जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 माह बढ़ाई गयी

इस प्रस्‍ताव पर बीजेपी को तब बड़ी राहत मिली, जब टीएमसी और बीजेडी व वाइएसआरसीपी जैसी पार्ट‍ियों ने उसे समर्थन देने का ऐलान कर दि‍या.

नई दिल्‍ली: केंद्रीय गृहमंत्री अम‍ित शाह ने सोमवार को राज्‍यसभा में जम्‍मू कश्‍मीर में सीमा पर रहने वालों के लिए आरक्षण और राज्‍य में राष्‍ट्रपत‍ि शासन 6 महीने बढ़ाने संबंधी प्रस्‍ताव को पेश किया. इस प्रस्‍ताव पर बीजेपी को तब बड़ी राहत मिली, जब टीएमसी और बीजेडी व वाइएसआरसीपी जैसी पार्ट‍ियों ने उसे समर्थन देने का ऐलान कर दि‍या.

विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब देते हुए अम‍ित शाह ने कहा, कि हम राज्‍य मे राष्‍ट्रपत‍ि शासन सिर्फ सुरक्षा की दृष्‍ट‍ि से बढ़ाने के लिए कह रहे हैं. हमारे पास पहले से ही 16 राज्‍य हैं, ऐसे में विपक्ष का ये आरोप कि हम राष्‍ट्रप‍त‍ि शासन के जरिए कश्‍मीर में शासन करना चाहते हैं, पूरी तरह गलत है. इस बहस के बाद राज्‍यसभा ने जम्‍मू कश्‍मीर में राष्‍ट्रपत‍ि शासन 6 महीने और बढ़ाने के साथ ही सीमा पर रहने वालों को आरक्षण देने वाले विधेयक को सर्वसम्‍मति से मंजूरी दे दी.

आतंकवाद के खि‍लाफ हमारी नीति जीरो टॉलरेंस की…
इससे पहले अमित शाह ने विपक्ष के सवालों पर जवाब देते हुए कहा, मैं नरेन्द्र मोदी सरकार की तरफ से सदन के सभी सदस्यों तक ये बात रखना चाहता हूं कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं और इसे कोई देश से अलग नहीं कर सकता. मैं फिर दोहराना चाहता हूं कि नरेन्द्र मोदी सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है. जम्हूरियत सिर्फ परिवार वालों के लिए ही सीमित नहीं रहनी चाहिए। जम्हूरियत गाँव तक जानी चाहिए, चालीस हज़ार पंच, सरपंच तक जानी चाहिए और ये ले जाने का काम हमने किया.

केंद्रीय गृहमंत्री के अनुसार, जम्मू कश्मीर में 70 साल से करीब 40 हजार लोग घर में बैठे थे जो पंच-सरपंच चुने जाने का रास्ता देख रहे थे, क्यों अब तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं कराये गये और फिर जम्हूरियत की बात करते हैं. मोदी सरकार ने जम्हूरियत को गांव-गांव तक पहुंचाने का काम किया है. सूफी परंपरा कश्मीरियत का हिस्सा नहीं थी क्या? पूरे देश में सूफियत का गढ़ था कश्मीर, कहां चली गई वो संस्कृति? उनको घरों से निकाल दिया गया. उनके धार्मिक स्थानों को तोड़ दिया गया. सूफी संतों को चुन-चुन कर मारा गया.

जो भारत को तोड़ने की बात करेगा उसको उसी भाषा में जवाब मिलेगा और जो भारत के साथ रहना चाहते है उसके कल्याण के लिए हम चिंता करेंगे. जम्मू कश्मीर के किसी भी लोगों को डरने की जरुरत नहीं है. कश्मीर की आवाम की संस्कृति का संरक्षण हम ही करेंगे. एक समय आएगा जब माता क्षीर भवानी मंदिर में कश्मीर पंडित भी पूरा करते दिखाई देंगे और सूफी संत भी वहां होंगे. मैं निराशावादी नहीं हूं. हम इंसानियत की बात करते हैं.

अम‍ित शाह ने कहा, मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि आयुष्मान भारत योजना के तहत एक साल के अंदर किसी एक राज्य में सबसे ज्यादा लाभार्थी हैं तो वो जम्मू कश्मीर में हैं. नरेन्द्र मोदी सरकार में गरीबों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है. ये इंसानियत है. गुलाम नबी साहब ने बोला कि चुनाव आप करा दीजिए. हम कांग्रेस नहीं हैं कि हम ही चुनाव करा दें। हमारे शासन में चुनाव आयोग ही चुनाव कराता है. हमारे शासन में हम चुनाव आयोग को नहीं चलाते. राम गोपाल जी ने कहा कि कश्मीर विवादित है तो मैं बताना चाहूंगा कि न कश्मीर विवादित है, न POK कश्मीर विवादित है ये सब भारत का अभिन्न अंग हैं.

मैं सदन के माध्यम से सभी को बताना चाहता हूं कि हम जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन करें, ये हमारा नहीं बल्कि वहां की जनता का फैसला था. तब एक खंडित जनादेश मिला था. मगर जब हमें लगा कि अलगाववाद को बढ़ावा मिल रहा है और पानी सिर के ऊपर जा रहा है तो हमने सरकार से हटने में तनिक भी देर नहीं की.

कांग्रेस को एक बात बतानी चाहिए कि 1949 को जब एक तिहाई कश्मीर पाकिस्तान के कब्जें में था तो आपने सीजफायर क्यों कर दिया. ये सीजफायर न हुआ होता ये झगड़ा ही न होता, ये आतंकवाद ही नहीं होता, करीब 35 हजार जानें नहीं गई होती. इन सबका मूल कारण सीजफायर ही था.

यूपीए द्वारा चंद्रयान-2 को तवज्जो न दिये जाने से नाराज़ हैं पूर्व इसरो प्रमुख

इसरो के पूर्व प्रमुख सिवन इन दिनों रक्षा एवं अंतरिक्ष अनुसंधान को ले कर यूपीए की तरफ से बरती गईं कोताहीयों को ले कर काफी मुखर हैं। सीवन की सुनें तो यूपीए काल में अंतरिक्ष अनुसंधान को ले कर भारत के बढ़ते कदमों को क्यों रोका गया था यह इक शोध का विषय है। उनकी मानें तो आज जो कुछ भी मोदी राज में हो रहा है यह सब तब ही हो गया होता और आज इसरो कुछ अलग कामों में जुटा होता।
चंद्रयान-1 के मुख्य कर्ता धर्ता रहे नायर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख और अंतरिक्ष विभाग में 2003 से 2009 तक सचिव के पद पर रहे थे और चंद्रयान-1, 22 अक्टूबर, 2008 में छोड़ा गया था.
सनद रहे चंद्रयान-2 जुलाई-15-2019 को अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा

हैदराबाद: इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने बुधवार को दावा किया कि चंद्रयान-2 मिशन पहले ही रवाना किया जा सकता था पर तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 2014 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए ‘राजनीतिक कारणों’ से ‘मंगलयान’ परियोजना को आगे बढ़ा दिया. चंद्रयान-1 के मुख्य कर्ता धर्ता रहे नायर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख और अंतरिक्ष विभाग में 2003 से 2009 तक सचिव के पद पर रहे थे और चंद्रयान-1, 22 अक्टूबर, 2008 में छोड़ा गया था. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 को 2012 के अंत में रवाना किया जाना था. नायर बीते साल अक्ट्रबर में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे.

वहीं कांग्रेस ने चंद्रयान-2 मिशन में संप्रग सरकार के विलंब करने से जुड़े पूर्व इसरो प्रमुख जी माधवन नायर के दावे की निंदा की है. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने नायर के बयान के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा, ”मैंने यह वक्तव्य नहीं देखा है, लेकिन ऐसा है तो मैं इसकी आलोचना करता हूं. इसकी कड़े शब्दों में निंदा करता हूं.” उन्होंने कहा, ”आपका काम सरकार की आलोचना करना नहीं है. आप वैज्ञानिक हैं, आपका स्थान तो गौरवान्वित करने वाला है. आप देखते हैं कि एक पार्टी सत्ता से बाहर है तो कुछ बोलने लगते हैं. कल को कांग्रेस सत्ता में आई तो इसकी धुन गाने लगेंगे.” 

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Former ISRO Chief & BJP leader G Madhavan Nair: Original plan was to launch Chandrayaan-2 in 2012 but due to some policy level decisions of UPA-2 government it was delayed. After Modi ji took over, he gave thrust to such projects, especially Gaganyaan & Chandrayaan-2. (13.6.19)3,76408:06 – 14 Jun 20191,223 people are talking about this

सिंघवी ने कहा कि सरकार और भाजपा को भी नायर के इस बयान की निंदा करनी चाहिए.  इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने बुधवार को दावा किया था कि चंद्रयान-2 मिशन पहले ही रवाना किया जा सकता था, लेकिन तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 2014 के लोकसभा चुनावों को देखते हुये ‘राजनीतिक कारणों’ से ‘मंगलयान’ परियोजना को आगे बढ़ा दिया. गौरतलब है कि नायर पिछले साल अक्टूबर में भाजपा में शामिल हुए थे.

बता दें चंद्रमा की सतह पर खनिजों के अध्ययन और वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए भारत के दूसरे चंद्र अभियान, ‘चंद्रयान-2’ को 15 जुलाई को रवाना किया जाएगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख के. सिवन ने बुधवार को यह घोषणा की. सिवन ने यहां संवाददाताओं को बताया कि यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास छह या सात सितंबर को उतरेगा. चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से 15 जुलाई को तड़के दो बज कर 51 मिनट पर होगा. जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट इसे लेकर अंतरिक्ष में जाएगा. इसरो ने इससे पहले प्रक्षेपण की अवधि नौ जुलाई से 16 जुलाई के बीच रखी थी. अंतरिक्ष यान का द्रव्यमान 3.8 टन है. इसमें तीन मॉड्यूल हैं — आर्बिटर, लैंडर(विक्रम) और रोवर(प्रज्ञान). सिवन ने कहा कि ‘आर्बिटर’ में आठ पेलोड, तीन लैंडर और दो रोवर होंगे.

उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि चंद्रयान-2 अभियान में उपग्रह से जुड़ी लागत 603 करोड़ रूपये की है. वहीं, जीएसएलवी मार्क-3 की लागत 375 करेाड़ रूपये है. इसरो के मुताबिक, ऑर्बिटर, पेलोड के साथ चंद्रमा की परिक्रमा करेगा. लैंडर चंद्रमा के पूर्व निर्धारित स्थल पर उतरेगा और वहां एक रोवर तैनात करेगा. ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर पर लगे वैज्ञानिक पेलोड के चंद्रमा की सतह पर खनिज और तत्वों का अध्ययन करने की उम्मीद है. गौरतलब है कि चंद्रयान-2 अपने पूर्ववर्ती चंद्रयान-1 का उन्नत संस्करण है. चंद्रयान-1 को करीब 10 साल पहले भेजा गया था.

मदरसों पर आजम खान की मोदी सरकार को नसीहत

आजम खान ने आज मोदी सरकार पर फिर से निशाना साधा है, आज उन्हे अपने वोट बैंक में सेंध लगती हुई सी मालूम हो रही है। इनकी राजनैतिक बिसात मुस्लमानों से शुरू होकर वहीं पर सिमट जाती है। कई दशकों तक सत्ता में रहने के बावजूद इनहोने कभी भी मुसलमानों के हक में कोई ठोस कदम नहीं उठाया, उन्हे बहुसंख्यक समाज से डराते रहे ओर पढ़ाई के नाम पर सिर्फ धर्म की पढ़ाई पर ही ज़ोर दिया अत: वह समाज की मुख्य धारा से काटते चले गए, लेकिन इनका वोट बैंक दृढ़ होता गया। आज जब मोदी सरकार अल्पसंख्यकों के लिए कुछ अच्छा करने जा रही है तो यह फिर अपना पुराना राग अलापने लगे हैं। मदरसों के ‘स्टैंडर्ड’ पर खुद कभी कोई काम नहीं किया ठीक ही है ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’

नई दिल्ली/रामपुर: एक बार फिर से मोदी सरकार के बनने के बाद सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के नए नारे के साथ देश के अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चलने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सक्रियता दिखाते हुए देश के अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के लिए अगले पांच वर्ष का खाका खींच दिया है. सरकार ने तय किया है कि देश भर के मदरसों में मुख्यधारा की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए मदरसा शिक्षकों को विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से प्रशिक्षण दिलाया जाएगा, ताकि वे मदरसों में मुख्यधारा की शिक्षा-हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, कंप्यूटर आदि दे सकें. सरकार के इस फैसले पर सपा नेता और रामपुर से सांसद आजम खान ने निशाना साधा है. 

सही हो मदरसो का स्टैंडर्ड
उन्होंने कहा कि दो तरह के शिक्षा होती है. मदरसों में मजहबी तालीम दी जाती है. उन्हीं मदरसो में अंग्रेजी, हिन्दी, गणित पढ़ाई जाती है. उन्होंने कहा कि अगर मदद करनी है तो मदरसों का स्टैंडर्ड सही करना होगा. उन्होंने कहा कि झूठ बोलने, ठगी करने या धोखा देने से नुकसान हिन्दुस्तान का होगा.

अल्पसंख्यकों को कहां से देंगे सहूलियत
सपा सांसद ने देश की बेसिक शिक्षा पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस मुल्क में हमारी बेसिक शिक्षा अभी भी पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि बच्चे घर से टाट-फट्टा लेकर जाते हैं. तो सवाल ये कि सरकार सिर्फ अल्पसंख्यकों को कहां से सहूलियत देगी.

सरकार पर साधा निशाना
रामपुर सांसद आजम खान ने कहा कि आधुनिक मदरसे बनवाइए, उनकी इमारते बनावाइए, तन्खवा दिलवाइए ये अच्छी बात है. लेकिन धोखा मत दीजिए. उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मदरसों को आज तक मिड डे मील से महरूम रखा है और बात आधुनिक मदरसे की करते हैं. वजीफा देने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन साथ ही इंस्टीटूशन खत्म कर रह हैं. उन्होंने जौहर यूनिवर्सिटी का जिक्र करते हुए कहा कि ले देकर एक अल्पसंख्यक संस्थान बचा है और बीजेपी सरकार उसके पीछे पड़ी हुई है कि किस तरह उसे बर्बाद किया जाए. 

… तो इन्हें माना जाए लोकतंत्र का दुश्मन
उन्होंने इस दौरान प्रज्ञा ठाकुर और नाथूराम गोडसे के विचारों को बढ़ावा देने वालों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मदरसे में नाथूराम गोडसे की फितरत पैदा नहीं की जाती, प्रज्ञा ठाकुर जैसी शखसियत पैदा नहीं की जाती. पहले सरकार को इन्हें रोकना चाहिए. उन्होंने कहा सरकार को ऐलान करना चाहिए कि नाथूराम गोडसे के विचारों को बढ़ावा देनेवालों को लोकतंत्र का दुश्मन माना जाएगा.

क्या लिया मोदी सरकार ने फैसला
आपको बता दें कि अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के नेतृत्व में मंगलवार को दिल्ली के अंत्योदय भवन में मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन की 112वीं गवर्निंग बॉडी और 65वीं आम सभा की बैठक हुई. इस बैठक के बाद मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मोदी सरकार ने सांप्रदायिकता और तुष्टीकरण की ‘बीमारी’ को खत्म किया है और देश में स्वस्थ समावेशी विकास का माहौल बनाया है. नकवी ने कहा कि सरकार ‘समावेशी विकास, सर्वस्पर्शी विश्वास’ के प्रति प्रतिबद्ध है.

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि देशभर में बने बड़ी संख्या में मदरसों को औपचारिक शिक्षा और मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ा जाएगा, ताकि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे भी समाज के विकास में योगदान दे सकें. उन्होंने अल्पसंख्यकों को मिलने वाली स्कॉलरशिप पर कहा है कि केंद्र सरकार पांच करोड़ से ज्यादा गरीब अल्पसंख्यक वर्गों के गरीब छात्र छात्राओं को वजीफा देगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यक वर्गों के सशक्तिकरण के साथ शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है.

“कार्यकर्ताओं ने नेतृत्व, दूरदृष्टि, अच्छे प्रदर्शन के अभाव में कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया” आबिद रसूल

यदि काँग्रेस की बात करें तो एक बात साफ होती जा रही है, ‘बिखराव जारी है’, “कार्यकर्ताओं ने नेतृत्व, दूरदृष्टि, अच्छे प्रदर्शन के अभाव में कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया” आबिद रसूल। वहीं कुछ अन्य का तर्क है कि विपक्ष संख्याबल में कम हो सकता है लेकिन उसकी ताकत पहले की तरह मजबूत है.

हैदराबाद: तेलंगाना में कुछ लोगों का मानना है कि कांग्रेस के दो तिहाई विधायकों के सत्तारूढ़ टीआरएस में शामिल होने से एक तरह से विपक्ष मुक्त विधानसभा की स्थिति बन गई है. कुछ अन्य का तर्क है कि विपक्ष संख्याबल में कम हो सकता है लेकिन उसकी ताकत पहले की तरह मजबूत है.

टीआरएस ने गत दिसंबर में हुए चुनाव में 119 सदस्यीय विधानसभा में 88 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस ने 19 और एआईएमआईएम ने सात, टीडीपी ने दो और बीजेपी ने एक सीट जीती थी. एक निर्दलीय विधायक, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के टिकट पर विजयी एक उम्मीदवार और तेदेपा सांसद टीआरएस में शामिल हो गए थे.

12 कांग्रेस विधायकों ने छोड़ी पार्टी 

इसके बाद मार्च की शुरुआत में कांग्रेस छोड़ने का सिलसिला शुरू हुआ और गत सप्ताह उसके 12वें विधायक ने पार्टी छोड़ दी. अध्यक्ष ने 12 विधायकों के टीआरएस में शामिल होने के अनुरोध को मंजूर कर लिया.

इसके साथ ही सदन में टीआरएस सदस्य की संख्या 103 हो गई. सदन में सदस्यों की संख्या भी 118 रह गई क्योंकि प्रदेश कांग्रेस प्रमुख एन उत्तम कुमार रेड्डी ने लोकसभा चुनाव में जीत के बाद अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया.

विपक्ष के नेता पद के लिए दावा पेश करेंगे:एआईएमआईएम

कांग्रेस के विधायकों की संख्या छह तक सिमटने के बाद एआईएमआईएम ने कहा कि वह विपक्ष के नेता पद के लिए दावा पेश करेगी क्योंकि उसके पास सात विधायक हैं.लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या एआईएमआईएम सही मायने में विपक्षी दल है?  टीआरएस और एमआईएमआईएम अपने आप को मित्र बताती हैं और उन्होंने विधानसभा तथा लोकसभा दोनों में आपसी सहमति से चुनाव लड़ा था.

टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) के प्रवक्ता आबिद रसूल खान ने कहा,‘हम शुरुआत से कह रहे हैं कि हम किसी विपक्ष मुक्त विधानसभा के लिए काम नहीं कर रहे हैं.’ उन्होंने दावा किया कि इन विधायकों ने ‘‘नेतृत्व, दूरदृष्टि, अच्छे प्रदर्शन के अभाव’’ में कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया. उन्होंने कहा, ‘‘हम लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ कुछ भी नहीं कर रहे हैं. अगर वे (कांग्रेस) खुद अलग हो रहे है तो हम पार्टी को खड़ा नहीं कर सकते.’’ 

कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) के प्रमुख प्रो. एम कोडंडरम ने इससे असहमति जताई. उन्होंने दावा किया, ‘‘इस दल-बदल का परिणाम निरंकुशता और एक पार्टी का प्रभुत्व होगा जो लोगों के हितों के खिलाफ है. लोग नाखुश हैं. दल-बदल के खिलाफ काफी नाराजगी है.’’ 

अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के तेलंगाना के प्रभारी आर सी खुंटिया ने कहा कि जब सत्तारूढ़ पार्टी के पास आसान बहुमत है तो उसे दूसरी पार्टियों से विधायक ‘‘खरीदने’’ की जरुरत नहीं है.

तेलंगाना में कांग्रेस को झटका

जहां दो दिन पहले कयास लगाए जा रहे थे भाजपा तेलंगाना से कांग्रेस के सारे विधायकों को अपने पाले में ले आएंगे वहीं आज कांग्रेस को करारा झटका देते हुए राज्य के 18 में से 12 विधायकों ने गुरूवार को विधानसभा के स्पीकर पोचरम श्रीनिवास रेड्डी से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन देकर मांग की कि उनके समूह का विलय केसीआर की अगुवाई वाली टीआरएस में कर दिया जाए. . जहां भाजपा प्रदेश में आपनी यथास्थिति बनाए हुए है वहीं कांग्रेस छटक कर चौथे अथवा 5वे स्थान पर चली गयी है।

हैदराबाद: तेलंगाना में कांग्रेस के दो-तिहाई विधायकों के सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) में शामिल होने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एन उत्तम कुमार रेड्डी ने गुरूवार को मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) को आड़े हाथ लिया और उन पर विधायकों को ‘खरीदने’ का आरोप लगाया. रेड्डी ने यह भी कहा कि कांग्रेस अब ‘‘अदालतों और सड़कों पर लड़ाई लड़ेगी.’’ कांग्रेस को करारा झटका देते हुए राज्य के 18 में से 12 विधायकों ने गुरूवार को विधानसभा के स्पीकर पोचरम श्रीनिवास रेड्डी से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन देकर मांग की कि उनके समूह का विलय केसीआर की अगुवाई वाली टीआरएस में कर दिया जाए.

टीआरएस में कांग्रेस विधायक दल के विलय की मांग को लेकर एक दर्जन कांग्रेस विधायकों की स्पीकर से मुलाकात के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘केसीआर ने बारी-बारी से इन कांग्रेस विधायकों को खरीदा है. वे समूह नहीं हैं.’’ उन्होंने आरोप लगाया कि केसीआर ‘‘ठेकेदारों से गलत तरीके से लिए गए अपने पैसे से इन विधायकों को खरीदते रहे हैं.’’

रेड्डी ने कहा कि जब भी कांग्रेस का कोई विधायक टीआरएस के पाले में गया तो कांग्रेस ने स्पीकर को उसे अयोग्य करार देने की याचिका दी. उन्होंने कहा कि पार्टी छोड़ने वाले सभी विधायकों को उसी वक्त अयोग्य करार दे देना चाहिए था. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया, ‘‘वे खरीदते रहे और विधायकों की आखिरी खरीद आज सुबह हुई. वे कहते हैं कि वे एक समूह हैं और दो-तिहाई हैं.

उच्चतम न्यायालय ने कई मामलों में निर्णय दिया है कि स्पीकर को किसी राष्ट्रीय पार्टी का विलय क्षेत्रीय पार्टी में करने का अधिकार नहीं है.’’ तंदूर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रोहित रेड्डी गुरूवार को कांग्रेस छोड़ने वाले 12वें विधायक रहे, जिससे दल बदलने वालों का संख्याबल बढ़ा और वे कांग्रेस विधायक दल के दो-तिहाई हो गए. इससे उन पर दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई नहीं हो सकेगी.

अलगाववादी बयानों को लेकर घिरे ओवैसी

मोदी की रहनुमाई में भाजपा की इंकलाबी जीत की आँधी में तिनके की तरह उड़े विपक्ष के एक मुस्लिम अलगाववादी नेता ओवैसी ने मोदी के “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के बदले में मक्का मस्जिद में मुस्लिम बिरदरान को भड़काते हुए कहा की ‘मुसलमान यहाँ हिस्सेदार है न कि किरायेदार’ उनके इस बयान से उनकी हताशा ओर निराशा तो नज़र आती ही है साथ ही उनकी कुंठित सोछ जो उनके अपने ही समाज को ले कर है नज़र आती है, गहन निराशा में डूबे ओवैसी एक बार फिर अपने बयानों को लेकर घिर गए हैं।

Madhav Bhandar a file photograph

नई दिल्ली : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के किरायेदार वाले बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है. बीजेपी नेता माधव भंडारी ने असदुद्दीन ओवैसी पर हमला बोलते हुए कहा- उन्हें सोच समझकर बोलना चाहिए, उनको किसी ने किरायेदार नहीं कहा, लेकिन हिस्सेदारी की भाषा बोलेंगे तो वो 1947 में दे दी, तो मामला ही खत्म हो गया. 

क्या बोले थे ओवैसी
बता दें कि 1 जून को ओवैसी ने बीजेपी की जीत पर तंज कसते हुए कहा था, अगर कोई ये समझ रहा है कि हिंदुस्तान के वजीर-ए-आजम 300 सीट जीतकर हिंदुस्तान पर मनमानी करेंगे तो यह नहीं हो सकेगा.

उन्होंने कहा, वजीर-ए-आजम से हम कहना चाहते हैं, संविधान का हवाला देकर ओवैसी ने कहा कि मैं आपसे लडूंगा, मजलूमों के इंसाफ के लिए. उन्होंने कहा था कि हिंदुस्तान को आबाद रखना है, हम हिंदुस्तान को आबाद रखेंगे, हम यहां पर बराबर के शेहरी है, किरायेदार नहीं है, हिस्सेदार रहेंगे. 

The Tournament poster of 33rd All india Shaheed Bhagat Singh Trophy

Panchkula:
All india Shaheed bhagat Singh Trophy released Hotel Red Bishop, Panchkula here today.According to organising Secretary of th e tournament Amarjit kumar total 10 boys under-16 Cricket teams including Our neighbouring Countries NEPAL & United Arab Emirates & 8 Rural areas teams from Tamilnadu, Hyderabad , Delhi, Chennai, Telangana, Bihar , Chandigarh & Haryana shall take part in this tournament .

Total 10 teams divided into 2 pools.Every team shall play 4 league matches & Top two teams shall qualify for the Semifinal stage. All the matches of the tournament shall played at TDL Cricket Stadium,Panchkula & IVCA Cricket Grounds ,Derabassi .All the league matches shall be played 25 overs & Semifinals & final shall be played 3o overs innings. All the matches shall be played coloured dress & white balls.

The tournament committee shall given Cricket kits to Best players of the tournament alongwith Trophies.

“Fani” threatening Eastern Ghats

The IMD said the possibility of landfall in Odisha is under continuous watch.

Cyclone ‘Fani’ intensified into a ‘severe cyclonic storm’ on Monday evening and is headed towards the Odisha coast, the India Meteorological Department (IMD) said.

It could take a shape of an ‘extremely severe cyclone’ by Wednesday, prompting the government to put the National Disaster Response Force and the Indian Coast Guard on high alert, officials said.

In its 9 pm bulletin, the Cyclone Warning Division of the IMD said the storm currently lays about 620 km east-northeast of the Trincomalee in Sri Lanka, 770 km east-southeast of Chennai and 900 km south-southeast of Machilipatnam.

“The Cyclonic storm ‘Fani’ (pronounced as Foni) over Southeast Bay of Bengal and neighbourhood moved north-northwestwards with a speed of about 16 kilometres per hour in last six hours, intensified into a severe cyclonic storm.

“It is very likely to intensify into a very severe cyclonic storm during next 24 hours and into an extremely severe cyclonic storm during subsequent 24 hours. It is very likely to move northwestwards till May 1 evening and thereafter recurve north-northeastwards towards the Odisha coast,” the bulletin said.

The National Crisis Management Committee (NCMC), the country’s top body to deal with emergency situation, Monday took stock of the situation arising out of cyclone ‘Fani’ and assured the state governments concerned of all assistance from the central government to face the storm.

The NDRF and the Indian Coast Guard have been put on high alert and the fishermen have been asked not to venture into the sea as cyclone ‘Fani’ is expected to intensify into a ‘very severe storm’ by Tuesday, the Home Ministry said.

The wind speed of a cyclonic storm is 80-90 kilometres per hour with wind gusting up to 100 kmph. In case of an ‘extremely severe cyclonic storm’, the wind speed goes up to 170-180 kmph and could gain the speed of 195 kmph.

Light to moderate rainfall at a few places is very likely over north coastal Andhra Pradesh and south coastal Odisha on Thursday.

The precipitation is likely to increase intensity with ‘heavy to very heavy rainfall’ at isolated places over coastal Odisha and adjoining districts of north coastal Andhra Pradesh from Thursday.

Light to moderate rainfall is expected at many places. Downpour at isolated places is also very likely to start over coastal districts of West Bengal from Friday, the IMD said.

The NCMC met here under the chairmanship of Cabinet Secretary P K Sinha and took stock of the situation. Chief secretaries, principal secretaries of Tamil Nadu, Andhra Pradesh, Odisha and West Bengal attended the meeting through video conference.

Senior officers from the central ministries and agencies concerned also attended the meeting.

The NDRF and the Indian Coast Guard are coordinating with the state governments. The home ministry has assured the state governments to release in advance the first instalment of the State Disaster Response Fund (SDRF), as per their request, a Home Ministry statement said.

During the meeting, officers of all the state governments concerned confirmed their full preparedness to deal with any emerging situation arising out of the cyclonic storm.

Further, the state government highlighted that there is a seasonal ban on fishing in sea up to June 14 due to breeding season. The state governments were advised to effectively enforce this ban.

According to the IMD, the cyclone’s landfall over Tamil Nadu and Andhra Pradesh is ruled out. However, the possibility of landfall in Odisha is under continuous watch.

Regular warnings have been issued since April 25 to fishermen not to venture into the sea and asking those at sea to return to the coast.

The IMD has been issuing three hourly bulletins with latest forecast to all the states concerned. The Home Ministry is also in continuous touch with the state governments and the central agencies concerned, the statement said.

The NCMC meeting followed directions from Prime Minister Narendra Modi, who is closely monitoring the situation. The NCMC will meet again on Tuesday to take stock of the situation.

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Professor Shiv Ram Kashyap Oration Award Lectures

Purnoor, Chandigarh April 23, 2019

            Department of Botany, Panjab University, Chandigarh is organizing 5th & 6th Professor Shiv Ram Kashyap Oration Award Lectures by Prof. (Dr.) Imran Siddiqi, FNA, FASc, JC Bose Fellow, Hyderbad on GM Crops in the Indian Context: Will the Past Inform the Future? & Padma Shri Prof. (Dr.) Sudhir K. Sopory, FNA FASc, New Delhi on Strategies Towards Developing Plant Tolerance under Abiotic Stress as per details below:

Chief Guest:                Prof. Raj Kumar, PU VC

Prof. (Dr.) Girish Sahni, Bhatnagar Fellow and Former Secretary, DSIR & DG, CSIR, New Delhi will preside over the event

Venue:             Botany Auditorium,

Date:               24.4.2019

Time:               11.00 am

जल्द ही सेना के पास होगी भारत में निर्मित AK-203

आब से पहले सेनाऔर पुलिस के जवानों को हथियारों के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता था, लेकिन आतंकियों और समगलरों के पास अत्याधुनिक हथियार पाये जाते थे। हमारे जवान हमेश दोयम दर्जे के हथियारों और वाहनों का प्रयोग करते थे ओर पुलिस के आधुनिकीकरण का हाल तो फिल्मों में भी खूब चर्चित रहा। लेकिन अब विगत कुछ वर्षों से सेना और पुलिस दोनों की हालत सुधरी है। अब भारत में बनी AK-203 जल्द ही सेना के हाथों में होगी। इसके साथ ही अटकलें लग रहीं हैं के AK-204 के निर्माण और निर्यात की भी जल्द ही भारत से होने लगेगा।

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नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में जुटे सेना के जवानों को अब एके-203 राइफल के मॉर्डन वर्जन से लैस किया जाएगा. इन एके 203 राइफलों को यूपी के अमेठी में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड और रूस के साझा प्रयास के तहत निर्मित किया जाएगा. फास्ट ट्रैक प्रोसेस के तहत इन 93000 कारबाइन के लिए अलग से निविदा जारी की जाएगी. 

समाचार एजेंसी एनएनआई ने सेना के उच्च सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि, ‘हम अपने जवानों को अब एके 203 राइफलों से लैस करने जा रहे है. अब हम आतंकवाद रोधी अभियानों के दौरान इस राइफल की बट को आसानी से हटा सकते हैं जिससे इसे कपड़ों के बीच में छिपा सकते हैं. सेना में इस राइफल के इस्तेमाल के लिए इसमें कई और बदलाव किए जाएंगे.’

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ता दें कि सेना और सुरक्षाबलों के आधिकारिक सूत्रों ने बताया था कि ‘एके-203 राइफल’ उस इंसास राइफल की जगह लेगी, जिसका इस्तेमाल थल सेना और अन्य बल कर रहे हैं. इस इकाई में 7,00,000 एके-203 राइफलें तैयार करने का शुरुआती लक्ष्य है. एके-203 राइफल एके-47 राइफलों का सबसे मॉडर्न वर्जन है. नई असॉल्ट राइफल भी एके-47 की तरह ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक दोनों सिस्टमों से लैस होगी.

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने एके-203 असॉल्ट राइफल के लिए अमेठी में एक विनिर्माण इकाई की आधारशिला रखी थी. इस दौरान रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने रूसी राष्ट्रपति का का संदेश भी पढ़ा था.  रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने एक संदेश में कहा है कि ‘क्लाशनिकोव असॉल्ट राइफल-203’ तैयार करने वाला भारत और रूस का नया संयुक्त उद्यम छोटे हथियारों की भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की जरूरत को पूरा करेगा. 

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पुतिन ने अपने संदेश में कहा, ‘‘नया संयुक्त उद्यम नवीनत सीरिज की विश्व प्रसिद्ध क्लाशनिकोव असॉल्ट राइफलें तैयार करेगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह, भारतीय रक्षा उद्योग क्षेत्र के पास राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की इस श्रेणी के छोटे हथियारों की जरूरत पूरी करने का अवसर होगा जो अत्याधुनिक रूसी प्रौद्योगिकी पर आधारित होगा.’’ 

उन्होंने कहा कि रूस और भारत के बीच सैन्य एवं तकनीकी सहयोग परंपरागत रूप से विशेष रणनीतिक साझेदारी का एक अहम क्षेत्र रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘सात दशक से भी अधिक समय से हम विश्वसनीय और उच्च गुणवत्ता के शस्त्र एवं उपकरण भारतीय मित्रों को आपूर्ति कर रहे हैं हमारे देश के सहयोग से भारत में 170 सैन्य एवं उद्योग इकाइयों की स्थापना की गई है.’’ गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में पुतिन की भारत की आधिकारिक यात्रा के दौरान भारत में कालाशनिकोव तैयार करने के लिए मोदी के साथ उनकी सहमति बनी थी. 

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रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि अंतर सरकारी समझौता तैयार हुआ था और इस पर यथासंभव सबसे कम समय में हस्ताक्षर किया गया था. पुतिन ने कहा कि वह इस बात से सहमत हैं कि नये उद्यम के शुरू होने से भारत की मजबूत रक्षा संभावनाओं में योगदान मिलेगा यह रोजगार के नये अवसरों का सृजन करने में महत्वपूर्ण होगा. उन्होंने कहा कि यह संयंत्र दोनों देशों के बीच दोस्ती और रचनात्मक सहयोग का खुद में एक और प्रतीक बनेगा.