तकरीबन 450 साल बाद संगम को मिला पुराना नाम “प्रयाग”


कांग्रेस के इतिहास में इलाहाबाद का बहुत महत्व है इलाहाबाद का नाम बदले जाने के कारण ओर कांग्रेस के कुछ भी न कर पाने के कारण उनका मुस्लिम वोट बैंक ओर छिटकता नज़र आता है

अखिलेश यादव भी आज कल हिन्दू कहलाने में शर्म नहीं महसूस करते, अपने कार्यकाल में तो उन्हें भवनों ओर दूसरी बातों से मुक्ति न मिली अन्यथा इलाहाबाद आज “प्रयाग कुम्भ” होता, आज उन्हे भाजपा द्वारा इल्लाहबाद को पुन: “प्रयाग” कहलवाने में परम्पराओं का ह्रास दीख पड़ता है, परंतु किसकी परम्पराएँ???


इलाहाबाद शहर एक बार फिर सुर्खियों में है। इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया है। यानी लगभग 450 साल बाद यह शहर एक बार फिर से अपने पुराने नाम यानी प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा।

गौर हो कि 15वीं शताब्दी में इस पौराणिक भूमि पर मुगलों ने कब्जा कर लिया और इसका नाम प्रयागराज से बदलकर अलाहाबाद कर दिया। अलाहाबाद इलाह+आबाद को मिलाकर बनता है जो एक फारसी शब्द है। इलाह का मतलब अल्लाह और आबाद का मतलब बसाया हुआ यानी अल्लाह का बसाया हुआ शहर। मुगल सम्राट अकबर के अलाहाबाद करने से पहले इसका नाम प्रयागराज ही था। बोलचाल की प्रचलन के मुताबिक अलाहाबाद ,इलाहाबाद और एलाहाबाद के नाम से भी पुकारा जाने लगा।

 

कांग्रेस के इतिहास में इलाहाबाद का बहुत महत्व है,कांग्रेस के ओंकार सिंह ने बताया कि आजादी की लड़ाई के दौरान इलाहाबाद प्रेरणा का एक मुख्य केंद्र रहा था. उन्होंने कहा कि 1888, 1892 और 1910 में कांग्रेस महाधिवेशन यहीं हुआ था. इसी शहर से देश को अपना पहला प्रधानमंत्री मिला. इसके अलावा अगर इलाहाबाद का नाम बदला गया तो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी अपनी पहचान खो देगी. इलाहाबाद का नाम बदले जाने के कारण ओर कांग्रेस के कुछ भी न कर पाने के कारण उनका मुस्लिम वोट बैंक ओर छिटकता नज़र आता है

संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर ‘प्रयागराज‘ किए जाने की तैयारियों के बीच समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे परंपरा और आस्था के साथ खिलवाड़ करार दिया. सोमवार को अखिलेश ने ट्वीट करते हुए कहा कि प्रयाग कुंभ का नाम केवल प्रयागराज किया जाना और अर्द्धकुंभ का नाम बदलकर ‘कुंभ‘ किया जाना परंपरा और आस्था के साथ खिलवाड़ है.

देश के धार्मिक, शैक्षिक और राजनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण शहर इलाहाबाद को अब प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा, लेकिन क्या आपको पता है कि इस शहर का नाम कैसे और क्यों बदला गया? दरअसल ऐतिहासिक और पौराणिक दोनों ही रूप से प्रयागराज समृद्ध है। इस जिले को ब्रह्मा की यज्ञस्थली के रूप में जाना जाता है। यहां आर्यों ने भी अपनी बस्तियां बसाई थीं। आंकड़ों के मुताबिक 160 साल बाद जिले का नाम इलाहाबाद से प्रयागराज हो रहा है।

जानिए प्रयाग से इलाहाबाद और फिर प्रयागराज तक का सफर-

1- पुराणों में कहा गया है, ”प्रयागस्य पवेशाद्वै पापं नश्यति: तत्क्षणात्।” अर्थात् प्रयाग में प्रवेश मात्र से ही समस्त पाप कर्म का नाश हो जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने इसकी रचना से बाद प्रयाग में पहला यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग यानी यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना।
2- कुछ मान्यताओं के मुताबिक ब्रह्मा ने संसार की रचना के बाद पहला बलिदान यहीं दिया था, इस कारण इसका नाम प्रयाग पड़ा। संस्कृत में प्रयाग का एक मतलब ‘बलिदान की जगह’ भी है। इसके अलावा प्रयाग ऋषि भारद्वाज, ऋषि दुर्वासा और ऋषि पन्ना की ज्ञानस्थली भी है।
3- 1575 में संगम के सामरिक महत्व से प्रभावित होकर सम्राट अकबर ने इलाहाबास के नाम से शहर की स्थापना की जिसका अर्थ है- अल्लाह का शहर। उन्होंने यहां इलाहाबाद किले का निर्माण कराया, जिसे उनका सबसे बड़ा किला माना जाता है।
4- इसके बाद 1858 में अंग्रेजों के शासन के दौरान शहर का नाम इलाहाबाद रखा गया तथा इसे आगरा-अवध संयुक्त प्रांत की राजधानी बना दिया गया।
5- आजादी की लड़ाई का केंद्र इलाहाबाद ही था। वर्धन साम्राज्य के राजा हर्षवर्धन के राज में 644 CE में भारत आए चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने अपने यात्रा विवरण में पो-लो-ये-किया नाम के शहर का जिक्र किया है, जिसे इलाहाबाद माना जाता है।
6- उन्होंने दो नदियों के संगम वाले शहर में राजा शिलादित्य (राजा हर्ष) द्वारा कराए एक स्नान का जिक्र किया है, जिसे प्रयाग के कुंभ मेले का सबसे पुराना और ऐतिहासिक दस्तावेज माना जाता है।
7-वैसे थो इलाहाबाद नाम मुगल शासक अकबर की देन है लेकिन इसे फिर से प्रयागराज बनाने की मांग समय-समय पर होती रही है।
8- महामना मदनमोहन मालवीय ने अंग्रेजी शासनकाल में सबसे पहले यह आवाज उठाई और फिर अनेक संस्थानों ने समय-समय पर मांग दोहराई।
9- मालवीय ने इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम भी छेड़ी थी। 1996 के बाद इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम फिर से शुरू हुई। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेद्र गिरी भी नाम बदलने की मुहिम में आगे बताया।
10- आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के समक्ष भी नाम इलाहाबाद का नाम बदलने की मांग की गई। वर्तमान में साधू संतों ने सरकार के सामने प्रस्ताव दिया था।

पंजाब में आतंक फैलाने की बड़ी साजिश बेनकाब, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की हत्या का षडयंत्र, यूपी पुलिस का बड़ा खुलासा

शामली पुलिस की पिकेट पर हमला कर हथियार लूटने वाले बदमाशों के मंसूबे खतरनाक निकले। इनकी योजना प्रकाश सिंह बादल पर हमले की थी।

नरेश शर्मा भारद्वाज:

 

उत्तर प्रदेश के शामली जिले में यूपी पुलिस ने एनकाउंटर में पुलिसकर्मियों से ही लूटी गई राइफल और दूसरे असलहे बरामद कर लिए हैं। मामले में गिरफ्तार अपराधियों से पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पकड़े गए बदमाशों ने बताया कि उनका मकसद अलगे कुछ दिनों पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की रैली में आतंक फैलाना और उनकी हत्या करने का था।मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि झिंझाना थाना क्षेत्र के गांव रंगाना में रविवार देर रात हुए पुलिस एनकाउंटर में पकड़े गए बदमाशों से पुलिसकर्मियों से लूटी हुई इंसास और थ्री नॉट थ्री की इंसास राइफल बरामद कर ली गई है। वहीं भारी मात्रा में कारतूस और दूसरे असलहा भी बरामद किए गए हैं। उन्होंने बताया कि दो अक्टूबर की रात को झिंझाना थाना क्षेत्र में ​कमालपुर चौकी के पास पुलिस पिकेट पर हमला कर अपराधियों ने असलहा लूटा था।

एक इंसास राइफल, 20 कारतूस, एक 303 राइफल और 10 कारतूस थे
इसमें एक इंसास राइफल, 20 कारतूस, एक 303 राइफल और 10 कारतूस थे। मामले में रविवार देर रात 3 बजे के करीब अपराधियों की पुलिस से मुठभेड़ हुई। इसमें तीन बदमाश गिरफ्तार किए गए हैं, जिसमें से दो पुलिस की गोली लगने से घायल हुए हैं, वहीं इस मुठभेड़ में तीन पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। लूट के बाद ये राइफलें पूजा ​स्थल पर छुपा रखी गई थीं, जिसे देर रात पंजाब शिफ्ट किया जाना था। हालांकि इस दौरान पुलिस को दौरान ये मुठभेड़ हुई।

लूट के हथियारों से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का मारने का था प्लान
एडीजी ने बताया कि बदमाशों ने कबूला है कि उनका मकसद आने वाले समय में लूट के हथियारों से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की रैली में आतंक फैलाना था। यही नहीं वह उनकी हत्या भी करना चाहते थे। एडीजी मेरठ ने बताया कि पकड़े गए बदमाशों का मास्टरमाइंड जर्मन नाम का अपराधी है। वह अभी भी फरार है। शुरुआती जांच में उसकी फेसबुक आईडी की शिनाख्त की गई, जिससे खालिस्तान की मांग से जुड़े आतंकी संगठन से संपर्क की पुष्टि हुई है। एडीजी ने बताया कि पकड़े गए बदमाशों का जनपद में कोई भी अपराधिक इतिहास नहीं है।

उन्होंने बताया कि इस मामले का खुलासा होते ही देश की सभी एजेंसियों को सूचित कर दिया गया है। इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को भी सूचित कर दिया है। वहीं मास्टरमाइंड जर्मन की भी तलाश तेज कर दी गई है। एडीजी ने बताया कि घटना का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को 50 हजार रुपए का ईनाम दिया गया है।

#Me too काफी हद तक सही परंतु इसके राजनैतिक पहलुओं से भी इंकार नहीं

दिनेश पाठक अधिवक्ता, राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर। विधि प्रमुख विश्व हिन्दु परिषद

आजकल सोशल मिडिया पर टीवी चैनलो पर #Me too अभियान ने धूम मचा रखी है आखिर ये #Me too अभियान है क्या? कहां से आया ? क्यो आया ? इसका मकसद क्या है? किसी भी पुरुष सहकर्मी के द्वारा महिला सहकर्मी के साथ किये जाने वाला दुर्व्यवहार जिसमे महिला सहकर्मी अपने आपको असहज महसूस करे या उसका शोषण हो इससे आज से दस पन्द्रह साल पहले पीडित रही महिलाओ द्वारा चलाया गया अभियान ही आजकल #Me too कहलाता है! कुछ समय पहले कुछ हिन्दू बाबाओ के द्वारा किये कुक्रत्य को सोशल मिडिया टी वी चैनलो द्वारा खूब प्रसारित किया गया पूरा पूरा दिन न्यूज चैनल महीनो तक दिखाते रहे खैर जो कुक्रत्य उन्होने किया उसको दिखाया भी जाना चाहिये लेकिन हाल ही में आपने के घटना एक पादरी द्वारा ननो के साथ किये बलात्कार के बारे मे चर्चा मे आई ! पादरी को गिरफ्तार किया गया गया कुछ न्यूज चैनलो द्वारा दिखाया जाने लगा जिससे ईसाई समाज की पोल खुलने लगी ठीक उसी समय अमेरिका मे रह रही एक अभिनेत्री एक एक करके सारे टीवी चैनल पर आती है और अपने साथ दस साल पहले वाकये से नाना पाटेकर सहित क ई लोगो पर एक फिल्म की शूटिंग के दौरान शोषण की बात करती है उसके समर्थन मे एक महिला पत्रकार ट्वीट करती है चैनलो, सोशल मिडिया पर खबर बनती है प्रसारित होती है और गुमनामी मे जी रही अभिनेत्री रातोंरात चर्चा मे आ जाती है! इसी प्रकार अन्य पिडिता भी सामने आती है और एक प्रसिद्ध व्यक्ति ना सोशल मिडिया पर शोषण के लिये जाहिर किया और चर्चा का बिषय बन गया ! इसी दौरान केरल के पादरी का बलात्कार कांड मिडिया,सोशल मिडिया से गायब हो गया ईसाई समाज जो पादरी कांड के बाद बदनाम हो रहा था उनको राहत मिली आज किसी को नही पता बेचारी ननो का क्या हुआ उनके साथ जो कुछ हुआ जो पीडा वो सह रही थी उनकी बात करने वाला आज कोई नही रहा ! अब चर्चा सिर्फ # Me too पर एक सोशल मिडिया पर किसी भी एक ख्याति नाम व्यक्ति पर आरोप लगाना है और सुर्खियो मे आना है ! खास बात यह है कि इस अभियान मे कुछ महिला पत्रकार भी शामिल हुयी और अपने वरिष्ठ पत्रकार और वर्तमान मे केन्द्रीय मन्त्री पर आरोप लगाया और सुर्खियों मे आ गयी मै ये नही कहता कि उनके साथ कोई घटना नही हुयी न मै ऐसे किसी दुष्कर्म करने वाले की वकालत कर रहा ! हो सकता है इनके सहकर्मी द्वारा ऐसी घटना कारित की हो लेकिन सवाल ये है कि दूसरो के लिये बढ चढ करक आवाज बुलन्द करने वाली ये पिडिता दस पन्द्रह साल तक अपने ही साथ हुये शोषण को लेकर चुप क्यो रही चलो वो भी मान लेते है कि बदनामी के डर से अब तक चुप रहीं लेकिन क्या वो बदनामी का डर उस समय था क्या आज नही? वो भी स्वयं टीवी चैनल या सोशल मिडिया पर आकर सबकुछ स्वीकार करना बजाये देश की न्याय प्रणाली पर भरोसा किये बिना ? क्या इनको देश की न्याय प्रणाली पर यकीन नही जो अपने विरुद्ध हुये शोषण की पुलिस मे शिकायत दर्ज करवा पाती?#Me too की पीडिताओ को शायद देश की न्याय प्रणाली से ज्यादा मीडिया प्रणाली पर भरोसा किया आखिर क्यों ? कितनी पीडिताओ ने अब तक पुलिस मे शिकायत दर्ज करवायी नही करवायी तो क्यो नही करवायी इस बिषय पर भी जांच होनी चाहिये ! इस अभियान की एक बात और है कि इसप्रकार की घटनाओ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा गसिडलाइन जारी की हुयी है कि ऐसे मामलों किसी पीडिता का नाम उजागर न किया जाये लेकिन यहां तो पीडिता खुद ही विशाखा गाइडलान की अवहेलना कर रही है! इस अभियान के तहत एक खास विचारधारा के लोगो को शिकार बनाया जा रहा है कुछ समय पहले एक अभियान और चला था अवार्ड वापसी अभियान क्या यह अभियान उसी का विस्तारित रुप तो नही ?क्या जैसे अवार्ड वापसी अभियान की हवा निकली उसी तरह इस अभियान की भी हवा निकल जायेगी या इस अभियान मे शोषित पुलिस मे शिकायत दर्ज करवाकर न्याय के लिये लडेगी? ये देश लगातार नजर रखे हुये है कि यह अभियान सच मे न्याय पाने के लिये है या 2019 के चुनावो को ध्यान मे रखकर सरकार को बदनाम करने की साजिश? सभी पहलूओं की जांच उच्च स्तर पर की जानी चाहिये !

1984 से लेकर 2018 जातिगत हिंसा, कांग्रेस का लम्बा इतिहास

दिनेश पाठक अधिवक्ता, राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर। विधि प्रमुख विश्व हिन्दु परिषद

सन 84 में हिन्दुओं ने सिक्खों का मारा न गुजरात मे यूपी बिहार के लोगो को गुजरातीयो ने मारा 84 में भी कांग्रेसियो ने मारा और अब यूपी बिहार के लोगो को भी गुजरात मे कांग्रेसी ही मार रहे है गुजरात चुनाव के समय कांग्रेस ने जातिवाद का कार्ड खेला जिसमे सफल नही हो पायी और मुंह की खानी पडी अब जो यूपी बिहार के लोगो के साथ मारपीट एक साजिश 2019 के लोकसभा के चुनावो के लिये रची जा रही है वो भी सिर्फ एक बनारस की सीट को ध्यान मे रखकर कि इस मारपीट का सीधा असर नरेन्द्र मोदी की सीट पर पडे और उनको बनारस से जीतने से इस आधार पर रोका जाये कि गुजरात मे हमारे लोगो को मारा पीटा गया तो हम एक गुजराती को वोट क्यो दे? इस सब साजिश को अंजाम देने की जिम्मेदारी एक जातिवादी नेता नही गुंडे अल्पेश ठाकोर को दी और उसने अपनी ठाकोर सेना को अपने भाषणो से उकसाया और ठाकोर सेना ने इस साजिश को अंजाम दिया जबकि यही अल्पेश ठाकोर बिहार कांग्रेस का पर्यवेक्षक है जब वो बिहार जायेगा तो उसके साथ भी ऐसी घटना घट सकती है जैसा कि आज बिहार की जनता ने बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष पर हमला करके किया !

भारतीय संविधान हर नागरिक को स्वतंत्रता से देश के किसी भी हिस्से मे रहने और व्यापार करने की आजादी देता है लेकिन कांग्रेस एक सीट के लिये संविधान को ताक पर रखकर ऐसी साजिश करेगी शायद ही देश के किसी नागरिक ने ऐसा सोचा होगा ! क्या कांग्रेस ने कभी ये सोचा कि गुजराती भी देश के विभिन्न राज्यो मे रहकर व्यवसाय कर रहे है उनकी सुरक्षा खतरे मे तो नही आ जायेगी उसकी इस साजिश से? इस तरह की घटना पहले राज ठाकरे की पार्टी करती थी उसका अंजाम सबके सामने है सिर्फ नाम की पार्टी रह गयी है, क्या कांग्रेस उसी दिशा मे जा रही है ? विचारणीय बिषय है कांग्रेस के अलावा गैर कांग्रेसी दलो को भी मंथन करना होगा

दूसरी नवरात्री: देवी ब्रह्मचारिणी

नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि में दुर्गा पूजा के अवसर पर बहुत ही विधि-विधान से माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है। भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया। उन्हें त्याग और तपस्या की देवी माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी के धवल वस्त्र हैं। उनके दाएं हाथ में अष्टदल की जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित है।_

_शास्त्रों की मान्यता है कि भगवती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए एक हजार वर्षों तक फलों का सेवन कर तपस्या की थी। इसके पश्चात तीन हजार वर्षों तक पेड़ों की पत्तियां खाकर तपस्या की। इतनी कठोर तपस्या के बाद इन्हें ब्रह्मचारिणी स्वरूप प्राप्त हुआ। भक्त इस दिन अपने मन को भगवती मां के श्री चरणों मे एकाग्रचित करके स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं और मां की कृपा प्राप्त करते हैं।_
_ब्रह्म का अर्थ है, तपस्या, तप का आचरण करने वाली भगवती, जिस कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया है। इस मंत्र का करें जाप या देवी सर्वभूतेषु मां बह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। अर्थ -हे मां। सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।_
*_ध्यान मंत्र -_*
_दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।_
_देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥_
आज आप पूजा में मटमैले रंग के वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए। नवदुर्गा में दूसरा स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी का है इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। छात्रों और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी है, जिनका चन्द्रमा कमजोर हो तो उनके लिए मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करना अनुकूल होता है

नवरात्री पूजन क्या क्या करें और क्या क्या नहीं

माँ दुर्गा पूजा दिनांक10/10/2018 से शुरू हो रहा है।

◆ कलश पर नारियल रखने में त्रुटि न करे,◆
◆ दुर्गा पाठ में फूल माँ को प्रिय है एवं जरूरी बात◆

★★ प्रतिदिन पढ़े, पूजा पाठ विधि, क्या करना चाहिये, क्या नही करना चाहिये, पाठ शास्त्रोक्त विधि से, या तांत्रिक विधि से, इत्यादि पर पोस्ट करेंगे लाभ उठायें। ★★
【नोट- यह पोस्ट मानो या ना मानो यह आपकी इच्छा पर निर्भर है, मुझे लगता है कि जानकारी शेयर करना चाहिये, इसी उद्देश्य से पोस्ट कर रहे है।】

◆ ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते ।। ◆

माँ के महा मंत्र-

1-ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्यै ।
2- ॐ महिषमर्दिनी नमः।
इस महा मंत्र एक-एक माला जप करना चाहिये, रुद्राक्ष की माला से।
3- नारियल की स्थापना इसप्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख साधक यानि पाठ करने वाले कि तरफ रहे।नारियल का मुख उस सिरे से होता है जिस तरफ से पेड़ की टहनी से जुड़ा रहता है।
इसलिये नारियल का मुख अपनी तरफ रख कर ही स्थापना करें।

माँ के रूप के अनुसार फूल अर्पित करके उनकी पूजा करने से माता की अनुकंपा जल्दी मिलती है।
1- माँ काली या कालरात्रि हो या माँ तारा हो या माँ छिन्मस्तिका हो सभी के लिये, अड़हुल लाल का फूल और माँ को अपराजिता का फूल अधिक प्रिय है।जो नीला रंग का होता है।
108 अड़हुल लाल फूल माँ को अर्पित करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
2- माँ शेरावाली को लाल फूल अधिक प्रिय है, माँ को प्रसन्न करने के लिए लाल गुलाब या लाल अड़हुल के फूल की माला पहनाये तो आर्थिक परेशानी दूर होती है।
3- माँ वीणा वाली शारदा मैया यानी माँ सरस्वती को सफेद फूल और पीले रंग का फूल चढ़ाने से माँ ज्ञान की देवी अतिप्रसन्न होती है।माँ वीणा वाली भगवती शांत एवं सौम्य की मूर्ति है।
4- माँ धन-धान्य की देवी माँ भगवती लक्ष्मी इन्हें भी लाल ही फूल प्रिय है, माँ सौभाग्य और संपदा की देवी को कमल का फूल या गुलाब का फूल लेकिन माँ को कमल का फूल ही ज्यादा पसंद है,फूल अर्पित करना चाहिए।
माँ श्री तो है ही लेकिन श्री हरि की होने के कारण, यानी भगवान् विष्णु की अर्धांगनी होने से माँ लक्ष्मी को पीले फूल भी पसंदीदा है।और कमल का फूल ज्यादा प्रिय इस लिए है कि माँ लक्ष्मी स्वयं सागर से प्रकट हुई है।
5- अब बारी आ गई माँ भगवती गौरी की साथ माँ शैल पुत्री की तो इन्हें सफेद फूल और लाल फूल पसंद है,
पतिव्रता स्त्री या सुहागन स्त्रियों को लाल फूल से माँ भगवती की पूजा करनी चाहिये, जिससे सुहाग की उम्र बढ़ती है।
जो भी कुमारी कन्याओं हो, मन पसंद वर के लिये भी लाल रंग की फूल से माँ की पूजा करनी चाहिये।
6- नवरात्रि में बहुत ही शुभ होता है नवनाग स्त्रोत का पाठ, इसका पाठ कहते है कि किसी नागदोष या सर्प दोष दूर होते है, बहुत से लोग इस दोष नही मानते है, फिर भी महादेव हो या श्री हरि हो इनकी सोभा तो नागदेवता ही बढ़ाते है, इस बात को तो जरूर मानेंगे।चलिये इसी बहाने नवरात्रि में नौ नाग की पूजा का फल प्राप्त करने के लिये इनका स्त्रोत का जप करना चाहिये।
-: नव नाग स्त्रोत:-
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं

शन्खपालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा

एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनं

सायमकाले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतः

तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत

ll इति श्री नवनागस्त्रोत्रं सम्पूर्णं ll
कहते है कि नौ नागों के नामो का स्मरण सायंकाल और प्रातः काल करता है, सर्वत्र विजयी होता है, और किसी प्रकार का भय नही रहता है।

40,000 people, mostly from Uttar Pradesh, Madhya Pradesh and Bihar, have fled Gujarat


Gujarat Home Minister Pradeepsinh Jadeja said that the state government has asked the police to take action on anyone threatening migrant workers forcing them to flee the state.

Ahead of elections in 5 states it seems to be pretty strategic move to disturb immigrant voters in the states


Gujarat Home Minister Pradeepsinh Jadeja said that the state government has asked the police to take action on anyone threatening migrant workers forcing them to flee the state.

“Thirty-five FIRs have been lodged and the number of attacks on migrants has decreased in the last 24 hours,” Jadeja said, adding, “We appeal to people to not be frightened as we are taking appropriate actions.”

In a statement issued today, Gujarat Chief Minister Vijay Rupani assured the safety of migrant workers and promised appropriate action against those involved in attacks.

He also appealed for the unity “which is the culture and identity of Gujarat”.

Reports say that around 40,000 people, mostly from Uttar Pradesh, Madhya Pradesh and Bihar, have fled Gujarat following days of violence against them by unidentified groups.

In a press conference held on Monday, Jadeja acknowledged that there have attacks on the people from the three states in the last 4-5 days adding that action has been taken against the perpetrators.

“Police are interrogating the people who have been arrested for these attacks. We have registered three cases under the IT Act for spreading hatred on social media,” Jadeja told the media.

He said that the ruling Bharatiya Janata Party (BJP) government in the state is committed to provide security to those who come to Gujarat for employment.

“We have submitted a report to the central govt regarding every incident,” the state home minister said.

Railways stations in northern parts of Gujarat witnessed crowds of migrant workers boarding trains bound for their home state to escape targeted attacks on them.

The attacks on the migrants began after a labourer from Bihar was arrested for allegedly raping a 14-month-old girl in a village in Sabarkantha district on 28 September.

Hate messages on Whatsapp were circulated calling for attacks on people from Bihar and Uttar Pradesh. Around 170 people were arrested in connection with the attacks till 6 October. Though the intensity of attacks has reduced stray incidents continue to be reported from seven districts in north Gujarat.

Bihar Chief Minister Nitish Kumar said that he had spoken to his Gujarat counterpart on Sunday.

“I spoke to Gujarat CM yesterday. We’re in touch with them. They’re monitoring situation. Those who’ve committed a crime should be punished but no bias should be harboured for others,” Kumar was quoted as saying by ANI on Monday.

In a letter written to Gujarat High Court Chief Justice R Subhash Reddy, Deputy Chief Minister Nitin Patel had requested the setting up of a special fast-track court in the case.

Addressing reporters on Saturday in Ahmedabad, Patel said, “I have written to the chief justice with request to set up a special fast-track court so that trial in rape cases at Himmatnagar (in Sabarkantha district) and Surat are held there and completed in a month or so.”

Meanwhile, the state government blamed Congress MLA Alpesh Thakor for the violence. According to reports, the toddler who was raped belonged to the Thakor community.

His group, the Thakor Sena, have been staging protests in north Gujarat demanding justice for the girl. Thakor had on Sunday called the attacks “unfortunate” and stated that his group “never advocated violence and only talked peace”.

Thakor had on 3 October announced a fast outside Ahmedabad’s Sabarmati Ashram on 8 October to seek justice

राजस्थान कोर्ट में मनु महाराज की मूर्ति पर कालिख पोतने की शर्मनाक घटना

महाराष्ट्र से आईं दो स्त्रियॉं द्वारा मनुस्मृति के रचयिता आदिपुरुष मनु जी की कालिख पुती मूर्ति


मनु कहते हैं- जन्मना जायते शूद्र: कर्मणा द्विज उच्यते। अर्थात जन्म से सभी शूद्र होते हैं और कर्म से ही वे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र बनते हैं। वर्तमान दौर में ‘मनुवाद’ शब्द को नकारात्मक अर्थों में लिया जा रहा है। ब्राह्मण वाद  भी  मनुवाद के ही पर्यायवाची के रूप में उपयोग किया जाता है। वास्तविकता में तो मनुवाद की रट लगाने वाले लोग मनु अथवा मनुस्मृति के बारे में जानते ही नहीं है या फिर अपने निहित स्वार्थों के लिए मनुवाद का राग अलापते रहते हैं। दरअसल, जिस जाति व्यवस्था के लिए मनुस्मृति को दोषी ठहराया जाता है, उसमें जातिवाद का उल्लेख तक नहीं है। 


ख़बर फोटो और विडियो: दिनेश पाठक

 

 

राजस्थान हाईकोर्ट बेंच जयपुर मे मुख्य भवन के सामने स्थित मनु की मूर्ति पर महाराष्ट्र से आई दो महिलाओ ने कालिख पोत दी ‌‌‌‌‌‌राजस्थान उच्च न्यायालय परिसर मे आज भारी सुरक्षा वन्दोबस्त मे सेंध लगाकर महाराष्ट्र के औरंगाबाद से आई दो महिलाएं घुस गयी और परिसर मे स्थित मनु की मूर्ति को कालिख पोत दी जिन्हे सीसीटीवी के जरिये उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार द्वारा पुलिस को सूचित कर घटना स्थल से ही गिरफ्तार कर लिया ! ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ ‌ परिसर स्थित चौकी पुलिस ने उक्त दोनो महिलाओ को गिरफ्तार कर अशोक नगर पुलिस के हवाले कर दिया तथा पुलिस ने मामला दर्ज कर दोनो महिलाओ से पूछताछ शुरू कर जांच शुरु कर दी‌‌ ! ‌हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने रजिस्ट्रार से मिलकर परिसर की सुरक्षा बढाने तथा गिरफ्तार लागो के खिलाफ कडी कार्यवाही की मांग की ‌बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल उपमन एवं महासचिव संगीता शर्मा ने पुलिस आयक्त को पत्र लिखकर घटना मे शामिल स्थानीय लोगो एवं इनके तार कहां कहां जुडे है को मद्देनजर रखकर जांचकर कठोर कार्यवाही की मांग की है ‌! उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट परिसर मे 28 जून 1989 को मनु की प्रतिमा की स्थापना की थी जिसका विरोध दलित संगठनो ने किया जिसके बाद एक पीठ ने उसे हटाने के आदेश दिये जिसके विरोध मे विश्व हिन्दु परिषद के आचार्य धर्मेन्द्र ने ने एक याचिका माननीय न्यायाधीश महेन्द्र भूषण के समक्ष प्रस्तुत की जिसमे उक्त आदेश को स्टे कर दिया ! मनु की प्रतिमा पर कालिख पोतने की घटना का शहर के विभिन्न संघटनो ने कडी निंदा की तथा कायरना हरकत बताया तथा चेतावनी दी कि यदि दोषियो के खिलाफ कठोर कार्यवाही नही की तो आन्दोलन किया जायेगा !

और अंत में 

मनुस्मृति में दलित विरोध : मनुस्मृति न तो दलित विरोधी है और न ही ब्राह्मणवाद को बढ़ावा देती है। यह सिर्फ मानवता की बात करती है और मानवीय कर्तव्यों की बात करती है। मनु किसी को दलित नहीं मानते। दलित संबंधी व्यवस्थाएं तो अंग्रेजों और आधुनिकवादियों की देन हैं। दलित शब्द प्राचीन संस्कृति में है ही नहीं। चार वर्ण जाति न होकर मनुष्य की चार श्रेणियां हैं, जो पूरी तरह उसकी योग्यता पर आधारित है। प्रथम ब्राह्मण, द्वितीय क्षत्रिय, तृतीय वैश्य और चतुर्थ शूद्र। वर्तमान संदर्भ में भी यदि हम देखें तो शासन-प्रशासन को संचालन के लिए लोगों को चार श्रेणियों- प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में बांटा गया है। मनु की व्यवस्था के अनुसार हम प्रथम श्रेणी को ब्राह्मण, द्वितीय को क्षत्रिय, तृतीय को वैश्य और चतुर्थ को शूद्र की श्रेणी में रख सकते हैं। जन्म के आधार पर फिर उसकी जाति कोई भी हो सकती है। मनुस्मृति एक ही मनुष्य जाति को मानती है। उस मनुष्य जाति के दो भेद हैं। वे हैं पुरुष और स्त्री।

“याचना नहीं अब रण होगा” राम मंदिर पर संतों कि हुंकार


वीएचपी और साधु-संतों की तरफ से इस बीच बनाया जा रहा माहौल भी फिलहाल राम मंदिर के मुद्दे को फिर से गरमाने की ही रणनीति है. इस मसले पर सियासत का फायदा अबतक बीजेपी ही उठाती रही है


संत समाज कि हुंकार आज रश्मिरथी कि पंक्तियों से उद्धरित हुई

“याचना नहीं, अब रण होगा,
जीवन-जय या कि मरण होगा।

‘टकरायेंगे नक्षत्र-निकर,
बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा,
विकराल काल मुँह खोलेगा”

दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी के कार्यालय में देश भर से आए बड़े संतों का जमावड़ा लगा. राम मंदिर मुद्दे को लेकर चर्चा हुई और फिर संतों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार से कानून बनाने का फरमान जारी कर दिया.

सरकार को संतों का फरमान

‘संत उच्चाधिकार समिति’ की बैठक राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में स्वामी वासुदेवानंद और विश्वेशतीर्थ महाराज समेत और कई बड़े संत मौजूद रहे. सबने एक सुर में साफ कर दिया कि सरकार जरूरत पड़ने पर लोकसभा और राज्यसभा का संयुक्त सत्र बुलाकर मंदिर निर्माण के लिए कानून पास कराए.

इस बैठक में रामानन्दाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य, परमानंद जी महाराज और राम विलास वेदांती, चिदानंद पुरी, स्वामी चिन्मयानंद, स्वामी अखिलेश्वरानन्द समेत देश भर से आए साधु संतों ने कहा कि संसद में जब कानून बनाने की बात आएगी तब पता चल जाएगा कि असल में रामभक्त कौन है?

संतों ने अपनी इस बैठक के बाद कानून बनाने के प्रस्ताव पर अमल के लिए राष्ट्रपति से भी मुलाकात की. आग्रह किया कि अपनी सरकार को कानून बनाने के लिए कहें.

संतों के देशव्यापी अभियान से दिसंबर तक गरमाएगा मुद्दा

वीएचपी के साथ संत समाज की बैठक के बाद जो तय हुआ है उसे आने वाले दिनों में मंदिर निर्माण के लिए देश भर में समर्थन की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है.

संतों ने प्रस्ताव पास कर अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के लिए जनजागरण अभियान भी शुरू करने का फैसला किया है. जनजागरण अभियान के तहत हर राज्य में राम भक्तों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपालों से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपेगा. राज्यपालों के माध्यम से भी केंद्र सरकार तक राम भक्तों की मांग को पहुंचाने की कोशिश होगी.

इसके अलावा सभी संसदीय क्षेत्रों में राम मंदिर को लेकर बड़ी–बड़ी जनसभा कराने का भी फैसला किया गया है. हर क्षेत्र में जन सभाओं के बाद उस क्षेत्र के सांसदों से संतों और स्थानीय लोगों का प्रतिनिधिमंडल मिलकर राम मंदिर बनाने के लिए कानून बनाने की पहल के लिए उन सांसदों से मांग करेगा.

इसके अलावा दिसंबर में जिस दिन विवादित ढांचा गिराया गया था, उस दिन से लेकर 26 दिसंबर तक देशभर में हर पूजा-पाठ के स्थान, मठ- मंदिर, आश्रम, गुरुद्वारा और हर घरों में अयोध्या में भव्य राम मंदिर के लिए उस इलाके की परंपरा के मुताबिकि अनुष्ठान किया जाएगा.

लेकिन, संत समाज महज इतने भर से ही संतुष्ट नहीं होने वाला है. बल्कि आने वाले दिनों में संतों का एक प्रतिनिधि मण्डल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर उन्हें करोड़ों राम भक्तों की भावना से अवगत कराकर कानून बनाने का आग्रह करेगा.

अक्टूबर में संतों की यह कवायद क्यों?

साधु-संतों की तरफ से पहले से ही राम मंदिर निर्माण की मांग की जाती रही है. पहले से भी अलग-अलग मंचों से संसद में कानून के जरिए भी इस पर पहल करने की मांग उठती रही है. लेकिन, अब इस मुद्दे को लेकर संत समाज और वीएचपी के लोग एक साथ मंथन कर रहे हैं. उनकी तरफ से एक साथ अभियान चलाने की बात की जा रही है. अब कानून की मांग को लेकर जनजागरण अभियान तेज किया जा रहा है.

यह सब तब हो रहा है जब, बीजेपी और सरकार की तरफ से पहले ही साफ कर दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक या फिर दोनों समुदायों के बीच आम सहमति के आधार पर ही मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो सकता है. तो सवाल उठता है कि आखिर इस वक्त कानून बनाने की मांग इतनी तेज क्यों की जा रही है, जब 29 अक्टूबर से इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख तय हो गई है.

संतों के प्रस्ताव पर गौर करें तो कहीं भी आंदोलन की बात नहीं की गई है. संत समाज और वीएचपी इस मुद्दे पर जनजगारण अभियान की बात कर रहा है. सरकार से मांग कर रहा है. यानी संत समाज और वीएचपी सरकार को परेशान नहीं करना चाहता, महज माहौल को गरमाए रखना चाहता है.

वीएचपी और संत समाज की बैठक में जो जनजागरण अभियान का कार्यक्रम तय हुआ है, उसका समय अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक का है. यानी एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही होगी तो दूसरी तरफ देश भर में वीएचपी के साथ मिलकर संत समाज राम मंदिर के निर्माण को लेकर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा होगा.

सियासत पर कितना होगा असर?

अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा सियासी तौर पर भी बहुत ही संवेदनशील है. बीजेपी के एजेंडे में राम मंदिर का मुद्दा पहले से रहा है. यहां तक कि हर चुनावी घोषणा पत्र में भी इसका जिक्र रहता है. राम लहर पर ही सवार होकर नब्बे के दशक में बीजेपी का राष्ट्रीय स्तर पर उभार हुआ था.

अब जबकि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में 29 अक्टूबर से दोबारा सुनवाई होगी, तो उम्मीद की जा रही है कि इस पर फैसला भी अगले लोकसभा चुनाव के पहले हो जाए. राम मंदिर पर आने वाला हर फैसला बीजेपी के साथ-साथ विपक्ष की राजनीति के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण होगा. क्योंकि, इस मुद्दे पर कोर्ट के अंदर से आने वाले फैसले से देश के अंदर की सियासत फिर गरमाएगी.

वीएचपी और साधु-संतों की तरफ से इस बीच बनाया जा रहा माहौल भी फिलहाल राम मंदिर के मुद्दे को फिर से गरमाने की ही रणनीति है. इस मसले पर सियासत का फायदा अबतक बीजेपी ही उठाती रही है. अब अगले तीन-चार महीने भी चुनाव से पहले संतों की कवायद का फायदा भी बीजेपी को ही मिलेगा. यही वजह है कि वीएचपी के साथ संतों की राम मंदिर मुद्दे को गरमाने की कवायद को सियासी नजरिए से ही देखा जा रहा है

1000gm of Opium seized and one arrested by Sector 39 Police Party

 

05/10/2018

Keeping in view of drug menace in UT, Chandigarh, senior officers has issued special instructions and direction to develop the sources against the drug peddlers in UT, Chandigarh to apprehend them and to curb this menace. Working on the direction of senior officers a special team under the close supervision of SHO PS-39 was constituted and special drive has been carried out to apprehend the drug peddlers.

On 04.10.2018 SI Krishan Kumar along with police party from PS-39, Chd was on patrolling duty in the PS area. During patrolling they reached at slip road sector-39 near Ziri Mandi chowk and started checking the persons under Roko Toko Abhiyan. During checking at about 08.30 PM they saw one person carrying dark blue colour bag in his right hand was coming on foot from Dana Mandi side. On seeing the police party said person suddenly turned back and started walking speedily. On suspicious, police party apprehend that person who disclosed his name as Jatinder Gupta (name changed due to investigation purposes). Resident of Badayaun UP age-59 and during checking of bag, opium which was wrapped in Pholythine bag has been found in his carry bag. On weighing on electronic weighing machine, total 1000 gm opium has been recovered.

 

Profile of accused:-    Accused Jatinder Gupta (name changed due to investigation purposes) is a resident of Badayaun UP age-59 years. Earlier he was driver with one drug paddler Jain who was resident of Agra and after the death of drug peddler Jain, he started supplying the drugs in Chandigarh and Punjab area at his own. The call detail of mobile phone of accused Jatinder Gupta is being obtained to ascertain his customers. The accused person will be produced before the area magistrate for police remand. More recoveries are expected from the accused person.

 

The SIT, under the close supervision of SHO/PS-39, Chandigarh had achieved major success by apprehending the following drug peddlers within the month and huge recovery of drugs i.e. Smack/Heroine (370 gm) , intoxicate Injections (200), opium (1000 gm) and huge cash Rs. 600600 has been effected from their possession.

The detail of registered cases is as under:-

 

S.N  Accused Recovery FIR/DATE

U/S

Date of arrest
1. Poonam W/O Sikander R/O # 372 Sec-40A Chd Age-32 Years 270gm Smack/Heroine, 200 injections, Cash Rs. 600600 346

28.08.18

21, 22 NDPS Act

28.08.18

 

2. Chandan S/o Chunni Lal R/O Vill Rajera Distt Chamba HP 50 gram smack 391

26.09.18

21 NDPS Act

26.09.18
3. Sahil Daber S/O Balraj Kumar R/O # 2700 Sec-22 C CHD 50 gram smack

 

392

 

27.09.18

21 NDPS Act

27.09.18

 

Sandeep Hans S/O Balbir Singh R/O # 3317 Sec-38 CHD
5. Jatinder Gupta (Name Changed due to investigation Purpose) 1000 gram Opium 400

04.10.18

18 NDPS Act

04.10.18

 

 

Beside the above, keeping view of spurt in incident of Snatching, Vehicle thefts and Burglary, senior officer of Chandigarh Police has issued special directions and instructions to curb and detect this crime. Working on the directions of senior officers, a team of police station Sector- 39, under the close supervision of  SHO PS-39, Chd, has arrested two members of Inter-state snatchers and recovered 4 mobile phones from their possession snatched by them from the different parts of Chandigarh and Mohali.

 

On dated 04/10/2018, on receipt of secret information, a team led by SI Gurjiwan Singh alongwith police officials of Police Station- 39, laid a naka near turn of Parjapati Bhawan and apprehended accused person namely Lovely Kumar S/o Jamnu Ram r/o # Brauti wala Mohalla, Sohana, Distt Mohali Punjab, age 22 years and Rahul Kumar s/o Raj Kumar r/o village Isarherri, Teh Dudhan Sadhan, Distt Patiala, age 22 years During interrogation both of the accused persons have confessed regarding the snatching of mobile make OPPO on dated 30/09/2018  from Sector 38, near Vivek School, from a pedestrian girl. The same was recovered from the possession of accused person accordingly alongwith motorcycle used by accused during commission of crime.  The recovered mobile phone was related to FIR no. 395 date 30/09/2018 u/s 379, 356 IPC PS-39, Chandigarh. Three more mobile phones have been also recovered from the possession of accused person which were also snatched by them. The verification regarding the other recovered phone is pending so far.

The accused person Lovely Kumar was remained in Patiala Central Jail for two month in a case of theft of mobile phone. He was released from jail on 17/08/2018. The accused persons will be produced before the area magistrate for police remand. More recoveries are expected from the accused persons