ममता का सत्ताग्रह

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सबसे पहले ये समझिए कि इस सीबीआई vs ममता विवाद की जड़ क्या है ? आपको पश्चिम बंगाल के सारदा और Rose Valley घोटाले याद होंगे, जिनमें ममता बनर्जी की पार्टी के कई नेता फंसे हुए हैं. ये घोटाले करीब 19 हज़ार 500 करोड़ रुपये के हैं. इसमें 17 लाख से भी ज़्यादा लोगों का पैसा फंसा हुआ है. 

इन्हीं घोटालों के संबंध में CBI कोलकाता के मौजूदा पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ करना चाहती है. इसके लिए राजीव कुमार को कई बार Summon किया गया, लेकिन वो नहीं आए. कल शाम को CBI के अफसरों की एक टीम राजीव कुमार से पूछताछ करने के लिए उनके घर जाना चाहती थी. लेकिन कोलकाता पुलिस ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया. काफी देर तक ये ड्रामा होता रहा. इसके बाद कोलकाता पुलिस, CBI के करीब 25 अधिकारियों को लेकर थाने चली गई. और दो घंटे तक उन्हें हिरासत में रखा. 

इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने CBI के खिलाफ कल रात 9 बजे से कोलकाता में धरना शुरू कर दिया. और इस धरने में उनके साथ कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार भी शामिल हैं. ये धरना इस वक़्त भी जारी है. ममता बनर्जी की उम्र 64 वर्ष है, लेकिन इस उम्र में भी अपने राजनीतिक धरने के लिए उनके पास ऊर्जा की कोई कमी नहीं है.
 
ममता बनर्जी ने पूरे घटनाक्रम को राजनीतिक रंग दे दिया. और ये आरोप लगाए कि CBI केन्द्र सरकार के इशारे पर काम कर रही है. और देश का संघीय ढांचा खतरे में है. इसके साथ ही ममता बनर्जी के इस धरने के खिलाफ देश भर की विपक्षी पार्टियां इक्कठी हो गईँ. ममता बनर्जी के धरने को चंद्रबाबू नायडू, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव समेत बहुत से नेताओं का समर्थन मिल गया है. राहुल गांधी, पहले ममता बनर्जी का विरोध करते थे, उन पर सवाल उठाते थे. लेकिन अब उन्होंने यू-टर्न ले लिया है. आगे हम इस पर भी विस्तार से बात करेंगे. 

एक मुख्यमंत्री के तौर पर ममता बनर्जी के जितने भी काम थे, वो आज उन्होंने इसी धरना स्थल से किए. ममता बनर्जी ने इसी धरना स्थल पर कैबिनेट की मीटिंग की, किसानों की रैली को संबोधित किया और पुलिसवालों को कुछ अवॉर्ड्स भी दिए. यानी ममता बनर्जी ने पूरी तैयारी की हुई है और वो इस धरने को एक तरह की राजनीतिक Vacation बनाना चाहती हैं?

हालांकि राजनीतिक लाभ के लिए देश की संस्थाओं की हत्या करना बहुत ख़तरनाक है. और जब भी ऐसा होता है, तो देश विखंडित हो जाता है. और देश के छोटे छोटे राज्य भी.. संविधान के नैतिक दायित्वों का उल्लंघन करने लगते हैं. ज़रा सोचिए कि क्या अब भारत में वो समय आ गया है जब पश्चिम बंगाल जाने के लिए वीज़ा लगेगा? वहाँ ना तो भारत का पासपोर्ट चलेगा और न ही भारत की नागरिकता मान्य होगी ? अगर यही फॉर्मूला देश के दूसरे राज्यों में चल निकला, तो कुछ दिन बाद मायावती,लालू यादव और चंद्रबाबू नायडू सहित विपक्षी दलों के तमाम नेता अपना अलग देश बना लेंगे. और वो परिस्थिति भारत की अखंडता के लिए शुभ नहीं होगी. 
 
बड़ा सवाल ये है कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI को किसी राज्य में पूछताछ और कार्रवाई करने का अधिकार है या नहीं ? अगर किसी राज्य में कोई घोटाला हुआ है, तो वहां जांच के लिए CBI नहीं जाएगी तो कौन जाएगा? क्या ममता बनर्जी अपने नेताओं और पुलिस अधिकारियों पर लगे आरोपों की जांच, अपनी ही पुलिस से करवाना चाहती हैं? वैसे CBI को ये जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सौंपी गई थी, तो क्या ये भी मान लिया जाए कि ममता बनर्जी को इस देश के सुप्रीम कोर्ट पर भी विश्वास नहीं है? 

अगर कल को ममता बनर्जी की तरह ही देश के हर राज्य का मुख्यमंत्री ये कह दे कि उसे CBI पर विश्वास नहीं है और अगर CBI उसके राज्य में कोई कार्रवाई करेगी, तो वो CBI के अफसरों को गिरफ्तार करवा देगा, तो फिर क्या होगा? क्या ये देश के संघीय ढांचे के साथ छेड़छाड़ नहीं होगी? इस तरह तो मायावती, लालू यादव और चंद्रबाबू नायडू सहित विपक्षी दलों के तमाम नेता, अपनी मनमानी करके.. एक तरह से अपना अलग देश बना लेंगे. और वो परिस्थिति भारत की अखंडता के लिए शुभ नहीं होगी. 

CBI के अधिकारियों को हिरासत में लेने के पीछे कोलकाता पुलिस का पहला तर्क ये था कि इन अधिकारियों के पास कोई वॉरंट या कागज़ नहीं थे. जबकि हमारे पास CBI की वो पत्र मौजूद है, जो पुलिस कमिश्नर के घर जाने से पहले CBI के अधिकारियों ने पुलिस को लिखा था. 
 
ये पत्र CBI ने कल कोलकाता पुलिस को लिखी थी. इस चिट्ठी में CBI ने सुरक्षा की मांग की है. CBI ने लिखा है कि उसे कोलकाता पुलिस के कमिश्नर राजीव कुमार के घर पर एक Secret Operation करना है, इसलिए उन्हें सुरक्षा दी जाए. ये चिट्ठी CBI के पुलिस इंस्पेक्टर प्रसेनजीत मुखर्जी की तरफ से लिखी गई है. 
 
अब आपको ये बताते हैं कि कोलकाता पुलिस ने CBI के अधिकारियों के साथ कैसा व्यवहार किया ? आज पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है और इस रिपोर्ट में बहुत बड़े खुलासे हुए हैं. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पश्चिम बंगाल पुलिस और राज्य सरकार ने कानून व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा कर दी है. रिपोर्ट में लिखा है कि ना सिर्फ CBI के अधिकारियों को रोका गया, बल्कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने उनके मोबाइल फोन और कागज़ात भी छीन लिए. CBI के बहुत से अधिकारियों, और यहां तक कि महिला अधिकारियों के साथ भी बुरा व्यवहार किया गया. और उन्हें थाने में अवैध हिरासत में रखा गया. 

रिपोर्ट में लिखा है कि ना सिर्फ CBI के अफसरों को बल्कि CBI के Joint डायरेक्टर पंकज श्रीवास्तव के परिवार को भी परेशान किया गया. पश्चिम बंगाल पुलिस ने पंकज श्रीवास्तव के घर की घेराबंदी कर दी थी और इस दौरान उनकी पत्नी और बेटी को परेशान किया गया. हमने कल रात से अब तक के इस घटनाक्रम पर एक रिपोर्ट तैयार की है. ये एक हाई वोल्टेज राजनीतिक ड्रामा था. इसके हर एक पहलू के बारे में आपको पता होना चाहिए.

अब आपको उस व्यक्ति के बारे में बताते हैं, जिसकी वजह से पश्चिम बंगाल में राजनीति की आग लगी हुई है. और ममता बनर्जी और CBI के बीच ये पूरा हंगामा हुआ है. ये व्यक्ति हैं कोलकाता पुलिस के कमिश्नर राजीव कुमार जो ममता बनर्जी के साथ धरने पर बैठे हुए हैं. आपके मन में भी ये सवाल ज़रूर आ रहा होगा कि इन घोटालों में राजीव कुमार की क्या भूमिका है? 

राजीव कुमार की उम्र 53 वर्ष है. वो 1989 बैच के IPS अफसर हैं. IPS का मतलब होता है – Indian Police services. यानी भारतीय पुलिस सेवा. लेकिन उनका जो आचरण है वो इससे मेल नहीं खाता. वो ममता बनर्जी के साथ धरने पर बैठकर भारत की नहीं बल्कि ममता बनर्जी की सेवा कर रहे हैं. 

राजीव कुमार चिट फंड घोटालों के लिए राज्य सरकार की तरफ से बनाई गई Special Investigation Team यानी SIT के प्रमुख थे. उन्होंने 2013 में सारदा और Rose Valley घोटाले की जांच की थी. लेकिन 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ये दोनों मामले CBI को सौंप दिए. बाद में CBI ने आरोप लगाया कि राजीव कुमार ने कई Documents, Pen Drive और जांच से जुड़े Mobile Phones उसे नहीं सौंपे. इस बारे में राजीव कुमार को कई बार समन भेजा गया लेकिन वो CBI के सामने पेश नहीं हुए. CBI के मुताबिक इन्‍हीं सबूतों के सिलसिले में उसके अधिकारी रविवार रात राजीव कुमार के आवास पर गए थे.
  
इस पूरे घटनाक्रम के पीछे दो बड़े घोटाले छिपे हुए हैं. जिनका नाम है सारदा चिटफंड घोटाला और Rose Valley घोटाला. और जब तक आपको इन घोटालों की जानकारी नहीं होगी, आपको इस केस की गंभीरता का पता नहीं चलेगा. आप ये नहीं समझ पाएंगे कि ममता बनर्जी किस तरह भ्रष्टाचारियों को बचा रही हैं? पूरे देश में ममता बनर्जी की राजनीति की बात हो रही है. Mamta vs Modi जैसी राजनीतिक शब्दावली का प्रयोग हो रहा है. लेकिन कोई भी उन लोगों की बात नहीं कर रहा जिन्होंने घोटाले में अपना सब कुछ गंवा दिया.

सारदा घोटाले में देश के कई राज्यों के लाखों गरीबों के जीवन भर की कमाई, कुछ ताकतवर लोगों ने लूट ली, और अपनी जेबें भर लीं. गरीबों की कमाई से इन ताकतवर लोगों ने जमकर अय्याशी की…टीवी चैनल खोले…बेहिसाब पैसा जुटाया….और गरीबों को धोखा दे दिया. इसमें सत्ता के तंत्र से लेकर मीडिया तक, सब शामिल रहे.
 
सारदा ग्रुप ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा सहित देश के कई राज्यों में करीब 17 लाख लोगों से करोड़ों रुपये जुटाए. Ponzi Schemes के ज़रिए लोगों को बड़े मुनाफे का लालच दिया गया और बाद में इन योजनाओं के Agents ने दुकानें बंद कर ली. 2013 में सारदा ग्रुप का घोटाला सामने आया और ये घोटाला करीब ढाई हज़ार करोड़ रुपये का बताया गया. सारदा ग्रुप के 17 लाख निवेशक थे, और घोटाला सामने आने के बाद पूरे बंगाल में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए. यहां तक कि सारदा ग्रुप की स्कीम में पैसा लगाने वाले करीब 311 एजेंटों और लोगों ने खुदकुशी भी कर ली. वर्ष 2013 में घोटाला सामने आने के बाद इसके मुख्य आरोपी और सारदा ग्रुप के चेयरमैन सुदीप्तो सेन को गिरफ्तार किया गया. 

सारदा ग्रुप के ज़रिए जिन लोगों ने अपनी जेबें भरीं और जिनका नाम इस घोटाले में आया…उनमें से कई मंत्री और सांसद भी थे, जिन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार भी किया था लेकिन इनमें से ज़्यादातर आरोपी ज़मानत पर बाहर आ चुके हैं. इस लिस्ट में तृणमूल कांग्रेस के निलंबित सांसद कुणाल घोष, ममता बनर्जी सरकार के पूर्व परिवहन मंत्री मदन मित्रा, तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद श्रृंजॉय बोस, पश्चिम बंगाल के पूर्व डीजीपी और तृणमूल कांग्रेस के नेता रजत मजूमदार और तृणमूल कांग्रेस के सांसद तापस पॉल हैं. इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के नेता मतंग सिंह भी जेल से बाहर आ चुके हैं . यानी इस घोटाले में बहुत बड़े बड़े लोगों के नाम शामिल हैं. अब आपको Rose Valley घोटाले के बारे में बताते हैं. 
 
ये घोटाला भी सारदा घोटाला की तरह ही हुआ था. ये करीब 17 हज़ार करोड़ रुपये का घोटाला है. इस घोटाले में लोगों से किश्तों में पैसे लिए जा रहे थे. और उन्हें ये भरोसा दिया जा रहा था कि उन्हें मकान दिए जाएंगे और विदेश यात्राएं करवाई जाएंगी. निवेशकों के पास ये भी विकल्प था कि अगर वो चाहें तो सारी किश्त जमा होने के बाद अच्छे खासे ब्याज़ पर अपने पैसे वापस भी ले सकते हैं. इसका मास्टरमाइंड था गौतम कुंडू जो इस Rose Valley Group का चेयरमैन था. लेकिन पैसा जमा होने के बाद लोगों को ना तो पैसे मिले और ना ही विदेश यात्राएं. केन्द्र सरकार ने दखल दिया. और निवेशकों को उनका पैसा लौटाने का आदेश दिया. लेकिन इस स्कीम में पैसा लगाने वाले लोगों को उनका पैसा आज तक वापस नहीं मिला. 
 
हमने आज ऐसे बहुत से लोगों से बात की है, जिन्हें आज भी अपना पैसा वापस मिलने की आस है. सबसे बड़ा विरोधाभास ये है कि इस पूरे मामले में ममता बनर्जी, सारदा और Rose Valley घोटाले के पीड़ितों के साथ अन्याय कर रही हैं. CBI इस मामले के दोषियों पर कार्रवाई करना चाहती है. लेकिन ममता बनर्जी CBI की कार्रवाई के खिलाफ़ ही धरना दे रही हैं और इसे सत्याग्रह बता रही हैं. जबकि असलियत में ये सत्याग्रह नहीं, बल्कि सत्ताग्रह है. 

ममता पर नितीश: ‘नेताओं को अब केवल वोट की चिंता है. देश की नहीं, देश की चिंता कौन करता है?’

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जब ये पूछा गया कि अगर बिहार में ऐसा होता, तो वो क्या करते? इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या हम आपको ऐसे लगते हैं. हमारे यहां किसी अधिकारी पर दाग नहीं है. हम लोग ऐसा काम नहीं करते हैं. 

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बंगाल में सीबीआई की जांच को लेकर ममता बनर्जी के धरने पर सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन ये जरूर कहा है कि चुनाव आचार संहिता लगने में अभी एक महीने या उससे कुछ ज्यादा है. इस दौरान देश में कुछ भी हो सकता है, क्योंकि नेताओं को अब केवल वोट की चिंता है. देश की नहीं, देश की चिंता कौन करता है?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जब ये पूछा गया कि अगर बिहार में ऐसा होता, तो वो क्या करते? इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या हम आपको ऐसे लगते हैं. हमारे यहां किसी अधिकारी पर दाग नहीं है. हम लोग ऐसा काम नहीं करते हैं. 

लोक संवाद के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बात की और कहा कि देश की स्थिति ठीक नहीं है. चुनाव नजदीक है, जब तक चुनाव की घोषणा नहीं होती है और देश में आदर्श चुनाव आचार संहिता नहीं लगती है, तब तक कुछ भी हो सकता है. कटुता का माहौल बनाया जा रहा है. आगे भी ऐसी घटना हो सकती है. मुख्यमंत्री ने ममता बनर्जी के धरने पर कहा कि इसका जवाब उनको ही देना चाहिए, आखिर वो क्यों ऐसा कर रही हैं. हमारी आदत जवाब देने की नहीं है. हम व्यवस्था के मुताबिक काम करते हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी घटनाएं तात्कालिक होती हैं, जिनका देश और लोगों पर कोई ज्यादा असर नहीं होता है. लोग घटनाओं को जल्दी ही भूल जाते हैं, उन्हें ये सब याद तक नहीं रहता है. बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने संबंधी सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ये काम कांग्रेस के समय में होता था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के मुताबिक फैसला दिया, जिससे काफी चीजें ठीक हो गईं. अब ऐसा नहीं हो सकता है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश ऐसे आते रहे हैं.

सीएम ने कहा कि 2005 में बिहार में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था, लेकिन उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ था. कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की थी. फैसले को गलत करार दिया था, लेकिन उसी समय चुनावों की घोषणा हो गयी थी. इसलिए ये अनुभव ठीक नहीं है. 

कुछ तो बोलेंगे राहुल
पटना में रैली के दौरान राहुल गांधी के बयान पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि चुनाव है, तो कुछ तो बोलेंगे ही. पटना विश्वविद्यालय के बारे में उनको किसी ने बता दिया होगा और लगा होगा कि ये सेंटिमेंटल फैसला है, इसलिए घोषणा कर दी. उन्होंने कह कि जब यूपीए की सरकार थी, तो क्यों नहीं पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया. अब इसलिए बात कर रहे हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए थे और उनके सामने हमने मुद्दा उठाया था, जिसको खारिज कर दिया गया था. इसीलिए राहुल गांधी ने मुद्दा उठाया होगा. 

बिहार की विकास दर क्या है
मुख्यमंत्री ने कहा कि राहुल गाधी के बेरोजगारी संबंधी बयान पर मत जाइये. आप इस बात पर गौर कीजिये कि बिहार की विकास दर क्या है? हाल में ही आंकड़ा आया है जिसे आप देख सकते हैं. यहां जो काम हो रहे हैं, उनके बारे में पता कीजिए. जब मैं आया था तब विकास दर क्या था और अब क्या है. उन्होंने पहले पर कैपिटा इनकम क्या थी और अब क्या है. फर्क खुद ही पता चल जायेगा. 

महागठबंधन है कहां?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक सवाल के जवाब में कहा कि राहुल गांधी ने पटना में रैली के दौरान एक बार भी महागठबंधन का नाम नहीं लिया. वो बार-बार गठबंधन बोल रहे थे, तो ऐसे में महागठबंधन है कहां? महागठबंधन का नाम तो हमने दिया था. 

राशि के बारे में नहीं जानते
मुख्यमंत्री ने कहा कि राहुल गांधी की मिनिमन इनकम गारंटी योजना के बारे में सुना है, लेकिन कितनी राशि दी जायेगी, इसके बारे में जानकारी नहीं है. अगर किसी के पास उसका टेप है, तो भेज दें. जानकारी मिलने के बाद ही हम कोई प्रतिक्रिया देंगे, लेकिन ये सिर्फ चुनाव का मुद्दा है. इसे किस तरह से पूरा किया जाएगा ये देखना होगा. चुनाव के समय कुछ भी बोल देना आसान होता है.

आंध्रा में कांग्रेस मूर्छित अवस्था में: किशोर चंद्र देव

नयी दिल्ली, तीन फरवरी:

पूर्व केंद्रीय मंत्री वी किशोर चंद्र देव ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उनका आरोप है कि कांग्रेस आंध्र प्रदेश में ‘‘मूर्छित’’ अवस्था में है और संगठन में नयी जान फूंकने के लिए पार्टी ने पिछले चार साल में कोई कदम

नई दिल्ली : 

सत्तारूढ़ बीजेपी को हटाकर केंद्र की कुर्सी पर काबिज होने की पुरजोर कोशिश में जुटी कांग्रेस को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बड़ा झटका लगा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री वी किशोर चंद्र देव (V Kishore Chandra Deo) ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस आंध्र प्रदेश में ‘मूर्छित’अवस्था में है और संगठन में नई जान फूंकने के लिए पार्टी ने पिछले चार साल में कोई कदम नहीं उठाया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को लिखे दो वाक्य के पत्र में देव (V Kishore Chandra Deo) ने कहा कि वह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं. देव पिछले करीब 45 साल से कांग्रेस के सदस्य थे. हाल में उन्हें पार्टी की नवगठित आदिवासी शाखा ‘अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस’ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. साल 2011 में वह मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री रह चुके हैं.
वह आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे हैं. वी किशोर चंद्र देव (V Kishore Chandra Deo) ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने तो मेरी ओर से जाहिर की गई चिंताएं और मेरे सुझाव भी नहीं पढ़े, ऐसे में उन पर अमल की बात क्या करूं. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उस पार्टी को छोड़ने का फैसला करना काफी तकलीफदेह है जिसकी सेवा मैंने 45 साल तक की है. उन्होंने कहा कि वह आने वाले दिनों में अपने भविष्य की रणनीति तय करेंगे. हालांकि उन्होंने राजनीति छोड़न से इनकार किया है.

आपको बता दें कि पिछले हफ्ते ही पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था. माल्दा (उत्तर) से पार्टी सांसद मौसम बेनजीर नूर ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था. दिवंगत कांग्रेस नेता एबीए गनी खान चौधरी की भतीजी नूर ने राज्य सचिवालय ‘नबन्ना’ में ममता बनर्जी से मुलाकात की, जिसके बाद उनके टीएमसी में शामिल होने की घोषणा की ग

सीबीआई V/s बंगाल पुलिस राजीव कुमार के खिलाफ है पर्याप्त आधार: एम. नागेश्वर राव

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीच बढ़ते तनाव के बीच राज्य पुलिस और सीबीआई के बीच टकराव के हालात देखने को मिले.

कोलकाता: चिटफंड घोटालों के सिलसिले में कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ के लिए पहुंची केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों की एक टीम को रविवार रात पश्चिम बंगाल पुलिस ने हिरासत में लेकर छोड़ दिया.  इसको लेकर सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर एम. नागेश्वर राव ने कहा, ”हम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इन चिट फंड मामलों की जांच कर रहे हैं. कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की अध्यक्षता में शीर्ष अदालत के निर्देश से पहले पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ने एसआईटी का गठन भी किया गया था.”

राव ने बताया, ”उनका (राजीव कुमार) सबूतों को नष्ट करने और न्याय में बाधा डालने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उन्होंने घोटाले से जुड़े सभी सबूतों और दस्तावेजों को जब्त कर लिया है. वे सभी दस्तावेजों को सौंपने में हमारा सहयोग नहीं कर रहे हैं और बहुत सारे सबूत नष्ट हो गए हैं या गायब हो गए हैं.”

हम कोलकाता पुलिस प्रमुख से पूछताछ करने गए थे
सीबीआई के संयुक्त निदेशक पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि एजेंसी के अधिकारी कोलकाता पुलिस प्रमुख राजीव कुमार के आवास पर उनसे चिटफंड मामले में पूछताछ करने गए थे और ‘अगर वह हमारा सहयोग नहीं करते तो हम उन्हें हिरासत में लेते’.

कोलकाता पुलिस प्रमुख से पूछताछ करने की सीबीआई की कोशिश ने उस समय अप्रत्याशित मोड़ ले लिया जब उन्हें पुलिस प्रमुख के आवास में प्रवेश करने से रोका गया. इसके बाद सीबीआई के अधिकारियों को पुलिस जीप से थाने ले जाया गया और हिरासत में ले लिया गया.

यह भी पढ़ें: जानिए कौन हैं कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार, जिनको बचाने के लिए धरने पर बैठीं ममता
इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पुलिस प्रमुख के आवास पर पहुंची और केंद्र सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध लेने का आरोप लगाया. जैसे को तैसा का कदम उठाते हुए कोलकाता के पुलिस अधिकारियों की एक टीम सीजीओ परिसर पहुंची. यहां सीबीआई का राज्य मुख्यालय है.

कोलकाता में पुलिस ने सभी सीबीआई अफसर छोड़े, CBI दफ्तरों पर सीआरपीएफ तैनात
तेजी से हो रहे इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ हम पुलिस प्रमुख के आवास पर जांच के लिए पहुंचे थे. और अगर वह हमारा सहयोग नहीं करते तो हम उन्हें हिरासत में लेते.’

उनसे जब पुलिस अधिकारियों द्वारा सीबीआई कार्यालयों की घेराबंदी और उनके खुद के घर की घेराबंदी करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे भी हिरासत में लिया गया और मेरे घर के बाहर पुलिस अधिकारी खड़े हैं.’

कोलकाता पुलिस का बयान
संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) प्रवीण त्रिपाठी ने बताया कि सीबीआई अधिकारियों को पूछताछ के बाद थाने से जाने दिया गया है. त्रिपाठी ने कहा, ‘‘ उन्होंने कहा कि वह यहां एक गुप्त अभियान के लिए आए थे. हमें नहीं पता कि यह किस तरह का अभियान है.’ बाद में शाम में केंद्रीय बल कोलकाता के सीबीआई कार्यालय पहुंचे, जिसकी घेराबंदी शहर की पुलिस पहले ही कर चुकी है.

कोलकाता पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर प्रवीण त्रिपाठी ने बताया कि सीबीआई अधिकारियों की एक टीम बिना किसी कागजात के आई थी, जिसे उन्होंने ‘सीक्रेट’ कहा था. जब प्रवीण त्रिपाठी से पूछा गया कि ऑपरेशन किस बारे में है, तो वे संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं दे सके.

कल एक मुख्यमंत्री कोलकाता पहुँच रहे हैं! उनके जाने से लोकतंत्र की रक्षा होगी: कुमार विश्वास

कोलकाता: पश्‍च‍िम बंगाल में रविवार (3 फरवरी) को कोलकाता पुलिस कमिश्‍नर से पूछताछ करने गई सीबीआई की टीम को राज्‍य पुलिस ने हिरासत में ले लिया था. इसके बाद ममता बनर्जी केंद्र सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गईं. उन्होंने केंद्र सरकार पर देश के संवैधानिक ढांचे को तोड़ने के प्रयास का आरोप लगाया था. ममता बनर्जी ने अपने बयान में लोकतंत्र को बचाने की दुहाई दी. वहीं, इस मामले पर आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य और कवि कुमार विश्वास ने तंज कसते हुए ट्वीट किया है.

Dr Kumar Vishvas@DrKumarVishwas

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कल एक मुख्यमंत्री कोलकाता पहुँच रहे हैं ! उनके जाने से लोकतंत्र की रक्षा होगी ! पर आज एक मुख्यमंत्री को कोलकाता में प्रवेश से रोक दिया गया था, क्यूँकि उनके आने से लोकतंत्र नष्ट हो जाता ! 20.4K10:29 PM – Feb 3, 2019Twitter Ads info and privacy9,438 people are talking about this

कुमार विश्वास ने ट्वीट करते हुए लिखा, ”कल एक मुख्यमंत्री कोलकाता पहुंच रहे हैं. उनके जाने से लोकतंत्र की रक्षा होगी. पर आज एक मुख्यमंत्री को कोलकाता में प्रवेश से रोक दिया गया था, क्यूंकि उनके आने से लोकतंत्र नष्ट हो जाता.” विश्वास ने इस मामले पर सिलसिलेवार कई ट्वीट किये. गौरतलब है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सोमवार (4 फरवरी) को पश्चिम बंगाल जाएंगे. वहीं, रविवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ममता सरकार ने रैलीस्थल पर हेलीकॉप्टर उतारने की अनुमति नहीं दी थी. इसके बाद योगी ने फोन से रैली को संबोधित किया था.

Dr Kumar Vishvas@DrKumarVishwas

ये दोनों तरफ़ के मल्लों की चुनावी कसरत है लेकिन देश और उसकी लोकतांत्रिक संस्थाओं के वैश्विक सम्मान के लिए ख़राब वक़्त है ! फिर कह रहा हूँ,अपने नेताओं-दलों को वोट दीजिए पर प्राथमिकता में पहले देश और उसके लोकतंत्र को रखिए.सत्ताएँ आती-जाती रहेंगी पर ऐसी हरकतें हमारी साख पर खरोंच हैंDr Kumar Vishvas@DrKumarVishwasहद्द है ! अपने-अपने खूँटों से बँधे गधे, अपने-अपने मालिकों के हक़ में रेंक रहे है पर देश के संवैधानिक संस्थानों की इस फ़ज़ीहत पर कोई बोलने को तैयार नहीं ? अपने मल्लयुद्ध में, बड़ी मेहनत से बने इस महान लोकतंत्र, उसकी संस्थाओं और राज्यों की स्वायत्तता को दाँव पर मत लगाओ करमजलो 2,1779:07 PM – Feb 3, 2019Twitter Ads info and privacy606 people are talking about this

एक अन्य ट्वीट में विश्वास ने लिखा कि ये दोनों तरफ के मल्लों की चुनावी कसरत है लेकिन देश और उसकी लोकतांत्रिक संस्थाओं के वैश्विक सम्मान के लिए ख़राब वक़्त है. फिर कह रहा हूं, अपने नेताओं-दलों को वोट दीजिए पर प्राथमिकता में पहले देश और उसके लोकतंत्र को रखिए. सत्ताएं आती-जाती रहेंगी पर ऐसी हरकतें हमारी साख पर खरोंच हैं.

Dr Kumar Vishvas@DrKumarVishwas

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हद्द है ! अपने-अपने खूँटों से बँधे गधे, अपने-अपने मालिकों के हक़ में रेंक रहे है पर देश के संवैधानिक संस्थानों की इस फ़ज़ीहत पर कोई बोलने को तैयार नहीं ? अपने मल्लयुद्ध में, बड़ी मेहनत से बने इस महान लोकतंत्र, उसकी संस्थाओं और राज्यों की स्वायत्तता को दाँव पर मत लगाओ करमजलो 8,4748:12 PM – Feb 3, 2019Twitter Ads info and privacy2,402 people are talking about this

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए लिखा कि हद्द है. अपने-अपने खूंटों से बंधे गधे, अपने-अपने मालिकों के हक में रेंक रहे हैं पर देश के संवैधानिक संस्थानों की इस फजीहत पर कोई बोलने को तैयार नहीं. अपने मल्लयुद्ध में, बड़ी मेहनत से बने इस महान लोकतंत्र, उसकी संस्थाओं और राज्यों की स्वायत्तता को दांव पर मत लगाओ करमजलो.

आपको बता दें कि पश्‍च‍िम बंगाल में रविवार को उस समय अभूतपूर्व स्‍थ‍िति बन गई, जब कोलकाता पुलिस कमिश्‍नर राजीव कुमार से पूछताछ करने गई सीबीआई की टीम को राज्‍य पुलिस ने हिरासत में ले लिया. इसके बाद सीबीआई की टीम को हिरासत में लेकर पुलिस स्‍टेशन ले जाया गया. ये मामला सारदा चिट फंड से जुड़ा हुआ है. इसी मामले से संबंधित कुछ फाइलें गायब थीं, इसलिए सीबीआई राजीव कुमार से पूछताछ करने गई थी. इसके बाद सीबीआई अफसरों को हिरासत में ले लिया गया.

इति‍हास में ये पहली बार हो रहा है, जब पुलिस ने सीबीआई अधि‍कारि‍यों को ही गिरफ्तार कर लिया. मौके पर पुलिस और अधिकारियों के बीच हाथापाई भी हुई. कोलकाता पुलिस ने सीबीआई के 5 अधि‍कारि‍यों को गि‍रफ्तार कर लि‍या है. हालांकि बाद में उन्‍हें छोड़ दि‍या गया.

अब वक्‍त आ गया है कि‍ बंगाल में राष्‍ट्रपति शासन लगाया जाए: अधीर रंजन चौधरी

file photo : Adhir Ranjan Choudhary

ममता vs सीबीआई मामले में बंटी कांग्रेस, राहुल समर्थन में तो सांसद बोले-सीएम डाकुओं के साथ राहुल गांधी ने इस घटनाक्रम के बाद ममता बनर्जी का समर्थन करते हुए कहा, हम आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, लेकिन उनकी ही पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ममता बनर्जी डाकुओं और चोरों के साथ खड़ी हैं.

नई दिल्‍ली पश्‍च‍िम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी सरकार और सीबीआई के बीच छिड़ी जंग के बीच कांग्रेस उलझ गई है. इस मामले में पश्‍च‍िम बंगाल कांग्रेस ने अपनी राय जहां ममता बनर्जी के खिलाफ दी है तो वहीं कांग्रेस आलाकमान बंगाल की सीएम के साथ खड़ा नजर आ रहा है. राहुल गांधी ने इस घटनाक्रम के बाद ममता बनर्जी का समर्थन करते हुए कहा, हम आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, लेकिन उनकी ही पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ममता बनर्जी डाकुओं और चोरों के साथ खड़ी हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बनर्जी से फोन पर बात की और उनके प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि पूरा विपक्ष एकजुट है और यह फासीवादी ताकतों को हराएगा. राहुल ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल का घटनाक्रम भारत की संस्थाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भाजपा के निरंतर हमलों का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस कंधे से कंधा मिलाकर ममता के साथ है.

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कांग्रेस ने कहा कि कोलकाता में सीबीआई की कार्रवाई स्पष्ट तौर पर शक्ति का गलत इस्तेमाल करने और संघीय राजनीति पर ‘हमला’ करने जैसा है और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह द्वारा सार्वजनिक तौर पर दी गई ‘धमकी’ के 48 घंटे के भीतर आया है. पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि बनर्जी को लेकर नरेंद्र मोदी और शाह की दुर्भावना काफी जहरीली है. भाजपा और नरेंद्र मोदी राज्य में विवाद पैदा करने के लिए बेचैन हैं.

राज्‍य में कांग्रेस के दिग्‍गज नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जांच की जा रही है. लेकि‍न ममता बनर्जी डाकुओं और चोरों के साथ खड़ी हैं. ये कैसा राज्‍य है, जहां भ्रष्‍ट पुलिस अधिकारी के बचाव में वह धरना प्रदर्शन कर रही हैं. अधीर रंजन चौधरी ने कहा अब वक्‍त आ गया है कि‍ बंगाल में राष्‍ट्रपति शासन लगाया जाए.

अधीर रंजन चौधरी तृणमूल के कट्टर आलोचक
अधीर रंजन चौधरी ने तो साफ कर दिया है कि भले उनकी पार्टी आलाकमान की कुछ भी सोच हो, लेकिन वह सोचते हैं कि इस मामले में ममता बनर्जी गलत हैं, क्‍योंकि वह अपनी आंखों से रोजाना प्रदेश में गलत होता देख रहे हैं. बता दें कि अधीर रंजन चौधरी ही वह नेता हैं, जो कांग्रेस और तृणमूल के गठबंधन के सबसे ज्‍यादा खिलाफ हैं.

रोज वैली और शारदा चिटफंड मामला क्या है जानें

रोज वैली और शारदा चिटफंड मामले में कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ के लिए सीबीआई उनकी तलाश कर रही है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक उनकी गिरफ्तारी भी तय हो चुकी है. सीबीआई सूत्रों का कहना है कि चिटफंड मामले में राजीव कुमार शक के घेरे में हैं. पूछताछ के लिए उन्होंने कुमार को दो बार समन भी भेजा, लेकिन वो जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.

रोज वैली और शारदा चिटफंड मामले में फरार पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के निवास पर सीबीआई के 40 अधिकारियों की एक टीम पहुंची थी. दरअसल, रोज वैली स्कैम 15000 करोड़ रुपए और शारदा चिट फंड में 2500 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है.

रोज वैली घोटाला

रोज वैली घोटाले पर काफी वक्त से हड़कंप मचा हुआ है. इसमें कई बड़े नेताओं का नाम भी शामिल होने की बात सामने आ चुकी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाकर चूना लगाने वाले इस समूह के पैर राजनीति, रियल एस्टेट और फिल्म जगत तक पसरे हुए थे. दरअसल, रोज वैली चिटफंड घोटाले में रोज वैली ग्रुप ने लोगों 2 अलग-अलग स्कीम का लालच दिया और करीब 1 लाख निवेशकों को करोड़ों का चूना लगा दिया था. आशीर्वाद और होलिडे मेंबरशिप स्कीम के नाम पर ग्रुप ने लोगों को ज्यादा रिटर्न देने का वादा किया. जिसके बाद लोगों ने भी इनकी बातों में आकर इसमें निवेश कर दिया. ग्रुप एमडी शिवमय दत्ता इस घोटाले के मास्टरमाइंड बताए जाते हैं.

शारदा चिटफंड घोटाला

पश्चिम बंगाल की एक चिटफंड कंपनी शारदा ग्रुप ने लोगों को लुभावने ऑफर देकर चूना लगा दिया. शारदा चिटफंड ने लालच दिया कि सागौन से जुड़े बॉन्ड्स में निवेश कर 34 गुना ज्यादा रिटर्न हासिल किया जा सकेगा. इसके लिए 25 साल का लॉकिंग पीरयड बताया गया था. मसलन, अगर आप 1 लाख रुपए का निवेश करते हैं तो 25 साल बाद आपको 34 लाख रुपए मिलते. हालांकि ये बस एक लोगों को लालच देकर ठगी करने का पैंतरा था. वहीं आलू के बिजनेस में 15 महीनों के भीतर ही रकम डबल करने का सपना भी इस ग्रुप ने दिखाया. लालच में आकर 10 लाख लोगों ने निवेश किया और आखिर में कंपनी पैसों के साथ फरार हो गई.

वहीं इन चिटफंड घोटालों की जांच करने वाली पश्चिम बंगाल पुलिस की SIT टीम का नेतृत्व 2013 में राजीव कुमार ने किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक सीबीआई सूत्रों का कहना है कि एसआईटी जांच के दौरान कुछ खास लोगों को बचाने के लिए घोटालों से जुड़े कुछ अहम सबूतों के साथ या तो छेड़छाड़ हुई थी या फिर उन्हें गायब कर दिया गया था. इसी सिलसिले में सीबीआई कुमार से पूछताछ करने चाहती है. राजीव कुमार पश्चिम बंगाल कैडर के 1989 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं. रोज वैली और शारदा चिटफंड मामले में सीबीआई ने अब तक 80 चार्जशीट फाइल की हैं जबकि एक हजार करोड़ से ज्यादा रुपए रिकवर कर लिए गए हैं.

पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार भी ममता के साथ धरने पर बैठे

कोलकाता में चिटफंड घोटाले से जुड़ा जबरदस्त हंगामा सामने आया है. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी धरने पर बैठ गई हैं. बनर्जी को कल यानी सोमवार को पश्चिम बंगाल की विधानसभा में बजट भाषण देना था. अब वह धरना स्थल से ही विधानसभा को फोन के जरिए संबोधित करेंगी.

इसके अलावा खबर ये भी मिली है कि कोलकाता पुलिस ने सीबीआई के जिन अधिकारियों को हिरासत में लिया था उन्हें छोड़ दिया गया है. साथ ही सीबीआई के दफ्तर के बाहर मौजूद पुलिसकर्मियों को भी हटा लिया गया है.

दरअसल कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर चिटफंड घोटालों के मामले की पूछताछ के लिए रविवार को सीबीआई की एक टीम पहुंची लेकिन वहां तैनात पुलिस ने सीबीआई को घर में घुसने से रोक दिया. इस दौरान सीबीआई अधिकारियों और मौजूद पुलिस के बीच टकराव की स्थिति भी बन गई क्योंकि कोलकाता पुलिस सीबीआई के कुछ अधिकारियों को जबरदस्ती नजदीक के थाने में ले गई.

मामले के सामने आने के बाद बंगाल की सियासत में तूफान आ गया. खुद सीएम ममता बनर्जी राजीव कुमार के लाउडन स्ट्रीट स्थित आवास पहुंच गईं. सीबीआई ने शनिवार को दावा किया था कि राजीव कुमार फरार चल रहे हैं और शारदा व रोज वैली चिटफंड घोटालों के सिलसिले में उनकी तलाश की जा रही है. इस दावे के एक दिन बाद सीबीआई के करीब 40 अधिकारियों की एक टीम रविवार शाम कुमार के आवास पर पहुंची थी, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया.

कुछ ही देर बाद कोलकाता पुलिस के अधिकारियों की एक टीम सीबीआई अधिकारियों से बातचीत के लिए मौके पर पहुंची और यह पता लगाने की कोशिश करने लगी कि क्या उनके पास कुमार से पूछताछ करने के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स थे.

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पुलिस कमिश्नर के घर के बाहर खड़े सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम इस मुद्दे पर अभी कोई बात नहीं करना चाहते. देखते हैं कि क्या होता है. थोड़ा इंतजार करें.’

बाद में सीबीआई अधिकारियों की एक छोटी सी टीम को बात करने के लिए शेक्सपियर सरनी पुलिस थाने ले जाया गया. कुछ और लोगों के मौके पर पहुंचने पर हंगामा हो गया. जिसके बाद सीबीआई अधिकारियों को जबरन पुलिस थाने ले जाया गया.

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इस मामले पर क्या कहा

हंगामे के बीच सीएम ममता बनर्जी वहां पहुंच गईं. वह पहले ही राजीव कुमार के प्रति अपना समर्थन जता चुकी थीं. रविवार सुबह ही उन्होंने राजीव कुमार को देश का सबसे बेस्ट पुलिस ऑफिसर बताया था.

ममता ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी, पुलिस और अन्य सभी संस्थाओं पर नियंत्रण हासिल करने के लिए सत्ता का गलत इस्तेमाल कर रही है. यह सारा विवाद पीएम मोदी की साजिश है इसलिए उनके घर पर सीबीआई भेजी गई.

ममता ने कहा, ये कार्यवाही पीएम मोदी के बंगाल दौरे के बाद हो रही हैं. उनके घर पर काम करने वालों से भी पूछताछ हो रही है. ये सब एनएसए अजीत डोभाल के इशारे पर हो रहा है लेकिन राजीव कुमार दुनिया के सबसे बेहतरीन अधिकारियों में से एक हैं.

बनर्जी ने यह भी कहा, ‘चिटफंड मामले में हमने जांच और गिरफ्तारी की, इसके बाद भी सीबीआई की इतनी हिम्मत कैसे हुई कि कोलकाता के कमिश्नर के घर बिना वारंट के पहुंच गई.’ उन्होंने कहा कि यह भारतीय संघीय ढांचे पर हमला है इसलिए तमाम विपक्षी दल एक होकर मोदी हटाओ देश बचाओ की मुहिम चलाएं.

ममता की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार भी सामने आए. हालांकि उन्होंने मीडिया से बातचीत नहीं की. ममता ने कहा कि यह कार्रवाई बदले की भावना से की गई है. सीबीआई बिना वारंट के पुलिस कमिश्नर के ऑफिस पहुंची थी.

उन्होंने कहा, ‘मैं इस घटना से दुखी हूं. देश में अपातकाल है और मैं संविधान बचाने के लिए हड़ताल पर बैठूंगी. बंगाल में कल बजट पेश होना है लेकिन मैं इस कार्यवाही के चलते मेट्रो सिनेमा के बाहर धरने पर बैठूंगी.’

ममता ने कहा, कोलकाता पुलिस प्रमुख के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध वाली है, प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पश्चिम बंगाल में तख्तापलट की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि तृणमूल कांग्रेस ने यहां विपक्ष की रैली का आयोजन किया था. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर सीबीआई को निर्देश दे रहे हैं.

ममता बनर्जी ने चिटफंड घोटाला मामले में सीबीआई के साथ दस्तावेज साझा करने पर कहा, कानून-व्यवस्था राज्य का मामला है, हम क्यों आपको (सीबीआई) सब कुछ दे दें. मैं संविधान की रक्षा के लिए आज रात धरने पर बैठूंगी और इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन करूंगी.

क्या है चिटफंड घोटालों से जुड़ा पूरा मामला

सीबीआई के मुताबिक, चिटफंड घोटालों की जांच के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा गठित एसआईटी की अगुवाई कर चुके आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार से गायब दस्तावेजों और फाइलों के बारे में पूछताछ करनी है, लेकिन उन्होंने जांच एजेंसी के सामने पेश होने के लिए जारी नोटिसों का कोई जवाब नहीं दिया.

सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल कैडर के 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी कुमार ने चुनावी तैयारियों की समीक्षा के लिए पिछले दिनों कोलकाता आए चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था. रविवार को कोलकाता पुलिस ने एक बयान जारी कर उन खबरों को सिरे से खारिज किया था कि राजीव कुमार ड्यूटी से गायब हैं.

पुलिस ने अपने बयान में कहा था, ‘कृपया इस बात पर ध्यान दें कि कोलकाता के पुलिस कमिश्नर न केवल शहर में उपलब्ध हैं बल्कि नियमित तौर पर ऑफिस आ रहे हैं. सिर्फ 31 जनवरी 2019 को वह ऑफिस नहीं आए, क्योंकि उस दिन उन्होंने छुट्टी ली थी. इसलिए सभी संबंधित पक्ष इस बात पर गौर करें कि अगर बिना जांच के कोई खबर फैलाई जाती है तो कोलकाता के पुलिस कमिश्नर और कोलकाता पुलिस दोनों की मानहानि का मामला चलाया जाएगा.’

कोलकाता में पु‍लिस कम‍िश्‍नर के घर पहुंचे सीबीआई अधिकारियों को लिया ‘हि‍रासत’ में

कोलकाता: पश्‍च‍िम बंगाल में रविवार को उस समय अभूतपूर्व स्‍थ‍िति बन गई, जब कोलकाता पुलिस कमिश्‍नर राजीव कुमार से पूछताछ करने गई सीबीआई की टीम को राज्‍य पुलिस ने हिरासत में ले लिया. इसके बाद सीबीआई की टीम को हिरासत में लेकर पुलिस स्‍टेशन ले जाया गया. ये मामला शारदा चिट फंड से जुड़ा हुआ है. इसी मामले से संबंधित कुछ फाइलें गायब थीं, इसलिए सीबीआई राजीव कुमार से पूछताछ करने गई थी. इसके बाद सीबीआई अफसरों को हिरासत में ले लिया गया.


West Bengal: Police detains the CBI team which had reached the residence of Kolkata Police Commissioner Rajeev Kumar. The team has now been taken to a police station.

कहा जा रहा है कि विद्यानगर पुल‍िस ने कोलकाता में सीबीआई दफ्तर पर कब्‍जा कर लिया है. उधर जब ये हाईप्रोफाइल ड्रामा चल रहा था, उसी समय मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी पुलिस कम‍िश्‍नर से मिलने के लिए पहुंच गईं.

सीबीआई ने शनिवार को बताया कि राजीव कुमार फरार हैं और सीबीआई उनकी तलाश कर रही है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक उनकी गिरफ्तारी भी तय हो चुकी है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई सूत्रों ने कहा, चिटफंड मामले में राजीव कुमार शक के घेरे में हैं. सूत्रों ने कहा, पूछताछ के लिए उन्होंने कुमार को दो बार समन भी भेजा, लेकिन वो जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.रिपोर्ट के मुताबिक कोलकाता में पिछले कुछ दिनों से कुमार चुनाव आयोग की मीटिंग में भी शामिल नहीं हो रहे, जिसकी वजह से सीईसी (CEC) ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. हालांकि इस मामले में कोलकाता पुलिस के सीनियर अधिकारियों का कहना है कि कुमार फरार नहीं हैं.

ममता बनर्जी ने मांगी EC से माफी

वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बाद में संवाददातों के जरिए ईसी से माफी मांगते हुए कहा था कि कुमार फिलहाल छुट्टी पर हैं. ममता बनर्जी ने कहा, ये बहुत ही छोटी बात है. कुमार इस वक्त छुट्टी पर हैं. लेकिन फिर भी चुनाव आयोग ने पूछा है तो हम माफी मांगते हैं. इसके अलावा ममता बनर्जी ने ये भी कहा था कि ईसी ने हमसे कहा था कि वो सभी पुलिस अधिकारी जो अपनी पोस्ट पर 3 साल से ज्यादा समय से हैं या अपनी होम डिस्ट्रिक्ट में हैं तो उनका ट्रांसफर होना चाहिए. बनर्जी ने बताया कि इस मामले में 15 से 20 फरवरी तक काम पूरा हो जाएगा.

CBI ने भेजी थी डीजीपी को चिट्ठी

इससे पहले सीबीआई ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को चिट्ठी भेजी थी, जिसमें उन्होंने लिखा था कि सीबीआई 4 पुलिस अधिकारियों से पूछताछ करना चाहती है. इन चार लोगों में राजीव कुमार, रेलवे के इंस्पेक्टर जनरल तमल बासु, कोलकाता पुलिस के एडिशनल कमिश्नर विनीत कुमार गोयल और रिटायर्ड आईपीएस ऑफिसर पल्लब कांति घोष भी शामिल हैं.

क्यों पूछताछ करना चाहती है CBI ?

दरअसल ये सभी लोग चिटफंड घोटालों की जांच करने वाली पश्चिम बंगाल पुलिस की SIT टीम का हिस्सा थे. इस टीम का नेतृत्व 2013 में राजीव कुमार ने किया था. रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई सूत्रों का कहना है कि एसआईटी जांच के दौरान कुछ खास लोगों को बचाने के लिए घोटालों से जुड़े कुछ अहम सबूतों के साथ या तो छेड़छाड़ हुई थी या फिर उन्हें गायब कर दिया गया था. इसी सिलसिले में सीबीआई कुमार से पूछताछ करने चाहती है. राजीव कुमार पश्चिम बंगाल काडर के 1989 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं.

रोज वैली और शारदा चिटफंड मामले में सीबीआई ने अबतक 80 चार्जशीट फाइल की हैं जबकि एक हजार करोड़ से ज्यादा रुपए रिकवर कर लिए गए हैं.

अवार्ड वापसी गैंग फिर सक्रिय

मणिपुर के जाने माने फिल्मकार और कम्पोजर अरिबम श्याम शर्मा ने 2006 में प्राप्त पद्म श्री सम्मान को वापस कर दिया है. 

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले देश में एक बार फिर अवार्ड वापसी गैंग सक्रिय हो गया है. मणिपुर के जाने माने फिल्मकार और कंपोजर अरिबम श्याम शर्मा ने 2006 में प्राप्त पद्म श्री सम्मान को वापस कर दिया है. बताया जा रहा है कि उन्होंने यह सम्मान नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में किया है. रविवार को इंफाल स्थित अपने आवास से अरिबम ने सम्मान को वापस करते हुए कहा कि ‘नागरिकता बिल के विरोध में उन्होंने ये सम्मान वापस करने का फैसला किया है. 

फिल्मकार अरिबम ने सम्मान वापस करते समय कहा कि, मणिपुर वासियों को इस वक्त सबसे अधिक सुरक्षा की जरूरत है. जहां एक तरफ लोकसभा में 500 से अधिक सदस्य हैं. वहीं सिर्फ एक या दो सदस्य ही लोकसभा में मणिपुर की तरफ से हैं. उत्तर पूर्वी हिस्से की आवाज सदन में नहीं पहुंचती. यहां के लोगों के लिए अधिक सुरक्षा और व्यवस्था की जरूरत है.

क्या है नागरिकता संशोधन बिल 
नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी के बाद ही असम में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ है. प्रस्तावित विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है. असम के लोगों को मानना है कि नागरिकता संशोधन बिल 2016 को कैबिनेट की मिली स्वीकृति के बाद असम की संस्कृति और असमिया अस्तित्व खत्म हो जाएगा. विरोधियों का कहना है कि इस विधेयक की वजह से कि इसका संवेदनशील सीमावर्ती राज्य की भौगोलिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ेगा. और विधेयक के प्रावधान से 1985 का असम समझौता खत्म हो जाएगा . जिसमें मार्च 1971 के बाद राज्य में प्रवेश करने वाले सभी अवैध प्रवासियों को वापस भेजे जाने का प्रावधान है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों. 

बिहार चुनाव के दौरान शुरू हुआ था अवार्ड गैंग
आापको बता दें कि इससे पहले साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने दावा किया था है कि उनके पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि 2015 का तथाकथित ‘अवार्ड वापसी’ अभियान का मकसद राजनीतिक था और उसका मकसद बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र सरकार को बदनाम करना था. हिंदी लेखक और कवि अशोक वाजपेई की अगुवाई में 2015 में 50 से अधिक साहित्यकारों ने अपने पुरस्कार यह कहते हुए वापस कर दिए थे कि मोदी सरकार के आने के बाद देश में असहिष्णुता बढ़ गई है.

पुरस्कार वापसी अभियान राजनीति से प्रेरित था ताकि मोदी सरकार बदनाम हो : विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने अपनी पत्रिका दस्तावेज में दस पेज के एक लेख में इन बातों का जिक्र किया था. समाचार पत्र इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार अशोक वाजपेई ने इन दावों को खारिज किया था. वाजपेई कहा कि जिन लोगों ने पुरस्कार वापस किए, उनमें से ज्यादातर एक दूसरे को जानते तक नहीं थे और पुरस्कार इसलिए वापस किए गए क्योंकि देश में पैदा हुए हालात लेखकों से एकजुटता की मांग कर रहे थे.

लेखकों के तीन समूह
तिवारी ने ‘एवार्ड-वापसी की सच्चाई और इसके पीछे का पाखंड’ शीर्षक वाले अपने लेख में लिखा था कि चार महीने तक चल ये अभियान लेखकों के तीन समुहों द्वारा प्रेरित था. पहला- जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से घृणा करते थे, दूसरा- जो सरकार को बदनाम करना चाहते थे और तीसरा- ऐसे लेखक जो अपना प्रचार चाहते थे. तिवारी ने लिखा, ‘मेरे पास सबूत है कि अवार्ड वापसी स्वतःस्फूर्त नहीं था और इसे पांच लेखकों ने योजना बनाकर शुरू किया था. इसमें से कई ऐसे हैं जो पीएम मोदी के सत्ता में आने के पहले से एंटीमोदी सभा कर रहे थे.’

उन्होंने लिखा था कि ये अभियान पीएम मोदी, साहित्य अकादमी और खुद तिवारी के प्रति उनकी घृणा का परिणाम था. उन्होंने इस समय के मैसेज और पत्र भी प्रकाशित किए जो उन लेखकों ने भेजे थे, जिन पर पुरस्कार उनके साथ पुरस्कार वापस करने के लिए दबाव बना रहे थे. उन्होंने कहा कि इस अभियान को चलाने वाले कई लोग लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान लालू प्रसाद यादव की जीत का जश्न मना रहे थे.