NDA Drill Square for political rallies?

Bison Polo Ground, Secunderabad AP

Ravi Bharti Gupta:

What next? Hiring out Officers’ Messes for weddings? NDA Drill Square for political rallies? The most hallowed institutions of the Armed Forces have become victims of sacrilege. Will this subservience ever end? We have a Chief who talks big of the Teeth to Tail ratio, when his own Tail is tucked between his legs and he is a Toothless Tiger. Only God can help the Armed Forces, because our own senior officers have sold their souls.

Copy of order by DEO (Defence Estate Officer) is also published.

 

When contacted on the given number on Sunday, October 14, 2018 at 12:44 pm the person on the other end refused to connect to the concerned authority and hanged up the call.

Jai Hind!

5 में से 4 राज्यों में जीतेगी कांग्रेस और 2019 बसपा और स्पा महागठबंधन में शामिल होंगे: मोइली


मोइली ने कहा कि प्रस्तावित महागठबंधन लोकसभा चुनावों के लिए बनना है, राज्य विधानसभा चुनावों में नहीं. उन्होंने कहा कि राज्य के चुनावों में पार्टियों की अपनी बाध्यताएं होती हैं


वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एम वीरप्पा मोइली ने मंगलवार को कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी नीत एनडीए के खिलाफ विपक्षी दलों के महागठबंधन में एसपी और बीएसपी भी शामिल होंगे. मोइली ने यह दावा भी किया कि कांग्रेस उन पांच में से कम से कम चार राज्यों में जीतेगी जहां अगले दो महीने में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री के बयान से पहले एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले सप्ताह कहा था कि उनकी पार्टी मध्य प्रदेश में गठबंधन पर कांग्रेस के फैसले का अब और इंतजार नहीं करेगी. उन्होंने संकेत दिया था कि वह मायावती की अगुवाई वाली बीएसपी से गठजोड़ कर सकते हैं.

इससे कुछ दिन पहले ही मायावती ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में मुख्य विपक्षी कांग्रेस के साथ विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव पूर्व गठबंधन की संभावना को खारिज कर दिया था.

मोइली ने कहा कि प्रस्तावित महागठबंधन लोकसभा चुनावों के लिए बनना है, राज्य विधानसभा चुनावों में नहीं. उन्होंने कहा कि राज्य के चुनावों में पार्टियों की अपनी बाध्यताएं होती हैं.

लोकसभा चुनाव तक बन जाएगा महागठबंधन

कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारी प्रमुख इच्छा लोकसभा चुनाव में विपक्ष को एकजुट देखने की है और हमें उम्मीद है कि इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे. उन्होंने विश्वास जताया कि बीएसपी और एसपी इस महागठबंधन का हिस्सा बनेंगे.

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में वोटों का ध्रुवीकरण कांग्रेस और बीजेपी के बीच होगा. उन्होंने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस ही जीतेगी और मध्य प्रदेश में भी वह बीजेपी से आगे चल रही है.

मोइली ने कहा, छत्तीसगढ़ में 50-50 की स्थिति है. वहां (परिणाम) हमारे चुनाव प्रबंधन, उम्मीदवारों के चयन पर निर्भर करेगा. मिजोरम में हम जीतेंगे. उन्होंने यह दावा भी किया कि उनकी पार्टी तेलंगाना में तेलुगु देशम पार्टी, सीपीएम और अन्य विपक्षी दलों के साथ गठबंधन बनाएगी.

महागठबंधन के प्रधानमंत्री पद के दावेदार के सवाल पर मोइली ने कहा कि संभवत: यह मुद्दा नहीं उभरेगा क्योंकि प्रस्तावित गठजोड़ में कोई पार्टी इस पर जोर नहीं देगी.

जिस पार्टी ने राम के अस्तित्व को नकार दिया था वाही आज राम नाम जप रही है यही भाजपा कि वैचारिक जीत है: स्मृति ईरानी


इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंदिरों में खूब दर्शन के लिए जा रहे हैं. जिसको लेकर केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने निशाना साधा है.


इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंदिरों में खूब दर्शन के लिए जा रहे हैं. जिसको लेकर केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने निशाना साधा है. ईरानी का कहना है कि अगर राहुल मंदिर जाने लगे हैं तो इसमें भारतीय जनता पार्टी की ही जीत है.

स्मृति ईरानी का कहना है कि राहुल गांधी का आरती करना और राम नाम जपना भारतीय जनता पार्टी की जीत है. राहुल ने कहा था कि वे हिंदू आतंकवाद से डरते हैं और उनकी पार्टी ने कहा था कि भगवान राम का अस्तित्व नहीं है.

स्मृति ईरानी ने कहा कि आधी सच्चाई और झूठ के साथ राहुल गांधी को आज मंदिरों में अपने राजनीतिक लाभ के लिए जाते हुए देखा जा सकता है. उनके जरिए यह काम लोगों को इस बात पर विश्वास कराने का प्रयास है कि वह बहुसंख्यक समुदाय के बीच स्वीकार्य हो सकते हैं, जिसे उन्होंने सालों से अपमानित किया है.

Elections to five Assemblies from Nov. 12 to Dec 7; results on Dec. 11


Polling dates: November 12 and 20 (Chhattisgarh); November 28 (Madhya Pradesh and Mizoram) and December 7 (Rajasthan and Telangana


The Election Commission of India (ECI) on Saturday announced the election schedule to five States – Madhya Pradesh, Mizoram, Rajasthan, Chhattisgarh and Telangana.

Polling would be held in two phases in Chhattisgarh and in single phase in the other States, said Chief Election Commissioner O.P. Rawat at a press conference in New Delhi. All the results will be out on December 11.

Here are the updates:

Madhya Pradesh

Polling in single phase in 230 constituencies

Date of filing of nominations: November 7

Last date for withdrawal of nominations: November 14

Polling day: November 28

Chhattisgarh

First phase Southern Part-18 constituencies  (LWE-affected areas)

Date of filing of nominations: October 16

Last date for withdrawal of nominations: October 23

Last date for withdrawal of nominations: October 26

Polling day: November 12

Second phase -72 constituencies

Polling date: November 20

Rajasthan and Telangana

Polling in single phase

Date of filing of nominations: November 12

Last date for withdrawal of nominations: November 22

Polling day: December 7

Mizoram

Date of filing of nominations: November 7

Last date for withdrawal of nominations: November 14

Polling day: November 28

5 राज्यों में चुनावों कि घोषणा के साथ आज दोपहर 3:00 बजे से आदर्श आचार संहिता लागू


चुनाव आयोग ने आदेश कर आज दोपहर 3:00 बजे से आदर्श आचार संहिता लागू की। आदर्श आचार संहिता के अनुसार अब कोई स्थानांतरण पदस्थापन कोई मंत्रिमंडल की बैठक, कोई राजकीय स्वीकृति या किसी भी प्रकार की कोई बैठक कोई सरकारी वाहन का प्रयोग समस्त प्रकार की कार्यवाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है


नई दिल्ली
चुनाव आयोग आज 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के साथ-साथ तेलंगाना के लिए भी चुनाव कार्यक्रम का ऐलान हो सकता है। चुनाव आयोग आज दोपहर प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान कर सकता है। बता दें कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव ने समय से पहले विधानसभा भंग कर चुके हैं, जिसके बाद वहां भी विधानसभा के निर्धारित कार्यकाल से पहले ही चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। तेलंगाना में अगले साल चुनाव होने थे।

सूत्रों ने बताया कि इन राज्यों में चुनाव की पूरी प्रक्रिया दिसंबर के पहले हफ्ते तक पूरी कर ली जाएगी। छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव होने की संभावना है। अन्य राज्यों में एक चरण में ही चुनाव कराए जाने की उम्मीद है। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने पांचों राज्यों के मुख्य निर्वाचन आयुक्तों से शुक्रवार को दिल्ली में बैठक की थी। दो दिवसीय इस बैठक में राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के मुख्य निर्वाचन आयुक्तों ने भाग लिया था।

इन चुनावों को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल मुकाबला माना जा रहा है। बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी दलों ने काफी पहले से ही इन चुनावों के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। पीएम नरेंद्र मोदी एकबार फिर से बीजेपी के स्टार प्रचारक होंगे वहीं, राहुल गांधी कांग्रेस के प्रचार की कमान खुद थामेंगे।

अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले, 5 राज्यों के चुनाव काफी अहम है। इन चुनावों के नतीजों का 2019 के चुनाव पर भी असर पड़ सकता है। अभी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकारें हैं। मिजोरम में कांग्रेस की सरकार है तो तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति की सरकार है।

50, 000 करोड़ कि अनुमानित राशि के मालिक “दलित नेता” दलितों के लिए दो गज ज़मीन कि मांग कर बुरे फंसे.


50, 000 करोड़ कि अनुमानित राशि के मालिक “दलित नायक” दलितों के लिए दो गज ज़मीन कि मांग कर बुरे फंसे. 

अप्रैल 2018 का संसद भवन का वाकया आपकी नज़र:


जाति के नाम पर आरक्षण एक अभिशाप है। देश के विकास में बाधा डालनेवाले और देश में असमानता लाने वाले जातिवाद आरक्षण के वजह से आज भारत दुनिया में ही पिछड़ा हुआ देश है। अपने राजनैतिक मुनाफे के लिए आरक्षण का उपयॊग करने वाले नेता गण वास्तव में संविधान और अंबेडकर जी का अपमान कर रहे हैं। खुद अंबेडकर जी ने कहा था की जाति के आधार पर आरक्षण केवल दस साल के लिए ही रहना चाहिए और जो दलित आरक्षण का लाभ उठाकर सक्षम होता है उसे दूसरॊं की सहायता करना चाहिए तांकि  उसका भी उत्थान हो।

लेकिन कांग्रेस पिछले 60 साल से देश के साथ गद्दारी कर रही है और आज भी जाति के नाम पर न केवल वॊट मांग रही है अपितु एक दूसरों को लड़वा भी रही है। कांग्रेस के दलित नायक मल्लिकार्जुन जो हमेशा मोदी सरकार पर निशाना साधते हैं, उनकी संपत्ति के बारे में जानेंगे तो आपके हॊश उड़ जाएंगे।

खड्गे ने प्रधानमंत्री मोदी जी के सामने हाथ जोड़ते हुए, आखों में आँसू लाते हुए गिड गिडाया था और कहा था ” इस देश में दलितों को दो गज ज़मीन दे दीजिए तांकि वे भी गौरव से अपना जीवन यापन कर सके”

 

उसी जगह पर मात्र 15 मिनिट के अंदर मॊदी ने खड्गे के सामने उनके संपत्ति से जुड़ा दस्तावेज़ दिखाया और सारा कच्चा चिटठा खॊल दिया। उस दस्तावेज़ के अनुसार ‘दलित नायक’ की संपत्ति का ब्यॊरा कुछ इस प्रकार है:

पीएम मोदी ने दिया राहुल-खड़गे को करारा जवाब, बेनामी संपत्ति पर ‘चेतावनी’

कर्नाटक के बन्नेरघट्टा रॊड में 500 करोड़ का एक बड़ा कांपलेक्स खड्गे के नाम पर है।
चिक्कमगलूरु ज़िले में 300 एकड़ काफी एस्टेट जिसकी कुल कीमत करीब 1000 करोड़ रुपये हैं।
चिक्कमगलूरु ज़िले में ही एक घर है जिसकी कीमत 50 करोड़ है।
बेंगलूरु के केंगेरी में 40 एकड़ की फार्म हाऊस है।
बेंगलूरु के एम.एस.रामय्या कॉलेज के पास इनके नाम पर एक इमारत है जिसकी कीमत 25 करोड़ रूपए हैं।
बेंगलूरु के ही आर. टि. नगर में एक बड़ा बंगला है।
बल्लारी रॊड में 17 एकड़ ज़मीन है।
बेंगलूरु के इंद्रा नगर में तीन मंजिला बंगला है ।
बेंगलूरु के सदाशिव नगर में दो और बंगले इनके नाम पर है।

इसके अलावा इनके और इनके रिश्तेदारों के नाम पर देश के महा नगर जैसे मैसूरु, गुलबर्गा, चेन्नई, गॊवा, पूना, नागपुर, मुम्बई और देश की राजधानी दिल्ली तक में रियल एस्टेट कि संपत्ति है जो 1000 करोड़ रुपए की कीमत की है। खडग देश की जनता को उल्लू समझते होगें कि वे जानते नहीं कि दलित -दलित का नाम जप कर खड्गे ने इतनी संपत्ती कहां से और कैसे बनाई। कुल मिलाकर खड्गे के पास 50,000 करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति है। 1980 से रेवेन्यू मिनिस्टर रह चुके खड्गे ने SC बेकलोग उद्योग की चयन प्रक्रिया में भी खूब घॊटाला किया है और अपने अधिकारॊं का दुरुपयॊग करते हुए खूब पैसा ऐंठा है।

दलितों का नाम इस्तेमाल कर के कांग्रेस के दलित नायक खड्गे ने देश का पैसा लूटा है। अगर खड्गे को दलितों से इतना ही प्यार है तो वो अपनी सारी संपत्ति गरीब दलितों को दे और उनका उद्धार करे किसी को इससे कॊई आपत्ति नहीं लेकिन दलित कार्ड का उपयॊग कर मॊदी सरकार को बदनाम करने का काम ना ही करे तो उनके लिए ही अच्छा है।

कांग्रेस का एक ही नारा है- मोदी को हटाना है, अब चाहे पाकिस्तान हटा दे या माओवादी हटा दें: पात्रा


बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि भीमा कोरेगांव मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उससे पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी का पर्दाफाश हो गया है


भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी मामले में विपक्ष के हमलों के बीच शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले से कांग्रेस पार्टी का पर्दाफाश हो गया है. पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष से सवाल किया कि राहुल गांधी आप बार-बार राष्ट्रद्रोहियों के साथ खड़े क्यों नज़र आते हैं?

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि भीमा कोरेगांव मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उससे पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी का पर्दाफाश हो गया है. उन्होंने कहा, ‘इस मामले में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्र हित की जीत है.’

पात्रा ने कहा कि ऐसे लोग जो राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ काम करते हैं, उन्हें यह चुनने की छूट नहीं है कि वे किस प्रकार की जांच का सामना करेंगे और कानून कब और कैसे काम करेगा.

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश की जीत है. यह फैसला कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने का काम करती है. उन्होंने कहा कि अपने निजी स्वार्थ के लिए राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी आज देश को कुचलने और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने के लिए भी तैयार हैं.

पात्रा ने सवाल किया, ‘राहुल जी आप बार-बार राष्ट्रद्रोहियों के साथ खड़े क्यों नज़र आते हैं?’ उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का एक ही नारा है- मोदी को हटाना है, अब चाहे पाकिस्तान हटा दे या माओवादी हटा दें, लेकिन देश की जनता राष्ट्र सुरक्षा और मोदी के साथ है.

सुप्रीम कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा प्रकरण के सिलसिले में पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के मामले में हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इनकार करने के साथ ही इन गिरफ्तारियों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आग्रह भी ठुकरा दिया. महाराष्ट्र पुलिस ने इन कार्यकर्ताओं को पिछले महीने गिरफ्तार किया था परंतु शीर्ष अदालत के अंतरिम आदेश पर उन्हें घरों में नजरबंद रखा गया था.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 2:1 के बहुमत के फैसले से इन कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई के लिए इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य की याचिकायें ठुकरा दीं.

The Supreme Court today refused to constitute a Special Investigation Team in Koregaon case

 

The Supreme Court today refused to constitute a Special Investigation Team (SIT) to look into the arrests of lawyers and activists made in connection to the Bhima Koregaon violence.

The judgment was delivered by the Bench of Chief Justice of India Dipak Misra, Justice AM Khanwilkarand Justice DY Chandrachud.

Justice Khanwilkar delivered the majority opinion on behalf of himself and CJI Misra. Justice Chandrachud dissented from the majority.

The majority opinion held that the Court’s earlier order calling for house arrest of the activists and lawyers, will continue to operate for four more weeks.

Justice Khanwilkar held that accused persons do not have a say in which investigating agency should probe the case. He held that this was not a case of arrest merely because of political dissent. Therefore, the plea for an SIT was not entertained, with the accused given the liberty to pursue other appropriate remedies.

However, Justice Chandrachud did not agree with the views of the majority, stating that technicalities should not be allowed to override substantive justice.

Chandrachud J made some scathing observations against the Pune police for their conduct in the matter thus far. He also berated the police for conducting a press conference immediately after the Court had passed an interim order.

He also highlighted the manner in which a letter alleged to have been written by Sudha Bharadwaj was flashed on Republic TV, after the police selectively disclosing details of the probe to the media. This, Justice Chandrachud held, cast a cloud over the fairness of the investigation.

“Voices of opposition cannot be muzzled because it is dissent. Deprivation of liberty cannot be compensated later”, Chandrachud J held.

The acts of the Maharashtra police, he said, raises questions as to whether the investigation can be carried out fairly. Therefore, Chandrachud J felt that an SIT should be constituted to probe the matter.

The verdict was passed in the petition filed by Romila Thapar and four other activists challenging the raids and arrests made by the Maharashtra Police of Sudha BharadwajGautam NavlakhaVaravara RaoVernon Gonsalves, and Arun Ferreira, in connection with the Bhima Koregaon incident.

The Supreme Court had directed the Pune Police to keep the activists/lawyers under house arrest “in their own homes” till further orders, thereby protecting their liberty.

It was contended by the State of Maharashtra that the raids were conducted based on evidence gathered from the computer systems and emails of other accused persons arrested in the same case.

The Court had warned against “cooked up evidence” against the activists in question and had asserted that an SIT will be formed to look into the validity of these raids if the evidence is found to be “cooked up”.

The State of Maharashtra maintained that there was a larger ploy at play in this case and claimed that the arrested activists have links with banned terror outfits some of them “having committed serious offences”.

The Court had remarked that liberty of people cannot be stifled based on conjectures and had asserted that it would “look at the case with hawk’s eyes”.

The Court had demanded for the entire case diary to ascertain the validity of the raids and arrests in the case even as the State of Maharashtra’s submission from the beginning was that the petitioners, in this case, were “strangers” to the case and had no locus standi to challenge the arrests where they were not personally aggrieved.

हताश कांग्रेस कि मनोस्थिति बयान करते पोस्टर


बिहार में फॉरवर्ड कहलाने वाली जातियों के नेताओं को तरजीह दी गई थी. बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मदनमोहन झा ब्राह्मण हैं. कैंपेन कमेटी के मुखिया अखिलेश प्रसाद सिंह भूमिहार जाति से आते है


बिहार में कांग्रेस बेचारगी के आलम में है. पार्टी की तरफ से लगाए गए पोस्टर में हर नेता की जाति उसकी तस्वीर के आगे लिख दी गई है. कांग्रेस ने हाल में ही राज्य में जंबो संगठन बनाया था. जिसमें बिहार में फॉरवर्ड कहलाने वाली जातियों के नेताओं को तरजीह दी गई थी. बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मदनमोहन झा ब्राह्मण हैं. कैंपेन कमेटी के मुखिया अखिलेश प्रसाद सिंह भूमिहार जाति से आते है. इन दोनों जातियों पर कांग्रेस की नजर है.

कांग्रेस आलाकमान ने रणनीतिक तौर पर उच्च जातियों को अपनी ओर खींचने के लिए ये फैसला किया था. यही अगड़ी जातियां बीजेपी की बिहार में धुरी हैं. जिनकी बदौलत प्रदेश में बीजेपी की राजनीतिक हैसियत बढ़ी है. कांग्रेस बिहार में अगड़ी जाति का समायोजन ना कर पाने की वजह से पिछड़ गई. मंडल की राजनीति में लालू-नीतीश जैसे नेताओं का उदय हुआ. बीजेपी के कमंडल की राजनीति में अगड़ी जातियां पार्टी के साथ हो गई हैं. जिनको दोबारा पाले में लाने के लिए कांग्रेस जद्दोजहद कर रही है. लेकिन कांग्रेस की लालू प्रसाद से दोस्ती की वजह से ये संभव नहीं हो पा रहा है.

कांग्रेस के पोस्टर में नेताओं का जातिवार ब्यौरा

कांग्रेस के पोस्टर में सोशल इंजीनियरिंग नजर आ रही है. उससे पार्टी की साख पर सवाल उठ रहा है. गांधी-नेहरू की विरासत की बात करने वाली पार्टी को ये सब करना पड़ रहा है! कांग्रेस बिहार में पस्त हालत में है. पार्टी को मजबूत करने के लिए ये तरीका कांग्रेस के नेताओं के भी समझ से परे है. बिहार कांग्रेस के नेता का कहना है कि रेवड़ी की तरह पद बांटने से वोट नहीं मिलता है. इस तरह का पोस्टर लगाना बेहूदगी है. कांग्रेस की परंपरा से मेल नहीं खाता है.

कांग्रेस भी ये दावा करती है कि सभी जाति मजहब की पार्टी है, लेकिन जिस तरह से धर्म और जाति का प्रचार किया जा रहा है. उससे ये सवाल उठना लाजिमी है कि कांग्रेस किस दिशा की तरफ जा रही है? बिहार में जाति की राजनीति का बोलबाला है. 1989 के बाद से ही रीजनल पार्टियों की सरकार है. कांग्रेस हाशिए पर है. बीजेपी भी रीजनल पार्टियों के सहारे है.

कांग्रेस की हताशा की कहानी

कांग्रेस की ये कोशिश हताशा की कहानी बयां कर रही है. कांग्रेस के पास कोर वोट का अभाव है. कमिटेड लीडर्स की कमी है. जो पार्टी को सेंटर स्टेज पर ले जाने की कोशिश ठीक ढंग से कर सकें. पार्टी के पोस्टर से लग रहा है कि हर जाति का नेता बना दो तो शायद सभी जातियां पार्टी के पीछे खड़ी हो जाएं.

हालांकि ये सब इतना आसान नहीं है. जातियों को जोड़ने के लिए प्रोग्राम तैयार करना होता है. उस जाति के लोगों को जोड़ने के लिए उनके बीच काम करना पड़ेगा. पोस्टर छपवाने से कोई लाभ नहीं होने वाला है. कांग्रेस में बिहार के बड़े नेता सड़क पर उतरकर काम करने से गुरेज कर रहे है. सब किस्मत के भरोसे है. कभी लालू का तो कभी नीतीश का सहारा लिया जा रहा है. लेकिन कांग्रेस धरातल पर ही है.

मंडल की राजनीति में कमजोर

वी.पी. सिंह की मंडल की राजनीति में कांग्रेस लगातार कमजोर होती रही है. बिहार में जनता दल के उदय से पिछड़ी जातियां इन दलों के साथ हो गईं. जनता दल का बीजेपी से जब रिश्ता टूट गया,तो कांग्रेस ने बढ़कर जनता दल को सहारा दिया. जिसके बाद कांग्रेस समय-समय पर लालू प्रसाद को मदद करती रही है. जिससे पार्टी से अगड़ी जातियां भी दूर हो गई हैं. मुस्लिम भी लालू के साथ चला गया है. लालू ने पिछड़े और एमवाई(मुस्लिम – यादव) समीकरण की बदौलत बिहार की राजनीति पर वर्षों तक राज किया.

 

बीजेपी जैसी पार्टियां भी कुछ खास नहीं कर पाई. बीजेपी ने पर्दे के पीछे से समता पार्टी का समर्थन किया और लालू विरोधियों को एकजुट कर दिया. जार्ज फर्नाडिज की पार्टी में नीतीश कुमार और शरद यादव भी थे. जिससे पिछड़ी जातियों की एकजुटता में टूट पड़ गई. नीतीश कुमार के साथ कुर्मी-कोइरी हो गया. बाद में नीतीश कुमार ने अलग पार्टी बना ली और बीजेपी के साथ गठबंधन में नीतीश मुख्यमंत्री बन गए. हालांकि लालू की बिहार की सत्ता चली गई है लेकिन राजनीतिक ताकत में कमी नहीं हैं. कांग्रेस मजबूरी में उनके पीछे खड़ी रही है. जो अब तक जारी है.कांग्रेस ने अपने बूते पर खड़ा होने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किया है.

बिहार की जाति में बंटी राजनीति

बिहार में 1989 के बाद से जातिगत राजनीतिक पार्टियों का उदय हुआ है. लालू प्रसाद की आरजेडी यादव जाति के समर्थन पर चल रही है. नीतीश कुमार कुर्मियों के नेता हैं. हालांकि अत्यंत पिछड़ा वर्ग को भी जोड़ने का प्रयास किया है. उपेन्द्र कुशवाहा के पास कोइरी का समर्थन है. रामविलास पासवान दलित और अपनी जाति दुसाध के बल पर टिके हैं. जीतन राम मांझी मुसहर जाति के पैरोकार हैं. बीजेपी के पास अगड़ी जातियों के अलावा वैश्य और कायस्थ का भी साथ है. जहां तक मुस्लिम का सवाल है वो आरजेडी के साथ ज्यादा है. कहीं नीतीश और कांग्रेस का समर्थन भी करता रहा है. लेकिन इस बार कांग्रेस आरजेडी के साथ जाने की संभावना है.

rahul tejaswi

बीजेपी से सीखे सबक

उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने पिछले हफ्ते कुशवाहा, सैनी और मौर्य समाज का सम्मेलन किया. जिसमें पार्टी की इन जातियों के लिए भविष्य में क्या योजना है? ये बताया गया है. ये भी कहा गया कि बीजेपी इन जातियां में किसी को मुख्यमंत्री भी बना सकती है. ये सभी जातियां पहले एसपी-बीएसपी के साथ थीं. बीजेपी ने सही समय पर इन जातियों पर फोकस किया है. जिससे बीजेपी को राजनीतिक लाभ मिला है. इन जातियों के बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल कर लिया गया है.

बिहार में भी बीजेपी ने धीरे धीरे कई जातियां में सेंध लगाई है. कांग्रेस को भी इस तरह से नई कार्ययोजना पर चलने की जरूरत है. हालांकि ये काम एक दिन में संभव नहीं है. कांग्रेस को पहले कोर वोट की तलाश करने की जरूरत है. जो अगड़ी जातियां बीजेपी से निराश हैं. कांग्रेस उनसे बीच काम कर सकती है. अगड़ी जातियों के साथ आने से ही कांग्रेस बिहार में आगे बढ़ सकती है. कांग्रेस ने राजनीति के मंडलीकरण के बाद इस बार अगड़ी जातियों पर दांव लगाया है. जिसका नतीजा चुनाव में देखने को मिल सकता है.

गणपति पंडाल से भगवन गणेश की स्तुति करना पठान को पड़ा महंगा

वारिस पठान


ये कोई पहला मौका नहीं है जब वारिस पठान किसी ऐसे विवाद में फंसे हैं. 2017 में भी पठान ‘राष्ट्रीय गीत’ वंदे मातरम नहीं गाने के लिए सुर्खियों में आए थे. इसके बाद पठान का बीजेपी के विधायक राज पुरोहित के साथ गर्मागर्म बहस हुई थी


अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM ) के वारिस पठान को बायकुला में गणपति का दर्शन करना कार्यक्रम के दौरान ‘गणपति बप्पा मोरया’ बोलना बहुत भारी पड़ गया. वारिस को इसके लिए माफी मांगनी पड़ी. कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा विरोध होने के बाद पठान ने वीडियो जारी कर इसके लिए माफी मांगी.

पठान गणेश चतुर्थी के त्यौहार के दौरान बायकुला के गणपति पंडाल पहुंचे, जहां उन्होंने लोगों को संबोधित किया था और प्रार्थना की कि भगवान गणेश सभी के लिए खुशी, सुख और समृद्धि लाएं. लोगों की सारी बाधाएं दूर करें. ये वीडियो वायरल हो गया और पठान पर मुस्लिम नेताओं का गुस्सा फूट पड़ा. इसके बाद पठान ने एक वीडियो जारी कर अपनी ‘गलती’ स्वीकार की और अल्लाह से अपनी बेवकूफी के लिए माफी मांगी.

वारिस ने वीडियो में कहा, ‘चंद दिन पहले मेरी जुबान से कुछ ऐसे कलेमात निकल गए थे जिसके लिए मैं शर्मिंदा हूं. और मैंने अल्लाह से इसके लिए माफी मांगी है. हां मुझसे गलती हुई है. दोबारा से ऐसी गलती नहीं होगी. मैं भी इंसान हूं. हर इंसान से गलती होती है. मैं मानता हूं कि मैं गलत था. अल्लाह सर्वशक्तिमान है और वह हर किसी को क्षमा करता है और मुझे पता है कि अल्लाह मुझे माफ कर देगा… मैं आपकी दुआओं का मोहताज हूं. आप दुआ करें कि अल्लाह मेरे गुनाहों को माफ करे. मेरे ईमान को मजबूत बनाएं. आपकी दुआओं में मुझे याद रखिए.’

ये कोई पहला मौका नहीं है जब वारिस पठान किसी ऐसे विवाद में फंसे हैं. 2017 में भी पठान ‘राष्ट्रीय गीत’ वंदे मातरम नहीं गाने के लिए सुर्खियों में आए थे. इसके बाद पठान का बीजेपी के विधायक राज पुरोहित के साथ गर्मागर्म बहस हुई थी.