत जगत के मेरे मित्रों के शो को रद्द करने की धमकी देती है


केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने पश्चिम बंगाल पुलिस पर धमकी देने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, ‘आसनसोल में शान और केके का शो चल रहा है. शान ने मुझे शाम 6.30 बजे फोन करके बताया कि पुलिस ने उन्हें सोते समय जगा दिया और धमकी दी कि अगर बाबुल शो देखने आएंगे तो शो का लाइसेंस रद्द हो जाएगा.’

सुप्रियो ने कहा, ‘जब मैंने यह सुना तो फैसला किया कि अब शो में नहीं जाऊंगा और वहां परेशानी नहीं होगी.’ बाबुल सुप्रियो राजनीति में आने से पहले गायक थे इसलिए म्यूजिक इंडस्ट्री से जुड़ाव रखते हैं.

बाबुल ने बंगाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘बंगाल में सरकार और पुलिस इतना नीचे गिर चुकी है कि वो न सिर्फ मुझे मेरे ही संसदीय क्षेत्र में आने से रोकती है, बल्कि संगीत जगत के मेरे मित्रों के शो को रद्द करने की धमकी भी देती है! बंगाल सरकार का बस यही काम रह गया है की मुझे आसनसोल आने से रोका जाए?’

कुछ दिन पहले शान ने ट्वीट करके लिखा था, लव यू भाई. मैं आसनसोल आ रहा हूं और 3 अक्टूबर को आपसे मिलूंगा, आशा है कि आप हमें मिलेंगे.

Shaan&KK’s concert is underway at Asansol. Shaan called me at 6:30 pm to say that Police woke him up from sleep, threatening to cancel license to the show if I go to watch it. I’ve decided not to attend the show so that no problems are created there: Babul Supriyo, BJP (3.10.18)

आरएसएस ने पार्थ चटर्जी को उनके बयान की वजह से कानूनी नोटिस भेजा है


इस्लामपुर के दारीभीत गांव में आईटीआई के छात्र राजेश सरकार और तृतीय वर्ष के कॉलेज छात्र तपस बर्मन की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई थी


पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राज्य शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को उनके बयान की वजह से कानूनी नोटिस भेजा है. चटर्जी ने कहा था, ‘आरएसएस सीधे तौर पर इस्लामपुर में आग भड़का रही है जहां 2 लोगों की मौत हो गई.’

पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले के इस्लामपुर में 2 छात्रों की मौत के विरोध में बीजेपी ने 12 घंटे का बंद बुलाया था. कोलकाता से सटे हावड़ा में बीजेपी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने सरकारी बसों में तोड़फोड़ और आगजनी की थी.

बंद के दौरान उपद्रव की आशंका को देखते हुए राज्य भर के बस ड्राइवरों ने अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट पहना था. इस्लामपुर के दारीभीत गांव में आईटीआई के छात्र राजेश सरकार और तृतीय वर्ष के कॉलेज छात्र तपस बर्मन की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई थी.

CIC issued notice to RPFO for ‘Maximum Penalty’ and Rs. 25 Lakh compensation to 76 year old

CIC M Sridhar Acharyulu


Central Information Commissioner (CIC) issued Show Cause Notices to the Public Authority (EPFO) for Rs 25 lakh Compensation to the Pensioner and also for “maximum penalty” to the CPIO, Regional Office  


October 3, 2018:

The Central Information Commissioner (CIC) has issued show cause notice to CPIO of Regional Provident Fund Office (RPFO) for “maximum penalty” and award of Rs 25 lakh compensation to a 76 year old pensioner to whom information regarding pensioners, pensionable service etc was not provided despite repeated requests.

CIC M Sridhar Acharyulu passed the order in the “pathetic case of Mr. Subhash Chandra Banerjee (76 yrs), who is seriously ill and almost on death-bed (in Kolkata), whose case was pursued by a former General Manager of Haryana Tourism Corporation (HTC), Chandigarh Parveen Kohli.

The appellant Mr Parveen Kohli sought information under RTI Act, 2005, on behalf of Mr. Subhash Chandra Banerjee, about number and details of pensioners whose pensionable service for pension fixation/calculation has been treated as the total of past service i.e. prior to 16.11.1995 and service beyond 16.11.1995 as per orders of District Consumer Forums, State Consumer Disputes Redressal Commission, National Consumer Disputes Redressal Commission and courts of law, details of all such cases relating to issue above and list of cases and orders, copy of complete relevant files i.e. correspondence pages along with noting pages containing all the relevant documents in above cases.

According to detailed order of the CIC, the CPIO of RPFO, Kolkata replied that no such cases are available with the legal cell and provided the copy of only noting sought in point no. 6. The 1st Appellate Authority stated that the CPIO has not denied the information sought but the information was voluminous in nature.

76 year old Banerjee is seriously ill and suffering from Ischemic Heart Disease with Epilepsy with Cerebral Hge, Hyper depression, Seizure disorder, Lumber-1 Compression fracture. He joined service in 1969 and retired from service in 2002 and he was entitled to receive monthly pension from EPFO under EPS95 Scheme w.e.f 5.8.2000.

The Commission directed Mr. J. Nayak, CPIO and concerned RPFC to a) provide certified copies of the entire file concerning Mr. Subhash Chandra Banerjee’s pension, before 15th October 2018 free of cost.

 

The CIC also asked Nayak to explain why the order of National Consumer Commission in Banerjee’s case was not implemented, when will it be implemented and also inform which officer is responsible for denial of pension to Banerjee and what action was taken against for non-compliance of the order of National Consumer Commission.

 

The Commissioner also asked CPIO to explain legal reasons, policy with documents, why entire pension amount of Banerjee was confiscated and he was deprived of his pension since 2000 and also inform by what time his pension will be restored, arrears paid with interest to Banerjee.

The Commission directed Mr. J. Nayak, CPIO to show-cause why maximum penalty should not be imposed upon him for not furnishing complete information sought within stipulated time.

“The Public Authority shall explain why it should not be directed to pay Rs 25 lakh as compensation to Mr. Subhash Chandra Banerjee for harassment, denial and deprivation, the 9 page order said.

The Commission directed the RPFC who is also first public authority, to enquire into this harassment, initiate efforts to redress the grievance and inform the Commission, Mr. Banerjee and appellant when his amount will be paid.

All responses shall reach before 15.10.2018, and the matter is posted for compliance and penalty proceedings on 15.10.2018 at 12:30 p.m, the CIC M. Sridhar Acharyulu, ordered.

Justice Ranjan Gogoi is 46th CJ India.


President Ram Nath Kovind administered the oath to Justice Gogoi at a ceremony which took place in Rashtrapati Bhavan’s Darbar Hall.

Justice Gogoi’s father Sh. Keshab Chandra Gogoi was a Chief minister under the Indian National Congress regime in the state of Assam in the year 1982.


Justice Ranjan Gogoi took oath as the as the 46th Chief Justice of India on Wednesday as he succeeded Justice Dipak Misra.

President Ram Nath Kovind administered the oath to the 63-year-old Justice Gogoi at a ceremony which took place in Rashtrapati Bhavan’s Darbar Hall.

Justice Gogoi’s father Sh. Keshab Chandra Gogoi was a Chief minister under the Indian National Congress regime in the state of Assam in the year 1982.

Justice Gogoi will have a tenure of a little over 13 months and would retire on November 17, 2019.

He was appointed as a judge of the Supreme Court on April 23, 2012.

Born on November 18, 1954, Justice Gogoi was enrolled as an advocate in 1978. He practised in the Gauhati High Court on constitutional, taxation and company matters.

He was appointed as a permanent judge of the Gauhati High Court on February 28, 2001. On September 9, 2010, he was transferred to the Punjab and Haryana High Court.

He was appointed as Chief Justice of Punjab and Haryana High Court on February 12, 2011.

Justice Gogoi was one of the four Supreme Court judges who had revolted against CJI Misra earlier this year. The other three were Justice J. Chelameswar, Justice Madan B. Lokur and Justice Kurian Joseph.

In an unprecedented move, the four senior-most judges of the apex court had held a press conference in January this year raising, among other things, questions over assigning cases to different judges by the CJI.

Earlier in September, CJI Misra had recommended Justice Gogoi as his successor as per the established practice of naming for the post the senior-most judge after the CJI.

The appointment of members of the higher judiciary is governed by the Memorandum of Procedure, which says “appointment to the office of the Chief Justice of India should be of the senior-most judge of the Supreme Court considered fit to hold the office”.

The protocol stipulates that the law minister will, at an appropriate time, seek recommendation of the outgoing CJI for the appointment of a successor. Once the CJI makes the recommendation, the law minister puts it before the Prime Minister who then advises the President on the matter.

After President Ramnath Kovind signed warrants of Justice Gogoi’s appointment , a notification was issued announcing his appointment.

कांग्रेस का एक ही नारा है- मोदी को हटाना है, अब चाहे पाकिस्तान हटा दे या माओवादी हटा दें: पात्रा


बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि भीमा कोरेगांव मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उससे पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी का पर्दाफाश हो गया है


भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी मामले में विपक्ष के हमलों के बीच शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले से कांग्रेस पार्टी का पर्दाफाश हो गया है. पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष से सवाल किया कि राहुल गांधी आप बार-बार राष्ट्रद्रोहियों के साथ खड़े क्यों नज़र आते हैं?

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि भीमा कोरेगांव मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उससे पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी का पर्दाफाश हो गया है. उन्होंने कहा, ‘इस मामले में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्र हित की जीत है.’

पात्रा ने कहा कि ऐसे लोग जो राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ काम करते हैं, उन्हें यह चुनने की छूट नहीं है कि वे किस प्रकार की जांच का सामना करेंगे और कानून कब और कैसे काम करेगा.

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश की जीत है. यह फैसला कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने का काम करती है. उन्होंने कहा कि अपने निजी स्वार्थ के लिए राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी आज देश को कुचलने और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने के लिए भी तैयार हैं.

पात्रा ने सवाल किया, ‘राहुल जी आप बार-बार राष्ट्रद्रोहियों के साथ खड़े क्यों नज़र आते हैं?’ उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का एक ही नारा है- मोदी को हटाना है, अब चाहे पाकिस्तान हटा दे या माओवादी हटा दें, लेकिन देश की जनता राष्ट्र सुरक्षा और मोदी के साथ है.

सुप्रीम कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा प्रकरण के सिलसिले में पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के मामले में हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इनकार करने के साथ ही इन गिरफ्तारियों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आग्रह भी ठुकरा दिया. महाराष्ट्र पुलिस ने इन कार्यकर्ताओं को पिछले महीने गिरफ्तार किया था परंतु शीर्ष अदालत के अंतरिम आदेश पर उन्हें घरों में नजरबंद रखा गया था.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 2:1 के बहुमत के फैसले से इन कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई के लिए इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य की याचिकायें ठुकरा दीं.

The Supreme Court today refused to constitute a Special Investigation Team in Koregaon case

 

The Supreme Court today refused to constitute a Special Investigation Team (SIT) to look into the arrests of lawyers and activists made in connection to the Bhima Koregaon violence.

The judgment was delivered by the Bench of Chief Justice of India Dipak Misra, Justice AM Khanwilkarand Justice DY Chandrachud.

Justice Khanwilkar delivered the majority opinion on behalf of himself and CJI Misra. Justice Chandrachud dissented from the majority.

The majority opinion held that the Court’s earlier order calling for house arrest of the activists and lawyers, will continue to operate for four more weeks.

Justice Khanwilkar held that accused persons do not have a say in which investigating agency should probe the case. He held that this was not a case of arrest merely because of political dissent. Therefore, the plea for an SIT was not entertained, with the accused given the liberty to pursue other appropriate remedies.

However, Justice Chandrachud did not agree with the views of the majority, stating that technicalities should not be allowed to override substantive justice.

Chandrachud J made some scathing observations against the Pune police for their conduct in the matter thus far. He also berated the police for conducting a press conference immediately after the Court had passed an interim order.

He also highlighted the manner in which a letter alleged to have been written by Sudha Bharadwaj was flashed on Republic TV, after the police selectively disclosing details of the probe to the media. This, Justice Chandrachud held, cast a cloud over the fairness of the investigation.

“Voices of opposition cannot be muzzled because it is dissent. Deprivation of liberty cannot be compensated later”, Chandrachud J held.

The acts of the Maharashtra police, he said, raises questions as to whether the investigation can be carried out fairly. Therefore, Chandrachud J felt that an SIT should be constituted to probe the matter.

The verdict was passed in the petition filed by Romila Thapar and four other activists challenging the raids and arrests made by the Maharashtra Police of Sudha BharadwajGautam NavlakhaVaravara RaoVernon Gonsalves, and Arun Ferreira, in connection with the Bhima Koregaon incident.

The Supreme Court had directed the Pune Police to keep the activists/lawyers under house arrest “in their own homes” till further orders, thereby protecting their liberty.

It was contended by the State of Maharashtra that the raids were conducted based on evidence gathered from the computer systems and emails of other accused persons arrested in the same case.

The Court had warned against “cooked up evidence” against the activists in question and had asserted that an SIT will be formed to look into the validity of these raids if the evidence is found to be “cooked up”.

The State of Maharashtra maintained that there was a larger ploy at play in this case and claimed that the arrested activists have links with banned terror outfits some of them “having committed serious offences”.

The Court had remarked that liberty of people cannot be stifled based on conjectures and had asserted that it would “look at the case with hawk’s eyes”.

The Court had demanded for the entire case diary to ascertain the validity of the raids and arrests in the case even as the State of Maharashtra’s submission from the beginning was that the petitioners, in this case, were “strangers” to the case and had no locus standi to challenge the arrests where they were not personally aggrieved.

हताश कांग्रेस कि मनोस्थिति बयान करते पोस्टर


बिहार में फॉरवर्ड कहलाने वाली जातियों के नेताओं को तरजीह दी गई थी. बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मदनमोहन झा ब्राह्मण हैं. कैंपेन कमेटी के मुखिया अखिलेश प्रसाद सिंह भूमिहार जाति से आते है


बिहार में कांग्रेस बेचारगी के आलम में है. पार्टी की तरफ से लगाए गए पोस्टर में हर नेता की जाति उसकी तस्वीर के आगे लिख दी गई है. कांग्रेस ने हाल में ही राज्य में जंबो संगठन बनाया था. जिसमें बिहार में फॉरवर्ड कहलाने वाली जातियों के नेताओं को तरजीह दी गई थी. बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मदनमोहन झा ब्राह्मण हैं. कैंपेन कमेटी के मुखिया अखिलेश प्रसाद सिंह भूमिहार जाति से आते है. इन दोनों जातियों पर कांग्रेस की नजर है.

कांग्रेस आलाकमान ने रणनीतिक तौर पर उच्च जातियों को अपनी ओर खींचने के लिए ये फैसला किया था. यही अगड़ी जातियां बीजेपी की बिहार में धुरी हैं. जिनकी बदौलत प्रदेश में बीजेपी की राजनीतिक हैसियत बढ़ी है. कांग्रेस बिहार में अगड़ी जाति का समायोजन ना कर पाने की वजह से पिछड़ गई. मंडल की राजनीति में लालू-नीतीश जैसे नेताओं का उदय हुआ. बीजेपी के कमंडल की राजनीति में अगड़ी जातियां पार्टी के साथ हो गई हैं. जिनको दोबारा पाले में लाने के लिए कांग्रेस जद्दोजहद कर रही है. लेकिन कांग्रेस की लालू प्रसाद से दोस्ती की वजह से ये संभव नहीं हो पा रहा है.

कांग्रेस के पोस्टर में नेताओं का जातिवार ब्यौरा

कांग्रेस के पोस्टर में सोशल इंजीनियरिंग नजर आ रही है. उससे पार्टी की साख पर सवाल उठ रहा है. गांधी-नेहरू की विरासत की बात करने वाली पार्टी को ये सब करना पड़ रहा है! कांग्रेस बिहार में पस्त हालत में है. पार्टी को मजबूत करने के लिए ये तरीका कांग्रेस के नेताओं के भी समझ से परे है. बिहार कांग्रेस के नेता का कहना है कि रेवड़ी की तरह पद बांटने से वोट नहीं मिलता है. इस तरह का पोस्टर लगाना बेहूदगी है. कांग्रेस की परंपरा से मेल नहीं खाता है.

कांग्रेस भी ये दावा करती है कि सभी जाति मजहब की पार्टी है, लेकिन जिस तरह से धर्म और जाति का प्रचार किया जा रहा है. उससे ये सवाल उठना लाजिमी है कि कांग्रेस किस दिशा की तरफ जा रही है? बिहार में जाति की राजनीति का बोलबाला है. 1989 के बाद से ही रीजनल पार्टियों की सरकार है. कांग्रेस हाशिए पर है. बीजेपी भी रीजनल पार्टियों के सहारे है.

कांग्रेस की हताशा की कहानी

कांग्रेस की ये कोशिश हताशा की कहानी बयां कर रही है. कांग्रेस के पास कोर वोट का अभाव है. कमिटेड लीडर्स की कमी है. जो पार्टी को सेंटर स्टेज पर ले जाने की कोशिश ठीक ढंग से कर सकें. पार्टी के पोस्टर से लग रहा है कि हर जाति का नेता बना दो तो शायद सभी जातियां पार्टी के पीछे खड़ी हो जाएं.

हालांकि ये सब इतना आसान नहीं है. जातियों को जोड़ने के लिए प्रोग्राम तैयार करना होता है. उस जाति के लोगों को जोड़ने के लिए उनके बीच काम करना पड़ेगा. पोस्टर छपवाने से कोई लाभ नहीं होने वाला है. कांग्रेस में बिहार के बड़े नेता सड़क पर उतरकर काम करने से गुरेज कर रहे है. सब किस्मत के भरोसे है. कभी लालू का तो कभी नीतीश का सहारा लिया जा रहा है. लेकिन कांग्रेस धरातल पर ही है.

मंडल की राजनीति में कमजोर

वी.पी. सिंह की मंडल की राजनीति में कांग्रेस लगातार कमजोर होती रही है. बिहार में जनता दल के उदय से पिछड़ी जातियां इन दलों के साथ हो गईं. जनता दल का बीजेपी से जब रिश्ता टूट गया,तो कांग्रेस ने बढ़कर जनता दल को सहारा दिया. जिसके बाद कांग्रेस समय-समय पर लालू प्रसाद को मदद करती रही है. जिससे पार्टी से अगड़ी जातियां भी दूर हो गई हैं. मुस्लिम भी लालू के साथ चला गया है. लालू ने पिछड़े और एमवाई(मुस्लिम – यादव) समीकरण की बदौलत बिहार की राजनीति पर वर्षों तक राज किया.

 

बीजेपी जैसी पार्टियां भी कुछ खास नहीं कर पाई. बीजेपी ने पर्दे के पीछे से समता पार्टी का समर्थन किया और लालू विरोधियों को एकजुट कर दिया. जार्ज फर्नाडिज की पार्टी में नीतीश कुमार और शरद यादव भी थे. जिससे पिछड़ी जातियों की एकजुटता में टूट पड़ गई. नीतीश कुमार के साथ कुर्मी-कोइरी हो गया. बाद में नीतीश कुमार ने अलग पार्टी बना ली और बीजेपी के साथ गठबंधन में नीतीश मुख्यमंत्री बन गए. हालांकि लालू की बिहार की सत्ता चली गई है लेकिन राजनीतिक ताकत में कमी नहीं हैं. कांग्रेस मजबूरी में उनके पीछे खड़ी रही है. जो अब तक जारी है.कांग्रेस ने अपने बूते पर खड़ा होने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किया है.

बिहार की जाति में बंटी राजनीति

बिहार में 1989 के बाद से जातिगत राजनीतिक पार्टियों का उदय हुआ है. लालू प्रसाद की आरजेडी यादव जाति के समर्थन पर चल रही है. नीतीश कुमार कुर्मियों के नेता हैं. हालांकि अत्यंत पिछड़ा वर्ग को भी जोड़ने का प्रयास किया है. उपेन्द्र कुशवाहा के पास कोइरी का समर्थन है. रामविलास पासवान दलित और अपनी जाति दुसाध के बल पर टिके हैं. जीतन राम मांझी मुसहर जाति के पैरोकार हैं. बीजेपी के पास अगड़ी जातियों के अलावा वैश्य और कायस्थ का भी साथ है. जहां तक मुस्लिम का सवाल है वो आरजेडी के साथ ज्यादा है. कहीं नीतीश और कांग्रेस का समर्थन भी करता रहा है. लेकिन इस बार कांग्रेस आरजेडी के साथ जाने की संभावना है.

rahul tejaswi

बीजेपी से सीखे सबक

उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने पिछले हफ्ते कुशवाहा, सैनी और मौर्य समाज का सम्मेलन किया. जिसमें पार्टी की इन जातियों के लिए भविष्य में क्या योजना है? ये बताया गया है. ये भी कहा गया कि बीजेपी इन जातियां में किसी को मुख्यमंत्री भी बना सकती है. ये सभी जातियां पहले एसपी-बीएसपी के साथ थीं. बीजेपी ने सही समय पर इन जातियों पर फोकस किया है. जिससे बीजेपी को राजनीतिक लाभ मिला है. इन जातियों के बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल कर लिया गया है.

बिहार में भी बीजेपी ने धीरे धीरे कई जातियां में सेंध लगाई है. कांग्रेस को भी इस तरह से नई कार्ययोजना पर चलने की जरूरत है. हालांकि ये काम एक दिन में संभव नहीं है. कांग्रेस को पहले कोर वोट की तलाश करने की जरूरत है. जो अगड़ी जातियां बीजेपी से निराश हैं. कांग्रेस उनसे बीच काम कर सकती है. अगड़ी जातियों के साथ आने से ही कांग्रेस बिहार में आगे बढ़ सकती है. कांग्रेस ने राजनीति के मंडलीकरण के बाद इस बार अगड़ी जातियों पर दांव लगाया है. जिसका नतीजा चुनाव में देखने को मिल सकता है.