राजीव कुमार को उनके करी के प्रति सजगता और घोटालों की हवा निकालने की काबलियत की वजह से पश्चिम बंगाल सरकार ने कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को आर्थिक अपराध राज्य निदेशालय तथा कोलकाता पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है. गृह विभाग के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि राजीव कुमार ने शहर पुलिस आयुक्त का अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद हाल ही में राज्य सीआईडी प्रमुख का पद संभाला है. वह आगामी आदेश तक दो विभागों का अतिरिक्त प्रभार भी संभालेंगे.
राज्य के गृह विभाग ने बीते शुक्रवार देर शाम यह आदेश जारी किया. राजीव कुमार 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी है. वह शारदा चिट फंड और रोज वैली घोटालों में सीबीआई की जांच को लेकर विवाद में घिर गए थे. सीबीआई के अधिकारियों के एक दल को तीन फरवरी को उस समय कुमार के आवास में जाने से रोक दिया गया था जब वह चिट फंड घोटाला मामले में उनसे पूछताछ करने गए थे. उस समय राजीव कुमार कोलकाता पुलिस आयुक्त थे.
इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी संवैधानिक नियमों पर हमले के खिलाफ धरने पर बैठ गई थीं. उच्चतम न्यायालय ने 5 फरवरी को राजीव कुमार को आदेश दिया था कि वह मामले की जांच के संबंध में सीबीआई के समक्ष पेश हों. कोर्ट ने यह भी कहा था कि राजीव कुमार के खिलाफ बलपूर्वक कोई कदम नहीं उठाया जाए. इसके बाद सीबीआई ने कुमार से शिलॉन्ग में 5 दिन तक पूछताछ की थी
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/mamata-kolkata-police-chief-7.jpg422759Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-03-02 18:44:082019-03-02 18:44:11ममता ने सौंपा राजीव कुमार को एसटीएफ़ का अतिरिक्त प्रभार
लोकसभा चुनाव में वामदलों को सीट देने में लालू यादव की कोई रुचि नहीं है.
कमलाकांत मिश्र ‘मधुकर’ की बेटी ने भी मोतिहारी सीट को लेकर भेंट करने की कोशिश की थी लालू नहीं मिले
कन्हैया कुमार का राजनाइटिक भविष्य तो यहीं तय हो गया की बेगूसराय सीट पर उन्हे अपने दम पर ही लड़ना होगा क्योंकि राज्य परिषद की उनकी उम्मीदवारी पर भी ग्रहण लगता दीख पड़ता है।
बिहार की भूमि पर राजनीतिक रूप से सक्रिय तीनों वाम दल क्रमशः सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन अगले महाभारत में अकेले(अपने दम खम पर) चुनाव लड़ेंगे
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की लोकप्रियता के सहारे बिहार में खुद को पुर्नजीवित करने की वामदलों, खासकर सीपीआई और सीपीएम, की रणनीति दम तोड़ती नजर आ रही है. भरोसेमंद सूत्र का कहना है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि महाभारत 2019 में सीपीआई और सीपीएम की भागीदारी की उन्हें कोई जरूरत नहीं है.
सीपीआई के एक कद्दावर नेता ने भी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘लोकसभा चुनाव में हमलोगों को सीट देने में लालू यादव की कोई रुचि नहीं है. वो नहीं चाहते हैं कि वामदल फिर से बिहार में जिंदा होकर अपने पैरों पर चल सकें.’
पिछले दो सप्ताह से बिहार के वामदलों के कई शीर्ष नेता लालू यादव से मिलने का अथक प्रयास कर रहे हैं. यहां तक कि सीपीआई के मूर्धन्य नेता रहे कमलाकांत मिश्र ‘मधुकर’ की बेटी ने भी मोतिहारी सीट को लेकर भेंट करने की कोशिश की थी. लेकिन आरजेडी सुप्रीमो ने उन सभी से मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
सीपीआई के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने बातचीत में स्वीकार किया, ‘लालू यादव से मिलने के लिए बीते दो शनिवार को हमलोगों ने अर्जी लगाई थी लेकिन सफलता नहीं मिली’.
इसी बीच सीपीआई की बेगूसराय जिला कार्यकारिणी ने 16 फरवरी को सर्वसम्मति से कन्हैया कुमार का नाम चुनाव लड़ने के लिए फाइनल करके राज्य परिषद को भेज दिया है. समझा जाता है कि इस सप्ताह कन्हैया कुमार के अलावा और 4 सीटों के लिए उम्मीदवारों का नाम राज्य परिषद अनुमोदन करके नेशनल एक्जिक्यूटिव कमेटी को अंतिम मुहर लगाने के लिए भेज देगी.
स्टेट सेक्रेटरी सत्यनारायण सिंह तथा सीपीआई राष्ट्रीय परिषद के सदस्य राम नरेश पांडेय ने बतौर पर्ववेक्षक बेगूसराय जिला परिषद की बैठक में शिरकत की थी. सत्यनाराण सिंह का कहना है कि किसी सूरत में बेगूसराय लोकसभा सीट से सीपीआई लड़ेगी. कन्हैया कुमार ही उम्मीदवार होंगे. वैसे कुछ दिन पहले बयान जारी कर जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष ने कहा है कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे.
कन्हैया कुमार को बेगूसराय सीट से उम्मीदवार बनाए जाने और वामदलों को महागठबंधन में उचित स्थान देने के सवाल पर सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी तथा सीपीआई नेता डी राजा भी क्रमशः जनवरी 12 और 19 को रांची जेल में लालू यादव से मुलाकात कर चुके हैं. सूत्र बताते हैं कि डी राजा ने आरजेडी सुप्रीमो से रिक्वेस्ट की कि बेगूसराय को जोड़कर कम से कम तीन सीट सीपीआई के लिए छोड़ दें. उसी तरह सीताराम येचुरी ने बिहार के राजनीतिक क्षितिज पर आईसीयू में सांस ले रही अपनी पार्टी के लिए दो लोकसभा सीटों की मांग की है.
महागंठबधन से जुड़े एक नेता का कहना है, ‘हमारे कुनबे में चुनावी जंग में भागीदारी के लिए उसी पार्टी और नेता को तरजीह दी जाती है जिसके घर में या तो ‘लक्ष्मी’ का वास हो या फिर पॉकेट में वोट का जखीरा हो. जगजाहिर है कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में बिहार में वाम दलों के पास इन दोनों संसाधनों में से कोई पर्याप्त मात्रा में मौजूद नहीं है.
हां, सीपीआई (एमएल) लिबरेशन यानी माले के पीछे अच्छा खासा जन समर्थन है. इसीलिए हमारे नेता लालू यादव के दिल में इनके प्रति स्नेह का भाव है. हो सकता है कि आरा की लोकसभा सीट माले के खाते में चली जाए. 1989 चुनाव में माले के रामेश्वर प्रसाद ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था. माले का अपना मजबूत आधार वोट है.’
चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू यादव प्रत्येक शनिवार को तीन लोगों से मुलाकात करते हैं. 16 फरवरी को आरजेडी चीफ अपने छोटे बेटे और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव से मिले. काफी देर तक बातचीत हुई. लेकिन अर्जी लगने के बाद भी वामदलों के नेताओं से मिलने से मना कर दिया.
कयास लग रहा है कि आरजेडी सुप्रीमो ने तेजस्वी यादव को आरजेडी कोटे से किस सीट पर कौन व्यक्ति चुनाव लड़ेगा इसकी सूची दे दी है. यह भी चर्चा में है कि जेल में बंद पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने उत्तराधिकारी पुत्र को यह भी बता दिया है कि महागठबंधन में शामिल कांग्रेस, रालोसपा, वीआईपी, बीएसपी और हम सेकुलर पार्टियों को कौन सीटें दी जाएंगी.
बहरहाल, महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों की बटवारे की घोषणा इस महीने के अंतिम सप्ताह में की जानी की पूरी संभावना है. वैसे आरजेडी के एक नेता ने बताया कि एनडीए की सूची आने तक हमलोगों द्वारा इंतजार किया जा सकता है. जो भी हो, लेकिन एक बात तो लगभग क्लियर हो गई है कि वामदलों के लिए महागठबंधन में कोई जगह नहीं है.
ऐसी परिस्थति में बिहार की भूमि पर राजनीतिक रूप से सक्रिय तीनों वाम दल क्रमशः सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन अगले महाभारत में एकला तलवार भाजेंगे. कुछ सीटों पर आपसी तालमेल कर सकते हैं. वैसे जानकारी के लिए पड़ोसी राज्य झारखंड में भी महागठबंधन ने वामदलों को लोकसभा की कुल 14 सीटों में से एक सीट भी नहीं दी है, जिसे लेकर वामदलों में नाराजगी है.
वामदल की नाराजगी को दूर करने के लिए झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार ने 16 फरवरी को कहा, ‘विधानसभा चुनाव में हमलोग लेफ्ट पार्टियों को उचित जगह और सम्मान देंगे.’
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/Yechury.jpg300600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-20 04:42:402019-02-20 04:42:44छतीसगढ़ की तरह बिहार में भी महागठबंधन में पीछे छूटते वामदल
Modi acknowledged SP patriarch’s praise with folded hands and later made a mention of Mr. Yadav’s “blessings” in his speech. He clearly let the world know that he does not like Akhilesh backing the prime ministerial candidature of Mayawati or Mamata Banerjee or Rahul Gandhi. He would rather see Modi return as prime minister.
On the final day of the 16th Lok Sabha’s last session of Parliament, Samajwadi Party patron Mulayam Singh Yadav sprang a surprise, showering praise on Prime Minister Narendra Modi and appreciating his efforts to try and take everyone along and all sections of the House along.
Then came what many in the Opposition benches would call a surprise of surprises — his parting wish of the 16th Lok Sabha was that in the 17th Lok Sabha, he would like to see Modi return as prime minister. “Pradhan Mantri ko badhaai dena chahta hoon ki pradhan mantri ne sabko saath lekar chalne ki koshish ki hai. Main aap ka aadar garta hoon aapka samman karta hoon. Main kehna chahta hun ki saare sadasya phir se jeet kar aayen, aur aap, Pradhan Mantriji, dobara pradhan mantri banein.” (I want to congratulate the prime minister for trying to take everyone along. I respect you, I honour you. I want to see all present members of the House get elected as MPs and you, Mr Prime Minister, become prime minister again). Mulayan then gestured towards Modi with folded hands.
Modi laughed and responded with folded hands. A surprised Sonia Gandhi first laughed and then was seen talking to NCP leader Supriya Sule. Mulayam went on thanking Modi for his leadership. The former Uttar Pradesh chief minister’s words were music to the ears of the Treasury benches. This came at a time when the BJP’s biggest challenge in the upcoming Lok Sabha election is to come from Uttar Pradesh.
The newly-formed Samajwadi Party-BSP alliance is arithmetically very strong and has the potential to adversely impact the BJP’s prospects in the state where it had won 73 (including two by its ally, Apna Dal). The BJP could use Mulayam’s statement as its key electoral issue in Uttar Pradesh to say there can’t be a greater endorsement for Modi’s work as prime minister and his re-election than somebody like Mulayam’s rich praise.
The significance of Mulayam’s statement lay in the fact that he is considered to the original ‘dharti-putra‘ — a self-made, rooted-to-ground and wily politician from the politically-critical Hindi heartland state. His line of politics is otherwise diametrically opposed to that of Modi and the BJP’s Hindutva politics. Although he is not in the best of health, his son Akhilesh Yadav has snatched the reins of authority in his own party, but the Samajwadi Party patriarch’s wish is still a command for a section of party followers, at least among the older generations of Yadavs. “Netaji”, as he is fondly called, is still admired by old-time Samajawdis in Uttar Pradesh.
By saying what he said in his last speech in the 16th Lok Sabha (nobody is quite sure whether he will fight the coming election), which could well be his last speech on the floor of the House, it becomes hugely significant for a vast mass of Samajwadi Party cadres. He has clearly indicated that he is not happy with the way son Akhilesh has yielded space to Mayawati’s BSP, bending to terms dictated by Mayawati. He clearly let the world know that he does not like Akhilesh backing the prime ministerial candidature of Mayawati or Mamata Banerjee or Rahul Gandhi. He would rather see Modi return as prime minister.
When Akhilesh Yadav had sidelined Mulayam in the run up to the Uttar Pradesh Assembly election and struck an alliance with Rahul, giving the Congress 100 seats, it was said that Mulayam was not happy with the decision, but he didn’t say son in public. The 2017 Assembly election spelled doom for the Samajwadi Party. Mulayam perhaps foresees a similar situation for his party in the next parliamentary election, a party he built with decades of hard work.
Outside of the House, Rahul Gandhi, at a press conference, disagreed with Mulayam’s remarks. The BJP is already going gaga over this. It has got the ammunition its so desperately required to puncture the Samajwadi Party-BSP alliance. The BJP and RSS with its huge organisational machinery will do everything in its power to swing it in its favour.
When Modi’s turn came to speak, to make concluding remarks of his present tenure on floor of the House in Lok Sabha, he ended his speech by “specially thanking” Mulayam. Modi called his tenure as the “beginning of his first innings”.
The other loaded message that he gave was giving credit to a “full majority government” and in turn, to 125 crore Indians for voting overwhelmingly in 2014. He obviously hopes that people will repose the same trust in him in the coming election. Dalit icon BR Ambedkar and Mahatma Gandhi came in for repeated reference in his speech, so was the crackdown on black money and corruption.
His sarcasm was reserved for Rahul Gandhi, albeit without mentioning the Congress president’s name — that the five-year tenure of the Lok Sabha is over, but “no earthquake” was felt (Rahul had famously said that there would be an earthquake if he was allowed to speak) inside the House, but some tried to fly paper airplanes (senior Congress leaders had done that while protesting against Rafale deal). Then he referred to Rahul’s hug and wink, stating that he learned the difference between gale lagna and gale padna.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/Ulayam-Modi.jpg168300Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-13 16:19:182019-02-13 16:19:20In Parliament, Mulayam says he wishes to see Modi as PM again
अखिलेश यादव का इलाहाबाद जाने का निर्णय पूर्णतया राजनीति से प्रेरित जान पड़ता है। अखिलेश के सचिव गंगा राम को लिखे गए पत्र के अनुसार विषविद्यालय अपने पूर्व के कटु अनुभवों के आधार पर यह निर्णय ले रहा है। इसके उपरांत भी अखिलेश उस कार्यक्र्म में जाने की जिद करते हैं और साथ ही साथ माया, ममता और नायडू के बयान का समय भी इसको प्रायोजित ही लगता है।
लखनऊ: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को उन्हें इलाहाबाद जाने से रोकने को लेकर केंद्र तथा प्रदेश की बीजेपी सरकारों पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मिली-भगत के कारण ही लखनऊ हवाईअड्डे पर पुलिस और खुफिया विभाग के अफसरों ने उन्हें विमान पर चढ़ने से रोक दिया.
अखिलेश ने इस घटना के बाद आरोप लगाया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में सपा समर्थित प्रत्याशी के हाथों अपने उम्मीदवार की हार से तिलमिलायी प्रदेश की बीजेपी सरकार ने मुझे छात्रसंघ कार्यक्रम में शामिल होने से रोक दिया. प्रदेश सरकार मुझे हवाई अड्डे पर नहीं रोक सकती थी, यह काम केंद्र सरकार का है. मुझे लगता है कि दिल्ली (केंद्र) की सरकार भी इसमें मिली हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि रात में स्थानीय अभिसूचना इकाई और पुलिस के कुछ अफसरों ने उनके घर की रेकी (टोह) की. मंगलवार सुबह साढ़े छह बजे तीन अधिकारी उनके घर के पास बैठा दिये गये.
वहीं, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने इस मामले पर कहा कि अखिलेश यादव के निजी सचिव को सोमवार को ही पत्र लिखकर सूचना दे दी गई थी. सामने आए पत्र के अनुसार, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने वार्षिक समारोह आदि कार्यक्रमों में नेताओं को आमंत्रित नहीं करने की बात कही है.
अखिलेश ने कहा कि स्थानीय पुलिस हवाई अड्डा परिसर में नहीं जा सकती क्योंकि उसकी सुरक्षा और प्रबंध किसी दूसरे बल के पास है. इसके बावजूद अफसर वहां पहुंचे और मुझे हवाई जहाज में चढ़ने से रोक दिया. मुझे रोकने वाले अफसर के पास कोई लिखित आदेश भी नहीं था. सपा अध्यक्ष ने कहा, ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह रहे हैं कि मैं अराजकता और हिंसा फैलाने जा रहा था. मैं सन्यासी योगी से पूछना चाहता हूं कि अगर मेरे राजनीतिक जीवन में मेरे ऊपर एक भी धारा लगी हो तो बताएं.’
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/iftar-1497858064_835x547.jpg500700Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-12 14:24:032019-02-12 19:26:43अखिलेश के सचिव को आयोजन में शामिल न होने की बात बता दी गयी थी: विश्वविद्यालय कुलसचिव
प्रधान मंत्री और भाजपा अध्यक्ष सहित उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री को अपने प्रदेश में प्रवेश न देने वाली ममता को अखिलेश को प्रयागराज जाने से रोकने पर लोकतन्त्र खतरे में दिखाई पड़ रहा है।असल में यदि अखिलेश अपनी छवि के अनुसार एएमयू जा रहे होते तो शायद उन्हे न रोका जाता, परंतु जिस पिता को यह फख्र है की उसने 300 करी सेवक मरवाये थे, उसके पुत्र को कारसेवकों के बीच जाने से वाकयी अराजक तत्त्वों का सामना करना पड़ सकता था। शायद ममता और चंद्रबाबू नायडू की यही मंशा थी। जानते तो अखिलेश भी थे की हिन्दू समागमों में उनकी समाजवादी वाली छवि प्रशासन के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है, अत: यह उनकी तरफ से भी एक राजनैतिक चाल हो सकती है।
समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को लखनऊ एयरपोर्ट पर अचानक ही प्रशासन द्वारा प्रयागराज जाने से रोक लिए जाने की खबर सामने आने के बाद सभी राजनीतिक दल इसके विरोध में उतर आए हैं. अखिलेश यादव छात्र संघ के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रयागराज जा रहे थे. एयरपोर्ट पहुंचने के बाद उन्हें रोक दिया गया.
इसके विरोध में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और चंद्रबाबू नायडू सामने आए हैं. ममता बनर्जी ने यूपी सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा की और कहा- ‘अगर योगी राज में एक पूर्व मुख्यमंत्री को किसी कॉलेज के प्रोग्राम में हिस्सा लेने से रोक दिया जाता है तो वहां ‘रुकावट’ है. ‘रुकावट के लिए खेद है’… आज देश में ऐसी हालत हो गई है कि लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाने की इजाजत नहीं है.’
ममता बनर्जी ने गुजरात में जिग्नेश मेवानी को भी रोके जाने की बात उठाई. उन्होंने कहा- ‘गुजरात में एक यूनीवर्सिटी के कार्यक्रम में भाग लेने से जिग्नेश मेवानी को भी रोका गया था. उसे बीजेपी के गुंडों द्वारा डराया गया था और वो हमें सीखाते हैं. नफरत की राजनीति वो करते हैं. देश में इसके पहले कभी भी ऐसा नहीं हुआ था. ये दुखद है. मैं इसकी भर्त्सना करती हूं.’
वहीं आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी इस घटना की घोर निंदा की और कहा: ‘समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के खिलाफ लखनऊ के अधिकारियों के व्यवहार की मैं कड़ी निंदा करता हूं. ये अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ भाजपा की असहिष्णुता का एक और उदाहरण है. वास्तव में लोकतंत्र खतरे में है.’
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को लखनऊ एयरपोर्ट पर रोक लिया गया था. वो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रहे थे. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव को रोके जाने पर कहा है कि उनके इलाहाबाद यूनिवर्सिटी जाने से अराजकता का माहौल पैदा हो सकता है. इस पर अखिलेश यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा ‘घबराई हुई सरकार है ये यूपी की. नौजवान इंतजार कर रहा है कि उसे कब मौका मिलेगा. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी जी ने भी अपने यहां भोजन रखा था. ये यूपी के सीएम कैसे साधु-संत हैं. जो दूसरे साधु-संतों से नहीं मिलने देना चाहते. उनसे क्या सीखोगे- ठोको नीति, रोको नीति.’
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/mamta.jpg400600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-12 14:13:512019-02-12 14:13:54लोकतन्त्र खतरे में आ ही गया, माया, ममता और नायडू ने अखिलेश को रोके जाने की की भर्त्स्ना
केंद्रीय जांच एजेंसी इस मामले में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष से भी रविवार को शिलॉन्ग में पूछताछ करेगी
शारदा चिटफंड घोटाले मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ की. उनसे यह पूछताछ पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में की गई. हजारों करोड़ रुपए के शारदा चिटफंड स्कैम में सबूतों को नष्ट करने में भूमिका को लेकर राजीव कुमार सीबीआई के निशाने पर हैं.
इसके अलावा अब सीबीआई मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पूर्व सांसद कुणाल घोष से भी पूछताछ करने वाली है. सीबीआई उनसे रविवार को शिलॉन्ग में ही सवाल-जवाब करेगी. मेघालय में सीबीआई के जरिए तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद कुणाल घोष से पूछताछ की जाएगी. यह पूछताछ शिलॉन्ग के सीबीआई ऑफिस में 10 फरवरी को की जाएगी. इसके अलावा राजीव कुमार से एक बार फिर शारदा चिटफंड मामले में सीबीआई के जरिए 10 फरवरी को पूछताछ की जाएगी. यह पूछताछ भी शिलॉन्ग में ही होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था निर्देश
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को राजीव कुमार को सीबीआई के सामने पेश होने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा था कि कोलकाता पुलिस कमिश्नर ‘शारदा चिटफंड घोटाले’ से जुड़े मामलों की जांच में सीबीआई के साथ ‘विश्वसनीय रूप से’ सहयोग करें. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.
रिपोर्ट्स में बताया गया था कि कोलकाता पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्टेट क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट के साथ मिलकर 80-100 सवालों की एक लिस्ट तैयार की थी. जो सीबीआई के अधिकारी राजीव कुमार से पूछे जाने हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/mamata-kolkata-police-chief-7.jpg422759Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-09 15:02:252019-02-09 15:02:27राजीव कुमार से पूछताछ जारी अब कुनाल घोष की बारी
इसके अलावा चूक करने वाले अधिकारियों के खिलाफ मेडल उतारने के बारे में भी चर्चा की जा रही है.
4 फरवरी को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जरिए धरना बुलाया गया. जिसमें कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार भी मौजूद थे. राजीव कुमार की मौजूदगी पर संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार ने कार्रवाई का आदेश दिया. वहीं कोलकाता में विरोध प्रदर्शन स्थल पर पांच अन्य शीर्ष पुलिस अधिकारी भी शामिल थे.
गृह मंत्रालय के जरिए पश्चिम बंगाल सरकार से राजीव कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने को कहा था. पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को संबोधित एक पत्र में कहा गया था कि कुमार ने ऑल इंडिया सर्विस (कंडक्ट) नियम, 1968 /AIS (अनुशासन और अपील) नियम 1969 का उल्लंघन किया था.
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मौजूदा अधिकारियों के जरिए धरने पर खास ध्यान देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार से अधिकारियों से एक्शन लेने के लिए कहा है. केंद्र सरकार ने ऑल इंडिया सर्विस रूल के तहत धरना देने के लिए राज्य सरकार से कठोर कार्रवाई करने के लिए कहा है. सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने कथित तौर पर सभी पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की ठानी है.
चूक करने वाले अधिकारियों के खिलाफ मेडल उतारने के बारे में भी चर्चा की जा रही है. केंद्र सरकार सूची में शामिल अफसरों के नाम भी हटा सकती है और उन्हें केंद्र सरकार में सेवा देने से एक निश्चित अवधि के लिए रोक सकती है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/19-mamata-angry.jpg450600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-07 20:06:152019-02-07 20:06:17ममता के साथ धरने पर बैठे अधिकारियों के खिलाफ होगी प्रशासनिक कार्यवाही
लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियों को लेकर राजनीतिक दल कमर कस चुके हैं. आम चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए पार्टियां जी तोड़ मेहनत करती हुई दिखाई दे रही हैं. केंद्र में मौजूदा सरकार बीजेपी की है. ऐसे में बीजेपी अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए किसी से पीछे नहीं है. वहीं भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी आम चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए तैयारियों में जुट चुके हैं.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 8 फरवरी को गोरखपुर जोन के लिए बूथ प्रेसिडेंट सम्मेलन को संबोधित करेंगे. वहीं भारतीय जनता पार्टी 12 फरवरी से 2 मार्च तक ‘मेरा परिवार भाजपा परिवार’ राष्ट्र व्यापी अभियान चलाएगी. इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं के जरिए 5 करोड़ से अधिक घरो में पार्टी के झंडा लगाए जाएंगे.
भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने बीजेपी कार्यालय में पार्टी महासचिवों से मुलाकात की. साथ ही उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्षों और राज्य महासचिवों से बातचीत की. अमित शाह ने इस अभियान का ऐलान इसी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान किया. अमित शाह ने बताया कि इस दौरान सभी कार्यकर्ता अपने और समर्थको के घरों और अधिष्ठानों पर पार्टी का झंडा लगाएंगे. शाह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान आने वाले चुनाव की रणनीति पर भी चर्चा की.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/12/AMIT-SHAH-PTI7_30_2017-1.jpg450800Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-07 19:59:072019-02-07 19:59:09भाजपा 5 करोड़ से अधिक घरो में पार्टी का झंडा लगाएंगे.
एक हफ्ते में राज्य में मोदी की तीसरी रैली होगी. हालांकि उनकी रैली स्थल के लिए मंजूरी को लेकर भी भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं
नई दिल्ली/चुराभंडार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी का दौरा करेंगे जहां वह राष्ट्रीय राजमार्ग-31 डी के फलाकाता-सलसलाबाड़ी खंड को चार लेन किये जाने की आधारशिला रखेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग का यह 41.7 किलोमीटर लंबा खंड पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में आता है और इसे करीब 1938 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा. बयान में कहा गया कि मोदी जलपाईगुड़ी में हाई कोर्ट की नयी सर्किट बेंच का भी उद्घाटन करेंगे.
वहीं जलपाईगुड़ी के चुराभंडार से आई खबर के मुताबिक मोदी शुक्रवार को यहां एक सार्वजनिक रैली को भी संबोधित करेंगे. यह एक हफ्ते में राज्य में मोदी की तीसरी रैली होगी. हालांकि उनकी रैली स्थल के लिए मंजूरी को लेकर भी भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं.
यह ममता बनर्जी के सारदा चिट फंड घोटाले में कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से सीबीआई की “राजनीति से प्रेरित” पूछताछ के विरोध में धरना खत्म करने के तीन दिन बाद हो रही है. यहां भाजपा सूत्रों के मुताबिक मोदी जिले में इस मंच का इस्तेमाल बनर्जी के आरोपों का “माकूल” जवाब देने के लिये कर सकते हैं और चुनावों से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भी भरेंगे.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “पार्टी कार्यकर्ताओं को संदेश देने के अलावा हमें उम्मीद है कि मोदी जी तृणमूल कांग्रेस के असंवैधानिक धरने का भी समुचित जवाब देंगे.” भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनावों में राज्य की 42 सीटों में से सिर्फ दो सीटें जीती थीं, लेकिन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने इस बार यहां से 23 सीटें जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. भाजपा के दूसरे नेताओं के मामलों की तरह ही पार्टी को जलपाईगुड़ी में प्रधानमंत्री की सभा के लिये स्थल तलाशने में दिक्कत हुई.
जलपाईगुड़ी के सरकारी कॉलेज और उससे सटे स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के मैदान के लिए मंजूरी नहीं मिलने के बाद पार्टी को जलपाईगुड़ी शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर खेती की जमीन को किराये पर लेकर सभा के आयोजन के लिये बाध्य होना पड़ा. भाजपा की राज्य इकाई के महासचिव राजू बनर्जी ने आरोप लगाया कि स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता बस संचालकों को चेतावनी दे रहे हैं कि भगवा पार्टी के समर्थकों को अपनी गाड़ियों में रैली स्थल पर न ले जाए. तृणमूल कांग्रेस के विधायक सौरव चक्रबर्ती ने हालांकि इन आरोपों को “निराधार” करार दिया.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/narendra_modi_loksabha_1549550411_618x347.jpeg347618Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-07 19:54:242019-02-07 19:54:26प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी का दौरा करेंगे
ममता बनर्जी का कहना है कि मोदी
पागल हो गया है. देश के प्रधानमंत्री के लिए एक मुख्यमंत्री के मुंह से ऐसे शब्द
शोभा देते है क्या ? यह
औरत बंगाल में सभी चोरों को इकट्ठा
कर के लोकतंत्र बचाने की बात कर रही है.
इसी
मामले में सीबीआई अधिकारी, कोलकाता पुलिस कमिश्नर से पूछताछ करने गए थे,
क्योंकि कमिश्नर सीबीआई के समन का जवाब
नहीं दे रहे थे, जहां
ममता बानो कमिश्नर के बचाव में पहुंच गई और सीबीआई अधिकारियों को कोलकाता पुलिस
द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया जैसे सीबीआई अधिकारी कोई अपराधी हो. जबकि सीबीआई देश
की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था है.
सुप्रीम
कोर्ट के आदेशानुसार इस घोटाले की जांच चल रही है, और ममता बनर्जी तानाशाही पर उतारू
है, यह
कहते हुए कि वो मोदी और अमित शाह से लोकतंत्र बचा रही है.
कोलकाता
में केंद्रीय दफ्तरों पर पैरामिलिट्री फोर्स तैनात कर दी गई है.
पश्चिम
बंगाल में लोकतंत्र कैसे बचा रही है ममता बनर्जी देखिए :
देख लीजिए, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी इस तरह लोकतंत्र को बचा रही है. बंगाल में लोकतंत्र समाप्त हो चुका है, सिर्फ और सिर्फ ममता बानो की तानाशाही और टीएमसी के गुंडों की गुंडागर्दी जारी है.
अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के हेलीकॉप्टर को बंगाल में उतरने की अनुमति न देकर.
पश्चिम बंगाल में सीबीआई के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाकर.
चिट फंड की जांच करने गई सीबीआई टीम को कोलकाता पुलिस द्वारा गिरफ्तार करवा कर.
अवैध बंगलदेशी और रोहिंग्या को बंगाल में शरण देकर.
बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या करवा कर.
बंदूक की नोक पर टीएमसी की रैलियों में ले जाकर
बंदूक की नोक पर बैलेट बॉक्स को तालाबों में फिंकवा कर.
बंगाल में बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ने पर ईमानदार पुलिस अधिकारी पर ट्रांसफर का दबाव बनाकर.
बंगाल में शांतिदूतों के घरों में बम बंदूक बनाने की फैक्ट्री मिलती है.
बंगाल में टीएमसी के गुंडों द्वारा भाजपा और आरएसएस के कार्यालय में बम फिकवा कर.
भाजपा की रथ यात्रा को अनुमति न देकर.
चुनाव में प्रत्याशियों को डराया धमकाया जाता है, जिसके कारण पश्चिम बंगाल में वॉट्सएप से भाजपा प्रत्याशी नामांकन करते है.
चुनाव के टाइम पर टीएमसी के गुंडों द्वारा बूथ कैपचरिंग करवा कर, जनता को घरों में रोक कर, चुनाव में वोट के लिए निकलने न देकर.
टीएमसी के गुंडों द्वारा बड़े बड़े दंगे, फसाद, तोड़फोड़ करवा कर.
अवैध घुसपैठियों का खुले आम समर्थन करते हुए एनआरसी का विरोध करके.
बांग्लादेश और म्यांमार से भाग कर अवैध तरीके से भारत में घुसे घुसपैठियों को सुरक्षित पनाह देना और वोट बैंक के लिए उनका वोटर कार्ड, आधार कार्ड इत्यादि दस्तावेज बनवा देना.
देख
लीजिए, पश्चिम
बंगाल में ममता बनर्जी इस तरह लोकतंत्र को बचा रही है. बंगाल में लोकतंत्र समाप्त
हो चुका है, सिर्फ
और सिर्फ ममता बानो की तानाशाही और टीएमसी के गुंडों की गुंडागर्दी जारी है.
देख लीजिए,
पश्चिम बंगाल में ममता
बनर्जी इस तरह लोकतंत्र को बचा रही है. बंगाल में लोकतंत्र समाप्त हो चुका है,
सिर्फ और सिर्फ ममता बानो
की तानाशाही और टीएमसी के गुंडों की गुंडागर्दी जारी है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/Rajesh-Sainbhi.jpg209209Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-05 04:24:042019-02-05 04:25:54बंगाल का गुंडाराज बनाम लोकतन्त्र
We may request cookies to be set on your device. We use cookies to let us know when you visit our websites, how you interact with us, to enrich your user experience, and to customize your relationship with our website.
Click on the different category headings to find out more. You can also change some of your preferences. Note that blocking some types of cookies may impact your experience on our websites and the services we are able to offer.
Essential Website Cookies
These cookies are strictly necessary to provide you with services available through our website and to use some of its features.
Because these cookies are strictly necessary to deliver the website, you cannot refuse them without impacting how our site functions. You can block or delete them by changing your browser settings and force blocking all cookies on this website.
Google Analytics Cookies
These cookies collect information that is used either in aggregate form to help us understand how our website is being used or how effective our marketing campaigns are, or to help us customize our website and application for you in order to enhance your experience.
If you do not want that we track your visist to our site you can disable tracking in your browser here:
Other external services
We also use different external services like Google Webfonts, Google Maps and external Video providers. Since these providers may collect personal data like your IP address we allow you to block them here. Please be aware that this might heavily reduce the functionality and appearance of our site. Changes will take effect once you reload the page.
Google Webfont Settings:
Google Map Settings:
Vimeo and Youtube video embeds:
Google ReCaptcha cookies:
Privacy Policy
You can read about our cookies and privacy settings in detail on our Privacy Policy Page.