सद्दाम गद्दाफ़ी की चुनावी प्रक्रिया बता कर अपनी ही पार्टी का सच बता बैठे राहुल

राहुल ने यहां तक कहा कि सद्दाम हुसैन और गद्दाफी जैसे लोग भी चुनाव आयोजित कराते थे और जीत जाते थे. लेकिन तब ऐसा कोई फ्रेमवर्क नहीं था, उन्हें मिले वोट की रक्षा कर सके. राहुल अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशुतोष के साथ चर्चा कर रहे थे। इस दौरान राहुल ने कहा कि कि हमें किसी दूसरे देश की संस्था से लोकतंत्र को लेकर सर्टिफिकेट नहीं चाहिए लेकिन उन्होंने जो कहा, वो बिल्कुल सही है। भारत में इस वक्त जितना हमने सोचा है, हालात उससे ज्यादा बदतर हैं। राहुल इस ब्यान को देते समय अपनी ही पार्टी की पोल खोल रहे थे। पार्टी अध्यक्ष के तौर पर जब उन्होने अपनी ही पार्टी के आंतरिक चुनाव लड़े थे तब ऊनके ही एक रिश्तेदार शहजाद पूनावाला ने उनके विरोध में नामांकन भरा था। आज शहजाद पूनावाला अपनी ही पार्टी से निकाल दिये गए। यही वह मॉडल है जिसकी चर्चा राहुल कर रहे थे। लें अपनी ही पार्टी के इस चरित्र को वह नहीं पहचान पाते। हर समय अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंकुश की बात कराते हैं, लेकिन उतनी ही आज़ादी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलते गरियाते पाये जाते हैं, निर्भीकता से। क्या यह दोहरे माप दंड नहीं?

  • सद्दाम-गद्दाफ़ी इन्दिरा के थे अच्छे दोस्त सोशल मीडिया पर ट्रोल हुए राहुल
  • चुनाव मतलब सिर्फ यह नहीं कोई जाए और बटन दबाकर मताधिकार का इस्तेमाल कर दे
  • साल 2016 से 2020 के बीच 170 से अधिक कांग्रेसी विधायकों ने पार्टी छोड़ दी
  • नहीं दिख रहा दम, पांच चुनावी राज्यों में गठबंधन के सहारे चुनावी मैदान में कांग्रेस

सरीका, चंडीगढ़:/नयी दिल्ली:

राहुल गाँधी ने ब्राउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को दिए अपने हालिया इंटरव्यू में भारतीय जनता पार्टी पर पर ये कहकर निशाना साधा कि सद्दाम हुसैन और मोहम्मद गद्दाफी ने भी तो चुनाव जीता था। केंद्र सरकार को लेकर कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि सद्दाम हुसैन और गद्दाफी को भी वोट की जरूरत नहीं थी, उन्होंने सत्ता पर कब्जा करने के लिए चुनावी प्रक्रिया का इस्तेमाल किया था।

दरअसल, कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने पिछले दिनों वी-डेम इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के हवाले से देश के लोकतांत्रिक न होने को लेकर दावे किए थे। इसी पर ब्राउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशुतोष वार्ष्णेय ने उनकी टिप्पणी पर सवाल किए, जिसके जवाब में राहुल गाँधी ने उक्त बात कही।

हालाँकि, राहुल की बात पर गौर देने से पहले ये जानना दिलचस्प है कि जिस गद्दाफी का उन्होंने उदाहरण दिया, वह सन् 1969 में लीबिया में सैन्य तख्तापलट होने के कारण नेता चुना गया था। उसने शासन पाने के लिए ब्रिटिश समर्थित नेता इदरीस को सत्ता से उखाड़ फेंका था, न कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया से कुर्सी पर अधिकार पाया था।

इसी तरह से सद्दाम हुसैन को साल 2003 में अमेरिकी फोर्स ने पकड़ा था। साल 2006 में वह मानवता के विरुद्ध किए गए अपराधों का दोषी पाया गया था। इसके बाद उसे मौत की सजा सुनाई गई थी।

अब जाहिर है कि ऐसे तानाशाहों का नाम लेकर राहुल गाँधी पूरे मामले में सिर्फ़ और सिर्फ विदेशी चीजों को घुसाकर अपनी बात को दमदार साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, इसके अतिरिक्त उनकी बातों का और कोई मतलब नहीं है।

इंटरव्यू के दौरान उन्होंने आरएसएस पर भी निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि आरएसएस और शिशु मंदिर सिर्फ़ भारत को तोड़ने के लिहाज से बने हैं और इनका इस्तेमाल जनता से पैसे लेने के लिए किया जाता है। एक और चौंकाने वाले बयान में उन्होंने दावा किया कि आरएसएस की विचारधारा और रणनीति मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड के समान है।

संसद सत्र में बंद हुए माइक वाली घटनाओं को उदाहरण देते हुए राहुल गाँधी मानते हैं कि भाजपा ने चुनावी प्रक्रिया का इस्तेमाल करके सत्ता हथियाई है। उनके मुताबिक, केंद्र के पास नए आइडिया के लिए कोई भी कोना नहीं है। सबसे हास्यास्पद बात यह है कि 5 लाख आईटी सेल सदस्यों को हायर करने के बाद कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष आरोप लगाते हैं कि भारत में फेसबुक का हेड भाजपाई है। वह गलत ढंग से चुनावी नैरेटिव को कंट्रोल करता है।

इस सब के बाद राहुल गांधी ट्रोल भी हुए:

एक दैनिक समाचार पत्र के अनुसार सोनिया गांधी के बेटे राहुल ने जिस सद्दाम हुसैन का हवाला दिया है, उसका भारत और खासकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बेहतरीन संबंध था। साल 1975 में इंदिरा गांधी इराक गईं तो सद्दाम हुसैन ने उनका सूटकेस उठा लिया। अखबार के अनुसार इंदिरा गांधी जब रायबरेली से लोकसभा चुनाव वे हार गईं तो सद्दाम ने उन्हें इराक की राजधानी बगदाद में स्थाई आवास की पेशकश कर दी। इतना ही नहीं, सद्दाम के नेतृत्व वाली बाथ सोशलिस्ट पार्टी के प्रतिनिधि कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशनों में शामिल हुआ करते थे। ऐसे में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर यूजर्स लताड़ लगा रहे हैं।

नंदीग्राम में टीएमसी को एक और झटका लग सकता है, शिशिर अधिकारी हो सकते हैं बीजेपी में शामिल

भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी शनिवार को शिशिर अधिकारी के आवास पर गई थी और उन्होंने साथ में दोपहर का भोजन किया था। हालांकि, दोनों ने इसे “शिष्टाचार भेंट” बताया था। शिशिर, भाजपा नेता सुभेंदु अधिकारी के पिता हैं। हाल ही में तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर भगवा पार्टी में शामिल हुए शुभेंदु नंदीग्राम विधानसभा सीट पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। नेता के दो बेटे सुभेंदु और सौमेंदु अधिकारी भाजपा में शामिल हो गए हैं। उनके एक और बेटे दिब्येंदु टीएमसी से सांसद हैं।

कोलकत्ता/नयी दिल्ली:

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद शिशिर अधिकारी ने कहा है कि यदि उन्हें आमंत्रित किया जाता है, तो वह 20 मार्च को कांठी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में शामिल होंगे। शिशिर, बीजेपी नेता सुभेंदु अधिकारी के पिता हैं। हाल ही में तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर भगवा पार्टी में शामिल हुए शुभेंदु नंदीग्राम विधानसभा सीट पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जाने शुरू हो गए हैं कि तृणमूल कांग्रेस सांसद (शिशिर) इस महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।

शिशिर अधिकारी ने कहा, “अगर मुझे न्योता दिया गया और मेरे बेटों ने इसकी अनुमति दी, तो मैं (मोदी की) जनसभा में शामिल होऊंगा।” नेता के दो बेटे सुभेंदु और सौमेंदु अधिकारी बीजेपी में शामिल हो गए हैं। उनके एक और बेटे दिब्येंदु टीएमसी से सांसद हैं। बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी शनिवार को शिशिर अधिकारी के आवास पर गई थी और उन्होंने साथ में दोपहर का भोजन किया था। हालांकि, दोनों ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया था। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस दौरान शिशिर अधिकारी के राजनीतिक कदम पर कोई चर्चा नहीं हुई। 

पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव  2021 की लड़ाई में ममता बनर्जी के ‘अपने’ लगातार उन्हें छोड़कर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद शिशिर अधिकारी का नाम भी इस कड़ी में जुड़ने जा रहा है. सांसद शिशिर अधिकारी ने कहा है कि वह 20 मार्च को कांठी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की जनसभा में शामिल हो सकते हैं.

शुभेंदु के पिता हैं शिशिर अधिकारी

शिशिर, बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी के पिता हैं. हाल ही में तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए शुभेंदु नंदीग्राम विधान सभा सीट पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर शिशिर अधिकारी ने कहा, ‘अगर मुझे न्योता दिया गया और मेरे बेटों ने इसकी अनुमति दी, तो मैं मोदी जी की जनसभा में शामिल होऊंगा.’ 

लॉकेट चटर्जी ने की मुलाकात

बता दें, सांसद शिशिर के दो बेटे शुभेंदु और सौमेंदु अधिकारी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. शिशिर भगत के एक और बेटे दिब्येंदु टीएमसी से सांसद हैं. बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी शनिवार को शिशिर अधिकारी के आवास पर गई थीं और उन्होंने साथ में दोपहर का भोजन भी किया था. हालांकि, दोनों ने इसे ‘शिष्टाचार भेंट’ बताया था.

ममता की रैली में नहीं पहुंचे

शुभेंदु अधिकारी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हुए थे. इसके बाद उन्होंने अपने छोटे भाई सौमेंदु को बीजेपी में शामिल होने के लिए राजी किया. शुभेंदु अधिकारी के छोटे भाई दिब्येंदु और पिता शिशिर अधिकारी क्रमश: तमुक और कांथी से लोक सभा सदस्य हैं. दोनों ही बीते दिनों ममता बनर्जी की रैली में नहीं पहुंचे, इसके बाद से ही इनके बीजेपी में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं. 

40-45 विधान सभा क्षेत्रों में प्रभाव

इन अधिकारी बंधुओं का पूर्व और पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा, पुरुलिया, झारग्राम और बीरभूम तथा अल्पसंख्यक बहुल मुर्शिदाबाद जिले के कम से कम 40-45 विधान सभा क्षेत्रों में अच्छा खासा प्रभाव है. ममता बनर्जी के बेहद करीबी रहे शुभेंदु अधिकारी आज टीएमसी के लिए बड़ी चुनौती बनते दिख रहे हैं. बीजेपी लगातार टीएमसी के बागी नेताओं पर निगाह बनाए हुए है. तमाम टीएमसी नेता अभी भी बजेपी के संपर्क में हैं. राज्य में अप्रैल-मई में विधान सभा चुनाव होने हैं.

नंदीग्राम से ताल ठोंकने वाली ममता अब टोलिगंज में सुरक्षित सीट तलाशने गईं, वहाँ भी भाजपा ने बढ़ाईं मुश्किलें

नंदीग्राम का खूनी संघर्ष, जिसने ममता को सत्ता दिलवाई थी आज भी संग्राम के लिए तत्पर है। जिस विकास के वायदे पर ममता दी ने नंदिग्राम की जनता में उम्मीदों के बीज बोये थे वह बीज आज भी वहीं पड़े हैं। विकास के नाम पर नंदीग्राम को 10 सालों तक ठगा गया वही आज दोबार ठगे जाने से इंकार करता है। ममता दी ने नंदीग्राम से चुनावी बिगुल तो फूँक दिया लेकिन यहाँ शुवेंदु अधिकारी की उपस्थिती ममता बेनर्जी को सालती जा रही है अत: उनहोंने न्स्न्दिग्राम से इतर टोलिगंज से लड़ने का फैसला किया। ममता की मुसीबत देखिये यहाँ भी भाजपा ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दिन हैं। ममता की मजबूरी क्या है की वह अपने दो बार के चुनावी क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ पा रहीं?

ममता बनर्जी की चुप्पी

कोलत्ता/नयी द्ल्ली:

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नंदीग्राम में नामांकन के दौरान लगी चोट का सियासी फायदा उठाने की तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) ने पूरी कोशिश की। लेकिन जल्दी ही यह बात स्पष्ट हो गई कि टीएमसी जिसे ‘हमला’ बता रही है, वह असल में हादसा थी। इसके बाद यह खबर आई कि ममता बनर्जी टॉलीगंज से भी विधानसभा का चुनाव लड़ सकती हैं, जो पार्टी के लिए सेफ सीट मानी जाती है।

लेकिन, बीजेपी ने रविवार (14 मार्च 2021) को बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है, उससे जाहिर है कि वह ममता बनर्जी के लिए कोई भी सीट सुरक्षित नहीं रहने देगी। उसने टॉलीगंज से केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को मैदान में उतारा। फिलहाल इस सीट से तीन बार के विधायक अरूप विश्वास टीएमसी के आधिकारिक उम्मीदवार हैं। लेकिन बताया जाता है कि टिकट देने के साथ ही उन्हें अपना प्रचार धीमा रखने के निर्देश देते हुए यह बता दिया गया था कि ममता खुद यहाँ से मैदान में उतर सकती हैं। इस सीट पर 10 अप्रैल को मतदान होगा। नामांकन भरने की अंतिम तारीख 23 मार्च है।

मीडिया रिपोर्टों में टीएमसी सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि चोट लगने के बाद ममता बनर्जी को एहसास है कि वह अब नंदीग्राम में धुआंधार प्रचार नहीं कर सकती। शुभेंदु अधिकारी के बीजेपी में जाने के बाद इस इलाके में पार्टी कैडरों के गिरे मनोबल को उठाने के लिए ममता ने यहाँ से चुनाव लड़ने का फैसला किया था। लेकिन, अब बदले हालात में कयास लग रहे हैं कि वह दूसरी सीट से भी चुनाव लड़ेंगी और वह सीट दक्षिण कोलकाता की टॉलीगंज होगी। यह बंगाली फिल्म उद्योग का केंद्र है और अब तक टीएमसी के लिए सेफ रही है। लेकिन, सांसद बाबुल सुप्रियो की उम्मीदवारी ने इस सीट को भी हाई प्रोफाइल और कड़े मुकाबले का रणक्षेत्र बना दिया है।

बंगाल की 294 विधानसभा सीटों के लिए 8 चरणों में चुनाव में होना है। चुनाव 27 मार्च से शुरू होकर 29 अप्रैल तक होंगे। मतों की गिनती 2 मई को होगी। बीजेपी ने रविवार को तीसरे चरण के लिए 27 और चौथे चरण के लिए 36 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया। इनमें बाबुल सुप्रियो के अलावा कई अन्य सांसदों के भी नाम हैं।

केरल में 115 सीटों पर चुनाव लड़ेगी बीजेपी

पार्टी महासचिव अरुण सिंह ने बताया कि अर्थशास्त्री अशोक लाहिड़ी अलीपुरद्वार से, डोमजूर से राजीव बनर्जी और सिंगुर से रबींद्र भट्टाचार्य उम्मीदवार होंगे। स्वप्न दासगुप्ता (तारकेश्वर), सांसद निशित प्रमाणिक (दिनहट्टा) और अभिनेता यश दास गुप्ता (चंदिताला) से चुनाव लड़ेंगे। सांसद लॉकेट चटर्जी को चुंचुरा से पार्टी ने मैदान में उतारा है।

भारतीय जनता पार्टी ने केरल में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों का एलान कर दिया है। केरल में बीजेपी 115 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है। केरल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 25 सीटें अपनी चार सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ी हैं। बीजेपी ने ‘मेट्रो मैन’ ई श्रीधरन को भी टिकट दिया है। वो पलक्कड से चुनाव लड़ेंगे।

तमिलनाडु में बीजेपी ने जारी की 17 उम्मीदवारों की लिस्ट

बीजेपी ने तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 17 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। धारापुरम से प्रदेश अध्यक्ष एल मुरूगन को टिकट दिया गया है। वहीं खुशबू सुंदर को थाउजेंड लाइट्स से टिकट मिला है। बीजेपी राज्य में एआईएडीएमके साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है।

भाजपा में हाशिये पर आए यशवंत ने थामा तृणमूल का दामन

अरसे से भाजपा में हाशिये पर रहे पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने तृणमूल आ दामन थाम लिया है। शुरू ही से धुर मोदी विरोधी रहे सिन्हा के लिए श्रीधरन को केरल में मुख्य मंत्री का चेहरा बनाना रास नहीं आया। सिन्हा ने तंज़ करते हुए मोदी से 75 साल वाले उनके फार्मूले के बारे में पूछा। अब व राजनीति में अपनी ज़मीन तलाशने टीएमसी में शामिल हो गए हैं

  • अटल सरकार में वित्त मंत्री और विदेश मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा तृणमूल कांग्रेस में शामिल
  • बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद यशवंत सिन्हा काफी समय से सक्रिय राजनीति से दूर थे
  • चर्चा है कि दिनेश त्रिवेदी की जगह अब यशवंत सिन्हा को राज्यसभा भेज सकती है टीएमसी

कोलकाता: बीजेपी के पूर्व नेता और केंद्रीय मंत्री रहे यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. वे आज कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के मुख्यालय में पहुंचे. माना जा रहा है कि वे बंगाल चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राजीनितिक सलाहकार बनेंगे. 

सरकार को किसानों की कोई चिंता नहीं- यशवंत सिन्हा

TMC में शामिल होने के बाद यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने कहा कि प्रजातंत्र का मतलब होता है कि सरकार के प्रतिनिधि 24 घंटे जनता के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करें. देश का अन्नदाता पिछले 3 महीने से दिल्ली की सरहद पर बैठा है और किसी को कोई चिंता नहीं है. देश में शिक्षा-स्वास्थ्य दुर्दिन से गुजर रहे हैं लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. उन्होंने दावा करते हुए कहा,’इसमें कोई शक नहीं है कि तृणमूल कांग्रेस बहुत बड़े बहुमत के साथ सत्ता में वापस आएगी. बंगाल से पूरे देश में एक संदेश जाना चाहिए कि जो कुछ मोदी और शाह दिल्ली से चला रहे हैं, अब देश उसको बर्दाश्त नहीं करेगा.’

आज की सरकार कुचलने में भरोसा करती है’

उन्होंने आरोप लगाया कि देश में इस वक्त राज कर रही रूलिंग पार्टी का एक ही मकसद है कि किसी भी तरह चुनाव जीतो और अपनी विजय पताका फहराते जाओ. यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने कहा कि आज की सरकार लोगों की जरूरतें पूरा करने के बजाय उन्हें कुचलने में विश्वास करती है. उन्होंने दावा किया कि अटल जी और आज के समय की बीजेपी में जमीन-आसमान का अंतर है. उस जमाने में सभी दलों और आम लोगों की सुनी जाती थी लेकिन आज सुनाई जाती है. 

‘अटल जी और आज की बीजेपी में बहुत फर्क’

यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने कहा कि अटल जी के समय को देखें तो उस वक्त कर्नाटक में जनता दल एस, कश्मीर में पीडीपी, बंगाल में टीएमसी, पंजाब में अकाली दल, बिहार में जेडीयू, महाराष्ट्र में शिवसेना समेत देश की तमाम बड़ी पार्टियों के साथ बीजेपी ने तालमेल किया. उन्होंने कहा कि अटल जी की इच्छा कभी किसी को दबाने की नहीं रही. वे सबको साथ लेकर चलते थे लेकिन आज कोई भी इनके साथ नहीं है. यहां तक कि अब अकाली दल भी इनका साथ छोड़ गया है. 

दीदी ने हमेशा की तरह जुम्मे के रोज़ ही उम्मीदवारों की लिस्ट की जारी

टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि आज, हम 291 उम्मीदवारों की सूची जारी कर रहे हैं जिसमें 50 महिलाएं, 42 मुस्लिम उम्मीदवार शामिल हैं। उत्तर बंगाल की 3 सीटों पर, हमने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे। मैं नंदीग्राम से चुनाव लड़ूंगी। ममता के करीबियों का कहना है कि शुक्रवार को दीदी अपना लकी दिन मानती हैं। इसी वजह से उन्होंने उम्मीदवारों के एलान के लिए इस दिन को चुना। बता दें कि साल 2011 और 2016 में भी ममता बनर्जी ने टीएमसी भवन से ही शुक्रवार के दिन उम्मीदवारों का एलान किया था।

  • चुनावी रण के लिए तैयार हुआ बंगाल
  • टीएमसी ने जारी की उम्मीदवारों की लिस्ट
  • नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी ममता बनर्जी
  • आठ चरणों में बंगाल में होगा मतदान

टीएमसी उम्मीदवारों की सूची 2021: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने अपने 291 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जबकि तीन सीटों पर सहयोगी पार्टी चुनाव लड़ेगी।सीएम ममता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया है कि वह इस बार नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ेंगी. 291 उम्मीदवारों में 51 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। ममता इस बार अपनी वर्तमान सीट भवानीपुर से चुनाव नहीं लड़ेंगी। इस सीट से शोभन मुखर्जी को टिकट दिया गया है।

294 सीटों का गणित

  • 42 सीटों पर मुस्लिम चेहरों को टिकट
  • 51 सीटों पर महिलाओं को टिकट
  • तीन सीटों पर टीएमसी की सहयोगी नॉर्थ बंगाल को टिकट

किसे कहां से टिकट मिला?

  • शिवपुर से मनोज तिवारी
  • भवानीपुर से शोभन मुखर्जी

अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले इलाकों में जनसंपर्क बढ़ाने पर जोर 

उम्मीदवारों के एलान से पहले कल टीएमसी में रणनीति को लेकर मैराथन बैठक की गई है, जिसमें ममता सरकार के दस सालों के काम, विवाद खत्म करने और लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले इलाकों में जनसंपर्क बढ़ाने पर जोर देने को कहा गया है। ममता बनर्जी नंदीग्राम से गुरुवार महाशिवरात्रि के दिन नामांकन भर सकती हैं। जिसे हिंदू विरोधी छवि के आरोपों के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।

यह भी पढ़ें : नंदीग्राम ही से चुनाव लड़ेंगी ‘दीदी’, यहाँ चुनाव बना साख का सवाल

बंगाल में किस चरण में कितनी सीटों पर चुनाव?

पहले चरण में पश्चिम बंगाल की 294 में से 30 सीटों पर 27 मार्च को वोट डाले जाएंगे. वहीं, दूसरे चरण में 30 सीटों पर एक अप्रैल को, तीसरे चरण में 31 सीटों पर 6 अप्रैल को, चौथे चरण में 44 सीटों पर 10 अप्रैल को, पांचवे चरण में 45 सीटों पर 17 अप्रैल को, छठे चरण में 43 सीटों पर 22 अप्रैल को, सातवें चरण में 36 सीटों पर 26 अप्रैल को और आठवें चरण में 35 सीटों पर 29 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. नतीजों की घोषणा दो मई को होगी.

नंदीग्राम ही से चुनाव लड़ेंगी ‘दीदी’, यहाँ चुनाव बना साख का सवाल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ने का एलान किया है. टीएमसी उम्मीदवारों की जारी लिस्ट में इस बात की घोषणा की गई है. इससे पहले ममता भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ती रही हैं. इस बार के चुनाव में वो भवानीपुर सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगी. सनद रहे कि नंदीग्राम, नंदीग्राम आंदोलन की नींव रहे श्वेन्दु अधिकारी का गढ़ रहा है। यहाँ अधिकारी बंधुओं का बहुत बोल बाला है। यहाँ से शुवेंदु के भाई और पिता विधायक और सांसद रहे हैं।

कोलकाता/नईदिल्ली:

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस ने 291 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। बता दें कि पार्टी 291 सीट पर ही चुनाव लड़ेगी। तीन सीटें सहयोगियों के लिए छोड़ी गई हैं। ममता के करीबियों का कहना है कि शुक्रवार को दीदी अपना लकी दिन मानती हैं। इसी वजह से उन्होंने उम्मीदवारों के एलान के लिए इस दिन को चुना। बता दें कि साल 2011 और 2016 में भी ममता बनर्जी ने टीएमसी भवन से ही शुक्रवार के दिन उम्मीदवारों का एलान किया था। ममता बनर्जी ने कहा कि वह नंदीग्राम सीट से ही चुनाव लड़ेंगी। माना जा रहा है कि यहां उनका सीधा मुकाबला सुवेंदु अधिकारी से होगा, लेकिन यह भाजपा के उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद स्पष्ट होगा। उनकी परंपरागत भवानीपुर सीट से सोवनदेब चट्टोपाध्याय मैदान में उतरेंगे।

जानकारी के मुताबिक, टीएमसी की सूची में 291 उम्मीदवारों के नाम हैं। इनमें 100 नए चेहरों को मौका दिया गया है। वहीं, 50 महिलाओं और 42 मुस्लिमों को भी मैदान में उतारा जा रहा है। ममता बनर्जी ने कहा कि हमने उन उम्मीदवारों को टिकट दिया, जिन्हें जनता पसंद करती है। हालांकि, कुछ लोगों को टिकट नहीं मिला है। कोशिश करूंगी कि उन्हें विधान परिषद चुनाव में मौका दिया जाए। 

ममता ने नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर एक साथ कई रानजीतिक संदेश देने की कोशिशें की है. सिंगूर के साथ नंदीग्राम वो जगह है जहां पर भूमि अधिग्रहण को लेकर भारी विरोध हुआ था और इसका ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल की सत्ता में आने में मदद मिली.

नंदीग्राम पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी से चुनावी मैदान में उतरने जा रहे शुभेंदु अधिकारी का रानजीतिक गढ़ है. ऐसे में कभी ममता के बेहद करीबी रहे शुभेंदु के चुनाव में आमने-सामने आने के बाद इस सीट पर पूरे देश की निगाहें लग गई हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि शुभेंदु भी इसी सीट से मैदान में उतरते हैं या नहीं.

ममता के लिए नंदीग्राम महत्वपूर्ण

वाम मोर्चे की सरकार की वहां पर कैमिकल फैक्ट्री स्थापना करने की योजना थी और हल्दिया डेवलपमेंट अथॉरिटी की तरफ से साल 2006 में इसका ऐलान भी किया गया था. लेकिन, जबरदस्ती भूअधिग्रहण के खिलाफ भारी तादाद में प्रदर्शन शुरू हो गया था. भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमेटी का इसके विरोध में गठन किया गया था और शुभेंदु अधिकारी परिवार ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी.

नंदीग्राम क्यों अहम?

नंदीग्राम विधानसभा तामलुक संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है और यह पूर्वी मेदिनीपुर जिले का हिस्सा है. हालांकि, पूर्वी मेदिनीपुर में कुल आबादी की तुलना में मुस्लिम आबादी करीब 14.59 फीसदी है जबकि नंदीग्रीम में मुसलमानों की आबादी करीब 34 फीसदी है. नंदीग्राम में अनुसूचित जाति की आबादी लगभग 14.59 फीसदी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की तरफ से नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान खुले दौर पर वहां के मौजूदा विधायक शुभेंदु अधिकारी को चुनौती देना है, जो नंदीग्राम आंदोलन के महत्वपूर्ण चेहरा थे लेकिन अब विधानसभा चुनाव से पहले वह टीएमसी से पाला बदलते हुए बीजेपी में जाकर मिल चुके हैं.

बंगाल चुनाव से पहले क्या पंजाब चले गए ममता के रणनीतिकार ?

प्रशांत किशोर एक कुशल रणनीतिकार माने जाते हैं। 2014 में चाय पे चर्चा के साथ मोदी को एक तरफा जीत दिलाने वाले किशोर ने कभी यह दावा नहीं किया कि मोदी की जीत के पीछे उनकी रन नीतियां थीं। ठीक उसी प्रकार 2014 के बाद भाजपा में अमित शाह की आमद के पश्चात उनकी दूरियाँ बढ़ गयी और उन्होने कॉंग्रेस को यूपी (उत्तर प्रदेश में जीतने का बीड़ा उठाया और हात पर चर्चा शुरू की, जहां योगी ने यूपी ए लड़कों(अखिलेश और राहुल) की पार्टी की खाट ही खड़ी कर दी। किशोर ने हार का ठीकरा अपने सर नहीं फूटने दिया और वह नितीश के साथ गलबहियाँ डालते दिखे। बिहार में गठबंधन चुनाव जीत गया किशोर एक बार फिर sसुर्खियों में आए लेकिन जीत के दावे से दूर ही रहे। नितीश के यूपीए से अलग होने पर प्रशांत दीदी के खेमे में चले गए, और दीदी को जीत हासिल कारवाई लेकिन सेहरा अपने सर नहीं बांधने दिया। तो आज फिर ऐसा क्या हो गया की किशोर को बंगाल चुनावों में मुखर हो कर आना पड़ा? राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो किशोर एक कोच की तरह काम करते हैं, जिसका काम खिलवाने का होता है न कि खेलने का। बंगाल में टीएमसी में पड़ी फूट का एक बड़ा कारण प्रशांत किशोर भी माने जाते हैं। विश्लेषकों का मानना है कि जब कोच मैदान में उतर पड़े तो हार निश्चित है कारण खिलाड़ी कमजोर, निराश और हताश है। क्या किशोर अब बंगाल छोड़ पंजाब आ रहे हैं,वह भी बंगाल चुनाव से पहले? तो क्या जो कयास हैं वह सही हैं? क्या भाजपा को बंगाल के लिए अग्रिम बधाई दे दी जाये?

चंडीगढ़:

पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव में अपनी रणनीति के बूते कांग्रेस को जोरदार एकतरफा जीत दिलाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक बार फिर कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ जुड़ गए हैं।  यह जानकारी खुद पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर दी है। कैप्टन ने लिखा उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि प्रशांत किशोर उनके प्रधान सलाहकार के रूप में उनसे जुड़ रहे हैं| पंजाब के लोगों की भलाई के लिए हम एक साथ काम करने के लिए तत्पर हैं|

बता दें कि प्रशांत किशोर बंगाल विधानसभा चुनावों में TMC के चुनावी रणनीतिकार हैं। बीते दिनों उन्होंने दावा किया था, “मीडिया का एक वर्ग बीजेपी के समर्थन में माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है, हकीकत यह है कि बीजेपी दहाई के आँकड़े के लिए संघर्ष कर रही है। अगर बीजेपी बंगाल में बेहतर प्रदर्शन करती है तो मैं इस जगह को छोड़ दूँगा।”

प्रशांत किशोर के पिछले दावों और कैप्टन अमरिंदर सिंह की घोषणा के बाद ये चर्चा सोशल मीडिया पर तेज हो गई है कि क्या प्रशांत किशोर बंगाल चुनाव में पराजय की आहट से डर गए हैं? शैशव मित्तल लिखते हैं, “प्रशांत बंगाल से भागे क्योंकि उन्हें दिख रहा है कि अब उनकी दाल बंगाल में नहीं गलेगी। इसलिए नया काम ढूँढ लिया। वैसे उन्होंने कहा था कि अगर भाजपा 99 से ज्यादा सीट जीत गई तो वह जगह को छोड़ देंगे- क्या हुआ तेरा वादा।”

एक ट्वीट में कहा गया है कि प्रशांत किशोर सही खेल गए। उन्हें पता था कि बंगाल चुनाव के बाद उन्हें कहीं जॉब नहीं मिलेगी। ज्योतिष लिखते हैं कि इसे रणनीतिकार कहते हैं। अगर ये 2 मई तक का इंतजार करते तो शायद बिजनेस डील में नुकसान होता।

पिंटू यादव कहते हैं, “अब पंजाब की बारी है। ममता दीदी को डुबाने के बाद इन्होंने पंजाब का रुख किया है।” वहीं एक दूसरे अकाउंट से कहा गया है, “उन्होंने (प्रशांत ने) टीवी शो में कहा था कि बंगाल में अगर भाजपा 99 सीट लाई तो वह राजनीति छोड़ देंगे। उन्हें कम से कम कोई अन्य राजनीतिक जिम्मेदारी सँभालने से पहले 2 मई का इंतजार करना चाहिए। आखिर नैतिकता का सवाल है। “

गौरतलब है कि प्रशांत किशोर पहली बार कैप्टन अमरिंदर सिंह से नहीं जुड़े हैं। पंजाब के 2017 के विधानसभा चुनावों के समय भी उन्होंने कॉन्ग्रेसी की रणनीति तैयार करने में मदद की थी। उस समय अमरिंदर सिंह ने कहा भी था, “मैं बहुत बार कह चुका हूँ कि पीके और उनकी टीम के काम ने हमारी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।”

चुनावों की तारीखों पर रार, ममता का आयोग पर वार

ममता बनर्जी ने कहा कि इस बार पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में खेल खेला जाएगा. राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी के कहने पर चुनाव आयोग ने ऐसा किया. उन्होंने कहा कि बंगाल पर बंगाली ही राज करेगा किसी बाहरी को घुसने नहीं दिया जाएगा. ममता बनर्जी ने कहा, ”चुनाव आयोग ने पीएम मोदी और अमित शाह के दौरे के हिसाब से तारीखों का एलान किया है. जो बीजेपी ने कहा चुनाव आयोग ने वही किया है. गृह मंत्री अपनी ताकत का दुरुपयोग कर रहे हैं. हम हर हाल में बीजेपी को हराएंगे. खेल जारी है हम खेलेंगे और जीतेंगे भी.”

नई दिल्ली: 

4 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में विधान सभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. इसके बाद से ही पार्टी नेता के रिएक्शन आने शुरू हो गए हैं. जहां कुछ नेता इसे अच्छा बता रहे हैं तो वहीं कुछ चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे हैं.

कांग्रेस नेता ने उठाए सवाल

कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान ने चुनाव आयोग पर सवाल खड़े करते हुए कहा, ‘अगर केरल की 140 सीटों, तमिलनाडु की 234 सीटों और पुडुचेरी की 30 सीटों (कुल 404 सीट) पर एक ही दिन में वोटिंग पूरी हो सकती है, तो फिर असम की 126 और पश्चिम बंगाल की 294 सीटों (कुल 420 सीट) के चुनाव के लिए 7-8 फेज की क्या जरूरत है? क्या इसके पीछे कोई कुटिल रणनीती है?

ममता बनर्जी ने भी उठाए सवाल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं. बीजेपी अपने पैसों की ताकत का इस्तेमाल न करे. ममता ने कहा कि बीजेपी हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेल रही है. बंगाल में एक ही चरण में चुनाव होना चाहिए था.

BJP ने दिया करारा जवाब

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल ने चुनाव आयोग के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) बंगाल चुनाव में 200 से ज्यादा सीटें पर बहुमत हासिल करेगी. इस दौरान उन्होंने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि वो 8 फेज में चुनाव होने से डर गईं हैं. मैं राजनीति का खेल समझने वालों से कहना चाहता हूं कि उनके दिन लदने वाले हैं.

गुलाम नबी आजाद ने भी कही ये बात

वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसन ने कहा कि इस चुनाव के लिए हम तैयार हैं और बीजेपी कहीं नहीं आएगी. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल चुनाव में डट कर मुकाबला करेगी. हम चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेंगे. चुनाव आयोग शांति के साथ मतदान प्रक्रिया को पूरा कराए. ताकि लोग निर्भीक होकर अपने मत का इस्तेमाल कर सकें.

बंगाल सहित 5 राज्यों में विधान सभा चुनावों ई दुंदुभि, नतीजे 2 मई को

पश्चिम बंगाल और केरल समेत 4 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव (Assembly Election 2021) की तारीखों का ऐलान हो गया। पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में वोटिंग होगी, जबकि असम में 3 चरणों में चुनाव होंगे. इसके अलावा केरल, तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में एक चरण में चुनाव होंगे।

  • पश्चिम बंगाल में चुनाव तारीखों की घोषणा, 27 मार्च को पहले चरण के वोट, 2 मई को होगी वोटों की गिनती।
  • पश्चिम बंगाल में आखिरी यानी आठवें चरण की वोटिंग 29 अप्रैल को होगीः चुनाव आयोग।
  • पश्चिम बंगाल में छठे चरण की वोटिंग 22 अप्रैल को, सातवें चरण की वोटिंग 26 अप्रैल को होगीः चुनाव आयोग।
  • पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में वोटिंग होगी। 27 मार्च को पहले चरण,1 अप्रैल को दूसरे चरण का, 6 अप्रैल को तीसरे चरण, 10 अप्रैल को चौथे चरण, 17 अप्रैल को पांचवे चरण की वोटिंग होगीः चुनाव आयोग।
  • तमिलनाडु में 6 अप्रैल को एक ही चरण में सभी सीटों पर होगी वोटिंगः चुनाव आयोग।

नई दिल्ली:

 इलेक्शन कमीशन ने पांच राज्यों में चुनाव तारीख की घोषणा कर दी है। इलेक्शन कमीशन ने चुनावों संबंधी तैयारियों की भी पूरी जानकारी दी है। पांच राज्‍यों में 18 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे, केरल और पुडुचेरी में मतदान केंद्र बढ़ाए गए हैं।  मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि सभी पोलिंग स्टेशनों पर मास्क, सेनिटाइजेर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराए जाएंगे. वरिष्ठ नागरिकों के लिए वॉलिटिंयर की तैनाती की जाएगी।

जानें बंगाल में कब-कब चुनाव

राजनीतिक रूप से सबसे गर्म माने जा रहे पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में वोटिंग की जाएगी। 294 सीटों वाली विधानसभा के लिए वोटिंग 27 मार्च (30 सीट), 1 अप्रैल (30 सीट),  6 अप्रैल (31 सीट), 10 अप्रैल (44 सीट), 17 अप्रैल (45 सीट),  22 अप्रैल (43 सीट), 26 अप्रैल (36 सीट), 29 अप्रैल (35 सीट) को होगी।पश्चिम बंगाल में भी काउंटिंग 2 मई को की जाएगी।

असम में तीन चरण में चुनाव

उत्तर-पूर्व के सबसे बड़े राज्य असम में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव संपन्न कराए जाएंगे। राज्य में 27 मार्च को पहले चरण में 47 सीटों पर वोटिंग होगी। इसके बाद 1 अप्रैल को 39 सीटों पर दूसरे चरण और 6 अप्रैल को तीसरे चरण में 30 सीटों पर वोटिंग होगी। यहां भी काउंटिंग 2 मई को की जाएगी।

तमिलनाडु में 234 सीट पर भी एक फेज में चुनाव

दक्षिण भारत के सबसे बड़े राज्य तमिलनाडु की 234 विधानसभा सीटों पर एक फेज में चुनाव संपन्न कराया जाएगा। राज्य की सभी सीटों पर 6 अप्रैल को वोटिंग होगी। काउंटिंग 2 मई को की जाएगी।

केंद्रशासित पुडुचेरी में भी एक फेज में होगी वोटिंग

इसके अलावा वर्तमान में राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहे पुडुचेरी में भी एक फेज में सभी सीटों पर वोटिंग का फैसला किया गया है। राज्य में 6 अप्रैल को वोटिंग करवाई जाएगी। राज्य विधानसभा में 30 सीटें हैं। काउंटिंग 2 मई को संपन्न होगी।

केरल में एक चरण में वोटिंग, 2 मई को नतीजे

कांग्रेस और लेफ्ट के गढ़ कहे जाने वाले केरल में भी एक फेज में वोटिंग का फैसला किया गया है।पड़ोसी राज्य तमिलनाडु की तरफ केरल में भी 6 अप्रैल को सभी सीटों पर वोटिंग की जाएगी। राज्यसभा विधानसभा में 140 सीटें हैं।

चुनावी माहौल की बात करें तो पश्चिम बंगाल में राजनीतिक सरगर्मियां पहले से तेज हैं। राज्य में दो टर्म से लगातार सत्ता में बनी हुई तृणमूल कांग्रेस तीसरी बार भी सरकार बनाने के दावे कर रही है। वहीं केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों को आधार बनाते हुए उत्साह से लबरेज है। बीजेपी की तरफ से लगातार दावा किया जा रहा है कि वो 294 सीटों की विधानसभा में 200 सीटें हासिल करेगी. इस बीत कई कद्दावर टीएमसी नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा है।

इनमें शुभेंदू अधिकारी सबसे कद्दावर नेता माने जा रहे हैं. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक ममता को इसका नुकसान हो सकता है। हालांकि खुद ममता बनर्जी की तरफ से कहा जा चुका है उन्हें इसका कोई नुकसान नहीं होने जा रहा है। यहां तक कि उन्होंने शुभेंदू अधिकारी के गढ़ कहे जाने वाले नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की रणनीतिक घोषणा भी कर दी है।

वहीं पश्चिम बंगाल के पड़ोसी राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी 2016 में मिली ऐतिहासिक सफलता को दोहराने के दावे कर रही है। विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से सीएए के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जा रहा है। तमिलनाडु में बीजेपी सत्तारूढ़ एआईडीएमके के साथ है. वहीं केरल में पिनराई विजयन एक बार फिर एलडीएफ को सत्ता में वापस लाने की कोशिश करेंगे। पॉन्डिचेरी में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच चुनाव रोचक होने की संभावना है।

जय श्री राम का नारा हमारी यात्रा का प्रतीक है। हम संकल्प करते हैं कि पश्चिम बंगाल से टीएमसी को उखाड़ फेकेंगे: अमित शाह

अमित शाह गुरुवार को गंगासागर स्थित कपिल मुनि मंदिर में पूजा अर्चना के बाद दक्षिण 24 परगना जिले के काकद्वीप के नामखाना में एक जनसभा को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने भाजपा के पांचवें चरण की परिवर्तन यात्रा को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसके बाद शाह यहां के नारायणपुर गांव में शरणार्थी परिवार सुब्रत विश्वास के घर पहुंचे जहां उन्होंने दोपहर का भोजन किया।

  • बीजेपी सरकार बनने के बाद किसानों को पुराना और नया दोनों पैसा बैंक अकाउंट में जमा करेंगे: शाह
  • शाह ने कहा कि रबींद्र नाथ टैगोर और विवेकानंद के सपनों का बंगाल बनाना है तो जनता को बीजेपी को एक मौका देना चाहिए
  • तुष्टीकरण के खिलाफ है जय श्रीराम का नारा। इस नारे को लेकर घर-घर जाएगी बीजेपी: अमित शाह
  • अम्फान तूफान में केंद्र सरकार ने राज्य के लिए पैसा भेजा। उन पैसों को ये टीएमसी के गुंडे खा गए: अमित शाह
  • गृह मंत्री अमित शाह ने कोलकाता के भारत सेवाश्रम संघ में पूजा की।

कोलकतता/चंडीगढ़:

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पारा लगातार बढ़ता जा रहा है। पश्चिम बंगाल में दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नामखाना में एक रैली को संबोधित किया। शाह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जय श्री राम का नारा लगता है, तो दीदी बोलती है कि उनका अपमान करते हैं। अमित शाह ने टीएमसी को घेरते हुए रैली में जय श्री राम के नारे भी लगवाए। शाह ने कहा कि ये नारा हमारी यात्रा का प्रतीक है। हम संकल्प करते हैं कि पश्चिम बंगाल से टीएमसी को उखाड़ फेकेंगे।

अपने बंगाल दौरे पर अमित शाह ने कहा कि हमारा लक्ष्य सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि गरीब जनता की स्थिति में सुधार लाना है। बंगाल की माताओं-बहनों की स्थिति में परिवर्तन हो। इसलिए हम परिवर्तन यात्रा लेकर आए हैं।

शाह का एलान, मछुआरों को दिए जाएंगे 6000 सालाना

गृह मंत्री ने कहा कि भाजपा की सरकार बनने पर मछुआरों को हर साल 6000 रुपये दिए जाएंगे, बिल्कुल वैसे ही जैसे किसानों को सम्मान निधि मिलती है। शाह ने कहा कि मछुवारे भाइयों को नाव चलाने के लिए किसी को रिश्वत न देनी पड़े, ये परिवर्तन है।आदिवासियों को रहने के लिए कट मनी न देनी पड़े, इसे परिवर्तन कहते हैं। प्राकृतिक आपदा के समय आपका अधिकार कोई और न ले जाए, इसे परिवर्तन कहते हैं।

भाजपा के दबाव में सरस्वती पूजा कर रहीं ममता दीदी 

बंगाल के नामखाना में रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ममता बनर्जी पर निशाना साधा। कहा कि  बंगाल में दुर्गा पूजा के लिए कोर्ट से अनुमति लेनी होती है। दीदी ने स्कूलों में सरस्वती पूजा बंद करा दी गई, भाजपा के दबाव के बाद दीदी सरस्वती पूजन करती दिखी हैं। जय श्रीराम का नारा लगाने पर दीदी को गुस्सा आ जाता है। अमित शाह ने कहा कि हम बंगाल में तुष्टिकरण खत्म करेंगे ताकि लोग सरस्वती पूजा-राम नवमी को मना पाएं। दुर्गा पूजा करने के लिए किसी से अनुमति ना लेनी पड़े।

सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा 7वें वेतन आयोग का लाभ : शाह

शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल की हालत बदतर हो गई है, यहां भाजपा की सरकार बनेगी, तो केंद्र की मोदी सरकार के साथ डबल इंजन सरकार आगे बढ़ेगी। हमारी सरकार आने पर सरकारी कर्मचारी को सातवां वेतन आयोग देने का काम किया जाएगा। शाह ने कहा कि आप एक बार बंगाल में भाजपा की सरकार बना दीजिए, बंगाल के सभी सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाएगा। शिक्षक भाइयों को उचित मानदंड मिले, इसके लिए एक कमेटी का गठन भाजपा सरकार करेगी।

130 कार्यकर्ताओं की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी :शाह 

गृह मंत्री शाह ने कहा, ”बंगाल में जो राजनीतिक हिंसा होती है, उसमें 130 भाजपा कार्यकर्ता मारे गए। ममता दीदी सोचती हैं कि किसी को मार देने से भाजपा रुक जाएगी। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि ममता दीदी तृणमूल के गुंडो ने हमारे 130 कार्यकर्ताओं को मारा है, उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी।”

अमित शाह ने चेतावनी देते हुए कहा कि जो गुंडे ममता दीदी की शह पर आज छिपकर बैठे हैं, उनको मैं कहना चाहता हूं कि जहां छिपना है छिप जाओ। भाजपा की सरकार बनने के बाद पाताल में से भी ढूंढकर आपको जेल में डालेंगे।

टीएमसी का नारा -भतीजा बढ़ावा 

अमित शाह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए कहा, टीएमसी का एक ही नारा है, भतीजा बढ़ावा। भतीजे के कल्याण के अलावा टीएमसी के मन में कोई अभिलाषा नहीं है। नरेंद्र मोदी का नारा- सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास है। 

शाह के साथ भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय, राष्ट्रीय महासचिव व बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष, राहुल सिन्हा सहित अन्य नेताओं ने भी जमीन पर बैठकर भोजन किया। भोजन के पश्चात शाह काकद्वीप में एक रोड शो भी करेंगे। इससे पहले शाह गंगासागर भी गए थे और उन्होंने वहां कपिल मुनि मंदिर में पूजा अर्चना की।

तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। आंदोलन के प्रमुख चेहरे राकेश टिकैत चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में आंदोलन को धार देने का ऐलान कर चुके हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ सबसे ज्यादा नाराजगी पंजाब और हरियाणा के किसानों में देखी जा रही है और पंजाब के निकाय चुनाव में बीजेपी इस गुस्से में बुरी तरह झुलस भी चुकी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बंगाल चुनाव पर भी किसान आंदोलन का असर दिखेगा? एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में जब यही सवाल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पूछा गया तो उनके जवाब का लब्बोलुआब यह था कि फायदा ही होगा, नुकसान नहीं।

 किसानों की एक अलग प्रॉब्लम है जिस पर किसान नेता जवाब देना ही नहीं चाहते हैं। मोदीजी जो 6 हजार रुपये सालाना (किसान सम्मान निधि) किसानों को भेज रहे हैं, वह पश्चिम बंगाल के किसानों को मिलता ही नहीं हैं। ममता दीदी इसका लिस्ट ही नहीं देती हैं। देशभर के किसानों को साल का 6 हजार रुपये मिलता है लेकिन पश्चिम बंगाल के किसानों को नहीं मिलता। लेकिन पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सरकार बनने के बाद हम सूबे के किसानों को पुराने पैसे के साथ-साथ नई किस्त भी देंगे।’