सवर्णों को भी आरक्षण, सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन का दायरा 50% से बढ़कर 60% होगा

सरकार ने गरीब सवर्णों के लिए नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले मास्टरस्ट्रोक खेला है. मोदी सरकार ने फैसला लिया है कि वह सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देगी. सोमवार को पीएम मोदी की अध्‍यक्षता में कैबिनेट की हुई बैठक में सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर मुहर लगाई गई. कैबिनेट ने फैसला लिया है कि यह आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दिया जाएगा. आरक्षण का लाभ सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में मिलेगा. 

बताया जा रहा है कि आरक्षण का फॉर्मूला 50%+10 % का होगा. सूत्रों का कहना है कि लोकसभा में मंगलवार को मोदी सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी बिल पेश कर सकती है. सूत्रों का यह भी कहना है कि सरकार संविधान में संशोधन के लिए बिल ला सकती है. इसके तहत आर्थिक आधार पर सभी धर्मों के सवर्णों को दिया जाएगा आरक्षण. इसके लिए संविधान के अनुच्‍छेद 15 और 16 में संशोधन होगा. केंद्र सरकार के इस फैसले पर वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसे कहते हैं 56 इंच का सीना.

सरकार के इस बड़े फैसले का भारतीय जनता पार्टी ने स्वागत किया है. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि गरीब सवर्णों को आरक्षण मिलना चाहिए. पीएम मोदी की नीति है कि सबका साथ सबका विकास. सरकार ने सवर्णों को उनका हक दिया है. पीएम मोदी देश की जनता के लिए काम कर रहे हैं.

मालूम हो कि करीब दो महीने बाद लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सवर्णों को आरक्षण देने का फैसला बीजेपी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है. हाल ही में संपन्न हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार हुई थी. इस हार के पीछे सवर्णों की नाराजगी को अहम वजह बताया जा रहा है.

पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी+ को 80 में से 73 सीटें मिली थीं. इस बार बीजेपी को चुनौती देने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने हाथ मिला लिया है. इसके बाद माना जा रहा था कि बीजेपी इस गठबंधन से निपटने के लिए कोई बड़ा कदम उठा सकती है. सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले को सरकार का मास्टस्ट्रोक माना जा रहा है.

दरअसल सियासी विश्‍लेषकों के मुताबिक सपा-बसपा ने यूपी में अपने चुनावी गठबंधन में कांग्रेस को रणनीति के तहत शामिल नहीं करने का फैसला किया है. उसके पीछे बड़ी वजह मानी जा रही है कि बीजेपी के सवर्ण तबके में बंटवारे के लिहाज से कांग्रेस और सपा-बसपा अलग-अलग चुनाव लड़ने जा रहे हैं ताकि सवर्णों का वोट बीजेपी और कांग्रेस में विभाजित हो जाए. लेकिन लंबे समय से गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग के चलते इस घोषणा से बीजेपी को सियासी लाभ मिल सकता है.

पेट्रोल की घटती कीमतों से मिली राहत कुछ देर की है

नए साल में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है, जिससे आगे कीमतें बढ़ सकती हैं. 

नई दिल्ली: नए साल में पेट्रोल, डीजल की कीमतों में राहत जारी है. एक से 6 जनवरी तक जहां चार दिन कीमतों में कटौती की गई, वहीं दो दिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ. इस तरह नए साल में अभी तक किसी भी दिन महंगे पेट्रोल-डीजल का बोझ ग्राहकों पर नहीं पड़ा. आज तेल कंपनियों ने पेट्रोल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन डीजल की कीमतों में 10 पैसे की कटौती की गई. इस तरह दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 68 रुपए 29 पैसे रही, वहीं डीजल 62 रुपए 16 पैसे पर आ गया. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती का सबसे बड़ा कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल का सस्ता होना है. लेकिन नए साल में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है. पिछले हफ्ते में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव करीब 10 परसेंट बढ़े हैं, ऐसे में आने वाले दिनों में पेट्रोल फिर महंगा हो सकता है. 

क्या हैं आज तेल की कीमतें?

शहर पेट्रोल/लीटरडीजल/लीटर
दिल्ली₹68.29 ₹62.16
मुंबई ₹73.95₹65.04
नोएडा₹68.62 ₹61.86
कोलकाता₹70.43₹63.93
चंडीगढ़ ₹64.59₹59.20
भोपाल  ₹71.31 ₹63.38

क्यों बढ़ सकती हैं कीमतें?

कच्चे तेल के दाम में आगे और तेजी आने की सूरत में डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट आ सकती है और पेट्रोल, डीजल के दाम में वृद्धि हो सकती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में चढ़ाव-उतार का असर पेट्रोल, डीजल के दाम पर करीब 10 दिन बाद आता है, ऐसे में पिछले हफ्ते जिस तरह से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी दिखाई दी है, उससे आगे पेट्रोल-डीजल महंगा हो सकता है. फिलहाल कच्चे तेल की कीमत 57 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है.  

‘ममता बनर्जी का पहली बंगाली PM बनना हमारे लिए गर्व की बात होगी’: दिलीप घोष

दिलीप घोष ने कहा ‘तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के देश की पहली बंगाली प्रधानमंत्री बनने की अच्छी संभावनाएं हैं.

कोलकाता : लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में सियासी पारा चढ़ने लगा है.प्रधानमंत्री बनने की रेस में भी कई नेताओं को दावा है. शनिवार को बीजेपी की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख दिलीप घोष ने यह कहकर अपनी पार्टी में असहज स्थिति पैदा कर दी कि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के देश की पहली बंगाली प्रधानमंत्री बनने की अच्छी संभावनाएं हैं.

ममता को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए घोष ने कहा कि वह उनकी अच्छी सेहत और जिंदगी में कामयाबी की दुआ करते हैं, ‘‘क्योंकि हमारे राज्य का भविष्य उनकी सफलता पर निर्भर करता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि वह फिट रहें ताकि वह अच्छा काम कर सकें. उन्हें फिट रहने की जरूरत है क्योंकि अगर किसी बंगाली के पीएम बनने की संभावनाएं हैं तो उनमें वही एक हैं. अगर ऐसा होता है तो हमारे लिए गर्व की बात होगी.’’

बता दें कि महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी शुक्रवार को प्रधानमंत्री पद को लेकर बयान दिया था. उनसे जब पूछा गया था कि क्‍या देश को 2050 तक महाराष्‍ट्र से कोई प्रधानमंत्री मिल सकता है, तो उन्‍होंने कहा हां, ऐसा बिलकुल होगा.

शुक्रवार को नागपुर में आयोजित मराठी जागरण सम्‍मेलन में महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर आगे बोलते हुए कहा था ‘अगर देश में किसी ने सच में शासन किया है तो वे महाराष्‍ट्र के लोग थे. हमारे अंदर शीर्ष पर पहुंचने की पूरी क्षमता है.’ उन्‍होंने कहा कि 2050 तक देश को महाराष्‍ट्र से एक से अधिक प्रधानमंत्री मिलेंगे.

5 साल बाद 5 रोहङियाओं को वापिस भेजा

इन रोहिंग्याओं को बिना यात्रा दस्तावेज के पांच साल पहले पकड़ा गया था. इन पर विदेशी कानून का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया था.

गुवाहाटी: असम के तेज़पुर जेल में बंद एक रोहिंग्या परिवार के पांच सदस्यों को गुरुवार को म्यांमार वापस भेज दिया गया. अधिकारियों ने तीन महीने पहले भी सात अन्य लोगों को पड़ोसी देश वापस भेजा था. पुलिस ने यहां यह जानकारी दी.

असम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीमा) भास्कर ज्योति महंत ने बताया कि इन लोगों को मणिपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर म्यांमार अधिकारियों को सौंप दिया गया. इन रोहिंग्याओं को  बिना यात्रा दस्तावेज के पांच साल पहले पकड़ा गया था और इन पर विदेशी कानून का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया था. यह जेल की सजा पूरी करने के बाद तेजपुर हिरासत केंद्र में बंद थे.

बता दें कि फिलहाल असम के अलग -अलग जिला के डिटेंशन कैंपों में कुल 20 रोहिंग्या हैं, जिनके प्रत्यार्पण की प्रस्तुति भी सजा पूरी करने के बाद कर दी जाएगी. बिना दस्तावेज के मणिपुर के मोरे से यह रोहिंग्या असम में प्रवेश करते हैं. चूंकि पहले से ही संदिग्ध बांग्लादेशियों के रहने के मामले आलोक में हैं इसलिए रोहिंग्याओं को केवल उनके बोली से ही पहचाना जाता है.

फिलहाल असम बॉर्डर पुलिस के पास अवैध रूप से असम में घुसे और रोहिंग्याओं के कोई तथ्य नहीं हैं कारण ये असम को केवल भारत के अन्य हिस्सों में जाने का मार्ग के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. भारत सरकार के तथ्य अनुसार फिलहाल भारत में 40 हज़ार रोहिंग्या अवैध रूप से रह रहे हैं. असम बॉर्डर पुलिस बिना कोताही बरते संदिग्ध रोहिंग्याओं की खोजबीन जगह-जगह पर कर रही है.

म्यांमार देश में बर्मी लोगों के बोलचाल और संस्कृति से बिल्कुल भिन्न रोहिंग्या मुसलमान होते हैं. ये बांग्लादेश से म्यांमार के रखाइन प्रान्त में बहुतायत में बताये जाते हैं. रख़ाइन में कई लोगों का मानना है कि बढ़ती आबादी की वजह से एक दिन वो उनके ज़मीन को हथिया लेंगे.  म्यांमार के समाज और सेना को रोहिंग्याओं से अपनी संस्कृति और राजनैतिक क्षमता के जाने की चिंता सताती हैं. इसलिए इन्हें देश की सीमा से बहार खदेड़ देने की कोशिश की जाती है. इस लिए इन पर अमानवीय जुल्मो सितम भी ढहाये जाते हैं.

म्यांमार में बोली जाने वाली 135 आधिकारिक जातीय समूहों में रोहिंग्या मुसलमानों को गिना नहीं जाता है. म्यांमार के राष्ट्रवादी समूहों ने इस अवधारणा को प्रोत्साहित किया कि रोहिंग्या मुसलमान एक ख़तरा हैं, क्योंकि मुस्लिम पुरुषों की चार पत्नियां और कई बच्चे हो सकते हैं.

बता दें कि असम पहले से ही अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों के संकट से जूझ रहा है. ऐसे में रोहिंग्या संकट चाहे शरणार्थी के तौर पर ही हो, असम के लोग इन्हें शरण देने के पक्ष में नहीं हैं. 

मौसमी चैटर्जी ने भाजपा की सदस्यता ली

फिल्म इंडस्ट्री में शादी के बाद करियर शुरू करना एक हीरोइन के लिए बड़ी चुनौती होती है लेकिन मौसमी ने इस काम को बखूबी किया

फिल्म अभिनेत्री मौसमी चटर्जी ने दिल्ली में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है. इस दौरान पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय मौजूद रहे. मौसमी चटर्जी का जन्म कलकत्ता में हुआ था. उनका करियर इसलिए खास है क्योंकि जयंत मुखर्जी से शादी के बाद उन्होंने फिल्मी करियर शुरू किया था.

फिल्म इंडस्ट्री में शादी के बाद करियर शुरू करना एक हीरोइन के लिए बड़ी चुनौती होती है लेकिन मौसमी ने इस काम को बखूबी किया. वह हिंदी और बंगाली सिनेमा की बड़ी अदाकारा रही हैं.

राजेश खन्ना, शशि कपूर, जितेंद्र, संजीव कुमार और विनोद मेहरा के साथ उन्होंने जो किरदार निभाए, वो काफी प्रसिद्ध हुए. वह हिंदी फिल्मों की छठवीं सबसे महंगी कलाकार थीं.

वह 2004 के बाद सक्रिय राजनीति में वापसी कर रही हैं. उन्होंने बंगाल कांग्रेस से चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गई थीं. बीजेपी में शामिल होने से पहले चटर्जी ने कई बड़े नेताओं से मुलाकात की थी.

जेटली को ठीक करने के उत्साह में राहुल को क्या कह गए डेरेक ओ ब्रायन

बुधवार को लोकसभा में राहुल गांधी पर हमला करते हुए जेटली ने जेम्स बॉन्ड फिल्म का मशहूर डायलोग बोला था

तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत रॉय ने बुधवार को लोकसभा में राफेल मामले पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री अरूण जेटली को घेरा. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने ‘जेम्स बॉन्ड’ फिल्म के एक मशहूर संवाद को गलत ढंग से बोला है. साथ ही तृणमूल नेता डेरेक ओ ब्रायन ने इस मामले में एक ट्वीट भी किया. ब्रायन जेटली की भूल सुधार करते करते कांग्रेस के राहुल गांधी को ही गलत ठहरा गए। किस्सा कुछ यूं हुआ की राहुल गांधी पर हमला करते हुए भी जेटली कुछ नरम रहे।

बुधवार को लोकसभा में राहुल गांधी पर हमला करते हुए जेटली ने कहा, ‘कांग्रेस अध्यक्ष ने जेम्स बॉन्ड फिल्म जरूर देखी होगी, उसमें बॉन्ड कहता है कि- पहली बार आप करते हैं तो गलत होती है, दूसरी बार करते हैं तो संयोग होता है और अगर तीसरी बार करते हैं तो यह षडयंत्र होता है. कांग्रेस अध्यक्ष भी वही कर रहे हैं.’

यहाँ जेटली को ठीक करने के अतिउत्साह में ब्रायन ने राहुल गांधी के बारे में अप्रत्यक्ष क्या बोला जानें। इस बयान पर सौगत रॉय ने कहा कि जेटली ने संवाद गलत ढंग से बोला है. वहीं उन्ही की पार्टी के एक और सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने इस मसले पर ट्वीट किया और जेटली पर निशाना साधा.

Derek O’Brien | ডেরেক ও’ব্রায়েন@derekobrienmp

So FM @arunjaitley misquotes Ian Fleming James Bond in #Parliament to suit himself. Here is the correct quote : “Once is happenstance. Twice is coincidence. Three times is ENEMY ACTION” (How convenient )5112:59 PM – Jan 2, 2019Twitter Ads info and privacy247 people are talking about thisTwitter Ads info and privacy

उन्होंने कहा, ‘जेटली जी, आपकी याददाश्त कमजोर पड़ रही है. सही संवाद यह है- पहली बार आप करते हैं तो गलत होती है, दूसरी बार करते हैं तो संयोग होता है और अगर तीसरी बार करते हैं तो यह शत्रु की कार्रवाई होती है.’ रॉय ने यह भी आरोप लगाया कि वित्त मंत्री ने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के नाम भी सही उच्चारण नहीं किया. अर्थात आप राहुल गांधी को जो षड्यंत्रकारी कह रहे हैं वह गलत है असल में यह एक राष्ट्र के साथ शत्रुता की बात है।

देखें ब्रायन का ब्यान महागठबंधन में और कितनी रुकावट डालता है।

गहलोत ने दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीरें सरकारी संस्थानों और फाइलों में नहीं दिखेंगी

अशोक गहलोत के कैबिनेट ने निर्देश दिया है कि सभी सरकारी दस्तावेजों और लेटर पैड्स पर से दीन दयाल उपाध्याय की फोटो हटाई जाए

राजस्थान में सरकार बदलते ही पुरानी सरकार के फैसलों को बदलने का दौर भी शुरू हो गया है. राज्य के सीएम अशोक गहलोत के कैबिनेट ने निर्देश दिया है कि सभी सरकारी दस्तावेजों और लेटर पैड्स पर से दीन दयाल उपाध्याय की फोटो हटाई जाए. राज्य सरकार ने ये निर्देश सभी विभागों के लिए जारी किया है.

दीन दयाल उपाध्याय RSS विचारक हैं. इससे पहले वसुंधरा राजे की सरकार ने यह फैसला किया था कि सभी सरकारी लेटरपैड और दस्तावेजों पर उपाध्याय की फोटो लगाई जाएगी.

ANI@ANI

Rajasthan cabinet directs removal of photographs of Deen Dayal Upadhyay from Govt documents and from letter pads. The direction has been issued to all the state govt departments53110:48 PM – Jan 2, 2019Twitter Ads info and privacy363 people are talking about thisTwitter Ads info and privacy

राजस्थान की सरकार ने बुजुर्गों के लिए मंथली पेंशन बढ़ाने का भी ऐलान किया है. बुजुर्गों को अब 500 रुपए की जगह 750 रुपए प्रतिमाह पेंशन मिलेंगे. जिन्हें पहले ही 750 रुपए मासिक मिल रहे थे अब उन्हें इसके बदले 1,000 रुपए मिलेंगे.

मध्यप्रदेश में भी नया फरमान

इसके दूसरी तरफ मध्यप्रदेश सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर मीसाबंदियो को दी जाने वाली पेंशन इस महीने से अस्थाई तौर पर बंद कर दिया है और बैंकों को भी इस संबंध में निर्देश जारी कर दिये गए हैं. मीसाबंदी पेंशन को लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि के नाम से भी जाना जाता है. इस संबंध में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने गत 29 दिसंबर को सर्कुलर जारी कर मीसाबंदी पेंशन योजना की जांच के आदेश दिए. सरकार ने बैंकों को भी मीसाबंदी के तहत दी जाने वाली पेंशन जनवरी 2019 से रोकने के निर्देश जारी किए हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान साल 1975 से 1977 के बीच लगे आपातकाल में जेल में डाले गए लोगों को मीसाबंदी पेंशन योजना के तहत मध्य प्रदेश में करीब 4000 लोगों को 25,000 रुपए मासिक पेंशन दी जाती है.

वंदे मातरम विवाद का हल ढूँढने में जुटी कांग्रेस्स

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सॉफ्ट हिन्दुत्व की नीति पर चल रही मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार मंत्रालय में वंदेमातरम का गायन रोक कर एक अनचाहे विवाद में फंस गई है।

 हिन्दुत्व पर साफ्ट होने कार्थ राष्ट्र से मुख मोड़ना नहीं है यह बात शायद कांग्रेस को जल्दी ही समझ आ जाएगी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सॉफ्ट हिन्दुत्व की नीति पर चल रही मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार मंत्रालय में वंदेमातरम का गायन रोक कर एक अनचाहे विवाद में फंस गई है. मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को बैठे-बैठाए सरकार को घेरने का एक मुद्दा भी हाथ लग गया है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस राजनीतिक विवाद को भांपकर विपक्ष पर हमलावर होते हुए कहा है कि मंत्रालय में वंदेमातरम का गायन को जल्द ही नए रूप में प्रस्तुत किया जाएगा.

बाबूलाल गौर के कार्यकाल में शुरू हुआ था वंदेमातरम का गायन

राज्य मंत्रालय में वंदे मातरम गायन की व्यवस्था लगभग चौदह साल पूर्व बाबूलाल गौर के मुख्यमंत्रित्व काल में शुरू हुई थी. इस व्यवस्था के तहत हर माह की पहली तारीख को मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालयों में तैनात अधिकारी एवं कर्मचारी कार्यालय शुरू होने के समय सुबह साढ़े दस बजे वंदे मातरम का सामूहिक गान करते थे. माह की पहली तारीख को अवकाश होने पर अगले कार्यालयी दिवस में वंदेमातरम का कार्यक्रम आयोजित किया जाता था.

पिछले चौदह साल में मुख्यमंत्री ने यदाकदा ही इस कार्यक्रम में रस्मी तौर पर हिस्सा लिया. कभी-कभी कोई मंत्री भी भूले-भटके इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंच जाता था. राज्य मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालयों में बीस हजार से अधिक अधिकारी एवं कर्मचारी तैनात हैं. इसके बाद भी वंदे मातरम के सामूहिक गान कार्यक्रम में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उपस्थिति कभी भी एक हजार का आकंडा नहीं छू पाई.

पिछले कुछ सालों से लगातार वंदे मातरम के गायन को वरिष्ठ अधिकारियों ने भी गंभीरता से लेना बंद कर दिया था. राज्य के मुख्य सचिव इस सामूहिक गायन में आमतौर पर मौजूद रहते थे. पिछले कुछ माह में इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले कर्मचारियों की संख्या भी तेजी से घटी. इसकी वजह मंत्रालय के कर्मचारियों का समय पर कार्यालय न पहुंचना रहा है.

उमा भारती की तिरंगा यात्रा का जवाब माना जाता था वंदे मातरम

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के लिए वंदे मातरम का गायन हमेशा ही राष्ट्र भक्ति साबित करने का बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है. बाबूलाल गौर ने मंत्रालय में वंदे मातरम गायन का निर्णय उन दिनों लिया था, जब उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाए जाने की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी थीं. गौर को अगस्त 2004 में राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था.

गौर, साध्वी उमा भारती के स्थान पर मुख्यमंत्री बनाए गए थे. कर्नाटक के हुबली में दर्ज एक आपराधिक मामले के चलते उमा भारती को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. यह आपराधिक मामला राष्ट्र ध्वज तिरंगा के कथित अपमान से जुड़ा हुआ था.

इस्तीफे के बाद उमा भारती ने तिरंगा यात्रा भी निकाली. तिरंगा यात्रा पूरी होने और हुबली मामले में कोर्ट से मिली राहत के बाद उमा भारती ने गौर को हटाने के लिए पार्टी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था. जवाब में गौर ने एक जुलाई 2005 से मंत्रालय में वंदे मातरम का गायन शुरू कर दिया. यद्यपि इसके बाद भी गौर अपनी कुर्सी नहीं बचा पाए. उनके स्थान पर नवंबर 2005 में शिवराज सिंह चौहान राज्य के मुख्यमंत्री बना दिए गए.

वंदे मातरम के गायन कार्यक्रम में अधिकारी एवं कर्मचारी हिस्सा लें, इसका कोई बंधन सरकार की ओर से नहीं रखा गया था. वर्ष 2019 के पहले ही दिन मंत्रालय में वंदेमातरम का गायन न होने पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने कहा कि इस बारे में मुख्यमंत्री कमलनाथ से बात करेंगे.

बीजेपी की कोशिश लोकसभा चुनाव से पहले गांव-गांव पहुंचे मुद्दा

एक जनवरी को मंत्रालय परिसर में वंदे मातरम का गायन कार्यक्रम न होने पर प्रदेश की राजनीति अचानक गर्म हो गई है. भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे के जरिए एक बार फिर राष्ट्रवाद के मुद्दे को हवा देने में लग गई है. बीजेपी के नेताओं ने सरकार के निर्णय का विरोध करते हुए बुधवार को मंत्रालय के समक्ष वंदे मातरम का सामूहिक गान किया.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वंदेमातरम के गान को बंद करने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कांग्रेस सरकार की राष्ट्र भक्ति पर सवाल खड़े किए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि देश भक्ति से ऊपर कुछ नहीं है. बीजेपी के विधायक छह जनवरी को मंत्रालय के समक्ष वंदे मातरम का सामूहिक गान करेंगे.

सात जनवरी से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है. बीजेपी की योजना विधानसभा के भीतर भी सरकार को घेरने की है. बीजेपी इस मुद्दे के जरिए लोगों को यह बताना चाहती है कि कांग्रेस ने वंदे मातरम के गायन का फैसला अल्पसंख्यक वोटों के तुष्टिकरण के लिए लिया है.

तीन माह बाद लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. इससे पहले बीजेपी गांव-गांव तक इस मुद्दे को ले जाना चाहती है. हाल ही में हुए विधानसभा के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी बहुमत से कुछ कदम ही दूर रह गई थी. बीजेपी 109 सीटें ही जीत पाई थी. जबकि कांग्रेस को 114 सीटें मिली हैं.

बहुमत के लिए 116 सीटों की जरूरत होती है. कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका ज्यादा सीटें जीतने के कारण मिला है. कांग्रेस को विधानसभा में मिली सीटों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपनी कई मौजूदा सीटों को गंवाना पड़ सकता है. वर्तमान में बीजेपी के पास लोकसभा की 29 में से 26 सीटें हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ पार्टी की सॉफ्ट हिन्दुत्व की नीति पर चलते हुए गाय रक्षा का एजेंडे का प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखे हुए हैं.

कमलनाथ ने अधिकारियों से साफ शब्दों में कहा है कि उन्हें सड़क पर गाय नहीं दिखना चाहिए. सरकार पंचायत स्तर पर गौशाला खोलने की तैयारी भी कर रही है. साधु-संतों को साधने के लिए आध्यात्म विभाग भी बनाया जा रहा है.

वंदे मातरम का गायन नहीं होगा,इसकी खबर सिर्फ चंद अफसरों को थी

वंदे मातरम के मुद्दे पर तेज हुई सियासत के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि किसी की राष्ट्र भक्ति सिर्फ वंदे मातरम के गाने से तय नहीं की जा सकती. कमलनाथ ने बचाव में कहा कि वे वंदे मातरम के गान की परंपरा को नए रूप में जल्द ही शुरू करेंगे.

एक जनवरी को मंत्रालय में वंदे मातरम का गान नहीं होगा इसकी जानकारी सिर्फ चुनिंदा अफसरों को ही थी. सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 29 दिसंबर को एक परिपत्र जारी किया था, जिसमें एक जनवरी को वंदे मातरम के सामूहिक गान के कार्यक्रम की सूचना सभी कर्मचारियों की दी गई थी. सूचना जरूर जारी की गई लेकिन, कार्यक्रम की तैयारियां नहीं की गईं.

पुलिस बैंड को भी सूचित नहीं किया गया. कुछ अधिकारी कर्मचारी निर्धारित समय पर मंत्रालय परिसर में पहुंचे लेकिन, वहां तैयारी न देख अपनी सीट पर चले गए. मुख्यमंत्री कमलनाथ भोपाल से बाहर थे. वे अपने निर्वाचन क्षेत्र छिंदवाड़ा से सीधे उज्जैन महाकाल के दर्शन करने के लिए चले गए थे. राज्य के नए मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने भी नए साल के पहले दिन ही कार्यभार ग्रहण किया था.

ट्रिपल तालाक बिल राज्य सभा में मुंह के बल गिरेगा: कांग्रेस महासचिव

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि लोकसभा में जब यह विधेयक पेश किया गया था तब 10 विपक्षी दल इसके खिलाफ खुल कर सामने आए थे

शनिवार को कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि उनकी पार्टी तीन तलाक विधेयक को इसके मौजूदा रूप में राज्यसभा में पारित नहीं होने देगी. वेणुगोपाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस अन्य दलों को साथ लेकर विधेयक को इसके मौजूदा रूप में पारित नहीं होने देगी.

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि लोकसभा में जब यह विधेयक पेश किया गया था तब 10 विपक्षी दल इसके खिलाफ खुल कर सामने आए थे. कांग्रेस नेता ने कहा कि यहां तक कि अन्नाद्रमुक और तृणमूल कांग्रेस ने भी इस विधेयक का खुल कर विरोध किया है. गौर करने वाली बात यह है कि अन्नाद्रमुक ने कई मुद्दों पर बीजेपी नीत सरकार का समर्थन किया है.

लोकसभा में पास हो चुका है बिल

उन्होंने कहा कि यह विधेयक महिलाओं को सशक्त करने में कोई मदद नहीं करेगा. गौरतलब है कि गुरुवार को लोकसभा में यह विधेयक पारित हुआ था. उम्मीद की जा रही है कि अगले सप्ताह राज्यसभा में इस पर विचार किया जा सकता है. कांग्रेस महासचिव का यह भी कहा है कि इस विधेयक को लेकर कांग्रेस नीत यूपीए या केरल में पार्टी नीत यूडीएफ में कोई भ्रम नहीं है.

संसद के निचले सदम में यह बिल ध्वनी मत से पास हो चुका है और अगर यह राज्यसभा में भी पास हो जाता है तो यह कानून बन जाएगा. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक बीजेपी नेता और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि इस बिल पर राजनीति नहीं की जानी चाहीए. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह बिल किसी एक समुदाय के खिलाफ नहीं है.

‘The Accidental Prime Minister’ is BJP’s propaganda against our party, say Congress leaders

It’s a ‘riveting tale of how a family held the country to ransom for 10 long years,’ says BJP

“The Accidental Prime Minister”, a film starring Anupam Kher as Manmohan Singh, is BJP’s propaganda against their party, Congress leaders said on Friday as the former Prime Minister evaded comment on the growing controversy over the film on him.

The trailer of the film, based on the book of the same name by Sanjay Baru who served as Mr. Singh’s media advisor from 2004 to 2008, was released in Mumbai on Thursday.

The trailer shows Mr. Singh as a victim of the Congress’ internal politics ahead of the 2014 general election.

“Riveting tale of how a family held the country to ransom for 10 long years. Was Dr Singh just a regent who was holding on to the PM’s chair till the time heir was ready? Watch the official trailer of ‘TheAccidentalPrimeMinister’, based on an insider’s account, releasing on 11 January,” the BJP said on Thursday night.

Congress chief spokesperson Randeep Surjewala said on Twitter that such fake propaganda by the party would not stop it from asking the Modi government questions on “rural distress, rampant unemployment, demonetisation disaster, flawed GST, failed Modinomics, all pervading corruption.”

Asked by journalists to comment on the film at the Congress’s foundation day function at the party headquarters on Friday, Dr. Singh walked away without saying anything.

Truth shall prevail, says Gehlot

Congress leader and Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot said propaganda against the Congress and its leaders would not work and the truth shall prevail.

Mr. Gehlot’s party colleague PL Punia accused the BJP of evading answers on its ”misgovernance” after having ”failed” on all fronts.

“This is the handiwork of the BJP. They know that time has come to give answers after completion of five years and they are now trying to divert attention by raising such issues and evade answering to the public after its government failed on all fronts,” he said.

National Conference leader Omar Abdullah tweeted, saying, “Can’t wait for when they make The Insensitive Prime Minister. So much worse than being the accidental one.”