मोब लिंचिंग के शिकार इन्स्पैक्टर की बेटी ने की सीबीआई जांच की मांग

अधिकारियों ने बताया कि मामले में आरोपियों को पकड़ने के लिए एक पुलिस टीम के साथ कुमार गांव में गए थे. यह मामला किशनगंज पुलिस थाने में दर्ज है. उन्होंने बताया किभीड़ ने उन्हें घेर लिया और उन पर हमला कर दिया था. इसके बाद पंजिपारा चौकी से पुलिसकर्मियों की एक टीम ने उन्हें भीड़ से छुड़ाया और इस्लामपुर सदर अस्पताल ले गई, जहां डॉक्‍टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पश्चिम बंगाल पुलिस ने इस घटना के सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. उनकी पहचान फिरोज आलम, अबुजर आलम और सहीनुर खातून के रूप में हुई है.

किशनगंज(बिहार)/ नयी दिल्ली :

बिहार के किशनगंज जिला के नगर थाना प्रभारी अश्विनी कुमार की शनिवार (अप्रैल 10, 2021) को पश्चिम बंगाल में हत्या के मामले में उनकी बेटी ने इसे षड़यंत्र करार देते हुए सीबीआई जाँच की माँग की है। वहीं उनकी पत्नी ने सर्किल इंस्पेक्टर पर केस दर्ज करने की माँग की है। 

मामले में किशनगंज के एसडीपीओ जावेद अंसारी ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि SHO की हत्या करने वाले भीड़ को वहाँ की एक मस्जिद से बकायदा अनाउंस करके जुटाया गया था। एसडीपीओ के मुताबिक दो लोगों ने हल्ला कर पहले लोगों को बुलाया और फिर देखते ही देखते भीड़ जमा हो गई। एसडीपीओ ने कहा कि थानाध्यक्ष की हत्या करने के मामले में मस्जिद से ऐलान कर लोगों को इकट्ठा किया गया था कि चोर आ गए हैं, डाकू आ गए हैं जिसके बाद भीड़ ने थानेदार की पीट-पीटकर हत्या कर दी।

रविवार (अप्रैल 11, 2021) को किशनगंज थाना प्रभारी अश्विनी कुमार और उनकी माँ उर्मिला देवी का पूर्णिया जिले में उनके पैतृक गाँव में अंतिम संस्कार किया गया। रविवार को सुबह ही अश्विनी कुमार की 75 वर्षीया माँ उर्मिला देवी ने बेटे का शव देखते ही दम तोड़ दिया था। इसके बाद दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान शहीद अश्विनी अमर रहे के नारे से पूरा इलाका गूँज उठा।

मीडिया से बात करते हुए, अश्विनी कुमार की बेटी नैंसी ने अपने पिता की निर्मम हत्या के पीछे साजिश का आरोप लगाया। उन्होंने ऑपरेशन के दौरान अपने पिता के साथ अन्य अधिकारियों की भूमिका पर आशंका जताई। उसने सवाल किया कि जब उनके पिता को मार डाला गया, तो बाकी लोग सुरक्षित वापस कैसे आ गए। उन्हें एक खरोंच भी नहीं आई। नैंसी ने सीबीआई जाँच की माँग की है।

नैंसी ने रोते हुए कहा, “यह एक साजिश है और मैं सीबीआई जाँच की माँग करती हूँ। उन्होंने बंदूकें होने के बावजूद मेरे पिता को अकेला छोड़ दिया। न केवल सर्किल इंस्पेक्टर मनीष कुमार, बल्कि भागने वाले सभी लोगों को दंडित किया जाना चाहिए। मेरे पिता की मृत्यु के बाद मेरी दादी भी सदमे से मर गईं।”

अश्विनी कुमार की पत्नी मीनू स्नेहलता ने किशनगंज के सर्किल इंस्पेक्टर मनीष कुमार समेत अन्य के खिलाफ केस दर्ज करने की माँग की है। पुलिस को दिए आवेदन में उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि उनके पति की निर्मम हत्या में मनीष कुमार का हाथ है। छापेमारी के दौरान मनीष कुमार ने जो लापरवाही और कर्तव्यहीनता दिखाई, उसे पुलिस प्रशासन ने भी माना और उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। इसने साबित कर दिया कि इस हत्याकांड में मनीष कुमार निश्चित रूप से संदेह के घेरे में है। मीनू ने मनीष को अपनी सास की हत्या के लिए भी अप्रत्यक्ष रूप से मनीष कुमार को जिम्मेदार ठहराया है।

अश्विनी कुमार के स्वजनों को पूर्णिया प्रक्षेत्र के सभी पुलिसकर्मियों ने एक दिन का वेतन (करीब 50 लाख रुपए) और आईजी ने 10 लाख देने की घोषणा की। वहीं मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवार को हरसंभव मदद देने की बात कही। इसके साथ ही अनुकंपा पर घर के एक व्यक्ति को नौकरी देने की भी घोषणा की गई है। अश्विनी की बड़ी बेटी जहाँ बदहवास स्वजनों को सँभालने की कोशिश कर रही थी वहीं उनकी सबसे छोटी बेटी और बेटा सबसे बार- बार यही पूछ रहे थे कि पापा उठ क्यों नहीं रहे। बता दें कि इस मातम की वजह से गाँव में किसी के भी घर में दो दिनों तक चूल्हा नहीं जला।

प्रखंड क्षेत्र में रविवार को जगह-जगह श्रद्धांजलि दी गई और हत्यारे की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की माँग की गई। इस मामले में अब तक पश्चिम बंगाल से पाँच जबकि बिहार से तीन लोगों की गिरफ्तारी की गई है। मस्जिद से अनाउंस कर भीड़ इकट्ठा करने के मामले में पुलिस ने मास्टरमाइंड फिरोज और इजराइल थे जिनको भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले शनिवार को पुलिस ने मुख्य अभियुक्त फिरोज आलम ,अबुजार आलम और सहीनुर खातून की गिरफ्तारी की थी।

ये घटना पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर के गोलपोखर पुलिस स्टेशन इलाके के गाँव पांतापारा में हुई। किशनगंज थाने के एसएचओ अश्विनी कुमार दलबल के साथ बाइक चोरी को पकड़ने बंगाल के पांतापाड़ा गाँव छापेमारी करने गए थे। भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला कर खदेड़ा। थानाध्यक्ष को घेर लिया और पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। आरोप है कि पश्चिम बंगाल की पुलिस ने सूचना के बावजूद बिहार पुलिस की टीम का कोई सहयोग नहीं किया।

प्रशांत किशोर की सार्वजनिक हुई वार्ता कहीं चुनावी खेल तो नहीं?

जब से प्रशांत किशोर के क्लब हाउस वाली वार्ता सामने आई है, किशोर की मात्र एक ही प्रतिकृया सामने आई। प्रशांत ने कहा “यदि हिम्मत है तो सारी वार्ता सुनाई जाये न की चुने हुए कुछ अंश।” लेकिन प्रशांत किशोर को जानने वाले पूछ रहे हैं कि कहीं प्रशांत किशोर ने अपनी क्लब हाउस वाली वार्ता खुद ही तो नहीं सार्वजनिक कर दी? वैसे भी इस पूरे प्रकरण से प्रशांत गदगद हैं कि भाजपा आज भी उन्हे बहुत महत्व देती है। साथ ही दो प्रश्न भी उठाते हैं पहला, प्रशांत किशोर ने खलिस्तान समर्थओन के हुजूम वाले क्लब हाउस को ही क्यों चुना ? दूसरे कहीं यह वार्ता का सार्वजनिक होना भी कहीं कोई चुनवी प्रपंच तो नहीं?

पंचकुला/कोलकत्ता:

पश्चिम बंगाल चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, अनुमानों और प्रश्नों का वातावरण गझिन होता जा रहा है। कौन जीत रहा है? किस दल को कितनी सीटें मिलेंगी? क्या भारतीय जनता पार्टी (BJP) भारी बहुमत से सरकार बनाएगी? क्या ममता बनर्जी के लिए अपना गढ़ बचाना असंभव हो गया है?

चुनाव के मौसम में नेता और विशेषज्ञ सार्वजनिक मंचों पर ऐसे प्रश्नों से बचते हैं। सामान्यतया दलों के लिए काम करने वाले प्रबंधक भी नहीं चाहते कि पत्रकार या कोई और उनसे इस तरह के प्रश्न पूछने जिसके उत्तर में उन्हें कुछ ऐसा कहना पड़े जो आने वाले परिणामों से भिन्न हो।

पर ऐसे माहौल में भी एक व्यक्ति इस तरह के प्रश्न का उत्तर देने के लिए जगह-जगह न केवल तैयार दिखता है, बल्कि कई बार लगता है जैसे वे ख़ुद चाहते हैं कि उनसे ऐसे प्रश्न पूछे जाएँ। ये व्यक्ति हैं प्रशांत किशोर, हाल के वर्षों में भारतीय चुनावों में चुनावी प्रबंधकों की लम्बी होती जा रही सूची में शीर्षस्थ प्रबंधक।

बंगाल चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के बाद ही एक दैनिक को दिए एक ख़ासे लम्बे साक्षात्कार में प्रशांत अपने तमाम फ़ैसलों और चुनावी रणनीतियों के बारे में विस्तार से बोलते और उनका बचाव करते दिखे। प्रश्न यह उठता है कि बहुचर्चित बंगाल विधानसभा चुनाव के आठ चरणों में से मात्र दो चरणों की वोटिंग के बाद ही ऐसा साक्षात्कार देने की जल्दी क्यों आन पड़ी थी? एक ऐसा साक्षात्कार जिसमें प्रशांत बहुत छोटी-छोटी रणनीतियों पर भी विस्तार से बोले। यहाँ तक कि दशकों से ‘दीदी’ के नाम से प्रसिद्ध ममता बनर्जी को इन चुनावों में बंगाल की ‘बेटी’ के रूप में उन्होंने क्यों प्रस्तुत किया, इस पर भी विस्तृत चर्चा की।

कौन प्रबंधक अपनी हर छोटी-बड़ी रणनीति की चर्चा इस तरह से सार्वजनिक तौर पर करता है? जिस प्रशांत किशोर की रणनीतियों के बारे में जानने के लिए लोग उत्सुक रहते हैं, जो प्रशांत किशोर निज को एक पहेली की तरह प्रस्तुत करते रहे, वही प्रशांत किशोर अचानक चुनावी प्रबंधन के अपने कैरियर के सबसे महत्वपूर्ण चुनाव की एक-एक रणनीति पर विस्तार से चर्चा करते हुए क्यों बरामद हुए? अचानक क्या हुआ कि उन्हें ऐसा करना पड़ा?

उनके इस साक्षात्कार के बाद राजनीतिक हलकों और सोशल मीडिया पर यह प्रश्न उठा कि क्या प्रशांत किशोर अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार कर रहे कि बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी हार रही हैं? यहाँ बात तृणमूल कॉन्ग्रेस के संभावित हार की भी नहीं हो रही थी, बल्कि ममता बनर्जी के हार की हो रही थी क्योंकि प्रशांत किशोर ने अपनी ढाई साल की मेहनत में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) को आगे न रखकर हमेशा ममता बनर्जी को ही आगे रखा था। एक प्रश्न यह भी उठा कि क्या प्रशांत किशोर अपने इस साक्षात्कार के माध्यम से किसी और को कोई संदेश देना चाहते हैं? यदि ऐसा है तो वे किसे संदेश देना चाहते हैं और वह संदेश क्या हो सकता है?

पश्चिम बंगाल चुनावों में वोटिंग की शुरुआत से पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रशांत किशोर को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अपना प्रबंधक नियुक्त कर चुके हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि बंगाल चुनावों के संभावित परिणामों की चर्चा से होने वाले नुक़सान को रोकने के लिए प्रशांत किशोर ऐसे साक्षात्कार दे रहे हैं? उन्हें क्या डर है कि बंगाल चुनावों के परिणामों का असर उनके पंजाब असायनमेंट पर होगा?

इन प्रश्नों को तब और बल मिला जब प्रशांत किशोर ने अपने मित्र पत्रकारों के साथ क्लबहाउस पर बातचीत की, जिसमें उन्होंने उन मुद्दों पर तो चर्चा की ही जिनके बारे में वे इंडियन इक्स्प्रेस वाले साक्षात्कार में विस्तार से बोल चुके थे, नए विषयों पर भी विस्तृत चर्चा की जिनके बारे में उस साक्षात्कार में चर्चा नहीं हुई थी। प्रश्न पूछने वाले पत्रकारों में लगभग वे सभी पत्रकार थे जिन्होंने लम्बे समय से भाजपा और नरेंद्र मोदी को कोस कर अपनी पहचान बनाई है। क्लबहाउस के इस रूम में उपस्थित लोगों और उनके द्वारा किए गए प्रश्नों को सुन कर ऐसा लगा कि क्लबहाउस का यह साक्षात्कार एक विस्तृत योजना का परिणाम है।

इसमें प्रशांत किशोर और पत्रकारों के बीच की चर्चा की कई रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। हालाँकि इस चर्चा में प्रशांत किशोर ने कई बार भाजपा की लहर, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और बंगाल चुनावों के संभावित परिणामों को स्वीकार किया पर उन्होंने बहादुरी का एक मुखौटा भी चढ़ाए रखा। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बंगाल के मतदाताओं के बीच नरेंद्र मोदी की बड़ी लोकप्रियता को स्वीकार तो किया पर उसके साथ ही उन्होंने तुरंत यह कहा कि नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी की लोकप्रियता एक समान है।

क्लबहाउस की इस चर्चा के बाद एक प्रश्न और उठा कि उन्होंने ऐसी चर्चा या अपने संदेश के लिए क्लबहाउस को ही क्यों चुना? इस प्रश्न का एक उत्तर इस बात में जान पड़ता है कि क्लबहाउस पर ख़ालिस्तानी प्रोपेगेंडा के वाहक भारी मात्रा में हैं और सम्भवतः प्रशांत अपने पंजाब असयानमेंट के लिए समर्थकों के एक झुंड की तलाश में यहाँ पहुँचे हों। इसका एक संभावित उत्तर यह भी है कि बंगाल चुनावों के परिणाम को लेकर कोई संदेश बंगाल से पंजाब गया हो, जिसके कारण प्रशांत के ऊपर किसी तरह का दबाव बना हो।

यह बात स्थापित राजनीतिक मान्यताओं का हिस्सा है कि अलग-अलग दल और विचारधाराओं के वाहक होने के बावजूद नेता एक-दूसरे के साथ अपरोक्ष चैनल के माध्यम से संदेशों का आदान-प्रदान करते रहते हैं और ऐसे ही किसी चैनल के माध्यम से बंगाल से चलकर कोई संदेश पंजाब पहुँचा हो जिसमें प्रशांत किशोर के लिए किसी तरह की मुश्किल खड़े करने की क्षमता है।

ख़ैर, कारण चाहे जो हों, आने वाला समय बड़ा राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत रोचक जान पड़ता है और बंगाल चुनावों के परिणाम इसे और रोचक बनाने वाले हैं।

भारतीय पुरातत्व विभाग को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित स्थल पर सर्वेक्षण कराने की मंजूरी

रिपोर्ट्स के अनुसार मामले में वादी पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि 1991 में दायर याचिका में मांग की गई थी कि मस्जिद ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है. जहां हिन्दू आस्थावानों को पूजा-पाठ, दर्शन और मरम्मत का अधिकार है। स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास और अन्य ने याचिका दायर की थी।

  • भारतीय पुरातत्व विभाग को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित स्थल पर सर्वेक्षण कराने की मंजूरी
  • वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने विश्वेश्वरनाथ के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी के आवेदन को स्वीकार कर लिया
  • सर्वेक्षण के दौरान मुस्लिम समुदाय से संबंधित लोगों को विवादित स्थल पर नमाज अदा करने से रोका नहीं जाएगा

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के पक्ष में फैसला देते हुए कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर का रडार तकनीक से पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की मंजूरी दे दी है। सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट आशुतोष तिवारी की अदालत ने गुरुवार को लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी के आवेदन को स्वीकार कर लिया।

अदालत में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वरनाथ के वाद मित्र विजयशंकर रस्तोगी की तरफ से वर्ष 1991 से लंबित इस प्राचीन मुकदमे में आवेदन दिया था। जिसमें कहा गया कि मौजा शहर खास स्थित ज्ञानवापी परिसर के आराजी नंबर 9130, 9131, 9132 रकबा एक बीघे नौ बिस्वा जमीन का पुरातात्विक सर्वेक्षण रडार तकनीक से करके यह बताया जाए कि जो जमीन है, वह मंदिर का अवशेष है या नहीं। साथ ही विवादित ढांचे का फर्श तोड़कर देखा जाए कि 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ वहां मौजूद हैं या नहीं। दीवारें प्राचीन मंदिर की हैं या नहीं।

काशी

रडार तकनीक से सर्वेक्षण से जमीन के धार्मिक स्वरूप का पता चल सकेगा। वाद मित्र रस्तोगी की दलील थी कि 14वीं शताब्दी के मंदिर में प्रथम तल में ढांचा और भूतल में तहखाना है, जिसमें 100 फीट ऊंचा शिवलिंग है, यह खुदाई से स्पष्ट हो जाएगा। मंदिर हजारों वर्ष पहले 2050 विक्रम संवत में राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था। फिर सतयुग में राजा हरिश्चंद्र और वर्ष 1780 में अहिल्याबाई होलकर ने जीर्णोद्धार कराया था। उन्होंने यह भी कहा था कि जब औरंगजेब ने मंदिर पर हमला किया था तो उसके बाद 100 वर्ष से ज्यादा समय तक यानी वर्ष 1669 से 1780 तक मंदिर का अस्तित्व ही नहीं था।

सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने कहा कि दावे के अनुसार, जब मंदिर तोड़ा गया, तब ज्योतिर्लिंग उसी स्थान पर मौजूद था, जहां आज है। उसी दौरान राजा अकबर के वित्तमंत्री टोडरमल की मदद से नरायन भट्ट ने मंदिर बनवाया था, जो उसी ज्योतिर्लिंग पर बना है। ऐसे में विवादित ढांचा के नीचे दूसरा शिवलिंग कैसे आ सकता है। इसलिए खुदाई नहीं होनी चाहिए।

रामजन्म भूमि की तरह पुरातात्विक रिपोर्ट मंगाए जाने पर कहा था कि स्थितियां विपरीत हैं। वहां साक्षियों के बयान के बाद विरोधाभास होने पर कोर्ट ने रिपोर्ट मंगाई थी, जबकि यहां के मामले में अभी तक किसी का साक्ष्य हुआ ही नहीं है। ऐसे में साक्ष्य आने के बाद विरोधाभास होने पर कोर्ट रिपोर्ट मंगा सकती है। दलील दी कि साक्ष्य एकत्र करने के लिए रिपोर्ट नहीं मंगाई जा सकती। यह भी कहा कि विवादित ढांचा खोदे जाने से शांतिभंग भी हो सकती है।

कोर्ट का दायित्व है कि वहां शांति बनी रहे। इसी तरह से सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड से मिलती-जुलती दलीलें अंजुमन इंतजामिया कमेटी की ओर से भी पेश की गई। अदालत में लार्ड विश्वेश्वरनाथ की तरफ से अमरनाथ शर्मा, सुनील रस्तोगी, रितेश राय, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से रईस अहमद खान, अफताब अहमद व मुमताज अहमद और सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से तौफीक खान कोर्ट में मौजूद थे।

टीएमसी के नेता के घर चुनाव से पहले 4 ईवीएम और वीवी पैट बरामद

अधिकारियों ने बताया कि इसमें शामिल सभी लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। पर सवाल ये है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता के घर ये मशीनें पहुंचीं कैसे? आयोग की शुरुआती जांच में ये पता चला है कि सेक्टर ऑफिसर तपन सरकार रिजर्व ईवीएम और वीवीपैट के साथ अपने सेक्टर में मौजूद थे। वो रात में अपने रिश्तेदार के घर सोनेचले गए और मशीनें भी अपने साथ ही ले गए। उनके ये रिश्तेदार ही टीएमसी के नेता गौतम घोष थे। चुनाव आयोग के मुताबिक, ये गंभीर लापरवाही और नियमों के उल्लंघन कामामला है। हालांकि आयोग ने साफ किया है कि इन मशीनों का वोटिंग से सीधा कोई ताल्लुक नहीं था।

कोलकत्ता:

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के एक नेता के घर से EVM बरामद होने के बाद इलाके में सनसनी फ़ैल गई। राज्य में मंगलवार (अप्रैल 6, 2021) को तीसरे चरण का चुनाव भी चल रहा है। ऐसे में इससे 1 रात पहले इस तरह की घटना से TMC घेरे में आ गई है। तुलसीबेरिया के तृणमूल नेता गौतम घोष को ग्रामीणों ने 1 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और 4 वोटर-वेरिफायेबल पेपर ऑडिड ट्रेल (VVPAT) के साथ पकड़ा।

ये घटना उलूबेरिया नॉर्थ विधानसभा क्षेत्र की है, जहाँ तीसरे चरण में ही वोट डाले जा रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार चिरन बेरा ने आरोप लगाया कि ये चीजें TMC नेता के घर से मिली हैं, जिससे पता चलता है कि राज्य की सत्ताधारी पार्टी चुनाव में धाँधली कर रही है। उन्होंने बताया कि EVM और VVPAT को चुनावी ड्यूटी के लिए कार से लाया गया था। साथ ही तृणमूल नेता के घर के बाहर ‘सेक्टर 17’ की चुनावी ड्यूटी की कार भी पड़ी मिली।

वहाँ के सेक्टर अधिकारी को भी ग्रामीणों ने दबोच लिया। सेक्टर ऑफिसर ने अपने बचाव में कहा कि चुनावी ड्यूटी के लिए मशीनों को लाते समय काफी रात हो गई थी। केंद्रीय सशस्त्र बल सो गए थे और उन्होंने बूथ खोला ही नहीं। लिहाजा उन्होंने अपने एक रिश्तेदार के घर पर रात बिताना उचित समझा। सूचना मिलते ही पुलिस भी वहाँ पहुँची, लेकिन स्थिति बिगड़ने के कारण लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर कर दिया।

उक्त सेक्टर अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है और उसके पास से मिली EVM को भी जब्त कर लिया गया है। इन EVM का प्रयोग मतदान में नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल में आज 31 सीटों पर मतदान हो रहा है, जो सुबह 7 बजे ही शुरू हुआ। साउथ 24 परगना जिले की 16, हावड़ा की 7 और हुगली की 8 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। भाजपा ने स्थानीय अधिकारियों की निष्ठा पर सवाल उठाए हैं।

वहीं चुनाव आयोग ने भी इस मामले में बयान जारी किया है। इलेक्शन कमीशन ने कहा कि सेक्टर अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही बताया कि मतदान की प्रक्रिया में उस EVM का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। ECI ने आश्वासन दिया कि इसमें शामिल सभी लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।

योगी आदित्यनाथ ने बंगाल के प्रशासनिक अधिकारियों को निष्पक्ष होकर काम करने की नसीहत दी

उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने पश्चिम बंगाल में ऐलान किया कि दो मई को भाजपा सरकार आ रही है और प्रशासन के लोग वह काम न करें, जिससे आगे चल कर उनको पछतावा हो, ये टीएमसी की विदाई की बेला है, शानदार तरीके से इनको विदा कीजिए। प्रशासन चुनाव सम्‍पन्‍न कराने में ईमानदारी से अपना काम करे। मैं हेलीकाॅप्टर से देख रहा था कि जगह-जगह पर भाजपा कार्यकर्ताओं को रोका जा रहा। लोकतंत्र में यह अच्छा नहीं है।

कोलकत्ता:

पश्चिम बंगाल में चुनावी सभाओं में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने टीएमसी नेताओं के साथ ही वहां के प्रशासनिक अफसरों को भी चेताया। उन्होंने कहा कि दो मई को दीदी की विदाई तय हैं और भाजपा की सरकार बनने जा रही है। इसलिए अधिकारी चुनाव में निष्पक्ष होकर काम करें। उन्होंने कहा कि अधिकारी कोई भी ऐसा काम न करें, जिसकी वजह से उन्हें आगे चलकर पछतावा हो। उन्होंने कहा कि जगह-जगह भाजपा कार्यकर्ताओं को मतदान करने से रोका जा रहा है। प्रशासन के लोग ऐसा न करें। टीएमसी सरकार की विदाई की बेला है, इसलिए शानदार तरीके से विदा करें।

मुख्यमंत्री ने रविवार को हुगली, चंदन नगर, खानाकुल और जंगीपाड़ा में चुनावी संबोधित करते हुए टीएमसी सरकार पर जमकर निशाना साधा। खानाकुल जनसभा में उन्होंने कहा कि दशकों से टीएमसी और वामपंथी अराजकता फैला रहे हैं। इन दलों के भ्रष्टाचार और अव्यवस्था से सिर्फ  भाजपा ही मुक्ति दिला सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल की धरती पर जन्मी विभूतियों ने राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत देश को दिया है। ये वही धरती है जिसने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना को आगे बढ़ाया, वीरांगनाओं को जन्म दिया। आज यहां के लोग वामपंथियों और टीएमसी की अराजकता से परेशान हैं।

उन्होंने ममता बनर्जी से सवाल करते हुए कहा कि जिस धरती ने 10 साल तक मुख्यमंत्री बनाए रखा, उसी धरती पर देश की शान का प्रतीक तिरंगे को लहराने वाले कार्यकर्ताओं की हत्या पर क्यों मौन हैं? टीएमसी के भ्रष्ट कृत्यों को उजागर करने वाले भाजपा कार्यकर्ता सुदर्शन प्रामाणिक की हत्या का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी हत्या टीएमसी के गुंडों ने की है। लेकिन प्रामाणिक का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि अब गुंडागर्दी के शेष 28 दिन ही बचे हैं। दो मई के बाद तो टीएमसी के गुंडों की आने वाली पीढ़ियां भी गुंडागर्दी करना भूल जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता ने 30 से 40 साल कांग्रेस को 30 साल वामदलों और 10 साल टीएमसी को दिए हैं,  लेकिन विकास के नाम पर कोई काम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा और सरस्वती पूजा नहीं कर सकते हैं। होली खेलने से रोका जाता है। ऐसा ही काम पहले यूपी में भी होता था, लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद यूपी में कांवड़ यात्रा निकलती है, दुर्गा पूजा और होली खेली जाती है। सभी गुंडे यूपी से गायब हो चुके हैं और सिर्फ  विकास का बोलबाला है। उन्होंने कहा कि दो साल पहले दुर्गा पूजा और रमजान एक साथ पड़ा था तो ममता दीदी ने दुर्गा पूजा पर रोक लगा दी थी। ममता दीदी का पूरा ध्यान दुर्गा पूजा के बजाय रोजा इफ्तार कराने में लगा रहता है।

दो घंटे बूथ पर बैठकर हार स्वीकार कर चुकीं हैं दीदी
चंदननगर की जनसभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि वामपंथी, टीएमसी और कांग्रेस ने युवा, किसान और गरीबों के लिए कुछ नहीं किया। यहां कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं दिया गया। जबकि यूपी में कर्मचारियों को इसका लाभ दिया जा रहा है। नंदीग्राम में दो घंटे एक बूथ पर ममता दीदी का बैठना यह बताता है कि टीएमसी अपनी हार स्वीकार कर चुकी है।

दीदी सिर्फ अपने भतीजे के विकास में लगीं

श्रीरामपुर विधानसभा के जंगीपाड़ा की सभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां का विख्यात हैंडलूम उद्योग दम तोड़ रहा है। फूड प्रोसेसिंग का कोई अच्छा केन्द्र न होने से यहां के आलू उत्पादन में लगे किसानों को  उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। 10 साल से पश्चिम बंगाल में कोई उद्योग नहीं लगा। दीदी सिर्फ अपने भतीजे के ही विकास में लगी रहीं।

बंगाल चुनावों के नतीजों से थी एक दिन पहले अभिषेक को मध्य प्रदेश की एक कोर्ट से समन

25 नवम्बर 2020 को कोलकाता में आयोजित तृणमूल कांग्रेस की आमसभा के दौरान डायमंड हार्बर संसदीय क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने मंच से बंगाल प्रभारी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को बाहरी एवं उनके पुत्र विधायक आकाश विजयवर्गीय को गुंडा जैसे अशोभनीय शब्दों से संबोधित कर उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया था। उन्होंने कहा कि इसके विरूद्ध आकाश विजयवर्गीय द्वारा न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी भोपाल के समक्ष मानहानि का परिवाद दायर कर साक्ष्य प्रस्तुत किए गए थे।

भोपाल /कोलकतता

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। मध्य प्रदेश की एक कोर्ट ने टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी को मानहानि मामले समन जारी किया है। 

बता दें कि अभिषेक बनर्जी के खिलाफ यह मामला पश्चिम बंगाल भाजपा प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय ने दायर किया था। 

न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी) भोपाल की अदालत ने यह आदेश दिया है कि वह आकाश विजयवर्गीय द्वारा दायर किए गए मानहानि मामले में एक मई 2021 को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत हो। यह जानकारी आकाश विजयवर्गीय के अधिवक्ता श्रेयराज सक्सेना ने दी।

बता दें कि 25 मई 2020 को कोलकात में आयोजित टीएमसी की आम सभा के दौरान डायमंड हार्बर के सांसद अभिषेक बनर्जी ने मंच से कैलाश विजयवर्गीय को ‘बाहरी’ और उनके बेटे आकाश को ‘गुंडा’ जैसे शब्दों से संबोधित कर अपमानित किया था। 

अधिवक्ता ने बताया कि मानहानि का परिवाद दायर किया गया था, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी भोपाल के समक्ष मानहानि का परिवाद दायर कर साक्ष्य प्रस्तुत किए गए थे। 

अधिवक्ता श्रेयराज सक्सेना ने बताया कि कोर्ट ने उक्त साक्ष्यों और मेरे तर्कों से सहमत होकर न्यायालय ने पाया कि ममता दीदी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी द्वारा आकाश विजयवर्गीय की मानहानि किया है।  इसके बाद न्यायालय ने अभिषेक बनर्जी को समन जारी करते एक मई 2021 को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने के आदेश दिया है।

बता दें कि आकाश विजयवर्गीय मध्य प्रदेश की इंदौर- 3 विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 

पश्चिम बंगाल में कुल आठ चरणों में मतदान होने वाले हैं, राज्य में पहले चरण के लिए 27 मार्च को मतदान हुआ था। पहले चरण में करीब 80 फीसदी मतदान हुआ था। वहीं दूसरे चरण के लिए एक अप्रैल को मतदान होगा। बता दें कि मतगणना दो मई को होगी।  

शिवराज सिंह ने राहुल के नाम का अर्थ समझाया

असम विधानसभा चुनाव में अब गिनती के दिन बचे हैं। 27 मार्च, एक अप्रैल और छह अप्रैल को मतदान होगा। सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। बीजेपी ने भी अपने स्‍टारक प्रचारकों को चुनावी मैदान में उतारा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहां प्रचार करने पहुंचे हैं। गुरुवार को शिवराज सिंह ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोला। सीएम शिवराज ने कहा कि राहुल गांधी, मोहम्‍मद अली जिन्ना की राह पर जा रहे हैं। उन्‍होंने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में RAHUL (अलग-अलग एलफावेट के हिसाब से) का मतलब भी बताया।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने असम में चुनाव प्रचार के दौरान कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी पर जमकर हमला बोला। सीएम ने गुरुवार को कामरुप (रूरल) जिले के पलासबड़ी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गाँधी का फुल फॉर्म भी बताया।

उन्होंने अंग्रेजी में राहुल (RAHUL) के नाम का मतलब हुए कहा, ”राहुल गाँधी ने कॉन्ग्रेस को कहीं का भी नहीं छोड़ा है। अब तो RAHUL का मतलब हो गया है- R से Rejected, A से Absent Minded, H से Hopeless, U से Useless और L का मतलब Liar है।”

शिवराज सिंह चौहान ने कॉन्ग्रेस नेता को आड़े हाथों लेते हुए आगे कहा कि राहुल गाँधी कॉन्ग्रेस का भला नहीं कर सके, तो असम का भला क्या कर पाएँगे। राहुल गाँधी से बड़ा झूठा आज तक कोई पैदा नहीं हुआ। वे हमेशा ही झूठी घोषणाएं करते हैं। वे असम की पाँच बातों की गारंटी दे रहे हैं। जिन पर कॉन्ग्रेसियों को ही भरोसा नहीं हो रहा है, तो उनकी गारंटी पर कोई कैसे भरोसा करेगा।

इसके साथ ही उन्होंने गुवाहाटी में कहा कि हम प्यार के खिलाफ नहीं हैं, हम ‘जिहाद’ के खिलाफ हैं। किसी को धोखा देकर, नाम बदलने या बेईमान तरीके से प्यार नहीं करना चाहिए। हमने फ्रीडम टू रिलिजन एक्ट 2021 कानून बनाया है। पार्टी ने कहा है कि राज्य में एक समान कानून लागू किया जाएगा।

जीएनसीटी बिल पास आआपा उदास

दिल्‍ली में अधिकार को लेकर मुख्‍यमंत्री और एलजी के बीच जंग हमेशा से चर्चा का विषय रही है। जब से दिल्‍ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है तब से मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल और एलजी के बीच किसी न किसी बात पर विवाद होता ही रहा है। हालात यहां तक बिगड़े कि अधिकार की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एलजी और दिल्ली सरकार की भूमिकाओं और अधिकार क्षेत्र को स्पष्ट किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीएम और एलजी के बाद विवाद कम तो हुआ लेकिन खत्‍म नहीं हुआ। दिल्‍ली में पिछले काफी समय से चले आ रहे इस विवाद को दूर करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली एक्ट में संशोधन लाई(Government of National Capital Territory of Delhi (Amendment) Bill, 2021) है। संसद के दोनों सदनों में पास हो चुके इस बिल के बाद अब एलजी का अधिकार क्षेत्र काफी विस्तृत हो गया है. बिल में प्रावधान है कि राज्य कैबिनेट या सरकार किसी भी फैसले को लागू करने से पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर की ‘राय’ लेगी।

New Delhi: Lieutenant-Governor of Delhi Anil Baijal and Chief Minister Arvind Kejriwal arrive to address the Budget Session in New Delhi on Friday. PTI Photo by Atul Yadav (PTI3_16_2018_000035B)

नयी दिल्ली (ब्यूरो):

GNCT संशोधन बिल में राज्‍यपाल को किसी भी राज्‍य के मुख्‍यमंत्री के बराबर का अधिकार होगा. इस बात को आसान भाषा में समझना हो तो दिल्‍ली विधानसभा में बनाए गए किसी भी कानून में सरकार से मतलब एलजी से होगा। एलजी को सभी फैसलों, प्रस्‍तावों और एजेंडों के बारे में पहले से जानकारी देना आवश्‍यक होगा। अगर किसी मुद्दे पर मुख्‍यमंत्री और एलजी के बीच मतभेद पैदा होते हैं तो उस मामले को राष्‍ट्रपति के पास भेजा जा सकता है। यही नहीं, एलजी विधानसभा से पारित किसी ऐसे बिल को मंजूरी नहीं देंगे जो विधायिका के शक्ति-क्षेत्र से बाहर हैं. इस तरह के बिल को भी राष्‍ट्रपति के पास भेजा जा सकता है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही उसे राज्‍य में लागू किया जा सकेगा।

‘आआपा’ नेता और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी बिल को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है:

‘आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन है। दिल्ली की जनता द्वारा चुनी गई सरकार के अधिकारों को छिनकर उपराज्यपाल के हांथों में सौंप दिया गया। विडंबना देखिए कि लोकतंत्र की हत्या के लिए संसद को चुना गया, जो हमारे लोकतंत्र का मंदिर है। दिल्ली की जनता इस तानाशाही के खिलाफ लड़ेगी।’ आम आदमी पार्टी के अलावा इस बिल का कांग्रेस ने भी जमकर विरोध किया है। कांग्रेस नेता अभिषेक मुन सिंघवी ने कहा कि हमारे पास अभी सुप्रीम कोर्ट का विकल्प है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि जीएनसीटी बिल 2021 के खिलाफ विपक्ष सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।

आइए आपको बताते  हैं GNCT संशोधन बिल में क्या है और उससे दिल्ली पर क्या असर पड़ने वाला है। 

संशोधन 1-  पहला संशोधन सेक्शन 21 में प्रस्तावित है

इसके मुताबिक  विधानसभा कोई भी कानून बनाएगी तो उसमें सरकार का मतलब “उपराज्यपाल’ होगा। जबकि जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में चुनी हुई सरकार को ही सरकार माना था। 

संशोधन 2- दूसरा संशोधन सेक्शन 24 में प्रस्तावित है।

इस प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक ‘उपराज्यपाल ऐसे किसी भी बिल को अपनी मंजूरी देकर राष्ट्रपति के पास विचार के लिए नहीं भेजेंगे जिसमें कोई भी ऐसा विषय आ जाए जो विधानसभा के दायरे से बाहर हो’

(इसका मतलब अब उपराज्यपाल के पास यह पावर होगी कि वह विधानसभा की तरफ से पास किए हुए किसी भी बिल को अपने पास ही रोक सकते हैं जबकि अभी तक विधानसभा अगर कोई विधेयक पास कर देती थी तो उपराज्यपाल उसको राष्ट्रपति के पास भेजते थे और फिर वहां से तय होता था कि बिल मंजूर हो रहा है या रुक रहा है या खारिज हो रहा है)

संशोधन 3- तीसरा संशोधन सेक्शन 33 में प्रस्तावित है

इस प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक, विधानसभा ऐसा कोई नियम नहीं बनाएगी जिससे कि विधानसभा या विधान सभा की समितियां राजधानी के रोजमर्रा के प्रशासन के मामलों पर विचार करें या फिर प्रशासनिक फैसले के मामलों में जांच करें। प्रस्तावित संशोधन में यह भी कहा गया है कि इस संशोधन विधेयक से पहले इस प्रावधान के विपरीत जो भी नियम बनाए गए हैं वह रद्द होंगे।

संशोधन 4- चौथा संशोधन सेक्शन 44 में प्रस्तावित है।

इस प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक ‘उपराज्यपाल के कोई भी कार्यकारी फैसले चाहे वह उनके मंत्रियों की सलाह पर लिए गए हो या फिर ना लिए गए हो… ऐसे सभी फैसलों को’ उपराज्यपाल के नाम लिया जाएगा। संशोधित बिल में यह भी कहा गया है कि किसी मंत्री या मंत्री मंडल का निर्णय या फिर सरकार को दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करने से पहले उपराज्यपाल की राय लेना आवश्यक होगा।।

लाउड स्पीकर से अज़ान की शिकायत पर रार

दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि हमारा देश में तमाम मजहब के मानने वाले मिलजुल कर रहते आ रहे हैं। यहां पर होली का त्योहार का मौका हो या फिर कावंड़ यात्रा का मौका हो, बड़े बड़े लाउडस्पीकर लगाकर बजाये जाते हैं। इसके अलावा रामायण आदि का पाठ भी लाउडस्पीकर से किया जाता है।

भारत में लगभग 50 साल तक लाउड स्पीकर पर अज़ान देना हराम था. फिर ये हलाल हो गया। और इतना कि इसकी कोई सीमा न रही. लेकिन ये खत्म होना चाहिए। अज़ान ठीक है, लेकिन लाउड स्पीकर से दूसरे लोगों को परेशानी होती है। मुझे उम्मीद है कि इस बार वो खुद से ये कर लेंगे। – जावेद अख्तर

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की कुलपति द्वारा अजान को लेकर उठाए गए सवालों पर अब राजनीतिक बवाल शुरू हो गया है। कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने प्रयागराज के डीएम को चिट्ठी लिख कहा है कि मस्जिद की अजान से उनकी नींद में खलल पड़ता है, ऐसे में एक्शन लिया जाए। अब इस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँआ रही हैं। समाजवादी पार्टी ने कहा है कि भाजपा सिर्फ धर्म-जाति के मसले पर राजनीति करना चाहती है। 

राजनीतिक बयानबाजी हुई तेज़

समाजवादी पार्टी के अनुराग भदौरिया ने बयान दिया कि जब से भाजपा की सरकार बनी है, सिर्फ जाति-धर्म की बात हो रही है रोज़गार पर जोर नहीं दिया जा रहा है। किसी शिक्षा संस्थान को इस तरह के मसले पर जोर नहीं देना चाहिए।

वहीं, भाजपा के प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव का कहना है कि नमाज़ करना अधिकार है, लेकिन कोर्ट पहले ही कह चुका है कि लाउडस्पीकर लगाना निजता का हनन है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि लाउडस्पीकर का प्रयोग करना संवैधानिक रूप से उचित नहीं है।

मौलाना ने भी की शिकायत की निंदा

इसी मसले पर मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास का भी बयान आया है, उन्होंने कहा कि अज़ान तो सिर्फ 2-3 मिनट के लिए ही होती है। शिकायत करने वालों को ये भी कहना चाहिए था कि जो सुबह आरती होती है, इससे भी उनकी नींद खराब होती है। मुस्लिम धर्मगुरु ने कहा कि सिर्फ अजान के लिए ऐसी शिकायत करना बिल्कुल गलत है, ऐसे में मैं मानता हूँ कि उन्हें इस शिकायत को वापस लेनी चाहिए।

मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सूफियान निजामी ने इस विवाद पर कहा कि हमारे मुल्क में हर मजहब के लोग रहते हैं, कहीं मस्जिद की अजान होती है तो कहीं मंदिर में भजन-कीर्तन होते हैं। अगर कोई कहता है कि सिर्फ अजान के कारण ही नींद में खलल होता है, तो ये ठीक नहीं है। 

मौलाना सूफियान निजामी बोले कि इलाहाबाद में कुंभ के दौरान, होली के दौरान या किसी अन्य त्योहार में भी लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होता है लेकिन किसी ने कोई चिट्ठी नहीं लिखी। ऐसे में ये सिर्फ एक साजिश का हिस्सा है कि अजान को बंद करवाया जाए।

क्या है न्यायालय के दिशा निर्देश:

  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मस्जिद से अजान मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है। यह जरूर है कि अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग है। इसलिए मस्जिदों से मोइज्जिन बिना लाउडस्पीकर अजान दे सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार व्यक्ति के जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है। किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि जिलाधिकारियों से इसका अनुपालन कराएं। 

आपको बता दें कि प्रयागराज की इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की कुलपति संगीता श्रीवास्तव ने 3 मार्च को डीएम को चिट्ठी लिखी थी। जिसमें उन्होंने कहा कि अजान के कारण उनकी नींद टूटती है और इसके बाद उनके काम में खलल पड़ता है। इसी को लेकर पूरा विवाद हो रहा है। कुलपति की चिट्ठी पर डीएम का कहना है कि उचित कार्रवाई की जाएगी।  

कॉंग्रेस ने आरजेडी और एनसीपी से बंगाल में चुनाव प्रचार के लिए न आने की लगाई गुहार

NCP सुप्रीमो पवार को लिखे पत्र में भट्टाचार्य ने कहा, ‘मेरी जानकारी में आया है कि आपने सत्तारुढ़ दल तृणमूल कांग्रेस का प्रचार करने के लिए बतौर स्टार प्रचारक पश्चिम बंगाल आने के लिए हामी भरी है, ताकि सूबे में होने वाले विधानसभा चुनावों में उसकी जीत सुनिश्चित की जा सके। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस पार्टी तृणमूल से एक राजनीतिक लड़ाई लड़ रही है, ऐसे में स्टार कैंपेनर के रूप में आपकी उपस्थिति पश्चिम बंगाल के आम मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा कर सकती है। इसे देखते हुए यदि आप पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के लिए प्रचार करने से बचते हैं तो मैं आपका बेहद आभारी रहूंगा।’

सरिया तिवारी, कोल्कत्ता/चंडीगढ़:

पश्चिम बंगाल कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार से सूबे में चुनाव प्रचार न करने की गुजारिश की है। उन्होंने ऐसी ही गुजारिश बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव से भी की है।

दरअसल, पवार और तेजस्वी ‘स्टार कैंपेनर’ के रूप में पश्चिम बंगाल की सत्तारुढ़ तृणमूल कॉन्ग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करने वाले हैं, जबकि कॉन्ग्रेस राज्य में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी के खिलाफ चुनाव मैदान में है। ऐसे में प्रदीप ने दोनों से गुजारिश की है कि यदि संभव हो तो दोनों नेता तृणमूल के लिए प्रचार करने से बचें।

‘प्रचार नहीं करेंगे तो आपका आभारी रहूँगा’

NCP सुप्रीमो पवार को लिखे पत्र में भट्टाचार्य ने कहा, “मेरी जानकारी में आया है कि आपने सत्तारुढ़ दल तृणमूल कॉन्ग्रेस का प्रचार करने के लिए बतौर स्टार प्रचारक पश्चिम बंगाल आने के लिए हामी भरी है, ताकि सूबे में होने वाले विधानसभा चुनावों में उसकी जीत सुनिश्चित की जा सके। पश्चिम बंगाल में कॉन्ग्रेस पार्टी तृणमूल से एक राजनीतिक लड़ाई लड़ रही है, ऐसे में स्टार कैंपेनर के रूप में आपकी उपस्थिति पश्चिम बंगाल के आम मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा कर सकती है। इसे देखते हुए यदि आप पश्चिम बंगाल में तृणमूल कॉन्ग्रेस के लिए प्रचार करने से बचते हैं तो मैं आपका बेहद आभारी रहूँगा।”

‘सूबे में TMC से हमारी राजनीतिक लड़ाई’

वहीं, भट्टाचार्य ने तेजस्वी को लिखे पत्र में कहा है, “मुझे पता चला है कि आपने सत्तारुढ़ दल तृणमूल कॉन्ग्रेस का प्रचार करने के लिए बतौर स्टार प्रचारक पश्चिम बंगाल आने के लिए हामी भरी है, ताकि सूबे में होने वाले विधानसभा चुनावों में उसकी जीत सुनिश्चित की जा सके। हालाँकि पश्चिम बंगाल में कॉन्ग्रेस पार्टी तृणमूल से एक राजनीतिक लड़ाई लड़ रही है, ऐसे में एक स्टार कैंपेनर के रूप में आपकी उपस्थिति पश्चिम बंगाल के आम मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा कर सकती है। इसे देखते हुए यदि आप तृणमूल कॉन्ग्रेस के लिए प्रचार न करने का फैसला लेते हैं तो मैं आपका बेहद आभारी रहूँगा।”

बता दें कि शरद पवार और तेजस्वी यादव दोनों ने ही पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को नैतिक समर्थन देते हुए उनके पक्ष में चुनाव प्रचार करने की बात कही है, जबकि क्रमशः महाराष्ट्र और बिहार में इन नेताओं का कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन है। बिहार में आरजेडी के साथ कॉन्ग्रेस और वाम का गठबंधन है तथा महाराष्ट्र में एनसीपी, शिवसेना और कॉन्ग्रेस एकजुट होकर सरकार चला रही है।