योगी का 2.0

यूपी के मुख्‍यमंत्री के रूप में योगी आज लगातार दूसरी बार शपथ ले चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी के साथ मंत्रिपरिषद ने भी शपथ ली है। योगी मंत्रीमंडल में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के तौर पर नितिन अग्रवाल, कपिलदेव अग्रवाल, असीम अरुण नरेंद्र कश्यप, रविंद्र जायसवाल, संदीप सिंह, गुलाब देवी, गिरीश यादव, धर्मवीर प्रजापति, जेसीएस राठौर, दयाशंकर सिंह, अरुण सक्सेना, दिनेश प्रताप सिंह, दयाशंकर मिश्र, मयंकेश्वर सिंह, दिनेश खटिक, संजीव गौड़, बलदेव औलख, अजीत पाल, जसवंत सैनी ने शपथ ली।

योगी आदित्यनाथ ने आज दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही वह प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बन गए हैं जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा सत्ता संभाली है। गुरुवार को योगी आदित्यनाथ ने सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उनके डिप्टी के रूप में केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने शपथ ली।

शपथ ग्रहण समारोह के बाद पीएम मोदी ने सभी नेताओं से मुलाकात की। साथ ही नेताओं के साथ सामूहिक फोटो खिंचवाई। स्टेडियम में मौजूद नेताओं व कार्यकर्ताओं का अभिवादन स्वीकार किया। पीएम मोदी को अपने बीच पाकर कार्यकर्ता काफी उत्साहित दिखे। इस दौरान पूरा स्टेडियम भारत माता की जय, वंदे मातरम, योगी-मोदी जिंदाबाद के नारे गूंजता रहा।

योगी मंत्रिमंडल में इन विधायकों को बनाया गया राज्यमंत्री

  • मयंकेश्वर सिंह
  • दिनेश खटीक
  • संजीव गोंड
  • बलदेव सिंह ओलख
  • अजीत पाल
  • जसवंत सैनी
  • रामकेश निषाद
  • मनोहर लाल मन्नू कोरी
  • संजय गंगवार
  • बृजेश सिंह
  • के पी मलिक
  • सुरेश राही
  • सोमेंद्र तोमर
  • अनूप प्रधान ‘वाल्मीकि’
  • प्रतिभा शुक्ला
  • राकेश राठौर गुरु
  • रजनी तिवारी
  • सतीश शर्मा
  • दानिश आजाद अंसारी
  • विजय लक्ष्मी गौतम

योगी सरकार में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

  • नितिन अग्रवाल -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  • कपिल देव अग्रवाल -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  • रवींद्र जायसवाल -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  • संदीप सिंह -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  • गुलाब देवी -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  • गिरीश चंद्र यादव -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  • धर्मवीर प्रजापति -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  • असीम अरुण -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  • जेपीएस राठौर -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  • दयाशंकर सिंह -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  • नरेंद्र कश्यप -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  • दिनेश प्रताप सिंह -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  • अरुण कुमार सक्सेना -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  • दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ -राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

कॉंग्रेस छोड़ भाजपा के मंत्री बने यशपाल पुन:कॉंग्रेस में और अब चाहते हैं विपक्षी नेता का पद

यशपाल आर्य की कांग्रेस में वापसी हुई है। भाजपा का दामन छोड़ कर यशपाल आर्य ने कांग्रेस का दामन थामा और चुनावों से कुछ देर पहले मंत्री पद से इस्तीफा दिया। इस बार चुनावों पर पूर्व नतीजे हिल गए। पहले उत्तरखण्ड में एक बार भाजपा तथा दूसरी बार कॉंग्रेस जीतती आई। यशपाल और उनके बेटे ने 2017 में कॉंग्रेस छोड़ कर भाजपा का ‘कमल’ थामा और अब उन्हे कॉंग्रेस पर विश्वास था अत: भाजपा छोड़ कॉंग्रेस में शामिल हुए। यशपाल के साथ ही उनके बेटे ने भी कांग्रेस का हाथ थामा है। 2017 में कांग्रेस को छोड़ भाजपा में गए पिता-बेटे ने 2021 में फिर से कॉंग्रेस में वापसी की है। इस बार कॉंग्रेस के हारने के बाद उन्हे फिर से कोई मंत्री पद नहीं मिलेगा इसीलिए वह एक विपक्षी नेता का पद चाहते हैं।

देहरादून ब्यूरो, डेमोक्रेटिक फ्रंट:

विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस हाईकमान के सख्त रुख से उत्तराखंड में पार्टी नेताओं में खलबली मची है। चुनाव परिणाम के हफ्तेभर के भीतर ही प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल से इस्तीफा लेने के बाद पार्टी संगठन में बदलाव की सुगबुगाहट है। अध्यक्ष के इस्तीफे के साथ ही प्रदेश कार्यकारिणी को जारी रखे जाने को लेकर असमंजस गहरा गया है। वहीं, नए प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर पार्टी हाईकमान का क्या रुख अपनाता है, नजरें अब इस पर टिक गई हैं। माना ये भी जा रहा है कि आने वाले समय में कुछ बड़े चेहरों पर भी गाज गिर सकती है।

फिलहाल राज्य कांग्रेस में विपक्ष के नए नेता को लेकर राजनीति गर्माने लगी है और कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं। राज्य में निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, धारचूला विधायक हरीश धामी के बाद अब बदरीनाथ के विधायक राजेंद्र भंडारी का नाम तेजी से उभर रहा है। बहरहाल भंडारी के समर्थकों ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए पैरवी शुरू कर दी और इसके लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया है। हालांकि माना जा रहा है कि आलाकमान की सहमति के बाद से ही नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मुहर लगेगी। निर्वतमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं और वह फिर से इस पद के लिए दावा कर रहे हैं। प्रीतम सिंह को कई केन्द्रीय नेताओं का समर्थन प्राप्त है

सदन में विपक्ष की ओर से सरकार के सामने खड़ा होने के लिए नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी है। इस वक्त निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का नाम सबसे आगे हैं। लेकिन, इस बार धारचूला विधायक हरीश धामी खुलकर अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं। उनके साथ ही पूर्व काबीना मंत्री यशपाल आर्य, बदरीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी, मदन बिष्ट का नाम भी चर्चा में है।

सूत्रों के अनुसार शीर्ष नेतृत्व इनमें ऐसे सर्वमान्य चेहरे को तलाश रहा है जिनके झंडे के नीचे सभी 19 विधायक सहजता से रह सके। दूसरी तरफ, पिछले नौ दिन से उत्तराखंड कांग्रेस बिना मुखिया के ही चल रही है। 15 मार्च को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने इस्तीफा दे दिया था।

उनके साथ ही कार्यकारिणी भी निष्प्रभावी हो गई है। नौ दिन से कांग्रेस में असमंजस की स्थिति है।  प्रदेश अध्यक्ष के लिए खटीमा विधायक भुवन कापड़ी, यशपाल आर्य, मनोज तिवारी के नाम की चर्चा भी की जा रही है। कुमाऊं के ब्राह्मण नेताओं में फिलहाल भुवन का नाम आगे हैं।

हालांकि कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को ही दोबारा अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष में है। इसके पीछे गोदियाल के अल्प कार्यकाल और इस चुनाव में वर्ष 2017 के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन को वजह बताया जा रहा है। विधानसभा चुनाव 2022 में श्रीनगर विधानसभा सीट से भाजपा के डॉ. धन सिंह रावत ने गोदियाल को हराया है। 

नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का विषय हाईकमान के विचाराधीन है। मैंने अपनी पूरी रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष को दे दी है। उम्मीद है जल्द ही तस्वीर साफ हो जाएगी।

बॉर्डर से सेना हटाओ, तभी आगे बढ़ेगी बात : चीनी विदेश मंत्री से बोले अजीत डोभाल

भारत ने शांति की बहाली के लिए राजनयिक, सैन्य स्तर पर सकारात्मक बातचीत जारी रखने की जरूरत पर जोर दिया है। अजीत डोभाल ने वांग यी से कहा है कि सुनिश्चित किया जाए कि कार्रवाई समान और परस्पर सुरक्षा की भावना का उल्लंघन नहीं करती है। एक ही दिशा में काम करें और बकाया मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाएं। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल  ने चीन के विदेश मंत्री को साफ लहजे में कह दिया है कि जब तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control -LAC) से चीनी सेना नहीं हटाई जाएगी, तब तक दोनों देशों के बीच कोई बात नहीं हो सकती।

नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट:

चीनी विदेश मंत्री वांग यी आज से भारत दौरे पर हैं। इस दौरान भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री को साफ लहजे में कह दिया है कि जब तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से चीनी सेना नहीं हटाई जाएगी, तब तक दोनों देशों के बीच कोई बात नहीं हो सकती। डेढ़ घंटे तक चली इस बातचीत के दौरान भारत ने कहा है बॉर्डर क्षेत्र के बचे हुए इलाके में जल्द और पूरी तरह से सेना को हटाए जाने की जरूरत है, ताकि द्विपक्षीय संबंध स्वाभाविक रास्ते पर आ सकें।

निर्वासित तिब्बती सांसद थुबटेन ग्यात्सो ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा है कि मैं सरकार से चीनी विदेश मंत्री के साथ बैठक के दौरान तिब्बती मुद्दे को उठाने और चीन से दलाई लामा के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की अपील करता हूं। एक और निर्वासित तिब्बती सांसद चोदक ग्यामत्सो ने कहा है कि यह महत्वपूर्ण है कि तिब्बती मुद्दे को दोनों पक्षों द्वारा उठाया जाए। चीनी विदेश मंत्री की इस तरह की यात्रा एक अच्छा संकेत है। दो बड़े एशियाई देशों के लिए सकारात्मक संबंध बनाए रखना आवश्यक है।

तिब्बती यूथ कांग्रेस ने जानकारी दी है कि संगठन वांग यी की भारत यात्रा को लेकर दोपहर दो बजे करीब हैदराबाद हाउस के सामने विरोध-प्रदर्शन करेगी। तिब्बती कार्यकर्ता तेंजिन तुसुंदे ने एक ट्वीट में कहा. “वांग यी के भारत आने से पहले दिल्ली हवाई अड्डे पर एक फ्री तिब्बत प्रदर्शनकारी छात्र पहले से ही मौजूद थे। गलवान के बाद भी कोई भारतीय प्रदर्शनकारी नहीं दिखा।”

चीनी विदेश मंत्री वांग यी 24 मार्च की शाम दिल्ली पहुंचे थे। 2020 में लद्दाख संघर्ष के बाद से यह उनकी पहली भारत यात्रा है। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के साथ गतिरोध और जून 2020 में गालवान घाटी में एक हिंसक संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों और कई चीनी सैनिकों की मौत हो गई थी।

CM केजरीवाल ने टैक्स फ्री करने से किया इनकार, स्वरा-तापसी की फिल्मों को किया था TAX FREE लेकिन कहा ‘The Kashmir Files को यूट्यूब पर डाल दो’

दिल्ली में बीजेपी संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीरी पंडितों की बदहाली पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि कश्मीर के जिस सत्य को दबाने की कोशिश की गई थी, वह सच इस फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में दिखाया गया है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि इस फिल्म में कश्मीर का सच दिखाया गया है, सभी को फिल्म देखनी चाहिए और इस तरह की फिल्में आगे भी बनती रहनी चाहिए, जिससे सच सामने आ सके।

नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

कश्मीरी पंडितों पर केंद्रित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर जारी सियासी घमासान थमता नहीं दिख रहा है। अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मसले पर बीजेपी पर तीखा हमला बोला है। 24 मार्च को विधानसभा में अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि ‘आज सारे देश में भारतीय जनता पार्टी गली-गली में एक पिक्चर के पोस्टर लगा रही है। क्या इसलिये राजनीति करने आए थे, पिक्चरों के पोस्टर लगाए? अपने बच्चों को क्या जवाब दोगे? बच्चे पूछेंगे कि क्या करते हो…पिक्चर के पोस्टर लगाता हूं।’

केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला।

केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ‘8 साल सरकार चलाने के बाद अगर किसी देश के प्रधानमंत्री को विवेक अग्निहोत्री के चरणों में शरण लेनी पड़े तो इसका मतलब उस प्रधानमंत्री ने कोई काम नहीं किया है। 8 साल खराब कर दिये। कह रहे हैं कि कश्मीर फाइल्स को फ्री करो…अरे यू-ट्यूब पर डाल दो, फ्री हो जाएगी। टैक्स फ्री क्यों करवा रहे हो। इतना ही शौक है तो विवेक अग्निहोत्री यूट्यूब पर डाल दे, सारे जने देख लेंगे एक ही दिन के अंदर। कश्मीरी पंडितों के नाम पर कुछ लोग करोड़ों-करोड़ कमा रहे हैं और तुम लोगों को पोस्टर लगाने का काम दे दिया। आंखें खोलो…।’

हालाँकि, इस बयान के बाद अब दिल्ली के मुख्यमंत्री को लोग पुराने फैसले याद दिलाते हुए घेर रहे हैं। बता दें कि 22 अप्रैल, 2016 को उन्होंने स्वरा भास्कर की फिल्म ‘निल्ल बटे सन्नाटा’ को टैक्स फ्री करने की घोषणा करते हुए कहा था कि सभी लोगों को ये मूवी ज़रूर देखनी चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने तापसी पन्नू की फिल्म ‘साँड की आँख’ को भी 25 अक्टूबर, 2019 को टैक्स फ्री करने की घोषणा करते हुए कहा था कि सभी उम्र और जेंडर के लोगों को ये देखनी चाहिए। यह

वास्तविक बात है कि यह दोनों अभिनेत्रियाँ राष्ट्रवाद के खिलाफ हैं और स्पष्टता से भाजपा विरोधियों ए साथ हैं। स्वरा तो बिना जाने हुए भी संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ बहुत आगे आई। स्वरा भास्करर ने पूर्वी दिल्ली से आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी आतिशी के पक्ष में शास्त्री पार्क में फिल्म अभिनेत्री स्वरा भास्कर और गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी ने रोड शो किया। इन दौरान स्वरा ने आतिशी के पक्ष में मतदान करने की अपील की।

बता दें कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने भारत में 200 करोड़ रुपए से भी अधिक कमा लिए हैं। दुनिया भर में इस फिल्म का प्रदर्शन शानदार रहा है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, असम, कर्नाटक, बिहार, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और त्रिपुरा जैसे राज्यों में इसे टैक्स फ्री का दर्जा दे दिया गया है। फिल्म की धुआँधार कमाई अब भी जारी है। इस फिल्म में अनुपम खेर, दर्शन कुमार, मिथुन धकरवर्ती, पल्लवी जोशी और पुनीत इस्सर मुख्य भूमिकाओं में हैं।

क्या सरकार बनने पर उत्तराखंड में ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ लागू कर पाएंगे पुष्कर सिंह धामी ?

यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान नागरिक संहिता का मतलब है विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम होना। दूसरे शब्दों में कहें तो परिवार के सदस्यों के आपसी संबंध और अधिकारों को लेकर समानता होना। जाति-धर्म-परंपरा के आधार पर कोई रियायत ना मिलना। इस वक़्त हमारे देश में धर्म और परंपरा के नाम पर अलग नियमों को मानने की छूट है। जैसे – किसी समुदाय में पुरुषों को कई शादी करने की इजाज़त है तो कहीं-कहीं विवाहित महिलाओं को पिता की संपत्ति में हिस्सा न देने का नियम है।

देहरादून(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता की जो घोषणा की थी, अब दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद धामी इस पर काम करेंगे। सोमवार को विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि यूनिफार्म सिविल कोड के लिए जल्द ही प्रक्रिया शुरू करेंगे।

पुष्कर सिंह धामी की इस घोषणा से विपक्षी दलों के सामने इसको काटने या राजनीतिक मैदान में इस पर अपनी राय रखने का अधिक मौका नहीं मिल पाएगा। समान नागरिक संहिता भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में शामिल रही है। ऐसे में पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर सरकार बनने की स्थिति में इसकी घोषणा कर बड़ा खेल किया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जल्द से जल्द समान नागरिक संहिता लागू करने से राज्य में सभी वर्ग के लोगों के लिए समान अधिकारों को बढ़ावा मिलेगा। यह सामाजिक सद्भाव को बढ़ाएगा। लैंगिक न्याय को बढ़ावा देगा। महिला सशक्तिकरण को मजबूत करेगा। राज्य की असाधारण सांस्कृतिक-आध्यात्मिक पहचान और पर्यावरण की रक्षा करने में मदद करेगा।

सीएम धामी ने कहा कि प्रदेश में नई भारतीय जनता पार्टी के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति बनाई जाएगी। कमेटी तमाम मसलों पर बात करेगी। समान नारिक संहिता के तहत सभी लोगों के लिए विवाह, तलाक, जमीन, संपत्ति और विरासत के संबंध में एक समान कानून व्यवस्था का लाभ मिलेगा। इसमें धर्म या आस्था से कोई मतलब नहीं होगा। पुष्कर सिंह धामी ने इसके साथ ही चुनावी मैदान में एक नई बहस को छेड़ दिया है। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से उठने वाला समान नागरिक संहिता का यह मामला निश्चित तौर पर उत्तर प्रदेश और पंजाब विधानसभा चुनाव के मैदान में भी एक बड़े मुद्दे के रूप में दिख सकता है।

पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हम जो घोषणा कर रहे हैं, वह हमारी पार्टी का संकल्प है। भाजपा की नई सरकार बनते ही इसे पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘देवभूमि’ की संस्कृति और विरासत को अक्षुण्ण रखना हमारा परम कर्तव्य है। हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। खटीमा में उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता उन लोगों के सपनों को साकार करने की दिशा में एक कदम होगा, जिन्होंने हमारे संविधान को बनाया। संविधान की भावना को मजबूत किया। यह सभी नागरिकों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड प्रदान करने वाले अनुच्छेद 44 की दिशा में भी एक प्रभावशाली कदम होगा।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अगली सरकार बनने की स्थिति में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बनने वाली कमेटी के बारे में भी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि नई भाजपा सरकार के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद न्यायविदों, सेवानिवृत लोगों, प्रबुद्ध लोगों और अन्य विशेषज्ञों को मिलाकर एक कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी प्रदेश के लोगों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोगों को समान नागरिक अधिकार देने का प्रयास किया जा रहा है। यूनिफॉर्म सिविल कोड के बनने से नागरिकों को समान अधिकारों का बल मिलेगा।

यूपी – हिमाचल के बाद हरियाणा में जबरन धर्मांतरण पर 10 साल तक की सजा, ₹5 लाख तक जुर्माना: विधानसभा से बिल पारित, कॉन्ग्रेस ने किया विरोध

जबरन धर्मांतरण साबित होने पर अधिकतम दस साल कैद व न्यूनतम पाँच लाख रुपए का जुर्माना होगा। इसके अलावा यदि शादी के लिए धर्म छिपाया जाता है तो 3 से 10 साल तक की जेल और कम से कम 3 लाख रुपए जुर्माना लगेगा। वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में 5 से 10 साल तक की जेल और कम से कम 4 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। इस विधेयक के तहत किया गया प्रत्येक अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होगा।

चंडीगढ़ संवाददाता, डेमोक्रेटिक फ्रंट(ब्यूरो) – 22 मार्च :

हरियाणा विधानसभा ने बल, अनुचित प्रभाव अथवा लालच के जरिए धर्मांतरण कराने के खिलाफ एक विधेयक मंगलवार को पारित किया। कांग्रेस ने विधेयक पर विरोध जताया और सदन से बर्हिगमन किया। विधानसभा में चार मार्च को पेश किया गया यह विधेयक मंगलवार को चर्चा के लिए लाया गया। इसके मुताबिक, साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी आरोपी की होगी।

सरकार ने जबरन धर्मांतरण के विरुद्ध विधेयक में कड़े प्रावधान किए हैं। हरियाणा गैर-कानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 (Haryana Prevention of Unlawful Conversion of Religion Bill, 2022) के मुताबिक, अगर लालच, बल या धोखाधड़ी के जरिए धर्म परिर्वतन किया जाता है तो एक से पाँच साल तक की सजा और कम से कम एक लाख रुपए के जुर्माना का प्रावधान है।

विधेयक के मुताबिक, जो भी नाबालिग या महिला अथवा अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराता है या इसका प्रयास करता है तो उसे कम से कम चार साल जेल का सजा मिलेगी, जिसे बढ़ाकर 10 साल और कम से कम तीन लाख रुपए का जुर्माना किया जा सकता है।

जबरन धर्मांतरण साबित होने पर अधिकतम दस साल कैद व न्यूनतम पाँच लाख रुपए का जुर्माना होगा। इसके अलावा यदि शादी के लिए धर्म छिपाया जाता है तो 3 से 10 साल तक की जेल और कम से कम 3 लाख रुपए जुर्माना लगेगा। वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में 5 से 10 साल तक की जेल और कम से कम 4 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। इस विधेयक के तहत किया गया प्रत्येक अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होगा।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधेयक पर बोलते हुए कहा कि इसका उद्देश्य किसी धर्म के साथ भेदभाव करना नहीं है। यह केवल जबरन धर्मांतरण के मामलों में काम करेगा। विधेयक में उन विवाहों को अवैध घोषित करने का प्रावधान है, जो पूरी तरह से एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण के उद्देश्य से किए गए हों। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 4 सालों में जबरन धर्मांतरण के 127 मामले दर्ज हुए हैं। धर्मांतरण एक बड़ी समस्या है। कोई अपनी इच्छा से कानूनी तरीके से अपना धर्म बदल सकता है, लेकिन अवैध धर्मांतरण के लिए अधिनियम पारित किया गया है।

वहीं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मौजूदा कानूनों में ही जबरन धर्मांतरण कराए जाने पर सजा का प्रावधान है, ऐसे में एक नया कानून लाए जाने की कोई जरूरत नहीं थी। कॉन्ग्रेस की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी ने कहा कि यह विधेयक एक एजेंडे के साथ लाया गया है। इसका उद्देश्य समुदायों के बीच विभाजन को गहरा करना है, जो कि ‘अच्छा विचार’ नहीं है।

बता दें कि हरियाणा कैबिनेट ने धर्मांतरण रोकथाम विधेयक 2022 को पहले ही इजाजत दे दी थी। 4 मार्च 2022 को गृह मंत्री अनिल विज ने इस संबंध में विधानसभा में बिल पेश किया था। विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने राज्य सरकार के इस कदम की सराहना की थी। वीएचपी के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने कहा था कि इस बिल से राज्य सरकार ने अपने दृढ़ संकल्प को दिखाया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में यह कानून बन चुका है।  

पुष्कर सिंह धामी ने आज उत्तराखंड के 12वें मुख्यमंत्री

पुष्कर सिंह धामी ने आज उत्तराखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्हें राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (रि.) ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनके साथ आठ मंत्रियों ने भी शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद हैं। इससे पहले, प्रदेश को रितु खंडूरी के रूप में पहली महिला स्पीकर मिली है। 

डेमोक्रेटिक फ्रंट, देहरादून(ब्यूरो) :

पुष्कर धामी की कैबिनेट को लेकर लगातार बने हुए सस्पेंस से परदा हट गया। धामी कैबिनेट में कौन मंत्री बनने जा रहा है। उन नामों का खुलासा होने के साथ ही बड़ी खबर यह है कि ऋतु खंडूड़ी को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। खंडूड़ी पहली महिला होंगी, जो उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष बनेंगी। पिछली भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके सतपाल महाराज और धनसिंह रावत भी शपथ ग्रहण कर रहे हैं। लगातार दूसरी भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री के तौर पर धामी अपनी कैबिनेट के साथ बुधवार को शपथ ग्रहण करने जा रहे हैं। धामी के साथ उनके 9 मंत्री भी शपथ आज ले रहे हैं।

धामी कैबिनेट 2.0 में जिन चेहरों का शुमार हुआ है, उनमें सतपाल महाराज और धनसिंह रावत जैसे अनुभवी दिग्गजों के नाम शामिल हैं, तो इनके अलावा, बागेश्वर से लगातार चार बार विधायक बनने वाले चंदन राम दास भी शपथ ग्रहण समारोह के मंच पर हैं। उन्हें कैबिनेट में कौन सा विभाग मिलेगा, इसे लेकर अटकलें शुरू हो रही हैं। दलित समुदाय से आने वाले दास ने कहा कि वह अपनी भूमिका के लिए पूरी तरह तैयार हैं। बताया जा रहा है कि धामी की नयी टीम में युवाओं और अनुभवियों का संतुलन बनाया गया है।  शपथ लेने के क्रमानुसार धामी कैबिनेट के मंत्रियों के नाम देखिए।

एक नज़र में देखिए मंत्रियों के नाम

  1. सतपाल महाराज, चौबट्टाखाल विधायक
  2. गणेश जोशी, मसूरी विधायक
  3. धन सिंह रावत, श्रीनगर विधायक
  4. सुबोध उनियाल, नरेंद्रनगर विधायक
  5. रेखा आर्या, सोमेश्वर विधायक
  6. चंदन राम दास, बागेश्वर विधायक
  7. सौरभ बहुगुणा, सितारगंज विधायक

डीडीहाट से विधायक बिशन सिंह चुफाल कह चुके हैं कि अनुभवी नेताओं का नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। चुफाल पिछले मंत्रिमंडल में शामिल थे, लेकिन इस बार अब तक उन्हें कैबिनेट में शामिल किए जाने की सूचना नहीं है। इसके अलावा, ​पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के नाम को लेकर भी चर्चा रही, लेकिन शपथ लेने वालों में उनके नाम की पुष्टि भी अब तक नहीं हुई। वहीं, किच्छा के पूर्व विधायक राजेश शुक्ला ने कहा, नयी कैबिनेट में नये चेहरों को जगह मिलना चाहिए।

‘कॉन्ग्रेस में अध्यक्ष पद खाली नहीं है’ गुलाम नबी आज़ाद

यूपी-पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई गई, लेकिन ‘जी 23’ खेमा संतुष्ट नजर नहीं आया। दो दिनों में बड़े-बड़े नेताओं की दो मीटिंग से देश की राजनीति में हलचल बढ़ गई। सवाल उठने लगा कि क्या कांग्रेस टूट की कगार पर पहुंच गई है? लेकिन फिर सोनिया गांधी एक्टिव हुईं। गुलाम नमी आजाद से मुलाकात फिक्स हुई और मुलाकात के बाद लगता है कि जैसे सारे विवाद भी फिलहाल फिक्स कर लिए गए हैं। सिब्बल ने कहा था कि पार्टी को लोकसभा चुनाव हारे आठ साल हो गए हैं। अगर नेतृत्व को अभी भी यह पता लगाने के लिए ‘चिंतन शिविर’ की आवश्यकता है कि क्या गलत हुआ तो वे सपनों की दुनिया में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे ‘सबकी कॉन्ग्रेस’ चाहते हैं न कि ‘घर की कॉन्ग्रेस’। लेकिन सीडब्ल्यूसी के प्रमुख नेता यह महसूस करते हैं कि गाँधी परिवार के बिना कॉन्ग्रेस चल नहीं पाएगी।

‘घर की कॉन्ग्रेस’ चाहते हैं न कि ‘सबकी कॉन्ग्रेस’

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता :

कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के प्रमुख सदस्य गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और कहा कि फिलहाल नेतृत्व परिवर्तन कोई मुद्दा नहीं है तथा उन्होंने सिर्फ संगठन को मजबूत बनाने तथा आगे के विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर अपने सुझाव दिए हैं।

आजाद का यह बयान इस मायने में अहम है कि कुछ दिनों पहले ही ‘जी 23’ के उनके साथी कपिल सिब्बल ने एक साक्षात्कार खुलकर कहा था कि गांधी परिवार को नेतृत्व छोड़ देना चाहिए और किसी अन्य नेता को मौका देना चाहिए।

बताया जाता है कि करीब एक घंटे तक चली बैठक के दौरान आजाद ने कांग्रेस कार्य समिति का चुनाव कराने, केंद्रीय चुनाव समिति को निर्वाचित इकाई बनाने और निष्क्रिय संसदीय बोर्ड को पुनः जीवित करने का प्रस्ताव रखा। सोनिया गाँधी से मिलने के बाद आजाद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस के अध्यक्ष का पद ‘रिक्त नहीं है’ और CWC ने अगस्त-सितंबर में कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव कराने का फैसला लिया है। बता दें कि आजाद के सदस्य हैं।

उन्होंने कहा, “कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के साथ बैठक अच्छी थी। हम कॉन्ग्रेस प्रमुख से मिलते रहते हैं और वह नियमित रूप से नेताओं से मिलती हैं। हाल ही में कार्यसमिति की बैठक हुई थी और पार्टी को मजबूत करने के लिए सुझाव माँगे गए थे। मैंने कुछ सुझाव भी दिए थे। इसलिए मैंने उन सुझावों को दोहराया है। कुल मिलाकर चर्चा आगामी विधानसभा चुनाव पर रही। पार्टी में सुधार के सुझाव सार्वजनिक रूप से नहीं दिए जा सकते। पार्टी अध्यक्ष के लिए अभी कोई पद खाली नहीं है। उन्होंने (सोनिया गाँधी ने) इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन हमने (G 23 ने भी) इसे खारिज कर दिया।”

लगता है कि कॉन्ग्रेस ने राहुल गाँधी के अध्यक्ष बनने की उम्मीद छोड़ दी है। गुरुवार (17 मार्च) को राहुल गाँधी ने कॉन्ग्रेस के दिग्गज नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा से मुलाकात की थी और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने गुलाम नबी आजाद से दो बार फोन पर बात की थी। खबरों के मुताबिक, कहा जाता है कि दोनों नेताओं राहुल गाँधी और हुड्डा ने पार्टी के पुनर्गठन पर चर्चा की थी। कॉन्ग्रेस के जी-23 बागी गुट की भी यही प्रमुख माँग है।

जी-23 के सदस्यों ने भविष्य की रणनीति पर चर्चा के लिए बुधवार (16 मार्च) की रात को गुलाम नबी आजाद के आवास पर मुलाकात की थी। बैठक के दौरान G-23 सदस्यों ने कथित तौर पर चर्चा की कि कैसे पार्टी के लिए आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका सामूहिक और समावेशी नेतृत्व और सभी स्तरों पर निर्णय लेने का एक मॉडल अपनाना था। G-23 नेताओं ने कॉन्ग्रेस नेतृत्व से 2024 के लोकसभा चुनाव में एक विश्वसनीय विकल्प का मार्ग तैयार करने के लिए समान विचारधारा वाली ताकतों के साथ बातचीत करने का भी आग्रह किया।

बैठक कपिल सिब्बल के आवास पर होनी थी, लेकिन अंतिम समय में कार्यक्रम स्थल को स्थानांतरित कर दिया गया। बैठक में शामिल होने वाले नेताओं में आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, संदीप दीक्षित और शशि थरूर शामिल थे। शशि थरूर सहित की उपस्थिति से कई कॉन्ग्रेस नेता आश्चर्यचकित थे, क्योंकि हाईकमान पर सवाल खड़ा करने के कारण थरूर या मुकुल वासनिक ने इसके बैठकों में आना बंद कर दिया था।

पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को घोषित होने के बाद से कॉन्ग्रेस नेतृत्व दबाव में है। वापसी की सभी उम्मीदें खत्म होने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता गाँधी परिवार के अलावा किसी और को पार्टी की कमान सौंपने की माँग दोहरा रहे हैं।

दिलचस्प बात यह है कि कॉन्ग्रेस कार्यसमिति की बैठक के एक दिन 15 मार्च को पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने राहुल गाँधी और पार्टी आलाकमान के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने सवाल किया था कि राहुल गाँधी के पास पार्टी में कोई औपचारिक पद नहीं है, फिर उन्होंने पंजाब जाकर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी क नाम की घोषणा कैसे कर दी। उन्होंने यह भी कहा कि गाँधी परिवार को पार्टी का कमान छोड़ देना चाहिए।

इसी तरह सोमवार (14 मार्च) को कार्यसमिति की बैठक के दौरान सिब्बल ने कहा कि पार्टी को लोकसभा चुनाव हारे आठ साल हो गए हैं। अगर नेतृत्व को अभी भी यह पता लगाने के लिए ‘चिंतन शिविर’ की आवश्यकता है कि क्या गलत हुआ तो वे सपनों की दुनिया में रह रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि सीडब्ल्यूसी के प्रमुख नेता यह महसूस करते हैं कि गाँधी परिवार के बिना कॉन्ग्रेस चल नहीं पाएगी। उन्होंने कहा कि वे ‘सबकी कॉन्ग्रेस’ चाहते हैं न कि ‘घर की कॉन्ग्रेस’। ‘सब की कॉन्ग्रेस’ से उनका मतलब उन पुराने सदस्यों को लाना है, जिन्होंने पार्टी छोड़ दी और बीजेपी के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

होलिका दहन के दिन ना करें ये गलतियां

धर्म/संस्कृति डेस्क, चंडीगढ़ – डेमोक्रेटिक फ्रंट:

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन का उत्सव मानाया जाता है। होलिका दहन की पूजा शुभ मुहूर्त में करना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि शुभ मुहूर्त में किया गया काम शुभ फल देता है। धार्मिक मान्यता है होलिका की पूजा से जीवन के सारे कष्टों से छुटाकारा मिलता है। इस साल होलिका दहन गुरुवार 17 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन के दिन कुछ कार्यों को करना बेहद अशुभ माना जाता है। ऐसे में जानते हैं कि होलिका दहन के दिन क्या नहीं करना चाहिए।

होलिका दहन के दिन ना करें ये गलतियां

https://youtu.be/NJw0wHz8CPg
  • होलिका दहन की अग्नि को जलती हुई चिता का प्रतीक माना गया है. इसलिए नए शादीशुदा जोड़ों को होलिका दहन की अग्नि को जलते हुए नहीं देखना चाहिए। दरअसल ऐसा करना अशुभ माना गया है. माना जाता है कि ऐसा करने में जीवन में वैवाहिक जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता ह।
  • होलिका दहन के दिन किसी भी व्यक्ति को उधार नहीं देना चाहिए. ऐसा करने से घर में बरकत नहीं होती है. साथ ही आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
  • माता-पिता के इकलौते संतान को कभी भी होलिका में आहुति नहीं देनी चाहिए. दरअसल इसे अशुभ माना जाता है।  अगर दो बच्चे हैं तो होलिका की अग्नि को जला सकते हैं।
  • होलिका की अग्नि में भूलकर भी पीपल, बरगद और आम की लकड़ी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।  ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसा करने से जीवन में नकारात्मकता आती है. होलिका दहन के लिए गूलर और एरंड की लकड़ी शुभ मानी जाती है।  
  • होलिका दहन के दिन भूल से भी किसी महिला का अपमान नहीं करना चाहिए।  इस दिन माता-पिता का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए. ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है।

साभार ज्योतिष विद् पार्मिंदर सिंह

भाजपा ने चार राज्यों के लिए पर्यवेक्षकों का किया एलान, शाह को यूपी की जिम्मेदारी

विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के चार दिन बाद भाजपा ने सरकार बनाने की कवायद शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के दो केंद्रीय पर्यवेक्षक सोमवार शाम को विधायकों के साथ बैठक करेंगे। इस दौरान गोवा में अगले मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा हो सकती है। हालांकि, सूत्रों ने बताया है कि पार्टी सावंत को फिर से मुख्यमंत्री के रूप में चुनेगी। भाजपा ने 40 सदस्यीय विधानसभा में सबसे अधिक 20 सीट पर जीत हासिल की थी। तीन निर्दलीय और महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (एमजीपी) के दो सदस्यों ने पहले ही भाजपा को अपना समर्थन दिया है। 

लखनऊ(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने अपने पर्यवेक्षकों के नाम का ऐलान कर दिया है। बीजेपी संसदीय बोर्ड ने सोमवार को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा विधानसभा में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों और सह-पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में सरकार गठन करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को केंद्रीय पर्यवेक्षक, जबकि झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास को  सह-पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।

केंद्रीय वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को मणिपुर का पर्यवेक्षक नियुक्‍त किया गया है। किरेन रिजिजू मणिपुर के सह-पर्यवेक्षक होंगे। इसी तरह नरेंद्र सिंह तोमर को गोवा के पर्यवेक्षक की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है। केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन गोवा के सह-पर्यवेक्षक की जिम्‍मेदारी संभालेंगे। सभी पर्यवेक्षक नई सरकार के गठन में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। 

उम्‍मीद है कि होली बाद यूपी में सरकार का गठन किया जाएगा। इसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली आए थे। उन्‍होंने दिल्‍ली में प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। यूपी में नई सरकार के गठन की तारीख घोषित नहीं हो पाई है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में जिन चेहरों को शामिल किया जाएगा उनके नामों पर मंथन हो रहा है। 

उल्‍लेखनीय है कि भाजपा ने यूपी में सहयोगियों के साथ मिलकर 403 विधानसभा सीटों में से 273 पर जीत हासिल की है जबकि समाजवादी पार्टी को 111 सीटें मिली हैं। उत्‍तराखंड की 70 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 47 पर जीत हासिल की है। उत्‍तराखंड में कांग्रेस को 19 सीटों से संतोष करना पड़ा है। वहीं गोवा की 40 विधानसभा सीटों में से भाजपा को 20 सीटें हासिल हुई हैं। मणिपुर की 60 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 32 सीटों पर जीत दर्ज की है।