कुछ राज्यों में लॉकडाउन से सीमित छूट

नई दिल्ली: 

सरकार ने सोमवार से कोरोना वायरस के संक्रमण मुक्त इलाकों में सीमित छूट देने की बात कही है. लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराने को कहा गया है. इसी बीच, कई राज्य सरकारों ने लॉकडाउन में कोई छूट नहीं देने का फैसला किया है. थोड़ी बहुत भ्रम की स्थिति भी बनी हुई है. लोग जानना चाहते हैं कि 20 अप्रैल से क्या खुलेगा और क्या बंद रहेगा. क्या ऑनलाइन ऑर्डर देकर कोई सामान मंगवाया जा सकता है? या फिर ऑनलाइन फूड डिलीवरी जारी रहेगी या बंद रहेगी.

कहां मिलेगी छूट

स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कहा है कि कोरोना के संक्रमण से मुक्त रहे इलाकों में लॉकडाउन के नियमों में सीमित छूट दी जाएगी. लेकिन यहां इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि कोरोना संक्रमण के प्रभाव वाले हॉटस्पॉट जिलों में तीन मई तक कोई छूट नहीं मिलेगी. इन जिलों में लॉकडाउन का सख्ती से पालन करवाया जाएगा. हॉटस्पॉट से आशय उन इलाकों से है जिनमें संक्रमण के काफी अधिक मामले पाए गए या जिनमें संक्रमण के मामले चार दिन में दोगुना होने की दर पाई गई हो. 

किन-किन क्षेत्रों में छूट मिलेगी

संक्रमण मुक्त क्षेत्रों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कृषि संबंधी गतिविधियों की छूट दी जाएगी. इन इलाकों में विभिन्न गतिविधियों की आंशिक छूट मिलेगी, उन क्षेत्रों में यात्रा सेवाए, शैक्षिक संस्थान, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियां पहले की तरह ही तीन मई तक प्रतिबंधित होंगी. सिनेमा तथा मॉल सहित आवश्यक सेवाओं से इतर अन्य सेवाओं से जुड़े सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद रहेंगे.

आईटी और आईटीईएस क्षेत्र को 50 प्रतिशत क्षमता के साथ संचालित होने इजाजत दी जाएगी. स्वरोजगार वाले इलेक्ट्रेशियन, सूचना प्रौद्योगिकी मरम्मत, प्लंबर, मोटर मैकेनिक, बढ़ई को भी लोगों के लिये सेवा उपलब्ध करने की इजाजत होगी. राजमार्गों के किनारे स्थित ढाबा, ट्रक मरम्मत दुकानें और सरकारी गतिविधियों के लिये कॉल सेंटर भी 20 अप्रैल से खुलेंगे. गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए एयर कंडीशनर्स, एयर कूलर, पंखों की बिक्री तथा उनकी मरम्मत की दुकानों को भी आवश्यक सामान या सेवाओं के दायरे में लाया गया है तथा उन्हें खुलने और काम करने की अनुमति दी गई है. 

गैर-जरूरी वस्तुओं पर लगाई पाबंदी

सरकार ने रविवार को यू-टर्न लेते हुए लॉकडाउन के दौरान ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा गैर-जरूरी वस्तुओं की बिक्री पर रोक लगा दी. गौरतलब है कि चार दिन पहले ई-कॉमर्स कंपनियों को मोबाइल फोन, रेफ्रिजरेटर और रेडीमेड परिधान आदि की बिक्री की अनुमति दी गई थी, लेकिन अब इस ‘छूट’ को वापस ले लिया गया है. 15 अप्रैल को जारी आदेश में ई-कॉमर्स कंपनियों को 20 अप्रैल से गैर-जरूरी सामान की बिक्री की अनुमति दी गई थी. ई-कॉमर्स कंपनियों ने आर्डर लेने शुरू कर दिए थे लेकिन फैसला वापस ले लिया गया क्योंकि ऐसा महसूस हुआ कि सामानों की सूची बहुत व्यापक है और इससे कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए लागू पाबंदियों पर असर पड़ सकता है.

जहां तक ऑनलाइन फूड डिलीवरी का सवाल है तो हर राज्य अपने यहां कोरोना संक्रमण के हालात को देखते हुए निर्णय ले रहे हैं. फूड डिलीवरी आवश्यक सेवा के अंतर्गत आती है. तेलंगाना में इस पर प्रतिबंध लगाए जाने की खबर है.

राज्यवार जानिए कहां कितनी छूट

दिल्ली में लॉकडाउन की शर्तों में कोई छूट नहीं है. महाराष्ट्र में ग्रीन-ऑरेंज ज़ोन में कल से उद्योगों को थोड़ी ढील दी गई है. कृषि और ज़रूरी चीज़ों पर प्रतिबंध नहीं है. 

पंजाब सरकार तीन मई तक कर्फ्यू में कोई ढील नहीं देगी, केवल गेहूं की खरीद होगी

पंजाब सरकार ने रविवार को कहा कि वह तीन मई तक गेंहू की खरीद को छोड़कर कर्फ्यू में और कोई छूट नहीं देगी. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कोरोना वायरस महामारी के कारण उभरे हालात को लेकर प्रशासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर वर्तमान स्थिति का जायजा लेने के बाद यह घोषणा की. सिंह तीन मई को फिर से हालात का जायजा लेंगे. इस फैसले के साथ ही 20 अप्रैल से दी गई सभी तरह की छूट को वापस ले लिया गया है. 

तेलंगाना में लॉकडाउन को सात मई तक के लिए बढ़ाया गया

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने राज्य में जारी लॉकडाउन को सात मई तक बढ़ाए जाने की रविवार को घोषणा की. राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में लॉकडाउन को सख्त तरीके से लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सोमवार से राज्य में फूड डिलीवरी ऐप के संचालन की अनुमति नहीं होगी.

कर्नाटक सरकार ने लॉकडाउन 21 अप्रैल की मध्यरात्रि तक बढ़ाया

कर्नाटक सरकार ने गृह मंत्रालय द्वारा लागू लॉकडाउन को 21 अप्रैल मध्यरात्रि तक बढ़ाने के लिए रविवार को नए आदेश जारी किए सूत्रों ने कहा कि सरकार 21 अप्रैल के बाद लॉकडाउन में छूट देने पर विचार कर रही है और सोमवार को होने वाली राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इसपर चर्चा हो सकती है. 

दिल्ली में लॉकडाउन से राहत नहीं  

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि दिल्ली सरकार कम से कम एक सप्ताह तक लॉकडाउन में कोई छूट नहीं देगी क्योंकि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से फैल रहा है. हालांकि, केजरीवाल ने लोगों को आश्वासन दिया कि स्थिति नियंत्रण में है और सरकार एक हफ्ते बाद फिर से स्थिति का आकलन करेगी और देखेगी कि क्या छूट दी जा सकती है. दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव की ओर से जारी एक आदेश के मुताबिक सरकार 27 अप्रैल को स्थिति की समीक्षा करेगी.  

राजस्थान में बाहर निकलने की छूट नहीं 

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को कहा कि सोमवार से शुरू होने वाले संशोधित लॉकडाउन का यह कतई मतलब नहीं है कि लोग घरों से बाहर निकल सकते हैं. उन्होंने कहा कि आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों के अतिरिक्त कोई बाहर निकला तो कार्रवाई होगी. गहलोत ने कहा संशोधित लॉकडाउन में नगरपालिका के बाहर ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग शुरू हो सकेंगे तथा शहरी क्षेत्रों में उन्हीं उद्योगों को सीमित छूट दी गई है, जिनमें श्रमिकों को फैक्ट्री में रखने की उचित व्यवस्था उपलब्ध है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आवश्यक सेवाओं के लिए पूर्व में जो पास जारी किए गए हैं, वे आगे भी मान्य होंगे. नए ई-पास ऑनलाइन बनाए जाएंगे. 

राज्यों ने लॉकडाउन समय में वृद्धि का प्रस्ताव दिया

सरकार का सोचना है कि इससे स्कूल और कालेज एक तरह से गर्मियों की छुट्टियों को मिलाकर जून के अंत तक बंद रहेंगे। गर्मियों की छुट्टी आम तौर पर मई के मध्य से शुरू हो जाती हैं। जीओएम ने सिफारिश की है कि सभी धार्मिक संगठनों को कोरोना वायरस को रोकने के एहतियाती कदम के तहत 15 मई तक गतिविधियां शुरू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। जीओएम का गठन देश में कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न स्थिति की समीक्षा करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुझाव देने के लिए किया गया है।

नई दिल्ली:

भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच देश में लॉकडाउन की समयावधि बढ़ाई जाएगी या नहीं इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों और लेफ्टिनेंट गवर्नर से संवाद के बाद फैसला लेंगे। मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को मुख्यमंत्रियों, प्रशासकों और लेफ्टिनेंट गवर्नर्स से प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए संवाद स्थापित करेंगे।

मुख्यमंत्रियों के साथ पिछली बैठक में पीएम मोदी ने लॉकडाउन हटाने को लेकर सुझाव मांगे थे, जिससे गरीब और प्रवासी श्रमिकों की परेशानी खत्म हो सके। सरकार चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खत्म करना चाहती है। केंद्र सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि केंद्र उन जगहों से प्रतिबंध हटाने को तैयार है, जहां कोविड -19 के मामले नहीं आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि कई सचिवों के साथ ही नीति आयोग के शीर्ष अधिकारियों का मानना है कि 15 अप्रैल के बाद भी पूर्ण रूप से लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान होगा। वे उन क्षेत्रों में प्रतिबंध खत्म करने के पक्ष में हैं जो ‘रेड जोन’ नहीं हैं।

बता दें कि मौजूदा लॉकडाउन की अवधि 21 दिन की है जो 14 अप्रैल की मध्य रात्रि खत्म हो जाएगी। इससे पहले कई राज्यों ने अपनी चिंता जाहिर की है। बुधवार सुबह 9 बजे स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार देश भर में 5194 मामले दर्ज किये गये जिसमें से 4643 केस एक्टिव हैं और 401 मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज किये जा चुके हैं। वहीं 149 लोगों की मौत हो चुकी है साथ ही 1 मरीज विदेश शिफ्ट हो चुका है।

बता दें Covid19 से निपटने के लिए गठित मंत्रियों के समूह (GoM) ने 15 मई तक सभी शैक्षणिक संस्थाओं को बंद रखने और लोगों की सहभागिता वाली सभी धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाने की सिफारिश की है। मंत्री समूह का कहना है कि सरकार चाहे 21 दिनों के लॉकडाउन (Lockdown In India) को आगे बढ़ाये या नहीं, लेकिन शैक्षणिक तथा धार्मिक गतिविधियों पर 15 मई तक रोक लगानी चाहिए। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। हालांकि देश के कुछ राज्यों ने लॉकडाउन बढ़ाने के संकेत दिए हैं, लेकिन इसपर अभी फैसला नहीं लिया गया है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़ लॉकडाउन बढ़ाने के पक्ष में है. महाराष्ट्र ने भी लॉकडाउन बढ़ाने के संकेत दिए हैं, पर कैबिनेट की बैठक में इसपर कोई ठोस फैसला नही हुआ.

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लॉकडाउन बढ़ाने का संकेत देते हुए कहा, ‘हमारे लिए जनता की जिंदगी महत्वपूर्ण है. इसलिए #Lockdown और सह लेंगे, अर्थव्यवस्था बाद में भी खड़ी कर लेंगे, लेकिन लोगों की जिंदगी चली गई तो वापस कैसे ले आयेंगे? इसलिए अगर जरूरत पड़ी तो लॉकडाउन को आगे भी बढ़ायेंगे. परिस्थितियां देखकर फैसला करेंगे.’

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश सरकार ने भी लॉकडाउन बढ़ाए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया है. ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, ‘संवेदनशीलता बढ़ने के कारण 14 अप्रैल के बाद भी लॉकडाउन खुल पाएगा या नहीं, यह अभी कहा नहीं जा सकता है. इस पर कुछ भी कहना, अभी संभव नहीं होगा, क्योंकि लॉकडाउन से जितनी भी व्यवस्था बनाकर केसों को नियंत्रित किया गया है, अगर 1 भी केस प्रदेश में रह जाता है तो लॉकडाउन को खोलना उचित नहीं होगा. लॉकडाउन खुलने से पुनः वही स्थिति आ सकती है.’

तेलंगाना

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा है, ‘जून के पहले सप्ताह तक बढ़ाएं लॉकडाउन, वरना कंट्रोल संभव नहीं. तत्काल सभी सीएम से बात करके लॉकडाउन बढ़ाने को लेकर फैसला करना चाहिए.’ 

पुडुचेरी

पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणस्वामी ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में यदि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन की अवधि 14 अप्रैल से आगे बढ़ाया तो उनकी सरकार केंद्र सरकार के इस फैसले का समर्थन करेगी.

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने पीएम मोदी से अपील करते हुए लिखा है कि यदि 14 अप्रैल से अंतर्राज्यीय आवागमन प्रारंभ किया जाता है तो उसके पहले कोविड-19 का प्रसार रोकने के ठोस उपाय सुनिश्चित किए जाने चाहिए. उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि लॉक डाउन समाप्त होने से पहले इस संबंध में व्यापक विचार विमर्श होना चाहिए.

हरियाणा

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ‘हम केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्दशों का पालन करेंगे. जैसा हम देख रहे हैं कि कोरोना वायरस की बीमारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, ऐसे में यह अभी कुछ भी कह पाना संभव नहीं है कि हम लॉकडाउन खत्म करेंगे या आगे बढ़ाएंगे.’

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र सरकार ने भी इस बात के संकेत दिए हैं कि राज्य में लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जा सकती है, हालांकि अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है. महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक में लोकडाउन को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं हो सका. सरकार आनेवाले दिनों में स्थिति का जायझा लेकर कोई भी फैसला करेगी. कैबिनेट बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि अगर पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ी तो राज्य में लॉकडाउन रखा जाएगा.’

राजस्थान

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, ‘राज्य में एक साथ लॉकडाउन नहीं खुलेगा. राजस्थान में 40 जगहों पर कर्फ्यू है. जो भी होगा वो फेज वाइज होगा. इस मुद्दे पर जो भी फैसला लिया जाएगा, वो चर्चा के बाद ही लिया जाएगा.’

दिल्ली

ऐसी खबरें हैं कि दिल्ली में लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जा सकती है, हालांकि आधिकारिक तौर पर इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहा गया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अनुसार, ‘कोरोना को अकेले कोई ठीक नहीं कर सकता है. आज सारी सरकारें टीम की तरह काम कर रही हैं. राजनीति से ऊपर उठकर काम कर रही हैं. सारी राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा.’

सूत्रों ने बताया कि सरकार का सोचना है कि इससे स्कूल और कालेज एक तरह से गर्मियों की छुट्टियों को मिलाकर जून के अंत तक बंद रहेंगे। गर्मियों की छुट्टी आम तौर पर मई के मध्य से शुरू हो जाती हैं। जीओएम ने सिफारिश की है कि सभी धार्मिक संगठनों को कोरोना वायरस को रोकने के एहतियाती कदम के तहत 15 मई तक गतिविधियां शुरू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। जीओएम का गठन देश में कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न स्थिति की समीक्षा करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुझाव देने के लिए किया गया है।

मोदी के आवाहन पर भारत ने दिखाई एकता, की दीपावली

कोरोना के खिलाफ जंग में पीएम मोदी की अपील के बाद देशवासी आज रात 9 बजे 9 मिनट दीया, कैंडल, मोबाइल फ्लैश और टार्च जलाकर एकजुटता का परिचय देंगे. लोग दीया जलाने की तैयारी कर लिए हैं.

नई दिल्ली: 

कोरोना वायरस के खिलाफ पूरे देश ने एकजुट होकर प्रकाश पर्व मनाया. पीएम मोदी की अपील पर एकजुट होकर देश ने साबित कर दिया कि कोरोना के खिलाफ हिंदुस्तान पूरी ताकत से लड़ेगा. देश के इस संकल्प से हमारी सेवा में 24 घंटे, सातों दिन जुटे कोरोना फाइटर्स का भी हौसला लाखों गुना बढ़ गया. गौरतलब है कि पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में हैं. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देश कोरोना के आगे बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं लेकिन भारत के संकल्प की वजह से देश में कोरोना संक्रमण विकसित देशों के मुकाबले कई गुना कम है.

Live Updates- 

  • कोरोना के खिलाफ एकजुट हुआ भारत, प्रकाश से जगमगाया पूरा देश
  • पीएम मोदी की अपील पर हिंदुस्तान ने किया कोरोना के खिलाफ जंग का ऐलान
  • कोरोना के खिलाफ जापान में जला पहला दीया,
  • कुछ देर बाद 130 करोड़ हिंदुस्तानी लेंगे एकजुटता का संकल्प

अमित शाह ने जलाए दीये

दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने अपने आवास पर सभी लाइट बंद करने के बाद मिट्टी के दीपक जलाए. 

योगी आदित्यनाथ ने जलाया दीया

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दीया जलाकर एकता की पेश की मिसाल. दीए की रोशनी से बनाया ऊं.

अनुपम खेर ने जलायी मोमबत्ती

अनुप खेर ने दीया जलाकर दिया एकता का संदेश

बता दें कि पीएम मोदी ने शुक्रवार को अपील की थी कि पूरे देश के लोग रविवार रात 9 बजे घर की बत्तियां बुझाकर अपने कमरे में या बालकनी में आएं और दीया, कैंडिल, मोबाइल और टॉर्च जलाकर कोरोना के खिलाफ जंग में अपनी एकजुटा प्रदर्शित करें.

नहीं तो कभी न पकड़े जाते जमात के कारनामे

निजामुद्दीन में तबलीगी जमात द्वारा आयोजित किए गए कार्यक्रम से कम से कम 7,600 भारतीय और 1,300 विदेशी लोगों के जुड़े होने की जानकारी सामने आई है. बता दें कि दिल्ली के निजामुद्दीन पश्चिम इलाके में स्थित एक मरकज में 13 मार्च से 15 मार्च तक कई सभाएं हुईं थीं, जिनमें सऊदी अरब, इंडोनेशिया, दुबई, उज्बेकिस्तान और मलेशिया समेत अनेक देशों के मुस्लिम धर्म प्रचारकों ने भाग लिया था. देशभर के विभिन्न हिस्सों से सैकड़ों की संख्या में भारतीयों ने भी इसमें हिस्सा लिया था. उन सभाओं में भाग लेने वाले कुछ लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण फैल गया है. इस घटना के सामने आने के बाद देश के अन्य राज्यों में भी मरकज़ के धार्मिक सभा में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है. मामला सामने आने के बाद पूरे इलाके सील कर दिया गया है, जिसमें तबलीग-ए-जमात का मुख्यालय और आवास शामिल हैं. इलाके के उन होटलों को भी सील कर दिया गया है जिनमें जमात के लोग ठहरे थे. मरकज़ से लोगों को अस्पतालों और क्वारंटाइन केंद्रों में भेज दिया गया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों का पांचवां हिस्सा इसी सभा से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा कुल 53 लोगों की मौत में से कम से कम 15 लोग इस आयोजन से जुड़े हुए थे.

नई दिल्ली: 

देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) रोकने में सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरे तबलीगी जमात के बारे में लगातार खबरें आ रही है. राजधानी दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज में 1 से 15 मार्च के बीच 2000 से अधिक लोग तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) के आयोजन में हिस्सा लेने पहुंचे थे. लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद ये कहां गायब हो गए? आपके मन में भी सवाल होगा कि आखिर इस बारे में पता कैसे चला?

खुलासे का तेलंगाना कनेक्शन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि तबलीगी जमात के सदस्यों में भंयकर रूप से फैले कोरोना वायरस के बारे में और भी देर हो जाती. लेकिन सौभाग्य से तेलंगाना में कुछ इंडोनेशियाई नागरिक मिले जो कोरोना वायरस से संक्रमित थे. काफी गहन पूछताछ के बाद जानकारी मिली कि बड़ी संख्या में तबलीगी जमात के सदस्य हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज में मौजूद हैं. लेकिन सटीक जानकारी नहीं होने की वजह से दिल्ली सरकार के स्वास्थ्यकर्मी भवन में दाखिल नहीं हो पाए. इसी बीच तेलंगाना में फिर कुछ और पॉजिटिव मामले सामने आए. इन सभी पॉजिटिव लोगों का दिल्ली के मरकज से कनेक्शन था. इसी के बाद ही पुलिस की मदद से मरकज से लोगों को बाहर निकाला जा सका. 

इस संस्थान ने की सरकार की मदद

सूत्रों का कहना है कि दिल्ली सरकार के अधिकारी मंत्रालय से निर्देश मिलने के बाद से ही मरकज भवन में घुसने की कोशिश करते रहे. लेकिन दरवाजे पर ही यह कह कर वापस भेज दिया जाता कि यहां कोई सदस्य नहीं है. इस बीच पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) की भूमिका अहम रही. इस संस्था ने अपने सदस्यों की मदद से सभी संक्रमित लोगों के घरों में फोन कर मरकज में मौजूद लोगों की सटीक जानकारी जुटाई. भवन में भारी संख्या में लोगों के मौजूद होने के पुख्ता जानकारी के बाद ही पुलिस व स्वास्थ्य अधिकारी मरकज के भीतर दाखिल हो पाए.

ये है पूरा घटनाक्रम

  • 18 मार्च को तेलंगाना में 9 इंडोनेशियाई नागरिक जांच में कोरोना वायरस पॉजिटिव मिले
  • तेलंगाना सरकार के NCDC को मरकज का लिंक बताया गया
  • 20 मार्च NCDC के निर्देश पर मरकज में अधिकारी भेजे गए, लेकिन उन्हें घुसने नहीं दिया गया
  • 21 और 22 मार्च को फिर से तेलंगाना में चार कोरोना वायरस संक्रमित मिले, इनका भी मरकज कनेक्शन था
  • दूसरे दिन दिल्ली सरकार की टीम फिर निजामुद्दीन पहुंची, लेकिन भवन में कोई नहीं है कहकर दरवाजा नहीं खोला गया
  • 24 मार्च को फिर तबलीगी जमात के 7 सदस्य तेलंगाना में कोरोना वायरस संक्रमित मिले
  • स्वास्थ्य मंत्रालय ने PHFI से मदद मांगी, संस्था ने फोन के जरिए सदस्यों से मरकज में मौजूद लोगों की अहम जानकारी जुटाई
  • दिल्ली सरकार व दिल्ली पुलिस ने मिलकर सभी तबलीगी जमात सदस्यों को मरकज से बाहर निकाला

निजामूद्दीन मरकज़ के लिए दिल्ली निज़ाम सोता रहा

दिल्ली में और खासतौर पर मस्जिदों में छुप छुप कर रहना अपने संक्रामण के बारे में सरकार से छुपाना और पड़े जाने पर यह कहाँ की जब फ़ारिशते नहीं बचा सकते तो डॉक्टर नर्सें क्या बचा लेंगे यह उस जमात के बोल हैं जो अनपढ़ जाहिल मुसलमानों को इल्म का रास्ता दिखा कर आगे बढ़ान चाहते हैं। दिल्ली में केजरीवाल की नाक के थी नीचे उनकी गोद में खेल रहे यह लोग न केवल कोरोना के खिलाफ भारत की जंग में एक बड़ा खुला दरवाजा हैं बल्कि मानवता के भी भयंकर अपराधी हैं। बस मोदी विरोध के चलते केजरीवाल हर वह कदम उठाते हैं जिससे चाहे पूरी मानवता का ही नुकसान हो जाए , दिल्ली- भारत की तो बात ही छोड़िए। केजरीवाल के संरक्षण में इन मौलवियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि इन्हे किसी भी ढाल कि ज़रूरत नहीं है फिर भी भारत के कुछ तथाकथित स्वयंभू पत्रकार इनके बचाव में कूद पड़े हैं।

दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात का 6 मंजिला इमारत भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण का सबसे बड़ा सोर्स बन कर उभरा है। वहाँ से निकाले गए लोगों में से अब तक 117 में संकमण की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने तबलीगी जमात के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था। सामने आए तथ्यों से स्पष्ट है कि तबलीगी जमात द्वारा सारे नियम-कायदों और सरकारी दिशा-निर्देशों की धज्जियाँ उड़ा कर मस्जिद में मजहबी कार्यक्रम आयोजित किए गए। बजाए इस घटना की निंदा करने के गिरोह विशेष के कई बड़े पत्रकार इसका बचाव करने में लग गए हैं। इनमें एक नाम राणा अयूब का भी है।

राणा अयूब ने तबलीगी जमात को क्लीन-चिट देने की कोशिश करते हुए एक खबर की लिंक साझा की है। साथ ही दावा किया है कि जब 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान किया, तभी मरकज में सारे कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया गया। इसके बाद अयूब ने वहाँ इतनी संख्या में लोगों के छिपे होने के पीछे रेलवे का दोष गिना दिया है, क्योंकि देश भर में रेल सेवा बंद हो गई। उन्होंने लिखा है कि ‘अचानक से’ रेल सेवा बंद किए जाने के कारण कई यात्री मरकज में ही फँस गए। यहाँ सवाल ये उठता है कि अगर वो लोग सरकार के साथ सहयोग कर रहे थे (जैसा कि दावा किया गया है), तो फिर उन्हें लेने भेजी गई एम्बुलेंस को क्यों वापस लौटा दिया गया?

अब हम आपको बताते हैं कि मरकज में कैसे जनता कर्फ्यू और उसके बाद हुए लॉकडाउन के दौरान भी धड़ल्ले से कार्यक्रम चल रहे थे और मौलाना-मौलवी कोरोना वायरस की बात करते हुए न सिर्फ़ तमाम मेडिकल सलाहों की धज्जियाँ उड़ा रहे थे, बल्कि अंधविश्वास भी फैला रहे थे। 24 मार्च को यूट्यूब पर ‘असबाब का इस्तेमाल ईमान के ख़िलाफ़ नहीं- हजरत अली मौलाना साद’ नाम से ‘दिल्ली मरकज’ यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो अपलोड किया गया। इसमें मौलाना ने लोगों को एक-दूसरे के साथ एक थाली में खाने और डॉक्टरों की बात मानने की बजाए अल्लाह से दुआ करने की सलाह दी। यूट्यब पेज पर स्पष्ट लिखा है कि ये कार्यक्रम 23 मार्च को हुआ।

इस वीडियो की डेट देखिए, ये कार्यक्रम मरकज़ की इमारत में मार्च 23, 2020 को हुआ था

इस वीडियो में बीच-बीच में लोगों की खाँसने की आवाज़ भी आ रही है। इसका मतलब है कि समस्या को जानबूझ कर नज़रअंदाज़ किया गया। स्थिति ये है कि तमिलनाडु और तेलंगाना से लेकर दिल्ली तक के कई मुसलमानों में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए हैं, जिन्होंने मरकज के कार्यक्रमों में शिरकत की थी। अगर आप ‘दिल्ली मरकज’ के यूट्यब पेज पर जाएँगे तो आपको पता चलेगा कि 17 मार्च से लेकर अब तक वहाँ 24 से भी अधिक वीडियो अपलोड किए गए हैं। सभी वीडियो में स्थान दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज इमारत को ही बताया गया है। इनमें से कई वहाँ हुए कार्यक्रमों के फुल वीडियो हैं तो कई शार्ट क्लिप्स।

https://www.youtube.com/channel/UCCWuKj1-cZrKLwdKcBiZLSA/videos

कोई भी व्यक्ति उन लोगों का खुलेआम बचाव कैसे कर सकता है, जो सार्वजनिक रूप से सरकारी दिशा-निर्देशों और मेडिकल सलाहों को धता बताते हों? ऐसा नहीं है कि उन्हें समझाया नहीं गया था। दिल्ली पुलिस ने 23 मार्च को ही उन्हें समझाया था कि मरकज में हमेशा डेढ़-दो हजार की गैदरिंग होती है, इसे रोकना चाहिए। मौलानाओं को बुला कर कैमरे और सीसीटीवी के सामने ही पुलिस ने समझाया था। पुलिस ने बता दिया था कि सारे धार्मिक स्थान बंद हैं और 5 लोगों से ज्यादा की गैदरिंग पर रोक है। पुलिस ने समझाया था कि ये आपलोगों की सुरक्षा के लिए हैं, हमारी सुरक्षा के लिए नहीं है। मौलानाओं को बताया गया था कि सोशल डिस्टेंसिंग का जितना पालन किया जाएगा, उतना अच्छा रहेगा क्योंकि ये कोरोना वायरस कोई धर्म या मजहब देख कर आक्रमण नहीं करता है। पुलिस ने मौलानाओं को नोटिस थमाते हुए कहा गया था कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए। उस समय भी मरकज के लोगों ने स्वीकार किया था कि उनकी इमारत में 1500 लोग मौजूद हैं और 1000 लोगों को वापस भेजा जा चुका है। इनमें लखनऊ और वाराणसी से लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों के लोग शामिल हैं। दिल्ली मरकज में हमेशा ऐसे कार्यक्रम चलते रहे हैं और हज़ारों लोग जुटते रहे हैं। पुलिस ने इन्हें सख्त शब्दों में चेतावनी दी थी, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा।

दिल्ली सरकार ने 13 मार्च को ही आदेश जारी कर 200 लोगों की किसी तरह की गैदरिंग पर रोक लगा दी थी। उस समस्य इस आदेश की समयावधि 31 मार्च तक रखी गई थी। बावजूद इसके मरकज में कार्यक्रम आयोजित किए गए। 16 मार्च को ख़ुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया कि दिल्ली में कहीं भी 50 लोगों से ज्यादा की भीड़ नहीं जुटेगी। फिर 21 मार्च को 5 से ज्यादा लोगों के जुटान पर रोक लगा दी गई। बावजूद इसके मरकज में हज़ारों लोग रोजाना होने वाले कार्यक्रमों में शिरकत करते रहे। वहाँ लोग रहते रहे। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया। इसके एक दिन बाद भी वहाँ 2500 लोग मौजूद थे, जिनमें से 1500 के चले जाने का दावा मौलाना ने किया है। अब सोचिए, इनमें से कई कोरोना कैरियर होंगे, जिन्होंने हजारों-लाखों लोगों तक संक्रमण फैलाया होगा।

25 मार्च को लॉकडाउन के दौरान भी 1000 मुसलमान वहाँ मौजूद थे। 28 मार्च को एसीपी ने दिल्ली मरकज को नोटिस भेजी लेकिन उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपील की थी कि जो जहाँ है वहीं रहे, इसीलिए वहाँ लोग रुके हुए हैं। साथ ही दावा किया गया कि इतने लोग काफ़ी पहले से यहाँ पर मौजूद हैं। उपर्युक्त सभी बातों से स्पष्ट पता चलता है कि दिल्ली मरकज ने हर एक सरकारी आदेश की धज्जियाँ उड़ाई और जान-बूझकर इस संक्रमण के ख़तरे को नज़रअंदाज़ कर पूरे देश को ख़तरे में डाल दिया। अकेले तमिलनाडु में 50 ऐसे लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण हो गया है, जो मरकज के कार्यक्रमों में शामिल हुए थे। देशभर में ये संख्या और बढ़ेगी, ऐसी आशंका जताई जा रही है। फिर भी कुछ मजहबी ठेकेदार पत्रकारों की वेशभूषा में इनका बचाव करने में लगे हुए हैं।

केजरीवाल की तुष्टीकरण नीति बनाम स्वास्थय संकट

मोदी के राष्ट्रव्यापी आव्हान ” जो जहां है वहीं रहे” के पश्चात, शाहीन बाग और मोदी शाह विरोध की राजनीति की बदौलत दिल्ली के मुख्य मंत्री बने केजरीवाल लाखों मजदूरों को पूर्वी दिल्ली के बार्डर पर बसों में लाद कर छोड़ देते हैं वहीं तबलिगी जमात में बिना स्वास्थ्य जांच के 3400 लोगों को रहने देते हैं। जिनमें से कई कोरोना वाइरस से न केवल संक्रमित मिलते हैं अपितु काइयों की तो मौत का कारण भी यही संक्रामण है। सूत्रों की मानें तो मुख्य मंत्री को तबलिगी जमात की गतिविधियों की पल पल की खबर थी, लेकिन इस जमात के प्रति केजरीवाल के मोह ने एक भयंकर स्थिति उत्पन्न करवा दी है। जहां राष्ट्र एकजुट हो कर इस महामारी से लगभग जीत ही चुका था वहीं अब इस कृत्य ने हमें और भी गहन संकट में दाल दिया है।

कोई धर्म कानून तोड़ने की बात नहीं करता. कोई धर्म देश को धोखा देने के लिए नहीं कहता. कोई धर्म झूठ बोलने के लिए नहीं कहता. लेकिन भारत को कोरोना वायरस के नए खतरे की तरफ धकेलने वाले तबलीगी जमात ने धर्म के नाम पर यही सब किया है. तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज से 1548 लोग निकाले गए हैं. इन सभी लोगों को डीटीसी की बसों से दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों और क्वारंटाइन सेंटर में ले जाया गया है.

तबलीगी जमात से जुड़े 24 लोग कोरोना पॉजिटिव हैं. दिल्ली में 714 लोग कोरोना के शुरुआती लक्षणों की वजह से अस्पतालों में भर्ती हैं, इनमें 441 लोग तबलीगी जमात के हैं. यानी तबलीगी जमात ने दिल्ली को कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बना दिया. इस जमात से जुड़े करीब 8 लोगों की, देश के अलग अलग हिस्सों में मौत हो चुकी है. अब तक देश भर में जमात से जुड़े 84 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इनमें दिल्ली के 24, तेलंगाना के 15 और तमिलनाडु के 45 लोग हैं.

तबलीगी जमात से जुड़े हज़ारों लोग देश के अलग अलग हिस्सों में गए हैं. इनकी पहचान करना, इनके संपर्क में आए लोगों की पहचान करना, इन्हें अलग करना . ये बहुत कठिन चुनौती है. तबलीगी जमात के विदेशी और घरेलू प्रचारक, इस जमात के कार्यकर्ता सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, लखनऊ, पटना, रांची जैसे शहरों में भी मिले. कई जगहों पर इन्होंने खुद को छुपाया और इन्हें पकड़ने के लिए पुलिस को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. निजामुद्दीन मरकज की सफाई ये है कि पहले जनता कर्फ्यू लगा फिर लॉकडाउन का ऐलान हो गया इसलिए ये लोग यहीं फंसे रह गए. यहां ये बताना ज़रूरी है कि पुलिस के मुताबिक आयोजकों को दो दो बार नोटिस दिया गया था. देश में लगातार सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो रही थी. प्रधानमंत्री खुद लगातार ये कह रहे थे कि लोगों को घरों में ही रहना चाहिए. सबको भीड़ से दूर रहना चाहिए. देश ही नहीं पूरी दुनिया में यही बात हो रही थी लेकिन धर्म का चश्मा लगाए इन लोगों को कुछ दिखाई और सुनाई नहीं पड़ा.

21 मार्च को तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज में 1746 लोग लोग मौजूद थे. इनमें 216 विदेशी और 1530 भारतीय थे. इसके अलावा तबलीगी जमात के 824 विदेशी प्रचारक देश के अलग अलग हिस्सों में प्रचार के लिए गए थे . इनमें उत्तर प्रदेश में 132, तमिलनाडु में 125, महाराष्ट्र में 115, हरियाणा में 115, तेलंगाना में 82, पश्चिम बंगाल में 70, कर्नाटक में 50, मध्य प्रदेश में 49, झारखंड में 38, आंध्र प्रदेश में 24, राजस्थान में 13 और ओडीशा में 11 विदेशी प्रचारक तबलीगी जमात की गतिविधियों में शामिल थे .

तबलीगी जमात के करीब 2100 भारतीय प्रचारक भी देश के अलग अलग हिस्से में प्रचार करने के लिए गए थे. अलग अलग राज्यों में इन 2100 लोगों की पहचान कर ली गई है. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती ये पता लगाना है कि इन लोगों ने पूरे देश में घूम-घूम कर कितने लोगों के लिए खतरा पैदा कर दिया है?

पाबंदियों के बावजूद कार्यक्रम में शामिल हुए लोग

पाबंदियों के बावजूद तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों ने सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली को ही संकट में नहीं डाला है, बल्कि यहां से सैंकड़ों की संख्या में लोग देश के दूसरे हिस्सों में भी पहुंचे और अब उन इलाको में भी इस महामारी के तेज़ी से फैलने का खतरा है. निजामुद्दीन से निकल कर हजारों लोग कैसे देश के अलग अलग हिस्सों में फैल गए ये आपको मैप के जरिए समझना चाहिए.

सबसे बड़ा आंकड़ा तमिलनाडु का है जहां मरकज से लौटने वालों की सख्या 501 है लेकिन ये भी कहा जा रहा है कि तमिलनाडु के 1500 से ज्यादा लोगों ने तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. तमिलनाडु में निजामुद्दीन से लौटे 45 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है .

कार्यक्रम से तेलंगाना पहुंचे 15 लोगों में भी संक्रमण की पुष्टि

इस कार्यक्रम से तेलंगाना पहुंचे 15 लोगों में भी संक्रमण की पुष्टि हो गई है . इसके अलावा निजामुद्दीन से असम पहुंचे लोगों की संख्या करीब 216 है, जबकि उत्तर प्रदेश में ये संख्या 156 है . इसके अलावा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और हैदाराबाद जैसे इलाकों में भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग पिछले दिनों पहुंचे हैं, जिन्होंने निजामुद्दीन के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. बाकी के जो राज्य इससे प्रभावित हुए हैं उन्हें आप मैप पर इस समय देख सकते हैं. लेकिन तबलीगी जमात की वजह से इस महामारी के फैलने का खतरा सिर्फ भारत में ही नहीं है, बल्कि दुनिया के कई देश इससे प्रभावित हो चुके हैं.

माना जाता है कि इसकी शुरुआत पाकिस्तान से हुई थी जहां इसी महीने लाहौर में तबलीगी जमात का एक बड़ा कार्यक्रम हुआ था . इस कार्यक्रम में 80 देशों से आए धर्म प्रचारक शामिल हुए थे और इसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया था. सूत्रों के मुताबिक इसमें भारत से गए कुछ प्रचारक भी शामिल थे.

इस संस्था ने इस साल फरवरी में मलेशिया में भी एक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसकी वजह से वहां भी कोरोना के नए मामले तेज़ी बढ़ने लगे थे . पाकिस्तान और मलेशिया के अलावा किर्गिस्तान, गाज़ा, ब्रुनेई और थाइलैंड में भी इस वायरस के तेज़ी से फैलने की बड़ी वजह जमात के कार्यक्रमों को ही माना जा रहा है. कुल मिलाकर निजामुद्दीन इस मामले में भारत का लाहौर साबित हो रहा है और ये इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में अच्छा संकेत नहीं है.

पूरा देश जहां लॉकडाउन की लक्ष्मण रेखा का पालन कर रहा है. अपने अपने घरों में रहकर देश को उस स्टेज में जाने से बचा रहे हैं, जिसमें सामुदायिक संक्रमण होने लगता है और महामारी को रोकना मुश्किल हो जाता है. ऐसे वक्त में इस तरह के लोग अगर धर्म के नाम पर और धर्म के प्रचार के नाम पर भारत को एक बड़े खतरे की तरफ धकेलने में लगे हैं तो ऐसे लोगों पर सवाल उठाने ही चाहिए लेकिन जब ऐसे लोगों पर सवाल उठाए जाते हैं तो एक खास गैंग सवाल उठाने वालों पर ही आरोप लगाने लगता है कि कोरोना के नाम पर ध्रुवीकरण किया जा रहा है. हिंदू-मुसलमान किया जा रहा है. हम ये मानते हैं कि देश के मुसलमान भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश के साथ खड़ा है. लेकिन ये मुट्ठी भर लोगों में धार्मिक कट्टरता की ऐसी पट्टी बंधी है जो पट्टी ये लोग उतारना नहीं चाहते, जबकि ये देश का संकटकाल है. पूरी दुनिया पर खतरा है.

कल जब निजामुद्दीन में हज़ारों लोग नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पकडे गए तब एक खास समुदाय और एक वर्ग मीडिया से नाराज़ हो गया. आपने भी गौर किया होगा आज दिन पर सोशल मीडिया पर Media Virus हैशटैग भी ट्रेंड कर रहा था और ये लोग कह रहे हैं कि मीडिया ने एक वायरस को भी धर्म से जोड़ दिया और ये ठीक नहीं है . यही लोग जब टीवी पर दोबारा से दिखाई जा रही. रामायण का विरोध करते हैं तब क्या ये लोग धर्म निरपेक्षता की मिसाल पेश कर रहे होते हैं ? नहीं, बिल्कुल नहीं. बल्कि सच तो ये है कि ये लोग खुद हर चीज़ को धर्म के चश्मे से देखते हैं और धर्म की आड़ में कानून, नियमों और संविधान की धज्जियां उड़ाना चाहते हैं. क्योंकि इनके मन लॉकडाउन में है जिस पर वैचारिक ताला लटका है.

तबलीगी जमात के लोगों में भारतीय और विदेशी दोनों होते हैं, जो देश भर में पूरे साल प्रचार करते हैं. अलग अलग देशों से तबलीगी जमात के लोग भारत आते हैं और निजामुद्दीन के अपने हेडक्वॉर्टर में रिपोर्ट करते हैं. राज्यों में इनकी धर्म प्रचार की गतिविधियां और कार्यक्रम आयोजित करने के लिए राज्य स्तर और ज़िला स्तर पर लोग होते हैं. निजामुद्दीन मरकज को लेकर एक बड़ा सवाल दिल्ली पुलिस पर भी है क्योंकि तबलीगी जमात का हेडक्वार्टर, निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन से सिर्फ 18 मीटर दूर है. इसकी दीवार पुलिस स्टेशन से लगी हुई है. इसलिए सवाल उठ रहा है कि क्या ये दिल्ली पुलिस की लापरवाही है? या फिर इस कार्यक्रम को रोकने की पुलिस की हिम्मत ही नहीं हुई ? पुलिस के मुताबिक उन्होंने कई बार आयोजकों से कहा लेकिन वो माने नहीं.

वारिस पठान के 15 करोड़ मुस्लिम वाले बयान पर राजनीति गर्माई

वारिस पठान ने जो आग सुलगाई है उसकी आंच पूरे भारतीय समाज को लील सकती है। तेलंगाना के गोशामहल से बीजेपी विधायक टाइगर राजा सिंह ने कहा कि अगर कोई पाकिस्तान जिंदाबाद बोलेगा उनके खिलाफ एफआईआर नहीं बल्कि पाकिस्तान छोड़कर आना चाहिए। वारिस पठान कहता है कि 15 करोड़ मुस्लिम 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। ये किस भाषा का उपयोग कर रहे हो। क्या तुम लोग हम पर भारी पड़ोगे? क्या एक बार ट्रायल देख लेंगे है इतना दम आप में। उन्होंने कहा है कि वो वारिस है या लावारिस है। कहता है कि इनकी शेरनियां सड़कों पर बैठी है तो हमें पसीने आ गए। इनकी शेरनियां 500 रुपये देकर रोड पर बैठती है। इनकी शेरनियां अगर रोड पर आ गई तो शेर क्या जंगल में झक मारने गए है और क्या इनके शेर नपुंसक हैं। अगर हमारे हिंदुस्तानी शेर घर से निकल गए तो किन-किन शेरनियों का शिकार करेंगे। खुला चैलेंज देता हूं कि आ जा। 

चंडीगढ़:

ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान के 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे 15 करोड़ वाले बयान पर राजनीति गरमा गई है। वारिस पठान ने अपने बयान पर माफी मांगने से इनकार कर दिया है और कहा है कि मेरे बयान को गलत और तोड़मोड़ कर पेश किया गया है। वहीं इस बयान पर तेलंगाना से बीजेपी विधायक ने खुला चैलेंज दिया है कि एक बार ट्रायल करके देख लो। बीजेपी सांसद ने तो पठान को उत्तर प्रदेश आने का न्योता भी दे दिया है। आरजेडी नेता तेजस्वी ने उनकी गिरफ्तारी की मांग की है। 

इनकी शेरनियां 500 रुपये देकर रोड पर बैठती है: बीजेपी विधायक राजा सिंह

तेलंगाना के गोशामहल से बीजेपी विधायक टाइगर राजा सिंह ने कहा कि अगर कोई पाकिस्तान जिंदाबाद बोलेगा उनके खिलाफ एफआईआर नहीं बल्कि पाकिस्तान छोड़कर आना चाहिए। वारिस पठान कहता है कि 15 करोड़ मुस्लिम 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। ये किस भाषा का उपयोग कर रहे हो। क्या तुम लोग हम पर भारी पड़ोगे? क्या एक बार ट्रायल देख लेंगे है इतना दम आप में। उन्होंने कहा है कि वो वारिस है या लावारिस है। कहता है कि इनकी शेरनियां सड़कों पर बैठी है तो हमें पसीने आ गए। इनकी शेरनियां 500 रुपये देकर रोड पर बैठती है। इनकी शेरनियां अगर रोड पर आ गई तो शेर क्या जंगल में झक मारने गए है और क्या इनके शेर नपुंसक हैं। अगर हमारे हिंदुस्तानी शेर घर से निकल गए तो किन-किन शेरनियों का शिकार करेंगे। खुला चैलेंज देता हूं कि आ जा। 

ऐसे नेताओं को गिरफ्तार किया जाना चाहिए: तेजस्वी
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा ‘ये बयान शर्मनाक है और उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। एआईएमआईएम भाजपा की बी-टीम के रूप में काम कर रही है। उसी तरह अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा जैसे नेताओं को भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए। जो कोई भी उत्तेजक बयान दे उसके खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए।

भाजपा और AIMIM एक दूसरे के पूरक हैं: दिग्विजय सिंह

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि इसी प्रकार के बयान असाउद्दीन ओवेसी सांसद के भाई अकबरउद्दीन ओवेसी विधायक ने दिए थे। वारिस पठान के खिलाफ सख़्त कार्रवाई होना चाहिए। कांग्रेस सदैव कट्टरपंथी विचारधारा के खिलाफ लड़ी है। भाजपा और AIMIM एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों धार्मिक भावना फैला कर नफ़रत पैदा करते हैं।

कौन सी आजादी चाहिए, किससे आजादी चाहिए: संबित पात्रा

बीजेपी के नेता संबित पात्रा ने कहा है कि ओवैसी की पार्टी के कद्दावर नेता वारिस पठान कहते हैं कि हम छीन कर लेंगे आजादी। मैं इन तथाकथित लिबरल से पूछना चाहता हूं कि कौन सी आजादी चाहिए, किससे आजादी चाहिए? ओवैसी की पार्टी ने कहा है कि 15 करोड़, 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। अगर भाजपा के नेता ने ऐसा कोई बयान दे दिया होता तो आज सारे तथाकथित लिबरल सड़क पर उतर जाते, पूरे देश में कोहराम मचा देते। लेकिन आज एक भी सामने नहीं आ रहा है, एक भी सवाल नहीं पूछ रहा है। ये सारे लोग हमारे मुस्लिम भाइयों को बरगला रहे हैं, भ्रमित कर रहे हैं। इन सभी लोगों के हाथ में संविधान और दिल में वारिस पठान है, ये साबित कर दिया है। आज ये स्पष्ट हो गया है कि इनके हाथ में संविधान और मन में वारिस पठान है।

आओ कभी उत्तर प्रदेश में: बीजेपी संसाद

उत्तर प्रदेश के कानपुर से बीजेपी सांसद सत्यदेव पचौरी ने वारिस पठान के बयान का विडियो पोस्ट करते हुए लिखा है, ‘आओ कभी उत्तर प्रदेश में।’ 

क्या ये हिंदुस्तान को पाकिस्तान बनाना चाहते हैं?
केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने वारिस पठान के बयान पर ट्वीट कर कहा, ‘ओवैसी का भाई-15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो, 100 करोड़ हिंदुओं को बता देंगे। वारिस पठान -15 करोड़, 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। ओवैसी के मंच से ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’। ‘कांग्रेस, राजद और टुकड़े-टुकड़े गैंग से पूछना चाहते हैं क्या ये हिंदुस्तान को पाकिस्तान बनाना चाहते हैं?

ऐसे बयान देश को तोड़ने का काम करते हैं: संजय सिंह

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा है कि वारिस पठान का बयान काफी निदंनीय और शर्मनाक है। ऐसे लोग समाज और देश को तोड़ने का काम करते है। ऐसे बयान से देश जुड़ता नहीं और एकता भाईचारा नहीं बनता है। सभ्य समाज में इसे स्वीकारा नहीं जा सकता। देश में दंगल कराएंगे, झगड़ा करना चाहते हैं। 

क्या कहा था वरिस पठान ने

वारिस पठान ने बिना किसी धर्म का नाम लिये कहा था कि देश में मुसलमानों की संख्या भले ही 15 करोड़ से कम हो लेकिन जरूरत पड़ने पर वे 100 करोड़ लोगों पर भारी पड़ेंगे। उन्होंने कहा था कि अभी तो केवल मुस्लिम महिलाएं बाहर निकली हैं तो पूरा देश परेशान हो गया। जब पूरा समुदाय एकजुट होकर बाहर निकलेगा, तब बहुत बड़ा असर पड़ेगा। मुंबई के भायखला से पूर्व विधायक ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि ईंट का जवाब पत्थर से देना हमने सीख लिया है। मगर इकट्ठा होकर चलना होगा। अगर आजादी दी नहीं जाती तो हमें छीनना पड़ेगा। वे कहते हैं कि हमने औरतों को आगे रखा है, अभी तो केवल शेरनियां बाहर निकली हैं तो तुम्हारे पसीने छूट गए। तुम समझ सकते हो कि अगर हम सब एक साथ आ गए तो क्या होगा। पन्द्रह करोड़ हैं लेकिन 100 के ऊपर भारी हैं। ये याद रख लेना। उन्होंने जब यह बयान दिया तो वहां हैदराबाद से सांसद एवं एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी मौजूद थे।

अरबी भाषा को पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है: हिमंत बिस्व सरमा

एक ओर जहां केजरिवाल, ममता बनर्जी, जगन रेड्डी, केरल सरकार और तो और ठाकरे मुस्लिम तुष्टीकरण से, मौलवियों इत्यादियों को मोटी तनख़्वाहें बाँट – बाँट कर, मदरसों को मुफ्त किताबें कापियाँ दे कर अपनी सरकरें बना/बचा रहे हैं और स्वयं को सेकुलर कह रहे हैं वहीं असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बीस्व सरमा ने सही मायने में धर्मनिरपेक्षता की मिसाल दी है। उन्होने सरकारी सहायता से चलने वाले मदरसों और संस्कृत विद्यालयों को बंद कर वहाँ नियमित विद्यालयों को आरंभ करने की बात कही है।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

असम के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य के सरकारी सहायता से चलने वाले सभी मदरसों को बंद करने का फैसला लिया है। असम सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि उसने ऐसा धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने के लिए किया है। इसी के साथ असम सरकार के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि राज्य में अरबी भाषा पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है।

असम के शिक्षा मंत्री सरमा ने इसपर कहा,

“हम राज्य के सभी सरकारी मदरसों को बंद कर रहे हैं, क्योंकि हमें लगता है कि अरबी भाषा को पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है। अगर किसी को ऐसा करना है तो वह अपने पैसे से कर सकता है, इसके लिए सरकार कोई फंड जारी नहीं करेगी”।

सरकार ने मदरसों के साथ-साथ सरकारी पैसे पर चलने वाले कुछ संस्कृत स्कूलों को भी बंद कर दिया है और इन सब को नियमित स्कूलों में बदल दिया जाएगा।

हिमंत बिस्व सरमा ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा “राज्य में अभी 1200 मदरसा और लगभग 200 ऐसे संस्कृत स्कूल हैं जो बिना किसी बोर्ड के चल रहे हैं। समस्या यह है कि इन मदरसों में पढ़ने वालों छात्रों को भी अन्य नियमित स्कूलों के छात्रों की तरह ही समान डिग्री दी जाती है। इसीलिए अब सरकार ने इन सब मदरसों और संस्कृत स्कूलों को नियमित करने का फैसला लिया है”।

यह फैसला न सिर्फ राज्य सरकार के हित में है बल्कि इससे छात्रों का भविष्य भी सुरक्षित हो सकेगा, क्योंकि एक स्वतंत्र बोर्ड के तहत आने के कारण अब छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिल सकेगी और साथ ही ऐसे स्कूलों की जवाबदेही भी तय हो सकेगी। इसके अलावा राज्य सरकार ने ऐसा करके अपने यहां धर्मनिरपेक्षता को भी बढ़ावा दिया है। सालों तक देश में सेक्यूलरिज़्म के नाम पर मुस्लिमों का तुष्टीकरण करने की राजनीति की जाती रही है जिसे अब राज्य की भाजपा सरकार ने नकार दिया है।

सरकार एक सेक्युलर बॉडी होती है, जिसके लिए सभी धर्म एक समान होते हैं। ऐसे में सरकार किसी एक धर्म के प्रचार के लिए पैसे नहीं खर्च कर सकती। इसीलिए सरकार ने अपने पैसों पर चलने वाले मदरसों को लेकर यह फैसला लिया है। जिसे अपने धर्म का प्रचार अपने पैसे से करना है, उसका स्वागत है लेकिन सरकार की ओर से उन्हें एक भी रुपया नहीं दिया जाएगा।

सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है और असम सरकार ने देश की उन सरकारों के लिए एक उदाहरण पेश किया है जो सिर्फ अपनी राजनीति को चमकाने के लिए मुस्लिमों का तुष्टीकरण करती हैं। असम सरकार ने सही मायनों में एक सेक्युलर सरकार होने का प्रमाण दिया है।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र की घोषणा के समय को लेकर ओवैसी की तीखी प्रतिक्रिया

राम मंदिर के लिए ट्रस्ट की घोषणा के समय पर एआईएमआईएम अध्यक्ष असुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय 5 एकड़ ज़मीन देने के प्रस्ताव की घोषणा को खारिज करता है और सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी ऐसा ही करना चाहिये. इस समय ट्रस्ट की घोषणा करना आचार संहिता का उल्लंघन है. 

नई दिल्ली(ब्यूरो): 

अयोध्या में अब सब कुछ मंगल ही मंगल है. पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले और आज लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ऐलान के साथ ही शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो चुकी है. अब देश को इंतजार है श्रीराम के उस भव्य मंदिर का जिसकी कल्पना लोग सदियों से कर रहे थे. वहीं,  राम मंदिर के लिए ट्रस्ट की घोषणा के समय पर एआईएमआईएम अध्यक्ष असुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय 5 एकड़ ज़मीन देने के प्रस्ताव की घोषणा को खारिज करता है और सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी ऐसा ही करना चाहिये. इस समय ट्रस्ट की घोषणा करना आचार संहिता का उल्लंघन है. 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 88 दिन बाद ट्रस्ट का ऐलान

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 88 दिन बाद मोदी सरकार ने राम मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट का ऐलान कर दिया है. ट्रस्ट में 15 सदस्य होंगे. आज कैबिनेट के फैसले के फौरन बाद प्रधानामंत्री नरेंद्र मोदी संसद पहुंचे. लोकसभा में उन्होंने प्रश्नकाल से पहले ट्रस्ट बनाए जाने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट का नाम ‘श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र’ होगा. इसी के साथ केंद्र सरकार ने अपने कब्जे की 67.703 एकड़ जमीन भी ट्रस्ट को सौंप दी है. यह पूरा इलाका मंदिर क्षेत्र होगा. ये ट्रस्ट अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मस्थली पर भव्य और दिव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण और उससे संबंधित विषयों का निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगा. 

ऐसे काम करेगा ट्रस्ट

सबसे पहले ट्रस्टी बोर्ड बनाया जाएगा जिसमें 10 से 15 लोग रखे जाते हैं. ट्रस्ट के मुख्य उद्देश्य के साथ-साथ रूल्स एंड रेगुलेशन तय किए जाएंगे. इसके बाद मैनेजमेंट कमेटी या फिर मैनेजमेंट बोर्ड बनाया जाएगा. इसे कहीं-कहीं गवर्निंग बॉडी भी कहा जाता है. बोर्ड मेंबर पर हर तरह के फैसले लेने का अधिकार होगा. फिर ट्रस्टी की ओर से चयनित बोर्ड में से कुछ लोगों को लीगल एंटिटी बनाया जाएगा. 

इस ट्रस्ट में एक निश्च‍ित तरीके से जनता से पैसा लिया जाएगा. पूरी धनराशि एक बैंक खाते में जमा होगी. खाता एक पैन नंबर से खोला जाएगा है. यानि जिसका पैन नंबर होगा उसी की जवाबदेही होगी. खाते के लिए पैन नंबर देने वाले शख्स का चयन भी बोर्ड ही करेगा. साथ ही ट्रस्टी जिसे लीगल एंटिटी यानी कानूनी अधिकार देगा उस ही पर ज्यादा जिम्मेदारी होगी.

The Ashok Chakra of the Indian National Flag was replaced

During one of the anti CAA protests in Hyderabad, a shocking visual came to light. The Ashok Chakra of the Indian National Flag was replaced with an Islamic Shahada ‘La Ilaha Illallah’ which means “there is no other God but allah”. On the official twitter handle of The News Indian Express, Telangana (TNIE, Telangana), the following tweet was seen on Jan 04, 2020, the image of which was credited to photojournalist Vinay Madapu.

LSJ approached TNIE to verify the veracity of the image and the claim, which was confirmed as true and correct. The slogan ‘La Ilaha Illallah’ which means “there is no other God but allah” is now being openly used to mock the Constitution and the revered Ashok Chakra of India’s national flag in the name of secularism by replacing it with the same Islamic Shahada that once provoked the gullible Kashmiris in January, 1990 in order to provoke them to wash their hands in blood of their own brothers in the name of Allah leading to a macabre tale of the Kashmiri pandits massacre.

credited to photojournalist Vinay Madapu

The Flag Code of India, 2002 contains executive instructions issued by the Government of India. Also, in terms of Section 2 of Insults to National Honour Act, 1971 – no person shall burn, mutilate, deface, defile, disfigure, destroy, trample upon or otherwise show disrespect to or bring into contempt (by words, either spoken or written, or by acts) the Indian National Flag. Strict action must be taken to curb such instances that rip apart the country in the name of religion.