कार्ति ओर पी चिदम्बरम की गिरफ्तारी पर रोक 9 अगस्त तक बढ़ी

कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अब तक सरकारी अनुमति न लेने पर जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी को फटकार लगाई थी. इस अग्रिम जमानत का ईडी और सीबीआई विरोध कर रही है. ईडी और सीबीआई का कहना है कि उसे जांच आगे बढ़ाने और आरोपियों से पूछताछ करने के लिए हिरासत चाहिए ऐसे में आरोपियों की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटाया जाए

नई दिल्लीः एयरसेल-मैक्सिस डील मामले में दिल्ली की राॅउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी पर अब रोक 9 अगस्त तक बढ़ा दी है.गुरुवार को सुनवाई के दौरान चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि कार्ति को सीबीआई और ईडी जब भी पूछताछ के लिए बुलाएगी वो जाएंगे. पी चिदम्बरम और कार्ति चिदम्बरम दोनों सांसद है. दोनों के खिलाफ कभी भी साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ का मामला नहीं आया है.

आपको बता दें कि कोर्ट इस समय कार्ति और पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा है और इस अग्रिम जमानत का ईडी और सीबीआई विरोध कर रही है. ईडी और सीबीआई का कहना है कि उसे जांच आगे बढ़ाने और आरोपियों से पूछताछ करने के लिए हिरासत चाहिए ऐसे में आरोपियों की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटाया जाए.

कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अब तक सरकारी अनुमति न लेने पर जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी को फटकार लगाई थी.कोर्ट ने जांच एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा था कि अगर मामले की अगली सुनवाई तक चार्जशीट में दर्ज नामों के खिलाफ सरकार से कार्रवाई के लिए इजाज़त नहीं मिली तो अदालत जांच एजेंसियों की तरफ से दायर चार्जशीट पर संज्ञान नहीं लेगी.पिछली सुनवाई में पी चिदंबरम पर मुकद्दमा चलाने के लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी थी.

पी चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ ईडी और सीबीआई की ओर से दायर चार्जशीटपर पटियाला हाउस कोर्ट को संज्ञान लेना है. ईडी और सीबीआई ने कार्ति और पी चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

एयरसेल-मैक्सिम केस में दायर हुई थी चार्जशीट

एयरसेल-मैक्सिस मामले में सीबीआई ने पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.चार्जशीट में कहा गया था कि पी. चिदंबरम ने वित्त मंत्री रहते हुए अपनी पावर का गलत इस्तेमालकिया.उनकेखिलाफ आईपीसी की धारा 120B और पीसी एक्ट की धारा 7, 1213 (2) के तहत चार्जशीट दाखिल की गई है.दरअसल, इस मामले में कुल 18 लोगों को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी.जबकि ईडी ने कार्ति चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकारा रामायण कांक्लेव का आमंत्रण

रामकथा ने केवल भारत को ही नहीं एशिया के अन्य देशों को भी प्रेरित किया है। एक सहस्ताब्दी पूर्व भारतीय संस्कृति दक्षिण-पूर्वी एशिया में पहुँची और तभी से रामायण वहाँ के जन-जीवन में रस-बस गई। थाईलैंड, मलेशिया, कम्बोडिया, बर्मा, लओस आदि में रामकथा का प्रर्याप्त प्रचार है।

थाईलैंड और कम्बोडिया में रामकिर्ती प्रसिद्ध है। यहाँ रामलीला का आयोजन नृत्य-नाटक के रुप में होता है। इंडोनेशिया की रामलीला का आयोजन रंग-बिरंगे नृत्य के रुप में होता है। यहाँ रामायण की जनप्रिय ककाविन कवित्ते है जिनसे रामलीला के मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं। नृत्य जावा व बाली द्वीपों में काफी प्रसिद्ध हैं। करीब सौ व्यक्तियों द्वारा खुली रंगशाला में खेला जाने वाला सुग्रीव वानर नृत्य भी अत्यन्त आकर्षक होता है। वायंगकुलैत नामक छायानृत्य काफी लोकप्रिय है जिसमें रामकथा के पात्र चमड़े के वस्र पहन कर नृत्य करते हैं।

नेपाल में रामलीला का आयोजन काफी बड़े पैमाने पर होता है। नेपाल में रामलीला मनोरंजन के लिए नहीं होता बल्कि धार्मिकता की भावना से की जाती है। नेपाली भाषा में अनूदित “भानु रामायण” पर आधारित रामकथा को प्रत्येक वर्ष पंचमी तिथि पर जानकी मंदिर में अनुप्राणित किया जाता है, क्योंकि लोगों का विश्वास है कि यहाँ सीता-राम का विवाह हुआ था।

यह भी पढ़ें : श्रीलंका में श्री रामायण के प्रमाण

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकारा रामायण कांक्लेव का आमंत्रण आगामी जनवरी माह में हिंदुस्तान में आयोजित होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय रामायण कांक्लेव का आमंत्रण गत 21 जुलाई को श्रीलंका में आयोजित समारोह में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकार किया कांक्लेव के मुख्य प्रवक्ता महेंद्र चौधरी ने बताया की उपरोक्त समारोह में तकरीबन 10 से 12 देशों के वर्तमान व पूर्व राष्ट्राध्यक्ष सहित कई विद्वान व राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कलाकार हिस्सा लेंगे इसी क्रम में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति श्री महिंदा राजपक्षे ने कार्यक्रम हेतु अपनी सहमति प्रदान की।

उपरोक्त कार्यक्रम के अंतर्गत नेपाल भूटान सिंगापुर मलेशिया थाईलैंड मारीशस फिजी दुबई इत्यादि देशों के शीर्ष लोगों को आमंत्रित करने का क्रम शुरू हो गया है कांक्लेव के निर्देशक दुष्यंत सिंह के अनुसार समूची रामचरितमानस को एक विशेष तरह के संगीत में  संगीतबद्ध कर उसका अंतरराष्ट्रीय फिल्मांकन किया जाएगा एवं उसका बृहद प्रचार प्रसार व प्रदर्शन राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाएगा। उपरोक्त संगीत में ही रचना में देश विदेश के दिग्गज कलाकार अपना स्वर देंगे।

रूचिन त्यागी के अनुसार जनवरी माह में तीन दिवसीय रामायण कांक्लेव में देश-विदेश से आ रहे महानुभाव प्रभु श्री राम व रामचरितमानस के ऊपर अपने विचार रखेंगे व उपरोक्त कार्यक्रम के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभु श्री राम के भक्तों को जोड़ने के साथ साथ पर्यटन के क्षेत्र में भी एक वृहद रामायण कारी डोर की परिकल्पना को पंख लगेंगे आयोजकों के अनुसार उपरोक्त कार्यक्रम में भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी व महामहिम राष्ट्रपति महोदय श्री रामनाथ कोविंद जी व प्रभु श्री राम की जन्म स्थली अयोध्या का प्रतिनिधित्व कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी आमंत्रण के साथ साथ कार्यक्रम हेतु आशीर्वाद लिया जाएगा उपरोक्त कार्यक्रम की तैयारियां जोर शोर से जारी हैं व आयोजकों के अनुसार सन 2020 का कदाचित वैश्विक तौर पर यह सबसे बड़ा आयोजन होगा

श्रीलंका में रामायण के प्रमाण

रावण जब माता सीता का अपहरण कर श्रीलंका पहुंचा तो सबसे पहले सीता जी को इसी जगह रखा था। इस गुफा का सिर कोबरा सांप की तरह फैला हुआ है। गुफा के आसपास की नक्‍काशी इस बात का प्रमाण है। इसके बाद जब माता सीता ने महल मे रहने से इंकार कर दिया तब उन्‍हें अशोक वाटिका में रखा गया। सीता अशोक के जिस वृक्ष के नीचे बैठती थी वो जगह सीता एल्‍या के नाम से प्रसिद्ध है। 2007 में श्रीलंका सरकार एक रिसर्च कमेटी ने भी पुष्‍टि की, कि सीता एल्‍या ही अशोक वाटिका है। बाद में हनुमान जी के लंका जलाने से भयभीत रावण ने सीता जी को अशोक वाटिका से हटा कर कोंडा कट्टू गाला में रखा था। पुरातत्व विभाग को यहां कई ऐसी गुफाएं मिली है जो रावण के महल तक जाती थी।

हनुमान जी के पद चिन्ह

रामायण मे वर्णन है जब हनुमान जी ने सीता जी को खोजने के लिए समुद्र पार किया था तब उन्होंने विशाल रूप धारण किया था। जिसके चलते जब वो श्रीलंका पहुंचे तो उनके पैर के निशान वहां बन गए। जो आज भी मौजूद हैं।

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श्रीलंका में हिमालय की जड़ी-बूटी

श्रीलंका मे उस स्थान पर जहां लक्ष्मण मूर्छित होकर गिरे थे और उन्‍हे संजीवनी दी गई थी वहां हिमालय की दुर्लभ जड़ी-बूटियों के अंश मिले हैं। दावा है कि इन  जड़ी-बूटियों का श्रीलंका में पाया जाना रामायण काल की वास्‍तविकता को प्रमाणित करता है।

विशालकाय हाथी

रामायण के सुंदर कांड अध्‍याय में लिखा है लंका की रखवाली के लिए विशालकाय हाथी करता था। जिन्हें हनुमान जी ने अपने एक प्रहार से धराशाही किया था।  पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में ऐसे ही हाथियों के अवशेष मिले हैं जिनका आकार वर्तमान हाथियों से बहुत ज्‍यादा है। 

रावण का महल

पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में एक महल मिला है जिसे रामायण काल का बताया जाता है। रामायण लंका दहन का वर्णन है जब हनुमान जी ने पूरी लंका मे अपनी पूंछ से आग लगा दी थी। जलने के बाद उस जगह की की मिट्टी काली हो गई थी, इस बात के प्रमाण भी यहां से मिलते हैं। यहीं से थोड़ी दूर पर रावण एल्ला नाम से एक झरना है, जो 82 फीट की ऊंचाई से गिरता है। राम द्वारा रावण का वध करने के पश्‍चात विभीषण को लंका का राजा बनाया गया था। विभीषण ने अपना महल कालानियां में बनाया था। यह कैलानी नदी के किनारे स्थित था। नदी के किनारे पुरातत्व विभाग को उस महल के अवशेष मिले हैं।

भविष्य में काँग्रेस के वित्तमंत्री आई पैड पर बजट पेश करेंगे : पी चिदम्बरम

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को शुक्रवार को बजट पेश करने से पहले पारंपरिक लाल रंग के ब्रीफकेस के बजाय लाल रंग के कपड़े में लिपटे बजट दस्तावेज के साथ देखा गया. चिदम्बरम भूलते हैं की काँग्रेस राष्ट्र नहीं है। अपनी पार्टी में वह कुछ भी करने को स्वतंत्र हैं, परंतु देश में वित्त मंत्री भारत का ही होता है, कांग्रेस या भाजपा का नहीं। यही भूल काँग्रेस ने मनमोहन सिंह को लेकर की थी, उन्हे कॉंग्रेस का प्रधानमंत्री साबित किया था, राष्ट्र का प्रधान मंत्री नहीं बनाने दिया था। शायद काँग्रेस कभी नहीं सीखेगी।

नई दिल्ली: पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम पी. चिदंबरम ने बजट डॉक्यूमेंट को ब्रीफकेस के बजाय लाल कपड़े में लपेटकर ले जाने पर भी तंज कसा है. उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि भविष्य में जब कांग्रेस का वित्त मंत्री बजट पेश करेगा तो वह डॉक्यूमेंट को आईपैड में ले जाएगा.

बता दें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को शुक्रवार को बजट पेश करने से पहले पारंपरिक लाल रंग के ब्रीफकेस के बजाय लाल रंग के कपड़े में लिपटे बजट दस्तावेज के साथ देखा गया. कपड़े के ऊपर अशोक स्तंभ बना था.

‘यह पश्चिमी प्रथा की गुलामी का प्रस्थान है’ 

मुख्य आर्थिक सलाहकार के. सुब्रमण्यम ने कहा कि यह पश्चिमी प्रथा की गुलामी का प्रस्थान है. प्रत्येक भारतीय व्यापारी अपने व्यापार का हिसाब रखने के लिए पारंपरिक रूप से बहीखाता रखता है, यह लाल कपड़ा उसका प्रतीक है.

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Former finance minister P Chidambaram on Finance Minister Nirmala Sitharaman keeping budget documents in four fold red cloth instead of a briefcase: Take it from me, our Congress’ finance minister will in future bring an iPad. #UnionBudget20199185:11 PM – Jul 5, 2019747 people are talking about thisTwitter Ads info and privacy

सीतारमण को लाल रंग के कपड़े में लिपटे बजट के दस्तावेज लाते हुए देखा गया था जो पीले और लाल धागे से बंधा हुआ था. इससे पहले सभी वित्तमंत्रियों को लाल रंग के सूटकेस में बजट पेश करते हुए देखा गया था.

गाँव के शहरीकरण ने बढ़ाया जल संकट

सारिका तिवारी

विलंबित मानसून, पिछले वर्ष की कमी मानसून से पहले, और भूजल के स्तर में गिरावट ने संकट को बढ़ा दिया है। जलाशयों के दो-तिहाई भाग में असामान्य जल स्तर चल रहा है। बढ़ते तापमान, खराब शहरी नियोजन, जिसके परिणामस्वरूप भराव, और निर्माण, आर्द्रभूमि, योजना प्रक्रिया में हाइड्रोलॉजिकल योजनाओं के प्रति कुल उपेक्षा और पारंपरिक जल संरक्षण ज्ञान के दुरुपयोग ने इस खतरनाक स्थिति में योगदान दिया है।

स्थिति और खराब हो जाएगी, 2030 तक पानी की मांग दोगुनी होने की उम्मीद है, अगर युद्धस्तर पर पानी से निपटना तुरंत नहीं लिया जाता है। पानी की कमी का आर्थिक गतिविधि के सभी क्षेत्रों के लिए खतरनाक प्रभाव है। यह कई सामाजिक लाभों के साथ-साथ लड़कियों के साथ, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में पानी लाने के लिए स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होने पर घड़ी को वापस कर देगा। यह स्वच्छता क्रांति को भी बाधित करेगा।

रविवार को अपने रेडियो संबोधन में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तियों, समुदायों और कंपनियों को एक साथ आने के लिए कहा। जल दक्षता को बढ़ावा देने और अपव्यय को कम करने के लिए सरकार के हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता है। इस भयावह संकट के लिए कोई चांदी की गोली नहीं है। यदि लोग जल संकट की तीव्रता का एहसास करने में विफल रहते हैं, तो भारत का सामना करना पड़ रहा है ।

अब चेन्नई को ही देखें तो वस्तुतः सूखा चला गया है, जबकि शहरी और ग्रामीण भारत के कई अन्य हिस्से पानी के संकट से जूझ रहे हैं। पानी की बर्बादी न तो नई है और न ही तमिलनाडु की राजधानी तक सीमित है।

अध्ययनों से पता चलता है कि अगले साल तक लगभग 20 शहर शहरों में भूजल से बाहर हो जाएंगे। जलवायु परिवर्तन, आक्रामक भूमि उपयोग परिवर्तन, अनुचित शहरी नियोजन और निर्माण ने देश में जल आपातकाल में योगदान दिया है। इस संकट को हल करने के लिए सभी हितधारकों – लोगों, उद्योग, वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और सरकारों द्वारा सभी स्तरों पर मजबूत नीतिगत रूपरेखा और ठोस प्रयास की आवश्यकता होगी।

शुरुआत के लिए, भारत सरकार को जल संरक्षण, जल निकायों के संरक्षण, वितरण नेटवर्क को टक्कर देने और नए आवास में वर्षा जल संचयन को एक अनिवार्य विशेषता बनाना चाहिए।

राहुल जी, यही नव भारत है, जहां कुत्ते भी आपसे अधिक बुद्धिमान हैं : परेश रावल

लोक सभा च्नावोन में मिली करारी हार से राहुल का उबरना कठिन लग रहा है। वह आए दिन अपने अंदाज़ से भारत की लोक तांत्रिक व्यवस्था का मज़ाक दाते दिखाई पड़ते हैं ओर फिर न्के नेता उनके बचाव में आ जाते हैं, लेकिन रहल हैं के मानते ही नहीं।

नई दिल्ली: राहुल गांधी का योग दिवस पर किए गए तंज पर विवाद बढ़ता जा रहा है. योग दिवस के मौके पर राहुल गांधी ने सेना के जवानों और कुत्तों के जरिए योग करते हुए तस्वीरें ट्वीट की थी. इस पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. इस तस्वीर में जवानों के साथ सेना के कुत्ते भी योग करते नजर आ रहे हैं. इस पर राहुल गांधी ने तंज कसा था.

इसके बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सेना का अपमान करना कांग्रेस की परंपरा रही है. कांग्रेस का हाथ नकारात्मकता के साथ. उनके अलावा केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी राहुल गांधी के बयान पर निराशा जताते हुए कहा, भगवान उन्हें सदबुद्धि दे.

Congress stands for negativity.
Today, their negativity was seen in their clear support to the medieval practice of Triple Talaq. Now, they mock Yoga Day and insult our forces (yet again!) Hoping the spirit of positivity will prevail. It can help overcome toughest challenges. https://twitter.com/rahulgandhi/status/1142019983485988864 …Rahul Gandhi✔@RahulGandhiNew India.21.5K6:39 PM – Jun 21, 2019Twitter Ads info and privacy7,346 people are talking about this

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर सबसे तीखा हमला बीजेपी के पूर्व सांसद और फिल्म अभिनेता परेश रावल ने किया. उन्होंने कहा, हां राहुल गांधी जी ये न्यू इंडिया है. यहां पर कुत्ते आपसे ज्यादा स्मार्ट हैं.

Yes it’s a NEW INDIA Rahul ji where even dogs are smarter than you . @RahulGandhi27K4:42 PM – Jun 21, 2019Twitter Ads info and privacy8,038 people are talking about this

योग दिवस पर पूरी दुनिया समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में योगा दिवस पर कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के रांची में योग कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. खुद कांग्रेस शासित कई राज्यों में योग दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए गए थे.

एक और ख़बर जो ख़बर न बन सकी

1951 में कांग्रेस सरकार ने “हिंदू धर्म दान एक्ट” पास किया था। इस एक्ट के जरिए कांग्रेस ने राज्यों को अधिकार दे दिया कि वो किसी भी मंदिर को सरकार के अधीन कर सकते हैं।
इस एक्ट के बनने के बाद से आंध्र प्रदेश सरकार नें लगभग 34,000 मंदिर को अपने अधीन ले लिया था। कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु ने भी मंदिरों को अपने अधीन कर दिया था। इसके बाद शुरू हुआ मंदिरों के चढ़ावे में भ्रष्टाचार का खेल। उदाहरण के लिए तिरुपति बालाजी मंदिर की सालाना कमाई लगभग 3500 करोड़ रूपए है। मंदिर में रोज बैंक से दो गाड़ियां आती हैं और मंदिर को मिले चढ़ावे की रकम को ले जाती हैं। इतना फंड मिलने के बाद भी तिरुपति मंदिर को सिर्फ 7 % फंड वापस मिलता है, रखरखाव के लिए।

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री YSR रेड्डी ने तिरुपति की 7 पहाड़ियों में से 5 को सरकार को देने का आदेश दिया था। इन पहाड़ियों पर चर्च का निर्माण किया जाना था। मंदिर को मिलने वाली चढ़ावे की रकम में से 80 % “गैर हिंदू” कामों के लिए किया जाता है।

तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक हर राज्य़ में यही हो रहा है। मंदिर से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल मस्जिदों और चर्चों के निर्माण में किया जा रहा है। मंदिरों के फंड में भ्रष्टाचार का आलम ये है कि कर्नाटक के 2 लाख मंदिरों में लगभग 50,000 मंदिर रखरखाव के अभाव के कारण बंद हो गए हैं।
दुनिया के किसी भी लोकतंत्रिक देश में धार्मिक संस्थानों को सरकारों द्वारा कंट्रोल नहीं किया जाता है, ताकि लोगों की धार्मिक आजादी का हनन न होने पाए। लेकिन भारत में ऐसा हो रहा है। सरकारों ने मंदिरों को अपने कब्जे में इसलिए किया क्योंकि उन्हे पता है कि मंदिरों के चढ़ावे से सरकार को काफी फायदा हो सकता है।

लेकिन, सिर्फ मंदिरों को ही कब्जे में लिया जा रहा है। मस्जिदों और चर्च पर सरकार का कंट्रोल नहीं है। इतना ही नहीं, मंदिरों से मिलने वाले फंड का इस्तेमाल मस्जिद और चर्च के लिए किया जा रहा है।

इन सबका कारण अगर खोजे तो 1951 में पास किया हुआ कॉंग्रेस का वो बिल है। हिन्दू मंदिर एक्ट की पुरजोर मांग करनी चाहिए जिससे हिन्दुओ के मंदिरों का प्रबंध हिन्दू करे ।गुरुद्वारा एक्ट की तर्ज पर हिन्दू मंदिर एक्ट बनाया जाए।

राजीव कुमार सैनी,
एडवोकेट हाई कोर्ट इलाहाबाद
स्वयंसेवक
संयोजक , भाजपा विधि प्रकोष्ठ, हाई कोर्ट इलाहाबाद इकाई, प्रयागराज

लोक सभा ही नहीं राज्य सभा में भी बढ़ेंगी भाजपा की सीटें

अजेय भाजपा के रथ को रोक्न गठबंधन के भी बस का नहीं है, कारण कई सांसदिया क्षेत्रों में विपक्ष के मिल कर भी उतने मत नहीं हैं जो भाजपा को हटा पाते। लेकिन विपक्ष मोदी की प्रचंड जीत के बाद भी अभी बाज नहीं आया है। कांग्रेस को यकीन है की अब वह लोक सभा में मात्र 44 थे तब उन्होने सांसद नहीं चलने दी थी तो अब तो वह फिर 51 हैं, राज्य सभा में भी विपक्ष बहू संख्या में है इसी लिए विपक्ष अपनी मन मर्ज़ी करेगा। लें राज्य सभा में भारी लत फेर के संकेत हैं।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में भारी सफलता के बाद भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास अगले साल के अंत तक राज्यसभा में बहुमत हो जाएगा और उसके बाद मोदी सरकार के लिए अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने में आसानी हो जाएगी. फिलहाल राजग के पास राज्यसभा में 102 सदस्य हैं, जबकि कांग्रेस नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन संप्रग के पास 66 और दोनों गठबंनों से बाहर की पार्टियों के पास 66 सदस्य हैं.

राजग के खेमे में अगले साल नवंबर तक लगभग 18 सीटें और जुड़ जाएंगी. राजग को कुछ नामित, निर्दलीय और असंबद्ध सदस्यों का भी समर्थन मिल सकता है. राज्यसभा में आधी संख्या 123 है और ऊपरी सदन के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभा के सदस्य करते हैं. अगले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश में खाली होने वाली राज्यसभा की 10 में से अधिकांश सीटें भाजपा जीतेगी. इनमें से नौ सीटें विपक्षी दलों के पास हैं. इनमें से छह समाजवादी पार्टी (सपा) के पास, दो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और एक कांग्रेस के पास है.

अगले साल असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश में सीटें मिलेंगी
उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा के 309 सदस्य हैं. सपा के 48, बसपा के 19 और कांग्रेस के सात सदस्य हैं. अगले साल तक बीजेपी को असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश में सीटें मिलेंगी. भाजपा राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में सीटें गंवाएगी. महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के परिणामों का भी राजग की सीट संख्या पर असर होगा. हालांकि असम की दो सीटों के चुनाव की घोषणा हो चुकी है, जबकि तीन अन्य सीटें राज्य में अगले साल तक खाली हो जाएंगी. बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास राज्य विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत है.

एक तिहाई सीटें जून और नवंबर में खाली होंगी
ऊपरी सदन की लगभग एक-तिहाई सीटें इस साल जून और अगले साल नवंबर में खाली हो जाएंगी. दो सीटें अगले महीने असम में खाली हो जाएंगी और छह सीटें इस साल जुलाई में तमिलनाडु में खाली हो जाएंगी. उसके बाद अगले साल अप्रैल में 55 सीटें खाली होंगी, पांच जून में, एक जुलाई में और 11 नवंबर में खाली होंगी.

कई अहम बि‍ल पास करा सकेगी बीजेपी
भाजपा नेतृत्व वाली सरकार का प्रयास अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने का होगा, जो पिछले पांच सालों के दौरान विपक्ष के विरोध के कारण आगे नहीं बढ़ पा रही थीं. सरकार तीन तलाक विधेयक को पास नहीं करा सकी, जबकि यह विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है. नागरिकता संशोधन विधेयक भी पास नहीं हो पाया है. बीजू जनता दल और तेलंगाना राष्ट्र समिति दोनों ने हालांकि भाजपा और कांग्रेस से समान रूप से दूरी बना रखी है, लेकिन दोनों दलों ने पिछले साल राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए हरिवंश का समर्थन किया था.

एक नौकरशाह जो नाश्ते में नेताओं को खाता था : टी एन शेषन

Demokraticfront Bureau

भारत के चुनाव आयोग द्वारा अस्थायी रूप से चार नेताओं पर रोक लगाने के एक दिन बाद – यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, बसपा प्रमुख मायावती और सपा नेता आज़म खान – आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए अभियान चलाने से, उस व्यक्ति पर ध्यान केन्द्रित होता है जिसने वाकई भारत में चुनावी प्रक्रिया को दोषमुक्त किया अपितु नेताओं को भी जता दिया क संविधान प्रदत पदों ओर ईमानदारी में कितनी ताकत है, यह नाम है टी एन शेषन

तिरुनेलई नारायण अय्यर शेषन तमिलनाडु कैडर के 1955 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं, जिन्हें भारत में चुनावों में सफाई करने वाले व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है। वह भारत के 10 वें मुख्य चुनाव आयुक्त थे, जिन्होंने देश में बड़े पैमाने पर व्याप्त दुर्भावनाओं को समाप्त करके चुनावों में सुधार किया

पुराने दौर में मतदान के दिन पोलिंग बूथों के आस पास मजमा लगा रहता था।शोर-शराबा हुआ करता था। कोई वोट देने जाता तो अपने पक्ष में मतदान करने तक की अपील भी होती थी। इसे लेकर विवाद की भी स्थिति बनी रहती थी। 

 मतदाताओं को पर्ची बनाकर देते थे
 लोकसभा अथवा विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों और प्रत्याशियों के शामियाने पोलिंग बूथ पर होते थे। वहां कुर्सी मेज होती थी। पार्टी के कार्यकर्ता एवं प्रत्याशी के समर्थक मतदाता सूची लेकर बैठते थे और मतदाताओं को पर्ची बनाकर देते थे। समर्थक और कार्यकर्ता, मतदाताओं पर अपने प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने के लिए दबाव तक बनाने थे। कई बार हंगामा तक हो जाता था। वहीं 30 वर्ष पहले निर्वाचन आयोग ने सख्ती की। टीएन शेषन के मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद बूथों के बाहरी हिस्से की रौनक एक तरह से गायब हो गई। वर्ष 1996 तक बतौर मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन ने चुनाव प्रक्रिया में बड़े बदलाव किए।

 मतदान केंद्रों के बाहर राजनीतिक पार्टियों व प्रत्याशी के टेंट लगते थे

देश की आजादी के बाद 1952 से लेकर 1989 तक लोकसभा के जितने भी चुनाव हुए, सभी में मतदान के दिन मतदान केंद्रों के बाहर राजनीतिक पार्टियों और प्रत्याशी के टेंट लगाते थे। यहां कुर्सी, मेज लगाकर बस्ते के साथ कार्यकर्ता और समर्थक बैठते थे। यह मतदाता सूची में नाम देखकर मतदाताओं को पर्ची बनाकर देते थे। टेंट में प्रत्याशियों के बैनर, होर्डिंग्स भी लगे होते थे। कार्यकर्ता और समर्थक प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने के लिए मतदाताओं पर दबाव भी बनाने थे। कई बार पर्ची बनाकर देने के साथ वह मतदाताओं के साथ पोलिंग बूथ के अंदर तक भी चले जाते थे। 

उस समय चुनाव आयोग की ओर से नहीं होती थी रोक-टोक

चुनाव आयोग की ओर से किसी तरह की रोक-टोक नहीं होती थी। कई बार अलग-अलग पार्टियों के प्रत्याशियों के समर्थकों में झगड़े तक की नौबत आ जाती थी। मतदान के दौरान माहौल काफी गरम भी हो जाता था। निर्वाचन आयोग ने 1989 के लोकसभा चुनाव में सख्ती की और मतदान केंद्र के दो सौ मीटर के दायरे में टेंट, कुर्सी, मेज आदि लगाने पर रोक लगा दी। फिर भी कुछ हद तक पुराना रवैया जारी रहा। 

प्रत्याशियों के बैनर पोस्टर, पार्टी के झंडे लगाने पर भी रोक लगी

वर्ष 1990 में टीएन शेषन के मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद पूरी व्यवस्था ही बदल गई। मतदान केंद्र से दूर एक छतरी के नीचे एक कुर्सी-मेज लगाकर बस्ता रखने का आदेश दिया गया। इतना ही नहीं प्रत्याशियों के बैनर पोस्टर, पार्टी के झंडे लगाने पर भी रोक लग गई। इससे आम मतदाताओं को राहत मिली अलबत्ता दलों के कार्यकर्ताओं को माहौल नीरस समझ में आने लगा।

मतदाताओं को अपने पक्ष में करने को लेकर झगड़ा भी होता था

इलाहाबाद (अब प्रयागराज) संसदीय सीट के सेंट एंथोनी स्कूल केंद्र पर 1973 से मतदान देख रहे समाजवादी नेता केके श्रीवास्तव बताते हैैं तब मतदान केंद्र के  ठीक सामने टेंट आदि लगाकर बैठने वाले विभिन्न पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थकों में मतदाताओं को अपने पक्ष में करने को लेकर झगड़ा और थाना-पुलिस तक हो जाता था।

हिंदू विरोध से जीत के दिवास्वप्न दखने वाले एक और नेता कमल हस्सन

कई राष्ट्रिय पुरसकारों से सम्मानित एक दिग्गज अभिनेता कमाल हस्सन ने एक मंच से अपने सालों से अर्जित ज्ञान को बघारा। विस्मय है कि इतने सूझवान नेता को हत्या और आतंक में भेद करने लायक सामर्थ्य नहीं है। यह उनकी राजनैतिक विवशता थी क्योंकि वह मुस्लिम बहुल इलाके में चुनावी रेल कर रहे थे ओर सामने गांधी कि प्रतिमा भी थी। बाद में उन्होने इसी बात का बहुत भोथरा स्पष्टीकरण देने का भी प्रयास किया जिससे उनकी मनो:स्थिति का पता चलता है। मक्कल नीधि मैयम (एमएनएम) के संस्थापक कमल हासन ने यह कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया है कि आजाद भारत का पहला ‘‘आतंकवादी हिन्दू’’ था. वह महात्मा गांधी की हत्या करने वाले, नाथूराम गोडसे के संदर्भ में बात कर रहे थे. हस्सन मोदी विरोध कि राजनीति करने मैदान में उतरे हैं और उन्हे लगता है मोदि विरोध ही उनकी चुनावी वैतरणी पार लगायेगा।

सनद रहे नाथुराम गोडसे ने महात्मा गांधी कि हत्या कि थी, नाथुराम को इतिहास एक हत्यारे के रूप में जानता है न कि एक आतंकी के रूप में आज कमल हस्सन स्वयं को इतिहास आरों ओर अदालतों से अधिक श्रेष्ठ जताने कि चेष्टा कर रहे हैं। वह यह बताते दिख रहे हैं कि उस समय के लोगों को हत्या ओर आतंक के बीच ठीक उसी तरह फर्क नहीं पता था जैसे आज काँग्रेस को हत्या ओर शहादत के बीच फर्क नहीं मालूम

अरवाकुरिचि (तमिलनाडु): मक्कल नीधि मैयम (एमएनएम) के संस्थापक कमल हासन ने यह कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया है कि आजाद भारत का पहला ‘‘आतंकवादी हिन्दू’’ था. वह महात्मा गांधी की हत्या करने वाले, नाथूराम गोडसे के संदर्भ में बात कर रहे थे. रविवार की रात एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए हासन ने कहा कि वह एक ऐसे स्वाभिमानी भारतीय हैं जो समानता वाला भारत चाहते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऐसा इसलिए नहीं बोल रहा हूं कि यह मुसलमान बहुल इलाका है, बल्कि मैं यह बात गांधी की प्रतिमा के सामने बोल रहा हूं. आजाद भारत का पहला आतंकवादी हिन्दू था और उसका नाम नाथूराम गोडसे है. वहीं से इसकी (आतंकवाद) शुरुआत हुई.’’ महात्मा गांधी की 1948 में हुई हत्या का हवाला देते हुए हासन ने कहा कि वह उस हत्या का जवाब खोजने आये हैं.

Kamal Haasan during campaigning in Aravakurichi assembly constituency, Tamil Nadu, yesterday: “I am not saying this because many Muslims are here. I’m saying this in front of Mahatma Gandhi’s statue. First terrorist in independent India is a Hindu, his name is Nathuram Godse.” pic.twitter.com/LSDaNfOVK01,70210:13 AM – May 13, 2019Twitter Ads info and privacy1,697 people are talking about this

कमल हासन इससे पहले भी दक्षिणपंथी चरमपंथ पर निशाना साध चुके हैं. करीब डेढ़ साल पहले इस संबंध में उन्‍होंने एक विवादित लेख भी इस विषय पर लिखा था. उसमें उन्‍होंने लिखा था कि दक्षिणपंथी समूहों ने हिंसा का दामन इसलिये थामा क्योंकि उनकी पुरानी ”रणनीति” ने काम करना बंद कर दिया है. हसन ने तमिल पत्रिका ‘आनंद विकटन’ के अंक में अपने स्तंभ में आरोप लगाया था कि दक्षिणपंथी संगठनों ने अपने रुख में बदलाव किया है, हालांकि उन्होंने इसमें किसी का नाम नहीं लिया है.

कमाल हसन के इस वक्तव्य का विवेक ओबेरॉय ने खुल कर विरोध जताया है।